राष्ट्रीय
ग्रेटर नोएडा, 11 फरवरी । ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से अवैध रूप से काटी जा रही कॉलोनी पर कड़ा शिकंजा कसा जा रहा है। लगातार बुलडोजर से अवैध निर्माण को गिराया जा रहा है और जमीन को कब्जा मुक्त कराया जा रहा है।
इसी कड़ी में 10 फरवरी को भी बादलपुर थाना क्षेत्र के छपरौला स्थित सहारा सिटी में हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का बुलडोजर चला। सवा लाख वर्ग मीटर से अधिक एरिया पर हुए अवैध निर्माण को तोड़ दिया गया। प्राधिकरण की अधिसूचित जमीन में अवैध रूप से कालोनिया काटी जा रही थी।
दरअसल, छपरौला का सहारा सिटी एरिया ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में आता है। कुछ कॉलोनाइजर इस जमीन पर कॉलोनी काटने की कोशिश कर रहे थे। वह छोटे-छोटे प्लॉट काटकर लोगों को बेच रहे थे। प्राधिकरण की तरफ से पूर्व में धारा-10 का नोटिस जारी करते हुए इन कॉलोनाइजरों को अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन उनकी तरफ से नोटिस पर कोई अमल नहीं किया गया।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार के निर्देश पर प्राधिकरण और पुलिस-प्रशासन की डेढ़ सौ सदस्यों की टीम ने मिलकर अतिक्रमण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। टीम ने सवा लाख वर्ग मीटर एरिया को अवैध कब्जे से मुक्त करा लिया।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के परियोजना विभाग के महाप्रबंधक व ओएसडी हिमांशु वर्मा और एसीपी हेमंत उपाध्याय के नेतृत्व में वरिष्ठ प्रबंधक राजेश कुमार, छपरौला थाने के एसएचओ अमरेश सिंह व थाने की पुलिस, दो कंपनी पीएसी और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के वर्क सर्किल एक व दो के सभी सदस्यों ने मिलकर इस कार्रवाई को पूरा किया।
टीम सुबह मौके पर पहुंच गई और लगातार 4 घंटे तक 12 जेसीबी का इस्तेमाल कर अतिक्रमण हटाया। इसमें 5 डंपरों व अन्य मशीनरी का भी इस्तेमाल किया गया।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ओएसडी हिमांशु वर्मा ने बताया कि यह जमीन ग्रेटर नोएडा के अधिसूचित एरिया में है। इस अवैध निर्माण करने की कोशिश की जा रही थी, जिसके चलते यह कार्रवाई की गई। इन कॉलोनाइजरों के खिलाफ प्राधिकरण की तरफ से एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई की जा रही है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि अधिसूचित एरिया में जमीन पर अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। अगर कहीं पर अवैध निर्माण हो चुके हैं, तो उनको भी सील किया जाएगा।
(आईएएनएस)
अहमदाबाद, 11 फरवरी । गुजरात के कृषि एवं पशुपालन मंत्री राघवजी पटेल को ब्रेन हेमरेज स्ट्रोक के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
डॉक्टरों ने कहा है कि 65 वर्षीय मंत्री की हालत में सुधार हो रहा है।
पटेल को जामनगर में एक कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान मस्तिष्क आघात हुआ।
राजकोट के सिनर्जी अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. संजय तिलाला ने कहा कि पटेल को उनकी सुविधा के लिए रेफर किए जाने से पहले जामनगर के एक स्थानीय अस्पताल में प्राथमिक उपचार मिला।
पटेल 2012 में राजनीति में शामिल हुए और उसी साल कांग्रेस के टिकट पर जामनगर-ग्राम्या सीट से अपनी पहली विधानसभा सीट जीती। हालांकि, पटेल 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए।
(आईएएनएस)
पटना, 11 फरवरी । बिहार के सीवान जिले में रविवार को कुछ लोगों ने एक सीपीआई-एमएल नेता समेत तीन लोगों को गोली मार दी।
घटना जिले के दरौंदा थाना क्षेत्र के रामगधई गांव की है। थाने के एसएचओ ने घटना की पुष्टि की है। घायलों को पहले दरौंदा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचाया गया। बाद में उन्हें सीवान के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनमें से एक की हालत गंभीर होने के बाद पटना के पीएमसीएच रेफर कर दिया गया।
पुलिस ने बताया कि शनिवार की रात रामगढ़ई गांव के कुछ लोगों ने धान की फसल में आग लगा दी थी। धान रमेश कुमार का था।
घटना की जानकारी मिलने पर सीपीआई-एमएल नेता जयशंकर कुमार स्थिति की जांच करने और उनका समर्थन करने के लिए वहां गए।
जब जयशंकर कुमार रमेश और उसके परिवार से बातचीत कर रहे थे, तभी कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया। उन्होंने पहले उनके साथ बेरहमी से मारपीट की और फिर उन पर फायरिंग कर दी।
जयशंकर कुमार, सीता देवी और उनका बेटा मोनू कुमार गोली लगने से घायल हो गए। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए। सीता देवी उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की निवासी हैं। सात फरवरी को वह अपने बेटे मोनू कुमार के साथ रिश्तेदारों से मिलने गांव आयी थी।
पुलिस ने कहा कि जांच चल रही है। आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
(आईएएनएस)
पटना, 11 फरवरी । बिहार में फ्लोर टेस्ट से पहले महागठबंधन के विधायकों को तेजस्वी यादव के पटना स्थित आवास पर फुर्सत के पलों का आनंद लेते हुए देखा गया। यहां पर वह अपने मनोरंजन के लिए म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स पर गाने गाते नजर आए।
इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जिसमें राजद और लेफ्ट विधायक गिटार पर गाना गाते नजर आए।
वहीं राजद विधायक और सांसद महबूब अली कैसर के बेटे यूसुफ सलाउद्दीन को तेजस्वी यादव के साथ बैठे और गिटार बजाते देखा गया। यूसुफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक स्पष्ट संदेश में 'ना छेड़ो हमें, हम सताए हुए हैं', 'बहुत ज़ख्म सीने पे, खाए हुए हैं' गाना गाते नजर आए।
ज्ञात हो की बीते दिनों नीतीश कुमार ने राजद का साथ छोड़कर भाजपा के साथ बिहार में सरकार बनाई थी।
राजद के विधायक और वाम दलों के नेता शनिवार शाम से ही पटना के 5 देशरत्न मार्ग स्थित तेजस्वी यादव के आवास पर रुके हुए हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के आवास पर राजद ने विधायकों के लिए विशेष व्यंजन बनवाये हैं।
विधायकों के सोमवार सुबह तक तेजस्वी के आवास पर रहने की संभावना है। वह वहां से सीधे फ्लोर टेस्ट के लिए बिहार विधानसभा जाएंगे। बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि फ्लोर टेस्ट से तेजस्वी यादव डरे हुए हैं और उन्हें अपने ही विधायकों पर भरोसा नहीं है।
उन्हें लगता है कि उनके विधायक उन्हें छोड़ देंगे और इसीलिए उन्होंने उन्हें अपने आवास पर नजरबंद कर दिया है। तेजस्वी वंशवादी राजनीति में विश्वास करते हैं। अपने ही विधायकों के साथ बंधुआ मजदूरों जैसा व्यवहार करने की मानसिकता रखते हैं। उन्हें अपने विधायकों का सम्मान करना चाहिए जैसा कि भाजपा करती है।
भाजपा अपने सभी 78 विधायकों को दो दिवसीय वर्कशॉप के लिए बोधगया ले गई है, जबकि जद-यू 12 फरवरी को महत्वपूर्ण फ्लोर टेस्ट से पहले अपने सभी 45 विधायकों को बरकरार रखने के लिए सभी प्रयास कर रही है।
(आईएएनएस)
कोलकाता, 11 फरवरी । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की तैयारियों का जायजा लेने इस महीने (फरवरी) के अंत में जा सकते हैं।
भाजपा के एक राज्य समिति सदस्य ने कहा कि अमित शाह जनवरी के अंत में पश्चिम बंगाल की दो दिवसीय यात्रा पर जाने वाले थे। हालांकि, बिहार में बदले राजनीतिक हालात के चलते उनकी व्यस्तताओं के कारण प्रस्तावित यात्रा रद्द करनी पड़ी थी। यदि अब सब कुछ तय रहा तो अमित शाह के 29 फरवरी को दो दिवसीय कार्यक्रम के लिए राज्य में आने की संभावना है।
हालांकि, दो दिवसीय दौरे के दौरान अमित शाह के सटीक कार्यक्रम को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल में पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ बैठकें करने के अलावा राज्य के कुछ जिलों में कुछ रैलियों को भी संबोधित कर सकते हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि अमित शाह की निर्धारित यात्रा महत्वपूर्ण है। संभावना है कि वह राज्य में लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के अभियान और रणनीति के अंतिम खाके का विवरण देंगे।
पिछली बार, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल का दौरा किया था, तो उन्होंने पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 35 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा था। तब से कई राष्ट्रीय नेता नियमित रूप से पश्चिम बंगाल का दौरा कर रहे हैं और राजनीतिक कार्यक्रम कर रहे हैं।
(आईएएनएस)
बस्ती, 11 फरवरी । उत्तर प्रदेश के बस्ती में एमपी/एमएलए अदालत ने पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी की संपत्ति जब्त करने के लिए पुलिस को 20 दिन का समय दिया है।
एसपी बस्ती गोपाल कृष्ण ने पुष्टि की कि पुलिस के अनुरोध पर, अदालत ने संपत्तियों की कुर्की के लिए प्रगति रिपोर्ट देखने के बाद समय दिया है।
अधिकारियों ने कहा कि अदालत ने बस्ती के एसपी को एक रिसीवर नामित करने की प्रक्रिया पूरी करने और संबंधित जिला अधिकारियों से संपत्तियों को जब्त करने के लिए एक न्यायिक मजिस्ट्रेट उपलब्ध कराने और देश भर में अमर मणि त्रिपाठी की संपत्तियों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट देने का अनुरोध करने का निर्देश दिया था।
बस्ती में छह दिसंबर 2001 को स्कूली छात्र राहुल गुप्ता के अपहरण के 23 साल पुराने मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रमोद गिरि ने अगली तारीख 29 फरवरी तय की है.
अदालत ने पहले ही त्रिपाठी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया था और बाद में सीआरपीसी की धारा 82 के तहत पूर्व मंत्री की अचल संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया था।
बस्ती पुलिस ने अदालत को बताया था कि त्रिपाठी के पास महराजगंज के नौतनवा कस्बे में एक मकान (संख्या 81 बी) के अलावा लखनऊ के गोमती नगर में 450 वर्ग मीटर का एक आवासीय भूखंड (संख्या ए-3/297) है।
(आईएएनएस)
पीलीभीत (यूपी), 11 फरवरी | पुलिस द्वारा पत्नी के खिलाफ उत्पीड़न का मामला दर्ज नहीं करने पर शनिवार को एक व्यक्ति ने पुलिस अधीक्षक के आवास के बाहर जहर खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
शख्स के परिवार वालों ने बताया कि उसकी पत्नी ने कुछ दिन पहले उसके खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने उसकी पत्नी द्वारा उत्पीड़न के खिलाफ उसकी शिकायत दर्ज नहीं की।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि प्रदीप और ईशा की शादी दो महीने पहले हुई थी और वह कथित तौर पर उससे 5 लाख रुपये की मांग कर रहा था।
शनिवार को प्रदीप अपनी पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए एसपी के कार्यालय-सह-आवास पर गए लेकिन अधिकारी मौजूद नहीं थे। इसलिए प्रदीप ने जहर खा लिया।
पुलिस अधीक्षक (एसपी) अतुल शर्मा ने कहा, "सुनगढ़ी थाना क्षेत्र के निवासी प्रदीप ने जहर खा लिया। स्टाफ द्वारा उसे अस्पताल ले जाया गया। मामले की जांच की जा रही है।"
बाद में, सर्कल ऑफिसर (सीओ) दीपक चतुर्वेदी ने कहा कि प्रदीप की पास के बरेली जिले के एक अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई। उन्होंने कहा कि शव का पोस्टमाॅर्टम वहीं कराया जायेगा।
शख्स के परिवार वालों की शिकायत दर्ज कराने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
(आईएएनएस)
लखनऊ, 11 फरवरी । लखनऊ में एक वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी ने एक कॉल सेंटर के अज्ञात कर्मचारियों के खिलाफ परेशान करने वाली कॉल और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने की शिकायत दर्ज कराई है।
महिला आईएएस अधिकारी ने अपनी शिकायत में कहा, ''उनके पति भी एक आईएएस अधिकारी हैं। उनके फोन पर लगातार एक मल्टी नेशनल बैंक के एक कार्यकारी की कॉल आ रही थी। वह कहती थी कि उन्होंने बैंक के क्रेडिट कार्ड का बकाया नहीं चुकाया है।''
महिला अधिकारी ने एफआईआर में कहा, "जब मेरे पति ने क्रेडिट कार्ड के बारे में पूछा, तो दिए गए विवरण में असंगति थी। इसलिए उन्होंने उनसे दोबारा फोन न करने के लिए कहा क्योंकि उस बैंक ने उन्हें कोई क्रेडिट कार्ड जारी नहीं किया था।"
कॉल सेंटर के कर्मचारी ने दुर्व्यवहार किया और बार-बार कॉल करने के लिए कई नंबरों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
जब हमने लखनऊ पुलिस से संपर्क किया तो कॉल आनी बंद हो गईं। लेकिन दिसंबर-जनवरी की अवधि में इस तरह के दावे के साथ मेरे पति के मोबाइल नंबर पर कॉलिंग फिर से शुरू हो गई। ऐसा लगता है कि किसी ने मेरी निजी जानकारी का इस्तेमाल किया और बैंक से क्रेडिट कार्ड जारी करा लिया और अब उसका कॉल सेंटर हमें परेशान कर रहा है।
हजरतगंज थाने के एसएचओ विक्रम सिंह ने कहा कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच की जा रही है।
(आईएएनएस)
लखनऊ, 11 फरवरी । उत्तर प्रदेश की 57,647 ग्राम पंचायतों में से 1748 ग्राम पंचायतों ने क्षय रोग से मुक्त होने का दावा किया है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग दावों का सत्यापन करेगा और सही पाए जाने पर गांवों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।
अंबेडकर नगर, बाराबंकी, कुशीनगर, उन्नाव, मथुरा और लखनऊ सहित राज्य के विभिन्न जिलों में, कई पंचायतें टीबी मुक्त स्थिति का दावा करने के लिए आगे बढ़ी हैं।
राज्य क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के संयुक्त निदेशक शैलेन्द्र भटनागर ने कहा कि विभिन्न मापदंडों पर आधारित कड़ी सत्यापन प्रक्रिया के बाद ही योग्य पंचायतों को 20 फरवरी तक टीबी मुक्त प्रमाणन दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि टीबी के प्रति जागरूकता और रोकथाम को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियों को पंचायत विकास योजनाओं में शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा, "समुदायों को टीबी के लक्षणों, रोकथाम के उपायों, गलत धारणाओं को दूर करने, उपचार के पालन, उपलब्ध जांच सुविधाओं और टीबी रोगियों के लिए सरकार की सहायता प्रणाली के बारे में पूरी जानकारी दी गई है।"
प्रवक्ता ने कहा कि खंड विकास अधिकारी सक्रिय रूप से पात्र ग्राम पंचायतों के लिए आवश्यक दस्तावेज ब्लॉक स्तर पर जिला क्षय रोग अधिकारी को जमा करके सत्यापन प्रक्रिया को सुविधाजनक बना रहे हैं।
(आईएएनएस)
हैदराबाद, 11 फरवरी । हैदराबाद में पुलिस ने एक बांग्लादेशी महिला को पकड़ा है जो अवैध रूप से भारत में आई थी और वेश्यावृत्ति में लिप्त थी।
पुलिस ने उस दम्पति को भी गिरफ्तार किया है जिसने महिला को आश्रय दिया था और उसका इस्तेमाल देह व्यापार के लिए किया था।
22 वर्षीय बांग्लादेशी महिला दो महीने पहले अवैध रूप से भारत में दाखिल हुई और कोलकाता के रास्ते हैदराबाद पहुंची और शहर के चंद्रयानगुट्टा इलाके में एक मकान में रह रही थी।
विदेशी नागरिक के अवैध प्रवास का पता तब चला जब वह दंपति को बताए बिना एक ग्राहक के पास गई, जिसके साथ उसका झगड़ा हो गया।
पुलिस जांच से पता चला कि शेख सानिया (27), जिनकी मां बांग्लादेशी हैं और पिता भारत में हैं, के कोलकाता में कई जानकार थे। उसने एक कपड़े की दुकान में काम करने वाले मोहम्मद सलमान (24) से प्रेम विवाह किया था और यह जोड़ा चंद्रयानगुट्टा में रह रहा था।
सानिया ने पुलिस को बताया कि वह बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले चैटिंग ऐप पर बांग्लादेशी महिला अख्तर (22) के संपर्क में आई थी। वे दोस्त बन गए और बांग्लादेशी महिला ने उससे पूछा कि क्या वह हैदराबाद में कुछ पैसे कमा सकती है। जब सानिया ने उसे बताया कि वह नौकरानी के रूप में काम कर प्रति माह 10,000 रुपये और वेश्यावृत्ति से 20,000 रुपये कमा सकती है, तो बांग्लादेशी महिला ने जवाब दिया कि वह पैसे कमाने के लिए कोई भी काम करने के लिए तैयार है।
भारत में प्रवेश करने के लिए अवैध रूप से सीमा पार करने के बाद, वह कोलकाता पहुंची और वहां से सिकंदराबाद के लिए ट्रेन में बैठ गई।
सानिया और उसके पति उसे रेलवे स्टेशन से उठाकर अपने घर ले आए। इसके बाद उन्होंने उसे वेश्यावृत्ति के लिए उसे इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। सानिया उसके साथ ग्राहकों के पास जाती थी और उसे वापस लाती थी। 9 फरवरी को जब सानिया अपने पड़ोसी के घर गई, तो बांग्लादेशी महिला को सानिया के मोबाइल फोन पर एक कॉल आया। एक ग्राहक चाहता था कि वह अट्टापुर आए। उसने एक ऑटो-रिक्शा लिया और बताए स्थान पर पहुंची।
इस बीच, सानिया ने अख्तर की तलाश शुरू कर दी और जब वह नहीं मिली तो उसने अपना मोबाइल फोन चेक किया। उसने उस नंबर पर कॉल किया जिससे आखिरी कॉल आई थी। उस व्यक्ति ने उसे बताया कि अख्तर अट्टापुर आयी थी। दंपति वहां पहुंचे और अख्तर से उनकी बहस हो गई। बांग्लादेशी महिला ने सानिया के हाथ से मोबाइल फोन छीन लिया और 100 नंबर डायल कर पुलिस को सूचना दे दी।
बाद की जांच से पता चला कि अख्तर के बांग्लादेश में एक पति और दो बच्चे हैं।
पुलिस ने तीनों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। (आईएएनएस)
भोपाल, 11 फरवरी । आगामी 27 फरवरी को होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने में एक सप्ताह से भी कम समय बचा है। ऐसे में मौजूदा विधानसभा सदस्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने आवास पर पार्टी विधायकों को रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया है।
रात्रिभोज का निमंत्रण 15 फरवरी को नामांकन की अंतिम तिथि से ठीक दो दिन पहले 13 फरवरी के लिए है।
कमलनाथ ने हाल ही में दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान और पूर्व एआईसीसी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और इसके लिए उनकी मंजूरी मांगी। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि कमलनाथ को अभी तक सोनिया गांधी से कोई मंजूरी नहीं मिली है।
सूत्रों ने आईएएनएस को यह भी बताया कि पिछले साल नवंबर में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी कमलनाथ से नाराज हैं।
गांधी परिवार के करीबी रहे दिल्ली के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद ने कहा है कि राहुल गांधी ने कमलनाथ से बातचीत तक बंद कर दी है।
पूर्व राज्यसभा सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "वह (राहुल गांधी) इस बात से परेशान हैं कि विधानसभा चुनाव से संबंधित निर्णय लेने के लिए कमलनाथ को पूर्ण अधिकार दिए जाने के बावजूद कांग्रेस मध्य प्रदेश में चुनाव हार गई।"
मध्य प्रदेश से पांच राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त हो रहा है। इनमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और एल मुरुगन समेत चार भाजपा के, और एक कांग्रेस के राजमणि पटेल हैं।
कमलनाथ, जो वर्तमान में अपने गढ़ छिंदवाड़ा से विधायक हैं, राज्य में छह साल बिताने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में लौटने के इच्छुक हैं। उन्होंने 2018 में विधानसभा चुनाव से लगभग छह महीने पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला था।
तब से, उन्होंने राज्य इकाई को नया स्वरूप दिया, और 2018 में 15 साल के अंतराल के बाद कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने में सफल रहे। हालांकि, गुटबाजी के कारण इकाई के भीतर संकट पैदा हो गया, जिसके परिणामस्वरूप 15 महीने के भीतर उनकी सरकार गिर गई।
कांग्रेस 2022 में मध्य प्रदेश की 16 मेयर सीटों में से पांच जीतने में कामयाब रही, जिसमें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ ग्वालियर भी शामिल है। उस जीत ने पार्टी कैडर का आत्मविश्वास बढ़ाया, हालांकि, नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव में आश्चर्यजनक हार देखी गई।
पार्टी की हार के बाद कांग्रेस आलाकमान ने कमलनाथ की जगह नए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को नियुक्त किया है। इसलिए, छिंदवाड़ा से नौ बार के लोकसभा सांसद कमलनाथ, जिन्होंने यूपीए-1 और 2 के दौरान कई मंत्रालयों का नेतृत्व किया है, राज्यसभा के माध्यम से राष्ट्रीय राजनीति में लौटने के इच्छुक हैं।
हालांकि कांग्रेस ने अभी तक उच्च सदन के लिए अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि पार्टी आलाकमान किसी ओबीसी या दलित उम्मीदवार को नामित कर सकता है। सूत्रों की मानें तो कमलनाथ के विरोधी गुट से अरुण यादव भी राज्यसभा की रेस में हैं।
चूंकि कमलनाथ ने कांग्रेस विधायकों को रात्रिभोज पर आमंत्रित किया है, इसलिए इसे शक्ति प्रदर्शन की कवायद माना जा रहा है। चूंकि विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण में दिग्गज नेता का पलड़ा भारी था, इसलिए कई विधायक उनके साथ हैं।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कुल 66 विधायक हैं, और इसलिए, यह देखना दिलचस्प होगा कि उनमें से कितने 13 फरवरी को कमलनाथ की डिनर पार्टी सह बैठक में शामिल होते हैं। साथ ही, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कमलनाथ को अपने पुराने पार्टी सहयोगी और दो बार के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का समर्थन मिलेगा जो पहले से ही उच्च सदन में हैं।
(आईएएनएस)
बेंगलुरु, 11 फरवरी । कर्नाटक भाजपा इकाई के अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने रविवार को कहा कि पार्टी नेता गृह मंत्री अमित शाह - जिन्हें भारतीय राजनीति के चाणक्य के रूप में जाना जाता है - का मार्गदर्शन लेंगे और आगामी लोकसभा चुनावों के दौरान दक्षिणी राज्य को जीतने के लिए उसी के अनुसार रणनीति बनाएंगे।
विजयेंद्र ने मैसूर में मीडियाकर्मियों से कहा, “उन्हें चाणक्य के नाम से जाना जाता है। हम कर्नाटक में लोकसभा चुनाव कैसे जीतें, इस पर उनसे सुझाव और मार्गदर्शन मांगेंगे।"
उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाना गृह मंत्री अमित शाह का मुख्य एजेंडा होगा, जो रविवार सुबह कर्नाटक पहुंचे हैं।
विजयेंद्र ने कहा कि राज्य की सभी 28 सीटें जीतने के लिए पूरी रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा, “भाजपा और जद (एस) गठबंधन सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ेंगे। इस गठबंधन पर भी चर्चा होगी।''
विजयेंद्र ने कहा, "अमित शाह सुबह 2.45 बजे मैसूरु पहुंचे। वह कोर कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करेंगे और मैसूरु क्लस्टर नेताओं के साथ भी बैठक करेंगे, जिसमें चार लोकसभा सीटें शामिल हैं।"
मैसूर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया का पैतृक स्थान है लेकिन शहर में आम चुनाव के दौरान लोगों ने भाजपा के पक्ष में जमकर वोट किया है।
विजयेंद्र ने कहा, “हमें चामराजनगर संसदीय सीट के लिए एक उम्मीदवार की तलाश करनी होगी क्योंकि वरिष्ठ नेता श्रीनिवास प्रसाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं। हमें सीट जीतनी है। जहां तक मांड्या सीट का सवाल है, ज्यादातर जद (एस) अपना उम्मीदवार उतार सकती है।''
उन्होंने कहा कि मांड्या के लिए भी अमित शाह की अध्यक्षता में होने वाली कोर कमेटी में भाजपा के साथ मतभेदों को सुलझा लिया जाएगा।
विजयेंद्र ने कहा, “राम मंदिर उद्घाटन और पीएम मोदी के जन-समर्थक एजेंडे का लोकसभा चुनाव पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। आगामी चुनावों के दौरान राष्ट्रीय कथा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है।”
उन्होंने कहा कि हालांकि विधानसभा चुनाव में भाजपा को झटका लगा है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता हार की कड़वी यादों को भूल चुके हैं और वे नई ऊर्जा के साथ आगामी आम चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।
कांग्रेस के 'मेरा टैक्स, मेरा अधिकार' विरोध पर विजयेंद्र ने कहा कि यह सत्तारूढ़ सरकार की विफलताओं को छिपाने की चाल है।
उन्होंने कहा, "मेरा कर, मेरा अधिकार आंदोलन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के नेतृत्व में अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए रचा गया एक नया नाटक है।"
(आईएएनएस)
कोलकाता, 11 फरवरी। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखली की स्थिति पर पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी है। गाैैरतलब है कि यहां फरार तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां और उनके सहयोगियों, पर अनुसूचित जाति की महिलाओं ने उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया था।
संदेशखली में बढ़ती अशांति को देखते हुए शनिवार से धारा 144 लागू कर दी गई है और इंटरनेट के इस्तेमाल पर अनिश्चित काल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है।
5 जनवरी को ईडी और सीएपीएफ कर्मियों पर हमले का आरोपी मास्टरमाइंड शाहजहां फरार है और ईडी के अधिकारियों ने उसके खिलाफ पहले ही लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है।
तृणमूल कांग्रेस ने पहले ही अपने स्थानीय पार्टी नेता और शाहजहां के करीबी उत्तम सरदार को छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया है। पश्चिम बंगाल पुलिस ने सरदार के खिलाफ दर्ज शिकायतों के आधार पर उसे भी गिरफ्तार कर लिया है।
सूत्रों ने कहा कि एनसीएससी अपनी पूर्ण पीठ को क्षेत्र निरीक्षण के लिए संदेशखली भेज सकता है और तदनुसार केंद्र सरकार को सिफारिशें कर सकता है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने शनिवार को राज्य सरकार से अगले 24 घंटों के भीतर संदेशखाली की स्थिति पर इसी तरह की ग्राउंड रिपोर्ट मांगी है, इसके बाद एनसीएससी ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा सोमवार को धारा 144 का उल्लंघन कर संदेशखली में एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का अल्टीमेटम जारी करने के कुछ ही घंटों बाद राज्यपाल ने क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल करने की पहल कर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी।
संदेशखली में बड़े पैमाने पर हुए प्रदर्शन का नेतृत्व मुख्य रूप से स्थानीय महिलाओं ने किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि भूमिगत होने से पहले, शाहजहांं और उसके सहयोगियों ने स्थानीय ग्रामीणों पर उनकी जमीन हड़पने के साथ-साथ उन्हें मुफ्त में श्रम करने के लिए मजबूर कर उनका उत्पीड़न किया था।
संदेशखाली में महिलाएं भगोड़े शाहजहां और उसके सहयोगियों के हाथों अपमान और छेड़छाड़ के डर से सूर्यास्त के बाद अपने घरों से बाहर निकलने से डरती हैं।
शुक्रवार को प्रदर्शनकारी महिलाओं ने शाहजहां के करीबी विश्वासपात्र और तृणमूल नेता शिबू हाजरा के पोल्ट्री फार्म को जला दिया था।
(आईएएनएस)
रांची, 11 फरवरी । झारखंड विडंबनाओं का प्रदेश बन गया है। देश की 40 फीसदी खनिज संपदा झारखंड में है, लेकिन नीति आयोग की इसी जनवरी में आई रिपोर्ट बताती है कि यह देश का दूसरा सबसे गरीब सूबा है। प्रदेश की 28.81 फीसदी आबादी बहुआयामी गरीबी के दायरे में है। पिछले 23 सालों में यहां 12 मुख्यमंत्री आए-गए, लेकिन इसने गरीबी में सेकंड टॉप का “खिताब” टस से मस नहीं होने दिया।
सियासी सूचकांकों पर इस राज्य ने ऐसे नायाब रिकॉर्ड कायम किए हैं, जो पूरे देश में कहीं और नहीं मिलेंगे। हाल में इस फेहरिस्त में और एक और रिकॉर्ड तब जुड़ गया जब सीएम की कुर्सी पर रहते हुए हेमंत सोरेन को ईडी ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार कर लिया। किसी सीएम की गिरफ्तारी की देश में यह संभवतः पहली घटना है।
चंपई सोरेन के पहले राज्य में छह सीएम बने। इनमें से तीन शिबू सोरेन, मधु कोड़ा और हेमंत सोरेन को अलग-अलग मामलों में जेल जाना पड़ा। यानी राज्य में सीएम-पूर्व सीएम की जेल यात्राओं का रिकॉर्ड फिफ्टी-फिफ्टी है। ऐसा इतिहास भी देश के किसी दूसरे प्रदेश में आज तक नहीं रचा गया।
15 दिसंबर 2000 को देश के नक्शे पर 28वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आए झारखंड में पिछले 23 सालों में राष्ट्रपति शासन को लेकर कुल 15 बार सरकारें बदलीं। यानी यहां सरकार की औसत आयु बमुश्किल डेढ़ साल रही है, जबकि झारखंड के साथ ही अस्तित्व में आए पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में इस अवधि में सिर्फ छह सरकारें बनी हैं।
झारखंड में अब तक मात्र रघुवर दास ऐसे सीएम रहे, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। यहां की 82 सदस्यीय विधानसभा में आज तक किसी एक पार्टी ने अकेले अपने बूते बहुमत नहीं हासिल किया और न ही चुनावों के बाद कोई सरकार रिपीट हुई। यहां हमेशा गठबंधन की सरकारें रहीं।
झारखंड में सोरेन परिवार (शिबू सोरेन-हेमंत सोरेन) के पास सरकार की कमान अब तक पांच दफा आई है और इनका सत्ता काल कुल मिलाकर तकरीबन छह साल पांच महीने का ही रहा। हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन तीन बार सीएम बने, लेकिन उनका कुल कार्यकाल तकरीबन साढ़े दस महीने का रहा। पहली बार वे मात्र 10 दिनों के लिए सीएम बने। दूसरी बार उन्होंने 27 अगस्त 2008 को सीएम पद की शपथ ली, लेकिन तमाड़ विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव हारने की वजह से उन्हें पांच महीने बाद 12 जनवरी 2009 को कुर्सी छोड़नी पड़ी। तीसरी बार वे भाजपा के समर्थन से 30 दिसंबर 2009 को फिर सीएम बने, लेकिन पांच महीने बाद ही भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया और उन्हें 31 मई 2010 को इस्तीफा देना पड़ा।
शिबू सोरेन को 2006 में तब जेल जाना पड़ा था, जब दिल्ली की एक अदालत में 1994 में उनके निजी सचिव शशि नाथ झा के अपहरण और हत्या के मामले में शामिल होने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। हालांकि 2007 में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस केस में उन्हें बरी कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें इस केस में निर्दोष करार दिया।
अब शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन को रांची में साढ़े आठ एकड़ जमीन के घोटाले में बीते 31 जनवरी को ईडी ने गिरफ्तार किया। उन्होंने ईडी की हिरासत में राजभवन पहुंचकर सीएम पद से इस्तीफा दिया था। भ्रष्टाचार का यह इकलौता केस नहीं है, जिसमें हेमंत सोरेन बुरी तरह घिरे हैं। माइनिंग स्कैम, पत्थर खदान लीज, पत्नी-रिश्तेदारों और करीबियों के नाम पर माइन्स और भू-खंड के आवंटन, झारखंड में लागू जमीन के विशेष कानून सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर कई जगहों पर जमीन खरीदने जैसे आरोप भी चार साल के सीएम के कार्यकाल के दौरान उनका पीछा करते रहे।
देश में पहली बार झारखंड में ही एक निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा के सीएम बनने का रिकॉर्ड बना था। वह 18 सितंबर 2006 से लेकर 23 अगस्त 2008 तक इस कुर्सी पर बने रहे। कांग्रेस, राजद, राकांपा और निर्दलीयों के समर्थन की बदौलत 709 दिनों तक चली उनकी सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के नायाब रिकॉर्ड बने। उनकी सरकार में 12 मंत्री थे। इनमें से 6 यानी कुल 50 फीसदी मंत्रियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगे और उनके खिलाफ सीबीआई जांच बैठी।
इनमें मधु कोड़ा के अलावा उनकी कैबिनेट में शामिल रहे एनोस एक्का, हरिनारायण राय, बंधु तिर्की, भानु प्रताप शाही और कमलेश सिंह शामिल रहे। इन सभी के खिलाफ अलग-अलग तरह के घोटालों के भी मामले दर्ज हुए। मधु कोड़ा को जेल जाना पड़ा। वे 4000 करोड़ के बहुचर्चित कोयला घोटाले में दोषी पाये गये। दिल्ली की पटियाला हाउस स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने 16 दिसंबर 2017 को उन्हें 3 साल की सजा सुनाई थी। साथ ही उन पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था।
पूर्व मंत्री हरिनारायण राय पर भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति का आरोप साबित हुआ। सीबीआई कोर्ट ने 2016 में उन्हें पांच साल की सजा सुनाई थी और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा।
चौथे मंत्री बंधु तिर्की को कोर्ट ने पिछले साल आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी करार दिया। उन पर 34वें राष्ट्रीय खेल के लिए सामान की खरीदारी में भ्रष्टाचार का भी मुकदमा चल रहा है। भानु प्रताप शाही के खिलाफ दवा घोटाला और आय से अधिक संपत्ति के अलग-अलग मामलों में सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है।
कोड़ा सरकार के छठे मंत्री कमलेश सिंह के खिलाफ भी आय से अधिक संपत्ति के आपराधिक मामले में सुनवाई जारी है। इन सभी छह पूर्व मंत्रियों को इन मामलों में कई बार जेल यात्राएं करनी पड़ी थीं।
सूबे में पांच साल तक चलने वाली रघुवर दास के नेतृत्व वाली इकलौती सरकार पर भी मोमेंटम झारखंड से लेकर झारखंड स्थापना दिवस के आयोजन में घोटाले के आरोप लगे। उनकी सरकार में मंत्री रहे अमर कुमार बाउरी, रणधीर सिंह, नीरा यादव, नीलकंठ सिंह मुंडा और लुईस मरांडी के खिलाफ संपत्ति में अप्रत्याशित वृद्धि का मामला एंटी करप्शन ब्यूरो ने दर्ज कर रखा है और इसकी जांच चल रही है।
(आईएएनएस)
कोलकाता, 11 फरवरी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 35 पर जीत दर्ज करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कवायद में अब भ्रष्टाचार के मुद्दे से अपना ध्यान हटाकर अयोध्या में राम मंदिर और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) जैसे भावनात्मक मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रही है।
भाजपा की रणनीति पश्चिम बंगाल में आगामी लोकसभा चुनाव विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ से अलग होकर अकेले लड़ने के तृणमूल कांग्रेस के फैसले पर आधारित है।
इस कदम ने भाजपा के भीतर टीएमसी विरोधी वोट हासिल करने की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। भाजपा को 2014 में 17 प्रतिशत वोट मिले थे जो 2019 में बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया जिसके परिणामस्वरूप उसे 18 लोकसभा सीटें मिली थीं।
राज्य में 2021 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से आंतरिक कलह और चुनावी झटकों के बावजूद ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को भुनाने की भाजपा की कोशिशें रंग नहीं लायी हैं। लोकसभा की 42 में से 35 सीटें जीतने का लक्ष्य तय करते हुए भाजपा अब राम मंदिर और सीएए जैसे भावनात्मक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
भाजपा की प्रदेश महासचिव अग्निमित्रा पॉल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा और सीएए लागू करना दोनों ही पार्टी के अहम मुद्दे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों मुद्दे भावनात्मक हैं और लोग इससे जुड़ सकते हैं।’’
भाजपा सांसद और राज्य के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष ने इन मुद्दों की भावनात्मक अपील का उल्लेख करते हुए हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने और खासतौर से मतुआ समुदाय की शरणार्थी चिंता को हल करने में इनके ऐतिहासिक महत्व पर जोर दिया।
घोष ने कहा, ‘‘सीएए लागू करने के वादे ने भाजपा की चुनावी सफलता में एक अहम भूमिका निभायी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राम मंदिर के मुद्दे ने पहले भी भाजपा को फायदा पहुंचाया है और इस बार भी यह पश्चिम बंगाल समेत देशभर के हिंदुओं को एकजुट करने में हमारी मदद करेगा।’’
राज्य की अनुसूचित जाति की आबादी का एक अहम हिस्सा मतुआ समुदाय के लोग पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में धार्मिक उत्पीड़न से भागकर 1950 से पश्चिम बंगाल में रह रहे हैं।
उनका एकजुट होकर मतदान करना उन्हें एक अहम मतदाता वर्ग बनाता है खासतौर से सीएए पर भाजपा के रुख को देखते हुए।
सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के वादों पर भरोसा करते हुए मतुआ समुदाय ने 2019 में राज्य में सामूहिक रूप से भाजपा के लिए वोट किया था।
केंद्रीय मंत्री और मतुआ समुदाय के नेता शांतनु ठाकुर ने हाल में कहा था कि सीएए को जल्द ही लागू किया जाएगा।
भाजपा को यह भी लगता है कि पश्चिम बंगाल में ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस) गठबंधन से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने के टीएमसी के फैसले से उसे टीएमसी विरोधी वोट मिलने में मदद मिलेगी।
भाजपा की रणनीति का जवाब देते हुए टीएमसी को मतदाताओं से अपनी अपील पर अब भी भरोसा है और वह भाजपा की साम्प्रदायिक राजनीति को अप्रभावी बताकर खारिज कर रही है।
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘मतदाता पश्चिम बंगाल में भाजपा के विभाजनकारी हथकंडों को नाकाम कर ममता बनर्जी का समर्थन करेंगे।’’
राजनीतिक विश्लेषक मैदुल इस्लाम ने कहा कि भावनात्मक मुद्दों पर भाजपा की निर्भरता उसकी संगठनात्मक कमजोरियों से पैदा हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘राम मंदिर, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और सीएए जैसे मुद्दे पश्चिम बंगाल में आगामी लोकसभा चुनाव में हावी रहेंगे।’’ (भाषा)
लातेहार 11 फरवरी झारखंड के लातेहार जिले में 10 लाख के इनामी भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (माओवादी) के जोनल कमांडर ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। एक पुलिस अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
माओवादी नेता लालदीप गंझू उर्फ कल्टू ने शनिवार शाम लातेहार के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अंजनी अंजन के कार्यालय में आत्मसमर्पण कर दिया।
एसपी ने बताया कि लालदीप लातेहार के दो और बिहार के एक थाने में आठ मामलों में वांछित था।
अंजन ने बताया कि लालदीप 2004 में भाकपा (माओवादी) संगठन में शामिल हुआ था और 20 साल से संगठन में सक्रिय है।
एसपी ने कहा कि जिले के विभिन्न इलाकों में पुलिस द्वारा चलाये जा रहे माओवादी विरोधी अभियान से माओवादी संगठन कमजोर हुआ है।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि लातेहार में पिछले एक साल में 10 शीर्ष माओवादी नेताओं ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है और 19 को गिरफ्तार किया गया है। (भाषा)
भोपाल, 10 फरवरी । मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को लग रहे लगातार झटकों ने पार्टी के भीतर चिंताएं बढ़ा दी हैं। बदले हालात में कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव के लिए मजबूत उम्मीदवार की तलाश भी आसान नजर नहीं आ रही है। कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव पूरी ताकत से लड़ने का दावा कर रही है और उसके नेता जमीनी तैयारी के साथ बेहतर उम्मीदवारों की तलाश में भी जुटे हुए हैं।
एक तरफ जहां पार्टी चुनाव की तैयारी में जुटी है, वहीं दूसरी ओर उसके कई बड़े नेता साथ छोड़कर भाजपा की तरफ रुख कर रहे हैं। बीते कुछ दिनों के दल-बदल पर गौर करें तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों में जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर, मीडिया विभाग के पूर्व उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव ने भाजपा का दामन थामा, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी सुमेर सिंह गढ़ा ने भी पाला बदल लिया है।
इसके अलावा जिला पंचायत के कई पदाधिकारी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा पहले ही इस बात का ऐलान कर चुके हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में उनका लक्ष्य कांग्रेस मुक्त बूथ बनाना है। हाल ही में हुए दल-बदल को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
एक तरफ जहां कांग्रेस के तमाम नेता दल-बदल में लगे हैं, वहीं कई बड़े नेताओं ने आगामी लोकसभा चुनाव लड़़ने से ही इ़नकार कर दिया है। पार्टी के कार्यकर्ता दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतरने की मंशा जता रहे हैं, मगर दिग्गज इसके लिए तैयार नहीं हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तो अपने राज्यसभा के शेष बचे कार्यकाल का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने में रुचि नहीं दिखाई, वहीं पूर्व नेता प्रतिपक्ष और विधायक अजय सिंह ने भी चुनाव न लड़ने का संकेत दिया है।
इसके अलावा भी कई बड़े नेता हैं जो लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहते।
दल बदल को लेकर कमलनाथ कह चुके हैं कि सब स्वतंत्र है, किसी को रोका नहीं जा सकता।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस वैसे भी संकट के दौर से गुजर रही है। हाल ही में उसे विधानसभा चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा है और लोकसभा चुनाव से पहले दल बदल हो रहा है। इसके अलावा वरिष्ठ नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में कांग्रेस बेहतर तरीके से भाजपा का लोकसभा चुनाव में मुकाबला कर पाएगी, इस पर संशय है। कांग्रेस अगर वाकई में भाजपा को कड़ी टक्कर देना चाहती है तो उसे अपने नामचीन और दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारना ही चाहिए। ऐसा नहीं होता है तो संदेश जाएगा कि कांग्रेस पहले ही हार मान चुकी है।
राज्य की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो लोकसभा की उनकी 29 यीटें हैं इनमें से 28 पर भाजपा का कब्जा है और सिर्फ एक सीट छिंदवाड़ा पर कांग्रेस काबिज है। भाजपा आगामी चुनाव में सभी 29 सीटें जीतने का दावा कर रही है।
(आईएएनएस)
शाहजहांपुर (उप्र) 11 फरवरी उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में गंगा स्नान करने जा रहे श्रद्धालुओं की एक कार गन्ने से लदी एक ट्रैक्टर-ट्रॉली से टकरा जाने के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गयी और पांच लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस के एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि घायल और मृतक एक ही परिवार के सदस्य हैं।
अपर पुलिस अधीक्षक (नगर) संजय कुमार ने बताया कि थाना निगोही अंतर्गत रामपुर बसंत गांव निवासी सत्येंद्र कुमार सुबह कार से अपने परिवार के साथ गंगा स्नान करने घटियाघाट जा रहे थे। उन्होंने कहा कि इनकी कार जब निगोही-शाहजहांपुर मार्ग स्थित डालमिया चीनी मिल पहुंची, तभी यह वहां गन्ने से लदी एक ट्रैक्टर-ट्रॉली से टकरा गयी।
उन्होंने बताया कि घटना में डाक विभाग में डाकिया के तौर पर कार्यरत सत्येंद्र कुमार (55) की मौके पर ही मौत हो गयी, जबकि उनके परिवार के पांच लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
एएसपी कुमार ने बताया कि पुलिस ने मृतक के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है, वही ट्रैक्टर चालक घटना के बाद से फरार हो गया, जिसकी तलाश की जा रही है। (भाषा)
लखनऊ, 11 फरवरी उत्तर प्रदेश में ‘मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना’ के अंतर्गत होने वाले किसी भी आयोजन में अब 100 से अधिक शादियां नहीं हो सकेंगी। उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने यह जानकारी दी।
अरुण ने साथ ही बताया कि हर विवाह का पंजीकरण अब कार्यक्रम स्थल पर ही किया जाएगा और फोटो युक्त विवाह प्रमाणपत्र भी तुरंत जारी किया जाएगा।
राज्य सरकार ने ये कदम बलिया जिले में एक सामूहिक विवाह समारोह में हुई धोखाधड़ी के हालिया मामले के मद्देनजर उठाए हैं, जहां 240 अपात्र लोगों ने ‘मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना’ का लाभ प्राप्त करने के लिए अपना पंजीकरण कराया था। आरोप है कि इस कार्यक्रम के दौरान पहले से शादीशुदा लोगों की दोबारा शादी कराई गई थी। पुलिस ने इस मामले में समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों सहित 16 लोगों को गिरफ्तार किया है।
पूर्व आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी अरुण ने रविवार को ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘‘अब सामान्य सामूहिक विवाह कार्यक्रमों में 100 से अधिक विवाह नहीं कराए जाएंगे। अगर किसी ऐसे कार्यक्रम में कोई मंत्री या कोई अन्य विशिष्ठ अतिथि आ रहा हो और उस कार्यक्रम में जिलाधिकारी स्वयं मौजूद हों तो 100 से अधिक विवाह कराने की अनुमति प्रदान की जाएगी।'
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा हर शादी का पंजीकरण अब कार्यक्रम स्थल पर ही किया जायेगा और विवाह प्रमाणपत्र भी तुरंत जारी होगा। दूल्हा-दुल्हन की तस्वीर खींची जाएगी, सभी रस्म और संस्कार पूरे होने के बाद विवाह को कम्प्यूटर पर दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक नवविवाहित जोड़ों के विवरण को डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) और आधार कार्ड से जोड़ा जायेगा।'
उन्होंने बताया कि सामूहिक विवाह में गड़बड़ियों को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर ग्राम सचिव और लेखपाल को यह पता लगाने की जिम्मेदारी दी जाएगी कि इन कार्यक्रमों में शादी करने वाला युवक या युवती पहले से विवाहित तो नहीं है।
समाज कल्याण मंत्री अरुण ने कहा कि मौजूदा नियमावली के अनुसार सत्यापन की जिम्मेदारी खंड स्तर के अधिकारियों की है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रदेश सरकार खंड स्तर से सत्यापन के बाद उनमें से एक निश्चित प्रतिशत मामलों का जिलाधिकारी कार्यालय और उप निदेशक समाज कल्याण से फिर से सत्यापन कराने पर भी विचार कर रही है।’’
बलिया जिले में 25 जनवरी को आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में गड़बड़ी का मामला नौ फरवरी को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी गूंजा। समाजवादी पार्टी के लाल जी वर्मा ने यह मामला सदन में उठाया।
मंत्री ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि इस योजना का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि हर घर की बेटी का विवाह धूमधाम से हो।
अरुण ने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार ‘‘भ्रष्ट लोगों से प्रभावी ढंग से निपटने’’ के लिए काम कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘बलिया के मामले में तीन अधिकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। हर भ्रष्टाचारी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी, भले ही वह अधिकारी हो या कोई दलाल।'
अरुण ने कहा, 'जहां एक तरफ चोर को पकड़ा गया हैं, वहीं ताले (संपूर्ण व्यवस्था) को भी मजबूत किया गया हैं ।'
समाज कल्याण विभाग के निदेशक कुमार प्रशांत ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, 'सामूहिक विवाह योजना के तहत हर साल हजारों जोड़ों की शादियां हो रही थीं और कहीं से किसी गड़बड़ी की बात सामने नहीं आयी थी, लेकिन बलिया में ऐसी गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद अब विभाग प्रत्येक जनपद में होने वाले ऐसे आयोजनों की बहुत बारीकी से जांच-पड़ताल कर रहा हैं। हर मामले की कई स्तर पर जांच और गहन पड़ताल किए जाने की व्यवस्था की गयी हैं।’’
बलिया में 25 जनवरी को एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम के दौरान करीब 537 शादियां हुई थीं जिनमें से 240 शादियों में गड़बड़ियां पायी गयी थीं। इस मामले में अभी तक 16 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी हैं और समाज कल्याण विभाग समेत विभिन्न विभागों के पांच सरकारी कर्मियों को निलंबित भी किया जा चुका हैं ।
समाज कल्याण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, समाज कल्याण विभाग द्वारा समाज में सर्वधर्म समभाव और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना चलाई जा रही है। योजना को शुरू करने के वर्ष 2017-18 से वित्त वर्ष 2022-23 तक कुल 2,77,292 सामूहिक विवाह कराए गए हैं, जिसमें अल्पसंख्यक वर्ग के 27,782, अन्य पिछड़ा वर्ग के 78,300, अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के 1,50,357 एवं सामान्य वर्ग के 10,353 जोड़े शामिल हैं।
पिछले वर्ष 2022-2023 में 1,00,874 विवाह संपन्न करवाए गए। इस वर्ष अभी तक 66,673 जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया गया है। इस वर्ष करीब एक लाख 10 हजार शादियों का लक्ष्य रखा गया है।
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, इस योजना के तहत विवाह करने वाली महिला के खाते में 35,000 रुपये सहायता राशि भेजी जाती है।
विवाह संस्कार के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कपड़े, बिछिया, पायल, बर्तन आदि पर 10 हजार रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
कार्यक्रम आयोजन के दौरान भोजन, पंडाल, फर्नीचर, पेयजल, रोशनी की व्यवस्था एवं अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं हेतु 6,000 रुपए प्रति जोड़ा व्यय किया जाता है। एक जोड़े के विवाह पर कुल 51,000 रुपए व्ययभार आता है।
अरुण ने कहा कि बलिया मामले में फर्जीवाड़े की शिकायत मिलने के बाद ‘‘हमने व्यवस्था कड़ी कर दी हैं लेकिन किसी भी जनपद में ऐसे कार्यक्रमों पर किसी तरह की रोक नहीं लगायी है। अब गहन जांच-पड़ताल और कड़ी निगरानी में ही ऐसे सामूहिक विवाह के आयोजन कराए जा रहे हैं। (भाषा)
लखनऊ, 11 फरवरी । चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने के बाद भाजपा और राष्ट्रीय लोकदल की नजदीकियां काफी तेजी से बढ़ने लगी हैं, जो कि उनके बीच लोकसभा चुनाव में गठबंधन की ओर संकेत कर रहा है। भाजपा और रालोद का गठजोड़ कांग्रेस और सपा के लिए बड़ी चुनौती खड़ी करने जा रहा है। इसके अलावा यह गठबंधन दोनों दलों को एक बार रणनीति बदलने पर मजबूर भी करेगा।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि जयंत के पाला बदलने से सपा और कांग्रेस के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है, क्योंकि उन्हें जाट बहुल सीटों पर मशक्कत करनी पड़ेगी। 2022 में इन सीटों पर दोनों दलों को काफी फायदा मिला था।
चुनावी आंकड़ों को देखें तो 2022 के विधानसभा में मेरठ, मुरादाबाद और साहरनपुर मंडल में जाट मुस्लिम का गठजोड़ काफी कारगर साबित हुआ था। 2017 में भाजपा ने यहां 50 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं 2022 के आंकड़ों को देखने से सामने आता है कि भाजपा को 40 सीटों पर ही कामयाबी मिली, जबकि विपक्ष की सीटें 20 से बढ़कर 31 हो गई। 2019 के संसदीय चुनाव में सपा, बसपा और रालोद के गठबंधन ने मोदी लहर होने के बाद भी सभी छह सीटों पर कब्जा किया था। इनमें बिजनौर, नगीना और अमरोहा सीटें बसपा को मिलीं, जबकि मुरादाबाद, संभल और रामपुर सीटों पर सपा काबिज हुई। रालोद किसी सीट पर नहीं लड़ी थी।
राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में जाट वोट काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए भाजपा रालोद के साथ गठबंधन करने के लिए आतुर है। यूपी की 18 ऐसी सीटें हैं, जिनमे इनकी काफी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। कैराना, मुरादाबाद, अलीगढ़, मुज्जफरनगर, मेरठ, साहरनपुर, बिजनौर, संभल, नगीना, इन पर मुस्लिम वोटर भी काफी प्रभावी भूमिका में हैं। इसी कारण इनका आपसी गठजोड़ भी काफी मुफीद होता है। 2014 के बाद से जाट वोट बैंक पर भाजपा की पकड़ काफी मजबूत दिखाई दे रही है। रालोद के सपा के साथ न रहने से काफी मुश्किल हो सकती है।
रावत कहते हैं कि जयंत के आने से भाजपा में जाट वोट का विभाजन रुकेगा। जयंत के आने से पश्चिमी यूपी के साथ हरियाणा और राजस्थान की राजनीति साधेगी, क्योंकि चौधरी चरण सिंह के परिवार से बड़ा अभी तक कोई बड़ा जाट नेता नजर नहीं आ रहा है। भारत रत्न से इसकी बानगी भी दिखाई दे गई। उन्होंने कहा कि जयंत को भाजपा में आने से बहुत फायदे हैं। एक तो उनकी सीटें बढ़ेंगी और कन्वर्जन रेट भी बढ़ेगा। अगर सरकार बनती है तो उनके मंत्री बनने का भी मौका है। चाहे अनुप्रिया हो या रामदास आठवले, सभी गठबंधन में हैं और मंत्री भी हैं। सरकार में रहने पर जाट राजनीति भी भरपूर तरीके से कर पाएंगे। भाजपा के पास वैसे भी जाट नेताओं की कमी हैं, जिसे जयंत के साथ पूरा किया जा सकता है।
एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि अगर जयंत अखिलेश और कांग्रेस के साथ होते तो कांग्रेस को पांच से आठ से सीटों के बारे में सोचना न पड़ता, जहां पर रालोद का दबदबा है। यही वे सीटें थीं, जहां अखिलेश भी अपने को मजबूत नहीं समझते हैं। इसी कारण वे सात सीटें छोड़ने को तैयार थे। अब इन सीटों पर कांग्रेस और सपा को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि जाट बाहुल सीटों पर जयंत अपने लिए काम करेंगे। कांग्रेस पहले ही सीटों को लेकर परेशानी का सामना कर रही है। अब जयंत के जाने से उन्हें नए सिरे से माथापच्ची करनी पड़ेगी।
रतनमणि कहते हैं कि जयंत के भाजपा के साथ जाने से जाट और मुस्लिम कॉम्बिनेशन का फायदा मिलेगा। पश्चिमी क्षेत्र में जयंत और मजबूत होंगे। भाजपा पश्चिम में मजबूत होगी। इसका असर अन्य इलाकों में भी होगा। रालोद मुखिया सांसद जयंत चौधरी ने राज्यसभा में मोदी सरकार की तारीफ में कहा कि मैं 10 साल तक विपक्ष में रहा हूं, कुछ समय के लिए इस सदन के इस तरफ बैठा हूं। दस साल में मैंने देखा है कि मौजूदा सरकार की कार्यशैली में भी चौधरी चरण सिंह के विचारों की झलक मिलती है। पीएम मोदी गांव में शौचालयों के मुद्दों को संबोधित करते हैं, जब भारत सरकार महिला सशक्तिकरण को अपना मंच बनाती है और गांवों में जागरूकता पैदा करती है, तो मुझे इसमें चौधरी चरण सिंह जी की बोली याद आती है। हम लोग बंटे रहेंगे तो नेताओं को समझ नहीं पाएंगे। कुछ लोग जाटों और किसानों का नेता चौधरी चरण सिंह को मानते थे।
सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर आशुतोष वर्मा कहते हैं कि जयंत चौधरी ने अभी आधिकारिक कोई घोषणा नहीं की है कि वे भाजपा में जा रहे हैं। जिस प्रकार से पश्चिम में उन्होंने किसानों के मुद्दों पर कई लड़ाई लड़ी है, उनके ऊपर भाजपा ने लाठी बरसाई है, उसे भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने भाजपा के खिलाफ एक बड़ी मुहिम छेड़ रखी है। रालोद, सपा और कांग्रेस मिलकर भाजपा का रथ रोकने जा रही है। भाजपा, इंडिया गठबंधन से परेशान न होती तो हमारे गठबंधन में शामिल लोगों को तोड़ती नहीं। जनता सब कुछ जान चुकी है। इन्हें चुनाव मे जवाब देने को तैयार है।
कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी कहते हैं कि यूपी जातीय समीकरण में फिट है। राहुल गांधी की न्याय यात्रा जहां-जहां से गुजरेगी, भाजपा वहां साफ होती जाएगी। पश्चिमी यूपी में जाट और किसानों के मुद्दों पर कांग्रेस आगे रही है। जयंत अभी हमारे गठबंधन का हिस्सा हैं। भाजपा जानती है कि कांग्रेस ही उसे हरा सकती है, इसी कारण वह परेशान है।
भाजपा प्रवक्ता आनंद दुबे कहते हैं कि इंडिया गठबंधन, भाजपा के डर के कारण बना है। इसमें शामिल सभी दल एक दूसरे को गाली देते थे। अब उन्हें कांग्रेस ने हार का साझीदार बनाने के लिए एक साथ जोड़ा है। कांग्रेस नहीं चाहती है कि हार का ठीकरा सिर्फ राहुल गांधी के सिर पर फूटे, इसी कारण उन्होंने यह गठजोड़ तैयार किया है। यह लोग अपने सहयोगियों को संभालने में खुद असमर्थ है। अब तरह तरह के बहाने बना रहे हैं। मोदी जी एक बार फिर से प्रचंड बहुमत से जीतने जा रहे हैं। इसी कारण इंडिया गठबंधन के लोग परेशान हैं।
(आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 10 फरवरी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने 2023-24 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा पर ब्याज दर शनिवार को 8.25 प्रतिशत तय कर दी। यह पिछले तीन साल में सर्वाधिक है।
ईपीएफओ ने मार्च, 2023 में 2022-23 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर को मामूली रूप से बढ़ाकर 8.15 प्रतिशत कर दिया था जो 2021-22 में 8.10 प्रतिशत थी।
ईपीएफओ ने मार्च, 2022 में 2021-22 के लिए ईपीएफ पर छह करोड़ उपभोक्ताओं के लिए ब्याज दर को घटाकर 8.1 प्रतिशत कर दिया था, जो चार दशक में सबसे कम थी। ईपीएफ पर ब्याज दर 2020-21 में 8.5 प्रतिशत थी। इससे पहले 1977-78 के लिए ईपीएफ ब्याज दर आठ प्रतिशत थी।
श्रम मंत्रालय के बयान के अनुसार, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेन्द्र यादव की अध्यक्षता में शनिवार को ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की 235वीं बैठक में 2023-24 के लिए ब्याज दर बढ़ाने का निर्णय लिया गया।
बयान में कहा गया, ‘‘सीबीटी ने 2023-24 के लिए सदस्यों के खातों में ईपीएफ संचय पर 8.25 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर जमा करने की सिफारिश की। वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद इस ब्याज दर को आधिकारिक तौर पर सरकारी गजट में अधिसूचित किया जाएगा। इसके बाद, ईपीएफओ अपने ग्राहकों के खातों में स्वीकृत ब्याज दर जमा करेगा।’’
चालू वित्त वर्ष के लिए बोर्ड ने ईपीएफ सदस्यों के खातों में 13 लाख करोड़ रुपये की कुल मूल राशि पर 1,07,000 करोड़ रुपये वितरित करने की सिफारिश की, जो 2022-23 में 11.02 लाख करोड़ रुपये की मूल राशि पर 91,151.66 करोड़ रुपये थी।
इसमें कहा गया है कि वितरण के लिए अनुशंसित कुल आय रिकॉर्ड पर सबसे अधिक है। (भाषा)
जाजपुर, 10 फरवरी ओडिशा के जाजपुर जिले में सरकारी नौकरियां दिलाने का वादा कर कम से कम छह अभ्यर्थियों से 25 लाख रुपये की कथित धोखाधड़ी के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के मुताबिक, शुक्रवार को गिरफ्तार किये गये आरोपी की पहचान सूर्या बड़नायक के रूप में हुई, जो मलकानगिरी का रहने वाला है। हालांकि इस घोटाले का मुख्य आरोपी फरार है, जिसकी पहचान रामचंद्र दरुआ के रूप में हुई है।
पुलिस ने अवैध रुप से जुटाए पैसों से खरीदी गयी एक एसयूवी (स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल) जब्त की है।
पुलिस ने बताया कि मलकानगिरी निवासी दरुआ जाजपुर जिले के बाड़ी ब्लॉक के अंतर्गत पलाटपुर अपग्रेडेड मिडिल इंग्लिश (यूजीएमई) में सहायक शिक्षक के रूप में काम करता है। पुलिस के मुताबिक, आरोपी पिछले 10 वर्षों से पलटपुर गांव में एक किराए के मकान में रह रहा है।
पुलिस के मुताबिक, पिछले वर्ष दरुआ ने जाजपुर के बाड़ी से चार और पड़ोसी केंद्रपाड़ा जिले से दो समेत कुल छह अभ्यर्थियों को बुलाया और उन्हें ओडिशा सरकार में पंचायत कार्यकारी अधिकारी (पीईओ) की नौकरी दिलाने का वादा किया। अभ्यर्थियों ने भी पद के लिए आवेदन किया हुआ था।
पुलिस ने बताया कि आरोपी ने प्रत्येक अभ्यर्थी से नौकरी के नाम पर पांच लाख रुपये मांगे। इन छह अभ्यर्थियों ने पिछले वर्ष जून से अगस्त के बीच तीन चरणों में दरुआ के खाते में 25 लाख रुपये जमा करा दिये।
पुलिस के मुताबिक, पीईओ परीक्षा का परिणाम पिछले वर्ष आठ दिसंबर को प्रकाशित हुआ और जब अभ्यर्थियों को चयनित सूची में अपना नाम नहीं मिला तो उन्होंने दरुआ से पैसे वापस करने को कहा। पहले तो आरोपी ने पैसे लौटाने की बात कही लेकिन बाद में वह लापता हो गया।
पुलिस ने बताया कि मामला उस समय सामने आया जब पलाटपुर के विभूति भूषण जेना ने बारी थाने में शिकायत दर्ज कराई और 4.5 लाख रुपये की धोखाधड़ी की बात कही। इसके बाद बारी पुलिस थाने में दरुआ के खिलाफ इसी तरह की पांच शिकायतें दर्ज की गईं। पुलिस के मुताबिक, शिकायतों के आधार पर जांच शुरू की गई और पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
बारी थाने के प्रभारी निरीक्षक प्रकाश चंद्र साहू ने बताया, 'जांच के दौरान हमने पाया कि जो पैसा दरुआ के खाते में जमा कराया गया था उसे बाद में बड़नायक के खाते डाल दिया गया। हमने बड़नायक के खाते की जानकारी जुटाई और उसे गिरफ्तार कर लिया।'
उन्होंने बताया कि इस गिरोह का मुख्य आरोपी फिलहाल फरार है। (भाषा)
जम्मू, 10 फरवरी जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में एक स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) के सड़क से फिसलकर गहरी खाई में गिरने से एक नवजात सहित तीन लोगों की मौत हो गयी और 12 अन्य लोग घायल हो गये। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि यात्रियों से खचाखच भरा वाहन शुक्रवार देर शाम को गुलाबगढ़-मचैल मार्ग पर हाकू गांव के निकट दुर्घटनाग्रस्त हुआ।
उन्होंने बताया कि तीन लोग दयाकृष्ण (36), सबिता देवी (30) और 15 दिन का नवजात इस दुर्घटना में मारे गये जबकि 12 अन्य लोग घायल हो गये।
अधिकारियों ने बताया कि गंभीर रूप से घायल चार लोगों को बेहतर उपचार के लिए जम्मू के सरकारी चिकित्सा कॉलेज (जीएमसी) में भर्ती कराया गया।
किश्तवाड़ जिला प्रशासन ने दुर्घटना में मारे गये लोगों को जिला रेड क्रॉस कोष के अंतर्गत 50-50 हजार रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 10-10 हजार रुपये की तत्काल अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। (भाषा)
मुंबई, 10 फरवरी शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार पर शनिवार को हमले तेज करते हुए उसे बर्खास्त करने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की।
ठाकरे ने दो दिन पहले मुंबई के दहिसर में उनकी पार्टी के नेता अभिषेक घोसालकर (40) की गोली मारकर हत्या किए जाने की घटना के मद्देनजर यह मांग की।
उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम महाराष्ट्र सरकार को बर्खास्त करने की मांग करते हैं। हम यह भी मांग करते हैं कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए और नए सिरे से चुनाव कराए जाएं।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार पर गुंडों को बचाने का भी आरोप लगाया।
ठाकरे ने कहा, ‘‘अगर पुलिस को खुली छूट दी जाए, तो वह 24 घंटे में सभी गुंडों को सलाखों के पीछे डाल सकती है, लेकिन गुंडों को सरकार का समर्थन प्राप्त है।’’
उन्होंने घोसालकर की हत्या के तरीके पर भी सवाल उठाए।
शिवसेना (यूबीटी) नेता विनोद घोसालकर के बेटे अभिषेक घोसालकर (40) की बृहस्पतिवार शाम उत्तरी उपनगर बोरीवली (पश्चिम) में एक ‘सामाजिक कार्यकर्ता’ ने ‘फेसबुक लाइव’ सत्र के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी थी। हमलावर मौरिस नोरोन्हा ने कुछ देर बाद खुद को भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
ठाकरे ने कहा कि ‘फेसबुक लाइव’ से यह पता नहीं चलता कि नोरोन्हा ने घोसालकर की हत्या की।
उन्होंने कहा, ‘‘घोसालकर की हत्या के बाद नोरोन्हा ने आत्महत्या क्यों की?’’
ठाकरे ने कहा, ‘‘मौरिस के पास कोई लाइसेंसी हथियार नहीं था, लेकिन उसने गोली चलाने के लिए अपने अंगरक्षक की पिस्तौल का इस्तेमाल किया। क्या गोलियां मौरिस ने चलाई थीं या किसी और ने? क्या किसी ने दोनों की हत्या के लिए सुपारी दी थी?’’
इससे पहले दो फरवरी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक गणपत गायकवाड़ ने मुंबई के निकट उल्हासनगर में एक पुलिस थाने के अंदर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के एक स्थानीय नेता को गोली मार दी थी। इस हमले में शिवसेना नेता गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
ठाकरे ने कहा, ‘‘गणपत गायकवाड़ का वीडियो लीक हो गया। (घोसालकर मामले में) यह हर कोई देख सकता है कि घोसालकर पर गोलियां चलाई जा रही हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि गोलियां किसने चलाईं।’’
उन्होंने इस घटना पर राज्य के गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस की टिप्पणियों के लिए उन्हें ‘‘निर्दयी’’ करार दिया और कहा कि राज्य के गृह मंत्री ‘‘मानसिक रूप से बीमार’’ हैं।
फडणवीस ने मीडिया से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में विपक्ष के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया था।
फडणवीस ने कहा था, “यह (घोसालकर की हत्या) बहुत गंभीर घटना है, लेकिन अगर कोई कुत्ता भी किसी वाहन के नीचे आ जाए, तो भी वे (विपक्षी दल) गृह मंत्री का इस्तीफा मांगने लगेंगे।’’ (भाषा)
नयी दिल्ली, 10 फरवरी गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को लोकसभा में कहा कि राम के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती तथा 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का दिन भारत को विश्वगुरु बनने के मार्ग पर ले जाना वाला है।
उन्होंने लोकसभा में शनिवार को नियम 193 के तहत ‘ऐतिहासिक श्रीराम मंदिर के निर्माण और श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा’ विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि 22 जनवरी का दिन इतिहास में 10 हजार साल तक याद रखा जाएगा।
शाह ने कहा, ‘‘मैं आज अपने मन की बात और देश की जनता की आवाज को इस सदन के सामने रखना चाहता हूं। जो वर्षों से कोर्ट के कागजों में दबी हुई थी। मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उसे आवाज भी मिली और अभिव्यक्ति भी मिली।’’
उनका कहना था कि सदन में आजादी के बाद जो महत्वपूर्ण प्रस्ताव आए हैं उनमें एक यह रामजन्म भूमि से संबंधित प्रस्ताव है।
गृह मंत्री ने कहा, ‘‘22 जनवरी का दिन सहस्त्रों वर्षों के लिए ऐतिहासिक बन गया है। जो इतिहास और ऐतिहासिक पलों को नहीं पहचानते, वो अपने अस्तित्व को खो देते हैं।’’
उनके अनुसार, 22 जनवरी का दिन 1528 में शुरू हुए एक संघर्ष और एक आंदोलन के अंत का दिन है और 1528 से शुरू हुई न्याय की लड़ाई, इस दिन समाप्त हुई।
शाह ने कहा, ‘‘22 जनवरी का दिन करोड़ों भक्तों की आशा, आकांक्षा और सिद्धि का दिन है। ये दिन समग्र भारत की आध्यात्मिक चेतना का दिन बन चुका है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘22 जनवरी का दिन महान भारत की यात्रा की शुरुआत का दिन है। ये दिन मां भारती के विश्व गुरु के मार्ग पर ले जाने को प्रशस्त करने वाला दिन है।’’ गृह मंत्री ने कहा कि इस देश की कल्पना राम और रामचरितमानस के बिना नहीं की जा सकती तथा राम का चरित्र और राम इस देश के जनमानस का प्राण हैं।
गृह मंत्री का कहना था, ‘‘जो लोग राम के अलावा भारत की कल्पना करते हैं वो भारत को नहीं जानते और वो गुलामी के काल का प्रतिनिधित्व करते हैं।’’
उनके मुताबिक, राम राज्य किसी एक धर्म और संप्रदाय के लिए नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘राम और राम के चरित्र को फिर से प्रतिस्थापित करने का काम मोदी जी के हाथ से हुआ है। ’’ शाह ने कहा, ‘‘कई भाषाओं, कई प्रदेशों और कई प्रकार के धर्मों में भी रामायण का जिक्र, रामायण का अनुवाद और रामायण की परंपराओं को आधार बनाने का काम हुआ है।’’ (भाषा)