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12वीं के आधार पर प्रवेश दिया जा सकता है-व्यापमं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 जुलाई। प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में कुल 19 हजार सीटें हैं, और प्रवेश परीक्षा के लिए 17 हजार आवेदन आए हैं। ऐसे में व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने सरकार को चिट्ठी लिखी है कि चाहे तो पीईटी के बिना बारहवीं के अंक के आधार पर एडमिशन दिया जा सकता है। मंडल ने यह भी कहा है कि व्यापमं स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों को ध्यान में रखकर पीईटी और अन्य प्रवेश परीक्षा कराने के लिए तैयार है। बावजूद इसके किसी केन्द्र कोरोना संक्रमण के प्रकरण आते हैं, तो इसकी जिम्मेदारी व्यापमं की नहीं होगी।
कोरोना के फैलाव को देखते हुए केन्द्र सरकार के निर्देश पर स्कूल-कॉलेज 31 जुलाई तक बंद रखने के आदेश दिए गए हैं। चूंकि देशभर में कोरोना का फैलाव तेजी से हो रहा है। ऐसे में 31 तारीख के बाद भी शिक्षण संस्थाएं खुल पाएंगी, इसकी उम्मीद कम ही दिख रही है। दूसरी तरफ, तकनीकी शिक्षा संस्थानों के साथ-साथ कृषि महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए पीईटी, पीपीटी और पीएटी की परीक्षाएं होती हैं। मगर कोरोना फैलाव के चलते छत्तीसगढ़ में प्रवेश परीक्षा के आयोजन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
बताया गया कि प्रदेश के तीन सरकारी के साथ-साथ निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में पीईटी के जरिए प्रवेश दिया जाता है। प्रदेश के कॉलेजों में कुल 19 हजार सीटें हैं। इसके लिए 17 हजार ही आवेदन आए हैं। वैसे तो व्यापमं ने पीईटी और अन्य प्रवेश परीक्षाओं के आयोजन की तैयारी कर रखी है। ऑनलाईन प्रवेश परीक्षा का विकल्प भी है। व्यापमं के चेयरमैन डॉ. आलोक शुक्ला ने राज्य शासन को चिट्ठी लिखी है जिसमें कहा गया है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए बारहवीं के प्राप्तांक के आधार पर इंजीनियरिंग-कृषि और नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश दिया जा सकता है।
डॉ. शुक्ला ने यह भी कहा कि परीक्षा कराने के लिए भी व्यापमं तैयार है। इसमें स्वास्थ्य विभाग की सारी गाइडलाइन का पालन किया जाएगा। बावजूद इसके किसी केन्द्र में कोरोना संक्रमण होने की दशा में व्यापमं की जिम्मेदारी नहीं होगी। सूत्र बताते हैं कि तकनीकी शिक्षा विभाग जल्द ही इसको लेकर कोई फैसला लेगा। तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव खुद डॉ. शुक्ला है। वे विभागीय मंत्री के समक्ष विधिवत प्रस्ताव रखेंगे और इसको लेकर कैबिनेट में फैसला हो सकता है। उल्लेखनीय है कि राज्य बनने के बाद पहले साल सिर्फ बारहवीं के अंक के आधार पर प्रवेश दिया गया था। कुछ इसी तरह की स्थिति इस बार भी बन सकती है।
नई दिल्ली, 8 जुलाई (भाषा)। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करके भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अपनी चिंता जताई। साथ ही आर्थिक सुनामी के लिए चेताने की बात कहते हुए बीजेपी और मीडिया द्वारा मजाक उड़ाए जाने का भी जिक्र किया। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, लघु और मध्यम उद्यम नष्ट हो गए हैं। बड़ी कंपनियां गंभीर तनाव की स्थिति में हैं। बैंक संकट में हैं। मैंने महीनों पहले कहा था कि एक आर्थिक सुनामी आ रही है और देश की इस सच्चाई के बारे में चेताने पर भाजपा और मीडिया ने मेरा मजाक उड़ाया था।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मौजूदा वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट के अनुमानों की पृष्ठभूमि में एक दिन पहले यानी मंगलवार को दावा किया था कि सरकार का आर्थिक कुप्रबंधन लाखों परिवारों को बर्बाद करने वाला है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। राहुल गांधी ने देश की आर्थिक विकास दर में गिरावट के पूर्वानुमान से जुड़ी कुछ खबरें शेयर करते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, भारत का आर्थिक कुप्रबंधन एक त्रासदी है जो लाखों परिवारों को बर्बाद करने वाला है। इसे अब मौन रहकर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
उधर, सरकार ने सोमवार को कहा कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। कोरोना वायरस संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पुनरूद्धार एवं वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिये अनुकूल नीतिगत उपायों के साथ आने वाले समय में और तेजी से पुनरूद्धार की उम्मीद है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की जून में जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वृद्धि दर शून्य से नीचे 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। यह अप्रैल, 2020 में जारी आईएमएफ के अनुमान के मुकाबले 6.4 प्रतिशत अंक कम है।
घर बैठे मुफ्त में करें ये कोर्स, नौकरी पाने में आएंगे आपके काम!
बेंगलुरु के एक स्टार्ट अप द्वारा विशेषज्ञों की मदद से फ्री ऑनलाइन कोर्स लॉन्च किये गये हैं जो आपको आज के समय में बड़ी कंपनियों द्वारा माँगी गयी सभी स्किल्स को सीखने में मदद करेंगे।
- निधि निहार दत्ता
कोरोनावायरस और इसके कारण हुए लॉकडाउन की वजह से आज कई लोगों का जीवन ठहर सा गया है। पर यदि हम चाहें तो इस आपदा को भी अवसर बना सकते हैं। इसके लिए हम बिना बाहर निकले, घर बैठे किसी भी ऑनलाइन कोर्स से जुड़ कर अपने भविष्य की दिशा बदल सकते हैं।
बंगलुरु की कंपनी इंटेलीपाट (IntelliPaat) एक प्रोफेशनल ट्रेनिंग व सर्टिफिकेशन प्लैटफ़ार्म है, जो इस समय कई निःशुल्क व सशुल्क ऑनलाइन कोर्स करवा रहा है।
इंटेलीपाट के संस्थापक दिवाकर चित्तोड़ा बताते हैं, “लोग इस लॉकडाउन के समय में खाली बैठने के बजाय अपनी कुशलता को निखारने में अधिक रुचि दिखा रहे हैं। समाज के कई ऐसे वर्ग हैं जो अभी पैसे नहीं देना चाह रहे, इसलिए उन लोगों के लिए हमने पिछले महीने निःशुल्क ऑनलाइन कोर्स की शुरुआत की। अब तक करीब 10,000 लोग इसमें दाखिला ले चुके हैं।”
ये निःशुल्क ऑनलाइन कोर्स बड़ी सावधानी से चुने गए कोर्स हैं, जो किसी भी कंपनी में जाने के समय आवश्यक होते हैं । इसमें दाखिले के लिए किसी नियम या शर्त को नहीं रखा गया है। बस आपके पास इंटरनेट कनेक्शन और कुछ नया सीखने का जज़्बा होना चाहिए।
इंटेलीपाट आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस कोर्स(Intellipaat’s Artificial Intelligence (AI) Course)
अगर आप आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं तो तीन घंटे के इस सेल्फ पेस्ड कोर्स को चुन सकते हैं। यह आपको AI की मूल जानकारी देते हुए टेंसरफ्लो (Tensorflow) को डेवेलप करना बताता है। इसके अलावा न्यूरल नेटवर्क की जानकारी और उसे और भी बारीकी से सीखने का मौका मिलेगा।
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जावा कंप्लीट कोर्स (Java Complete Course)
13 घंटे का यह सेल्फ पेस्ड कोर्स सॉफ्टवेयर डेव्लपर, आर्किटेक्ट और वेब डिज़ाइनर के लिए है। जावा(Java) सेक्टर में रुचि रखने वाले छात्र या नौकरीपेशा लोग भी इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। इस कोर्स में जावा(Java), जावा स्टेटमेंट(Java Statements), एक्स्सेपशन हैंडलिंग(exception handling), ऑब्जेक्ट्स(objects), क्लासेस, अण्डरस्टैंडिंग ऑफ जेडीबीसी (understanding of JDBC) आदि भी शामिल है।
इस नए विषय को बेहतर समझने और परखने के लिए असाइन्मेंट व क्विज भी दिये जाएँगे।
प्रोग्राम के अंत तक आप प्रोग्राममिंग (programming) व कोर जावा कान्सैप्ट(core Java concept), मेथड ओवरराइडींग व ओवर्लोडिंग (method Overriding and Overloading) के अलावा एरे (Array) और हेशमैप (Hashmap) आदि का प्रयोग करना सीख जाएँगे।
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डेवओप्स फाउंडेशन कोर्स (DevOps Foundation Course)
डेवओप्स(DevOps), सामान्य जीआईटी कमांड्स (common GIT Commands), डौकर vs वर्चुअल मशीन (Docker vs Virtual Machine) के बुनियादी ज्ञान से ले कर सामान्य डौकर कमांड्स (common Docker Commands) तक, यह कोर्स डेवओप्स(DevOps) की मेथोडोलॉजी पर केन्द्रित है।
यह 4 घंटे का एक सेल्फ-पेस्ड कोर्स है जिसमें असाइन्मेंट व क्विज द्वारा पढ़ाये गए विषयों को बेहतर तरीके से समझाया जाएगा।
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पायथन सर्टिफिकेशन फ़ाउंडेशन कोर्स Python Certification Foundation Course)
इस कोर्स में पायथन कोड लिखने के अलावा सकायपाई(SciPy), मैटप्लॉटलिब(Matplotlib), नमपाई(Numpy), लंबडा फंकशन(Lambda function) जैसे पैकेज पर ध्यान दिया गया है। यह 12 घंटे का सेल्फ-पेस्ड लर्निंग प्रोग्राम है। इसके अलावा इस कोर्स में हडूप(Hadoop) व स्पार्क (spark)जैसे बिग डाटा सिस्टम के लिए पायथन कोड(python code) भी देता है।
इस कोर्स में शामिल होने वाले छात्रों को वास्तविक जीवन से जुड़ प्रोजेक्ट व केस स्टडी दिये जाएँगे जिसका अनुभव उनके काम आएगा।
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सेल्सफोर्स फाउंडेशन कोर्स (Salesforce Foundation Course)
सेल्सफोर्स(salesforce) एक कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट टूल है जो देशभर में कई कंपनियों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। यह एक निःशुल्क कोर्स है जहां आप सीआरएम टूल्स (CRM tools) खासकर सेल्सफोर्स(Salesforce) से शुरुआत कर सकते हैं। यह 10 घंटे का सेल्फ- पेस्ड कोर्स है जो सेल्सफोर्स की बारीकियों के साथ ही असाइन्मेंट व केस स्टडी के माध्यम से एप्प, ऑब्जेक्ट व रिलेशनशिप क्रिएट करना सीखाएगा।
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एमएस एक्सेल कंप्लीट कोर्स (MS Excel Complete Course)
एमएस एक्सेल शीट(MS Excel sheet) से हमारा परिचय स्कूल में ही हो गया था फिर भी इसका प्रयोग करने और लाभ उठाने में हम पीछे रह जाते हैं। हम इस कोर्स से जुड़ कर स्प्रैडशीट(spreadsheet) को बेहतर ढंग से प्रयोग करना और अपने ज्ञान को बढ़ाने का काम कर सकते हैं।
इसमें आप एक्सेल वर्कबुक(Excel workbook), टेबल(tables), सेल्स(cells), क्रियेटिंग ए डैशबोर्ड(creating a dashboard), इंटरैक्टिव कोम्पोनेंट्स(interactive components), चार्टिंग(charting), फिल्टरींग(filtering), सोर्टिंग(sorting),आदि सीख सकते हैं।
नई दिल्ली, 8 जुलाई (एजेंसी)। गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी फाउंडेशन समेत गांधी परिवार से जुड़े तीन ट्रस्टों में वित्तीय लेनदेन में तथाकथित गड़बड़ी की जांच के लिए अंतरमंत्रालय समिति का गठन किया है। प्रवर्तन निदेशालय के विशेष निदेशक इस समिति के प्रमुख होंगे। अंतरमंत्रालय समिति राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की भी जांच करेगी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया है कि मंत्रालय ने एक अंतर-मंत्रालय कमेटी का गठन किया गया है, जो कि राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जांच करेगी।
बताया जा रहा है कि इस जांच में मनी लॉड्रिंग एक्ट, इनकम टैक्स एक्ट, विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 एक्ट के नियमों के उल्लंघन की जांच की जाएगी।
क्या है राजीव गांधी फाउंडेशन?
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विजन और सपनों को पूरा करने के लिए उनके नाम से इस फाउंडेशन की शुरुआत 21 जून 1991 को की गई थी। राजीव गांधी फाउंडेशन की वेबसाइट पर बताया गया है कि 1991 से 2009 तक फाउंडेशन ने स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान और तकनीक, महिला एवं बाल विकास, अपंगता सहयोग, शारीरिक रूप से निशक्तों की सहायता, पंजायती राज, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन आदि क्षेत्रों में काम किया। 2010 में फाउंडेशन ने शिक्षा क्षेत्र पर फोकस करने का फैसला किया। संघर्ष से प्रभावित बच्चों को शैक्षणिक मदद, शारीरिक रूप से निशक्त युवाओं की गतिशीलता बढ़ाने और मेधावी भारतीय बच्चों को कैंब्रिज में पढऩे हेतु वित्तीय सहायता आदि जैसे कार्यक्रम फाउंडेशन की ओर से चलाए जाते हैं।
कौन हैं ट्रस्टी?
राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे, राहुल गांधी, डॉ. शेखर राहा, प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन, डॉक्टर अशोक गांगुली, संजीव गोयनका और प्रियंका गांधी वाड्रा भी फाउंडेशन के ट्रस्टी हैं।
बीजेपी का आरोप है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2005-2008 के बीच पीएम राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा ट्रासंफर किया गया। बीजेपी का कहना है कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने कई कॉर्पोरेट से भारी पैसा लिया। बदले में सरकार ने कई ठेके दिए। बीजेपी का कहना है कि यूपीए शासन में कई केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सेल, गेल, एसबीआई आदि पर राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा देने के लिए दबाव बनाया गया। देश की जनता इसका कारण जानना चाहती है।
पीएम राहत कोष से फंड ट्रांसफर का आरोप
बीजेपी का आरोप है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2005-2008 के बीच पीएम राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा ट्रासंफर किया गया। बीजेपी का कहना है कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने कई कॉर्पोरेट से भारी पैसा लिया। बदले में सरकार ने कई ठेके दिए। बीजेपी कहा कि यूपीए शासन में कई केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सेल, गेल, एसबीआई आदि पर राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा देने के लिए दबाव बनाया गया। देश की जनता इसका कारण जानना चाहती है।
रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 3 अगस्त 2020 को शाम 5 बजे तक
- निधि निहार दत्ता
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने स्नातकोत्तर के लिए 266 शैक्षणिक पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।
एनसीईआरटी भारत सरकार द्वारा स्थापित संस्थान है जो विद्यालयी शिक्षा से जुड़े मामलों पर केंद्र और राज्य सरकार को सलाह देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। यह भारत में स्कूली शिक्षा संबंधी सभी नीतियों जैसे शिक्षकों का प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम की संरचना, विद्यालयों में शिक्षण सामाग्री आदि पर काम करता है।
चयनित उम्मीदवार अपनी योग्यता व पद के आधार पर प्रति माह 1,44,200 वेतन तक कमा सकते हैं।
रिक्तियाँ
प्रोफेसर के लिए 38 पद
एसोसियेट प्रोफेसर के लिए 83 पद
असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए 142 पद
लाइब्रेरियन के लिए 1 पद
असिस्टेंट लाइब्रेरियन के लिए 2 पद
इन पदों की योग्यता व अन्य विस्तृत जानकारी आपको एनसीईआरटी की आधिकारिक वेबसाइट पर मिल जाएगी।
कैसे करें आवेदन
- योग्य उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट पर यहाँ जा कर केवल ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
- रजिस्ट्रेशन 29 जून 2020 से आरंभ हो जाएगा ।
- रजिस्ट्रेशन 3 अगस्त 2020 को शाम 5 बजे बंद कर दिया जायेगा।
- फॉर्म भरते समय आवेदक को अपनी ईमेल आईडी व संपर्क विवरण देना होगा।
- पुरुष आवेदकों को पंजीकरण शुल्क के लिए 1,000 रुपये भरने होंगे जबकि महिला आवेदकों कों इस शुल्क से छूट दी गयी है। एक बार भुगतान की हुई फीस वापस नहीं होगी।
- तारांकन चिह्न (*) से चिन्हित सभी क्षेत्रों को भरना आनिवार्य होगा। ऐसा नहीं करने पर रजिस्ट्रेशन फॉर्म को अस्वीकार किया जा सकता है।
- यदि कोई उम्मीदवार एक या अधिक पदों के लिए आवेदन करना चाहता है तो उसे अलग अलग रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने होंगे ।
यदि आप इन पदों के लिए आवेदन देना चाहते हैं यहाँ क्लिक करें।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 जुलाई। चरौदा धरसींवा में एक 5 साल की बच्ची के साथ बलात्कार की घटना सामने आई है। एक मजदूर युवक ने बच्ची को बहला-फुसला कर उसके साथ बलात्कार किया। पुलिस ने आरोपी युवक को हिरासत में ले लिया है। जांच जारी है।
पुलिस के मुताबिक चरौदा धरसींवा का रहने वाला एक मजदूर युवक रवि सोनवान (22) कल काम पर न जाकर अपने घर पर था। इस दौरान उसने 5 साल की एक बच्ची को बहला-फुसला कर अपने घर बुलाया और उसके साथ बलात्कार किया। घटना के बाद बच्ची ने इसकी जानकारी परिवारवालों को दी। इसके बाद घटना की रिपोर्ट धरसींवा पुलिस में दर्ज करायी गई।
दूसरी तरफ घटना के बाद पुलिस ने आरोपी युवक की तलाश शुरू की। इस दौरान वह गांव में ही पकड़ा गया। पुलिस ने उसके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि आरोपी युवक बदमाश किस्म का है और गांव में कभी-कभी मजदूरी पर जाता था। उससे और पूछताछ की जा रही है।
इरप्पा नाइक ने 20 बरसों तक पैसे जमा किए ताकि वह गरीब बच्चों के लिए निशुल्क स्कूल खोल सकें।
-अनूप कुमार सिंह
इरप्पा नाइक का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूर थे। दो जून की रोटी का जुगाड़ भी बहुत मश्किल से हो पाता था ऐसे में पढ़ाई के बारे में सोचने का सवाल ही नहीं था। घर चलाने के लिए इरप्पा के दो बड़े भाइयों को भी मजबूर होकर पढ़ाई छोडऩी पड़ी।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए नायक कहते हैं, मेरे दादा (बड़े भाई) बहुत ही होनहार छात्र थे लेकिन घर की खराब आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें बीच में ही अपनी पढ़ाई छोडऩी पड़ी। हालांकि फिर भी उन्होंने मुझे पढ़ाया और स्कूल की फीस भरने के लिए उन्होंने एक्स्ट्रा शिफ्ट में मजदूरी की। जब नाइक 10वीं क्लास में थे तब एक दिन उन्होंने तय किया कि वह अपने भाई के निस्वार्थ मेहनत का कर्ज चुकाने के लिए जरूर कुछ करेंगे। वर्ष 2000 में उन्होंने महाराष्ट्र के मिराज शहर के बाहरी इलाके में गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए एक निशुल्क स्कूल खोलकर उस वादे को पूरा किया।
51 वर्षीय नाइक ने बताया कि मेरे भाई ने गरीबी को आड़े नहीं आने दिया और मेरी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया। यह जीवन की एक ऐसी सीख थी जिसे मैंने हमेशा याद रखा। 10वीं की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करने से पहले ही मैंने यह ठान लिया था कि अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद मैं गरीब और वंचित बच्चों को पढ़ाऊंगा।
नाइक अपने फैसले पर अडिग रहे और वह पिछले 20 वर्षों में पहली से दसवीं क्लास तक के 500 बच्चों को पढ़ा चुके हैं। इनमें से ज़्यादातर छात्र दैनिक मजदूरी करने वालों और कचरा बीनने वालों के बच्चे हैं।
काम और स्कूल के बीच भागदौड़
साल 1987 में नाइक ने सांगली जिले के वालचंद कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा पूरा किया। नाइक परिवार के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि थी। बेशक, नाइक के माता-पिता को उनसे एक अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी की उम्मीद थी और वह उनकी उम्मीदों पर खरे उतरे।
नौकरी के साथ-साथ वह अपने क्षेत्र के आसपास के बच्चों को पढ़ाना चाहते थे, लेकिन उनकी बस्ती में कक्षा चलाने के लिए कोई जगह नहीं मिली। उन्होंने बताया कि स्कूल बनाने के सपने को तब पंख लगे जब मैं एक सरकारी ठेकेदार के रूप में काम कर रहा था। अच्छे क्लासरूम और यूनिफॉर्म के साथ ही मुझे स्कूल को रजिस्टर करने के लिए परमिशन की भी जरूरत थी। इसलिए मैंने अपना सपना पूरा करने के लिए पैसे बचाने शुरू कर दिए। उनके माता-पिता ने भी पूरा साथ दिया। पैसे इक_ा हो जाने के बाद उन्होंने शहर के बाहरी इलाके में एक छोटी सी जमीन खरीदी और दस कक्षाओं (हर ग्रेड के लिए एक कक्षा) का निर्माण कराया।
एक स्थानीय विधायक की मदद से उन्होंने अपने स्कूल को महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड में रजिस्टर कराया और 20 बच्चों के साथ ‘क्रांतिवीर उमाजी नाइक हाई स्कूल’ नाम से मराठी-माध्यम स्कूल शुरू किया।
बच्चों की जिंदगी में बदलाव
नाइक के लिए बच्चों के माता-पिता को घर से इतनी दूर स्कूल में उन्हें पढऩे भेजने के लिए मनाना काफी मुश्किल काम था। लेकिन उन्होंने इस समस्या का भी हल निकाला और स्कूल बस की व्यवस्था करके एक ड्राइवर नियुक्त किया जो रोजाना बच्चों को स्कूल लाता और छोड़ता था। लेकिन एक और समस्या थी। नाइक ने आगे बताया,
अधिकांश माता-पिता ने खराब आर्थिक स्थिति के कारण अपने बच्चों को मुफ्त स्कूल में भेजने से मना कर दिया। कुछ बच्चे कंस्ट्रक्शन साइट पर अपने माता-पिता के साथ काम करने जाते थे। वे आजीविका के लिए अपने बच्चों से काम कराते थे और बाल श्रम जैसे गैरकानूनी काम को नजऱअंदाज करते थे।
तब उन्होंने अपना उदाहरण देकर बच्चों के अभिभावकों को समझाया कि कैसे इतनी गरीबी में उन्होंने पढ़ लिख कर नौकरी पाई। इसके बाद कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना शुरू किया।
बच्चों की संख्या बढऩे पर उन्होंने ग्यारह शिक्षकों को काम पर रखा। तीन साल पहले तक (जब उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी थी), उन्होंने अपनी सारी तनख्वाह लगा दी थी।
वर्तमान में राज्य शिक्षा विभाग तीन शिक्षकों के वेतन का भुगतान करता है जबकि बाकी शिक्षकों को नाइक तनख्वाह देते हैं। स्कूल विभाग छात्रों को मिड-डे मील भी देता है जिससे उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा जाता है। नाइक बच्चों के यूनिफॉर्म और स्टेशनरी जैसे अन्य खर्चे भी उठाते हैं। उन्होंने हाल ही में स्कूल के खर्चों को पूरा करने के लिए अपने परिवार की जमीन का एक हिस्सा बेच दिया। वह कहते हैं, स्कूल चलाने के लिए हम 50,000 रुपये हर महीने खर्च करते हैं। जब से मैंने अपनी नौकरी छोड़ी है, चीज़ें काफी मुश्किल हो गईं हैं। वह शिक्षा विभाग से अधिक वित्तीय सहायता प्राप्त करने की योजना पर काम कर रहें हैं। वह नहीं चाहते कि उनके छात्रों को पैसे के लिए शिक्षा से समझौता करना पड़े।
अंत में वह कहते हैं, मेरे 200 छात्रों ने दसवीं बोर्ड की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है और उच्च शिक्षा के लिए छोटे-छोटे व्यवसायों में लगे हैं। इससे मुझे स्कूल चलाने के लिए बहुत ताकत मिलती है और उम्मीद है कि मेरा स्कूल उनका जीवन बदल सकता है।
यदि आप नाइक को स्कूल चलाने में मदद करना चाहते हैं, तो बैंक खाते में सहायता राशि भेजकर योगदान कर सकते हैं –
क्रांतिवीर उमाजी नायक शिक्षा प्रसारक
बैंक ऑफ महाराष्ट्र
खाता संख्या : 20144935260
IFSC: MAHB0000235
आप इस नंबर पर इरप्पा नाइक से संपर्क कर सकते हैं : 9545262849
मूल लेख : गोपी करेलिया
संपादन : अर्चना गुप्ता
(hindi.thebetterindia)
बीजिंग/जिनेवा/नई दिल्ली, 8 जुलाई (वार्ता)। वैश्विक महामारी कोरोना का कहर दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है और दुनिया भर में इसके संक्रमितों की संख्या 1.17 करोड़ से अधिक हो गई है जबकि 5.43 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं।
अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केन्द्र (सीएसएसई) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार विश्व भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,17,97,891 हो गयी है जबकि 5,43,481 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
कोविड-19 के मामले में अमेरिका दुनिया भर में पहले, ब्राजील दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर है। वहीं इस महामारी से हुई मौतों के आंकड़ों के मामले में अमेरिका पहले, ब्राजील दूसरे और ब्रिटेन तीसरे स्थान पर है।
विश्व महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में कोरोना से अब तक 29,93,759 लोग संक्रमित हो चुके हैं तथा 1,31,455 लोगों की मौत हो चुकी है। ब्राजील में अब तक 16,68,589 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि 66,741 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 22,752 नये मामले सामने आये हैं और अब कुल संक्रमितों की संख्या बढक़र 7,42,417 हो गई है। इसी अवधि में कोरोना वायरस से 482 लोगों की मृत्यु होने से मृतकों की संख्या बढक़र 20,642 हो गई है। देश में इस समय कोरोना के 2,64,944 सक्रिय मामले हैं और अब तक 4,56,831 लोग इस महामारी से निजात पा चुके हैं।
रूस कोविड-19 के मामलों में चौथे नंबर पर है और यहां इसके संक्रमण से अब तक 6,93,215 लोग प्रभावित हुए हैं तथा 10,478 लोगों ने जान गंवाई है। पेरु में लगातार हालात खराब होते जा रहे है वह इस सूची में पांचवे नम्बर पर पहुंच गया है वहां संक्रमितों की संख्या 3,09,278 हो गई तथा 10,952 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमण के मामले में चिली विश्व में छठे स्थान पर आ गया हैं। यहां अब तक कोरोना वायरस से 3,01,019 लोग संक्रमित हुए हैं और मृतकों की संख्या 6434 है।
ब्रिटेन संक्रमण के मामले में सातवें नंबर पर आ गया है। यहां अब तक इस महामारी से 2,87,874 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 44,476 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
कोरोना संक्रमण के मामले में मेक्सिको स्पेन से आगे निकल कर आठवें स्थान पर आ गया है और यहां संक्रमितों की संख्या 2,68,008 पहुंच गई है और अब तक इस वायरस से 32,014 लोगों की मौत हुई है। स्पेन में कोरोना संक्रमितों की संख्या 252,130 है जबकि 28,392 लोगों की मौत हो चुकी है।
कोरोना वायरस से प्रभावित खाड़ी देश ईरान में दसवें स्थान पर है यहां संक्रमितों की संख्या 2,45,688 हो गई है और 11,931 लोगों की इसके कारण मौत हुई है। यूरोपीय देश इटली ग्याहवें स्थान पर पहुंच गया है यहां अब तक कोविड-19 से 2,41,956 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 34,899 लोगों की मौत हुई है।
पड़ोसी देश पाकिस्तान में कोरोना संक्रमितों की संख्या सवा दो लाख से अधिक हो गयी है और यहां अब तक 2,34,509 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 4839 लोगों की मौत हो चुकी है। एक अन्य पड़ोसी देश बंगलादेश में 168645 लोग कोरोना की चपेट में आए हैं जबकि 2151 लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है।
सऊदी अरब कोरोना संक्रमण के मामले में तुर्की और फ्रांस से आगे निकल गया है और यहां संक्रमितों की संख्या 2,17,108 हो गई है और 2017 लोगों की मौत हो चुकी है। दक्षिण अफ्रीका भी कोरोना संक्रमण के मामले में तुर्की और फ्रांस से आगे पहुंच गया है। यहां कोरोना संक्रमितों की संख्या 215855 हो गई और 3502 लोगों की मौत हो चुकी है। तुर्की में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,07,897 हो गयी है और 5260 लोगों की मौत हो चुकी है।
फ्रांस में कोरोना संक्रमितों की संख्या 206,072 हैं और 29,936 लोगों की मौत हो चुकी है। जर्मनी में 1,98,343 लोग संक्रमित हुए हैं और 9032 लोगों की मौत हुई है। वैश्विक महामारी कोरोना के उद्गमस्थल चीन में अब तक 84,917 लोग संक्रमित हुए हैं और 4,641 लोगों की मृत्यु हुई है।
कोरोना वायरस से बेल्जियम में 9774, कनाडा में 8765 , नीदरलैंड में 6151, स्वीडन में 5447, इक्वाडोर में 4873, मिस्र 3489, इंडोनेशिया 3309, इराक 2685, स्विट््जरलैंड में 1966, आयरलैंड में 1742, पुर्तगाल में 1629 और अर्जेटीना में 1644 लोगों की मौत हुई है।
लॉकडाउन खुलने का इंतजार करते बूढ़े हुए...
मुंबई (मुंबई)। कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन में भले ही सरकार ने कुछ हद तक छूट दे दी हो, लेकिन देश के लोग और बॉलीवुड स्टार्स अभी भी सावधानी बरत रहे हैं। वे बाहर नहीं जा रहे हैं। लोगों को अभी भी जरूरत नहीं होने पर बाहर निकलने की मनाही है। यही वजह है कि बहुत सारे लोग घर बैठकर महामारी के पूरी तरह सफाए का इंतजार कर रहे हैं। शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा ने अपना हाल एक फोटो के जरिए दिखाया है।
राज कुंद्रा ने एक फोटो ट्विटर पर शेयर की है जिससे पता चलता है कि लॉकडाउन में रहते हुए उनका और शिल्पा शेट्टी का क्या हाल हो गया है। फोटो में राज और शिल्पा बैठे दिखाई देते हैं और बहुत बूढ़े हो चुके हैं। दोनों ने एक दूसरे का हाथ थामा हुआ है। राज, शिल्पा से पूछ रहे हैं कि बेबी लॉकडाउन कब खत्म होगा? इस फोटो के कैप्शन में राज ने लिखा- शिल्पा शेट्टी के साथ लॉकडाउन के खत्म होने का इंतजार करते हुए।
शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा अक्सर सोशल मीडिया पर मजेदार वीडियो शेयर करते रहते हैं। इसमें दोनों की मस्ती देखने वाली होती है। शिल्पा और राज इंडस्ट्री के सबसे लोकप्रिय कपल्स में से एक हैं। मस्ती के साथ-साथ यह जोड़ी योग की भी दीवानी है। योग शिल्पा शेट्टी और उनके परिवार का बड़ा हिस्सा है। (loktej)
अकाली दल में घमासान
पिछले लंबे समय से शिरोमणी अकाली दल में बादल परिवार के खिलाफ बगावत उठती रही है। इस साल फरवरी में पार्टी के राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा और उनके विधायक पुत्र ने आरोप लगाया था कि पार्टी को अलोकतांत्रिक तरीके से एक परिवार द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है।
पंजाब में मंगलवार को अकाली दल के असंतुष्ट नेताओं ने लुधियाना में हुई एक अहम बैठक में राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का नया अध्यक्ष चुन लिया और सुखबीर सिंह बादल को शीर्ष पद से हटा दिया। ढींढसा को उनके पुत्र और पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा के साथ कथित रूप से पार्टी-विरोधी गतिविधियों के आरोप में इस साल फरवरी में बादल ने अकाली दल से निष्कासित कर दिया गया था। बाद में ढींढसा ने शिरोमणी अकाली दल (टकसाली) समेत पार्टी से अलग हुए अन्य गुटों के साथ हाथ मिला लिया था।
हालांकि, सुखबीर बादल के नेतृत्व वाली शिरोमणी अकाली दल ने इस कदम को अवैध और धोखाधड़ी करार दिया है। अकाली दल के प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने इस कदम को अवैध और धोखाधड़ी करार देते हुए इसे कांग्रेस के इशारे पर किए जाने का आरोप लगाया। चीमा ने काह कि अकाली दल 100 साल पुरानी पार्टी है, जो भारत निर्वाचन आयोग के पास पंजीकृत है। चीमा ने कहा, यह 100 प्रतिशत धोखाधड़ी है। यह गैरकानूनी है और जालसाजी करना है।
गौरतलब है कि पिछले लंबे समय से शिरोमणी अकाली दल में बादल परिवार के खिलाफ बगावत उठती रही है। इस साल फरवरी में पार्टी के राज्यसभा सांसद और दिग्गज नेता सुखदेव सिंह ढींढसा और उनके विधायक पुत्र ने आरोप लगाया था कि पार्टी को अलोकतांत्रिक तरीके से और एक परिवार द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है।
इसके बाद बादल के नेतृत्व वाली अकाली दल ने दोनों को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। उन्हें निलंबित करने से एक दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने संगरूर शहर में ढींढसा के गढ़ में एक रैली के दौरान कहा था कि पिता-पुत्र की जोड़ी ने पार्टी के पीठ में छुरा घोंपा है। इसके अलावा अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने सुखदेव ढींढसा को गद्दार तक कह दिया था।
इसके बाद सुखदेव सिंह ढींढसा और लेहरा से विधायक उनके बेटे परमिंदर सिंह ढींढसा ने यह कहते हुए कि अकाली दल के सभी प्रमुख पदों से इस्तीफा दे दिया था कि पार्टी को लोकतांत्रिक तरीके से नहीं चलाया जा रहा है। अब बागी गुट द्वारा ढींढसा को पार्टी अध्य़क्ष बनाने से आगे और तेज घमासान के संकेत मिल रहे हैं। (आईएएनएस )
रिलायंस जियो ने हाल ही में जूम के मुकाबले में बिलकुल वैसा ही एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप - जियो-मीट - लॉन्च किया है
-अभिषेक सिंह राव
जुलाई के पहले हफ्ते में रिलायंस जियो ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के मार्केट में कदम रखते हुए जियो-मीट को लॉन्च किया है. वैसे तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप्लिकेशन्स के क्षेत्र में ज़ूम, गूगल हैंगऑउट, गूगल मीट, गोटू मीटिंग, स्काइप, माइक्रोसॉफ्ट टीम, इत्यादि का बोलबाला पहले से है लेकिन इन तमाम ऍप्लिकेशन्स में करीब नौ साल पुरानी कंपनी ज़ूम सबसे अव्वल है. 2011 में चाइनीज मूल के एरिक युआन ने 40 इंजीनियर्स के साथ मिलकर ‘सासबी’ नामक एक कंपनी की शुरुआत की थी. फिर दूसरे साल ही इसका नाम बदलकर ‘ज़ूम’ रख दिया गया. साल दर साल ज़ूम ने बाज़ार से फंडिंग उठाते हुए अपने प्रोडक्ट पर काम किया और धीरे-धीरे जब वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग का मार्केट परिपक्व होने लगा तो ज़ूम ने अपना लोहा मनवाना शुरू किया.
अप्रैल 2019 में ज़ूम ने अमेरिका में अपना आईपीओ लॉन्च किया. आज जूम 2500 कर्मचारियों से लैस दुनिया की नामचीन सॉफ्टवेयर कंपनियों में से एक है. ग्लासडोर के एक सर्वे के मुताबिक कर्मचारियों के लिए ज़ूम 2019 की दूसरे पायदान की ‘बेस्ट प्लेसेस टू वर्क’ कंपनी थी.
कोरोना-काल और ज़ूम की लोकप्रियता
कोरोना संकट के समय में सोशल डिस्टेन्सिंग के चलते ज़ूम की लोकप्रियता में चार चांद लगने शुरू हो गए. बिज़नेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक अमरीका में 18 मार्च के दिन तमाम बिज़नेस ऐप्स के बीच आईफोन के दैनिक डाउनलोड में ज़ूम पहले स्थान पर रहा. दफ्तरों एवं शैक्षणिक संस्थानों के बंद होने के कारण कितनी ही समस्याओं से जूझ रहे भारतीयों को भी यह ऐप एक बेहतर उपाय की तरह दिखने लगा. योरस्टोरी की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में 29 मार्च के दिन व्हाट्सएप, टिकटॉक, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे दिग्गज ऍप्लिकेशन्स को पछाड़ते हुए ज़ूम ने नंबर एक का स्थान हासिल किया था.
सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन चूंकि ज़ूम के कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा चीन में स्थित है, इस वजह से ज़ूम के बढ़ते उपयोग ने सर्विलांस और सेंसरशिप की चिंताओं को जन्म देना शुरू किया. अप्रैल की शुरुआत में भारत सरकार ने एक एडवाइजरी जारी कर कहा था कि ‘ज़ूम का इस्तेमाल सुरक्षित नहीं है.’ इसमें सरकार ने ज़ोर देते हुए कहा कि ‘सरकारी अधिकारी या अफसर आधिकारिक काम के लिए इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल न करें.’ भारत के अलावा अन्य देश भी इसे आशंका से देख रहे हैं. विश्व पटल पर इस विवाद की गहराइयों का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि मई महीने की शुरुआत में ज़ूम के सीईओ एरिक युआन को सफाई देते हुए कहना पड़ा कि ‘ज़ूम चाइनीज़ नहीं, अमेरिकन कंपनी है.’
ज़ूम के मुकाबले जियो-मीट की लॉन्चिंग
विश्वव्यापी और ख़ास कर भारत में मौजूदा चीन विरोधी माहौल के बीच, पिछले दिनों देश में ज़ूम के मुकाबले की एक ‘मेड इन इंडिया’ एप्लीकेशन की मांग ने जन्म लिया. यह कहा जा सकता है कि जियो ने सही समय पर इस मांग को समझते हुए अपना एप लॉन्च किया है. जियो ने महज़ दो-तीन महीने के भीतर ज़ूम के फ़ीचर्स को आधार बनाते हुए खुद की एप्लीकेशन लॉन्च कर दी. एप लॉन्च करने के पहले की परिस्थितियों का अंदाजा लगाएं तो जियो के इंजीनियर्स घर से काम कर रहे होंगे, इसके चलते कम्युनिकेशन-गैप एवं इंटरनेट की भी समस्याएं रही होंगी लेकिन इसके बावजूद जियो, बेहद कम वक्त में यह प्रोडक्ट तैयार करने में सफल हुआ है. राष्ट्रवाद की सवारी एवं ज़ूम से मिलते-जुलते इंटरफ़ेस के कारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जियो-मीट चर्चा में रहा. इसके लिए कुछ लोग जहां इसकी आलोचना करते दिखाई दिए वहीं कइयों ने इसे मिसाल की तरह पेश किया है.
ऐसे तो इंटरफ़ेस शब्द के मायने बहुत हैं लेकिन आईटी की भाषा में ‘यूजर इंटरफ़ेस’ अर्थात एक तरह का डिज़ाइन जिसकी मदद से हम किसी भी एप्लीकेशन के फ़ीचर्स का उपयोग करते हैं. कुछ लोगों का तर्क है कि ज़ूम और जियो-मीट का इंटरफ़ेस एक जैसा है! लेकिन जियो की बिज़नेस स्ट्रेटेजी पर गौर करें तो जिस ‘कॉपी-इंटरफ़ेस’ का विरोध हो रहा है शायद यही उसकी स्ट्रेटेजी का मुख्य हिस्सा हो सकता है.
किसी भी एप्लीकेशन को मार्केट की डिमांड पूरा करने के लिए बनाया जाता है. इसी डिमांड को पकड़ते हुए कम्पनियां अपने अल्टीमेट गोल रेवेन्यू जेनरेशन का रास्ता बनाती हैं. जैसे चीन के सॉफ्टवेयर इंजीनियर रोबिन ली ने गूगल जैसे चाइनीज़ सर्च इंजन की डिमांड को पूरा करने के लिए ‘बायदु’ सर्च इंजन बनाया. अमरीका में एमेज़ॉन के बोल-बाले के बाद भारत में बंसल जोड़ी ने फ्लिपकार्ट खड़ा किया. वहीं, कई बार कंपनियां कुछ नए आइडियाज के ज़रिये नया मार्केट खड़ा करने में भी कामयाब होती हैं. जैसे गूगल ने सर्च इंजन का मार्केट खड़ा किया, यूट्यूब ने वीडियो का, फ़ेसबुक ने सोशल मीडिया का, ऊबर ने टैक्सी सर्विस का, ज़ोमाटो ने फ़ूड डिलीवरी का, अमेज़न ने ऑनलाइन शॉपिंग का. एप्लीकेशन डेवलपमेंट का विचार इन दोनों पहलुओं के बीच की ही बात है. या तो आप नए इनोवेटिव आईडिया के ज़रिये नया मार्केट खड़ा कीजिये या फिर जो मार्केट बना हुआ है, उसी की डिमांड्स को समझिए.
जियो ने क्या किया?
जियो की केस-स्टडी की जाए तो समझ में आता है कि इस कंपनी ने फोर-जी सर्विस लॉन्च करते वक्त भी सबसे पहले टेलीकम्यूनिकेशन के मार्केट की डिमांड को समझा और उस समय वे जो सबसे बढ़िया दे सकते थे उसी को आधार बनाते हुए, आम आदमी तक अपनी पहुंच बनाई. हालांकि उस समय जियो की फोर-जी सर्विस भारत के लिए ही नई थी, विकसित देशों में यह पुरानी बात हो चुकी थी. ऐसे में जियो भारत में एक नया मार्केट खड़ा करने में कामयाब रहा जिसका आगे चलकर दूसरी भारतीय टेलीकम्यूनिकेशन कंपनियों ने भी अनुसरण किया. नतीजा यह है कि आज बेहतर प्लानिंग, अनूठी सर्विस और मार्केटिंग के चलते महज़ चार साल में यह कंपनी टेलीकम्यूनिकेशन मार्केट के शीर्ष पर है.
जियो-मीट के विवाद के बीच आईटी क्षेत्र की कार्यप्रणाली को समझे बगैर हम इसकी तह तक नहीं पहुंच सकते हैं. वर्तमान की आईटी कार्यप्रणालियों में मार्केट की डिमांड समझते हुए एक साफ-सुथरे स्थायी प्रोडक्ट को बाज़ार में उतारना पहला चरण है. कंपनियों को पता होता है कि उनके पहले वर्ज़न में सुधार की गुंजाइशे हैं लेकिन उन्हें यह भी पता है कि सौ फीसदी परफेक्ट प्रोडक्ट एक असंभव सी बात है और इसको पूरा करने के चक्कर में या तो मार्केट की डिमांड बदल जाएगी या फिर कोई और इस मार्केट को हथिया लेगा. इसलिए वे अपने प्रोडक्ट्स को ‘बीटा वर्ज़न’ के तौर पर लॉन्च करती हैं. इसका मतलब होता है कि यह प्रोडक्ट अभी पूरी तरह से रिलीज़ नहीं हुआ है, कंपनी ने इसको मुख्यतः टेस्टिंग के उद्देश्य के मार्केट में उतारा गया है. चूंकि किसी एक प्रोडक्ट में सुधार हमेशा चलते रहने वाली प्रक्रिया है इसलिए ‘बीटा वर्ज़न’ के ज़रिये कंपनियां सही समय पर मार्केट में अपनी जगह बनाने में कामयाब होती हैं. इस दौरान उपयोगकर्ताओं की प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए ऑफिशियल रिलीज़ में महत्वपूर्ण सुधारों को अंजाम दिया जाता है.
जियो-मीट का इंटरफ़ेस कॉपी-केस या यूएसपी?
आईपी कंपनियों में एक और शब्द प्रचलित है ‘यूएसपी’ इसका मतलब है ‘यूनीक सेलिंग पॉइंट’. यानी कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स को लेकर जब बाज़ार में उतरती हैं तो उस प्रोडक्ट की कुछ ऐसी विशेषताएं होती हैं जो एक तो उस प्रोडक्ट के बनने का कारण होती हैं, दूसरा बिक्री के दृष्टिकोण से उन विशेषताओं की ख़ास अहमियत होती है. कंपनियां प्रचार के वक्त इन्ही विशेषताओं को आगे रख कर अपनी ऑडियंस को आकर्षित करती है. जियो मीट के मामले में ज़ूम से मिलता-जुलता इंटरफेस इसकी यूएसपी साबित हो सकता है.
अगर जियो के ज़ूम से मिलते-झूलते इंटरफ़ेस के विषय पर ज़ूम के ही ऑफिशियल स्टेटमेंट पर गौर किया जाए तो उन्होंने जियो-मीट के कम्पटीशन का स्वागत किया है. जियो-मीट के लॉन्च के बाद जिस तरह से इसे ट्रोल किया गया मानो ज़ूम को तुरंत ही जियो पर लीगल कार्यवाही करनी चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि आईटी क्षेत्र में एक जैसे इंटरफ़ेस का होना बहुत आम सी बात है. वहीं, रिलायंस जियो के पिछले रिकॉर्ड को देखें तो पता चलता है कि यह कंपनी मार्केट रिसर्च के वक्त जो सबसे बेस्ट है, उसको आधार बनाते हुए बाज़ार की मांग को पूरा करने के विषय में सोचती है.
जियो-मीट का इंटरफ़ेस एकदम ज़ूम की तरह रखने के पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि भारत के जो उपयोगकर्ता पहले से ज़ूम का उपयोग कर रहे हैं या कर चुके हैं, उन्हें जियो-मीट पर माइग्रेट होते वक्त एक नए इंटरफ़ेस के कारण कोई परेशानी न हो. सीधा गणित है यानी लोग ज़ूम ऐप को उपयोग करना जानते हैं, ऐसे में अगर एक पूरा नया इंटरफेस आता है तो लोगों को उसकी आदत लगने में वक्त लग सकता है ऐसे में इसके कुछ यूजर दूर जा सकते हैं. जियो-मीट की लॉन्चिंग के समय पर ध्यान दें तो कंपनी इस वक्त या ग्राहकों को गंवाने का रिस्क नहीं लेना चाहेगी.
कहा जा सकता है कि जियो ने इंटरफ़ेस के ज़रिये मुख्यतः इस बात का ख्याल रखा है कि लोग आसानी से ज़ूम से जियो-मीट पर माइग्रेट हो जाएं और उन्हें उसका उपयोग करने में कोई तकलीफ़ न हो. फ़िलहाल जियो-मीट ‘बीटा वर्ज़न’ के तौर पर लॉन्च हुआ है, मतलब इस वक्त स्वदेशी की छतरी तले ज़ूम के यूज़र्स को अपने यहां माइग्रेट करवा लेने के बाद, हो सकता है कि आने वाले कुछ समय में इसका यूजर इंटरफ़ेस भी बदल दिया जाए.
मौजूदा आईटी कार्यप्रणालियों में एक स्टेबल प्रोडक्ट के साथ सही समय पर मार्केट में आना ज़रूरी है, भले ही उसमे कुछ सुधारों की गुंजाइशें साफ़ दिख रही हो. जियो को जल्द से जल्द मार्केट में कूदने की जल्दबाज़ी थी और उसके इंजीनियर्स को एक सख़्त डेडलाइन मिली होगी. ऐसे में वे अगर नया इंटरफ़ेस बनाने बैठते तो फिर ज़ीरो से सब शुरू करना होता. उस हालत में यह काम 2-3 महीनों में पूरा हो पाना संभव ही नहीं था.(satyagrah)
कंपनी ने कई गड़बड़ियां कीं, भारी लापरवाही बरती
आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम गैस लीक मामले में अहम कार्रवाई हुई है. पुलिस ने मंगलवार रात एलजी पॉलिमर्स के सीईओ और दो डायरेक्टर समेत नौ अधिकारियों को गिरफ़्तार कर लिया.
विशाखापट्टनम स्थित दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी पॉलिमर्स के प्लांट में सात मई को ज़हरीली स्टाइरिन गैस लीक होने की वजह से 12 लोंगो की मौत हो गई थी और 585 लोग बीमार हो गए थे.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कंपनी के तीन अधिकारियों को ‘भारी लापरवाही’ के लिए सस्पेंड भी कर दिया है.
विशाखापट्टन के पुलिस कमिश्नर आरके मीणा ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ संकी जेयॉन्ग, टेक्निकल डायरेक्टर डीएस किम और एडीशनल डायरेक्टर (ऑपरेशन) पी. मोहन राव समेत नौ अन्य अधिकारियों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
उन्होंने बताया, “हमारी जांच में पता चला है कि ज़हरीली गैस का रिसाव इन लोगों की लापरवाही की वजह से हुआ था. इन्हें मालूम था कि इनकी लापरवाही से लोगों की जान जा सकती थी.”
आरके मीणा ने बताया, “इस मामले में अब भी जांच जारी है. कई विभागों से रिपोर्ट आनी और गवाहों से बातचीत की जानी बाकी है.”
पुलिस ने हादसे वाले दिन यानी सात मई को ही एलजी पॉलिमर्स के ख़िलाफ़ आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था और इसके
ठीक दो महीने बाद अभियुक्तों की गिरफ़्तारी हुई है.
कंपनी ने कई गड़बड़ियां कीं, भारी लापरवाही बरती
राज्य सरकार ने हादसे की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति बनाई थी और इसने भी सोमवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी को सौंप दी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि एलजी पॉलिमर्स ने एक कंपनी के स्तर पर प्रबंधन में कई गड़बड़ियां कीं और भारी लापरवाही बरती.
रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने सुरक्षा के तय मानकों का पालन नहीं किया, जिसका नतीजा भयानक हादसे के रूप में सामने आया.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि हादसे के लिए कई सरकारी विभाग जैसे ‘डायरक्ट्रेट ऑफ़ फ़ैक्ट्रीज़’ की लापरवाही भी ज़िम्मेदार थे.
समिति की रिपोर्ट सामने आने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने इन्वायरमेंटल इंजीनियर पी प्रसाद राव और आर. लक्ष्मी नारायण को उनकी भारी लापरवाही के आरोप में सस्पेंड कर दिया. इन अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने एलजी पॉलिमर्स को क्लियरेंस देने में लापरवाही बरती.
इसके अलावा डायरेक्ट्रेट ऑफ़ फ़ैक्ट्रीज़ ने अपने डिप्टी चीफ़ इन्स्पेक्टर केबीएस प्रसाद को भी नियमों का पालन न करवा पाने का ज़िम्मेदार ठहराकर सस्पेंड कर दिया है. (www.bbc.com)
महाराष्ट्र में 5,134 नए मामले, 224 मौतें
चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस का संक्रमण देशभर में दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है और अब यह आंकड़ा 7 लाख 43 हजार को भी पार कर गया है। covid19india.org के मुताबिक, देश में कोरोना के अब तक 7,43,481 केस दर्ज हो चुके हैं जिनमें 4,57,058 लोग ठीक हो चुके हैं। हालांकि इनमें से 20,653 लोगों की मौत हो चुकी है। देश में अभी 2,65,670 एक्टिव केस हैं। इसी तरह राजधानी दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 2,008 नए केस सामने आए जिससे यहां पर कुल केस 1,02,831 हो गए। वहीं, महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटे में 5,134 केस दर्ज किए गए हैं।
राजधानी दिल्ली में 2,008 नए मामले
राजधानी दिल्ली में भी कोरोना केस कम होने का नाम नहीं ले रहा है और पिछले 24 घंटे में 2,008 मामले रिकॉर्ड हुए। इस तरह से दिल्ली में कोरोना के कुल मामले बढ़कर 1,02,831 हो गए हैं। दिल्ली में पिछले 24 घंटे में 50 मरीजों की मौत भी हुई। इस तरह से दिल्ली में कुल मौत का आंकड़ा 3,165 तक पहुंच गया। हालांकि इस दौरान 2,129 लोग ठीक भी हुए। फिलहाल दिल्ली में अब तक 74,217 लोग ठीक हो चुके हैं।
महाराष्ट्र में 5,134 नए मामले, 224 लोगों की मौत
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले एक बार फिर पांच हजार से अधिक आए हैं। Covid19india.org के मुताबिक राज्य में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 5,134 नए मामले सामने आने के साथ कुल मरीजों की संख्या 2,17,121 पहुंच गई है। इसके साथ-साथ राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण से 224 और लोगों की मौत हुई है।
वहीं, मुंबई में कोरोना वायरस के 785 नए मरीज सामने आने से मंगलवार को कुल संख्या बढ़कर 86,509 हो गई। शहर में महामारी के कारण मरने वालों की संख्या 5,002 हो गई है। वहीं, कोरोना वायरस के 23,359 मरीजों का इलाज चल रहा है। वहीं अब तक 58,137 मरीज ठीक हो चुके हैं या उन्हें अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है।
पुणे में 1,165 नए मामले
महाराष्ट्र के पुणे जिले में 1,165 नए मामले सामने आने के बाद कुल संक्रमितों की संख्या 30,131 पहुंच गई। कोरोना के कारण 37 और लोगों की मौत होने के बाद मृतकों की संख्या 926 हो गई।
तमिलनाडु में 1 लाख 18 हजार के पार मामले, 1636 की मौत
तमिलनाडु में भी लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है। राज्य में सर्वाधिक 3,616 नए मामले सामने आए हैं और अब तक संक्रमित पाए गए लोगों की संख्या बढ़कर 1,18,594 हो गई है। राज्य में अब तक इस महामारी से 1,636 लोगों की मौत भी हो चुकी है। इसी तरह आंध्र प्रदेश में 1,178 नए केस मिले हैं और संक्रमितों का आंकड़ा 21,197 पर पहुंच गया है। केरल में 272 नए मामलों के साथ मरीजों की संख्या 5,895 हो गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु शुरुआत से ही अतिसंवेदनशील हैं। महाराष्ट्र में पहले दिन से ही कोरोना का ग्राफ बढ़ रहा है। जबकि दिल्ली और तमिलनाडु में उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। यही वजह है कि अप्रैल माह के पहले सप्ताह तक दिल्ली दूसरे स्थान पर थी। इसके बाद मई तक तमिलनाडु और उसके बाद फिर दिल्ली वापस आई थी। अब तमिलनाडु एक बार फिर दूसरे स्थान पर पहुंच गया है।
गुजरात में 37 हजार से अधिक मामले, अब तक 1,978 मौतें
गुजरात में भी संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। राज्य में अब तक 37,636 संक्रमित पाए जा चुके हैं। मंगलवार को 778 नए मामले सामने आए। राज्य में 17 नई मौत के साथ अब तक इस वायरस से 1,978 मरीजों की जान जा चुकी है। नए मामलों में अहमदाबाद में ही 187 केस मिले हैं और महानगर में मरीजों की संख्या बढ़कर 22,262 हो गई है। यहां अब तक 1,496 मरीजों की मौत हो चुकी है।
उत्तर प्रदेश में 1,332 नए मामले
आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी कोरोना महामारी पर रोक लगती नजर नहीं आ ही है। नए मामले लगातार बढ़ रहे हैं। राज्य में और 1,332 नए केस मिले हैं और मरीजों का आंकड़ा 29,968 पर पहुंच गया है। अब तक 827 लोगों की मौत भी हो चुकी है।
मध्य प्रदेश में 343 नए मामले
मध्य प्रदेश में 343 नए केस के साथ अब तक 15,627 संक्रमित मिल चुके हैं। राजस्थान में 716 केस मिले हैं। राज्य में अब तक 21,404 मरीज सामने आ चुके हैं। जबकि, ओडिशा में 571 मरीजों के साथ 10,097 मरीज संक्रमित पाए जा चुके हैं।
कोरोना प्रभावित देशों की सूची में भारत तीसरे स्थान पर
बता दें दुनिया भर में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में भारत तीसरे स्थान पर आ गया है। इस सूची में 30 लाख 97 हजार से ज्यादा संक्रमितों के साथ अमेरिका पहले, ब्राजील (16 लाख से ज्यादा) दूसरे और भारत (7 लाख 43 हजार) तीसरे स्थान पर है।
वैज्ञानिकों ने खुली चिट्ठी लिखकर अपील की थी
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आख़िरकार मंगलवार को यह स्वीकार किया कि कोरोना वायरस संक्रमण के ‘हवा से फैलने’ के सबूत हैं.
इससे पहले वैज्ञानिकों के एक समूह ने डब्ल्यूएचओ को खुली चिट्ठी लिखकर इससे अपने मौजूदा दिशानिर्देशों में सुधार करने की अपील की थी.
डब्ल्यूएचओ में कोविड-19 महामारी से जुड़ी टेक्निकल लीड डॉक्टर मारिया वा केरख़ोव ने एक न्यूज़ ब्रीफ़िंग में कहा, “हम हवा के ज़रिए कोरोना वायरस फैलने की आशंका पर बात कर रहे हैं.”
इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की बेनेदेत्ता आल्लेग्रांजी ने कहा कि कोरोना वायरस के हवा के माध्यम से फैलने के सबूत तो मिल रहे हैं लेकिन अभी यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता.
उन्होंने कहा, “सार्वजनिक जगहों पर, ख़ासकर भीड़भाड़ वाली, कम हवा वाली और बंद जगहों पर हवा के ज़रिए वायरस फैलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. हालांकि इन सबूतों को इकट्ठा करने और समझने की ज़रूरत है. हम ये काम जारी रखेंगे.”
...तो बहुत कुछ बदल जाएगा
इससे पहले तक विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता रहा है कि सार्स-कोविड-2 (कोरोना) वायरस मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के नाक और मुँह से निकली सूक्ष्म बूंदों के माध्यम से फैलता है.
डब्ल्यूएचओ ये भी कहता रहा है कि लोगों में कम से कम 3.3 फुट की दूरी होने से कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम संभव है. लेकिन अब अगर हवा के ज़रिए वायरस फैलने की बात पूरी तरह साबित हो जाती है तो, 3.3 फ़ुट की दूरी और फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग के नियमों में बदलाव करना होगा.
वान केरख़ोव ने कहा कि आने वाले दिनों में डब्ल्यूएचओ इस बारे में एक ब्रीफ़ जारी करेगा. .
उन्होंने कहा, “वायरस के प्रसार को रोकने के लिए बड़े स्तर पर रोकथाम की ज़रूरत है. इसमें न सिर्फ़ फ़िजिकल डिस्टेंसिंग बल्कि मास्क के इस्तेमाल और अन्य नियम भी शामिल हैं.”
क्लीनिकल इंफ़ेक्शियस डिज़ीज़ जर्नल में सोमवार को प्रकाशित हुए एक खुले ख़त में, 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने इस बात के प्रमाण दिए थे कि ये ‘फ़्लोटिंग वायरस’ है जो हवा में ठहर सकता है और सांस लेने पर लोगों को संक्रमित कर सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन को लिखे इस खुले खत में वैज्ञानिकों ने गुज़ारिश की थी क उसे कोरोना वायरस के इस पहलू पर दोबारा विचार करना चाहिए और नए दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए. (www.bbc.com)
Tum Mile Dil Khile-Palak Sachin Jain-The Golden Notes-Flute & Saxophone
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-सत्याग्रह ब्यूरो
कोरोना वायरस को लेकर 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों की एक खुली चिट्ठी चर्चा में है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नाम लिखी गई इस चिट्ठी का शीर्षक है - इट्स टाइम टु अड्रेस एयरबोर्न ट्रांसमिशन ऑफ कोविड-19. यानी वक्त आ गया है कि हम हवा के जरिये कोविड-19 के संक्रमण का कुछ करें. इन वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसे कई सबूत हैं जो बताते हैं कि कोरोना वायरस हवा के जरिये भी फैल सकता है. उनका कहना है कि यह वायरस हवा में मौजूद थूक की उन बेहद महीन बूंदों में होता है जो तब निकलती हैं जब कोई संक्रमित व्यक्ति सांस छोड़ता या बात करता है. बहुत सूक्ष्म होने की वजह से ये बूंदें इतनी हल्की होती हैं कि कुछ देर तक हवा में रह सकती हैं. इसी दौरान ये सांस के जरिये वायरस को दूसरे व्यक्ति के भीतर ले जा सकती हैं. इसलिए इन वैज्ञानिकों की मांग है कि डब्ल्यूएचओ सहित तमाम एजेंसियां इस वायरस से बचाव के लिए बनाए गए अपने दिशा-निर्देशों में जरूरी बदलाव करें.
कोरोना वायरस को लेकर देशी-विदेशी एजेंसियों ने जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं उनमें जोर मुख्य रूप से तीन बातों पर है - बार-बार हाथ साफ करना, मास्क पहनना और पर्याप्त दूरी रखना यानी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना. असल में ये एजेंसियां अभी यह नहीं मानतीं कि यह वायरस हवा के जरिये भी फैल सकता है. लेकिन इन 239 वैज्ञानिकों का कहना है कि हाथ धोना और सोशल डिस्टेसिंग की सलाह ठीक तो है लेकिन, संक्रमित लोगों द्वारा हवा में छोड़ी गईं महीन बूंदों में मौजूद कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षा के लिए यह पर्याप्त नहीं है. अपने चिट्ठी में उन्होंने लिखा है, ‘यह समस्या खास कर बंद जगहों पर ज्यादा है, खास कर उन जगहों पर जहां भीड़ हो और हवा के आने-जाने की व्यवस्था यानी वेंटिलेशन पर्याप्त न हो.’
जानकारों के मुताबिक कोविड-19 जैसे श्वसन तंत्र के संक्रमण थूक या बलगम की अलग-अलग आकार की बूंदों से फैलते हैं. अगर इन बूंदों का व्यास पांच से 10 माइक्रॉन तक होता है तो इन्हें ‘रेसपिरेटरी ड्रॉपलेट्स’ कहा जाता है. अगर यह आंकड़ा पांच माइक्रॉन से कम हो तो इन्हें ‘ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई’ कहा जाता है. माइक्रॉन यानी एक मीटर का दस लाखवां हिस्सा. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अभी जो सबूत हैं उनके हिसाब से कोरोना वायरस मुख्य रूप से ‘रेसपिरेटरी ड्रॉपलेट्स’ के जरिये फैलता है. 29 जून को कोरोना वायरस पर अपने सबसे ताजा अपडेट में संस्था का कहना था कि हवा के जरिये वायरस से संक्रमित होने की स्थिति किसी अस्पताल में ऐसी मेडिकल प्रक्रिया के दौरान ही आ सकती है जिससे एयरोसोल्स यानी कुछ देर तक हवा में रहने वाले महीन ठोस या द्रव कण पैदा होते हैं.
लेकिन इन 239 वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सामान्य परिस्थितियों में भी संभव है. उनकी चिट्ठी में कहा गया है, ‘अध्ययनों से यह बिल्कुल साफ हो चुका है कि सांस छोड़ने, बात करने और खांसने के दौरान निकलने वाली उन बूंदों में भी वायरस मौजूद होते हैं जो बहुत सूक्ष्म होने के कारण कुछ समय तक हवा में ही रहती हैं. इनके चलते संक्रमित व्यक्ति से एक से दो मीटर की दूरी तक वायरस के फैलने का जोखिम रहता है.’ इन वैज्ञानिकों कहना है कि इस दायरे में मौजूद किसी भी शख्स की सांस के जरिये वायरस उसके शरीर में जा सकता है. बताया जा रहा है कि यह चिट्ठी जल्द ही एक प्रतिष्ठित साइंस जर्नल में भी प्रकाशित होने वाली है.
इन वैज्ञानिकों के मुताबिक अतीत में सार्स या मेर्स जैसे संक्रमणों के बारे में किए गए अध्ययनों में भी यह बात सामने आई थी कि इनके फैलने का मुख्य जरिया हवा हो सकती है. अपनी चिट्ठी में उन्होंने कहा है, ‘ये अध्ययन दिखाते हैं कि इन्हें फैलाने वाले वायरस सांस छोड़ते वक्त पर्याप्त तादाद में बाहर आ सकते हैं... इस पर यकीन करने का हर कारण मौजूद है कि कोविड-19 फैलाने वाला कोरोना वायरस भी इसी तरह बर्ताव करता है, और हवा में मौजूद महीन बूंदें भी संक्रमण का एक अहम जरिया हैं.’
इन वैज्ञानिकों का कहना है कि सावधानी के सिद्धांत पर चलते हुए हमें कोरोना वायरस संक्रमण के हर अहम जरिये का ध्यान रखना चाहिए ताकि इस महामारी की रफ्तार पर लगाम लगाई जा सके. उनके मुताबिक हवा के जरिये संक्रमण न फैले इसके लिए कई उपाय किए जा सकते हैं. मसलन सभी इमारतों खास कर दफ्तरों, स्कूलों, अस्पतालों और बुजुर्गों के लिए बने केंद्रों पर वेंटिलेशन की ऐसी व्यवस्था की जाए जो पर्याप्त और प्रभावी हो. इसमें ध्यान रखा जाए कि हवा का रिसर्क्युलेशन यानी भीतर की हवा को फिर भीतर ही छोड़ देना कम से कम हो और बाहर की साफ हवा अंदर आने दी जाए. दूसरा, वेंटिलेशन सिस्टम में संक्रमण को काबू करने वाले एयर फिल्टर या अल्ट्रावायलेट रोशनी जैसे तरीकों का इस्तेमाल हो. वैज्ञानिकों ने सार्वजनिक परिवहन और दफ्तर जैसी जगहों पर जरूरत से ज्यादा भीड़ न लगाने की भी सलाह दी है. ये वैज्ञानिक जो कह रहे हैं उसका एक मतलब यह भी है कि साधारण सर्जिकल मास्क के जरिये कोरोना वायरस से बचाव संभव नहीं है. बचाव सिर्फ एन 95 मास्क से ही हो सकता है.
कोरोना वायरस का अभी अलग से न कोई इलाज है और न ही इसका कोई टीका है. इन वैज्ञानिकों के मुताबिक इसलिए भी जरूरी है कि अभी इसके संक्रमण के हर जरिये को रोका जाए. उन्होंने चिंता जताई है कि अगर इस सच्चाई को स्वीकार नहीं किया गया कि यह वायरस हवा के जरिये भी फैल सकता है और इसे ध्यान में रखते हुए जरूरी उपाय नहीं किए गए तो इसके व्यापक नतीजे होंगे. इन वैज्ञानिकों के मुताबिक अभी खतरा यह है कि लोग यह मान रहे हैं कि मौजूदा दिशा-निर्देशों का पालन करना ही पर्याप्त है जबकि ऐसा नहीं है. उनका कहना है कि हवा के जरिये संक्रमण को रोकने के तरीकों की अहमियत अब पहले से ज्यादा है क्योंकि अब लॉकडाउन हटने के साथ ही दुनिया के कई देशों में लोगों की आवाजाही बढ़ रही है. इन वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि स्वास्थ्य एजेंसियां और सरकारें उनकी बात पर ध्यान देंगी और कोरोना वायरस से बचाव के लिए जरूरी दिशा-निर्देशों में बदलाव करेंगी.
वैसे यह पहली बार नहीं है जब विशेषज्ञों ने डब्ल्यूएचओ से कोरोना वायरस से बचाव को लेकर अपने दिशा-निर्देशों में बदलाव की अपील की हो. बीते अप्रैल में 36 वायु गुणवत्ता और एयरोसोल्स विशेषज्ञों ने भी कहा था कि हवा के जरिये कोरोना वायरस के संक्रमण से संबंधित साक्ष्य बढ़ते जा रहे हैं. इसके बाद डब्ल्यूएचओ ने इन विशेषज्ञों के साथ एक बैठक भी की थी. लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट की मानें तो इस बैठक में डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ इस पर अड़े रहे कि एयरोसोल्स से सुरक्षा के बजाय हाथ धोना ही बचाव का बेहतर तरीका है.
अभी भी संस्था का यही रुख कायम है. अखबार के मुताबिक संक्रमण संबंधी मामलों में डब्ल्यूएचओ की टेक्निकल लीड डॉ बेंडेटा एलेग्रांजी का कहना है कि कोरोना वायरस के हवा के जरिये फैलने से जुड़े सबूत विश्वास करने लायक नहीं हैं. उनका कहना था, ‘खासकर पिछले कुछ महीनों में हमने कई बार कहा है कि हम हवा के जरिये संक्रमण की संभावना से इनकार नहीं कर रहे, लेकिन इसके समर्थन में मजबूत या स्पष्ट सबूत नहीं हैं.’(satyagrah)
उत्तरप्रदेश 8 जुलाई। कानपुर कांड में जांच के दायरे में आए एसटीएफ के डीआईजी अनंतदेव तिवारी का योगी सरकार ने मंगलवार को तबादला कर दिया। साथ ही दो अन्य अधिकारियों को भी इधर से उधर किया गया है।
गौरतलब है कि गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुंडों की फायरिंग में शहीद हुए 8 पुलिस अफसरों में शामिल सीओ देवेंद्र मिश्र का पत्र सोमवार को उनकी बेटी ने पुलिस को घर में रखी फाइल से निकालकर दिया था। इसके बाद सोमवार को ही सीओ कार्यालय को सील कर दिया गया था। इस मामले में तत्कालीन एसएसपी अनंतदेव तिवारी पर सवाल उठ रहे थे कि जब सीओ ने उन्हें पत्र लिखकर विकास दुबे और निलंबित थानेदार विनय तिवारी की साठगांठ की पोल खोली थी तब उन्होंने दोनों पर कार्रवाई क्यों नहीं की। इसके बाद देर शाम योगी सरकार ने अनंत देव तिवारी समेत चार आईपीएस का तवादला कर दिया।
सीओ देवेंद्र मिश्र के पत्र को लेकर तत्कालीन एसएसपी और मौजूदा डीआईजी (एसटीएफ ) अनंतदेव तिवारी जांच के घेरे में हैं। सोमवार को यह पत्र सीओ की बेटी ने ही घर में मिली फाइल से निकालकर दिखाया था। यह पत्र फिलहाल किसी रिकार्ड में नहीं है। शक है कि इसे गायब कर दिया गया है। इसके बाद आईजी लखनऊ लक्ष्मी सिंह को मंगलवार सुबह बिल्हौर स्थित सीओ कार्यालय जांच के लिए भेजा गया। उन्होंने दस्तावेजों का निरीक्षण किया। कई पुलिसकर्मियों से पूछताछ भी की।
इस बीच, फॉरेंसिक टीम ने सीओ का कंप्यूटर सील करके लखनऊ स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा है, ताकि कंप्यूटर की हार्डडिस्क से यह पता लगाया जा सके कि यह पत्र इस कंप्यूटर से टाइप हुआ था या नहीं।
उधर, शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा के स्वजन वायरल पत्र को लेकर स्थानीय पुलिस के दावों से आहत है। उनका कहना है कि पुलिस में गंभीरता का अभाव नजर आ रहा है, साथ ही मामले की जांच में शामिल डीआईजी (एसटीएफ ) को भी कठघरे में खड़ा करते हुए नैतिकता के आधार पर जांच टीम से हटाए जाने की मांग भी उठाई थी।
बलिदानी सीओ देवेंद्र मिश्रा के बड़े साढू कमलाकांत ने मंगलवार को मीडिया के सामने आकर कहा कि वायरल पत्र से स्पष्ट हो गया है कि तत्कालीन एसएसपी एवं मौजूदा एसटीएफ -डीआईजी अनंतदेव तिवारी ने पत्र पर कोई संज्ञान नहीं लिया था। इससे उनकी सत्य्निष्ठा सवालों के घेरे में है और जांच के बाद ही पता चलेगा कि वह दोषी हैं या नहीं।
उन्होंने आगे कहा, "कोई भी व्यक्ति खुद अपनी जांच नहीं कर सकता। न्याय का सामान्य सा सिद्धांत है कि जिन लोगों पर संदेह होता है उन्हें जांच से दूर रखा जाता है। खुद संदेह के दायरे में आया व्यक्ति क्या जांच करेगा। सही जांच कमेटी का चयन किया जाना चाहिए, वरना ऐसे लोग तो सच पर धूल डाल देंगे।"
स्थानीय पुलिस के रिकार्ड में उस पत्र के न होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पुलिस के रिकार्ड में उस पत्र का न होना चिंता का विषय है, कहीं कुछ गड़बड़ है, जिसकी जांच की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, "अगर मान भी लें कि शहीद पुलिसकर्मियों का पत्र अधिकारियों तक नहीं पहुंचा तो अब पत्र सामने आने के बाद पुलिस अफसर क्या कार्रवाई कर रहे हैं। गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो पाई है। पुलिस को उसका सुराग भी नहीं मिल पा रहा है, जबकि पिछले कुछ दिनों से ताबड़तोड़ कई जगह छापेमारी जारी है।"
अपराधी विकास दुबे पांच दिन बाद भी गायब है। यूपी पुलिस की तमाम टीमें उसकी तलाश में जुटी हुई हैं। पुलिस ने मंगलवार 5को उसके कई ठिकानों पर दबिश भी दी। उसके गांव में मौजूद हर घर को खंगाला गया है। (navjiwan)
कोरोना के बाद का भारत विषय पर आयोजित 4 दिवसीय वेवनार सम्पन्न
समाजवादी समागम, वर्कर्स यूनिटी, जनता वीकली, पैगाम, बहुजन संवाद द्वारा कोरोना के बाद का भारत विषय पर आयोजित 4 दिवसीय वेवनार के अंतिम दिन योगेंद्र यादव, हरभजन सिंह सिद्धू और नीरज जैन ने अपने विचार साझा किये।
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जय किसान आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि दुनिया में जब कोई आपदा होती है, तब उस समाज की जितनी भी कमियां होती हैं, वह सब बाहर आ जाती हैं। संकट, समाज की व्यवस्था को नए रूप में पेश करता है। जिनके पास ताकत है वह संकट से उबर सकता है और प्रबल होता हैं। गरीब सुविधा के अभाव में कमजोर होता जाता है। हर संकट एक अवसर होता है यूरोप के तमाम देशों में वेल्थ टैक्स, इन्हेरेटन्स टैक्स पर चर्चा शुरू हो गई है पांच बड़ी बातें जिन्हें 19वीं सदी से मान लिया गया था जिसे 21वीं सदी में भी दोहराया जा रहा है। उन्होंने 7 बातें बनाई बताई जिन पर विचार किया जाना चाहिए।
सेल्फ रूल यानी स्वराज आज लोकतंत्र लोगों पर हावी हो गया है, भावनात्मक लगाव- आज समुदाय जाति धर्म राष्ट्र द्वारा इंसान को इंसान से अलग किया जा रहा है, खुशहाली- पूंजीवाद से आर्थिक विकास तो होता है लेकिन इसकी कई कमियां भी है। समाजवादियों ने पहले ही पूंजीवाद का विरोध कर उसकी कमियां गिनाई थी। कुछ लोगों के लिए खुशहाली तो कुछ लोगों के लिए बदहाली लाती है, विज्ञान -जो जितना ज्ञान देता है वह अहंकार वश दूसरे के ज्ञान को दबाता है। अपने आप से जुड़े- मन की शांति के लिए कोविड-19 के बहाने लोकतंत्र का बचा खुचा खाका को नेस्तनाबूद करने काम किया जा रहा है। लोकतंत्र की हत्या धीरे-धीरे की जा रही है 19वीं सदी का नंगा नाच पूंजीवाद लाओ और धन कमाओ को बढ़ावा दिया जा रहा है।
सरकारों ने कोरोना महामारी के सामने घुटने टेक दिए हैं। उन्होंने जनता को अपने हाल पर छोड़ दिया है । अब हमें ही कोरोना संकट से बचने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए इसके लिए हमें लोगों में कोरोना की हकीकत पेश करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि वे राष्ट्र निर्माण हेतु टीम बनाकर अन्याय के खिलाफ लोगों के बीच जाकर कार्य करेंगे। यह अभूतपूर्व संकट है सरकार मुकाबला करने में असफल है स्वयं को लोगों की बात सुनकर सच उनतक पहुंचाना है उन्हें विकल्प बताना है। हमारी सरकार से मांग है कि सभी को फ्री इलाज मिले क्योंकि यह हमारा अधिकार है। सब को 3 माह तक हर माह प्रति व्यक्ति को मुफ्त राशन मिले जिसमे 10 किलो अनाज, आधा किलो तेल, डेढ़ किलो दाल, आधा किलो शक्कर शामिल हो, हर व्यक्ति को लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान से बचने के लिए 10 हजार रुपये एकमुश्त रकम दी जाए, मनरेगा में 200 दिन का रोजगार दिया जाए। जिन वर्कर्स की छटनी कर निकाला जा रहा है उनके नुकसान की भरपाई की जाए। सैलरी पर सब्सिडी दी जाए। लोन पर ब्याज की अदायगी से मुक्ति। इन कामों के लिए सरकार कोई कमी ना होने दें।
92 लाख की सदस्यता वाली जे पी के द्वारा स्थापित हिन्द मज़दूर सभा के राष्ट्रीय महामंत्री हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि हमारे देश में 54 करोड़ श्रमिक में से 7% श्रमिक संगठित है 93% असंगठित है। सरकार ने कंपनियों को खुली लूट की अनुमति दे दी है। वर्करों को व्हीआरएस और सीआरएस के नाम से बाहर निकाला जा रहा है। पहले श्रमिकों ने लंबा संघर्ष कर पूंजीवादी गठजोड़ को बाहर किया था ।
अब वर्तमान सरकार ने कोरोना काल में 44 श्रम कानून बनाकर 4 कोड लागू किया है। जिसमें आठ घंटे के काम को 12 घंटे कर श्रमिकों का शोषण किया जाएगा तथा श्रमिकों के हित की कोई जिम्मेदारी नियोक्ता यानी रोजगार देने वाले अर्थात कारखाने के मालिक की नहीं होगी।
उन्होंने कहा केंद्र श्रमिक संगठनों ने 10 सूत्रीय मांगपत्र को लेकर 3 जुलाई को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिरोध किया है। कोयला उद्योग को निजीकरण से बचाने के लिए तीन दिन की हड़ताल की, डिफेंस के श्रमिक भी आंदोलनरत हैं। हम रेलवे के निजीकरण को भी गंभीर चुनौती देंगे ।
आल इण्डिया रेलवे मेंस फेडरेशन की हड़ताल ने इंदिरा गांधी की तानाशाही को चुनौती दी थी, अब हम फिर चुनौती देने के लिए कमर कस चुके हैं।
देश के प्रमुख अर्थशास्त्री एवं लोकायत के प्रमुख नीरज कुमार जैन ने कहा कि भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था वैसे ही खराब है, भारत को बीमारी की राजधानी कहा जाता है। परन्तु सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है वह केवल कारपोरेट के मुनाफे को पुनः पटरी पर लाने के लिए काम कर रही है। गरीब भले ही मरे लेकिन कारखाने चलने चाहिए। सरकार ने अब यह भी कहना बंद कर दिया है कि हमारे देश में कोरोना के मरीज कम है। कोरोना के मामले में हम नंबर तीन पर पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री ने भी कोरोना पर बोलना अब बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना पर नियंत्रण कर सकती थी। यूरोप और अमेरिका की यदि बात की जाए तो वहां भी लोग मर रहे हैं और हमारे यहां भी। लेकिन हमारे यहां मृत्यु दर कुछ कम है क्या इतने से संतोष किया जा सकता है?
जिन देशों ने इस बीमारी में सफलतापूर्वक संघर्ष किया है और नियंत्रित किया है उन देशों की चर्चा ही नहीं की जा रही है । जैसे क्यूबा, वेनेजुएला ने बहुत संघर्ष से शानदार सफलता प्राप्त की है आज दुनिया में 5 लाख से ज्यादा लोग मरे हैं। यदि मृत्यु दर दुनिया में क्यूबा, वेनेजुएला की दर पर होती तो आज मुश्किल से 30 से 40 हजार लोग ही मरे होते। पूंजीवादी व्यवस्था कंपनियों के नफे की चिंता करती है लोगों के स्वास्थ्य पर खर्चा कम से कम करना चाहती हैं। इसके चलते भारत बीमारी की रोकथाम के लिए कदम उठाने की बजाय लॉकडाउन में विलंब किया गया। अचानक 24 मार्च को लॉकडाउन घोषित कर दिया। उन देशों ने जिन्होंने सफलता प्राप्त की उन्होंने जैसे ही मौत की खबरें आना शुरू हुई, डब्ल्यूएचओ ने सचेत किया उन देशों ने बाहरी लोगों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया और टेस्टिंग शुरू कर दी। हमारे देश में बिना तैयारी के लॉकडाउन लगा दिया। भारत में डायबिटीज टीबी से लाखों लोग इलाज के अभाव में मर जाते हैं। सीएचसी का सरकारी आंकड़ा बताता है कि जितने होना चाहिए उनमें से 20% ही डॉक्टर है भारत में स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च कम है। हम स्वास्थ्य सेवाओं पर जीडीपी का 2% ही खर्च करते हैं यूरोप के देश 5 से 8% खर्च करते हैं विकासशील देशों में अपना जीडीपी का 32% खर्च करते हैं। भारत में प्रति व्यक्ति इलाज खर्च 1100 है यूरोप के देश में प्रति व्यक्ति 3 लाख प्रतिवर्ष खर्च करते हैं। भारत सरकार नहीं के बराबर खर्च करती है। वहीं प्राइवेट अस्पतालों को सब्सिडी देकर बढ़ावा दिया जा रहा है । कुल इलाज पर लोग अपनी जेब से लगभग 65% खर्च करते हैं । विदेशों में सरकारी प्राइवेट अस्पतालों पर कम, सरकारी अस्पतालों पर ज्यादा खर्च करती है। डेढ़ प्रतिशत स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च को बढ़ाकर दोगुना करना हो तो सरकार को लगभग साढे तीन लाख करोड़ रुपए खर्च करना होगा । भारत सरकार अमीरों को जो टैक्स में छूट देती है वह साढ़े छह लाख करोड़ है और जो लोन माफी दी जाती है वह भी सालाना दो से तीन लाख करोड़ है इसके अलावा अमीरों को कई छूट दी जाती है। यदि सरकार इन अमीरों पर 2% टैक्स लगाए तो भारत सरकार लगभग साढ़े नौ लाख करोड़ आमदनी कर सकती है। यदि अमीरों पर वारसान टैक्स लगाए तो सरकार के पास पांच से छह लाख करोड़ जमा हो सकते हैं इस तरह सरकार 20 से 25 लाख करोड रुपए की आमदनी बढ़ा सकती है इससे स्वास्थ्य सुविधाओं पर डबल या तिगुना खर्च किया जा सकता है।
इस संकट से निपटने के लिए हॉस्पिटल को दुरस्त किया जाना चाहिए यानी सुविधाएं देना चाहिए, बड़े पैमाने पर संपर्कों को ट्रेस किया जाए तथा जांच की जाए क्वारंटाइन कर उसे आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए तथा प्रभावितों को मुफ्त राशन देना चाहिए। लॉकडाउन से प्रभावित को केस ट्रांसफर और मुफ्त राशन दिया जाना चाहिए। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं के राष्ट्रीकरण की मांग की।
उल्लेखनीय है कि वेबनार का संयोजन डॉ सुनीलम, आकृति भाटिया, संदीप राउजी ने किया। पहले दिन अर्थशास्त्री प्रो अरुण कुमार, जस्टिस कोलसे पाटिल, प्रफुल्ल सामन्त रा, दूसरे दिन रमाशंकर सिंह, गौहर रजा, मेधा पाटकर, तीसरे दिन वी एम सिंह, अमरजीत जीत कौर, गणेश देवी ने वेबनार को संबोधित किया था। सभी वक्ताओं के भाषण वर्कर्स यूनिटी के यूट्यूब पर उपलब्ध हैं।(sapress)
बीती रात किया था अगवा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दंतेवाड़ा/किरंदुल, 7 जुलाई। बीती रात किरंदुल थाना से 15 किमी की दूरी पर गुमियापाल गांव से नक्सलियों ने सिपाही के पिता का अपहरण कर लिया था। आज जनअदालत में ग्रामीणों के दबाव में जवान के पिता को छोड़ दिया गया। वे सुरक्षित घर पहुंच चुके हंै।
पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बताया कि मलांगीर एरिया कमेटी के सदस्य कमलेश के निर्देश में पुलिस जवान अजय तेलाम के पिता को अगवा किया गया था। कमलेश पर राज्य शासन द्वारा 5 हजार रूपये का पुरस्कार घोषित किया गया है। इसके उपरांत बड़ी संख्या में ग्रामीणों के दबाव में जवान के पिता को बंधन मुक्त किया गया। इस वारदात में गुमियापाल के 31 जन मिलिशिया सदस्यों की भागीदारी की बात सामने आई है।
किरंदुल टीआई डीके बरुआ ने बताया कि नक्सलियों ने बड़े पल्ली में जनअदालत लगाई थी। जहां ग्रामीणों के दबाव में जवान के पिता को छोड़ दिया। नक्सली लीडर विनोद के निर्देश पर लछु तेलाम को छोड़ा गया और वह सुरक्षित घर पहुंच चुका है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 7 जुलाई। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रदेश के पुलिस अधिकारियों, कर्मियों द्वारा प्रतीक चिन्ह धारण नहीं किया जा सका था। अब छत्तीसगढ़ राज्य की विशिष्टताओं व विविधताओं को समाहित कर राज्य पुलिस ने प्रतीक चिन्ह तैयार कर लिया है। आज इसे बिलासपुर जिले के पुलिस ने अपने कंधों पर धारण कर लिया।
पुलिस महानिदेशक डी एम अवस्थी के मार्गदर्शन में तैयार प्रतीक चिन्ह में ढाल, ढाल की सुनहरी बॉर्डर, अशोक चिन्ह, सूर्य रूपी प्रगति चक्र, बाइसन हॉर्न बना हुआ है। साथ ही ‘परित्राणाय साधुनाम’ लिखा हुआ है। प्रतीक में उल्लेखित 2000 राज्य गठन का वर्ष है ढाल का रंग गहरा नीला है जो अपार धैर्य सहनशक्ति, जीजिविषा, संवेदनशीलता और गंभीरता का प्रतीक है।
आज पुलिस कंट्रोल रूम में पुलिस महानिरीक्षक दीपांशु काबरा ने पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल की वर्दी में तथा उन्होंने अन्य पुलिस कर्मियों की वर्दी में प्रतीक चिन्ह लगाया। बारी बारी एएसपी शहर ओम प्रकाश शर्मा, एएसपी ग्रामीण संजय धु्रव एएसपी यातायात रोहित बघेल सभी नगर पुलिस अधीक्षक निमेष बरैया, आर एन यादव, सत्येंद्र पांडेय सहित शहर के सभी थाना प्रभारियों, रक्षित निरीक्षक, सूबेदारों को भी अधिकारियों ने प्रतीक चिंह उनके कंधों पर लगाया। सभी थाना प्रभारियों को उनके मातहत कर्मचारियों के लिए प्रतीक चिन्ह वितरित किया गया।
-शिशिर सोनी
भारत चीन सीमा पर तनाव है, और तनाव की कोई सीमा नहीं है। बीस वीर जवानों की शहादत का बदला एप्स अनइस्टॉल कर लिया जा रहा है। हमारा राष्ट्रवाद भी गजब है- एक हीरो रहा सनी देओल तो इसीलिए चुनाव जीत गया क्यों कि उसने एक फिल्म में पाकिस्तान का हैंडपंप उखाड़ डाला था। मोदी जी कल तक जिस जिनपिंग से गले मिल रहे थे आज वहीं गले पड़ रहा है। मोदी जी को नेहरू जी को कोसने से फुर्सत मिले तो वे जिनपिंग के पिंग-पिंग पर ध्यान दें। प्रधानसेवक इतिहास में उलझे रहे, चीनी राष्ट्रपति ने भूगोल में हेरफेर कर दी। मोदी जी चीनी राष्ट्रपति से कोई अठारह बार मिल चुके हैं। इतना तो इंसान पूरी जिंदगी खुद से नहीं मिल पाता।
चीन पैदाइशी धूर्त देश है। जिसने डिस्कवरी ऑफ इंडिया लिखने वाले नेता को धोखा दे दिया, वह डिस्कवरी चैनल के अभिनेता को क्या समझता? गर्व की बात ये है कि हमारे मुकाबले चीन का पलड़ा बेहद कमजोर है। हमारे पास न्यूज एंकर और वीर रस के कवि भी तो हैं। जहां न पहुंचे तुलसीदास गोस्वामी वहां पहुंचे अर्णब गोस्वामी। अकेले अर्णब गोस्वामी की ही जंजीर खोल दी जाए तो चीन भाग छूटेगा। कितना भी बड़ा सूरमा हो बकवास से तो घबराता है।
मेरे हिसाब से चीन के बौखलाहट का बड़ा कारण ट्रंप यात्रा की दौरान अहमदाबाद में बनाई गई वो दीवार है जिसके पीछे गरीबी को ढाकी गई थी। एक ही मास्टर स्ट्रोक में मोदी जी ने चीन की कमर तोड़ कर रख दी। अब तक लाखों पर्यटक चीन की दीवार देखने जाते थे वो सब अहमदाबाद की दीवार देखने आएंगे।
संग्राम शत्रु से हो या जीवन का, बल से नहीं आत्मबल से जीता जाता है। आत्मबल आता है सच्चाई से। दान गुप्त और खर्च ओपन तो सुना था, लेकिन दान ओपन और खर्च गुप्त, ये पीएम-केयर्स फंड से ही पता लगा है। (फेसबुक)
(संपत सरल का कविता पाठ )
-कृष्ण कांत
सभी मीडिया हाउस ने आज एक खबर चलाई हैं, जिसका सार-संक्षेप है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन से बात की और चीन पीछे हट गया। अब सवाल है कि अगर डोभालजी इतने जादुई आदमी हैं तो अब तक क्या कर रहे थे? अप्रैल से ही घुसपैठ की खबरें थीं। जून की शुरुआत में वार्ता हुई। फिर 15 जून को सैनिकों में झड़पें हुईं और 20 जवान शहीद हो गए, दस बंधक बनाए गए। आज 6 जुलाई है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के सलाहकार के पास राष्ट्रीय सुरक्षा से जरूरी कौन सा काम होता है जो उनके जागने में इतनी देर हो जाती है?
अब एक और दिलचस्प मामला देखिए। खबर आई है कि चीन पीछे हट गया है। सुबह से अलग-अलग रिपोर्ट पढ़ीं। सारी सूत्रों के हवाले से हैं। इन दर्जनों खबरों के मुताबिक, चीन एक किलोमीटर, डेढ़ किलोमीटर और दो किलोमीटर पीछे हटा है. मंत्री और सरकार कुछ बोलते नहीं।
अगर देश की सीमा पर खतरा है तो जनता को क्यों नहीं बताया जाना चाहिए? शहीद होने नेता नहीं जाता, अपनी जमीन बचाने के लिए कुर्बानी तो जनता ही देती है. फिर जनता से झूठ क्यों बोला जाता है?
अगर कोई देश घुसपैठ करके आया और वापस चला गया, यह तो देश की जीत हुई। इस जीत की सही सूचना भी जनता को क्यों नहीं दी जाती? जो जनता अपने बेटों के शहादत का मातम मनाती है, उससे जीत के जश्न का मौका क्यों छीन लिया जाता है?
यह सूत्र कौन है जो अपने हवाले से अडग़म-बडग़म कुछ भी छपवाता रहता है? इस सूत्र को ही देश का रक्षामंत्री क्यों नहीं बना दिया जाना चाहिए?
जब बताने के लिए स्पष्ट सूचना नहीं होती, तब सूत्र एक्टिव किए जाते हैं और फर्जीवाड़ा फैलाते हैं।
प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि न कोई घुसा है, न किसी ने कब्जा किया है। जब कोई नहीं घुसा तो पीछे कौन हटा और हटकर कहां गया? जहां से हटा वहां अब क्या होगा? भारत भी हटा कि आगे बढक़र अपनी असली सीमा से सटा? हमारी जो जमीन कब्जे में थी, वह छूटी कि नहीं छूटी?
असल में किसी को कुछ नहीं पता. सूत्रों के हवाले से सुर्रा छोड़ते रहो।
बेबाक विचार : डॉ. वेदप्रताप वैदिक
गालवान घाटी से इस वक्त खुश-खबर आ रही है। हमारे टीवी चैनल पहले यह दावा कर रहे हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा से चीन पीछे हट रहा है। चीन अब घुटने टेक रहा है। अपनी हठधर्मी छोड़ रहा है लेकिन इस तरह के बहुत-से वाक्य बोलने के बाद वे दबी जुबान से यह भी कह रहे हैं कि दोनों देश यानी भारत भी उस रेखा से पीछे हट रहा है। वे यह भी बता रहे हैं कि हमारे सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच कल दो घंटे वीडियो-बातचीत हुई। इसी बातचीत के बाद दोनों देशों ने अपनी सेनाओं को पीछे हटाने का फैसला किया है लेकिन हमारे टीवी चैनलों के अति उत्साही एंकर साथ-साथ यह भी कह रहे हैं कि धोखेबाज-चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। एक अर्थ में हमारे ये टीवी एंकर चीन के बड़बोले अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ से टक्कर लेते दिखाई पड़ते हैं। यह अच्छा हुआ कि भारत सरकार हमारे इन एंकरों की बेलगाम और उकसाऊ बातों में बिल्कुल नहीं फंसी और उसने संयम से काम लिया।
यह अलग बात है कि टीवी चैनलों को देखनेवाले करोड़ों भारतीय नागरिक चिंताग्रस्त हो गए और उत्तेजित होकर उन्होंने चीनी माल का बहिष्कार भी शुरु कर दिया और चीनी राष्ट्रपति शी चिन फिंग के पुतले फूंकने भी शुरु कर दिए लेकिन सरकार और भाजपा के किसी नेता ने इस तरह के कोई भी गैर-जिम्मेदाराना निर्देश नहीं दिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथसिंह और विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन का नाम लेकर एक भी शब्द उत्तेजक नहीं बोला। उन्होंने हमारी फौज के जवानों के बलिदान को पूरा सम्मान दिया, लद्दाख की अपनी यात्रा और भाषण से फौज के मनोबल में चार चांद लगा दिए और गलवान की मुठभेड़ को लेकर चीन पर जितना भी निराकार दबाव बनाना जरुरी था, बनाया। जैसे चीनी ‘एप्स’ पर तात्कालिक प्रतिबंध, चीन की अनेक भारतीय-प्रायोजनाओं पर रोक की धमकी और लद्दाख में विशेष फौजी जमाव आदि!
उधर चीन ने भी अपनी प्रतिक्रिया को संयत और सीमित रखा। इन बातों से दोनों सरकारों ने यही संदेश दिया कि गलवान घाटी में हुई मुठभेड़ तात्कालिक और आकस्मिक थी। वह दोनों सरकारों के सुनियोजित षडय़ंत्र का परिणाम नहीं थी। मैं 16 जून से यही कह रहा था और चाहता था कि दोनों देशों के शीर्ष नेता सीधे बात करें तो सारा मामला हल हो सकता है। अच्छा हुआ कि दोभाल ने पहल की।
परिणाम अच्छे हैं। डोभाल को अभी मंत्री का ओहदा तो मिला ही हुआ है। अब उनकी राजनीतिक हैसियत इस ओहदे से भी ऊपर हो जाएगी। अब उन्हें सीमा-विवाद के स्थायी हल की पहल भी करनी चाहिए। (nayaindia.com)
(नया इंडिया की अनुमति से)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 जुलाई। राज्य में आज 99 नए कोरोना मरीज मिले हैं। इनमें सर्वाधिक 46 रायपुर जिले के हैं। इसके अलावा जांजगीर-चांपा 19, बिलासपुर 9, कांकेर 7, नारायणपुर 6, रायगढ़ 5, बलौदाबाजार 3, बीजापुर 2, राजनांदगांव और बेमेतरा से 1-1 मरीज मिलने की पुष्टि हुइ है।
आज प्रदेश से 84 मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज किए गए हैं। राज्य में कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 3615 है तथा 673 एक्टिव मरीज हैं।
नई दिल्ली, 7 जुलाई। केरल में सोना तस्करी का मुद्दा तूल पकड़ रहा है। विदेश से आए 30 किलो सोने ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया है। विपक्षी दल मुख्यमंत्री विजयन पर सवाल उठा रहे हैं तो कई शक्तिशाली अधिकारियों पर पर गाज गिर गई है। केरल सरकार ने तस्करी केस में नाम आने की वजह से सूचना प्रौद्योगिकी सचिव और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव एम शिवशंकर का तबादला कर दिया। सोमवार को सरकार ने इस केस में आरोपी सूचना प्रौद्योगिकी सलाहकार स्वपना सुरेश की सेवा समाप्त कर दी थी। कथित तौर पर वह प्रधान सचिव की करीबी हैं और अभी फरार चल रही हैं।
मुख्यमंत्री पी विजयन के कार्यालय की ओर से जारी संक्षिप्त बयान में कहा गया, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव एम शिवशंकर का तत्काल प्रभाव से ट्रांसफर किया जा रहा है, उनकी जगह आईएएस पीर मोहम्मद लेंगे। एम शिवशंकर राज्य सरकार के बेहद प्रभावशाली नौकरशाह माने जाते थे।
रविवार को तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से सीमा शुल्क अधिकारियों ने भारी मात्रा में सोना बरामद किया था। यह सोना यूएई के वाणिज्य दूतावास के लिए आए बैगों में भरा हुआ था। हवाई अड्डे के सूत्रों ने बताया कि सोना शौचालयों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों से भरे बैग में रखा हुआ था। तस्करी के आरोप में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के वाणिज्य दूतावास के एक पूर्व कर्मचारी को हिरासत में लिया गया है। पूर्व कर्मचारी को हिरासत में लेने के बाद जांच के लिए कोच्चि ले जाया गया है। आरोपी को जब यह पता चला कि उसके सामान की जांच होगी तो उसने सीमा शुल्क अधिकारियों को धमकी भी दी। इस बीच जय हिंद टेलीविजन चैनल ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कथित रूप से हवाई अड्डे पर यूएई के वाणिज्य दूतावास के पूर्व कर्मचारी की मदद करने की कोशिश की थी।
मुख्यमंत्री पी. विजयन ने आरोपी महिला अधिकारी की नियुक्त से जुड़े कारकों की जानकारी नहीं है। उन्होंने विपक्ष के आरोपों पर जवाब दिया कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने किसी भ्रष्टाचार में शामिल लोगों के साथ कभी कोई संवाद नहीं किया और राज्य की जनता यह जानती है। उन्होंने कहा कि इसमें शामिल नहीं बच पाएंगे।
केरल में विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने आरोप लगाया है कि राज्य के आयकर विभाग की महिला (वाणिज्य दूतावास की एक पूर्व कर्मचारी) ‘राजनयिक बैग से 30 किलोग्राम सोने की तस्करी में शामिल है। आयकर विभाग मुख्यमंत्री के पास है और उसके अगुवा विजयन के प्रधान सचिव एम शिवशंकर थे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश चेन्नितला ने यह आरोप लगाते हुए इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की कि मुख्यमंत्री कार्यालय ‘अपराधियों का अड्डा’ बन गया है। भाजपा प्रमुख के सुरेंद्रन ने आरोप लगाया कि सीमाशुल्क अधिकारियों को इस जब्ती के शीघ्र बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आया था। (न्यूजरूमपोस्ट)