अंतरराष्ट्रीय
वाशिंगटन, 24 अक्टूबर| एक टीवी बहस के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी पर उनके प्रतिद्वंदी जो बाइडन ने कहा कि वह तेल इंडस्ट्री बंद करना चाहते हैं। इसके बाद डेमोक्रेट इस मामले पर पैदा हुए भ्रम को दूर करने में लगे हैं।
बीबीसी ने शनिवार को बताया कि बाइडन के सहयोगियों ने कहा कि वह जीवाश्म ईंधन पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म करने के बारे में बात कर रहे थे, न कि उद्योग को।
इस बीच डेमोक्रेट ने कोरोनावायरस को लेकर फिर से ट्रंप पर हमला करते हुए कहा, "उन्होंने इस मामले में अमेरिका को उसके हाल पर छोड़ दिया है।"
गुरुवार की रात नैशविले में बहस के दौरान ट्रंप ने अपने प्रतिद्वंदी से पूछा, "क्या आप तेल इंडस्ट्री को बंद कर देंगे?" इस पर बाइडन ने जबाव दिया, "हां, मैं तेल इंडस्ट्री से ट्रांजिशन करूंगा क्योंकि यह इंडस्ट्री बहुत प्रदूषण फैलाती है।"
बाइडन ने कहा कि जीवाश्म ईंधन को समय के साथ नवीकरण की जा सकने वाली ऊर्जा के जरिए प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए ताकि अमेरिका शून्य कार्बन उत्सर्जन की ओर बढ़ सके।
बता दें कि बाइडन चुनावों में लगातार बढ़त बनाए हुए हैं। लेकिन यह बढ़त बहुत छोटी और कुछ राज्यों में ही है, ऐसे में मतदाताओं का असल रुख 3 नवंबर को ही सामने आ सकता है। वहीं 5.3 करोड़ से अधिक अमेरिकी कोरोनावायरस के कारण पहले ही मेल के जरिए रिकॉर्ड स्तर पर मतदान कर चुके हैं। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 24 अक्टूबर | डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन ने कहा है कि अगर वह 3 नवंबर के चुनाव में जीत जाते हैं, तो अमेरिका के सभी लोगों को कोविड-19 वैक्सीन वह निशुल्क उपलब्ध कराएंगे। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, शुक्रवार को विलिमिंगटन, डेलावेयर में एक भाषण के दौरान बाइडन ने कहा, "एक बार हमारे पास सुरक्षित और प्रभावी टीका होने के बाद, यह सभी के लिए निशुल्क उपलब्ध होगा- चाहे आपका बीमा हो या नहीं हो।"
उन्होंने एक बार फिर कोरोना वायरस महामारी को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा कि वह (ट्रंप) वायरस के खिलाफ लड़ाई में हार गए हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति ने 3 नवंबर के चुनाव से पहले आखिरी और अंतिम बार ट्रंप से बहस करने के एक दिन निशुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराने का वादा किया।
बहस में कोरोनोवायरस महामारी एक प्रमुख विषय था।
महामारी से दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका में कोरोना के अब तक 8,484,991 मामले सामने आ चुके हैं और 223,914 लोगों की मौत हो चुकी है। (आईएएनएस)
पेरिस, 24 अक्टूबर | फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि उनके देश के अगले साल के मध्य तक कोरोनावायरस से जूझने की संभावना है। गौरतलब है कि देश में कोविड-19 के 10 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
बीबीसी के मुताबिक, फ्रांस में शुक्रवार को कोविड-19 के 40,000 से अधिक नए मामले सामने आए और 298 मौतें दर्ज की गईं। रूस, पोलैंड, इटली और स्विट्जरलैंड सहित अन्य देशों ने भी मामलों में वृद्धि दर्ज की है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि वायरस के खिलाफ लड़ाई के मद्देनजर यूरोपिय देशों में कोरोना मामलों में वृद्धि चिंताजनक है।
यूरोप में प्रतिदिन दर्ज किए जाने वाले संक्रमण के मामले पिछले 10 दिनों में बढ़कर दोगुने से अधिक हो गए हैं। इस महाद्वीप में अब तक कुल 78 लाख मामले और 247,000 मौतें दर्ज की गई हैं।
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ट्रेडोस अडेनहोम ने संवाददाताओं को बताया, "अगले कुछ महीने बहुत कठिन होने वाले हैं और कुछ देश खतरनाक रास्ते पर हैं।"
विश्व स्तर पर कोविड-19 से 4.2 करोड़ से अधिक मामले सामने आए हैं और 11 लाख मौतें हुई हैं।
पेरिस क्षेत्र के एक अस्पताल के दौरे पर आए मैक्रों ने कहा कि वैज्ञानिक उन्हें बता रहे थे कि उन्हें यकीन है कि वायरस अगली गर्मियों तक मौजूद रहेगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फ्रांस में पुन: पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगाया जाएगा या नहीं अभी यह कहना जल्दबाजी होगा।
करीब 4.6 करोड़ के आबादी वाले देश में शुक्रवार रात से कर्फ्यू छह सप्ताह तक देश के लगभग दो-तिहाई हिस्सों में बढ़ाया गया है।
मैक्रों ने कहा कि जब एक दिन में 3,000 और 5,000 के बीच नए मामले दर्ज किए जाने लगेंगे, तभी कर्फ्यू में ढील दी जाएगी।
इस बीच, एपी-एचपी हॉस्पिटल ग्रुप के प्रमुख मार्टिन हर्श ने चेतावनी दी कि संक्रमण की दूसरी लहर पहले की तुलना में ज्यादा खतरनाक हो सकती है।(आईएएनएस)
नागोर्नो-काराबाख़ में आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच चल रहे भीषण युद्ध ने तुर्की में बने लड़ाकू ड्रोन विमानों को भी दुनिया की नज़र में ला दिया है. कहा जा रहा है कि तुर्की से ख़रीदे गए ड्रोन की वजह से अज़रबैजान को युद्ध में बढ़त हासिल हुई है.
नागोर्नो-काराबाख़ युद्ध शुरू होने से पहले ही तुर्की के ड्रोन विमानों की वजह से कई सैन्य विश्लेषक उसे ग्लोबल डिफेंस इंडस्ट्री क्षेत्र के शीर्ष देशों में शामिल करने लगे थे.
उन्नत लड़ाकू ड्रोन बना रहा तुर्की अपने आप को इसराइल या अमरीका के साथ जोड़कर नहीं देखना चाहता है. वो उन्नत तकनीक के नए विमान ख़ुद बना रहा है.
मानवरहित विमानों के अमरीकी सैन्य विशेषज्ञ डेनियल गेटिंगर ने बीबीसी तुर्की सेवा से कहा कि तुर्की कई तरह के ड्रोन विमान बना रहा है.
हेबरतुर्क के पत्रकार और एविएशन के विशेषज्ञ गुंते सिमसेक का मानना है कि तुर्की कई बरसों से से उड्डयन क्षेत्र में हुए अपने नुकसान की भरपाई कर रहा है.'
वो बताते हैं कि विमान निर्माता तुर्की साल 1940 में ही सिविल एविएशन ऑर्गेनाइज़ेशन का सदस्य बन गया था. हालाँकि, अगले कुछ वर्षों में तुर्की की स्थिति कमज़ोर होती गई. लेकिन अब मानवरहित विमान बनाकर उसने अपनी स्थिति मज़बूत कर ली है.
तुर्की की आलोचना
देश के भीतर ड्रोन हमलों और उनमें आम नागरिकों की मौत को लेकर तुर्की को आलोचना का सामना भी करना पड़ा है.
अमरीका के मिशेल एयरोस्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट से जुड़े डेनियल गेटिंगर कहते हैं कि यूएवी के मामले में दुनिया में सबसे आगे इसराइल और अमरीका हैं.
इसराइल और अमरीका ने 1970 और 80 के दशक में सैन्य इस्तेमाल के लिए ड्रोन विमान बनाने की शुरुआत की थी. तुर्की इस क्षेत्र में नया निर्माता है. इसके अलावा चीन और फ़्रांस भी बड़े ड्रोन निर्माता देश हैं.
गेटिंगर के मुताबिक इस समय दुनिया में कम से कम 95 देश ड्रोन विमान बनाने की कोशिश कर रहे हैं और कम से कम 60 देश 267 तरह के सैन्य ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं.
सबसे ज़्यादा ड्रोन खरीदने वाला देश-चीन
गुंते सिमसेक के मुताबिक ड्रोन डिजाइन, सॉफ़्टवेयर और इस्तेमाल के मामले में तुर्की दुनिया के शीर्ष पाँच देशों में शामिल है.
ब्रिटेन स्थित गैर सरकारी संगठन ड्रोन वॉर्स के मुताबिक ड्रोन उत्पादन के क्षेत्र में शामिल होने वाला तुर्की नई पीढ़ी का देश है. इन देशों में चीन, ईरान और पाकिस्तान भी शामिल हैं.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक़ बीते साल चीन के ड्रोन निर्यात में 1430% की वृद्धि हुई है और इस मामले में चीन सबसे आगे हो गया है.
एयरोस्पेस और डिफ़ेंस के क्षेत्र में काम करने वाली शोध फर्म टील ग्रुप के मुताबिक साल 2019 में ड्रोन का कारोबार बढ़कर 7.3 अरब डॉलर का हो गया.
अगले 10 साल में यह आंकड़ा 98.9 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.
बेयरेकतार ड्रोन का कंट्रोल सेंटर
तुर्की की सेना अलगाववादी संगठन पीकेके के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर ड्रोन विमानों का इस्तेमाल करती है और इसी वजह से तुर्की में इनका उत्पादन बढ़ा है.
तुर्की पीकेके को आतंकवादी संगठन मानता है. ये उन कुर्दों का संगठन है जो तुर्की में कुर्दों के लिए अलग देश बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
तुर्की साल 2000 के बाद से इसराइल से ड्रोन ख़रीद रहा था लेकिन हेरोन टाइप यूएवी उड़ाने में उसे समस्याएं आ रहीं थीं. कभी वो क्रैश हो जा रहे थे कभी तकनीकी कारणों से उड़ नहीं पा रहे थे.
इसी वजह से कुछ हेरोन ड्रोन वापस इसराइल भी भेज दिए गए थे.
अमरीका की कांग्रेस ने भी प्रीडेटर और रीपर ड्रोन की तुर्की को बिक्री पर रोक लगा दी थी.
इसके बाद अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए तुर्की को अपना ड्रोन कार्यक्रम विकसित करना पड़ा.
बायकार कंपनी का बायरक्तार टीबी2 ड्रोन दुनिया के सबसे चर्चित ड्रोन विमानों में शामिल है.
ये अपने प्रतिद्वंदियों से इसलिए बेहतर है क्योंकि ये मिसाइल ले जाने में सक्षम सबसे छोटा ड्रोन है.
इसका इस्तेमाल हवाई क्षेत्र की निगरानी और जासूसी के लिए भी किया जा सकता है. ये सटीक निशाना भी लगाता है.
किन देशों के पास है ये ड्रोन?
तुर्की और अज़रबैजान के मीडिया में इस साल गर्मियों में इस ड्रोन को ख़रीदने की ख़बरें आने लगीं थीं. इसके अलावा सर्बिया, क़तर, ट्यूनीशिया और लीबिया भी तुर्की में बनें मानवरहित विमान ख़रीद चुके हैं.
नागोर्नो काराबाख़ की लड़ाई में बायरक्तार टीबी2 ड्रोन विमानों के कामयाब इस्तेमाल ने इनकी माँग भी बढ़ा दी है.
गुंते सिमसेक कहते हैं कि अब इस ड्रोन का बाज़ार बढ़ा हो गया है.
फ्रांस24 के साथ एक साक्षात्कार में अज़रबैजान के राष्ट्रपति से जब पूछा गया कि उन्होंने तुर्की से कितने ड्रोन लिए हैं तो इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि 'हमारे पास अपना मक़सद हासिल करने के लिए पर्याप्त ड्रोन विमान हैं.'
राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव ने कहा था, ''ये वो जानकारी है जिसे मैं सार्वजनिक नहीं करना चाहूंगा.''
अज़रबैजान के राष्ट्रपति ने युद्ध पर ड्रोन के प्रभाव से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कहा था, ''ज़ाहिर तौर पर ये नए ज़माने के उन्नत हथियार हैं. मैं ये कह सकता हूं कि तुर्की से मिले ड्रोन विमानों से हमने आर्मीनिया के एक अरब डॉलर से अधिक सैन्य साज़ो-सामान बर्बाद कर दिए हैं.''
तुर्की ने सीरिया में चलाए ऑपरेशन स्प्रिंग शील्ड के दौरान भी अपने ड्रोन विमानों का इस्तेमाल किया था.
सीरिया में तुर्की के सैन्य ऑपरेशन में भी ड्रोन विमान इस्तेमाल हुए हैं
तुर्की के ड्रोन विमानों की मदद से ही लीबिया की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार विद्रोही सैन्य नेता ख़लीफ़ा हफ़्तार के बलों के ख़िलाफ़ प्रभावी कार्रवाई कर पाई थी.
साल 2019 में तुर्की ने 2.74 अरब डॉलर के हथियार बेचे. पिछले साल के मुकाबले तुर्की ने 34 प्रतिशत की बढ़त हासिल की. विशेषज्ञों के मुताबिक साल 2023 तक तुर्की का ड्रोन कारोबार 10 अरब डॉलर तक बढ़ जाएगा.
स्टॉकहोम पीस इंस्टीट्यूट के मुताबिक साल 2014-18 के बीच तुर्की ने हथियारों की बिक्री 170% बढ़ाई जबकि साल 2015-19 के बीच तुर्की के हथियारों के आयात में 48% की कमी आई.
इसकी वजहों में तुर्की का स्थानीय तकनीक विकसित करना और विदेशों से हथियार ख़रीदने में आ रही दिक्कतें शामिल हैं.
डेनियल गेटिंगर कहते हैं कि तुर्की सिर्फ़ हथियार बेचना में ही दिलचस्पी नहीं ले रहा है बल्कि वो दूसरे देशों से रिश्ते भी बनाना चाहता है.
तुर्की की विदेश नीति इतनी आक्रामक क्यों?
वो कहते हैं कि तुर्की ड्रोन के उत्पादन के मामलों में दूसरे देशों को सहयोग भी दे रहा है.
गेटिंगर के अनुसार, बायरक्तार ड्रोन टीबी2 वर्ज़न से कुछ सस्ता है और तुर्की ने इसकी बिक्री के लिए ख़ूब प्रचार भी किया है.
तुर्की के ड्रोन विमानों की एक ख़ास बात ये है कि इन्हें पूरी तरह से स्थानीय स्तर पर बनाया गया है.
ड्रोन निर्माता कंपनी बायकार ने एक बयान में कहा है कि उसका पूरा सिस्टम स्थानीय और घरेलू उत्पादन पर ही आधारित है.
हालाँकि विशेषज्ञ इससे अलग राय रखते हैं. डेनियल गेटिंगर कहते हैं कि तुर्की सेंसर डिवाइस और टार्गेट डिवाइस जर्मनी और कनाडा से हासिल करता है.
रक्षा विश्लेषकों के मुताबिक तुर्की के ड्रोन कार्यक्रम की एक कमज़ोर कड़ी ये है कि ये आयात पर निर्भर है.
अमरीका के चुनावों में तुर्की की पैनी नज़र की वजह
साल 2019 में ब्रितानी अख़बार द गार्जियन ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि तुर्की का बायरक्तार टीबी2 ड्रोन हॉर्नेट टाइप के मिसाइल लांचरों का इस्तेमाल करता है जिन्हें ब्रितानी कंपनी ईडीओ एमबीएम टेक्नोलॉजी ने बनाया है.
हालाँकि बायकार ने इन आरोपों को खारिज किया है.
रिपोर्टों के मुताबिक जर्मनी की कंपनियों ने 1.28 करोड़ यूरो के सैन्य उपकरण तुर्की को बेचे थे जिनका इस्तेमाल ड्रोन बनाने में हो सकता है.
गुंते सिमसेक का कहना है कि तुर्की ने ड्रोन विमान का इंजन बनाने में प्रगति की है और ये एक बेहद विवादित मुद्दा है.
ड्रोन वॉर्स से जुड़े सेमुएल ब्राउनसोर्ड के मुताबिक तुर्की के पास अपने ड्रोन विमानों के विकास और निर्यात का मौका है.
इस क्षेत्र में तुर्की की कामयाबी की सबसे बड़ी वजह ये है कि वो दुनिया के ऐसे चंद देशों में शामिल है जो अपनी ही ज़मीन पर ड्रोन विमानों से हमले कर रहे हैं.
अर्दोआन सरकार तुर्की के इस स्वर्णिम इतिहास को दोहराने की कोशिश में
सेमुएल ब्राउनसोर्ड ने एक लेख में ये भी कहा है कि तुर्की अपनी सीमाओं के भीतर इन ड्रोन विमानों का नियमित इस्तेमाल करता है.
मानवाधिकार संगठन और कार्यकर्ता आरोप लगाते रहे हैं कि तुर्की अपने ही देश में ड्रोन विमानों का इस्तेमाल कर आम नागरिकों को निशाना बना रहा है.
संगठनों का आरोप है कि तुर्की ने उत्तरी सीरिया में भी ड्रोन विमान इस्तेमाल किए.
ड्रोन विमानों की एक आलोचना इस बात को लेकर भी होती है कि इनके इस्तेमाल का एक ही नतीजा होता है- लोगों की मौत.
सेमुएल ब्राउनसोर्ड कहते हैं, 'ड्रोन विमान से किसी को गिरफ्तार नहीं किया जाता. जब ये इस्तेमाल होते हैं तो मौत निश्चित नतीजा होती है. ये एक गंभीर चिंता की बात है.'(bbc)
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर | भारत और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के बीच 100 वर्षों के संबंधों में एक नया अध्याय लिखा गया है। भारत ने 35 वर्षों बाद अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के गवनिर्ंग बॉडी की अध्यक्षता ग्रहण की है। श्रम और रोजगार सचिव अपूर्व चंद्रा को अक्टूबर 2020 से जून 2021 तक की अवधि के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के गवनिर्ंग बॉडी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। यह पद अंतर्राष्ट्रीय स्तर का है। गवनिर्ंग बॉडी, आईएलओ का शीर्ष कार्यकारी निकाय है जो नीतियों, कार्यक्रमों, एजेंडे, बजट का निर्धारण करता है और महानिदेशक का चुनाव का कार्य भी करता है। वर्तमान समय में आईएलओ के 187 सदस्य हैं। अपूर्व चन्द्रा नवंबर 2020 में होने वाली शाषी निकाय की आगामी बैठक की अध्यक्षता करेंगे। जिनेवा में, उनके पास सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारियों और सामाजिक भागीदारों के साथ बातचीत करने का अवसर होगा। यह संगठित या असंगठित क्षेत्र में सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के सार्वभौमिकरण के बारे में मंशा स्पष्ट करने के अलावा श्रम बाजार की कठोरता को दूर करने के लिए सरकार द्वारा की गई परिवर्तनकारी पहलों के प्रतिभागियों को भी एक मंच प्रदान करेगा।
अपूर्व चंद्रा 1988 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सात साल से अधिक समय तक अपूर्व चंद्रा ने कार्य किए हैं। चंद्रा ने महाराष्ट्र सरकार में प्रधान सचिव (उद्योग) के रूप में 2013 से 2017 के बीच चार वर्षों तक काम किया है। 1 अक्टूबर 2020 से उन्होंने श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव के रूप में पद संभाला है।(आईएएनएस)
वाशिंगटन, 24 अक्टूबर | वैश्विक कश्मीरी पंडित प्रवासी (जीकेपीडी) और अन्य सामुदायिक संगठनों ने जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से पहली बार सीमा-पार की क्रूर आक्रामकता की 73वीं वर्षगांठ के अवसर पर वाशिंगटन में पाकिस्तान के दूतावास के सामने विरोध रैली की। मास्क पहने हुए और सामाजिक दूरी के मानदंडों का पालन करते हुए, प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को काला दिवस मनाया। उन्होंने पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद को कश्मीर के लिए खतरनाक करार देते हुए काला दिवस मनाया। इसके लिए उन्होंने डिजिटल ट्रक और कार डिस्प्ले का इस्तेमाल किया।
रैली के आयोजक और वाशिंगटन डीसी, जीकेपीडी के समन्वयक मोहन सप्रू ने कहा, "प्रदर्शनकारी पाकिस्तान की सीमा-पार आतंकवाद और कश्मीर में 73 साल लंबी स्थायी नीति की कड़ी निंदा करने के लिए एकत्र हुए हैं। पाकिस्तान ने अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया है, जिनमें कश्मीरी हिंदू, सिख, ईसाई और बौद्ध शामिल हैं।
घाटी में हिंसा और आतंक फैलाने में पाकिस्तान की भूमिका के विरोध में यह दिन मनाया गया। दरअसल 22 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तानी आक्रमणकारियों ने अवैध रूप से जम्मू-कश्मीर में प्रवेश किया और लूटपाट और अत्याचार किए।
पाकिस्तानी सेना समर्थित कबाइली लोगों के लश्कर (मिलिशिया) ने कुल्हाड़ियों, तलवारों, बंदूकों और हथियारों से लैस होकर कश्मीरी लोगों पर हमला बोल दिया था।
सीमा पार इस्लामिक आतंकवाद की क्रूरता बेरोकटोक जारी रही और इसके परिणामस्वरूप 1989-1991 के बीच स्वदेशी कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार किया गया और उसके बाद उनका जबरन पलायन हुआ। दुनिया भर में इस्लामिक आतंकवाद के खतरे को पहचानने में विश्व समुदायों को ईमानदार होने की जरूरत है। कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार किया गया है और इस अल्पसंख्यक समुदाय के मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
कार्यकर्ता सिद्धार्थ अंबरदार ने कहा, "कश्मीर लौटने और सच्ची शांति के लिए इस्लामी आतंकवाद के खतरे को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा।"
उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं की हत्या और दुष्कर्म का शिकार हुए लोगों को न्याय मिलना चाहिए।
अंबरदार ने कहा, "घाटी में स्वदेशी कश्मीरी हिंदुओं की सुरक्षित वापसी के लिए अभी भी कोई व्यापक व्यवहार्य योजना नहीं है, जो अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए हैं।"
उन्होंने ऐसे कुछ कश्मीरी हिंदू परिवारों की पीड़ा और कठिनाइयों का भी जिक्र किया, जो भय के माहौल में अभी भी घाटी में रह रहे हैं और जिनकी ओर अभी भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
विरोध प्रदर्शन में शामिल एक अन्य कश्मीरी हिंदू समुदाय के कार्यकर्ता स्वप्न रैना ने कहा, "हम न्याय की मांग करते रहेंगे और दुनिया को इस्लामी आतंकवादियों द्वारा स्वदेशी कश्मीरियों के नरसंहार को भूलने नहीं देंगे।"
स्थानीय समुदाय (लोकल कम्युनिटी) कार्यकर्ता उत्सव चक्रबर्ती ने कहा कि 22 अक्टूबर, 1947 के काले दिन के बारे में लोगों कम लोगों को जानकारी है। उन्होंने कहा कि हमें उसे याद रखे रखना और साझा करना जरूरी है, ताकि इस तरह के घटनाक्रम को दोबारा कभी नहीं दोहराया जा सके।
पत्रकार और स्थानीय पश्तून निवासी पीर जुबैर ने कहा, "पाकिस्तान ने आदिवासियों को जिहाद के नाम पर कश्मीरियों पर हमला करने और उन पर अत्याचार करने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा पाकिस्तान ने 1947 में कश्मीरी हिंदुओं और सिखों के साथ जो किया, वह अब आदिवासियों के साथ भी हो रहा है।"(आईएएनएस)
लंदन, 24 अक्टूबर | पेरिस में इजरायली दूतावास के बाहर एक पुलिस अधिकारी के साथ 'हिट एंड रन' के मामले में पाकिस्तानी मूल के सात ब्रिटिश नागरिकों को हिरासत में लिया गया है। फर्जी नंबर प्लेट वाली मर्सिडीज और बीएमडब्ल्यू में सफर करते हुए चार पुरुषों और तीन महिलाओं का मामला सामने आया है, मगर उनके नाम का उल्लेखन नहीं किया गया है। हालांकि, वे पाकिस्तानी मूल के लंदन में रहने वाले निवासी बताए गए हैं।
उनके वाहनों की एक वीडियो भी है और इस समूह को सोमवार रात को चैंप्स एलिसी के नजदीक बेहद सुरक्षित क्षेत्र में स्थित दूतावास के बाहर एक पुलिसकर्मी को धमकाते हुए देखा गया है।
वीडियो निगरानी कैमरों ने एक मर्सिडीज में तीन संदिग्धों के चेहरे और एक बीएमडब्ल्यू में तीन अन्य लोगों के चेहरे सामने आए हैं और माना जा रहा है कि ये सभी एक ही समूह में थे। इसके अलावा एक सातवें संदिग्ध का भी पता चला है, जो इन दोनों ही कार में से किसी में नहीं था।
शाम सात बजे के हमले के बाद, दोनों वाहन भागने में सफल रहे और बाद में उन्हें फ्रांसीसी राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास, एलिसी पैलेस के करीब देखा गया था।
फ्रांसीसी पुलिस की ओर से शहर में छानबीन शुरू की गई, जिसके बाद सभी संदिग्धों को मंगलवार तक पेरिस के एक पुलिस स्टेशन में हिरासत में ले लिया गया।
अभियोजकों ने बुधवार को पुष्टि की कि पुरुषों और महिलाओं में से दो नाबालिग हैं और उनकी 'सार्वजनिक प्राधिकरण में एक व्यक्ति की हत्या के लिए जांच की जा रही है। संदिग्धों को फ्रांस में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है।
यह घटना 47 वर्षीय शिक्षक सैमुअल पैटी की भीषण हत्या के बाद सामने आई है। पिछले शुक्रवार को एक शरणार्थी इस्लामी आतंकवादी द्वारा शिक्षक की ओर से कक्ष में छात्रों को पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाए जाने के बाद हत्या कर दी गई थी।(आईएएनएस)
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार उन 27 बिंदुओं पर अमल करने में नाकाम रही है जो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ ने उसके सामने रखे थे। नतीजतन पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे सूची में ही रखा गया है। एफएटीएफ आतंकवाद पर नजर रखने वाली विश्व की सर्वोच्च संस्था है। एफएटीएफ के इस फैसले से इमरान सरकार को करारा झटका लगा है और पाकिस्तान के सामने आर्थिक संकट और गहराने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान काफी समय से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे। उन्होंन इसके लिए एफएटीएफ के प्लेनरी सेशन में ऑनलाइन हिस्सा भी लिया था और पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकालने की अपील की थी। इतना ही नहीं इमरान सरकार ने इसके लिए अमेरिका के एक शीर्ष लॉबिस्ट की सेवाएं भी ली थीं। लेकिन एफएटीएफ ने कोर अपीलों पर नहीं बल्कि असली मुद्दो पर फैसला किया और पाकिस्तन को ग्रे लिस्ट में भी रखा। एफएटीएफ के मुताबिक पाकिस्तान 27 बिंदुओं में से 6 अहम बिंदुओं पर अमल करने में बिल्कुल नाकाम साबित हुआ है।
कुछ दिन पहले ही एफएटीएफ ने आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के ढुलमुल रवैये पर सख्त नाराजगी जताई थी। एफएटीएफ ने कहा था कि “पाकिस्तान आतंक के खिलाफ हमारी 27 सूत्रीय कार्ययोजनाओं में से प्रमुख 6 योजनाओं को पूरा करने में नाकाम साबित हुआ है।“ इन 6 बिंदुओं में भारत में वांटेड आतंकवादियों मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई न करना भी शामिल हैं।
ग्रे लिस्ट से बाहर न आने के कारण पाकिस्तान को अब दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और उसकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ सकती है। इसके तहत पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलने में भी मुश्किलें आएंगी। साथ ही अन्य देश भी पाकिस्तान को आर्थिक बंद कर सकते हैं। (navjivan)
बीजिंग, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)| चीन ने शुक्रवार को हांगकांग के निवासियों को नागरिकता देने की पेशकश के खिलाफ ब्रिटेन को चेतावनी देते हुए कहा कि वह प्रतिकार उपायों से बचने के लिए तुरंत अपनी गलतियों में सुधार करे। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, चीन द्वारा हांगकांग पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के जवाब में, ब्रिटेन ने जुलाई में केवल ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज (बीएनओ) पासपोर्ट रखने वाले नागरिकों को नागरिकता देने की अपनी योजना की फिर से पुष्टि की थी।
हांगकांग में ब्रिटिश वाणिज्य दूतावास के अनुसार, लगभग 300,000 लोग वर्तमान में बीएनओ पासपोर्ट रखते हैं, जबकि अनुमानित 29 लाख लोग इसके लिए पात्र हैं।
दक्षिण चीन मॉनिर्ंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यहां मीडिया को संबोधित करते हुए, विदेशी मामलों के प्रवक्ता झाओ लिजियन से पूछा गया कि क्या बीजिंग जवाबी कार्रवाई करेगा या बीएनओ पासपोर्ट धारकों को हांगकांग छोड़ने से रोक देगा।
इस पर प्रवक्ता ने कहा, चीनी सरकार ने इस मुद्दे पर अपने मजबूत रुख को बार-बार स्पष्ट किया है, लेकिन ब्रिटिश पक्ष ने हांगकांग के मामलों और चीन के घरेलू मुद्दों पर हस्तक्षेप करने पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा, जैसा कि ब्रिटिश पक्ष ने अपने स्वयं के वादों को तोड़ दिया, चीनी सरकार बीएनओ पासपोर्ट को एक वैध यात्रा दस्तावेज के रूप में मान्यता नहीं देने पर विचार करेगी और आगे के उपायों को लागू करने का अधिकार सुरक्षित रखेगी।
शुक्रवार को जारी एक बयान में, विदेश मंत्रालय के हांगकांग कार्यालय के एक प्रवक्ता ने भी कहा कि उन्होंने ब्रिटेन के कदम का ²ढ़ता से विरोध और ²ढ़ता से आपत्ति जाहिर की है।
उन्होंने कहा, हमने ब्रिटिश पक्ष से अपनी गलतियों को तुरंत सुधारने और अपने कटती प्रदर्शन एवं राजनीतिक हेरफेर को रोकने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा नागरिकों को यह नया मार्ग को प्रदान करने को ब्रिटेन की ओर से सार्वजनिक रूप से अपने स्वयं का वादे का उल्लंघन करार दिया।
प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिटेन ने चीन के घरेलू मुद्दों और हांगकांग के मामलों में दखल दिया है और इसके साथ ही उसने अंतराष्र्ट्ीय कानून और संबंधों के बुनियादी सिद्धांतों का भी गंभीर रूप से उल्लंघन किया है।
बीबीसी के रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के सरकारी विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि जनवरी 20121 में नया वीजा उपलब्ध होने पर दस लाख से अधिक लोग ब्रिटेन में जाने का फैसला कर सकते हैं।
बीजिंग, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)| 22 अक्तूबर को आयोजित वर्ष 2020 फूच्यांग नवाचार मंच में प्राप्त उपलब्धियों की न्यूज ब्रीफिंग में यह देखा जा सकता है कि वर्ष 2019 में चीन में कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) से जुड़े कुल 28.7 हजार पेपर जारी किये गये, जो वर्ष 2018 की अपेक्षा 12.4 प्रतिशत से अधिक रही। कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में विभिन्न स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में चीन की सक्रियता और भूमिका दिन-ब-दिन बढ़ रही है। इसके अलावा गत वर्ष चीन में कृत्रिम बुद्धि पेटेंट आवेदनों की संख्या 30 हजार से अधिक पहुंच गयी, जिसमें वर्ष 2018 की अपेक्षा 52.4 प्रतिशत इजाफा हो गया। रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में हाल के पांच वर्षों में कृत्रिम बुद्धि से जुड़े पहले सौ लोकप्रिय पेपरों में 21 पेपर चीन से हैं। यह संख्या तो दूसरे स्थान पर रही। स्वचालित मशीन लनिर्ंग, तंत्रिका नेटवर्क व्याख्यात्मक तरीके, विषम संलयन मस्तिष्क जैसे कंप्यूटिंग आदि क्षेत्रों में चीन ने कुछ विश्व प्रभावित नवाचार उपलब्धियां हासिल की हैं।
इनके अलावा पेइचिंग, थ्येनचिन व हपेई, यांग्त्जी नदी डेल्टा और क्वांगतोंग-हांगकांग-मकाओ ग्रेटर बे एरिया चीन में कृत्रिम बुद्धि विकास के मुख्य तीन क्षेत्र बने। जहां कृत्रिम बुद्धि से जुड़े उद्यमों की कुल संख्या पूरे चीन के 83 प्रतिशत तक पहुंच गयी।
"नवाज़ शरीफ़ सुन लो मेरी बात, आज से मेरी पूरी कोशिश है कि तुम्हें इस मुल्क में वापस लाया जाए और तुम्हें यहाँ आम जेल के अंदर डालेंगे, वो वीआईपी जेल नहीं होगी. ग़रीब आदमी लाखों की चोरी करे, तो वो आम जेल में रहे और जो अरबों की चोरी करे, वो वीआईपीए जेल में रहे. तुम वापस आओ. तुम्हें दिखाते हैं कि कैसे रखते हैं" पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने 17 अक्तूबर को इस्लामाबाद की एक सभा में ये एलान किया था.
इमरान ख़ान काफ़ी ग़ुस्से में थे. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री को 'गीदड़' तक कह डाला और कहा कि 'वो दुम दबाकर भाग गया है और बाहर से बैठकर सेना और सेना प्रमुख के ख़िलाफ़ बोल रहा है.'
उन्होंने विपक्ष को चेतावनी देते हुए कहा, "अब तक जो ये विपक्ष है, उन्होंने एक इमरान ख़ान को देखा है, अब जो वो एक इमरान ख़ान देखेंगे, वो एक अलग इमरान ख़ान है."
दरअसल, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के इस आक्रामक तेवर की वजह है, इन दिनों उनकी सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष का एकजुट हमला.
पाकिस्तान में विपक्ष ने महँगाई, बिजली की क़िल्लत और दूसरे आर्थिक मुद्दों को लेकर इमरान ख़ान सरकार को घेरने के लिए पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) नाम का एक गठबंधन बनाया है.
पीडीएम ने इस महीने 16 और 18 अक्टूबर को दो रैलियाँ कीं, उसमें विपक्ष की ओर से सबसे ज़्यादा मुखर थे बिलावल भुट्टो ज़रदारी और मरियम नवाज़.
बिलावल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के बेटे हैं. मरियम पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) की उपाध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की बेटी हैं.
लेकिन प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने दोनों को 'बच्चा' बताते हुए कहा है कि वो उनके बारे में बात नहीं करना चाहते हैं.
उनके निशाने पर नवाज़ शरीफ़ हैं, जो इस वक़्त लंदन में हैं और अब इमरान ख़ान सरकार उन्हें वापस लाने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं.
लेकिन सवाल यही है कि क्या नवाज़ शरीफ़ को वापस लाया जा सकेगा?
"15 जनवरी से पहले लाएँगे वापस"
पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीक मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने तो एक तारीख़ तक दे दी है, उन्होंने बुधवार को पाकिस्तान के एक टीवी चैनल से कहा, "मुझे पूरी उम्मीद है कि सरकार नवाज़ शरीफ़ को 15 जनवरी से पहले वापस लाने में कामयाब रहेगी."
पाकिस्तान सरकार ने इसके लिए ब्रिटेन सरकार को एक ख़त भी लिखा है और पाकिस्तान स्थित ब्रिटेन के उच्चायुक्त से बात भी की है.
गृह मामलों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के सलाहकार शहज़ाद अकबर ने पाकिस्तान के एक टीवी चैनल पर बताया कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल को एक चिट्ठी लिखकर नवाज़ शरीफ़ को वापस भेजे जाने की माँग की है.
शाहज़ाद अकबर ने कहा, "हमने ब्रितानी हुक़ूमत को कहा है कि उनको डिपोर्ट करें, क्योंकि आपके क़ानून के मुताबिक़, वह वहाँ नहीं रह सकते क्योंकि वह विज़िट वीज़ा पर वहाँ गए हैं."
उन्होंने बताया कि ब्रिटेन सरकार के इमिग्रेशन क़ानून के मुताबिक़ चार साल से ज़्यादा की सज़ा पाए हुए शख़्स को डिपोर्ट कर दिया जाता है.
शहज़ाद अकबर ने कहा, "हमने ब्रितानी हुकूमत से कहा है कि वो ये जाँच करा लें कि क्या वो वहाँ अपना इलाज करवा रहे हैं. जहाँ तक हमारी जानकारी है, पिछले एक साल में एक एक्स-रे के अलावा उन्होंने कुछ नहीं करवाया. हमने उनसे कहा है कि वो अपने क़ानून के हिसाब से इस बात की जाँच करा लें कि ये बंदा वहाँ कैसे रह सकता है."
मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने कहा कि नवाज़ शरीफ़ का मामला ब्रिटेन में मौजूद ऐसे दूसरे लोगों से अलग है, जिन्हें उनके देशों की सरकारें वापस बुलाना चाहती हैं.
फ़व्वाद चौधरी ने कहा, "बाक़ी लोगों के तो मुक़दमे चल रहे हैं, लेकिन नवाज़ शरीफ़ चूँकि सज़ायाफ़्ता हैं, इसलिए मुझे उम्मीद है कि ब्रितानी हुकूमत इस पर बहुत जल्द फ़ैसला करेगी."
नवाज़ क्यों नहीं आ रहे वापस
हालांकि नवाज़ शरीफ़ ने ये कभी नहीं कहा है कि वो पाकिस्तान वापस जाना ही नहीं चाहते, लेकिन ये ज़रूर बताते रहे हैं कि अपनी 'ख़राब' सेहत की वजह से वो देश नहीं लौट सकते.
पिछले महीने और जुलाई में भी उन्होंने अपने वकील के माध्यम से लाहौर हाईकोर्ट को अपनी मेडिकल रिपोर्ट भेजकर बताया था कि उन्हें डॉक्टरों ने कोरोना वायरस की वजह से बाहर जाने से मना किया है.
उन्होंने बताया कि उनका प्लेटलेट्स काउंट गिरा हुआ है और उन्हें डायबिटीज़, दिल, किडनी और ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याएँ हैं.
नवाज़ शरीफ़ पिछले साल 20 नवंबर को एक एयर एम्बुलेंस से ब्रिटेन पहुँचे थे, जब लाहौर हाईकोर्ट ने उन्हें इलाज के लिए विदेश जाने की अनुमति दी थी.
तब मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा था कि सरकार नवाज़ शरीफ़ के सेहतमंद होने के लिए दुआ कर रही है.
भ्रष्टाचार के एक मामले में सात साल की सज़ा काट रहे नवाज़ शरीफ़ इसके तीन हफ़्ते पहले ही जेल से रिहा हुए थे. पिछले साल 29 अक्तूबर को इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने मेडिकल आधार पर उनकी सज़ा को छह हफ़्ते के लिए मुल्तवी कर दिया था.
इसके 20 दिन बाद वो ये कहते हुए लंदन गए कि वो चार हफ़्तों के भीतर या डॉक्टरों के उन्हें फ़िट क़रार देते ही लौट आएँगे.
नवाज़ शरीफ़ को सज़ा क्यों हुई?
नवाज़ शरीफ़ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. पहली बार 1990 से 1993 तक. दूसरी बार 1997 से 1999 तक और अंतिम बार 2013 से 2017 तक.
वो पाकिस्तान के एक अमीर उद्योगपति और कारोबारी भी हैं.
2018 में पनामा पेपर्स लीक के बाद लंदन के पॉश इलाक़े में उनके परिवार के पास अपार्टमेंट होने के मामले में उन्हें भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया.
उन्हें 10 साल की सज़ा हुई, लेकिन दो महीने बाद ही वो रिहा कर दिए गए, क्योंकि अदालत ने अंतिम फ़ैसला आने तक सज़ा को स्थगित कर दिया था.
लेकिन दिसंबर 2018 में उन्हें भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में सात साल की सज़ा हुई. इस बार मामला सऊदी अरब में उनके परिवार के पास स्टील फ़ैक्ट्री होने का था.
नवाज़ शरीफ़ सभी आरोपों से इनकार करते हैं और सेना पर उनके राजनीतिक भविष्य को समाप्त करने की साज़िश रचने का आरोप लगाते हैं.
नवाज़ शरीफ़ ने पिछले महीने 20 सितंबर को लंबी ख़ामोशी के बाद एक बहुदलीय बैठक में लंदन से वीडियो लिंक के ज़रिए हिस्सा लिया. उस दौरान उन्होंने कहा था कि विपक्ष की लड़ाई इमरान ख़ान से नहीं उनसे है, जिन्होंने 2018 के चुनाव के ज़रिए उन्हें सत्ता सौंपी.
नवाज़ शरीफ़ ने कहा था, "हम चंद रुपयों की ख़ातिर डाका डालने वालों के ख़िलाफ़ तो बड़ी से बड़ी सज़ा का तक़ाज़ा करते हैं, लेकिन आवाम के हक़ पर डाका डालना कितना संगीन जुर्म है, ये क्या किसी ने सोचा है."
उनकी इस तक़रीर को कई लोगों ने राजनीति में उनकी वापसी का भी नाम दिया. अब नवाज़ शरीफ़ लौटें ना लौटें, लेकिन पाकिस्तान की सियासत में लंबे समय बाद सरगर्मी लौट आई है. (bbc)
मॉस्को, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)| अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी के पूर्व कर्मी एडवर्ड स्नोडेन को रूस में स्थायी निवास की मंजूरी दे दी गई है। साल 2013 में अमेरिका की खुफिया एजेंसी से जुड़ी जानकारी को लीक करने के बाद से स्नोडेन वहां से फरार होकर रूस में शरण लिए हुए हैं। हालांकि अब उन्हें यहां स्थायी रूप से रहने की अनुमति दे दी गई है। उनके वकील ने मीडिया को इसकी जानकारी दी है।
स्नोडेन के वकील एनातोली कुचेरेना ने गुरुवार को तास समाचार एजेंसी को बताया, "स्नोडेन को आज अनिश्चित काल के लिए स्थायी निवास की मंजूरी प्रदान कर दी गई है।"
उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल के लिए स्नोडेन रूसी नागरिकता के लिए आवेदन करने की संभावनाओं पर विचार नहीं कर रहे हैं।
इससे पहले, कुचेरेना ने कहा था कि उनकी निवास परमिट 30 अप्रैल, 2020 को समाप्त हो गई थी, लेकिन कोरोनावायरस महामारी के बीच इसे अपने आप ही 15 जून तक बढ़ा दिया गया था।
लॉकडाउन के खत्म होते ही स्नोडेन ने इसकी अवधि को बढ़ाए जाने के लिए आवेदन कर दिया था।
साल 2013 में स्नोडेन ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी के इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की पद्धतियों के बारे में जानकारी लीक कर हंगामा खड़ा कर दिया था। इसमें देश-विदेश के राजनेताओं के फोन को टैप कर चोरी-छिपे उनकी बातें सुनने का भी खुलासा हुआ था।
ढाका, 23 अक्टूबर| बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमन को उनके चीनी समकक्ष वांग यी द्वारा फोन पर वार्ता के दौरान आश्वासन दिया गया कि म्यांमार ने बीजिंग को रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लेने का भरोसा दिया है, जो वर्तमान में कॉक्स बाजार में शरण लिए हुए हैं। शुक्रवार को यह जानकारी दी गई। समाचार पत्र द डेली स्टार के मुताबिक, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डोनर्स कॉन्फ्रेंस के मौके पर गुरुवार शाम को फोन कॉल के दौरान यह आश्वासन मिला।
बयान में चीनी मंत्री के हवाले से कहा गया कि म्यांमार ने चीन को बताया है कि वह रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लेने पर काम कर रहा है, क्योंकि कोविड-19 की स्थिति में सुधार हुआ है।
वांग ने मोमन को बताया कि म्यांमार अपने 8 नवंबर के आम चुनावों के बाद रोहिंग्या प्रत्यावर्तन पर नए सिरे से चर्चा शुरू करना चाहता है।
बयान में चीनी मंत्री के हवाले से कहा गया है कि पहले, राजदूत-स्तर पर एक बैठक और फिर चीन, बांग्लादेश और म्यांमार के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक होगी।
उन्होंने जल्द से जल्द ढाका में वरिष्ठ आधिकारिक स्तर की त्रिपक्षीय बैठक पर जोर दिया।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने अपने नवीनतम अपडेट में कहा है कि वर्तमान में बांग्लादेश में 8,60,697 रोहिंग्या रह रहे हैं।
2017 में रोहिंग्या पलायन शुरू होने के बाद से कॉक्स बाजार अब दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है।
बांग्लादेश सरकार ने रोहिंग्या को 6,500 एकड़ भूमि पर शिविर लगाने की अनुमति दी है, जो लगभग 27 वर्ग किलोमीटर है। (आईएएनएस)
काबुल, 23 अक्टूबर| अफगानिस्तान के निमरोज प्रांत में तालिबान के हमले में कम से कम 20 अफगान सुरक्षाकर्मी मारे गए। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। टोलो न्यूज के मुताबिक, हमला गुरुवार रात खाशरोड जिले में हुआ।
खशारोड के गवर्नर जलील अहमद वतनदोस्त ने कहा कि छह अन्य को तालिबान ने बंधक बना लिया है।
अफगान रक्षा मंत्रालय ने इस घटना पर अभी आधिकारिक टिप्पणी नहीं किया है।
दोहा में चल रही शांति वार्ता के बावजूद देश भर में हिंसा में तेजी से बढ़ोतरी के बीच यह नवीनतम हमला हुआ है।
रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि तालिबान आतंकवादियों ने पिछले 24 घंटों में 24 प्रांतों में अपने हमले किए हैं, जिनमें तखर, हेलमंद, उरुजगन, कुंदुज, बागलान, लगमान, पक्तिया, गजनी, लोगार, मैदान वरदक, कंधार, जाबुल, हेरात, फराह, बादगिस, फरयाब, सर-ए-पुल और बदख्शां शामिल हैं। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 23 अक्टूबर| नस्लीय समानता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के स्वरूप अल्फाबेट और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा है कि कंपनी एक ऐसा कार्यस्थल बनने की दिशा को खुद को जिम्मेदार बनाए रखेगी, जहां सभी वर्ग के लोगों को काम करने के समान अवसर मिलेंगे। जून में गूगल की ओर से यह कहा गया था कि साल 2025 तक यह अपनी कंपनी में एक बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यक समूहों की स्थिति को सुधारने की दिशा में काम करेगी। इस समय सीमा में संस्थान में इनका कार्यभार 30 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा।
गुरुवार को अपने यहां के कर्मियों को भेजे गए एक संदेश में पिचाई ने कहा, "आज हम अपना एक और मकसद जोड़ रहे हैं कि साल 2025 तक सभी स्तरों में अश्वेत पूर्णकालिक कर्मियों की संख्या दोगुनी की जाएगी।"
कंपनी के सीईओ ने कहा कि कंपनी अफ्रीकी-अमेरिकी व्यवसायों में दस करोड़ डॉलर तक की राशि को खर्च करने का लक्ष्य बना रही है, जो कि अमेरिका में अल्पसंख्यक समूहों द्वारा संचालित व्यवसायिक कार्यक्रमों और इनके आपूर्तिकर्ताओं के साथ सौ करोड़ डॉलर की न्यूनतम राशि को खर्च करने की इसकी प्रतिबद्धता का एक हिस्सा मात्र है। (आईएएनएस)
काबुल 23 अक्टूबर (स्पूतनिक)। अफगानिस्तान के पूर्वी नांगरहार प्रांत में सेना की ओर से किए गए जवाबी हवाई हमले में छह पाकिस्तानी नागरिकों समेत तालिबान के 12 आतंकवादी मारे गए जबकि सात अन्य घायल हो गए।
नांगरहार प्रांत के गवर्नर के कार्यालय ने शुक्रवार को एक वक्तव्य में यह जानकारी दी।
वक्तव्य के मुताबिक सेना ने नांगरहार प्रांत के खोगयानी जिले के डांडो क्षेत्र में गुरुवार देर रात तालिबान के ठिकाने को निशाना बनाकर हवाई हमले किए जिसमें छह पाकिस्तानी नागरिकों समेत तालिबान के 12 आतंकवादी मारे गए जबकि सात अन्य घायल हो गए।
सुरक्षाकर्मियों ने तालिबान के इस ठिकाने से सात एके-राइफलें भी बरामद की हैं।
यरुशलेम, 23 अक्टूबर| इजरायल के लड़ाकू विमानों ने शुक्रवार को गाजा पट्टी में इस्लामिक हमास आंदोलन से संबंधित सैन्य शिविरों में हमला बोला। सुरक्षा सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी मिली है।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि इजरायली सेना के युद्धक विमानों ने अल कसम के प्रशिक्षण शिविरों और ठिकानों पर मिसाइलें दागी, जो गाजा पट्टी में स्थित हमास की सशस्त्र इकाई है।
इजरायली सेना के प्रवक्ता के दिए बयान के मुताबिक, यह हवाई हमला गुरुवार रात को गाजा से दक्षिणी इजरायल में दागे गए रॉकेटों की प्रतिक्रियास्वरूप थी, जिसके तहत हमास के हथियार बनाने के ठिकानों और इनके भूमिगत बुनियादी ढाचों को लक्षित किया गया।
रॉकेट अटैक में किसी के भी घायल होने या नुकसान पहुंचने की सूचना नहीं मिली है और अब तक किसी ने हमले की जिम्मेदारी भी नहीं ली है। (आईएएनएस)
अरुल लुईस
न्यूयॉर्क, 23 अक्टूबर| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पर्यावरण और पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते पर चर्चा करते हुए अपने डेमोक्रेटिक चैलेंजर जो बाइडन के साथ राष्ट्रपति की आखिरी बहस के दौरान भारत और वहां की हवा को 'गंदा' बताया।
ट्रंप ने गुरुवार रात को टेनेसी के नैशविले में चीन और रूस के साथ तुलना करते हुए कहा, "भारत को देखो कितना गंदा है, वहां की हवा कितनी गंदी है।"
उन्होंने भारत और अन्य दो देशों के बारे में बोलने से पहले कहा, "हमारे पास कार्बन उत्सर्जन की सबसे अच्छी संख्या है, जो हमने इस प्रशासन के तहत 35 सालों में प्राप्त किया है, हम उद्योग के साथ बहुत अच्छी तरह से काम कर रहे हैं।"
राष्ट्रपति पद के लिए बहस के दौरान भारत का एकमात्र उल्लेख यही था, जबकि इसे विदेश नीति और रणनीतिक हितों जैसे विषयों से दूर रखा गया।
वहीं ट्रंप ने उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम की ओर इशारा करते हुए कहा कि देश ने उनके कार्यकाल में कोई भी परमाणु परीक्षण नहीं किया, जबकि इसके विपरीत बाइडन उपराष्ट्रपति थे, तो उत्तर कोरिया ने कई परीक्षण किए थे।
उन्होंने कहा कि उन्होंने प्योंगयांग के साथ संभावी युद्ध को रोक दिया, जिसके पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौरान होने की उम्मीद थी।
ट्रंप ने जोर देकर कहा कि वह चीन को कोविड-19 महामारी फैलाने के लिए भुगतान करने पर मजबूर करेंगे और वह पहले ही व्यापारिक समस्याओं के लिए भुगतान कर रहा है और अमेरिकी किसानों को 2000 करोड़ डॉलर भेज रहा था, जिस पर बाइडन ने विवाद खड़ा किया।
उन्होंने कहा कि बाइडन महामारी फैलाने को लेकर चीन के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं, वहीं उन्होंने आगे कहा कि वह अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार कार्य करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि उसे दंड मिले।
वहीं बाइडन के बेटे हंटर द्वारा चीन और रूस से कथित तौर पर यूक्रेन के साथ-साथ अन्य स्रोतों से धन प्राप्त करने की सूचना सामने आ रही है।
हालांकि बाइडन ने इस बात से इनकार किया कि उनके परिवार को उन स्रोतों से कोई पैसा मिला।
ट्रंप ने कहा कि उन्होंने अमेरिका को पेरिस समझौते से बाहर इसलिए किया, क्योंकि यह अमेरिका के साथ अन्याय था और समझौते के अनुसार दायित्व को पूरा करने के लिए अमेरिका को खरबों डॉलर खर्च करने होते।
ट्रंप ने कहा, "चीन 2030 तक किक नहीं करने वाला है, रूस कम मानक पर पीछे हट चुका है और हमने इसे सही तरीके से किक मारा है।"
ट्रंप ने आगे कहा, "वे हमारे व्यवसायों को हड़पने जा रहे थे, मैं पेरिस समझौते के कारण हजारों नौकरियों, और कई हजारों कंपनियों का बलिदान नहीं करूंगा।"
राष्ट्रपति ने कहा, "हमने पर्यावरण की ²ष्टि से असाधारण काम किया है. सबसे साफ हवा सबसे स्वच्छ पानी, और सबसे अच्छा कार्बन उत्सर्जन मानक जो हमने सालों में देखा है।" (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 23 अक्टूबर| तीन नवंबर को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इस पद के डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन के बीच आखिरी बार नैशविले, टेनेसी में गुरुवार रात जोरदार बहस हुई। 90 मिनट की बहस के दौरान राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार, जो बाइडन ने ट्रंप पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा ये व्यक्ति व्हाइट हाउस में रहने के लिए अयोग्य है। बाइडन ने ट्रंप को अमेरिका में कोरोनोवायरस से हुई मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया और आगे डार्क विंटर की चेतावनी दी।
बाइडन ने कहा कि देश में इस वायरस ने 2,22,000 से अधिक अमेरिकियों को मार डाला है और 80 लाख से अधिक बीमार हो गए हैं।
बाइडन ने कहा, जो कोई भी इसके लिए जिम्मेदार है, उसे कई मौतों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में नहीं रहना चाहिए। हम ऐसी स्थिति में हैं जहां एक दिन में 1000 मौतें होती हैं। और प्रति दिन 70,000 से अधिक नए मामले सामने आते हैं।
बाइडन ने पहले 15 मिनट में ट्रंप पर खूब हमला बोला और कहा, यह उनकी अयोग्यता है जिसके चलते इतनी जानें गई हैं।
ट्रंप कोविड-19 को खत्म करना चाहते हैं लेकिन कोविड-19 अमेरिका का पीछा नहीं छोड़ रहा।
इस वायरस के मरीज रह चुके ट्रंप ने दावा किया कि दुनिया के नेताओं ने उन्हें वायरस के खिलाफ लड़ाई में बधाई दी है, कि आपने अच्छा काम किया। ट्रंप ने कहा कि स्कूलों को फिर से खोलना होगा, अर्थव्यवस्था को फिर से खोलना होगा और बाइडन तो बस अपने तहखाने में जाकर अपने आप को कैद कर लें।
इस बहस को मॉडरेट एक अश्वेत महिला क्रिस्टन वेल्कर थी जो 1992 के बाद से प्रेसिडेंशियल डिबेट को मॉडरेट करने वाली दूसरी अश्वेत महिला हैं।(आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 23 अक्टूबर | आजाद जम्मू एवं कश्मीर (एजेके) उर्फ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के अध्यक्ष सरदार मसूद खान ने कहा है कि पाकिस्तान को यह सिद्धांत अपनाना चाहिए कि वह "भारत के साथ वार्ता संयुक्त राष्ट्र के तहत होनी चाहिए।"
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और भारत की एक वार्ता में कश्मीरियों की मौजूदगी जरूरी है।
उन्होंने कहा, "कश्मीर पर सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने के लिए वार्ता की संयुक्त राष्ट्र निगरानी आवश्यक है।"
मसूद खान ने भारत पर व्यंग्य करते हुए कहा कि नई दिल्ली ने "कश्मीर के अपने अवैध कब्जे को मजबूत करने और संयुक्त राष्ट्र एवं कश्मीरियों को बातचीत की प्रक्रिया से बाहर रखने के लिए द्विपक्षीय वार्ता का इस्तेमाल किया है।"
उन्होंने कहा, "और अब यह फिर से एक वार्ता के लिए अवैध रूप से भारतीय अधिकृत जम्मू एवं कश्मीर में अपने हाल के अवैध कार्यों से ध्यान हटाने के लिए ऐसा कर सकता है।"
मसूद खान ने यह भी सलाह दी कि कश्मीर विवाद पर वार्ता इस्लामाबाद या नई दिल्ली में नहीं होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह न्यूयॉर्क में आयोजित की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, "हालांकि कश्मीरियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ये इस्लामाबाद, नई दिल्ली या मुजफ्फराबाद और श्रीनगर में भी आयोजित की जा सकती हैं।"
मसूद खान ने कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जहां भी बातचीत होती है, वहां वार्ता का एजेंडा केवल कश्मीर पर यूएनएससी के प्रस्तावों के ढांचे के अनुसार होना चाहिए।
कश्मीर विवाद पर इस्लामाबाद के रुख को दोहराते और सुरक्षित करते हुए मसूद खान ने कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय विवाद नहीं है।
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान का वार्ता पर रुख बहुत स्पष्ट है कि कश्मीर पाकिस्तान और भारत के बीच द्विपक्षीय विवाद नहीं है, बल्कि यह तो एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा है, जिसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा फिर से शुरू किया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "हालांकि, भारत इसे द्विपक्षीय भी नहीं मानता है और इसे अपना आंतरिक मामला बताता है।"(आईएएनएस)
पिछले कई महीनों से जर्मनी के रामश्टाइन में नया नाटो स्पेस सेंटर बनाने की योजना चर्चा में रही है. नाटो सदस्य देशों के मंत्री अपने सम्मेलन में इस पर अमल करने का अंतिम फैसला ले सकते हैं. जर्मनी के दक्षिण-पश्चिम में स्थित रामश्टाइन शहर में पहले से ही मित्र सेनाओं का अमेरिका-नाटो बेस है. इस नए स्पेस सेंटर का इस्तेमाल ऐसी जानकारियों को एक दूसरे से साझा करने के लिए किए जाने की योजना है जिससे वे अपने सैटेलाइट के सामने आने वाले संभावित खतरों के बारे में जान सकें. नाटो के महासचिव येन्स श्टोल्टेनबेर्ग ने बताया कि इसका मकसद "अंतरिक्ष का सैन्यीकरण करना नहीं बल्कि अंतरिक्ष में मौजूद चुनौतियों के बारे में नाटो की जागरुकता को बढ़ाना और उनसे निपटने के लिए खुद को तैयार करना है.”
श्टोल्टेनबेर्ग ने परमाणु हथियारों पर नियंत्रण रखने के अपने मकसद के बारे में कहा कि बीते 30 सालों में हमने यूरोप में "नाटो के परमाणु हथियारों में करीब 90 फीसदी की कटौती की है. नाटो के नाम से पूरे विश्व में मशहूर संयुक्त रक्षा मोर्चे 'नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन' की स्थापना 1949 में यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 12 देशों ने मिलकर की थी. अब इसके 30 सदस्य हैं और इसका मकसद सदस्य देशों के लोगों और उनके इलाके की रक्षा है.
सम्मेलन के पहले दिन कोविड-19 से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा होगी. कई सदस्य देशों ने नाटो के माध्यम से इस महामारी से निपटने में मदद मांगी है जिसमें वेंटिलेटरों की आपूर्ति भी शामिल है. इस बारे में महासचिव ने कहा कि नाटो सेनाएं नागरिकों को मदद पहुंचा रही हैं और सभी मित्र देश नए अस्पताल बनाने से लेकर मरीजों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. सदस्य देशों के मंत्रियों के सामने धन की व्यवस्था करने का मुद्दा भी है. कौन सा देश वित्तीय मदद का कितना बड़ा हिस्सा मुहैया कराएगा इसे लेकर भी चर्चा होनी है.
पिछले कुछ सालों से अमेरिका बाकी के देशों के बारे में कहता आया है कि उन्हें अपने बजट का और बड़ा हिस्सा नाटो को देना चाहिए. बुधवार को जारी हुए आंकड़े दिखाते हैं कि नाटो देशों की ओर से रक्षा खर्च में लगातार छठे साल बढ़ोत्तरी हुई है.
ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि कैसे लगातार अपना योगदान बढ़ाते हुए इस साल भी जर्मनी दो प्रतिशत के रक्षा खर्च के लक्ष्य के और पास पहुंच गया है. जर्मनी के अलावा अमेरिका के दूसरे नाटो पार्टनरों ने भी इस साल अपना रक्षा खर्च बढ़ाया है.
सम्मेलन के दूसरे और आखिरी दिन सदस्य देश अफगानिस्तान और इराक में नाटो मिशन पर चर्चा करने वाले हैं. महासचिव ने दोहराया है कि संगठन अफगान शांति प्रक्रिया का समर्थन करता है और वहां दीर्घकालीन शांति और सुरक्षा लाने के लिए समर्पित है. ऐसी उम्मीद है कि सदस्य देश इराक में नाटो के ट्रेनिंग मिशन का विस्तार करने पर सहमत हो सकते हैं. इसके माध्यम से नाटो अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने में इराक की मदद करना चाहता है.(DW.COM)
बीजिंग, 22 अक्टूबर | चीन के संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय ने शरद ऋतु और सर्दियों में संक्रमण में वृद्धि और स्थानीय प्रकोपों के खतरों को रोकने के लिए कोविड-19 रोकथाम और नियंत्रण उपायों को कड़ा करने के लिए देशभर के पर्यटन अधिकारियों को निर्देश दिया है। मंत्रालय द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, आउटबाउंड समूह पर्यटन निलंबित ही रहेगा।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने स्थानीय पर्यटन अधिकारियों से महामारी की रोकथाम के लिए आवश्यक उपायों को लागू करने के लिए कहा और पर्यटकों के ए क्लास आकर्षण, स्टार रेटेड होटल और ट्रैवल एजेंसियों से महामारी के खिलाफ नियमित रूप से उपायों में सुधार करने के लिए आग्रह किया।
मंत्रालय ने कर्मचारियों के स्वास्थ्य निगरानी, पर्यटन स्थलों पर नियमित रूप से वेंटिलेशन और सैनिटाइजेशन की जरूरत पर भी जोर दिया।
नोटिस में कहा गया है कि स्थानीय पर्यटन प्राधिकरणों को स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण विभागों के साथ मिलकर आपसी सहयोग को सु²ढ़ करना चाहिए और संक्रमण के लक्षण नजर आने पर पर्यटकों को क्वारंटाइन करना चािए, ताकि संक्रमण का प्रसार नियंत्रित रहे।
--आईएएनएस
सैन फ्रांसिस्को, 22 अक्टूबर फेसबुक ने वर्चुअल डेट्स नाम के एक नए फीचर के साथ यूरोप में अपने डेटिंग एप का विस्तार किया है। कंपनी के अनुसार, पिछले सितंबर में फेसबुक डेटिंग शुरू करने के बाद से अब तक 20 देशों में 1.5 अरब से अधिक जोड़ियां बनाई गई हैं। फेसबुक डेटिंग एप मुख्य एप के भीतर एक समर्पित, ऑप्ट-इन स्पेस है और इसके जरिए लोग कुछ ही टैप का उपयोग करके प्रोफाइल बना सकते हैं।
यह सीक्रेट क्रश फीचर आपको उन लोगों के साथ संभावित संबंधों का पता लगाने का मौका देता है, जिन्हें आप पहले से ही फेसबुक और इंस्टाग्राम पर जानते हैं।
फेसबुक डेटिंग एप के प्रोडक्ट मैनेजर केट ऑर्सेथ ने बुधवार को अपने बयान में कहा, "फेसबुक डेटिंग ऐप आपके फेसबुक दोस्तों को संभावित मैचों के रूप में सुझाव नहीं देगा, लेकिन अगर आप सीक्रेट क्रश का उपयोग करने का विकल्प चुनते हैं, तो आप अपने फेसबुक दोस्तों या इंस्टाग्राम फॉलोअर्स में से 9 लोगों को चुन सकते हैं, जिनमें आपको रुचि है।"
यदि आपका क्रश भी आपको अपनी सीक्रेट क्रश सूची में जोड़ता है, तो यह एक मैच है। लेकिन यदि आपका क्रश डेटिंग पर नहीं है, तो आप एक सीक्रेट क्रश सूची नहीं बना सकते हैं या आप उनको उस सूची में नहीं डाल पाएंगे। जाहिर है, इससे आपके क्रश को पता नहीं चलेगा कि आपने उनका नाम इस सूची में दर्ज किया है।
उन्होंने आगे कहा, "इस दौरान डेटिंग स्टोरीज से आप अपने रोजमर्रा के जीवन के क्षणों को साझा कर सकते हैं ताकि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ एक सार्थक संबंध जोड़ सकें, जिसकी आप में रुचि हो।"
फेसबुक ने यह भी कहा है कि वह वर्चुअल डेट्स नाम से एक फीचर ला रहा है, जहां लोग चैट में वीडियो आइकन पर टैप करके अपने मैच के साथ वीडियो चैट शुरू कर सकते हैं।
यदि आप आप फेसबुक डेटिंग प्रोफाइल बना लेते हैं और बाद में डिलीट करना चाहते हैं तो आप अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट किए बिना किसी भी समय अपनी डेटिंग प्रोफाइल को डिलीट कर सकते हैं।
इसके अलावा आप ये विकल्प भी चुन सकते हैं कि आपकी डेटिंग प्रोफाइल, डेटिंग के मैसेज और जिन्हें आप पसंद करते हैं या जिनके साथ डेटिंग करना पसंद करते हैं, वो सब आपके फेसबुक न्यूज फीड में दिखाई न दें।
--आईएएनएस
काबुल, 22 अक्टूबर| अफगानिस्तान के उत्तरी तखार प्रांत में एक मस्जिद पर हवाई हमला हुआ, जिसमें कम से कम 12 बच्चे मारे गए हैं और कई लोग घायल हो गए हैं। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। प्रांतीय पार्षद मोहम्मद आजम अफजाली ने बताया कि यह हमला 21 अक्टूबर को बहरैक जिले में हुआ, जहां तालिबान लड़ाकों ने पहले ही 40 से अधिक अफगान सुरक्षा बलों को मार डाला था। प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता ने भी इस खबर की पुष्टि की है।
अफजाली ने कहा कि एक विमान ने मस्जिद पर बमबारी की। इसमें तालिबान लड़ाके शामिल थे, जो सुरक्षा बलों पर किए गए खूनी हमले में भी शामिल थे।
अफजाली और एक सुरक्षा सूत्र ने कहा कि आतंकवादी पहले ही मस्जिद छोड़ चुके थे।
गांधार आरएफई ने बताया कि सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच चल रही शांति वार्ता के बावजूद यह हिंसा हुई है।
बता दें कि विद्रोहियों ने अब तक संघर्ष विराम को नहीं स्वीकारा है, विशेषज्ञों का अनुमान है कि संघर्ष विराम पर सहमति बनने से पहले लंबी और सख्त बातचीत होगी। इस बीच पूरे देशभर में संघर्ष जारी है। एक सप्ताह से दक्षिणी अफगानिस्तान में चल रही लड़ाई में 100 से अधिक नागरिक मारे गए हैं और कई हजार लोगों को उनके गांवों से निकाला गया है। (आईएएनएस)
अबूजा, 22 अक्टूबर| बुधवार को एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, नाइजीरिया के सुरक्षा बलों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की दो बड़ी सभाओं पर गोलीबारी की, जिसमें लागोस में 12 लोगों की मौत हो गई। लोग पुलिस की बर्बरता का विरोध कर रहे थे। कई प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अनिश्चितकालीन कर्फ्यू की अवहेलना में नाइजीरिया के सबसे बड़े शहर में एकत्रित हुए प्रदर्शनकारियों पर सैनिकों ने गोलीबारी की।
शूटिंग के समय घटनास्थल पर सैकड़ों लोग मौजूद थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि यह लगभग स्थानीय समय के अनुसार 7 बजे हुआ।
हैशटैगइन्डसार्स नाम से विरोध प्रदर्शन नाइजीरिया की सरकार के उस आह्वान के बाद शुरू हुआ जिसमें एंटी-डकैती दस्ते को बंद करने का फैसला लिया गया। इसी दस्ते को सार्स (एसएआरएस) के रूप में जाना जाता है। नाइजीरिया में बेहतर प्रशासन के लिए लोग लंबे समय से मांग कर रहे हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि उसे लागोस में लेकी टोल गेट सुरक्षा बलों के अत्यधिक बल प्रयोग करने के साक्ष्य मिल हैं।
एक ट्विटर पोस्ट में, नाइजीरियाई सेना ने कहा कि कोई भी सैनिक मंगलवार रात को शूटिंग के समय घटनास्थल पर मौजूद नहीं था।
सरकार ने पहले कहा कि वह शूटिंग की जांच करेगी। नाइजीरियाई सेना के प्रवक्ता ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। (आईएएनएस)