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नई दिल्ली/दिसपुर ,15 जुलाई। असम में मगलवार को बाढ़ की वजह से पांच जिलों में कम से कम 9 और लोगों की मौत हो गई, जिससे यहां बाढ़ में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 59 हो गई है। राज्य के 33 में से 28 जिले बुरी तरह बाढ़ से बेहाल हैं, जिससे 33 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं।
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के अधिकारियों ने कहा कि बीते चार हफ्तों में बिश्वनाथ, तिनसुकिया, लखीमपुर, बनगाइगांव, कामरूप, गोलाघाट, शिवसागर, मोरीगांव, धुबरु, नगांव, नलबारी, बारपेटा, धेमाजी, उदलगुड़ी, गोलपारा और डिब्रूगढ़ जिलों में बाढ़ की वजह से 59 लोगों की मौत हो गई है। वहीं 22 मई से अब तक विभिन्न भूस्खलन की घटनाओं में 26 लोग मारे गए हैं।
अधिकारियों ने कहा कि सोमवार को धुबरी और मोरीगांव में दो लोगों की डूबने से मौत हो गई, लेकिन इन मौतों का बाढ़ से कोई संबंध नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य के 12 जिलों में ब्रह्मपुत्र समेत आठ नदियों में पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। एएसडीएमए के अधिकारियों ने रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि इन जिलों के 3,371 गावों के 33 लाख लोग प्रभावित हैं और 28 जिलों की 128,495 हेक्टेयर कृषि भूमि भी इसकी चपेट में है।
गौरतलब है कि असम में इन दिनों कोरोना का कहर अपने चरम पर है। हर दिन के साथ राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। राज्य में अब तक कुल 17,807 लोग करोना पॉजिटिव पाए गए हैं। राज्य में अब तक कोरोना से 46 लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा रोज बढ़ता जा रहा है। इस बीच बाढ़ ने अलग तबाही मचा रखी है। बाढ़ के कारण राज्य के एक बड़े भाग में कोरोना से बचाव के उपाय प्रभावित हुए हैं और बीजेपी सरकार असहाय नजर आ रही है।(navjivan)
नई दिल्ली,15 जुलाई। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को कहा कि अगले छह महीने में बैंकों के फंसे कर्ज यानी एनपीए में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि समस्या को जितनी जल्दी पहचान लिया जाए, उतना अच्छा होगा.
कोविड-19 और उसकी रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ से कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और उनमें से कई कर्ज की किस्त लौटाने में कठिनाइयों का सामना कर रही हैं.
राजन ने ‘नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड एकोनॉमिक रिसर्च’ (एनसीएईआर) द्वारा आयोजित ‘इंडिया पॉलिसी फोरम’ 2020 के एक सत्र में कहा, ‘अगर हम वाकई में एनपीए के वास्तविक स्तर को पहचाने तो अगले छह महीने में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) का स्तर काफी अप्रत्याशित होने जा रहा है…हम समस्या में हैं और जितनी जल्दी इसे स्वीकार करेंगे, उतना बेहतर होगा. क्योंकि हमें वाकई में इस समस्या से निपटने की जरूरत है.’
मंगलवार को प्रकाशित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में आर्थिक सुधारों पर एक लेख का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें जनधन खातों की सफलता की बात कही गयी है लेकिन कुछ अर्थशास्त्रियों की राय इससे अलग हैं.
राजन ने कहा, ‘हमें अभी भी लक्षित लोगों को लाभ अंतरण करने में कठिनाई हो रही है. लोग अभी भी सार्वभौमिकरण की बात कर रहे हैं क्योंकि हम लक्ष्य नहीं कर सकते. (जैसा कि आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के विजय जोशी ने रेखांकित किया है). जनधन ने उस रूप से काम नहीं किया जैसा कि इसका प्रचार-प्रसार किया गया.’
हालांकि उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की एक सकारात्मक चीज कृषि क्षेत्र है जो वास्तव में अच्छा कर रहा है.
राजन ने कहा, ‘निश्चित रूप से सरकार ने सुधारों को आगे बढ़ाया है. इन सुधारों की लंबे समय से बात हो रही थी. उसके सही तरीके से क्रियान्वयन होने से अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से को लाभ होगा.’(theprint)
नई दिल्ली,15 जुलाई। WhatsApp यूजर्स के ऊपर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। यूजर्स को वॉट्सऐप के फेक वर्जन के बारे में अलर्ट किया जा रहा है। वॉट्सऐप से जुड़ी खबरों और अपडेट को ट्रैक करने वाली वेबसाइट WABetaInfo ने वॉट्सऐप के मॉडिफाइड वर्जन के बारे में एक चेतावनी जारी की है। WAbetaInfo ने अपने ट्वीट में लिखा कि बेहतर प्रिवेसी और सिक्यॉरिटी के लिए वॉट्सऐप के मॉडिफाइड वर्जन को बेहतर विकल्प नहीं कहा जा सकता।
इस ट्वीट में यह समझाने की कोशिश की गई है कि वॉट्सऐप के मॉडिफाइड वर्जन आकर्षक तो लग सकते हैं, लेकिन यह इतने भी अच्छे नहीं कि इनके लिए किसी तरह का रिस्क उठाया जाए।
मैन-इन-द-मिडिल अटैक का खेल
मॉडिफाइड वॉट्सऐप के जरिए हैकर्स आसानी से यूजर्स को अपना शिकार बना सकते हैं। ये फेक वॉट्सऐप डिवेलपर्स मैन-इन-द-मिडिल (MITM) अटैक से हैकर्स के डेटा की चोरी कर सकते हैं। इसी अटैक की मदद से हैकर सॉफ्टवेयर को एडिट करके चैटिंग को ऐक्सेस कर सकते हैं और मेसेज को पढ़ने के साथ ही उन्हें एडिट भी कर सकते हैं।
अकाउंट बैन होने का खतरा
जारी की कई वॉर्निंग में यह भी बताया गया वॉट्सऐप के मॉडिफाइड वर्जन को कंपनी ने वेरिफाइ नहीं किया है। साथ ही अगर कोई यूजर इनका इस्तेमाल करता है, तो उसके वॉट्सऐप अकाउंट को बैन किया जा सकता है। कई बार यूजर्स कुछ अधिक फीचर्स की लालच में ऑरिजिनल की बजाय फेक वर्जन को इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। यह सिक्यॉरिटी और प्रिवेसी के लिए सही नहीं है।
बीटा वर्जन में सबसे पहले मिलेंगे नए फीचर
वॉट्सऐप के ऑफिशल वर्जन को आप ऐपल ऐप स्टोर या गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। साथ ही अगर आप वॉट्सऐप के किसी फीचर को दूसरे यूजर्स के मुकाबले पहले यूज करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको वॉट्सऐप के बीटा वर्जन को इस्तेमाल करना होगा।(navbharat)
Unbelievable Guitarist SHOCKS Judges on America's Got Talent 2019 | Kids Got Talent
Kids Got Talent(youtube channel )
लखनऊ, 15 जुलाई। भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह ने बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर सोमवार को आरोप लगाया कि उसके इशारे पर मुकदमा चलाया गया और राजनीतिक विद्वेष के चलते उन्हें गलत फंसाया गया.
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई कर रही सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष पेश होने के बाद अदालत परिसर से निकलते हुए कल्याण सिंह ने संवाददाताआअें से कहा, ‘उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी इसलिए राजनीतिक विद्वेष के कारण मेरे ऊपर निराधार और गलत आरोप लगाकर केंद्र सरकार के इशारे पर मुकदमा चलाया गया.’
उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के नाते मैंने और मेरी सरकार ने अयोध्या स्थित विवादित ढांचे की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए थे तथा उक्त ढांचे की सुदृढ़ सुरक्षा की दृष्टि से त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.’
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके 88 वर्षीय कल्याण सिंह ने कहा कि समय-समय पर संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को विवादित ढांचे की सुरक्षा हेतु स्थिति के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे.
उन्होंने कहा, ‘इस प्रकरण में तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार के इशारे पर राजनीतिक विद्वेष से मेरे उपर झूठे और निराधार आरोप लगाकर मुझे गलत फंसाया गया है. मैं निर्दोष हूं.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सीबीआई की विशेष अदालत कुल 354 अभियोजन पक्ष के गवाहों की जांच के बाद सीआरपीसी की धारा 313 के तहत सभी 32 अभियुक्तों के बयान दर्ज कर रही है. मामले में दर्ज कुल 49 आरोपियों में से अब तक 17 की मौत हो चुकी है.
इस मामले के आरोपियों में पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी और वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी शामिल हैं, जिनका बयान अभी तक दर्ज नहीं हुआ है.
इन दोनों नेताओं के वकीलों ने विशेष अदालत से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बयान दर्ज कराने का अनुरोध किया है. इस मामले के एक अन्य अभियुक्त राम चंद्र खत्री अभी एक अन्य मामले में हरियाणा की सोनीपत जेल में हैं.
अदालत ने अपने कार्यालय को आदेश दिया है कि एनआईसी को पत्र भेजा जाए कि इन अभियुक्तों के बयान वीडियो कांफ्रेसिंग से दर्ज करने की व्यवस्था करे.
एक अन्य अभियुक्त ओम प्रकाश पांडेय के खिलाफ अदालत ने पूर्व में एनबीडब्ल्यू जारी रख रखा है. उसके अनुपालन में सीबीआई की ओर से रिपेार्ट दी गई कि उक्त अभियुक्त के भाई महेंद्र पांडे ने बताया कि ओम प्रकाश काफी पहले साधु हो चुके हैं और वह घर नहीं आते.
उन्होंने हालांकि एक हफ्ते में उनका पता करने की बात कही, इस पर अदालत ने सीबीआई को महेंद्र पांडे के संपर्क में रहने का आदेश दिया था.
दिसंबर 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद कारसेवकों द्वारा ढहाई गई थी. उनका दावा था कि इस स्थान पर भगवान राम का मंदिर था.
सीबीआई की विशेष अदालत उच्च्तम न्यायालय के आदेश पर इस मामले की सुनवाई रोजाना कर रही है और इसे 31 अगस्त तक सुनवाई पूरी करनी है.
बीते दो जुलाई को वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती भी अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में विशेष सीबीआई अदालत में पेश हुईं थी.
उन्होंने विशेष सीबीआई अदालत में दिए गए अपने बयान में कहा था कि 1992 में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना से उन पर बाबरी विध्वंस का आरोप मढ़ा था. वह बिल्कुल निर्दोष हैं.
उन्होंने कहा था कि तत्कालीन केंद्र सरकार ने बाबरी विध्वंस मामले में अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए उनके तथा अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. सभी को राजनीतिक दबाव में गलत तरीके से फंसाया गया.
हालांकि अदालत के बाहर आकर उन्होंने संवाददाताओं से कहा था कि राम मंदिर अभियान से जुड़कर वह खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं.
उन्होंने कहा था, ‘मैं तो राम भक्त हूं और राम भक्ति के भाव की वजह से मैंने इस पूर्ण अभियान में भाग लिया. इसके लिए मैं हमेशा खुद को गौरवशाली मानती हूं.’
मालूम हो कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पिछले साल 40 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद नौ नवंबर को बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि जमीन विवाद पर अपना फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष का दावा ख़ारिज करते हुए हिंदू पक्ष को जमीन देने को कहा था.(thewire)
ट्रम्प के ख़िलाफ़ एमआईटी, हार्वर्ड अदालत चले गए थे
वॉशिंगटन, 15 जुलाई। अमरीका ने उन छात्रों को वापस भेजने का फ़ैसला टाल दिया है जिनकी क्लास पूरी तरह से ऑनलाइन संचालित हो रही हैं.
बीते सप्ताह ट्रंप प्रशासन ने घोषणा की थी कि उन सभी छात्रों को अमरीका से वापस भेजा जाएगा जिनके सिलेबस की सभी क्लास ऑनलाइन संचालित हो रही हैं.
अब ट्रंप प्रशासन अपने इस फ़ैसले से पलट गया है. सरकार की इस योजना के ख़िलाफ़ मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलजी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अदालत चले गए थे.
मैसाचुसेट्स के डिस्ट्रिक्ट जज एलिसन बरो का कहना है कि अब सभी पक्षों में समझौता हो गया है.
न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ समझौते के तहत मार्च में लागू की गई नीति को फिर से लागू कर दिया गया है. इसके तहत अंतरराष्ट्रीय छात्र ऑनलाइन क्लास लेते हुए भी वैधानिक तौर पर छात्र वीज़ा पर अमरीका में रह सकते हैं.
हर साल लाखों विदेशी छात्र अमरीकी विश्वविद्यालयों में पढ़ने आते हैं और अमरीका में कमाई का ये बड़ा ज़रिया हैं.
हार्वर्ड ने हाल ही में घोषणा की थी कि कोरोना संक्रमण की चिंताओं के चलते क्लास ऑनलाइन ही संचालित की जाएंगी. अमरीका के कई और संस्थानों की तरह ही एमआईटी ने भी कहा है कि वर्चुअल क्लासेज ही चलेंगी.
क्या थी ट्रंप प्रशासन की घोषणा?
बीते सप्ताह विदेशी छात्रों से कहा गया था कि वो अमरीका में तब ही रह सकते हैं जब वो क्लास यूनिवर्सिटी जाकर लेंगे.
मार्च में जब कोरोना संक्रमण गहराया था तो बहुत से छात्र अपने देश लौट गए थे. इन छात्रों से कहा गया था उन्हें वापस आने की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि उनकी क्लास अब ऑनलाइन चल रहीं हैं.
अमरीका के प्रवासी और कस्टम निदेशालय (आईसीई) ने कहा था कि ये नियम न मानने पर लोगों को वापस उनके देश भेजा जा सकता है.
ट्रंप सरकार के फैसले से परेशान हैं भारतीय छात्र
आईसीई स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम संचालित करता है. आईसीई ने छात्रों को अमरीका में रहकर सिलेबस पूरे करने की अनुमति दी थी.
लेकिन बाद में ट्रंप प्रशासन ने कहा था कि जो छात्र सिर्फ़ ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं उन्हें जाना होगा.
संस्थानों की क्या प्रतिक्रिया थी?
सरकार के फ़ैसले के दो दिन बाद ही हार्वर्ड और एमआईटी ने इस आदेश के ख़िलाफ़ कई मुक़दमे दायर कर दिए थे. संस्थानों ने इसे एकतरफ़ा और सत्ता का दुरुपयोग कहा था. दर्जनों और संस्थानों ने अदालती कार्रवाई का समर्थन किया था.
राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि नए शिक्षा सत्र में स्कूल और कॉलेज खुलें. वो इसे अर्थव्यवस्था के फिर से खुलने के तौर पर देखते हैं. कोरोना वायरस ने अमरीका की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रपति ट्रंप की आगामी चुनावों में दावेदारी को बुरी तरह प्रभावित किया है.
ट्रंप को लगता है कि यदि अर्थव्यवस्था पटरी पर आती है तो उनके दोबारा चुने जाने की संभावना मज़बूत होगी.
इस आदेश से एफ-1 और एम-1 वीज़ा धारक छात्र प्रभावित हुए थे जो अकादमिक या प्रशिक्षण क्लासेज लेने के लिए अमरीका आते हैं. अमरीका के गृह विभाग ने साल 2019 में 388839 एफ़ वीज़ा और 9518 एम वीज़ा जारी किए थे.
अमरीका के वाणिज्य विभाग के मुताबिक साल 2018 में विदेशी छात्रों से अमरीकी अर्थव्यवस्था को 45 अरब डॉलर का फ़ायदा हुआ था.(bbc)
सुंदर पिचाई क्यों भेज रहे अरबों डॉलर
नई दिल्ली,15 जुलाई। विश्वविख्यात टेक कंपनी गूगल ने भारत के लिए एक स्पेशल फ़ंड बनाया है- गूगल फोर इंडिया डिजिटाइज़ेशन फ़ंड. वो अगले पाँच से सात साल में भारत में 10 अरब डॉलर यानी लगभग 750 अरब रुपए का भारी निवेश करेगा.
गूगल कंपनियों में पैसा लगाएगी, या साझीदारी करेगी? इस बारे में कंपनी के सीईओ सुंदर पिचाई ने अख़बार इकोनॉमिक्स टाइम्स से कहा - "हम निश्चित तौर पर दोनों तरह की संभावनाओं को देखेंगे, हम दूसरी कंपनियों में पैसा लगाएँगे, जो हम पहले से ही अपनी ईकाई गूगल वेंचर्स के ज़रिए कर रहे हैं, मगर निश्चित तौर पर ये फ़ंड जितना बड़ा है, उसमें ये भी संभावना है कि हम दूसरी बड़ी कंपनियों में भी निवेश करेंगे. हम डेटा सेंटर जैसे बड़े इंफ़्रास्ट्रक्चर से जुड़े निवेश भी करेंगे. हमारे फ़ंड का बहुत बड़ा हिस्सा भारतीय कंपनियों में निवेश होगा."
तो सुंदर पिचाई ने अभी पूरे पत्ते नहीं खोले हैं, कि वो क्या करेंगे. ऐसे में ये कुछ बुनियादी सवाल हैं जो तैर रहे हैं -
कहाँ पैसा लगाने जा रहा है गूगल?
निवेश है, तो इसका रिटर्न भी आएगा. किसकी जेब से मोटी होगी गूगल की तिजोरी?
इसका आम लोगों पर भी कोई असर होगा, या ये सिर्फ़ तकनीकी कंपनियों के काम की ख़बर है?
क्या इसमें कुछ ऐसा है जिससे लोगों को सतर्क होना चाहिए?
ये कुछ ज़रूरी सवाल हैं जिन्हें समझने से पहले ये समझ लेना ज़रूरी है कि हाल के समय में गूगल भारत में पैसा लगाने का एलान करने वाली अकेली दिग्गज कंपनी नहीं है.
गूगल से पहले इसी साल अमेज़ॉन ने भारत में एक अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा की थी. उसने इससे पहले भी पाँच अरब डॉलर के निवेश का एलान किया था.
इसके बाद फ़ेसबुक ने रिलायंस के जियो में 5.7 अरब डॉलर लगाने का एलान किया.
और पिछले महीने माइक्रोसॉफ़्ट की निवेश इकाई एमवनटू ने कहा कि वो भारत में निवेश की संभावनाओं के लिए अपना एक दफ़्तर खोलेगी जिसमें मुख्यतः बिज़नेस-टू-बिज़नेस सॉफ़्टवेयर स्टार्टअप कंपनियों पर ध्यान दिया जाएगा.
इसका सीधा जवाब है- बाज़ार. मगर बाज़ार तो भारत पहले से भी था, फिर अचानक से इस वक़्त ये बड़ी कंपनियाँ यहाँ पैसा क्यों ठेल रही हैं?
जानकार बताते हैं कि भारत में ये बाज़ार अब बदल रहा है. ख़ास तौर से डिज़िटल क्रांति और स्मार्ट फ़ोन क्रांति आने के बाद.
अख़बार फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस के एग्ज़ेक्यूटिव एडिटर और तकनीकी मामलों के जानकार ऋषि राज कहते हैं कि पिछले कुछ समय में ये दिखने लगा है कि इन कंपनियों के काम में एक कन्वर्जेंस की स्थिति आती जा रही है.
ऋषि राज कहते हैं, "अब एक ही कंपनी टेलिकॉम सेवा देती है, वही एंटरटेनमेंट भी उपलब्ध कराती है, ई-कॉमर्स भी करती है, वही ई-पेमेंट का ज़रिया है, वो सर्च इंजिन का भी काम करती है, नेविगेशन का भी काम करती हैं. पहले भी कन्वर्जेंस की बात होती थी, पर पहले वो बहुत मोटे तौर पर होती थी, कि टीवी-मोबाइल का कन्वर्जेंस होगा, अब उसका दायरा बहुत बढ़ गया है."
टेक्नोलॉजी और इससे जुड़े बिज़नेस मामलों के जानकार वरिष्ठ पत्रकार माधवन नारायण कहते हैं कि इंटरनेट सुपरमार्केट बन चुका है जहाँ सॉफ़्टवेयर भी बिकता है, कॉन्टेन्ट भी. वो कहते हैं जैसे अमेज़ॉन अब प्रोड्यूसर बन गया है, फ़िल्में रिलीज़ हो रही हैं वहाँ, फ़ेसबुक की तो बात ही अलग है, दोस्ती से लेकर कारोबार तक हो रहा है.
माधवन नारायण कहते हैं, "कॉन्टेन्ट, कॉमर्स, कनेक्टिविटी और कम्युनिटी- ये चारों सी इंटरनेट में उपलब्ध हैं. और ये फ़ैन्ग यानी फ़ेसबुक, अमेज़ॉन, नेटफ़्लिक्स और गूगल- इनमें ये चारों सी उपलब्ध हैं. नेटफ़्लिक्स को अगर थोड़ा अलग कर दें तो बाक़ी की तीनों कंपनियाँ छोटे व्यवसायियों के काम आ रही हैं, जहाँ आप ऐडवर्टाइज़ भी कर सकते हैं, उनके सॉफ़्टवेयर भी किराए पर ले सकते हैं, जैसे वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग आदि. ये तीनों कंपनियाँ कहीं ना कहीं छू जाती हैं सबको, चाहे यूट्यूब हो, ओला-उबर हो, डिज़िटल क्लास हों."
वो कहते हैं कि ऐसी स्थिति में जब भारत में इतनी भारी आबादी और बाज़ार का मिश्रण हो तो ज़ाहिर है कि बड़ी कंपनियाँ इनमें दिलचस्पी लेंगी.
इंटरनेट का फैलाव और बढ़ती कमाई
भारत की एक अरब 30 करोड़ की आबादी में मोबाइल फ़ोन लगभग एक अरब हाथों में पहुँच चुके हैं, लेकिन इनमें 40 से 50 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके पास साधारण फ़ीचर फ़ोन हैं जिनमें इंटरनेट नहीं है. लेकिन फ़ीचर फ़ोन और स्मार्टफ़ोन का अंतर लगातार घट रहा है.
माधवन नारायणन कहते हैं कि ये संख्या अगले चार-पाँच साल में आराम से दोगुनी हो जाएगी क्योंकि फ़ोन सस्ते हो रहे हैं और डेटा प्लान भी.
ऋषि राज कहते हैं कि ये जो 60 करोड़ इंटरनेट स्मार्टफ़ोन ग्राहक हैं, वो मोबाइल ऑपरेटर्स के पास है, और उनके माध्यम से ही वो अमेज़ॉन प्राइम, नेटफ़्लिक्स जैसी कंपनियों की सामग्रियाँ उपभोक्ताओं तक पहुँच रही हैं.
वो कहते हैं, "मेरे हिसाब से गूगल को ये आभास हो गया है कि यही समय है भारत में जब वो अपनी पहले से उपलब्ध सेवाओं को किसी भी कंपनी के साथ टाइ-अप कर ले, तो वो पैसा जो वो लगाएगी, वो किसी ना किसी तरह से उपभोक्ता तक पहुँचे ताकि वो किसी ना किसी तरह से उससे कमाई भी कर सकें, जो अभी तक नहीं हो पा रही था."
गूगल जैसी बड़ी अंतराष्ट्रीय कंपनियों के भारत की ओर रुख़ करने की एक और बड़ी वजह है डेटा जो भारत मे बड़े आराम से इकट्ठा किया जा सकता है.
ऋषि कहते हैं,"ये कंपनियाँ भारत इसलिए भी आती हैं क्योंकि इन्हें यहाँ डेटा मिल जाता है, और डेटा प्रोफ़ाइलिंग से कंपनियों के पास एक बहुत बड़ा भंडार बन जाता है जिससे वो उपभोक्ताओं की आदतों का पता लगा सकते हैं, मार्केट रिसर्च कर सकते हैं."
लेकिन इससे फिर चिंता भी पैदा होती है कि कहीं इस डेटा का ग़लत इस्तेमाल तो नहीं होने लगेगा?
ऋषि कहते हैं कि सबसे परेशानी की बात ये है कि जिस तेज़ी से ये काम बढ़ रहा है, उस हिसाब से डेटा की निगरानी के बारे में, उनको सुरक्षित रखने के बारे में, उनके एकाधिकार को नियंत्रित करने के बारे में कोई काम नहीं हुआ है.
वो कहते हैं,"उसका कोई ज़रिया या प्रक्रिया ही नहीं है तो मंज़ूरी या नामंज़ूरी कैसे देंगे? इस पर काम हो रहा है मगर धीमी गति से हो रहा है और पहले हमने देखा है कि प्लेयर अगर बहुत बड़ा हो जाए तो जो रेगुलेशन आता है, वो इससे कमज़ोर ही आता है."
माधवन भी कहते हैं, "डेटा को कहाँ और कैसे रखा जाए, इसे लेकर आने वाले दिनों में रिलायंस-जियो और गूगल-फ़ेसबुक-अमेज़ॉन जैसी कंपनियों के साथ एक टकराव हो सकता है."
हालाँकि माधवन कहते हैं कि निजता की रक्षा के नाम पर आने वाले दिनों में मार्केट में पाबंदियाँ ना लगें, शायद इसी को ध्यान में रखकर ये कंपनियाँ ये जताने की कोशिश कर रही हैं कि हम इस डेटा का इस्तेमाल केवल विज्ञापन के लिए करेंगे ना कि निजी जीवन में दखल देने के लिए.
छवि की चिन्ता
गूगल जैसी बड़ी कंपनियों के भारत में जमकर निवेश करने की एक और वजह ये दिखाना भी है कि वो भारत को केवल बाज़ार भर नहीं मानतीं.
माधवन नारायणन कहते हैं, "ये कंपनियाँ चाहती हैं कि वो ये छवि ना हो कि वो भारत में केवल पैसा बनाने आए हैं, वो इस बात को सरकारों और लोगों तक पहुँचाना चाहते हैं, कि वो हैं तो अंतरराष्ट्रीय कंपनियाँ हैं पर चाहती हैं कि भारत में पैसे लगाना चाहती हैं कि उनकी एक छवि अच्छी हो ताकि वो राष्ट्रवाद के पैरों तले ना कुचली जाएँ."
फिर ये कंपनियाँ ऐसा भी प्रयास करना चाहती हैं कि उनकी नज़र केवल उपभोक्ताओं पर ही नहीं है.
ऋषि राज कहते हैं, "इन कंपनियों के बहुत सारे प्रोजेक्ट ऐसे भी होते हैं जिनमें इन कंपनियों को सरकारों के साथ प्रोजेक्ट करना होता है, तो उनके लिए सरकार को ये दिखाना भी ज़रूरी हो जाता है कि एक कंपनी ने अगर निवेश किया तो मैं भी पीछे नहीं हूँ, क्योंकि ऐसा नहीं करने पर सरकारी प्रोजेक्टों के जो फ़ायदे होते हैं उनसे आप चूक सकते हैं."
टैक्स बचाने की कोशिश तो नहीं?
गूगल या डिज़िटल सर्विस देने वाली कंपनियों पर टैक्स लगाने की बात दुनिया भर में चल रही है क्योंकि ये कंपनियाँ सर्च और विज्ञापन से अच्छी ख़ासी कमाई करती हैं, तो जानकारों के अनुसार भारत जैसे देश में निवेश करने के पीछे एक सोच ये भी हो सकती है.
माधवन कहते हैं,"वो अगर भारत जैसे बढ़ते बाज़ार में आते हैं तो अपने मुनाफ़े का एक हिस्सा वो यहीं निवेश कर देना चाहेंगे जिससे कि उनका ख़र्चा ज़्यादा हो जाएगा, उनका काम भी फैल जाएगा और साथ ही टैक्स भी कम देना पड़ेगा."
तो इसमें कहीं कोई चिन्ता वाली बात तो नहीं?
माधवन कहते हैं कि ये इंडस्ट्री ऐसी है जिसमें जल्दबाज़ी में आरोप लगाना भी ठीक नहीं होगा, जल्दबाज़ी में उछलना-कूदना भी ठीक नहीं होगा.
वो कहते हैं,"चिन्ता की बात नहीं है पर चिन्तन ज़रूर होना चाहिए, गड़बड़ियाँ तो भारतीय कंपनियाँ भी करती हैं, कर्ज़ लेकर भाग जाते हैं लोग, टैक्स चोरी करते हैं, पर ये अंतरराष्ट्रीय कंपनियाँ वैसी नहीं होतीं, फिर भी वो समाज सेवा तो करने आए नहीं हैं, इसलिए हाथ मिलाना है, पर नज़र नहीं झुकाना है."
ऋषि कहते हैं कि ये कंपनियाँ भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश को लेकर काफ़ी सतर्क होंगी क्योंकि यहाँ अगर कुछ भी आप कामयाबी से लॉन्च कर देते हैं जिससे कि आप उपभोक्ताओं तक पहुँच सकते हैं, उससे पैसे बना सकते हैं, तो इस मॉडल को कंपनियाँ बाकी ऐसे ही देशों में भी जाकर दोहरा सकती हैं.
तो गूगल को भारत पर 10अरब डॉलर का प्यार क्यों आया, इसका जवाब माधवन नारायणन के इस कथन से मिल सकता है- "भारत के पक्ष में जो बातें जाती हैं, उन सब बातों को अगर आप ध्यान में रखें तो गूगल जो 10 अरब डॉलर का निवेश करेगा, वो राशि आपको कम लगेगी, वो इतनी बड़ी इकोनॉमी के साथ रोमांस कर रहे हैं तो कुछ पैसा तो फूलों और चॉकलेट पर ख़र्च करेंगे ही."(bbc)
-श्रवण गर्ग
राहुल गांधी केवल सवाल पूछते हैं ! प्रधानमंत्री से, भाजपा से ; पर अपनी ही पार्टी के लोगों के द्वारा खड़े किए जाने वाले प्रश्नों के जवाब नहीं देते।राहुल न तो कांग्रेस के अब अध्यक्ष हैं और न ही संसद में कांग्रेस दल के नेता।वे इसके बावजूद भी सवाल पूछते रहते हैं और प्रधानमंत्री से उत्तर की माँग भी करते रहते हैं।कई बार तो वे पार्टी में ही अपने स्वयं के द्वारा खड़े किए जाने वाले सवालों के जवाब भी नहीं देते और उन्हें अधर में ही लटकता हुआ छोड़ देते हैं।मसलन, लोक सभा चुनावों में पार्टी के सफ़ाये के लिए उन्होंने नाम लेकर जिन प्रमुख नेताओं के पुत्र-मोह को दोष दिया था उनमें एक राजस्थान के और दूसरे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी थे। क्या हुआ उसके बाद ? अशोक गेहलोत भी बने रहे और कमलनाथ भी।जो पहले चले गए वे ज्योतिरादित्य सिंधिया थे और अब जो लगभग जा ही चुके हैं वे सचिन पायलट हैं।
इसे अतिरंजित प्रचार माना जा सकता है कि सचिन की समस्या केवल गेहलोत को ही लेकर है।उनकी समस्या शायद राहुल गांधी को लेकर ज़्यादा बड़ी है। राहुल का कम्फ़र्ट लेवल या तो अपनी टीम के उन युवा साथियों के साथ है जिनकी कि कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षाएँ नहीं हैं या फिर उन सीनियर नेताओं से है जो कहीं और नहीं जा सकते। क्या ऐसे भी किसी ड्रामे की कल्पना की जा सकती थी जिसमें सचिन की छह महीने से चल रही कथित ‘साज़िश’ से नाराज़ होकर गेहलोत घोषणा करते कि वे अपने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ रहे हैं ? वैसी स्थिति में क्या भाजपा गेहलोत को अपने साथ लेने को तैयार हो जाती ? हक़ीक़त यह है कि जिन विधायकों का इस समय गेहलोत को समर्थन प्राप्त है उनमें अधिकांश कांग्रेस पार्टी के साथ हैं और जो छोड़ कर जा रहे हैं वे सचिन के विधायक हैं।यही स्थिति मध्य प्रदेश में भी थी।जो छोड़कर भाजपा में गए उनकी गिनती आज भी सिंधिया खेमे के लोगों के रूप में होती है, ख़ालिस भाजपा कार्यकर्ताओं की तरह नहीं।
सवाल यह भी है कि कांग्रेस पार्टी को अगर ऐसे ही चलना है तो फिर राहुल गांधी किसकी ताक़त के बल पर नरेंद्र मोदी सरकार को चुनौती देना चाह रहे हैं ? वे अगर भाजपा पर देश में प्रजातंत्र को ख़त्म करने का आरोप लगाते हैं तो उन्हें इस बात का दोष भी अपने सिर पर ढोना पड़ेगा कि अब जिन गिने-चुने राज्यों में कांग्रेस की जो सरकारें बची हैं वे उन्हें भी हाथों से फिसलने दे रहे हैं।नए लोग आ नहीं रहे हैं और जो जा रहे हैं उनके लिए शोक की कोई बैठकें नहीं आयोजित हो रही हैं।असंतुष्ट नेताओं में सचिन और सिंधिया के साथ-साथ मिलिंद देवड़ा ,जितिन प्रसाद ,प्रियंका चतुर्वेदी और संजय झा की भी गिनती की जा सकती है।
गोवा तब कैसे हाथ से निकल गया उसकी चर्चा न करें तो भी देखते ही देखते मध्य प्रदेश चला गया, अब राजस्थान संकट में है ।महाराष्ट्र को फ़िलहाल कोरोना बचाए हुए है ।छत्तीसगढ़ सरकार को गिराने का काम ज़ोरों पर है।संकट राजस्थान का हो या मध्य प्रदेश का ,यह सब बाहर से पारदर्शी दिखने वाली पर अंदर से पूरी तरह साउंड-प्रूफ़ उस दीवार की उपज है जो गांधी परिवार और असंतुष्ट युवा नेताओं के बीच तैनात है।इस राजनीतिक भूकम्प-रोधी दीवार को भेदकर पार्टी का कोई बड़ा से बड़ा संकट और ऊँची से ऊँची आवाज़ भी पार नहीं कर पाती है।
पिछले साल लोक सभा के चुनाव परिणाम आने के बाद कश्मीर में पीडीपी की नेता महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट करते हुए ‘शुभकामना’ संदेश तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा था पर ‘कामना’ संदेश कांग्रेस के लिए था कि उसके पास भी एक ‘अमित शाह’ होना चाहिए।सवाल यह है कि गांधी परिवार या कांग्रेस में किसी अमित शाह को बर्दाश्त करने की गुंजाइश अभी बची है क्या? और राहुल गांधी इसलिए मोदी नहीं बन सकते हैं कि वे अपने अतीत और परिवार को लेकर सार्वजनिक रूप से उस तरह से गर्व करने में संकोच कर जाते हैं जिसे वर्तमान प्रधानमंत्री न सिर्फ़ सहजता से कर लेते हैं बल्कि उसे अपनी विजय का हथियार भी बना लेते हैं।
अर्नब गोस्वामी द्वारा पिछले लोक सभा चुनावों के समय अपने चैनल के लिए लिया गया वह चर्चित इंटरव्यू याद किया जा सकता है जिसमें राहुल गांधी ने कहा था :’ मैंने अपना परिवार नहीं चुना।मैंने नहीं कहा कि मुझे इसी परिवार में पैदा होना है।अब दो ही विकल्प हैं :या तो मैं सब कुछ छोड़कर हट जाऊँ या फिर कुछ बदलने की कोशिश करूँ।’ राहुल गांधी दोनों विकल्पों में से किसी एक पर भी काम नहीं कर पाए।
कई लोग सवाल कर रहे हैं कि एक ऐसे समय जबकि कांग्रेस पार्टी चारों तरफ़ से घोर संकट में है ,क्या सचिन पायलट इस तरह से विद्रोह करके उसे और कमज़ोर नहीं कर रहे हैं ? इसका जवाब निश्चित ही एक बड़ी ‘हाँ’ में ही होना चाहिए पर साथ में यह जोड़ते हुए कि इस नए धक्के के बाद अगर पार्टी नेतृत्व जाग जाता है तो उसे एक बड़ी उपलब्धि माना जाना चाहिए।हो सकता है इसके कारण वह भविष्य में हो सकने वाले दूसरे बहुत सारे नुक़सान से बच जाए।किसे पता सचिन यह विद्रोह वास्तव में कांग्रेस पार्टी को बचाने के लिए ही कर रहे हों !
कांग्रेस नेताओं ने घर पहुंचकर दी बधाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 14 जुलाई। सीबीएसई 12वीं बोर्ड परीक्षा में 99.6 प्रतिशत अंकों के साथ शहर के शिखर अग्रवाल ने पूरे छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक अंक प्राप्त किया है। उन्हें लगातार बधाईयां मिल रही हैं।
तिफरा निवासी किराना व्यवसायी पवन अग्रवाल और गृहणी सरिता अग्रवाल के पुत्र शिखर ने 500 में से 496 अंक हासिल किये हैं। गणित, भौतिकी और हिन्दी में उन्हें 100 में 100 अंक मिले। हालांकि सीबीएसई ने इस बार कोरोना संकट के चलते कई परीक्षाओं के रद्द होने और औसत अंक देने का हवाला देते हुए प्रावीण्य सूची घोषित नहीं की है। सेंट जेवियर्स स्कूल के छात्र शिखर ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, शिक्षक और कोचिंग के शिक्षकों को दिया है। वे आईआईटी करने की चाह रखते हैं।
शिखर की इस सफलता पर उसके घर में बधाई देने वालों का तांता लगा है। महापौर रामशरण यादव, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद नायक, महामंत्री देवेन्द्र सिंह बाटू, राजेन्द्र शुक्ला, अरविन्द शुक्ला आदि ने आज उनके निवास पर पहुंचकर शिखर को शुभकामनाएं दीं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
लखनपुर में भी एक स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 14 जुलाई। सरगुजा जिला के अंबिकापुर नगर में एक के बाद एक लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। आज अकेले अंबिकापुर नगर में एक दर्जन कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं जिनमें एक नगर निगम कर्मचारी वह एक पुलिसकर्मी भी शामिल है। इसके अलावा जिले के लखनपुर में 1 स्वास्थ्य कर्मी भी कोरोना से संक्रमित पाया गया है। सरगुजा में एक साथ संक्रमित मरीजों के मिलने से स्वास्थ अमला व नगरवासियों में दहशत है। स्वास्थ्य विभाग उक्त सभी लोगों को कोविड-19 अस्पताल अंबिकापुर में भर्ती कराने की कवायद में लगी हुई थी।
बताया जा रहा है कि अंबिकापुर नगर में मिले बौरीपारा का एक 50 वर्षीय व्यक्ति पूर्व में कोरोना संक्रमित नगर निगम कर्मी के संपर्क में आया था जिसके बाद इसकी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। वहीं रसूलपुर मोहल्ले में दो, मायापुर ठनगनपारा में एक, गंगापुर क्वॉरंटीन सेंटर में 4 व कन्या परिसर क्वॉरंटीन सेंटर में तीन और अस्पताल के आइसोलेशन में भर्ती मरीज संक्रमित पाया गया है। लखनपुर में 1 स्वास्थ्य कर्मी के पॉजिटिव आने के बाद क्षेत्र में हडक़ंप मचा हुआ है।
अंबिकापुर नगर की बात करें तो पिछले 8 दिनों के अंदर यहां 40 कोरोनावायरस मरीज मिले हैं, जिससे शहरवासी काफी दहशत में हैं। लोग इसे कम्युनिटी स्प्रेड बता रहे हैं तो वहीं विभाग अभी इस पर कुछ भी बोलने से बच रहा है। अंबिकापुर नगर निगम के दूसरे कर्मचारी के पॉजिटिव पाए जाने के बाद निगम कर्मियों में भी दहशत का माहौल है हालांकि निगम के महापौर डॉ. अजय तिर्की सहित 90 कर्मचारियों की जांच हुई है जिनमें 40 लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है, 60 लोगों का रिपोर्ट आना अभी बाकी है।
स्वस्थ होकर 4 लौटे घर
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं अस्पताल अधीक्षक डॉ. पीएस सिसोदिया ने बताया है कि अम्बिकापुर के मिशन चौंक निवासी 22 वर्षीय पुरूष, सत्तीपारा निवासी 19 वर्षीय पुरूष, सीतापुर रजपुरी निवासी 21 वर्षीय पुरूष तथा सूरजपुर गंगोती निवासी 24 वर्षीय महिला को सैंपल लेने के 15 दिन पश्चात लक्षण रहित होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया है।
नवापारा, महामाया रोड व कंपनी बाजार क्षेत्र कन्टेनमेंट जोन घोषित
कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी संजीव कुमार झा ने सरगुजा जिले के नगरपालिक निगम अम्बिकापुर के अंतर्गत आने वाले वार्ड क्रमांक 16 नवापारा, वार्ड क्रमांक 28 कम्पनी बाजार व वार्ड क्रमांक 38 महामाया रोड में 01-01 कोरोना पॉजिटिव केस की पुष्टि होने पर कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव की रोकथाम हेतु कन्टेनमेंट जोन घोषित किया गया है। कन्टेमेंट क्षेत्र में सभी दुकानों एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान आगामी आदेश तक पूर्णत: बंद रहेंगे। सभी प्रकार के वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित रहेगा। मेडिकल इमरजेंसी को छोडक़र अन्य किन्हीं भी कारणों से घर से बाहर निकलना प्रतिबंधित रहेगा। कन्टेनमेंट जोन की निगरानी हेतु लगातार पुलिस पेट्रोलिंग की जाएगी। जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा संबंधित क्षेत्र में स्वास्थ्य की निगरानी एवं निर्देशानुसार सैंपल इत्यादि जांच हेतु लिया जाएगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 जुलाई। राज्य में आज 105 नए कोरोना मरीज मिले हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी है कि आज कुल 105 नए कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पहचान की गई। इसमें बिलासपुर, सुकमा और नारायणपुर 18-18, सरगुजा 12, रायपुर 9, बलरामपुर 8, राजनांदगांव 7, कोंडागांव 3, रायगढ़, कोरबा और कांकेर 2-2, दुर्ग, गरियाबंद, सूरजपुर, जशपुर, बस्तर और दंतेवाड़ा 1-1 मरीज मिले हैं।
राज्य में एक्टिव मरीजों की संख्या 1084 है।
लंदन, 14 जुलाई( एजेंसी). दुनिया भर के अस्सी से भी ज्यादा करोड़पतियों ने विश्व की सरकारों से कहा है कि उन्हें कोरोना वायरस महामारी के झटके से उबरने की कोशिशों में मदद के लिए अमीरों से और ज्यादा कर वसूलना चाहिए. खुद को "मिलियनेयर्स फॉर ह्यूमैनिटी" कहने वाले इस समूह ने एक खुले पत्र में कहा है कि सरकारों को उनसे "तुरंत, पहले से काफी अधिक और स्थायी रूप से" मौजूद दर से ऊंची दर पर कर वसूलना चाहिए.
पत्र में लिखा है, "कोविड-19 के दुनिया पर असर की वजह से हमारी दुनिया को फिर बेहतर बनाने के लिए हम जैसे करोड़पतियों को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है. हम इंटेंसिव केयर वार्डों में भर्ती बीमार लोगों का ख्याल नहीं रख रहे हैं. हम बीमारों को अस्पतालों तक पहुंचाने वाली एम्बुलेंस नहीं चला रहे हैं. हम ग्रोसरी की दुकानों में फिर से सामान नहीं भर रहे हैं और ना ही हम घर-घर जा कर खाना पहुंचा रहे हैं. लेकिन हमारे पास पैसा जरूर है, और बहुत सारा है. वह पैसा जिसकी अभी बहुत जरूरत है और जिसकी आने वाले वर्षों में भी बहुत जरूरत रहेगी, तब जब दुनिया इस संकट से उबरने की कोशिश कर रही होगी".
यह पत्र जी20 देशों के वित्त-मंत्रियों की होने वाली बैठक से पहले छपा है. जैसे जैसे देश वैश्विक महामारी के आर्थिक असर से निपटने की तैयारी कर रहे हैं, कुछ देशों ने अभी से कर की दरों को बढ़ाने का प्रस्ताव दे दिया है. ब्रिटेन में इंस्टीट्यूट ऑफ फिस्कल स्टडीज ने कहा है कि कर की दरों का बढ़ना सिर्फ अमीरों के लिए ही नहीं, बल्कि सब के लिए निश्चित है.
इसी महीने, स्पेन के प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज ने संकेत दिए थे कि उनकी सरकार करों की दरों को बढ़ा सकती है. रूस में भी ऊंची कमाई वालों को निशाना बनाने की संभावना है. सऊदी अरब ने महामारी के असर और तेल के दामों में गिरावट को देखते हुए सेल्स टैक्स की दर बढ़ा दी है.
"मिलियनेयर्स फॉर ह्यूमैनिटी" समूह का पत्र कई समूहों के बीच सहयोग का नतीजा था. इनमें ऑक्सफैम, टैक्स जस्टिस यूके और ऊंची नेट-वर्थ वाले अमेरिकी समूह पेट्रियोटिक मिलियनेयर्स शामिल हैं.
2014 से भुखमरी में बढ़ोत्तरी, अब तक जारी
न्यू यॉर्क, 14 जुलाई (एजेंसी)। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि पिछले साल भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या एक करोड़ बढ़ गई थी और उसने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस महामारी इस साल करीब 13 करोड़ अतिरिक्त लोगों को भुखमरी की ओर धकेल सकती है। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण हालात और खराब हो रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि करीब नौ में से एक व्यक्ति को भूखा रहना पड़ रहा है।
इस रिपोर्ट को यूएन की पांच एजेंसियां- खाद्य और कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, विश्व खाद्य कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मिलकर तैयार किया है। रिपोर्ट कहती है कि बीते पांच सालों में भुखमरी और कुपोषण के अलग-अलग रूपों के शिकार लोगों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है और कोरोना वायरस महामारी के कारण समस्या और गंभीर रूप धारण कर सकती है। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि इस साल महामारी के कारण लगाई पाबंदियां और आर्थिक मंदी से आठ करोड़ से 13 करोड़ लोग भुखमरी का सामना कर सकते हैं। साथ ही रिपोर्ट के लेखकों ने पूर्वी अफ्रीका में ‘टिड्डी के प्रकोप’ का भी जिक्र किया है।
यूएन की ताजा रिपोर्ट कहती है कि साल 2019 में 69 करोड़ लोग भुखमरी का शिकार थे और 2018 की तुलना में इस संख्या में एक करोड़ लोगों की बढ़ोतरी हुई। छह साल में यह संख्या छह करोड़ बढ़ी है। दशकों तक लगातार गिरावट के बाद साल 2014 से भुखमरी के आंकड़ों में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी होनी शुरू हुई जो कि अब तक जारी है।
एशिया में सबसे बड़ी संख्या में लोग कुपोषित हैं जिनकी संख्या करीब 38 करोड़ है। इसके बाद लातिन अमेरिका और कैरिबयाई क्षेत्र का नंबर आता है। रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि भुखमरी से लड़ाई महामारी के पहले ही रुक गई थी। लेखकों के मुताबिक, “भोजन के उत्पादन, वितरण और खपत से जुड़ी गतिविधियों और प्रक्रियाओं की कमियां और निर्बलताएं और ज्यादा गहरी हो रही हैं।”
यूएन की एजेंसियों का कहना है कि करीब तीन अरब लोगों के पास सेहतमंद आहार सुनिश्चित करने के साधन नहीं है। रिपोर्ट कहती है कि इस दिशा में अधिक से अधिक कार्य करने की जरूरत है। उसके मुताबिक, “सभी लोगों की पहुंच ना केवल भोजन तक होनी चाहिए बल्कि पौष्टिक खाद्य पदार्थों तक भी होनी चाहिए जो एक स्वस्थ आहार बनाते हैं।”
रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि कोरोना वायरस महामारी के परिणामस्वरूप खाद्य वितरण प्रणाली बाधित हुई, आजीविका को नुकसान हुआ और विदेशों में काम करने वाले अपने घर पैसे भेज नहीं पाए जिस वजह से गरीब परिवारों को स्वस्थ आहार तक पहुंच बनाने में मुश्किल पैदा हुई।
नई दिल्ली, 14 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट ने कोयला खदानों की वाणिज्यिक नीलामी के फैसले के खिलाफ झारखंड सरकार द्वारा दायर याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.
झारखंड ने नीलामी में राज्य सरकारों को विश्वास में लेने की जरूरत बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है. केंद्र सरकार ने नीलामी का फैसला कर देश के कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया है.
लाइव लॉ के मुताबिक, मुख्य न्यायधीश एसए बोबडे, एन. सुभाष रेड्डी और एएस बोपन्ना की पीठ ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि वे इस मामले को सुनने के साथ ही कोयला खदानों की नीलामी पर रोक लगाने के मुद्दे को भी सुनने को इच्छुक हैं.
इस मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी. वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी झारखंड सरकार की ओर से पेश हुए थे. वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र का पक्ष रख रहे थे.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि केंद्र सरकार के इस कदम से सामाजिक, आर्थिक और पर्यावर्णीय असर होगा. खनन से जंगल और आदिवासी जनसंख्या प्रभावित होगी. भूमि और लोगों के अधिकारों जैसे कई मुद्दे हैं, जिन्हें हल करने की जरूरत है. हमने जल्दबाजी न करने का फैसला किया है.
उन्होंने कहा कि एक सर्वे होना चाहिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस कदम से राज्य के लोगों को फायदा होगा या नहीं. इसलिए हमें इससे लड़ने की जरूरत है.
याचिका में कहा गया है कि नीलामी से पहले ‘आदिवासी आबादी’ पर पड़ने वाले सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करने की जरूरत है. इसके अलावा राज्य के जंगलों एवं इससे आस-पास के निवासियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका निष्पक्ष मूल्यांकन किया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुई स्थिति के चलते वैश्विक स्तर पर निवेश के लिए एक नकारात्मक माहौल बना हुआ है, इसलिए वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी से प्राकृतिक संसाधनों के बदले में कोई लाभ मिलने की संभावना नहीं दिखाई देती है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि यह नीलामी प्रक्रिया कानूनी तौर पर सही नहीं होगी क्योंकि खनिज कानून (संशोधन) अधिनियम, 2020 इस साल मई महीने की 14 तारीख को समाप्त हो चुका है.
इसे लेकर झारखंड सरकार ने कहा था, ‘आज पूरी दुनिया लॉकडाउन से प्रभावित है. भारत सरकार कोयला खदानों की नीलामी में विदेशी निवेश की भी बात कर रही है जबकि विदेशों से आवागमन पूरी तरह बंद है. झारखंड की अपनी स्थानीय समस्याएं हैं. आज यहां के उद्योग धंधे बंद पड़े हैं. ऐसे में कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया राज्य को लाभ देने वाली प्रतीत नहीं होती है.’
इसके अलावा याचिका में केंद्र सरकार के फैसले के आधार पर सवाल उठाया गया है कि अगस्त 2010 में कोयला खनन में 100 फीसदी विदेशी निवेश की इजाजत देने के केंद्र के फैसले से लेकर 13 मार्च 2020 को खनिज कानून में संशोधन कर इसे अल्पकालिक कानून बनाने के फैसले के बीच क्या किया गया है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 18 जनू को 41 कोयला ब्लॉक के वाणिज्यिक खनन को लेकर नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत की. इस कदम के साथ देश के कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया गया है.
इस दौरान मोदी ने कहा था, ‘वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए निजी कंपनियों को अनुमति देना चौथे सबसे बड़े कोयला भंडार रखने वाले देश के संसाधनों को जकड़न से निकालना है.’
केंद्र सरकार का दावा है कि कोयला खदानों की वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी से देश में अगले पांच से सात साल में 33,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश की उम्मीद है.
केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य क्षेत्र के नौ सरपंचों ने नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर खनन नीलामी पर गहरी चिंता जाहिर की और कहा था कि यहां का समुदाय पूर्णतया जंगल पर आश्रित है, जिसके विनाश से यहां के लोगों का पूरा अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा.
ग्राम प्रधानों ने कहा था कि एक तरफ प्रधानमंत्री आत्मनिर्भरता की बात करते हैं, वहीं दूसरी तरफ खनन की इजाजत देकर आदिवासियों और वन में रहने वाले समुदायों की आजीविका, जीवनशैली और संस्कृति पर हमला किया जा रहा है.
वहीं कोयला क्षेत्र से जुड़े श्रमिक संगठन सरकार के इस फैसले का लगातार विरोध कर रहे हैं.
कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने के विरोध में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया में श्रमिक संगठन दो से चार जुलाई तक हड़ताल पर थे. इसके कारण कोल इंडिया का उत्पादन औसतन 56 फीसदी प्रभावित हुआ था.(thewire)
6 माह पहले निकला था घर से, वोटर आईडी कार्ड से शिनाख्त
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 14 जुलाई। नगर के रामानुजगंज चौक स्थित आईजी बंगले से लगे ऑफीसर्स क्लब के मुख्य गेट में ही एक कोटवार ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वोटर आईडी कार्ड के जरिए उसकी शिनाख्त हुई। बताया गया कि कुसमी क्षेत्र निवासी उक्त अधेड़ 6 माह पहले घर से निकला था। उसकी दिमागी हालत कुछ ठीक नहीं थी।
जानकारी के अनुसार रामानुजगंज चौक पर आईजी बंगला के बगल में ऑफिसर्स क्लब स्थित है। मंगलवार की दोपहर करीब 2 बजे एक व्यक्ति वहां पहुंचा और चप्पल उतारकर झोला नीचे रखा। इसके बाद ऑफिसर्स क्लब के गेट में गमछा बांधा और फंदा बनाकर फांसी लगा ली। यह नजारा वहां से गुजर रहे लोगों ने देखकर इसकी सूचना कोतवाली पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची और शव को फंदे से उतारा।
पुलिस ने उसके झोले की तलाशी ली तो उसका वोटर आईडी कार्ड मिला। इस आधार पर उसकी शिनाख्त बलरामपुर जिले के कुसमी थानांतर्गत ग्राम गजाधरपुर के उल्टापारा निवासी खोनो तिर्की पिता लेंडा तिर्की 54 वर्ष के रूप में हुई।
पुलिस ने गजाधरपुर के कोटवार को फोन के माध्यम से इसकी जानकारी ली तो उसने बताया कि मृतक 5-6 महीने से अपने घर से लापता था। पूरे लॉकडाउन वह गायब रहा। उसने बताया कि युवक की दिमागी हालत ठीक नहीं रहती थी।
जयपुर, 14 जुलाई । सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, दोनों पद से हटाए जाने के बाद उन्होंने अपने ट्विटर अकाऊंट से ये दोनों जानकारियां हटा दीं, कांग्रेस पार्टी की जानकारी हटा दी, और अपने आपको बस टोंक का विधायक लिखा है, और भूतपूर्व मंत्री लिखा है।
उनके ट्विटर अकाऊंट को देखें तो छत्तीसगढ़ के कई मंत्री उन्हें फॉलो कर रहे हैं, जिनमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, टी.एस. सिंहदेव, डॉ. प्रेमसाय सिंह, ताम्रध्वज साहू, जयसिंह अग्रवाल, मप्र के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित प्रियंका गांधी और राहुल गांधी भी हैं। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के बहुत से नेता उन्हें फॉलो करने वाले लोगों में से हंै। केन्द्र में प्रतिरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पी.एल. पुनिया जैसे बहुत से नेता उनको ट्विटर पर फॉलो करते थे, और अभी तक तो उनके फॉलोअर हैं ही। सचिन पायलट के 24 लाख से अधिक फॉलोअर हैं, और वे खुद कुल 101 लोगों को फॉलो करते हैं जिनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियंका गांधी, वरूण गांधी, अशोक गहलोत, अहमद पटेल, राम माधव, रणदीप सिंह सुरजेवाला, उमर अब्दुल्ला, नरेन्द्र मोदी, दिग्विजय सिंह, राहुल गांधी शामिल हैं।
(न्यूज़ 18 के अनुसार ) राजस्थान में चल रहे सियासी बवाल के बीच अब सचिन पायलट ने अपने ट्विटर प्रोफाइल में बड़ा बदलाव किया है। कांग्रेस पार्टी से बर्खास्त होने के बाद सचिन पायलट ने अपने ट्विटर अकाउंट के बायो से कांग्रेस हटा लिया है। पायलट ने अपने ट्विटर प्रोफाइल पर अब केवल टोंक विधायक मेंशन किया है। इसके साथ उन्होंने आईटी, दूरसंचार और कॉर्पोरेट मामलों के पूर्व मंत्री, भारत सरकार भी लिखा है। ट्विटर पर पहले सचिन पायलट ने पहले डिप्टी सीएम राजस्थान और राजस्थान कांग्रेस प्रेसिडेंट लिखा था। पार्टी आलाकमान की कार्रवाई के बाद अब उन्होंने अपने प्रोफाइल से कांग्रेस के साथ इन प्रोफाइल को भी निकाल दिया है।
कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद सचिन पायलट को मंत्री पद से हटा दिया गया था। इसके फौरन बाद सचिन पायलट ने अपने ट्वीट में लिखा, सत्य को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं। बैठक से पहले सचिन पायलट और उनके समर्थकों ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री मानने से इनकार कर दिया था। सूत्रों की मानें तो पायलट ने पार्टी नेतृत्व के सामने खुद को सीएम बनाने की शर्त रख दी थी।
मुंबई, 14 जुलाई । बॉलीवुड के माचो मैन संजय दत्त और सुनील शेट्टी डब्बे वालों की मदद के लिये आगे आये हैं।
कोरोना वायरस संकट काल में बॉलीवुड सेलेब्स ने जरुरतमंदों और गरीबों की हर संभव मदद की। संजय दत्त और सुनील शेट्टी ने भी लोगों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। उन्होंने मुंबई के डब्बा वालों को राशन किट उपलब्ध करवाने में अपनी ओर से सहायता दी है। मंत्री असलम शेख ने ट्वीट कर लिखा, मुंबई की जान डब्बा वाला को हमारी जरुरत है अभी। हमारे डब्बावाले भाईयों और उनके परिवार को ड्राई राशन किट पहुंचाने में संजय दत्त, सुनील शेट्टी, रेडियो सिटी इंडिया और मुझे ज्वॉइन करें।
असलम शेख के इस ट्वीट पर सुनील शेट्टी ने रिएक्ट किया है। उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए लिखा, आपको और भी ताकत..बहुत अच्छी पहल असलम भाई। सुनील शेट्टी ने कहा,यह पहल असलम भाई और संजू द्वारा शुरू की गई है। मुझे उनके साथ हाथ मिलाने में कोई आपत्ति नहीं थी। प्रेमा चा डब्बा के साथ जुडऩे से यह और भी खूबसूरत हो जाता है। हमारे पास अभी तीन महीने का प्लान है। हमारा टारगेट 5 हजार परिवारों तक मदद पहुंचाना है।(वार्ता)
नई दिल्ली, 14 जुलाई । उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने तेलंगाना के उस डॉक्टर के समर्पण भाव और कर्तव्यनिष्ठा की सराहना की है जिसने कोरोना वायरस से मारे गए व्यक्ति के पार्थिव शरीर को स्वयं श्मशान भूमि तक पहुंचाया है।
श्री नायडू ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा कि इस डॉक्टर की कर्तव्य परायणता से सबको प्रेरणा लेनी चाहिए। मृतक के पार्थिव शरीर को संक्रमण के भय से वाहन चालक ने ले जाने से मना कर दिया था।
श्री नायडू ने कहा, तेलंगाना के पेडापल्ली में जिला निगरानी अधिकारी डॉ पेंद्याला श्रीराम की सराहना करता हूं, जो कोरोना से मृत व्यक्ति के शव को स्वयं ट्रैक्टर चलाकर आदरपूर्वक अंतिम संस्कार के लिए लेकर गए, क्योंकि चालक ने कोरोना के भय से मना कर दिया था।
उपराष्ट्रपति ने डॉक्टर की सराहना करते हुए कहा, डॉ. श्रीराम की संवेदनशीलता, शेयर एंड केयर की भारत की सनातन परंपरा का अप्रतिम उदाहरण है। आशा करता हूं कि अन्य नागरिक भी आपसे प्रेरणा लेंगे। श्री नायडू ने अपने ट्वीट के साथ एक चित्र भी पोस्ट किया है जिसमें डाक्टर स्वयं एक ट्रैक्टर चलाकर ले जा रहे हैं।(वार्ता)
सीएम ने दिलाई शपथ, मंत्रियों के साथ संलग्न भी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 जुलाई। राज्य शासन ने 15 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया है। इन संसदीय सचिवों को मंगलवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शपथ दिलाई।
मुख्यमंत्री निवास में आयोजित शपथ ग्रहण कार्यक्रम में सरकार के मंत्रियों के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पीएल पुनिया और प्रभारी सचिव चंदन यादव भी मौजूद थे। जिन विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया है, उनमें द्वारिकाधीश यादव, विनोद चंद्राकर, चंद्रदेव राय, शकुंतला साहू, विकास उपाध्याय, अंबिका सिंहदेव, चिंतामणी महाराज, यूडी मिंज, पारसनाथ राजवाड़े, इंदरशाह मंडावी, कुंवर सिंह निषाद, गुरूदयाल बंजारे, डॉ. रश्मि आशीष सिंह, शिशुपाल सोरी और रेखचंद जैन हैं।
द्वारिकाधीश यादव को प्रेमसाय सिंह, विनोद चंद्राकर को स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, चंद्रदेव राय को वनमंत्री मोहम्मद अकबर, शकुंतला साहू को रविन्द्र चौबे, विकास उपाध्याय को गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, अंबिका सिंहदेव को पीएचई मंत्री रूद्रकुमार गुरू, चिंतामणी महाराज को पीडब्ल्यूडी मंत्री, यूडी मिंज को आबकारी मंत्री, पारसनाथ राजवाड़े को तकनीकी शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, इंदरशाह मंडावी को राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, कुंवर सिंह निषाद को खाद्यमंत्री अमरजीत भगत, गुरूदयाल बंजारे को स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, डॉ. रश्मि आशीष सिंह को महिला बाल विकास मंत्री अनिला भेडिय़ा, शिशुपाल सोरी को परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर और रेखचंद जैन को शिव डहरिया के साथ संबद्ध किया गया है।
कैबिनेट का फैसला
छत्तीसगढ़ संवाददाता
रायपुर, 14 जुलाई। दो वर्ष की सेवा पूरी कर चुके शिक्षाकर्मियों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन होगा। यह फैसला मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में लिया गया। बैठक में परिवहन व्यय सहित दो रूपये प्रति किलो में गोबर खरीदने के प्रस्ताव का भी अनुमोदन किया गया।
सीएम हाउस में हुई कैबिनेट की बैठक में दो वर्ष या उससे अधिक की सेवा पूरी कर चुके शेष बचे पंचायत और नगरीय निकाय संवर्ग के शिक्षकों के संविलियन के प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई। इन शिक्षकों का 1 नवंबर से स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियिन होगा। इससे 16 हजार 278 शिक्षकों को लाभ मिलेगा।
बैठक में गोधन न्याय योजना का अनुमोदन किया गया। यह योजना हरेली पर्व से शुरू होगी। प्रदेश में अब तक 53 सौ गौठान स्वीकृत किए जा चुके हैं। जिसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में 2408 और शहरी क्षेत्रों में 377 गौठान बन चुके हैं जहां से इस योजना की शुरूआत की जाएगी। प्रदेश में स्थापित गौठान में और पशु पालकों से गोबर क्रय कर वर्मी कम्पोस्ट और अन्य उत्पाद तैयार किया जाएगा। इससे पशु पालकों को आर्थिक लाभ भी होगा। कैबिनेट ने गोबर क्रय की दर 2 रुपये प्रति किलो परिवहन व्यय सहित करने का अनुमोदन किया गया।
बताया गया कि योजना उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट का सहकारी समितियों के जरिए प्राथमिकता के आधार पर किसानों को 8 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से
विक्रय करने के साथ ही साथ जैविक खाद को शामिल करने का अनुमोदन किया गया।
अविवाहित दिवंगत सरकारी सेवकों
के आश्रितों को भी अनुकंपा नियुक्ति
सामान्य प्रशासन विभाग ने अनुकंपा नियुक्ति के प्रावधानों में संशोधन किया है। यह फैसला लिया गया है कि यदि भाई-बहन अवयस्क हो तो, सरकार अविवाहित दिवंगत सरकारी सेवक के माता-पिता से अंतरिम आवेदन लेकर अवयस्क सदस्य के वयस्क होने पर उसे उसकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर तृतीय अथवा चतुर्थ श्रेणी के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 जुलाई। कोरोना मरीज बढऩे के साथ ही राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के 112 ब्लॉक रेड जोन में शामिल किए गए हैं। वहीं 32 ब्लॉक ऑरेंज जोन में रखे गए हैं। ग्रीन जोन में कोई ब्लॉक नहीं है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश के रेड, ऑरेंज जोन की सूची निम्नानुसार है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 14 जुलाई। बेरोजगारी में बांस की टोकनी बनाकर बेच रहे तमिलनाडु के एक अधिवक्ता की सराहना करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी.आर. रामचंद्र मेनन ने 10 हजार रुपये का चेक उपहारस्वरूप भेजा है।
तंजावूर, तमिलनाडु के अधिवक्ता के. उत्थमकुमारन् की कहानी ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित हुई थी। इसमें बताया गया था कि कोविड-19 के बाद लॉकडाउन होने के बाद अधिवक्ता ने अपने पारम्परिक व्यवसाय को अपनाने में कोई झिझक महसूस नहीं की और खर्च चलाने के लिये बांस की टोकनी बनाकर बेचना शुरू कर दिया।
अधिवक्ता उत्थमकुमारन् को पत्र में चीफ जस्टिस मेनन ने लिखा कि वे इस राशि को वह अनुदान, सहयोग या सहानुभूति के रूप में न लें बल्कि उपहार समझें। इसे श्रम के प्रति सम्मान की सराहना समझें। आपका यह कदम वकीलों की बिरादरी को सकारात्मक रहने के लिये प्रेरणा देता है और बताता है कि हर सूर्यास्त के बाद सूर्योदय ही होता है।
ज्ञात हो कि इस समय छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में आर्थिक संकट से घिरे अधिवक्ताओं की कुछ याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। अधिवक्ता संदीप दुबे, अधिवक्ता आनंद मोहन तिवारी, राजेश केशरवानी आदि के मामलों की सुनवाई करते हुए उन्होंने इस घटना का जिक्र अपने आदेश में 18 जून को किया था।
बीजिंग/जिनेवा/नई दिल्ली, 14 जुलाई (वार्ता)। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर दिनों दिन तेजी से पांव पसारते जा रहा है और दुनियाभर में इससे संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 1.31 करोड़ के पार पहुंच गई है, जबकि मृतकों की संख्या पांच लाख 73 हजार से ऊपर हो गई है।
कोविड-19 के संक्रमितों के मामले में अमेरिका दुनिया भर में पहले, ब्राजील दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर बरकरार है। वहीं इस महामारी से हुई मौतों के आंकड़ों के मामले में अमेरिका पहले, ब्राजील दूसरे और ब्रिटेन तीसरे स्थान पर है जबकि भारत मृतकों की संख्या के मामले में आठवें स्थान पर है।
अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केन्द्र (सीएसएसई) की ओर से जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार विश्व भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,31,03,290 हो गयी है जबकि अब तक इस महामारी के कारण 5,73,042 लोगों ने जान गंवाई है।
विश्व की महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में कोरोना से अब तक 33,63,056 लोग संक्रमित हो चुके हैं तथा 1,35,605 लोगों की मौत हो चुकी है। ब्राजील में अब तक 18,84,967 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि 72,833 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 28,498 नये मामले सामने आये हैं जिससे संक्रमितों की संख्या 9,06,752 हो गयी है। पिछले 24 घंटों के दौरान 553 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या 23,727 हो गई है। संक्रमण के तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच राहत की बात यह है कि इससे स्वस्थ होने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। पिछले 24 घंटों के दौरान 17,989 रोगी स्वस्थ हुए हैं, जिन्हें मिलाकर अब तक कुल 5,71,460 रोगमुक्त हो चुके हैं। देश में अभी कोरोना संक्रमण के 3,11,565 सक्रिय मामले हैं।
रूस कोविड-19 के मामलों में चौथे नंबर पर है और यहां इसके संक्रमण से अब तक 7,32,547 लोग प्रभावित हुए हैं तथा 11,422 लोगों ने जान गंवाई है। पेरू में लगातार हालात खराब होते जा रहे है वह इस सूची में पांचवें नम्बर पर पहुंच गया है। यहां संक्रमितों की संख्या 3,30,123 हो गई तथा 12,054 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमण के मामले में चिली विश्व में छठे स्थान पर आ गया हैं। यहां अब तक कोरोना वायरस से 3,17,657 लोग संक्रमित हुए हैं और मृतकों की संख्या 7024 है।
कोरोना संक्रमण के मामले में मेक्सिको ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है। यहां पर इससे अब तक 3,04,435 लोगों संक्रमित हुए हैं तथा 35,491 लोगों की मौत हुई है। ब्रिटेन संक्रमण के मामले में आठवें नंबर पर आ गया है। यहां अब तक इस महामारी से 2,91,691 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 44,915 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। दक्षिण अफ्रीका कोरोना से प्रभावित होने के मामले में स्पेन और ईरान से आगे निकल गये हैं। वहीं खाड़ी देश ईरान ने यूरोपीय देश स्पेन को कोविड-19 से संक्रमित होने के मामले में पीछे छोड़ दिया है। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना से अब तक 2,87,796 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 4172 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं ईरान में संक्रमितों की संख्या 2,59,652 हो गई है और 13,032 लोगों की इसके कारण मौत हुई है। वहीं स्पेन में कोरोना संक्रमितों की संख्या 255,953 है जबकि 28,406 लोगों की मौत हो चुकी है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में कोरोना से अब तक 2,53,604 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 5,320 लोगों की मौत हो चुकी है।
यूरोपीय देश इटली में इस जानलेवा विषाणु से 2,43,230 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 34,967 लोगों की मौत हुई है। सऊदी अरब में कोरोना संक्रमण से अब तक 2,35,111 लोग प्रभावित हुए हैं तथा 2243 लोगों की मौत हो चुकी है। तुर्की में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,14,001 हो गयी है और 5382 लोगों की मौत हो चुकी है। फ्रांस में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,09,640 हैं और 30,032 लोगों की मौत हो चुकी है। जर्मनी में 2,00,180 लोग संक्रमित हुए हैं और 9074 लोगों की मौत हुई है।
बंगलादेश में 1,86,894 लोग कोरोना की चपेट में आए हैं जबकि 2391 लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस से बेल्जियम में 9782, कनाडा में 8836, नीदरलैंड में 6156, स्वीडन में 5536, इक्वाडोर में 5063, मिस्र में 3935, इंडोनेशिया में 3656, इराक में 3250, स्विट्जरलैंड में 1968, रोमानिया में 1901, अर्जेंटीना में 1903, बोलीविया में 1866, आयरलैंड में 1746 और पुर्तगाल में 1662 लोगों की मौत हो चुकी है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 जुलाई। रायपुर जिले में आज दोपहर 9 नए कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इसमें एम्स, निमोरा क्वारंटीन सेंटर व दलदल सिवनी से 2-2 एवं कुकुरबेड़ा आमानाका, श्रीनगर गुढिय़ारी व बैरनबाजार से 1-1 मरीज शामिल हैं। जिला स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इन सभी मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करने की तैयारी चल रही है। दूसरी तरफ उनके संपर्क में आने वालों की जांच-पहचान की जा रही है।
मौतें-19, एक्टिव-1044, डिस्चार्ज-3202
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 जुलाई। प्रदेश में कोरोना मरीज साढ़े 42 सौ पार हो चुके हैं। बीती रात एक साथ मिले 184 नए पॉजिटिव के साथ इनकी संख्या बढक़र 42 सौ 65 हो गई है। इसमें 19 की मौत हो चुकी है। एक हजार 44 एक्टिव हैं, जिनका अलग-अलग अस्पतालों में इलाज जारी है। 32 सौ 2 डिस्चार्ज होकर अपने घर लौट गए हैं।
प्रदेश में कोरोना मरीजों के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं। खासकर रायपुर जिले में मरीजों की संख्या तेजी के साथ बढ़ती जा रही है। इसके अलावा दुर्ग, नांदगांव, बलौदाबाजार, बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर-चांपा में भी कोरोना मरीज बढ़ते जा रहे हैं। सरकार ने ऐसे में लॉकडाउन की वापसी करते हुए शाम 7 बजे के बाद दुकानें बंद करने का निर्णय लिया है, ताकि संक्रमण कम हो सके।
जारी बुलेटिन के मुताबिक प्रदेश में बीती रात 184 नए कोरोना पॉजिटिव की पहचान की गई। इसमें अकेले रायपुर जिले से 87, राजनांदगांव से 26, दुर्ग से 25, मुंगेली से 9, गरियाबंद से 8, धमतरी से 7, बेमेतरा व कबीरधाम से 4-4, बिलासपुर से 3, बलौदाबाजार से 2, बालोद, महासमुंद, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, सरगुजा, कोरिया, जशपुर, नारायणपुर व गौरेला-पेंड्रा-मरवाही से 1-1 शामिल हैं।
स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि बीती रात मिले सभी मरीज आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे हैं। वहीं उनके आसपास या संपर्क में आने वालों की पहचान की जा रही है। दूसरी तरफ जांच का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। ऐसे में और कई जगहों से नए पॉजिटिव सामने आ सकते हैं। सैंपलों की जांच जारी है।