राष्ट्रीय
तिरुवनंतपुरम, 8 सितंबर । पुथुपल्ली उपचुनाव में वोटों की गिनती चौथे दौर में पहुंच गई है। शुरुआती रुझान से पता चलता है कि कांग्रेस उम्मीदवार चांडी ओम्मन 15 हजार वोटों की बढ़त के साथ भारी जीत की ओर बढ़ रहे हैं।
ताजा रुझानों से चांडी की जीत का संकेत मिलने के साथ, ओमन चांडी के विशाल कट-आउट सड़कों पर लगने शुरू हो गए हैं।
अभी लगभग 80 हजार से अधिक वोटों की गिनती बाकी है।
वरिष्ठ कांग्रेस विधायक रमेश चेन्निथला ने भविष्यवाणी की कि चांडी ओमन करीब 50 हजाार वोटों के अंतर से जीतेंगे।
दिवंगत ओमन चांडी का परिवार पुथुपल्ली स्थित अपने घर में टीवी सेट से चिपका हुआ है और उनके सबसे बड़े पोते ओमन चांडी के साथ उनकी तस्वीर लिए हुए हैं और वोटों की गिनती देख रहे हैं।
कांग्रेस के समर्थकों ने पहले से ही अपनी जीत का जश्न शुरू कर दिया है, और अनुभवी सीपीआई (एम) केंद्रीय समिति के सदस्य और पूर्व राज्य मंत्री ए.के. बालन की एक मजेदार टिप्पणी आई है। उन्होंने कहा कि अगर उनका उम्मीदवार जीतता है तो यह दुनिया का एक नया आश्चर्य होगा।
5 सितंबर को हुई वोटिंग में 72.86 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।
मैदान में कांग्रेस के लिए चांडी के बेटे चांडी ओमन, तीसरी बार चुनाव लड़ रहे सीपीआई (एम) के जैक सी. थॉमस, भाजपा के लिजिन लाल और चार अन्य हैं (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 8 सितंबर । माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी एआई कोपायलट सर्विस के कस्टमर्स से कहा है कि अगर उन्हें कॉपीराइट के आधार पर चुनौती दी जाती है, तो कंपनी इसमें शामिल संभावित कानूनी जोखिमों की जिम्मेदारी लेगी।
अपनी नई कोपायलट कॉपीराइट प्रतिबद्धता की घोषणा करते हुए, टेक जायंट ने कहा कि यदि कोई थर्ड पार्टी माइक्रोसॉफ्ट के कोपायलट या उनके द्वारा उत्पन्न आउटपुट का इस्तेमाल करने के लिए कॉपीराइट उल्लंघन के लिए एक कमर्शियल कस्टमर पर मुकदमा करता है, तो हम कस्टमर का बचाव करेंगे और मुकदमे के चलते होने वाले किसी भी प्रतिकूल निर्णय या निपटान की राशि का भुगतान तब तक करेंगे जब तक वह हमारे प्रोडक्ट्स में निर्मित रेलिंग और कंटेंट फिल्टर का उपयोग करते है।
माइक्रोसॉफ्ट के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ ने कहा कि कुछ कस्टमर्स जेनरेटिव एआई द्वारा उत्पादित आउटपुट का उपयोग करने पर आईपी उल्लंघन के दावों के जोखिम के बारे में चिंतित हैं।
स्मिथ ने गुरुवार देर रात एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, "यह समझ में आता है, लेखकों और कलाकारों द्वारा हाल ही में की गई सार्वजनिक पूछताछ से पता चलता है कि एआई मॉडल और सर्विस के संयोजन में उनके स्वयं के काम का उपयोग कैसे किया जा रहा है।"
उन्होंने कहा, "नई प्रतिबद्धता हमारे मौजूदा इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी इंडेमनिटी सपोर्ट को कमर्शियल कोपायलट सर्विस तक बढ़ाती है और हमारी पिछली एआई कस्टमर प्रतिबद्धताओं पर आधारित है।"
कंपनी ने कहा कि उसने लेखकों के कॉपीराइट का सम्मान करने में मदद के लिए अपने एआई कोपायलट में महत्वपूर्ण रेलिंग का निर्माण किया है।
सीवीपी और मुख्य कानूनी अधिकारी होसैन नोबार ने कहा, "हमने फिल्टर और अन्य टेक्नोलॉजी को शामिल किया है जो कोपायलट द्वारा इंफ्रिंज कंटेंट लौटाने की संभावना को कम करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।"
कोपायलट कॉपीराइट प्रतिबद्धता माइक्रोसॉफ्ट की मौजूदा आईपी इंडिमनिफिकेशन का विस्तार करती है, जिसमें उनके द्वारा उत्पन्न आउटपुट भी शामिल है, विशेष रूप से माइक्रोसॉफ्ट कमर्शियल कोपायलट सर्विस और बिंग चैट एंटरप्राइज के भुगतान किए गए वर्जन के लिए।
इसमें माइक्रोसॉफ्ट 365 कोपायलट शामिल है जो वर्ड, एक्सल, पावर प्वाइंट और अन्य में जेनरेटिव एआई लाता है।
स्मिथ ने कहा, ''आज की घोषणा पहला कदम है। सभी नई प्रौद्योगिकियों की तरह एआई कानूनी प्रश्न उठाता है, जिन पर हमारे उद्योग को हितधारकों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ काम करने की आवश्यकता होगी।'' (आईएएनएस)।
बागेश्वर,8सितंबर । बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव में जारी मतगणना में पहले चरण में कांग्रेस को बढ़त मिली है।
कांग्रेस के बसंत कुमार 754 वोटों से आगे हैं। बीजेपी की पार्वती दास को 2191 कांग्रेस के बसंत कुमार को 2945, यूकेडी के अर्जुन देव को 52, एसपी के भगवत प्रसाद को 27, यूपीपी के भागवत कोहली को 10 वाेेट मिला है। पहले चरण में कांग्रेस बीजेपी से 754 वोट से आगे। (आईएएनएस)।
बागेश्वर, 8 सितंबर । पांच सितंबर को बागेश्वर उप चुनाव के लिए हुए मतदान की गणना शुरू हो गई है। मैदान में उतरे पांच प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला आज होगा। पहला रुझान में नगर क्षेत्र में कांग्रेस 700 वोट से आगे है।
पोस्टल बैलेट की गिनती में बीजेपी आगे रही। पोस्टल बैलेट और ईटीपीबीएस (मतदान कार्मिक मतदान) के लिए 9-9 टेबल लगाई गई हैं। मतगणना स्थल पर 18 मतगणना सुपरवाइजर, 19 मतगणना सहायक, 23 माइक्रो ऑब्जर्वर तैनात हैं।
पोस्टल बैलेट की मतगणना के लिए 47, ईटीबीपीएस गणना के लिए 23 कार्मिकों की ड्यूटी लगाई गई है। सामान्य प्रेक्षक राजेश कुमार की मौजूदगी में बृहस्पतिवार को मतगणना कार्मिकों और ऑब्जर्वर का दूसरा रेंडमाइजेशन किया गया। (आईएएनएस)।
गाजियाबाद, 8 सितंबर । गाजियाबाद में एक युवक को चोर समझकर कुछ लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला। पुलिस ने परिजनों के आरोप पर तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।
ये मामला थाना टीला मोड़ इलाके में बनी चौकी तुलसी निकेतन का है। चौकी के पास के बने गेट पर बीती रात करीब 8 बजे के आसपास एक शव पड़ा हुआ था। लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंचे पुलिस ने जब छानबीन की तो पता चला 23 से 24 साल के अनिल नाम के युवक का यह शव है।
युवक के परिजनों ने पुलिस से शिकायत की है कि कुछ युवकों ने चोरी के शक में इसे इतना बुरी तरीके से पीटा कि इसकी मौत हो गई। पुलिस ने परिजनों की तहरीर पर तीन लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश की जा रही है।
इस मामले को लेकर एसीपी शालीमार गार्डन ने बताया है की 7 सितंबर को पुलिस को थाना टीला मोड क्षेत्रान्तर्गत अनिल पुत्र पप्पू का शव पड़े होने की सूचना प्राप्त हुई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे मे लेकर पोस्टमाॅर्टम के लिए भिजवाया। मृतक के परिवारजनों का आरोप है कि चोरी के शक मे अनिल को पीटा गया है। इससे उसकी मृत्यु हुई है। परिजनों की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया।
इस मामले में पुलिस ने तीन मुख्य आरोपियों नौशाद, अखलाक और शुभान को गिरफ्तार कर लिया है और अन्य लोगों की गिरफ्तार का प्रयास किया जा रहा है। (आईएएनएस)।
वाराणसी, 8 सितंबर । काशी में कॉरिडोर बनने के बाद विश्वनाथ धाम में दान के सारे रिकॉर्ड टूट गए। पिछली बार की अपेक्षा श्रद्धालुओं ने पांच गुना ज्यादा चढ़ावा चढ़ाया है।
सावन में 1.63 करोड़ 17 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा दरबार में हाजिरी लगाई और 16.89 करोड़ रुपये दान दिया है। धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा के अनुसार 2023 के सावन में 16.89 करोड़ रुपये का चढ़ावा आया है। जबकि 2022 के सावन में यह 3 करोड़ 40 लाख 71 हजार 065 था। सावन में 1.63 करोड़ 17 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए हैं।
धाम निर्माण के बाद प्रांगण में मूलभूत सुविधाओं समेत बाबा के दर्शन में सुगमता के कारण यह बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष अधिकमास होने के कारण सावन करीब दो महीने का था।
सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि मंदिर न्यास श्रद्धालुओं की सुविधाओं में लगातार बेहतरी का प्रयास कर रहा है। दर्शनार्थियों एवं पर्यटकों की बेहतर व्यवस्था व सुगम दर्शन व्यवस्था में 50 कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा दो सौ सफाईकर्मी एवं दर्शनार्थियों को बेहतर सुरक्षा एवं सुविधा के लिए 100 कर्मियों को लगाया गया है। धाम में लॉकर व हेल्पडेस्क भी स्थापित हैं।
विश्वनाथ धाम का नव्य-भव्य स्वरूप में आना ऐतिहासिक घटना रही, तो लोकार्पण के बाद का दो साल भी कई मायने में ऐतिहासिक रहा। इसमें सबसे खास रहा श्रद्धालुओं की संख्या का लगभग 20 गुना हो गई। श्री काशी विश्वनाथ धाम पहले 3000 स्क्वाॅयर फीट में था। अब दायरा पांच लाख स्क्वायर फीट का हो गया है। मूलभूत सुविधाएं भी बढ़ी हैं। इससे बाबा के दर्शन में सुगमता आई है। (आईएएनएस)।
जी20 के सदस्यों से अपील की गई है कि वो दूसरे देशों में माता-पिता से दूर सरकारी कस्टडी में पल रहे भारतीय बच्चों की समस्या का हल निकालें. भारत के नौ पूर्व जजों ने जी20 के सभी भागीदारों को एक चिट्ठी लिखी है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों के इन पूर्व जजों ने इस चिट्ठी में कई देशों में इस अजीब समस्या में फंसे भारतीय परिवारों की व्यथा का मुद्दा उठाया है. उन्होंने लिखा है कि पश्चिमी यूरोप, ब्रिटेन, उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में कई भारतीय परिवार इस समस्या का सामना कर रहे हैं.
चिट्ठी में लिखा गया है कि हाल के सालों में भारतीय नागरिक रोजगार के सिलसिले में बड़ी संख्या में इन देशों में गए हैं. इनमें से अधिकांश लोगों के परिवारों में छोटे बच्चे होते हैं. सभी लोगों के पास भारतीय पासपोर्ट होते हैं और इन्हें कुछ सालों बाद भारत लौटना होता है.
अपनों और अपनी संस्कृति से दूर
लेकिन हर साल किसी ना किसी देश में ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें इन देशों के बाल सुरक्षा अधिकारियों ने "दुर्व्यवहार, लापरवाही या अहित के खतरे के आधार पर" बच्चों को उनके माता पिता से दूर कर दिया और सरकारी कस्टडी में रख दिया.
इन देशों में ऐसे बच्चों को रिश्तेदारों द्वारा देखभाल का अधिकार तो होता है, लेकिन विदेशी मूल के बच्चों को यह विकल्प नहीं मिल पाता क्योंकि वहां उनका कोई रिश्तेदार होता ही नहीं है. पूर्व जजों ने लिखा है कि ऐसे मामलों में सांस्कृतिक अंतर को समझने की जरूरत है.
उन्होंने लिखा है कि परिवार से दूर कर दिए जाने से ऐसे बच्चे अलग-थलग हो जाते हैं और अपनी पहचान खोने लगते हैं. चिट्ठी में सुझाव दिया गया है कि एक विदेशी सरकार की कस्टडी में उनका बचपन बिताने की जगह ऐसे मामलों में बच्चों को उनके अपने देश में एक सुरक्षित व्यवस्था में रख दिया जाना बेहतर है.
पूर्व जजों ने जी20 भागीदारों को बताया है कि भारत में बच्चों की सुरक्षा की एक मजबूत व्यवस्था है जिसमें जिला स्तर पर बाल कल्याण समितियों का पूरे देश में फैला एक नेटवर्क है. चिट्ठी में अंतरराष्ट्रीय कानून का हवाला दे कर कहा गया है कि कानून के तहत "माता-पिता से दूर कर दिए भारतीय बच्चों के लिए भारत सरकार जिम्मेदार है."
इसके अलावा सिविल और राजनीतिक अधिकारोंकी अंतरराष्ट्रीय संधि के अनुच्छेद 12(4) के तहत किसी को भी मनमानी ढंग से उसके अपने देश वापस लौटने से रोका नहीं जा सकता है. ऐसा एक मामला जर्मनी में भी चल रहा है जिसका जिक्र इस चिट्ठी में किया गया है.
जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया के मामले
जर्मनी में बाल कल्याण अधिकारियों ने भारतीय मूल की डेढ़ साल की बच्ची अरीहा शाह के माता-पिता पर बच्ची के साथ क्रूरता का आरोप लगाया है और पिछले करीब डेढ़ साल से उसे उसके माता पिता की जगह अपने पास रखा हुआ है.
अरीहा के परिवार के सदस्यों ने इसके विरोध में कई दिनों तक दिल्ली में जर्मनी के दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया. भारत सरकार ने जर्मन सरकार ने इस मामले पर बात भी की है. दिसंबर 2022 में जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक की भारत यात्रा के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस विषय पर उनसे बातकी थी.
जयशंकर ने तब कहा था, "हमें इस बात की चिंता है कि बच्ची को अपनी भाषाई, धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण में होना चाहिए और भारत सरकार इस मुद्दे पर काम कर रही है."
बेरबॉक ने कहा कि वो खुद दो बच्चियों की मां हैं और स्थिति को समझती हैं, लेकिन मामला इस समय जर्मनी की एक अदालत में है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि अरीहा बिल्कुल सुरक्षित है और उसकी अच्छे से देखभाल की जा रही है.
पूर्व जजों की चिट्ठी में ऑस्ट्रेलिया के एक दर्दनाक मामले का भी जिक्र किया गया है, जिसमें वहां रह रही भारतीय मूल की एक 40 साल की महिला प्रियदर्शिनी पाटिल ने आत्महत्या कर ली थी. ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने उन्हें उनके बच्चों से अलग कर दिया था, जिसे लेकर वो दुखी थीं.
ऑस्ट्रेलिया में ऐसा ही एक और मामला सामने आया है. एक महिला के एक हादसे के बाद अस्पताल में भर्ती हो जाने पर अधिकारियों ने उसकी बच्ची को महिला से अलग रह रहे उसके पति को सौंपने की जगह फॉस्टर मां-बाप को सौंप दिया. (dw.com)
ठाणे, 7 सितंबर महाराष्ट्र के ठाणे शहर में बृहस्पतिवार को 160 किलोग्राम वजन की एक बीमार महिला अपने बिस्तर से नीचे गिर गई, जिसे उठाने के लिए परिवार के सदस्यों ने अग्निशमन विभाग की मदद मांगी। नगर निकाय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि खराब स्वास्थ्य की वजह से चलने-फिरने में दिक्कत से जूझ रही 62 वर्षीय महिला वाघबिल इलाके में अपने फ्लैट में सुबह करीब आठ बजे दुर्घटनावश बिस्तर से गिर गई।
ठाणे नगर निगम के अधिकारी ने कहा कि परिवार के सदस्य महिला को वापस बिस्तर पर लिटाने में नाकाम रहे।
निगम के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के प्रमुख यासीन तड़वी ने बताया कि परिवार के सदस्यों ने मदद के लिए अग्निशमन अधिकारियों से संपर्क किया।
उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ (आरडीएमसी) का एक दल तुरंत फ्लैट पर पहुंचा, जिन्होंने महिला को उठाया और वापस बिस्तर पर लिटाया। अधिकारी ने कहा कि महिला को गिरने से किसी प्रकार की चोट नहीं आई है।
अधिकारी ने कहा कि आरडीएमसी कई तरह की आपात स्थितियों से निपटता है लेकिन यह एक असामान्य स्थिति थी। (भाषा)
नयी दिल्ली, 7 सितंबर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा है कि वर्ष 2018 में सरकार में बैठे कुछ लोगों ने चुनाव से पहले ‘लोकलुभावन’ खर्चों के लिए केंद्रीय बैंक से दो-तीन लाख करोड़ रुपये हासिल करने के लिए उसपर ‘धावा’ बोलने की कोशिश की थी जिसका पुरजोर विरोध हुआ था।
आचार्य ने अपनी किताब में लिखा है कि 2019 के आम चुनावों से पहले सरकार अपने लोकलुभावन खर्चों की भरपाई के लिए आरबीआई से यह बड़ी रकम निकालने की कोशिश में थी। लेकिन आरबीआई इसके पक्ष में नहीं था जिसकी वजह से सरकार के साथ उसके मतभेद बढ़ गए थे।
उस समय सरकार ने आरबीआई को निर्देश देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अधिनियम की धारा सात का इस्तेमाल करने की भी चेतावनी दी थी।
आरबीआई के तत्कालीन डिप्टी गवर्नर आचार्य ने यह मामला सबसे पहले 26 अक्टूबर, 2018 को एक व्याख्यान में उठाया था। अब यह प्रकरण उनकी किताब ‘क्वेस्ट फॉर रिस्टोरिंग फाइनेंशियल स्टेबिलिटी इन इंडिया’ की नयी प्रस्तावना में भी प्रमुखता से उजागर हुआ है। इसमें सरकार की कोशिश को ‘केंद्र द्वारा राजकोषीय घाटे का पिछले दरवाजे से मौद्रीकरण’ बताया गया है।
आचार्य ने वर्ष 2020 में पहली बार प्रकाशित अपनी किताब के नए संस्करण की प्रस्तावना में कहा, ‘नौकरशाही और सरकार में बैठे रचनात्मक मस्तिष्क’ वाले कुछ लोगों ने पिछली सरकारों के कार्यकाल में आरबीआई के पास जमा हुई बड़ी रकम को वर्तमान सरकार के खाते में स्थानांतरित करने की एक योजना तैयार की थी।’
दरअसल, आरबीआई हर साल अपना लाभ सरकार को पूरी तरह देने के बजाय उसका एक हिस्सा अलग रख देता है। यही हिस्सा कई वर्षों में एक बड़ी राशि में तब्दील हो चुका था।
आचार्य ने कहा कि 2016 की नोटबंदी से पहले के तीन वर्षों में केंद्रीय बैंक ने सरकार को रिकॉर्ड लाभ अंतरण किया था। लेकिन नोटबंदी के साल में नोटों की छपाई पर खर्च बढ़ने से केंद्र को अधिशेष हस्तांतरण कम हो गया था। ऐसी स्थिति में सरकार ने 2019 के चुनावों से पहले अपनी मांगों को बढ़ा दिया था।
आचार्य ने कहा कि आरबीआई से अधिक लाभांश निकालने की कोशिश एक तरह से राजकोषीय घाटे का ‘पिछले दरवाजे से मौद्रीकरण’ था। असल में अपने विनिवेश लक्ष्य से चूकने के बाद सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ गया था।
उन्होंने सरकार की मंशा पर तंज कसते हुए कहा, ‘जब केंद्रीय बैंक के बही-खाते पर धावा बोला जा सकता है और बढ़ते राजकोषीय घाटे को मौद्रीकृत किया जा सकता है तो फिर चुनावी वर्ष में लोकलुभावन खर्चों में कटौती क्यों की जाए?’
आचार्य ने मौद्रिक नीति, वित्तीय बाजार, वित्तीय स्थिरता और अनुसंधान के प्रभारी डिप्टी गवर्नर के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही जून, 2019 में पद छोड़ दिया था।
उन्होंने आरबीआई को सरकार की तरफ से निर्देश देने के लिए पहले कभी भी उपयोग में नहीं लाई गई आरबीआई अधिनियम की धारा सात को उल्लिखित किए जाने के विवाद का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि पूर्व गवर्नर बिमल जालान के मातहत बनी समिति की अनुशंसा के बाद सरकार ने इस ‘विचार’ के अधिकांश असली योजनाकारों को दरकिनार कर दिया।’ (भाषा)
चेन्नई, 7 सितंबर कथित सनातन धर्म विरोधी टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीखे हमले के बाद द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमलावर हुए और भाजपा नेताओं पर पिछले सप्ताह यहां आयोजित लेखकों के सम्मेलन में इस मुद्दे पर उनके बयानों को ‘‘तोड़ मरोड़कर पेश’’ करने का आरोप लगाया।
द्रमुक की युवा शाखा के प्रमुख उदयनिधि राज्य के युवा कल्याण एवं खेल विभाग के मंत्री हैं। उन्होंने इस संबंध में हर तरह के मामलों का कानूनी रूप से सामना करने का संकल्प जताया।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी तीखा हमला करते हुए कहा कि वह मणिपुर हिंसा को लेकर उठते सवालों का सामना करने से डरकर ‘‘दुनिया भर में घूम रहे हैं’’। उनकी इस टिप्पणी से एक दिन पहले प्रधानमंत्री ने नयी दिल्ली में अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ तमिलनाडु के नेता की कथित सनातन धर्म विरोधी टिप्पणियों को लेकर विवाद पर चर्चा की थी।
मोदी ने कहा था कि ऐसी बयानबाजी करने वाले दलों और नेताओं को बेनकाब किया जाना चाहिए और सच्चाई लोगों के सामने लानी चाहिए।
उदयनिधि स्टालिन ने कहा, ‘‘पिछले नौ वर्षों से आपके (भाजपा) सभी वादे खोखले रहे हैं। आपने वास्तव में हमारे कल्याण के लिए क्या किया है, यह सवाल वर्तमान में फासीवादी भाजपा सरकार के खिलाफ पूरा देश एकजुट होकर उठा रहा है। यह इसी पृष्ठभूमि में है कि भाजपा नेताओं ने टीएनपीडब्ल्यूएए सम्मेलन में मेरे भाषण को तोड़-मरोड़कर ‘नरसंहार भड़काने वाला’ बताया। वे इसे खुद को बचाने का हथियार मानते हैं।’’
उदयनिधि ने कहा ‘‘ आश्चर्य की बात यह है कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री ‘‘फर्जी खबर’’ के आधार पर मेरे खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पूरी निष्पक्षता से कहें तो मुझे उनके खिलाफ आपराधिक मामले और अन्य अदालती मामले दायर करना चाहिए क्योंकि उन्होंने सम्मानजनक पदों पर रहते हुए मुझे बदनाम किया। लेकिन मुझे पता है कि यह उनके अपने अस्तित्व को बचाए रखने का तरीका है। वे नहीं जानते कि अस्तित्व बचाने का और तरीका क्या है, इसलिए मैंने ऐसा नहीं करने का फैसला किया है।’’
वह द्रमुक के संस्थापक, द्रविड़ वरिष्ठ नेता दिवंगत सीएन अन्नादुरई के राजनीतिक उत्तराधिकारियों में से एक हैं।
उन्होंने अन्नादुरई के कथन का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हर कोई जानता है कि हम किसी भी धर्म के दुश्मन नहीं हैं। मैं धर्मों पर अन्ना की टिप्पणी बताना चाहूंगा जो आज भी प्रासंगिक है। अगर कोई धर्म लोगों को समानता की ओर ले जाता है और उन्हें भाईचारा सिखाता है, तो मैं भी एक अध्यात्मवादी हूं। अगर कोई धर्म लोगों को जातियों के नाम पर विभाजित करता है, अगर वह उन्हें अस्पृश्यता और गुलामी सिखाता है तो मैं ऐसे धर्म का विरोध करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा।’’
उन्होंने कहा कि द्रमुक उन सभी धर्मों का सम्मान करती है जो सिखाते हैं कि हर कोई जन्म से समान होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन प्रतीत होता है कि इनमें से किसी के बारे में उन्हें बिल्कुल भी समझ नहीं है। ‘मोदी और उनके सहयोगी’ संसदीय चुनावों का सामना करने के लिए पूरी तरह से इस तरह की बदनामी पर निर्भर हैं। मैं उनके लिए केवल खेद महसूस कर सकता हूं। पिछले नौ वर्षों से मोदी कुछ नहीं कर रहे। कभी वह नोटबंदी करते हैं, झोपड़ियों को छिपाने के लिए दीवार बनाते हैं, नया संसद भवन बनाते हैं, वहां सेंगोल (राजदंड) खड़ा करते है, देश का नाम बदलकर खिलवाड़ करते हैं, सीमा पर खड़े होकर सफेद झंडा लहराते हैं।’’
उन्होंने पूछा, ‘‘क्या पिछले नौ वर्षों में केंद्र सरकार की ओर से द्रमुक की ‘‘पुधुमई पेन’’ या मुख्यमंत्री नाश्ता योजना या कलैग्नार की महिला अधिकार योजना जैसी कोई प्रगतिशील योजना आई है? क्या उन्होंने मदुरै में एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) बनाया है? क्या उन्होंने कलैग्नार शताब्दी पुस्तकालय जैसी किसी ज्ञान मुहिम को आगे बढ़ाया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में मणिपुर के बारे में सवालों का सामना करने से डरकर वह अपने दोस्त (गौतम) अडाणी के साथ दुनिया भर में घूम रहे हैं। सच तो यह है कि लोगों की अज्ञानता ही उनकी नाटकीय राजनीति की पूंजी है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मोदी और उनके सहयोगी मणिपुर में भड़के दंगों में 250 से अधिक लोगों की हत्या और 7.5 लाख करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार समेत मुद्दों और तथ्यों से ध्यान भटकाने के लिए ‘सनातन’ धर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए बहुत सारा काम है, जिसमें 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी भी शामिल है और उन्होंने उनसे उस पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सूचित करना चाहूंगा कि हमारे पार्टी अध्यक्ष (तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन) के मार्गदर्शन और हमारी पार्टी आलाकमान की सलाह पर मैं अपने खिलाफ दायर मामलों का कानूनी रूप से सामना करूंगा।’’
सनातन धर्म पर टिप्पणी को लेकर हंगामे के बाद उत्तर प्रदेश के एक संत द्वारा उनके सिर पर 10 करोड़ रुपये का इनाम घोषित करने के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘ये संत ही हैं जिन्हें आज बहुत प्रचार की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा ही एक संत सामने आया है और उसने मेरे सिर पर 10 करोड़ रुपये इनाम रखा है। मेरे सिर की कीमत से ज्यादा मुझे आश्चर्य इस बात पर है कि जिसने सब कुछ त्यागने का दावा किया है उसके पास 10 करोड़ रुपये कैसे हो सकते हैं। इसके अलावा प्रतीत होता है कि देश के विभिन्न थानों और माननीय अदालतों में मेरे खिलाफ शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। इस स्थिति में मुझे बताया गया है कि हमारी पार्टी के सदस्य विभिन्न थानों में उस संत के खिलाफ शिकायतें दर्ज करा रहे हैं, उनके पुतले जला रहे हैं और निंदा वाले पोस्टर लगा रहे हैं, जिसने मुझे जलाने के अलावा जान से मारने की धमकी दी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम दूसरों को शालीनता सिखाने वाले लोग हैं। हमारे नेताओं ने हमें यही सिखाया है। इसलिए मैं हमारे आंदोलन के साथियों से आग्रह करता हूं कि वे ऐसी चीजों से पूरी तरह बचें। इसके अलावा कई गतिविधियों से जुड़े कार्य और जनकार्य हमारा इंतजार कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि दिवंगत करुणानिधि के शताब्दी समारोह के मौके पर मुख्यमंत्री एवं पार्टी अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने सरकार और पार्टी की ओर से कई काम सौंपे हैं। इसके अलावा युवा शाखा के दूसरे राज्य सम्मेलन, संसदीय चुनाव और कई अन्य चीजों के लिए काम करना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘जब इतना काम करना है, तो मैं अपने कैडरों से अनुरोध करता हूं कि वे उन कार्यों में शामिल न हों जो हमारा समय बर्बाद करते हैं जैसे संतों के खिलाफ मामले दर्ज करना, या उनके पुतले जलाना। मैं बताना चाहता हूं कि मैं हमारे पार्टी अध्यक्ष के मार्गदर्शन और हमारी पार्टी आलाकमान की सलाह पर अपने खिलाफ दायर मामलों का कानूनी रूप से सामना करूंगा।’’
उदयनिधि ने अपनी पार्टी के कट्टर प्रतिद्वंद्वी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) और उसके महासचिव एडप्पडी के. पलानीस्वामी पर भी निशाना साधा।
उन्होंने कहा, ‘‘जब हम विपक्ष में थे, तो हम चावल, किराने का सामान और सब्जियों सहित आवश्यक वस्तुओं को वितरित करने के लिए घर-घर जाते थे। तब अन्नाद्रमुक और भाजपा क्या कर रहे थे? वे घंटी बजाकर और दीपक जलाकर कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम आज सत्तारूढ़ दल हैं। आज भी हम कलैग्नार (दिवंगत एम करुणानिधि) की शताब्दी को सार्थक रूप से मनाने के लिए कल्याणकारी सहायता प्रदान करने के वास्ते घर-घर जा रहे हैं। दूसरी ओर अन्नाद्रमुक गीत-संगीत की पृष्ठभूमि में इमली चावल सम्मेलन आयोजित कर रही है...।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पलानीस्वामी उनके हर इशारों पर नाच रहे हैं और ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ जैसे मामलों पर उनका समर्थन कर रहे हैं।’’ (भाषा)
नई दिल्ली, 7 सितंबर । दिल्ली सरकार ने एक अवमानना याचिका के जवाब में उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि वह 14 सितंबर तक राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ों की कटाई की अनुमति नहीं देगी।
अवमानना याचिका में उन सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई, जो अप्रैल 2022 के आदेश में अदालत के स्पष्ट निर्देश के बावजूद कथित तौर पर पेड़ काटने के कारण बताने की आवश्यकता का पालन नहीं कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अध्यक्षता वाली एकल-न्यायाधीश पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने चिंता व्यक्त की थी कि अधिकारी लापरवाही से पेड़ों की कटाई की अनुमति दे रहे हैं।
दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील धैर्य गुप्ता ने अदालत को सूचित किया कि सुनवाई की अगली तारीख तक किसी भी व्यक्ति को पेड़ों की कटाई की अनुमति नहीं दी जाएगी, और महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए किसी भी आवश्यक अनुमति के बारे में अदालत को सूचित किया जाएगा।
इसके बाद न्यायाधीश ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 14 सितंबर की तारीख तय की। (आईएएनएस)।
राजकोट,7 सितंबर गुजरात में राजकोट शहर के पास दो मोटरसाइकिल के बीच हुई टक्कर में पांच लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि सरधार-भूपगढ़ रोड पर बुधवार रात आठ बजे यह हादसा हुआ। तीन पीड़ित एक बाइक पर सवार थे जबकि दो अन्य पीड़ित दूसरी मोटरसाइकिल पर सवार थे।
अजीदम थाने के उपनिरीक्षक एजे परमार ने बताया कि शुरुआती जांच में सामने आया है कि हादसे में शामिल एक चालक लापरवाही से बाइक चला रहा था और उसकी टक्कर विपरीत दिशा से आ रहे दोपहिया वाहन से हो गई।
मृतकों की पहचान राजकोट जिले के साजादियाली गांव के निवासी दिलीप भूरिया (25), अर्जुन मेड़ा (18), दिनेश राठौड़ (30), देवगन मकवाना (22) और राजेश राठौड़ (22) के रूप में हुई।
भूरिया, मेड़ा और दिनेश एक बाइक पर कुछ समान खरीदने के लिए सरधार गांव जा रहे थे जबकि मकवाना और राजेश अपनी मोटरसाइकिल पर सरधार से भूपगढ़ की ओर जा रहे थे।
परमार ने बताया कि प्राथमिकी के मुताबिक, मकवाना लापरवाही से बाइक चला रहा था और उसका वाहन विपरीत दिशा से आ रही बाइक से टकरा गया।
परमार ने बताया, “ टक्कर के बाद, भूरिया की बाइक एक ऑटो रिक्शा से टकरा गई जबकि मकवाना की मोटरसाइकिल दूसरे वाहन से टकरा गई। पांचों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।”
उन्होंने बताया कि पुलिस ने मकवाना के खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। (भाषा)
चेन्नई, 7 सितंबर सनातन धर्म के संबंध में तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के विवादास्पद बयान को लेकर देशभर में मचे सियासी घमासान के बीच राज्य के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनके बेटे ने इसके‘‘अमानवीय सिद्धांतों’’ के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं।
स्टालिन ने साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) में दरार डालने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
स्टालिन ने एक बयान में कहा कि भाजपा समर्थित ताकतें दमनकारी सिद्धांत के विरुद्ध उदयनिधि के रुख को बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं और गलत विमर्श फैला रही हैं। बयान में कहा गया कि वे अरोप लगा रहे हैं कि उसने (उदयनिधि) सनातन विचारधारा वाले लोगों के जनसंहार का आह्वान किया है।
स्टालिन ने आश्चर्य जताया कि प्रधनामंत्री तमिलनाडु के मंत्री को निशाना बनाने वालों में क्यों शामिल हो गए।
उन्होंने कहा, ‘‘ उदयनिधि स्टालिन ने सनातन के अमानवीय सिद्धांतों के बारे में कुछ टिप्पणियां कीं थीं । उन्होंने सनातन सिद्धांतों पर अपने विचार व्यक्त किए जो अनुसूचित जातियों, जनजातियों और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करते हैं, उनका किसी भी धर्म या धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था।’’
मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा, ‘‘ भाजपा की ओर से पाली पोसी गई सोशल मीडिया भीड़ ने उत्तर के राज्यों में गलत बातें प्रचारित की हैं। हालांकि, मंत्री उदयनिधि ने न तो तमिल में और न ही अंग्रेजी भाषा में ‘जनसंहार’ शब्द का इस्तेमाल किया।’’
उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह और कई अन्य लोगों ने ‘‘वही झूठ दोहराया और उदयनिधि की निंदा की। उदयनिधि के इनकार के बाद भी इन केंद्रीय मंत्रियों ने अपने बयान वापस नहीं लिए।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय मीडिया से यह सुनना दिल तोड़नेवाला है कि प्रधानमंत्री ने मंत्रियों की बैठक में कहा कि उदयनिधि के बयान का उचित जवाब दिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री के पास किसी भी दावे या रिपोर्ट को सत्यापित करने के लिए सभी संसाधन हैं। तो क्या प्रधानमंत्री उदयनिधि के बारे में फैलाई गई झूठी बातों को जाने बिना बोल रहे हैं या सब जानते -बूझते हुए बोल रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हाल ही में संसद में उनके कैबिनेट सहयोगी ई वी वेलु के बारे में, ‘एक कथित वीडियो क्लिप के बारे में सच्चाई जाने बिना’, कुछ बात की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन घटनाओं को देखते हुए ये प्रश्न उठते हैं कि क्या प्रधानमंत्री, जो अपने किसी भी वादे को पूरा करने में विफल रहे हैं, सनातन का हवाला देकर ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यापक अनुभव और देश के प्रति अटूट प्रतिबद्धता वाले नेता राजनीतिक लाभ के लिए भाजपा की ‘‘विभाजनकारी राजनीति’’ में शामिल होने से ‘‘बचेंगे’’।
स्टालिन ने कहा, ‘‘इसके बजाय, वे हमारे देश को भाजपा से बचाने के प्रयास तेज करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ जहां तक द्रमुक का सवाल है, हमारे आदर्श और लक्ष्य पारदर्शी एवं स्पष्ट हैं। हम एक कुल, एक ईश्वर और गरीबों की खुशी के लक्ष्य के तहत काम करते हैं। हमारे आंदोलन का उद्देश्य पिछड़ों, अति पिछड़ों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक, महिलाओं और गरीबों का उत्थान करना है। यही कारण है कि तमिलनाडु के लोगों ने हमें छठवीं बार राज्य पर शासन करने की जिम्मेदारी सौंपी है।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को अपने मंत्रियों से कहा कि वे सनातन धर्म पर विपक्षी नेताओं की विवादास्पद टिप्पणियों का मजबूती से खंडन करें और उनका पर्दाफाश करें।
प्रधानमंत्री ने सहस्राब्दियों से चले आ रहे सनातन धर्म के बारे में सकारात्मक बात की और मंत्रियों से विपक्षी नेताओं के बयानों का दृढ़ता से खंडन करने के लिए कहा। (भाषा)
जकार्ता, 7 सितंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संपर्क, व्यापार और डिजिटल बदलाव जैसे क्षेत्रों में भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए बृहस्पतिवार को 12 सूत्री प्रस्ताव पेश किया और साथ ही कोविड-19 महामारी के बाद एक नियम आधारित विश्व व्यवस्था बनाने का आह्वान भी किया।
इंडोनेशिया की राजधानी में आयोजित आसियान-भारतीय शिखर सम्मेलन में मोदी ने दक्षिण-पूर्वी एशिया-भारत-पश्चिमी एशिया-यूरोप को जोड़ने वाले एक मल्टी-मॉडल संपर्क और आर्थिक गलियारे की स्थापना का आह्वान किया और आसियान देशों के साथ भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) को साझा करने की पेशकश की।
इस 12 सूत्री प्रस्ताव के तहत प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, आतंकवाद के वित्तपोषण और साइबर दुष्प्रचार के खिलाफ सामूहिक लड़ाई और ग्लोबल साउथ की आवाज को बुलंद करने का भी आह्वान किया।
भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शिखर सम्मेलन में समुद्री सहयोग और खाद्य सुरक्षा पर दो संयुक्त बयानों को भी स्वीकार किया गया।
सम्मेलन में अपने संबोधन में मोदी ने कहा, ‘‘मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की प्रगति और ग्लोबल साउथ की आवाज को बुलंद करना सभी के साझा हित में है।’’
ग्लोबल साउथ एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल अक्सर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए किया जाता है।
आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन) को क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है। भारत, अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं।
अपने आरंभिक संबोधन में मोदी ने कहा कि आसियान भारत की हिंद-प्रशांत पहल में एक प्रमुख स्थान रखता है और नई दिल्ली इसके साथ ‘कंधे से कंधा’ मिलाकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी एशिया की सदी है। यह हमारी सदी है। इसके लिए कोविड-19 के बाद नियम आधारित विश्व व्यवस्था का निर्माण करना और मानव कल्याण के लिए सभी के प्रयासों की जरूरत है।’’
प्रधानमंत्री ने इस बात की भी पुष्टि की कि आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति का केंद्रीय स्तंभ है और यह आसियान की केंद्रीयता और हिंद-प्रशांत पर उसके दृष्टिकोण का पूरी तरह से समर्थन करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा इतिहास और भूगोल भारत तथा आसियान को जोड़ता है। साझा मूल्यों के साथ-साथ क्षेत्रीय एकता, शांति, समृद्धि और बहुध्रुवीय दुनिया में साझा विश्वास भी हमें एक साथ बांधता है।’’
उन्होंने कहा कि समूह भारत की हिंद-प्रशांत पहल में ‘प्रमुख स्थान’ रखता है।
पिछले साल दोनों पक्षों के संबंध व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक पहुंचे थे। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच यह पहला शिखर सम्मेलन था।
मोदी ने कहा, ‘‘आज वैश्विक अनिश्चितताओं के माहौल में भी हमारे आपसी सहयोग में हर क्षेत्र में निरंतर प्रगति हो रही है। यह हमारे संबंधों की मजबूती और लचीलेपन का प्रमाण है।’’
अपने आरंभिक संबोधन में उन्होंने कहा, ‘‘आसियान मायने रखता है क्योंकि यहां हर किसी की आवाज सुनी जाती है और आसियान विकास का केंद्र है क्योंकि आसियान क्षेत्र वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।’’
प्रधानमंत्री ने भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए पेश 12 सूत्री प्रस्ताव में संपर्क, डिजिटल बदलाव, व्यापार और आर्थिक भागीदारी, समकालीन चुनौतियों का समाधान, लोगों के बीच संपर्क और रणनीतिक भागीदारी को प्रगाढ़ करना शामिल है।
प्रस्ताव के तहत, भारत ने दक्षिण-पूर्वी एशिया-भारत-पश्चिमी एशिया-यूरोप को जोड़ने वाले एक मल्टी-मॉडल संपर्क और आर्थिक गलियारे की स्थापना का आह्वान किया और आसियान देशों के साथ भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) को साझा करने की पेशकश की।
प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल बदलाव और वित्तीय संपर्क में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए डिजिटल भविष्य के लिए आसियान-भारत कोष की भी घोषणा की।
प्रस्ताव के हिस्से के रूप में उन्होंने आसियान और पूर्वी एशिया के आर्थिक एवं अनुसंधान संस्थान (ईआरआईए) को समर्थन के नवीनीकरण की घोषणा की ताकि संबंधों को बढ़ाने के लिए ज्ञान भागीदार के रूप में कार्य किया जा सके।
मोदी ने आसियान देशों को भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा स्थापित किए जा रहे पारंपरिक दवाओं के वैश्विक केंद्र में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत तथा सामुदायिक कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए भारत के नेतृत्व वाले वैश्विक जन आंदोलन ‘मिशन लाइफ’ (पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली) पर मिलकर काम करने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने जन-औषधि केंद्रों के माध्यम से लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं प्रदान करने में भारत के अनुभव को साझा करने की भी पेशकश की।
उन्होंने आसियान देशों को आपदा रोधी बुनियादी ढांचा गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और आपदा प्रबंधन में सहयोग का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और खाद्य एवं दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं के लिए लचीली आपूर्ति श्रृंखला सहित वैश्विक चुनौतियों से निपटने और ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक सहकारी दृष्टिकोण का भी आह्वान किया।
उन्होंने जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में भारत के कदमों और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन, मिशन लाइफ और ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ जैसी पहलों पर प्रकाश डाला।
मोदी ने कहा, ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम यानी ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य। यह भावना भारत की जी-20 अध्यक्षता का विषय भी है।’’
आसियान-भारत संवाद संबंध 1992 में एक क्षेत्रीय साझेदारी की स्थापना के साथ शुरू हुआ।
इसने दिसंबर 1995 में एक पूर्ण संवाद साझेदारी और 2002 में एक शिखर स्तरीय साझेदारी का स्वरूप लिया। दोनों पक्षों के बीच संबंध 2012 में रणनीतिक साझेदारी तक पहुंच गए।
आसियान के 10 सदस्य देश इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया हैं।
भारत और आसियान के बीच संबंध पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण रूप से मजबूत हुए हैं, जिसमें व्यापार और निवेश के साथ-साथ सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 7 सितंबर नयी दिल्ली में इस सप्ताहांत होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए विश्व के कई नेताओं के आने का क्रम शुरू होने के बीच विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को कहा कि बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) सुधारों पर आम सहमति बनने और जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने को लेकर कठोर भाषा में प्रस्ताव अंगीकार करने से भारत की नेतृत्व भूमिका बढ़ सकती है।
जी-20 सदस्य देशों का दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)में 85 प्रतिशत, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 80 प्रतिशत योगदान है। जी-20 देशों ऊर्जा मंत्रियों की जुलाई में हुई बैठक में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा को तीन गुना करने पर आम सहमति नहीं बन सकी थी।
उल्लेखनीय है कि 2030 तक अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता तीन गुना बढ़ाकर 11 टेरावाट करना और विकासशील देशों को कम ब्याज दर पर वित्तपोषण करना वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
ऊर्जा स्रोतों में बदलाव और एमडीबी सुधारों को लेकर चर्चाओं की जटिलता और अनिश्चितताओं के बावजूद उम्मीद है कि शिखर सम्मेलन के दौरान नेता एकता प्रदर्शित करने के लिए न्यूनतम सहमति पर पहुंच सकते हैं।
भारत को उम्मीद है कि सरकारें जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने पर सहमत हो जाएंगी। परंतु इस विषय को शिखर सम्मेलन के अंतिम दस्तावेज में जगह नहीं मिलने की स्थिति में पिछले वर्ष बाली शिखर सम्मेलन में कोयला के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने पर बनी सहमति से देशों के पीछे हटने का जोखिम है।
जी-20 के ऊर्जा मंत्रियों की हुई बैठक में सऊदी अरब ने जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के प्रयासों का विरोध किया था जबकि जी-7 देश पहले ही जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के प्रयासों में तेजी लाने की प्रतिबद्धता जता चुके थे।
अगली संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर ने जोर दिया है कि जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करना ‘अपरिहार्य’ है, लेकिन यह दुनिया भर में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में पर्याप्त वृद्धि पर निर्भर है।
हालांकि, विशेषज्ञ जी-20 में जीवाश्म ईंधन चर्चा पर सीमित प्रगति की उम्मीद करते हैं।
‘द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट’ की प्रतिष्ठित अनुसंधानकर्ता और कार्यक्रम निदेशक आरआर रश्मि ने कहा, ‘‘जीवाश्म ईंधन के मुद्दे पर वैश्विक प्रगति और ठोस कार्रवाई की कमी के कारण बाली में बनी सहमति के अलावा कोई व्यवस्था की उम्मीद शायद की ही की जा सकती है। यह स्थिति भारत द्वारा प्रौद्योगिकी, हाइड्रोजन, नीली अर्थव्यवस्था और सर्कुलर इकोनॉमी पर लेकर बनाए जा रहे दबाव के बावजूद हो सकती है। ’’
सरकारी और गैर-सरकारी पर्यावरण संगठनों के वैश्विक नेटवर्क, ‘क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क’ (सीएएन) इंटरनेशनल के वैश्विक नीति प्रमुख इंद्रजीत बोस ने सभी जीवाश्म ईंधनों को एक समान चरणबद्ध तरीके से बंद करने की वकालत करते हुए कहा कि इसमें विकसित देशों को अधिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
बेंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज (एनआईएएस) में एसोसिएट प्रोफेसर तेजल कानितकर ने इस बात पर जोर दिया कि जब वैश्विक लक्ष्यों को बिना किसी भेदभाव के समान रूप से लागू किया जाता है, तो विकासशील देशों पर, खासातौर पर उन देशों पर जो ऊर्जा की भारी मांग का सामना कर रहे हैं, अधिक बोझ पड़ता है
उन्होंने कहा कि विकासशील देशों को किसी भी वैश्विक लक्ष्य को तब तक आसानी से स्वीकार नहीं करना चाहिए जब तक कि उसके साथ स्वभाविक न्याय और सामनता के सिद्धांत के साथ विभिन्न जिम्मेदारियां और संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) के आधार पर इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की स्पष्ट प्रतिबद्धता न जताई जाए।
स्वतंत्र थिंक टैंक ‘काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवॉयरमेंट एंड वॉटर’ (सीईईडब्ल्यू) के अनुसंधानकर्ता वैभव चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘बहस (वित्त पर) किसी दिशा में जा रही है... जी20 स्तर पर, यह पहली बार है कि देश जलवायु वित्त के संचालन के बारे में इतने विस्तृत और गहन तरीके से एमडीबी सुधारों के बारे में बात कर रहे हैं। ’’
हालांकि, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि अगर जी-20 में वित्त पर सार्थक प्रगति नहीं हुई तो यह चिंताजनक होगा, क्योंकि जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बाजार को सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए मजबूत संकेत आवश्यक हैं।
‘इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी’ (आईफॉरेस्ट) के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंद्रभूषण ने कहा, ‘‘विकासशील देशों के लिए अधिक वित्त, नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को तीन गुना करना और जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना सभी परस्पर एक दूसरे से जुड़े हुए मुद्दे हैं और इन पर एक महत्वाकांक्षी घोषणा भारत की जी-20 की अध्यक्षता के लिए लाभदायक होगी।’’ (भाषा)
भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से अंग्रेजी में भी देश का नाम 'इंडिया' की जगह भारत लिखना शुरू कर दिया है. लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या संविधान में बदलाव किये बिना देश का नाम बदला जा सकता है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
इस विषय पर चर्चा की शुरुआत जी20 सदस्य देशों के नेताओं के लिए भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से भेजे गए निमंत्रण को लेकर हुई. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस निमंत्रण की तस्वीर एक्स (ट्विटर) पर साझा की.
निमंत्रण के अंग्रेजी हिस्से में मुर्मू को 'प्रेजिडेंट ऑफ भारत' लिखा हुआ है. साथ ही बीजेपी नेता संबित पात्रा ने एक्स पर आसियान-भारत बैठक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंडोनेशिया दौरे से संबंधित एक सूचना की तस्वीर साझा की जिस पर अंग्रेजी में 'प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत' लिखा हुआ है.
इसके बाद कुछ पत्रकारों ने दावा किया कि कुछ ही दिनों पहले मोदी की दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस की यात्राओं के दौरान भी उनके नाम के आगे इसी तरह 'प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत' लिखा गया था.
आरएसएस का आह्वान
'इंडिया' और भारत दोनों ही भारत के आधिकारिक नाम हैं, लेकिन सरकार के आधिकारिक दस्तावेजों में अंग्रेजी में भी भारत लिखना नई बात है. भारतीय नागरिकों के पासपोर्ट पर 'रिपब्लिक ऑफ इंडिया' और 'भारत गणराज्य' दोनों लिखा होता है.
हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा से अपनी शब्दावली में 'भारत' और 'हिंदुस्तान' नामों का प्रयोग करता रहा है. संघ के मुखिया मोहन भागवत ने कुछ ही दिनों पहले कहा था देश के लोगों को अब 'इंडिया' नाम का इस्तेमाल करना बंदकर देना चाहिए.
भागवत ने कहा था, "हमारा देश भारत है और हमें इंडिया शब्द का इस्तेमाल बंद करना पड़ेगा. हमें हर क्षेत्र में भारत नाम का इस्तेमाल करना शुरू कर देना चाहिए, तभी बदलाव आएगा. हमें अपने देश को भारत बुलाना पड़ेगा और दूसरों को भी समझाना पड़ेगा."
हालांकि इस पहल को विपक्षी पार्टियों द्वारा अपने गठबंधन को 'इंडिया' नाम देने से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. विपक्ष ने जब से अपने गठबंधन के नाम की घोषणा की है, तब से खुद मोदी और बीजेपी के अन्य नेताओं ने इस नाम पर कई टिप्पणियां की हैं.
मोदी ने इसे "घमंडिया" गठबंधन भी बताया है और अन्य बीजेपी नेताओं ने 'इंडिया' छोड़ कर 'भारत' शब्द का इस्तेमाल करने की अपील भी की है. लेकिन राजनीतिक शब्दावली में बदलाव और संवैधानिक बदलाव दो अलग अलग चीजेंहैं.
विपक्ष की भूमिका
अगर सरकार आधिकारिक रूप से देश का नाम बदल कर सिर्फ 'भारत' करना चाहती है तो उसके लिए संविधान में बदलाव करना होगा. इसके लिए सरकार को एक अधिनियम लाना होगा, उसे संसद में दो-तिहाई बहुमत से पारित करवाना होगा और फिर देश की कम से कम आधी विधान सभाओं से भी पारित करवाना होगा.
देश में इस समय 31 विधान सभाएं हैं, जिनमें से एक (जम्मू और कश्मीर) निलंबित है. एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए इस समय 15 राज्यों में सत्ता में है, लेकिन सभी राज्यों में उसके पास इस तरह का बहुमत नहीं है कि इस तरह के विधेयक को निर्विरोध पारित करवा सके.
विपक्षी पार्टियों ने इस कदम का समर्थन भी नहीं किया है. कांग्रेस ने संविधान की प्रस्तावना की एक तस्वीर साझा करते हुए एक्स पर कहा है कि 'इंडिया' को मिटाना नामुमकिन है.
ऐसे में अभी यह स्पष्ट रूप से कहा नहीं जा सकता है कि केंद्र सरकार इस कदम की तरफ आगे बढ़ रही है. लेकिन संसद का जो विशेष सत्र बुलाया गया है, उसका एजेंडा अभी तक सामने नहीं लाया गया है. ऐसे में एजेंडा को लेकर जो कई अटकलें चल रही हैं उनमें यह कवायद भी शामिल हो गई है. (dw.com)
दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है लेकिन दुनिया के दो बड़े नेता इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं. भारत के सामने शिखर सम्मेलन को सफल बनाने की बड़ी चुनौती है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
भारत में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नहीं आ रहे हैं. उनकी जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव आएंगे. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आने न आने को लेकर काफी दिनों तक सस्पेंस बना रहा लेकिन सोमवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया कि जिनपिंग की जगह प्रधानमंत्री ली कियांग देश का प्रतिनिधित्व करेंगे.
अब सवाल यह है कि दुनिया के दो महत्वपूर्ण देशों के प्रमुखों का जी20 के लिए नहीं आना क्या भारत के लिए बड़ा झटका है. जानकारों का कहना है कि इससे भारत के विश्व शक्ति बनने की कोशिशों को झटका लग सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी जिनपिंग के नहीं आने पर निराशा जता चुके हैं.
जिनपिंग के नहीं आने का असर
जानकार कहते हैं कि जिनपिंग की अनुपस्थिति से जी20 को वैश्विक आर्थिक सहयोग का मुख्य मंच बनाए रखने की वॉशिंगटन की कोशिश और विकासशील देशों के लिए वित्तपोषण को बढ़ावा देने के प्रयासों पर असर पड़ेगा.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में राजनीति के प्रोफेसर हैप्पीमोन जैकब कहते हैं, "चीन के शामिल हुए बिना... मुद्दे वास्तव में प्रकाश में नहीं आ सकते या किसी तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सकते हैं."
जिनपिंग जी20 शिखर सम्मेलन में क्यों भाग नहीं ले रहे हैं इसके बारे में चीन ने कोई कारण नहीं बताया है. 2008 में इस ग्रुप को राष्ट्राध्यक्षों के स्तर पर अपग्रेड करने के बाद यह पहली बार है कि कोई चीनी राष्ट्रपति इसमें हिस्सा नहीं लेंगे.
मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम शिखर सम्मेलन की मेजबानी में भारत का समर्थन करते हैं और इसे सफल बनाने के लिए सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं.
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता से जब पूछा गया कि जिनपिंग की जगह प्रधानमंत्री ली कियांग को दिल्ली भेजने का फैसला क्या दोनों देशों के बीच तनाव दिखाता है, इस पर प्रवक्ता ने दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद का जिक्र तो नहीं किया लेकिन यह कहा कि दोनों देशों के बीच कुल मिलाकर संबंध स्थिर है.
उन्होंने कहा, "दोनों ही पक्षों ने विभिन्न स्तरों पर बातचीत और संपर्क बनाए रखा है. हमारा मानना है कि चीन और भारत के रिश्तों में सुधार और विकास दोनों देशों और देशवासियों के साझा हित में है. हम भारत के साथ बेहतर रिश्तों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है."
भारत ने क्या कहा
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग की अनुपस्थिति का जी20 शिखर सम्मेलन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि ऐसे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री रहे हैं, जिन्होंने किसी कारण से वैश्विक बैठकों में नहीं आने का फैसला किया है, लेकिन देश के प्रतिनिधि बैठक में अपना पक्ष रखते हैं.
"दूरदर्शन डायलॉग, जी20: द इंडिया वे" में बोलते हुए जयशंकर ने कहा था, "अंततः देशों का प्रतिनिधित्व उसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिसे उन्होंने प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना है, इसलिए प्रतिनिधित्व का स्तर किसी देश की स्थिति का अंतिम निर्धारक नहीं बनता है."
जयशंकर ने आगे कहा कि शिखर सम्मेलन में प्रत्येक जी20 सदस्य वैश्विक राजनीति में योगदान देगा. उन्होंने कहा, "तो मैं कहूंगा कि इस बात पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय कि कौन सा देश किस स्तर पर आना चाहता है, असली मुद्दा यह है कि जब वे आते हैं तो वे क्या स्थिति लेते हैं. वास्तव में यही है, हम इस जी20 को इसके परिणामों के लिए याद रखेंगे."
बड़ी भूमिका निभाना चाहता है भारत
दुनिया के 20 अमीर और विकासशील देशों के संगठन जी20 में भारत अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्यता दिलाना चाहता है. भारत ने जी20 के लिए अफ्रीकी संघ को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को "ग्लोबल साउथ" के स्वयंभू नेता के रूप में पेश किया है, जो विकसित और विकासशील देशों के बीच एक पुल की तरह है. मोदी ने अफ्रीकी संघ को जी20 में शामिल करने के साथ "जी 21" में ब्लॉक का विस्तार करने पर जोर दिया है.
यही नहीं मोदी ने भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे विकासशील देशों को अधिक अधिकार देने के लिए संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार के लिए प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच आम सहमति बनाने के लिए जी20 का इस्तेमाल करने की कोशिश की है.
पूर्व भारतीय राजनयिक और मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के प्रमुख सुजन चिनॉय कहते हैं, "भारत का दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभरना और इसका समावेशी दृष्टिकोण ग्लोबल साउथ के लिए अच्छी खबर है."
लेकिन दुनिया की नजर जी20 के बाद संयुक्त बयान पर है. क्योंकि भारत जी20 वित्त मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद कोई संयुक्त बयान जारी नहीं कर पाया था. जी20 की बैठकों में रूस-यूक्रेन का मुद्दा उठता रहा है और सदस्य देशों में इसको लेकर मतभेद है.
जी20 शिखर सम्मेलन में हो सकता है कुछ सदस्य रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा उठाए और तब भारत की जिम्मेदारी होगी कि वह इस शिखर सम्मेलन को तनाव का केंद्र बनने से बचाए और एक साझा बयान पर आम सहमति बनाकर शिखर सम्मेलन को सफल बनाए. (dw.com)
भारत में 60% महिला कैदियों को माहवारी में सैनिटरी पैड नहीं मिलते हैं. उनके पास ना सोने की जगह है, ना नहाने के लिए पर्याप्त पानी.
डॉयचे वैले पर शुभांगी डेढ़गवें की रिपोर्ट-
महिला कैदियों की हालत पुरुष कैदियों से कहीं ज्यादा ज़्यादा खराब है. 2014 से 2019 के बीच महिला कैदियों की संख्या 11.7 फीसदी बढ़ी है. लेकिन सिर्फ 18% को महिला जेल में जगह मिली है. 75% महिला कैदियों को रसोई और शौचालय पुरुषों के साथ साझा तौर पर इस्तेमाल करना पड़ता है. जेलों की इस खराब स्थिति की तस्वीर जस्टिस अमिताव रॉय की अध्यक्षता वाली कमेटी की एक रिपोर्ट में सामने आई है. 2018 में जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने चिंता जताई कि कई राज्यों की जेलों में क्षमता से 150 प्रतिशत ज़्यादा कैदी हैं. इसे मानवाधिकार हनन का गंभीर मामला बताते हुए यह कमेटी बनाई गई. तीन सदस्यों वाली इस कमेटी का मकसद यह जानना था कि भारतीय जेलों में क्या हालात हैं.
करीब चार साल बाद दिसम्बर 2022 में कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने यह रिपोर्ट रखी. इससे पहले 2018 में ही महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जेल में महिलाओं के हाल पर एक रिपोर्ट बनाई थी जिसमें महिला कैदियों की खराब स्थिति का जिक्र था.
जेलों का बुरा हाल
जस्टिस अमितावा रॉय रिपोर्ट लगभग उस स्थिति की ओर इशारा करती है जो नैशनल क्राइम रेजिस्ट्रैशन ब्युरो (एनसीआरबी) की 2021 की रिपोर्ट में भी देखने को मिलती है. एनसीआरबी की रिपोर्ट में भी यह सामने आया कि 21 राज्यों में महिलाओं के लिए अलग जेल भी नहीं है. महिला जेलों में 6,767 कैदियों की क्षमता है. लेकिन इससे कहीं ज्यादा, करीब 22,659 महिला कैदियों को राज्यों की अन्य जेलों में मर्दों के साथ रखा जाता है. जैसा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की 2018 की रिपोर्ट जिक्र करती है, ऐसी जेलों में महिला कैदी सुरक्षित नहीं हैं. मर्दों के साथ शौचालय इस्तेमाल करने से महिलाओं के यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का खतरा बढ़ जाता है. अगर महिलाओं के खिलाफ जेल में कोई अपराध होता भी है तो केवल 11 राज्यों के पास ऐसी कोई व्यवस्था है कि कैदियों की शिकायतें दर्ज की जा सकें. महिलाओं के खिलाफ़ जेल में हुए अपराधों का एनसीआरबी के पास कोई आंकड़ा नहीं है.
नैशनल प्रिजन मैन्युअल के मुताबिक हर जेल में एक महिला डीआईजी का होना जरूरी है लेकिन किन जेलों में महिला डीआईजी हैं इस पर भी सरकार के पास कोई डाटा नहीं है. यहां तक कि दिल्ली की मशहूर तिहाड़ जेल की वेबसाइट से पता चलता है कि वहाँ कोई भी महिला डीआईजी नहीं है. आंकड़े बताते हैं कि भारत में केवल 4,391 महिला जेल अधिकारी हैं जो कुल क्षमता से काफी कम हैं. 2022 की रिपोर्ट में अधिकारी न होने की वजह से कहा गया है कि महिलाओं की तलाशी लेने की ट्रैनिंग भी नहीं हो रही है.
जेल में औरतों के पास यह अधिकारहै कि वह अपने बच्चों से एक अलग आवास में मिल सकती हैं. मगर जस्टिस अमिताव रॉय की रिपोर्ट कहती है कि सिर्फ तीन राज्य यानि गोवा, दिल्ली, और पुडुचेरी में महिलाओं को बिना बार या कांच की दीवार के मिलने की इजाजत है.
स्वास्थ्य और महिलाओं का हक
राष्ट्रीय जेल मैनुअल के मुताबिक जेल में हर कैदी के पास 135 लीटर पानी होना चाहिए. जबकि 2018 की रिपोर्ट में पहले ही यह सामने आ चुका था कि किसी भी जेल में ऐसा नहीं हो रहा है. इससे महिला कैदी सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. जस्टिस रॉय की रिपोर्ट ने कहा है कि महिलाओं को सैनिटरी पैड भी नहीं मिलते हैं. महिलाओं की बीमारियों और स्वास्थ्य की देख-रेख के लिए डॉक्टर की सुविधा मौजूद नहीं हैं. "बुनियादी न्यूनतम सुविधाएं” जैसे गर्भवती होने पर जेल में डॉक्टर को दिखाने की सुविधा भी औरतों को आसानी से नहीं मिल पाती हैं. जेल में हर साल बच्चे पैदा होते हैं, लेकिन इसके बारे में कोई ठोस डाटा एनसीआरबी के पास नहीं है.
रानी धवन शंकरदास जेल सुधार मामलों की विशेषज्ञ हैं और पीनल रिफॉर्म इंटरनेशनल की अध्यक्ष रह चुकी हैं. महिला कैदियों की ज़िंदगी पर लिखी अपनी किताब ऑफ विमेन इनसाइडः प्रिजन वॉइसेज फ्रॉम इंडिया में रानी कहती हैं कि जेल प्रशासन भले ही कैदियों को उनके अपराधों के हिसाब से वर्गीकृत करते हैं, मगर महिला कैदियों को एक अलग श्रेणी की जरूरत है. महिला अपराधियों के साथ सिर्फ उनका अपराध ही नहीं जुड़ा होता बल्कि सामाजिक रीतियां भी जुड़ी हैं क्योंकि अपराधी महिलाओं ने सालों से चल रही सामाजिक, धार्मिक प्रथाओं और नैतिक नियमों की सीमा को पार किया है. कानून से पहले समाज उनके अपराधी होने पर कठोर सजा तय कर चुका होता है. (dw.com)
कोलकाता, 7 सितंबर । करोड़ों रुपये के पशु तस्करी मामले में तृणमूल कांग्रेस नेता अणुब्रत मंडल की कथित संलिप्तता से संबंधित सभी सुनवाई पश्चिम बंगाल के आसनसोल से दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में स्थानांतरित करने से ऐसी अटकलें लगने लगी हैं कि अब इडी सभी मामलों को राज्य से बाहर ले जा सकता है।
अणुब्रत मंडल का मामला बुधवार को स्थानांतरित कर दिया गया, और इसे एक उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है जो सभी मनी-लॉन्ड्रिंग मामलों को पश्चिम बंगाल के बाहर किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित करने के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है।
सूत्रों ने कहा कि यह वह विकल्प है जिस पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का एक वर्ग विचार कर रहा है, हालांकि इस तरह की बात अभी शुरुआती चरण में है।
एजेंसी के अंदरूनी सूत्र स्वीकार करते हैं कि हालांकि पश्चिम बंगाल की विभिन्न निचली अदालतों में लंबित सभी मनी-लॉन्ड्रिंग मामलों की सुनवाई को स्थानांतरित करना एक अच्छा प्रस्ताव है, लेकिन इसे रातोंरात करना मुश्किल होगा।
अणुब्रत मंडल से संबंधित सुनवाई को आसनसोल स्थित विशेष सीबीआई अदालत से नई दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में स्थानांतरित करना भी इतना आसान नहीं था। इस संबंध में केंद्रीय एजेंसी के पिछले दो कदमों को आसनसोल की विशेष अदालत के न्यायाधीश ने खारिज कर दिया था।
अंततः बुधवार को, ईडी के वकील द्वारा 2005 में जारी केंद्रीय वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के प्रावधानों का हवाला देते हुए इस मामले में आगे की सुनवाई को स्थानांतरित करने की याचिका को मजूरी दे दी गई।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील, कौशिक गुप्ता ने यह भी कहा कि अनुब्रत मंडल के उदाहरण को पश्चिम बंगाल में सभी मनी-लॉन्ड्रिंग मामलों में राज्य के बाहर किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित करने के लिए एक मिसाल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। (आईएएनएस)।
गाजियाबाद, 7 सितंबर । गाजियाबाद में एक बार फिर तेंदुआ देखे जाने की पुष्टि हुई है और इसके बाद डिस्टिक फॉरेस्ट अफसर गाजियाबाद को पत्र लिखा गया है कि जल्द से जल्द तेंदुए को पकड़ने की कवायद शुरू की जाए क्योंकि आसपास के लोगों में भय का माहौल फैल गया है।
डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर को यह पत्र पीएसी के सेनानायक ने लिखा है।
मिली जानकारी के मुताबिक गाजियाबाद के गोविंदपुरम में 47वी वाहिनी पीएससी स्थापित है। यहां पर पीएसी के जवान और उनके परिवारजन रहते हैं। इस कैंपस की सिक्योरिटी के लिए पीएसी के जवानों की ड्यूटी लगाई जाती है।
अपने भेजे गए पत्र में 47वीं वाहिनी पीएससी टास्क फोर्स के सेनानायक ने डीएफओ को लिखा है कि 6 सितंबर सुबह करीब 4 बजे के आसपास ड्यूटी पर तैनात गार्ड्स ने तेंदुओं को देखा है जिससे अधिकारी कर्मचारी और उनके परिजनों के साथ-साथ आसपास के लोगों के लिए खतरा व्याप्त हो गया है।
उन्होंने डीएफओ से अनुरोध किया है कि सबकी सुरक्षा को देखते हुए तेंदुए को पकड़ने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए जाएं।
तेंदुआ को देखे जाने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में कई बार तेंदुए को देखा जा चुका है। उसको पकड़ने की कवायद भी दोनों ही जिलों के डीएफओ के द्वारा की जा चुकी है। लेकिन बहुत ज्यादा सफलता हाथ नहीं लगी थी।
अभी कुछ दिन पहले ही ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा के खेतों में कुछ नन्हे शावकों का वीडियो सामने आया था जिनको कुछ लोग फिशिंग कैट और कुछ तेंदुए के बच्चे बता रहे थे।
इसके मुताबिक अगर यह बच्चे तेंदुए के हैं तो नर और मादा तेंदुए का आसपास होना लाजमी है। फिलहाल पत्र लिखे जाने के बाद से उम्मीद की जा रही है कि इस बार गाजियाबाद के डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर की तरफ से जो कार्रवाई की जाएगी। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 7 सितंबर । सनातन धर्म को लेकर तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा दिए गए बयान को लेकर डीएमके एवं विपक्षी गठबंधन और भाजपा नेताओं के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप का दौर अब पुलिस के दरवाजे तक पहुंच गया है।
बताया जा रहा है कि स्टालिन के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाते हुए तमिलनाडु पुलिस को मिली एक शिकायत के आधार पर भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
हालांकि मालवीय ने 2 सितंबर को किए गए अपने एक्स को 6 सितंबर को फिर से रिपोस्ट कर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं कि वह इस मसले पर राजनीतिक लड़ाई के साथ-साथ कानूनी लड़ाई भी लड़ने को तैयार हैं।
भाजपा भी सनातन धर्म से जुड़े इस मसले को कतई छोड़ने को तैयार नहीं है।
विपक्षी इंडिया गठबंधन के महत्वपूर्ण घटक दल डीएमके के सुप्रीमो एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन द्वारा दिए गए बयान के मुद्दे को भाजपा सिर्फ तमिलनाडु तक ही सीमित नहीं रहने देना चाहती है। इसलिए भाजपा के दिग्गज नेता मध्य प्रदेश और राजस्थान के चुनावी मैदान से लेकर दिल्ली तक बार-बार और लगातार इस मुद्दे को उठाकर राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव सहित अन्य विपक्षी नेताओं का नाम ले-लेकर सवाल पूछ रहे हैं और जवाब मांग रहे हैं।
बुधवार को केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मंत्रियों को उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म पर दिए गए बयान का सही तरीके से और सख्ती से जवाब देने को कहा था।
दरअसल, भाजपा इसे आने वाले दिनों में एक बड़ा मुद्दा बनाए रखना चाहती है क्योंकि स्टालिन के बयान ने कांग्रेस सहित विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल कई दलों को दुविधा की स्थिति में डाल दिया है और भाजपा इस दुविधा की स्थिति को और ज्यादा बढ़ा कर इन दलों पर दबाव बनाए रखना चाहती है। (आईएएनएस)।
मोतिहारी, 7 सितंबर । बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के चिरैया थाना क्षेत्र में अज्ञात अपराधियों ने लूटपाट के दौरान विरोध करने पर सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के एक जवान की गोली मारकर हत्या कर दी।
एसएसबी का जवान मां की तबियत खराब होने के बाद छुट्टी लेकर घर आया था।
पुलिस के मुताबिक, घोड़ासहन के बगहा गांव के रहने वाले एसएसबी का जवान धर्मेंद्र कुमार मधुबनी के राजनगर में नियुक्त थे। वे गुरुवार को अपने भाई से साथ माँ का इलाज कराकर बाइक से वापस घर लौट रहे थे, तभी चिरैया थाना क्षेत्र के नया टोला के पास अज्ञात बदमाशों ने इनको घेरकर लूटपाट करने की कोशिश की।
बताया जाता है कि विरोध करने पर अपराधियों ने जवान को गोली मार दी। उसके बाद वह वहीं गिर गए। इलाज के लिए इन्हें मोतिहारी निजी नर्सिंग होम ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस अधीक्षक कांतेश कुमार मिश्र सहित थाना पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंची और मामले की छानबीन में जुट गई।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि एसएसबी जवान की हत्या के मामले में त्वरित करवाई करते हुए घटना में संलिप्त एक अपराधी को गिरफ्तार कर लिया गया है तथा शेष के विरुद्ध छापामारी जारी है। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 7 सितंबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन (आसियान) भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का केंद्र बिंदु है।
उन्होंने इंडोनेशिया के जकार्ता में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।
यह कहते हुए कि आसियान क्षेत्र भी भारत की इंडो-पैसिफिक पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, उन्होंने कहा, "वैश्विक अनिश्चितताओं के माहौल में भी, हमारा आपसी सहयोग लगातार प्रगति कर रहा है। यह हमारे संबंधों की ताकत और लचीलेपन का प्रमाण है।" .
"'वसुधैव कुटुंबकम' - एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य - भारत की जी20 अध्यक्षता का विषय है।"
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत हिंद-प्रशांत पर क्षेत्रीय गुट के दृष्टिकोण का समर्थन करता है।
"हमारी (भारत-इंडोनेशिया) साझेदारी चौथे दशक में प्रवेश कर रही है। ऐसे समय में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करना मेरे लिए गर्व की बात है।"
मोदी ने कहा, "हमारा इतिहास और भूगोल भारत और आसियान को एकजुट करता है। इसके साथ ही, हमारे साझा मूल्य, क्षेत्रीय एकीकरण और शांति, समृद्धि व बहुध्रुवीय दुनिया में हमारा साझा विश्वास भी हमें एकजुट करता है।"
उन्होंने आगे कहा कि आसियान विकास का केंद्र है और वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इससे पहले दिन में, शिखर सम्मेलन में पहुंचने पर इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो ने प्रधान मंत्री का स्वागत किया और उससे पहले, उन्होंने भारतीय प्रवासी सदस्यों से भी मुलाकात की।
प्रधानमंत्री आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इंडोनेशिया की एक दिवसीय यात्रा पर हैं। (आईएएनएस)।
बेंगलुरु, 7 सितंबर । लिव-इन में रह रही एक महिला ने अपने पार्टनर के सीने में चाकू घोंपकर उसकी हत्या कर दी थी। महिला ने पुलिस को बताया है कि वो उसके कैरेक्टर पर संदेह करता था, इसलिए उसकी हत्या की।
यह घटना 5 सितंबर को हुलिमावु पुलिस स्टेशन की सीमा में हुई। आरोपी महिला की पहचान कर्नाटक के बेलगावी की रेणुका (24) के रूप में हुई है। वहीं मृतक की पहचान केरल के कन्नूर के जावेद (29) के रुप में हुई है।
पुलिस ने इस बात का खुलासा किया कि रेणुका उसे अस्पताल ले जाने के बाद अपार्टमेंट लौट आई और भागने की योजना बना रही थी। अपार्टमेंट के सुरक्षाकर्मियों ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया और पुलिस को सूचित किया। पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस के मुताबिक महिला कॉलेज ड्रॉपआउट थी और छह साल की बच्ची की मां थी। उसके पास नौकरी नहीं थी और वह अकेले पुरुषों के साथ पब में जाती थी और उन्हें कंपनी देती थी। वह एक विलासितापूर्ण जीवन चाहती थी।
मदीवाला में सेलफोन रिपेयर करने वाला जावेद आरोपी महिला के संपर्क में आया। वे तीन साल तक एक साथ रहे और हाल ही में अक्षय नगर के एक अपार्टमेंट में चले गए। दोनों में अक्सर झगड़ा होता था और मंगलवार को किसी बात को लेकर दोनों में जमकर झगड़ा हुआ। गुस्से में आकर रेणुका ने जावेद के सीने पर चाकू से वार कर दिया।
बाद में वह उसे अस्पताल ले गई लेकिन उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया। अपार्टमेंट के मालिक गणेश ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने मामला दर्ज कर रेनुका को हिरासत में ले लिया है। आगे की जांच जारी है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 सितंबर । चार हजार किलोमीटर की भारत जोड़ो यात्रा की पहली वर्षगांठ पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि एकता और प्रेम की दिशा में उठाए गए करोड़ों कदम देश के बेहतर कल की नींव बन गए हैं और यह नफरत मिटने और भारत के एक होने तक जारी रहेगा।
एक सप्ताह की यूरोप यात्रा पर गए राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा, ''भारत जोड़ो यात्रा के एकता और प्रेम की ओर उठाए गए करोड़ों कदम देश के बेहतर कल की नींव बन गए हैं। नफरत खत्म होने व भारत एक होने तक यात्रा जारी है। ये मेरा वादा है।"
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी 4,000 किलोमीटर की यात्रा की सराहना की और कहा कि जनता यह आंदोलन इतिहास में अद्वितीय है।
"भारत जोड़ो यात्रा एक जन आंदोलन है, इसका इतिहास में कोई मुकाबला नहीं है। आज यात्रा का एक साल पूरा होने पर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से मैं राहुल गांधी, सभी भारत यात्रियों और उन लाखों नागरिकों को बधाई देता हूं, जो इस ऐतिहासिक यात्रा में शामिल हुए। कन्याकुमारी से कश्मीर तक, भारत जोड़ो यात्रा ने 4000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की और जीवन के सभी क्षेत्रों के लाखों लोगों के साथ विविधता में एकता का संदेश दिया।''
खड़गे ने कहा कि नफरत और विभाजन के एजेंडे को छिपाने के लिए लोगों के वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए अप्रासंगिक सुर्खियां बनाने की प्रवृत्ति हमारी सामूहिक चेतना पर एक प्रणालीगत हमला है।
"यात्रा आर्थिक असमानताओं, मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी, सामाजिक अन्याय, संविधान की तोड़फोड़, सत्ता के केंद्रीकरण के वास्तविक मुद्दों को लोगों की कल्पना के केंद्र में लाना चाहती है। यात्रा हमारे समाज में बातचीत के माध्यम से नफरत और शत्रुता के खतरे से लड़ना जारी रखती है। भारत जोड़ो यात्रा सिर्फ एक भौतिक प्रयास नहीं है, यह हमारी टूटी हुई सामूहिक चेतना को फिर से बनाने का एक ईमानदार प्रयास है।
"हमारे लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के हमारे अंतर्निहित मूल्य सर्वोच्च हैं। कांग्रेस पार्टी हमारे संविधान को पुनः प्राप्त करने और हमारे लोकतंत्र की रक्षा करने के प्रयास में लगातार लोगों तक पहुंच रही है। भारत जोड़ो यात्रा जारी है।''
यहां तक कि कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने भी कहा, "नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान। 4081 किमी लंबी तपस्या, जिसने भारतीय राजनीति की दिशा बदल दी।"
"भारत जोड़ो यात्रा जहां भी गई, इसने दिल जीत लिया और भाजपा-आरएसएस को सत्ता से बाहर करने की उलटी गिनती शुरू कर दी। इस विचार को बचाने के लिए लाखों कांग्रेसी और महिलाएं एक ऐतिहासिक तीर्थयात्रा पर निकल पड़ीं।
हमें भारत माता के लिए अपने बलिदानों, भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर गर्व है।"
वेणुगोपाल ने कहा, "भारत जोड़ो यात्रा हर भारतीय को तब तक प्रभावित करेगी, जब तक नफरत खत्म नहीं हो जाती और बेजुबानों को आवाज नहीं मिल जाती। यात्रा जारी रहेगी।"
गौरतलब है कि भारत जोड़ो यात्रा पिछले साल 7 सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई और 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से होकर 75 जिलों और 76 लोकसभा क्षेत्रों से गुजरी।
भारत जोड़ो यात्रा की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए पार्टी गुरुवार को शाम 5 बजे से 722 जिलों में यात्रा आयोजित कर रही है। (आईएएनएस)।