कारोबार
रायपुर, 17 अगस्त। महाराजा अग्रसेन इंटरनेशनल कॉलेज समता कॉलोनी रायपुर में 15 अगस्त को आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम में कॉलेज के चेयरमेन आदरणीय राजेश अग्रवाल एवं कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एम. एस. मिश्रा जी तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ ध्वजारोहण से किया गया। इसके पश्चात कॉलेज के रोवर एंड रेंजर तथा जेसीआई के विद्यार्थियों द्वारा मार्च पास्ट किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. किरणमयी नायक के द्वारा विद्यार्थियों को उद्बोधित करते हुए कहा गया कि युवा ही समाज को नई दिशा प्रदान करने वाले हैं, युवाओं को यह मुकाम कड़ी मेहनत से ही प्राप्त हो सकता है।
कॉलेज के चेयरमेन राजेश अग्रवाल जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश भक्ति भीतर से महसूस होनी चाहिए। जिसे अपने देश पर अभिमान है वही सच्चा देश भक्त है।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एम.एस. मिश्रा जी ने विद्यार्थियों को 75वीं वर्र्षगांठ की बधाई देते हुए उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दी।
कार्यक्रम के अगले क्रम में मैक बैंड के विद्यार्थियों द्वारा देश भक्ति गीतों की प्रस्तुति दी गई। इसके पश्चात विद्यार्थियों ने मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी।
संपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज के चेयरमेन श्री राजेश अग्रवाल एवं प्राचार्य डॉ. एम.एस. मिश्रा जी द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में कॉलेज के प्राध्यापकगण एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे।
रायपुर, 17 अगस्त। कलिंगा विश्वविद्यालय परिसर, नया रायपुर में सोमवार, 15 अगस्त, 2022 को बड़े उत्साह के साथ 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। यह उत्सव ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव’’ का हिस्सा था, जो की प्रगतिशील भारत और मानव प्रयास के सभी क्षेत्रों में भारतीयों द्वारा उल्लेखनीय उपलब्धियां की 75वीं वर्षगांठ मनाने की एक पहल है।
मुख्य अतिथि कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आर श्रीधर थे, उन्होंने डॉ आशा अंभईकर, डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर, अन्य सभी विभागाध्यक्ष संकाय सदस्यों और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।
अपने संबोधन में डॉ. श्रीधर ने जोर देकर कहा कि आजादी के बाद भारत ने खुद को मज़बूत लोकतंत्र वाले देश के रूप में साबित किया है। 1947 में स्वतंत्रता के बाद कुछ देशों की राय थी कि राज्य अगले 10 वर्षों में अलग-अलग देशों में विभाजित हो जाएंगे, क्योंकि 1000 से अधिक भाषाएँ और बोलियाँ थीं। लोगों को लोकतंत्र का ज्ञान नहीं था और साक्षरता दर 30 प्रतिशत थी। भारत ने साबित कर दिया है कि हम लोकतांत्रिक हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में कभी भी मंदी नहीं आ सकती क्योंकि हमारे देश में गेहूं उगाया जा रहा है और पूरा देश भोजन के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं है। इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी रहित साबित हुई। भारतीयों ने साबित कर दिया है कि विभिन्न भाषा और विविधता के बावजूद भारतीय एकजुट हैं। यह अनेकता में एकता की सच्ची तस्वीर है।
उन्होंने कहा कि हमें लोकतंत्र की शपथ लेनी चाहिए। प्रत्येक भारतीय को बोलने का अधिकार, अभिव्यक्ति का अधिकार, धर्म का पालन करने का अधिकार है, यह सब हमारे नेताओं का उपहार है जिन्होंने देश का विकास किया। लोकतंत्र को जिंदा रखना हमारी जिम्मेदारी है और हमें शपथ लेकर देश के लिए कुछ करना चाहिए।
रायपुर, 17 अगस्त। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीडिय़ा प्रभारी संजय चौंबे ने बताया।
आजादी के अमृत महोत्सव में कैट सी.जी. चैप्टर के प्रदेश कार्यालय में 76वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। ध्वजारोहण कार्यक्रम के मुख्य अथिति कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड़ इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष श्री अमर पारवानी जी थे।
कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में जैसा कि आप सभी जानते ही है कि आज हम यहाँ पर अपने देश का 76वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के उपलक्ष में एकत्रित हुए है। सबसे पहले मैं आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई देता हूँ।
15 अगस्त भारतवर्ष का राष्ट्रीय पर्व है। भारत देश वर्ष 1857 से वर्ष 1947 तक स्वतंत्रता संग्राम लडऩे के पश्चात ब्रिटिश शासन से 15 अगस्त वर्ष 1947 को मुक्त हुआ और एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। तभी से भारतवासी इस दिन को "स्वतंत्रता दिवस" के रूप में बहुत धूम-धाम और हर्षोउल्लास से मनाते है।
कैट के प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने सर्वप्रथम भारत माता के तस्वीर पर माल्यापर्ण कर ध्वजारोहण किया। तत्पश्चात् ध्वजारोहरण कार्यक्रम में उपस्थित कैट के पदाधिकारियों एवं व्यापारीगणो को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज हम देश की 76वीं स्वंतत्रता दिवस मना रहे है।
15 अगस्त भारत देश के गर्व और सौभाग्य का दिवस है। यह पर्व हमारे हृदय में नवीन स्फूर्ति, नवीन आशा, उत्साह तथा देश-भक्ति का संचार करते है।
स्वतंत्रता दिवस हमे इस बात बात की याद दिलाता है कि हमने कितनी कुर्बानियाँ देकर यह आजादी प्राप्त की है, जिसकी रक्षा हमे हर कीमत पर करनी है। चाहे हमे इसके लिए अपने प्राणों का त्याग क्यों न करना पड़ें। हम राष्ट्र की स्वतंत्रता और सार्वभौमिकता की रक्षा का प्रण लेते। आजादी के बाद भारत देश अब तक बहुत उन्नति कर चुका है। उन्होनें आगे कहा कि आओं झुककर करें सलाम उनकों जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है। खुशनसीब होतें है वों लोग जिनका लहू इस देश के काम आता है। जयहिन्द ।
रायपुर, 17 अगस्त। स्वाधीनता दिवस आजादी के जश्न का पर्व है, यह पर्व है अपने अमर शहीदों को नमन करने का, उनके कृतित्व और व्यक्तित्व को याद करने का। यह पर्व हमें आजादी के मूल्यों की रक्षा करने तथा मातृभूमि के चरणों में सर्वस्व अर्पण की सीख देता है।
यह वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है। इस वर्ष की भव्यता और महत्ता के अनुरूप ही शाला प्रांगण में पूर्ण हर्षोल्लास के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया गया।शाला की प्राचार्या श्रीमती प्रतिमा राजगोर जी ने अपने कर-कमलों से पूजा अर्चना के पश्चात् ध्वजारोहण किया। तत्पश्चात् पूर्ण अनुशासन तथा बैण्ड की धुन में लय, ताल के साथ एनसीसी कैडेटों ने मार्चपास्ट द्वारा ध्वज को सलामी दिया । एनसीसी की एयर विंग और आर्मी दोनेां समूहों के कैडेटों द्वारा की गई परेड दर्शनीय थी।
ध्वजारोहण के बाद विद्यालय की प्राचार्या जी ने अपने उद्बोधन में छात्र-छात्राओं को मातृभूमि के लिये कर्तव्यनिष्ठ होने को ही सबसे श्रेष्ठ राष्ट्र प्रेम बताया।
वर्तमान की चुनौतियों से मुकाबला करने के लिये युवाशक्ति को अनुसंधान की दिशा में आगे बढऩे के लिये सतत प्रयास करते रहने का आह्वान किया। अंत में आभार व्यक्त करने के साथ ही छात्र-छात्राओं को मिष्टान्न भी वितरित किया गया।
कांकेर, 17 अगस्त। 15 अगस्त 1947 का दिन हमारे देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है क्योंकि इस दिन शताब्दियों की दासता के बाद भारत में स्वतंत्रता का मंगल प्रभात हुआ।
जे पी इंटरनेशनल स्कूल में 76 वाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह बडी धूम-धाम से मनाया गया। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस स्वतंत्रता दिवस को हमने आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाया है।
छात्र सैनिकों द्वारा शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सूबेदार समीर दत्ता ने ध्वजारोहण किया इस दौरान विशिष्ट अतिथि हवलदार शशि भूषण सिंह एवं अन्य सम्मानीय अतिथि विशेष तौर पर मौजूद थे।
कक्षा 12 वीं की छात्रा दीक्षिता सिंह ने जोशीले भाषण के साथ देशभक्ति की भावना को प्रबल करते हुए मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, संस्था प्राचार्य, उप-प्राचार्य, शिक्षकों एवं समस्त विद्यार्थियों का स्वागत कर, कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात प्राईमरी कक्षा के विद्यार्थियों द्वारा अतिथि देवो भव: की भावना के साथ संगीत विभाग के मार्गदर्शन में स्वागत गीत स्वागतम- सुस्वागतम के माध्यम से समस्त अतिथियों का अभिनंदन एवं आभार प्रकट किया।
कक्षा 12 वीं की छात्रा स्वीकृति प्रधान, कक्षा 11 वीं के छात्र दुर्गेश कोडोपी एवं कक्षा चौथी की छात्रा खुशी चौपड़ा ने जोशीले भाषण के साथ स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान एवं स्वतंत्रता दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला।
नृत्य विभाग की शिक्षिका सुश्री बरखा कुँवर के मार्गदर्शन में छात्र-छात्राओं के विभिन्न समूहों ने सामूहिक नृत्य की प्रस्तुति दी जिसने सबका मन मोह लिया।
तत्पश्चात संगीत विभाग अध्यक्ष श्री अरविन कुमार के मार्गदर्शन में छात्र-छात्राओं के विभिन्न समूहों ने सामूहिक रूप से देशभक्ति गीत सारे जँहा से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा, ऐ मेरे वतन के लोगों एवं माँ तुझे सलाम की बहुत ही शानदार प्रस्तुति दी गई।
इस प्रकार विद्यार्थियों ने देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जिससे पूरा वातावरण तालियों की गडग़ड़ाहट और देशभक्ति के नारों से गुंजायमान हो उठा।
मुख्य अतिथि सूबेदार समीर दत्ता ने विद्यार्थियों को आजादी के समय की यादों को ताजा करते हुए बताया कि यह दिन देश के उन वीरों की गौरव गाथा और बलिदान का प्रतीक है जिन्होंने अंग्रेजों के दमन से देश को आजाद कराने में अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया था। इस प्रकार यह दिन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान की याद दिलाता है। समारोह में उपस्थित अन्य अतिथिगणों ने भी स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए विद्यार्थियों को उनके जीवन से सीख लेने के लिए प्रेरित किया और विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों की प्रशंसा करते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की।
संस्था प्राचार्य श्री रितेश चौबे ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस केवल एक दिन विशेष नहीं अपितु देश के उन असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति हमारे सम्मान को प्रदर्शित करने का माध्यम भी है जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया था। ये दिन राष्ट्र के प्रति अपनी एकजुटता और निष्ठा दिखाने का दिन भी है, साथ ही ये पावन अवसर युवा पीढ़ी को राष्ट्र की सेवा के लिए प्रेरित करता है।
इस समस्त कार्यक्रम के दौरान मंच का संचालन शिक्षिका कुमारी करिश्मा परवीन एवं कुमारी कुश्मिता देवी के मार्गदर्शन में कक्षा 12 वीं की छात्रा तृप्ति कोर्रम और कक्षा 11 वीं के छात्र ऋषि ठाकुर द्वारा किया गया। समारोह के अंत में वरिष्ठ शिक्षिका कोमल राय भौमिक के मार्गदर्शन में कक्षा 12 वीं के छात्र साहिल रहमान ने कार्यक्रम में शामिल समस्त अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
खिलाडिय़ों के लिए विशेष लाभदायक होगा शिविर - प्रवीण जैन
रायपुर, 17अगस्त। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की जयंती और छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्मदिन के अवसर पर ऑर्थो स्पोर्ट्स डॉ.मनु बोरा मुंबई,नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल रायपुर और वीरजी आयुर्वेदिक संस्थान, रायपुर के सहयोग से नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस खेलकूद प्रकोष्ठ के तत्वाधान में किया जा रहा है।
खेल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण जैन बताया कि देश- विदेश के विशेषज्ञ स्पोर्ट्स इंजरी, एसीएल, आर्थोस्कोपी, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, ऑर्थोपेडिक्स, फिजियो, हार्ट, शुगर एवं मल्टी स्पेशियलिटी डॉक्टर्स की टीम के साथ आयुर्वेदाचार्य, नाड़ी बैद, पंचकर्म एवं योग विशेषज्ञ चिकित्सक अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे। कहा कि इस शिविर का लाभ सभी वर्गों के लोग उठा सकेंगे। प्रदेश के खिलाड़ी को खेल के दौरान छोटी मोटी चोंट लगती है। जिसका समय पर ईलाज न होने से वो गंभीर रूप ले लेता है। जिसकी वजह से उनका करियर खराब हो जाता है। यदि खिलाडय़िों को चोंट से बचने व उबरने के लिए उचित चिकित्सा एवं व्यायाम की जानकारी नियमित मिलेगी तो खिलाड़ी अच्छा परफॉर्मेंस कर सकेंगे।
यह चिकित्सा शिविर 20 से 23 अगस्त को सुबह10 से शाम 4 बजे तक सुभाष स्टेडियम, मोतीबाग चौक, रायपुर में आयोजित किया जायेगा। जिसमें विशेष रूप से स्पोर्ट्स इंजरी के विशेषज्ञ डॉ. मनु बोरा गुणगांव, डॉ. अखिल अग्निहोत्री फ्रंास, डॉ. शेख एम. खान मुंबई और डॉ. नवीन अग्रवाल मेरठ से विशेष रूप से 20 एवं 21 अगस्त को शिविर में शामिल होंगे।
रायपुर, 17 अगस्त। छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, महामंत्री अजय भसीन, कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी ,विक्रम सिंहदेव, राम मंधान, मनमोहन अग्रवाल ने बताया।
लगातार बढ़ रहे साइबर क्राईम को रोकने हेतु छत्तीसगढ़ चेम्बर एवं पुलिस विभाग रायपुर के सानिध्य में 17 अगस्त को चेम्बर भवन में ऑनलाइन फ्रॉड, साइबर एवं सिक्योरिटी जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिसके संयोजक चेम्बर उपाध्यक्ष जय नानवानी एवं चेम्बर कार्यकारी महामंत्री कपिल दोशी हैं ।
चेम्बर उपाध्यक्ष जय नानवानी ने कहा कि इंटरनेट और स्मार्टफोन के उपयोग लगातार बढऩे के साथ-साथ डिजिटल पेमेंट्स और सोशल मिडिया का उपयोग पहले की तुलना में बढ़ चूका है और इन सबके साथ साइबर फ्राड करने वालों को भी नए-नए अवसर मिलने लगे हैं जिसे रोकने के लिए व्यपारियों को वर्तमान समय में हो रहे सभी साइबर अपराधों व ठगी से संबंधित सुरक्षा की जानकारी देने एवं जागरूकता फ़ैलाने हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया है ।
चेम्बर कार्यकारी महामंत्री कपिल दोशी ने बताया कि ऑनलाइन फ्रॉड, साइबर एवं सिक्योरिटी जागरूकता कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में श्री प्रशांत अग्रवाल जी उप पुलिस महानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रायपुर होंगे । मुख्य वक्ता के रूप में साइबर फॉरेंसिक एक्सपर्ट सुश्री मोनाली गुहा जी होंगी ।
विशिष्ट अतिथि में श्री सुखनंदन राठौर जी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रायपुर (शहर), श्री कीर्तन राठौर जी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रायपुर (ग्रामीण), श्री देव चरण पटेल जी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पश्चिम रायपुर, श्री अभिषेक माहेश्वरी जी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक क्राइम रायपुर एवं श्री अविनाश मिश्रा जी सी.एस.पी. कोतवाली रायपुर उपस्थित रहेंगे ।
रायपुर, 14 अगस्त। हर धर्म में अच्छे महापुरुष हैं और हर धर्म में अच्छे शास्त्र हैं। हमें उन महापुरुषों का सम्मान करना चाहिए। हर धर्म में श्रेष्ठ जीवन जीने की बातें हैं। दुनिया का कोई धर्म नहीं कहता कि आप किसी को कोई दुख दो, दुनिया का कोई धर्म नहीं कहता कि आप किसी का धन चुराओ, दुनिया का कोई धर्म नहीं कहता कि आप हिंसा करो, दुनिया का कोई धर्म नहीं कहता कि आप चोरी, व्यभिचार, लूटपाट करो। दुनिया का हर धर्म हमें मानवता का संदेश देता है। अगर हम अपने नजरिए को बड़ा लेकर आएंगे तो दुनिया के किसी भी धर्म में कोई फर्क नहीं है, केवल जीने के तरीके का फर्क है।
ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग जीने की कला के अंतर्गत धर्म सप्ताह के सातवें दिन रविवार को ‘1 घंटे में समझें सभी धर्मों के रहस्य’ विषय पर व्यक्त किए। चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर गाँव है, हर बाला देवी की प्रतिमा बच्चा-बच्चा राम है...इस प्रेरक भाव गीत से दिव्य सत्संग का शुभारंभ करते हुए संतप्रवर ने कहा कि हम सूरज बनकर दुनिया का अंधेरा नहीं मिटा सकते पर दीपक बनकर जरूर अपने आसपास का अंधेरा तो मिटा ही सकते हैं। दुनिया में जिंदगी जीने के दो ही रास्ते हैं- एक भलाई का रास्ता और एक बुराई का। दुनिया बड़ी गजब की है, पशु अपने पूरे जीवनभर पशु ही रहता है, देवता अपने पूरे जीवन में देवता ही रहता है, पर एक इंसान के पास दो विकल्प हैं।
संतश्री ने आगे कहा कि हर आदमी की जिंदगी में हर इंसान से जुड़ी दो यादें होती हैं- कुछ अच्छी यादें और कुछ बुरी यादें। जब श्वांस बाहर छोड़ो तो अपनी बुरी यादों को बाहर निकाला करो और जब श्वांस भीतर लो तो अपनी अच्छी यादों को भीतर में प्रवेश दिया करो। जिंदगी को आनंदभरी जीने का यह सबसे सरल तरीका है। निर्भार होने का, हल्का होने का तरीका भी यही है। छोटी सोच के लोग जिंदगी में कभी ऊंचाइयों को हासिल नहीं कर पाते, छोटी सोच के लोग जिंदगी में कभी बढ़ोत्तरी व निर्माण नहीं कर पाते। दुनिया में यदि कोई हिमालय से भी ऊंचा है तो वो जिसकी सोच बड़ी है वही आदमी ऊंचा है।
जीवन को सुखी सफल बनाने ये हैं मंत्र
संतप्रवर ने कहा कि जीवन को सुखी बनाने का पहला सिद्धांत या मंत्र है- अपनी सोच को हमेशा बड़ा रखो। हमारे दु:ख हमारे हालात ने नहीं पैदा किए हैं। अपने नजरिए को हमेशा बड़ा और सकारात्मक रखो। जैसा आदमी का नजरिया होता है-वैसा ही उसे नजारा दिखता है। दूसरा सिद्धांत है- अपने स्वभाव को हमेशा सॉफ्ट यानि उत्तम-मधुर व सरल बनाए रखें। जीवन को सफल-सार्थक बनाने के लिए तीन बातों को हमेशा के लिए अपना लो, पॉजीटिव माइंड, पॉवरफुल माइंड और पीसफुल माइंड। जिसके पास ये तीन चीजें होती हैं वह दुनिया का राजा आदमी होता है। तीसरा सिद्धांत है- अपने-अपने पारिवारिक दायित्व को जरूर निभाएं। चौथा है- जीवन में हमेशा अच्छाई के, भलाई के रास्ते पर चलें। और पांचवा सिद्धांत है- दुनिया के हर धर्म परम्परा का सम्मान करें।
जिंदगी छह तार के गिटार की तरह है। उसके हर तार को संतुलित रखना पड़ता है। जीवन की गिटार का पहला तार है- हमारा शरीर, दूसरा तार है- हमारा मन, तीसरा तार है- हमारा अध्यात्म, चौथा तार है- हमारा परिवार, पांचवा तार है- हमारा व्यवसाय और जीवन की गिटार का छठवां तार है- हमारा समाज। हमारा समाज। अपने शरीर, मन यानी अंतरात्मा को हमेशा संतुलित रखो, अपने व्यवसाय के साथ साथ अपने परिवार, समाज के लिए भी समय दो।
श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, ट्रस्टीगण तिलोकचंद बरड़िया, राजेंद्र गोलछा व उज्जवल झाबक ने संयुक्त जानकारी देते बताया कि आज दिव्य सत्संग का शुभारंभ अतिथिगण शदाणी दरबार के पीठाधीश संत युधिष्ठिरलालजी, विधायक बृजमोहन अग्रवाल सपत्नीक, बंटी ग्वाला, अमर शदाणी, तुषार चोपड़ा, श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, शांतिलाल बरड़िया द्वारा ज्ञान का दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
संभव व जागृति महिला मंडल ने जगाई भक्ति की अलख
डॉ. मुनिश्री शांतिप्रियसागरजी के प्रवचन उपरांत आज रविवारीय धर्मसभा में राष्टÑध्वज तिरंग के तीन रंगों का परिधान पहने हुए संभव महिला मंडल एवं जागृति महिला मंडल की सदस्यों द्वारा भक्ति गीत- हर परिसह हम सहेंगे एक होने के लिए...की मनोरम समूह प्रस्तुति दी गई।
21 दिवसीय दादा गुरूदेव इकतीसा पाठ आज से प्रतिमा, कलश व अखंड दीप स्थापना का मिला लाभ
श्रीजिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी में राष्टÑसंतों की पावन निश्रा में 15 अगस्त से 4 सितम्बर तक आयोजित किए जा रहे 21 दिवसीय दादा गुरुदेव इक्तीसा पाठ के लिए दादा गुरूदेव की प्रतिमा स्थापना, मंगल कलश एवं अखंड ज्योति स्थापना के लिए श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ावे बोले गए। वरिष्ठ सुश्रावक सुपारसचंद गोलछा के संचालकत्व में श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर चढ़ावे बोले। प्रतिमा स्थापना का लाभ संजय नामदेव देशमुख परिवार ने, मंगल कलश का लाभ प्रेमचंद भंडारी कोंडागांव-रायपुर परिवार ने एवं अखंड ज्योति स्थापना का लाभ हरीशचदंजी मनीषचंदजी डागा परिवार ने प्राप्त किया।
श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं श्रीदिव्य चातुर्मास समिति की ओर से आज धर्मसभा में 28 उपवास के तपस्वी वैराग्यसागरजी महाराज साहब के सांसारिक पुत्र श्रेयांश चोपड़ा का बहुमान किया गया। विधायक बृजमोहन अग्रवाल के सौजन्य से धर्मसभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को लगभग चार तिरंगों का वितरण किया गया।
आज लहराएगा 75 फुट का विशाल राष्टÑध्वज तिरंगा ‘देश के प्रति हमारे दायित्व’ विषय पर होगा प्रवचन
दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया, महासचिव पारस पारख व प्रशांत तालेड़ा, कोषाध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि कल सोमवार को स्वतंत्रता दिवस आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर राष्टÑसंतों और हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में 75 फुट का विशाल तिरंगा फहराकर राष्टÑध्वज का वंदन-अभिनंदन किया जाएगा।
कैट सी.जी. चैप्टर के प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी एवं प्रदेश कार्यकारी महामंत्री श्री भरत जैन ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव में कैट सी.जी. चैप्टर के प्रदेश कार्यालय में एक शाम शहीदों के नाम देशभक्ति गीत कार्यक्रम हुआ। उन्होंने आगे कहा कि कार्यक्रम में श्री विक्रम सिंहदेव, श्री परमानन्द जैन, श्री वासु माखीजा, श्री विजय शर्मा, श्री राकेश ओचवानी, श्री सुरेश भंसाली, श्री भरत माखीजा एवं श्री प्रकाश कोटक ने मेरे धरती सोना उगले उगले हीरे मोती, ये मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, यह देश है वीर जवानों का इस देश का यारो, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों सहित अनेक देशभक्ति गीत गाया।
कलिंगा विश्वविद्यालय के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के बारे में कॉर्पोरेट रिलेशन के डाईरेक्टर श्री पंकज तिवारी ने बताया कि आज के समय में उद्योग जगत को स्किल्ड उम्मीदवारों की जरुरत है। यह तभी संभव होगा, जब इंडस्ट्री की जरुरतों के अनुसार उच्च शिक्षा के दौरान विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाए। अकादमिक शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को इस तरीके से अपडेट करना आज समय की मांग है। समझौता पत्र के अनुसार एडूस्किल्स संस्था कलिंगा विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए उद्योगों की मांग के अनुरूप कौशल विकास के कार्यक्रम संचालित करेगी। जिससे विश्वविद्यालय के विद्यार्थी नवीनतम तकनीक से लैस होंगे और यहाँ पर बेहतर प्लेसमेंट के लिए बढ़िया वातावरण तैयार होगा।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. श्रीधर ने कहा कि यह एमओयू विद्यार्थियों के प्रति हमारी प्रतिब़द्धता और सहयोग को मजबूती प्रदान करेगा और छात्रों के उज्जवल भविष्य निर्माण के साथ -साथ कौशल विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। नवीनतम तकनीकी ज्ञान और उद्योग कौशल को साझा करके हम विद्यार्थी हित के लिए बेहतर कार्य करेंगे। हमें छात्रों को भविष्य की चुनौतियों का निवारण करने और अवसरों को पहचानने के लिए तैयार करना होगा। जिसके लिए यह समझौता मील का पत्थर साबित होगा।
समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने के पश्चात एडूस्किल्स के सीईओ और संस्थापक श्री शुभाजीत जगदेव ने कहा कि कलिंगा विश्वविद्यालय से समझौता पत्र में हस्ताक्षर करके वह बहुत उत्साहित हैं। राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं को वैश्विक स्तर का ज्ञान प्रदान करना और उनके कौशल को विकसित करके उद्योगों के लिए तैयार करने हेतु हमारे पास बहुत सारी योजनाएं हैं। निश्चित तौर से यह समझौता हमारे उद्देश्यों के अनुरुप है और इस समझौते से यहाँ के विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। अब हम दोनों संस्थाएँ विद्यार्थी हित के लिए मिल कर काम करेंगे। इस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के अवसर पर कलिंगा विश्वविद्यालय के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट विभाग के श्री अरुप हलधर, श्री साईमन जार्ज और उनकी टीम और एडूस्किल्स के अधिकारी एवं प्रशिक्षकों के साथ -साथ विश्वविद्यालय प्रबंधन के अधिकारी एवं वरिष्ठ प्राध्यापक उपस्थित थें।
इस कार्यक्रम में उद्योग, नीति और अकादमिक जगत के वक्ता शामिल होंगे। वैश्विक और घरेलू उत्पादक, खनिज संगठन, नीति निर्माता, खान उपकरण निर्माता, वैश्विक कॉरपोरेट के देश प्रमुख, केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी उपस्थित होंगे और सम्मेलन को संबोधित करेंगे। सम्मेलन में वैश्विक और भारतीय खनिज और धातु उद्योगों पर विचार- विमर्श और विश्लेषण खान क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकियों पर चर्चाए अपेक्षित नीतिगत वातावरण पर संवाद शामिल होगा।
पूर्वावलोकन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए फिक्की खनन समिति के अध्यक्ष और एनएमडीसी लिमिटेड के अध्यक्ष.सह.प्रबंध निदेशक श्री सुमित देब ने कहा कि देश में विशाल खनिज संसाधन आधार और व्यापार और नियामक वातावरण के विकसित और आसान होने को देखते हुए देश के सात.साथ अंतर्राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय दिग्गज भी देश की खानों और खनिज उद्योग में रुचि दर्शा रहे हैं। श्री देब ने कहा। उद्योग केंद्र और राज्यों सहित सभी प्रासंगिक हितधारकों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है और आगामी सम्मेलन सहयोग को मजबूत करने और आगे की योजना तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा। चुनौतियों और बाधाओं को संबोधित करना और उनके लिए समाधान ढूंढना प्रगति की कुंजी है और यह सम्मेलन इसके लिए सही मंच प्रदान करेगा।
श्री डी के मोहंती, निदेशक उत्पादन, एनएमडीसी लिमिटेड ने कहा कि देश आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की ओर बढ रहा है और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। खान और खनिज उद्योग आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत की विकास की योजना में एक प्रमुख भूमिका निभाएंगे। सुश्री ज्योति विज, उप महासचिव, फिक्की ने कहा कि खान और खनिज क्षेत्र सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया के मूल में है और इसका लक्ष्य घरेलू संसाधनों का इष्टतम उपयोग करता है जिससे रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा और देश के विभिन्न हिस्सों में तेजी से आर्थिक विकास होगा।
आगामी सम्मेलन में नए युग के खनिजों डिजिटलीकरण और स्वचालन और अन्य तकनीकी नवाचारों पर भी विचार.विमर्श किया जाएगा। इस कार्यक्रम में दुनिया भर में खनिजों और धातुओं के भविष्य पर एक कंट्री पैनल चर्चा भी होगी। सम्मेलन से खनिजों और धातुओं के लिए वैश्विक वस्तु बाजार को समझने खनिज विकास और आर्थिक विकास के बीच अंतर.संबंध भारतीय खनिज और धातु उद्योग को प्रभावित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के घटनाक्रम और अन्य अन्य बातों के साथ भारतीय खनिज और धातु उद्योग में अवसरों की पहचान करने में भी सहायता मिलेगी।
जब हम गाते हैं- इतनी शक्ति हमें देना दाता...तो एक नैतिक और पवित्र जीवन जीने का मार्ग हमारे मन में आता है। जब हम यह प्रार्थना करते हैं- मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणों में...ये प्रार्थनाएं हमारे जीवन को ईश्वर से जोड़कर रखती हैं। जब हम बचपन में स्कूलों में गुनगुनाया करते थे- हे प्रभु आनंद दाता, ज्ञान हमको दीजिए...स्कूल जाते ही हमारा पहला काम होता था प्रार्थना करना। क्या आपको अपने उस बचपन से जीने की प्रेरणा नहीं मिली कि जीवन में कोई भी काम शुरू करो उससे पहले प्रार्थना शुरू करो। दुकान, प्रतिष्ठान, संयंत्र का जैसे ही शटर ऊपर हो- काम या व्यापार बाद में शुरू कीजिए, पहले सब एक जगह इक्ट्ठा होकर तीन मिनट की प्रार्थना करो। अगर आपका व्यापार, आपकी फैक्ट्री का उत्पादन दुगुना न हो जाए तो कहना। काम की शुरुआत में ही जिसने ईश्वर को अपना मान लिया उसका काम अवश्य फलीभूत होता है। आज ही से अपने घर पर नित्य प्रार्थना की आदत डालो। सुबह-सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु, हम करते हैं शुरू आज का काम प्रभु। प्रार्थना का अद्भुत चमत्कार आप देखेंगे।
सब पर है परम पिता परमेश्वर का सहारा
संतप्रवर ने आगे कहा कि मानता हूं आप अकेले नहीं हैं, पत्नी को पति का और पति को पत्नी का सहारा है। एक बार आंख बंद कर सोचो, आप दोनों को एक-दूजे का सहारा है, वक्त आने पर दोनों को किसका सहारा है? उस परम पिता परमेश्वर का सहारा है। जब इंसान असहाय हो जाता है तब पांच मिनट ईश्वर की प्रार्थना कीजिए, अपने हृदय के तार परमात्मा से जोड़कर तो देखिए, बड़े निष्काम भाव से परमात्मा से निवेदन कीजिए कि हे ईश्वर तू सर्वशक्तिमान है, तू असंभव को भी संभव कर देता है। प्रतिकूल वातावरण में भी जब हम अपने अन्तरहृदय को परम पिता परमेश्वर के श्रीचरणों में ले जाकर प्रार्थना के तार उनसे जोड़ देते हैं, वो कितना भी दूर हमसे हो हमारी आवाज जरूर सुनता है।
हमारी प्रार्थना परमात्मा को पाने के लिए हो
संतश्री ने कहा कि मैं कहूंगा आप रोज भगवान से प्रार्थना किया करो कि हे ईश्वर अगर मैंने स्वर्ग को पाने लिए तुम्हारी पूजा-अर्चना-सेवा की है तो मुझे स्वर्ग मत भेजना वंचित कर देना, अगर मैंने नर्क से बचने के लिए पूजा-अर्चना सेवा की है तो मुझे जरूर नर्क में डाल देना, पर हे भगवन अगर मैंने तुम्हें पाने के लिए तुम्हारी पूजा-अर्चना, सेवा भक्ति की है तो तुम मुझे जरूर मिल जाना। क्योंकि मैंने भक्ति न तो स्वर्ग को पाने के लिए और न तो नर्क से बचने के लिए की है, मैंने भक्ति केवल भगवन आपको पाने के लिए की है। आचार्यश्री मानतुंगाचार्य ने कारागार में भगवान श्रीआदिनाथ की प्रार्थना में महान स्तोत्र भक्ताम्बर की रचना की और कारागार के संपूर्ण द्वार-ताले खुल गए, ये है भक्ति की शक्ति। ये भक्ति की ही शक्ति है कि कभी द्रोपदी का चीर हरण हो रहा हो तो वो रुक जाता है, मीरा के द्वार पर मोहन आ जाते हैं, भगवानश्री आदिनाथ स्वयं मुक्ति बाद में पाते हैं और पहले अपनी माता मरुदेवी को मुक्ति पहले दे देते हैं, यह भक्ति की शक्ति है कि राजुल जो पत्नी न बन पड़ी पर साध्वी बनकर भगवान श्रीनेमीनाथ के मोक्ष मार्ग पर जाती है। यह भक्ति की अद्भुत शक्ति है कि कभी करमा बाई का खीचड़ा खा लिया जाता है और कभी नानी बाई का मायरा भर दिया जाता है। जिन्होंने भक्ति की शक्ति देखी है वे सदा गाया करते हैं- भक्ति करता छूटे रे म्हारा प्राण, प्रभुजी ऐ नू मांगू छूं...।
धर्म का सबसे सरल स्वरूप है प्रार्थना
संतप्रवर ने कहा कि यदि कोई मुझसे पूछे कि धर्म का सबसे सरल स्वरूप क्या होता है, तो मैं यही कहूंगा- धर्म का सबसे सरल स्वरूप है प्रार्थना। भगवान से की हुई हर प्रार्थना हमारी मानसिक शक्ति, हमारी भावदशा को निर्मल करती है, आत्मा को परमात्मा में विलीन करती है। अगर श्रद्धापूर्वक तीर्थंकर परमात्मा को एक बार वंदन कर लिया जाए तो जीव जन्म-मरण की धारा से व्यक्ति बाहर निकल जाता है। भगवान को भोग नही ंचाहिए, भगवान को भाव चाहिए। भगवान को साधन नहीं, साधना चाहिए। भगवान को भवन नहीं, भावना चाहिए। वे तो आदमी की भावना के भूखे हैं, भोग के भूखे नहीं हैं। भगवान बोल के भूखे नहीं होते, भगवान भाव के भूखे होते हैं। दादा गुरूदेव के भावपूर्ण भजन- जब कोई नहीं आता, मेरे दादा आते हैं, मेरे दुख के दिनों में वो बड़े काम आते हैं...। जब कोई व्यक्ति श्रद्धापूर्वक अपने गुरुजनों को, अपने ईश्वर को, अपने आराध्य को याद करता है तब उसके कार्य जीवन में पूर्ण हो जाते हैं।
संघर्ष, दिक्कतें ये तो जिंदगी के हिस्से हैं
संतप्रवर ने कहा कि मन का अगर सबसे बड़ा कोई सहारा होता है तो वो है भगवान पर श्रद्धा-विश्वास। पत्नी को एक ही बात सात बार कहोगे तो उसका माथा ठनक जाएगा पर भगवान को एक बात हजार बार कहोगे तो न तो उनका माथ ठनकेगा अपितु आपकी विपत्ति दूर करने में वे मददगार बन जाएंगे। भगवान को अगर एक बात हजार बार कहोगे तो भगवान यही कहेंगे धीरज धर, तेरा काम बन जाएगा। जिंदगी में आने वाली उठापटकों को जिंदगी की उठापटके मत समझो, क्योंकि भगवान यह साबित करना चाहता है कि अभी तू जिंदा है। ईसीजी की रिपोर्ट में भी रेखाओं का ग्राफ ऊपर-नीचे दिखाई देता है जो आदमी के जिंदा होने का संकेत है, यदि वह रेखा सीधी हो जाए तो समझ लेना आदमी मर गया है। इसीलिए जीवन में आने वाले संघर्षों, तकलीफों से घबराना नहीं, ये सब तो जीवन के हिस्से हैं। जो चलेगा उसे ही ठोकर लगेगी, जो चलेगा ही नहीं उसे ठोकर कहां से लगेगी।
परमात्मा से जोड़े लें अंतरहृदय के तार
संतप्रवर ने कहा कि जो व्यक्ति अपने अंतरहृदय का तार परमात्मा से जोड़कर रखता है, उसके दुष्कर कार्य भी सरल हो जाते हैं। जिंदगी में भगवान को केवल संकट की बेला में ही याद न करो, सुख के समय भी याद करो। यदि सुख के समय याद कर पुण्य का बैलेंस बढ़ाए रखा तो वह तुम्हें दुख के समय जरूर काम आएगा। आर्त, याचना और निष्काम इन तीन तरह की भक्तियों में तुम केवल भगवान की निष्काम भक्ति करो। यह निष्काम भक्ति तुममें धैर्य पैदा करेगी, विचारों को सकारात्मक बना देगी, वाणी में शिष्टता-मिठास भर देगी, दिमाग हमेशा निर्मल होगा और तब तुम यदि मिट्टी में भी हाथ डालोगे तो वह मिट्टी भी सोना बन जाएगी।
भगवान की निष्काम भक्ति करने वाला भक्त दिक्कतों से वैसे ही पार हो जाता है जैसे जंगलों के बीच से रेलगाड़ी निकल जाया करती है। लोग कहते हैं कि भगवान दिखता थोड़े ही है,तो पूजा किसकी करूं। तय है मैं भगवान की पूजा इसीलिए नहीं करता कि भगवान मुझे दिखता है, मैं इसीलिए पूजा करता हूं कि भगवान मुझे देखता है। मुझमें तो ये ताकत नहीं कि मैं भगवान को देख सकूं पर भगवान में ये ताकत है वे मुझे देख सकते हैं। भगवान कहते हैं- न तो मैं ज्ञान से जाना जाता हूं और न मैं तप से जाना जाता हूं, न मैं शास्त्रों से जाना जाता हूं, मुझे वही व्यक्ति पा सकता है जो मेरी भक्ति करता है। जो निष्काम भाव से मेरी भक्ति करता है, वही मुझे पा सकता है। ‘प्रभु आपकी कृपा से सब काम हो रहा है...’ और हे ईश्वर सबको सन्मति दो, आरोग्य दो, आनंद और ऐश्वर्य दो। सबका भला कर-सबपे दया कर, और तेरा मीठा नाम सबके हृदय में रहने दे। इस प्रार्थना के साथ संतश्री ने आज की धर्मसभा का समापन किया।
मंदिर और तीर्थ हमारी आस्था के प्रतीक: डॉ. मुनिश्री शांतिप्रियजी
धर्मसभा के पूर्वार्ध में डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागरजी ने कहा कि मंदिर और तीर्थ हमारी आस्था के प्रतीक हैं। तन-मन, आत्मा को परिष्कृत-परिमार्जित करने के स्थान हैं मंदिर और तीर्थ। प्रभु के घर को मंदिर कहा जाता है और जहां पर हम अपने मन में उतरते हैं उसे मंदिर कहते हैं।
अतिथियों को भेंट में मिले ज्ञान पुष्प
श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, ट्रस्टीगण तिलोकचंद बरड़िया, राजेंद्र गोलछा व उज्जवल झाबक ने संयुक्त जानकारी देते बताया कि आज दिव्य सत्संग का शुभारंभ अतिथिगण हर्ष डागा कोलकाता, राजेश गोठी बैतूल, दिलीप बैद, अमर बरलोटा, मुकेश निम्माणी, श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, सुमित कांकरिया द्वारा ज्ञान का दीप प्रज्जवलित कर किया गया। अतिथियों को श्रद्धेय संतश्री के हस्ते ज्ञानपुष्प स्वरूप धार्मिक साहित्य भेंट किये गये। अतिथि सत्कार दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया द्वारा किया गया। सूचना सत्र का संचालन चातुर्मास समिति के महासचिव पारस पारख ने किया।
तपस्वियों का हुआ बहुमान
श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं श्रीदिव्य चातुर्मास समिति की ओर से आज धर्मसभा में 8 उपवास की तपस्विनी बालिका पाखी भंसाली पुत्री सुरेश भंसाली का बहुमान किया गया।
आज प्रवचन ‘1 घंटे में समझें सभी धर्मों के रहस्य’ विषय पर
दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया, महासचिव पारस पारख व प्रशांत तालेड़ा, कोषाध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि रविवार, 14 अगस्त को दिव्य सत्संग के अंतर्गत धर्म सप्ताह के सातवें दिन ‘1 घंटे में समझें सभी धर्मों के रहस्य’ विषय पर प्रवचन होगा। 15 अगस्त से 4 सितम्बर तक श्रीजिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी एमजी रोड में दादा गुरूदेव इक्तीसे का आयोजन किया जाएगा। जिसके लिए कल रविवार की धर्मसभा में दादा गुरूदेव प्रतिमा की स्थापना एवं अखंड दीपक का लाभ भी सौभाग्यशाली श्रद्धालुओं को प्राप्त होगा। अक्षय निधि, समवशरण, विजय कसाय, तप 16 अगस्त से प्रारंभ होंगे। इन तपों की आराधना दादाबाड़ी में ही रहेगी। श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति ने श्रद्धालुओं को चातुर्मास के सभी कार्यक्रमों व प्रवचन माला में भाग लेने का अनुरोध किया है।
जहां कोई नेटवर्क काम नहीं करता वहां काम करता है दुआओं का नेटवर्क
संतप्रवर ने कहा कि जिंदगी में और कोई कमाई करो न करो, एक कमाई जरूर कर लेना, कभी ऐसी समस्या खड़ी हो जाती है जब सारा धन मिलकर भी उस एक समस्या का समाधान नहीं कर पाता, अगर आपने कभी दुआ की दौलत बटोरी है तब अचानक कोई ऐसा व्यक्ति आया जिसने आपकी सारी समस्या का समाधान कर दिया। जिदंगी के उस वक्त जब आपके पास आपका-अपना कोई नहीं होगा, और आपका कोई नेटवर्क वहां काम न करे तब आपके पास रखा हुआ दुआओं का नेटवर्क जरूर काम आ जाएगा।
संतप्रवर ने कहा कि जिंदगी में भूल-चूककर कभी-भी किसी का दिल मत दुखाना। अक्सर हम लोग जिंदगी में अपने वचन व्यवहार से-टेढ़े बोलकर न जाने कितनी बददुआएं इक्ट्ठी कर लेते हैं। यह तय है कि जब हम किसी के प्रति मन में प्रतिकूल व्यवहार करते हैं तो सामने वाला हमारे लिए गलत कामना करता है, और जब हम किसी के प्रति अनुकूल व्यवहार करते हैं तो सामने वाला हमारे प्रति प्रतिकूल बोलने की बजाय अनुकूल बोला करता है। इसीलिए जब भी वचन का व्यवहार करो, सावधान हो जाओ, आपका वचन-आपकी वाणी वीणा बन जाए पर कभी बाण न बने।
संकल्प लेवें- आज से मैं वहीं काम करूंगा जो दुनिया को अच्छा लगे
संतश्री ने आह्वान कर कहा कि हम यह संकल्प ले लेवें कि आज से मैं दुनिया में वही काम करुंगा जो दुनिया को अच्छा लगे। मैं आज से वही वचन बोलुंगा जो मेरे परिवार, पड़ोसी, संबंधी सभी को अच्छा लगे। मैं समाज में भी जाउंगा तब ऐसे शब्द कभी नहीं बोलुंगा, जिससे किसी के मन को पीड़ा पहुंच जाये। यदि आज आप किसी बड़े पद पर हैं तो समाज के किसी एक व्यक्ति को भी ऐसे टेढ़े शब्द ना बोलना, जिससे किसी को बुरा लगे। संघपति वो नहीं होता जो संघ बनाए, संघपति वो होता है जो संघ को अपना पति मान लेता है। समाज का अध्यक्ष वो नहीं होता जो समाज में सबसे बड़ा हो जाता है, समाज का अध्यक्ष वो होता है जो समाज को अपने से बड़ा मानने लग जाता है। इसीलिए अपने बड़ेपन का कभी-भी अभिमान मत करना।
दुआ की दौलत कमाने इन छोटे-छोटे मंत्रों का करें पालन
संतश्री ने कहा- जिंदगी में दुआ की दौलत कमाने के लिए आज मैं आपको छोटे-छोटे मंत्र दे रहा है। इन्हें अपनी जिंदगी में लागू कर लेना। ये तीनों मंत्र पारसनाथजी के प से शुरू होते हैं। जीवन में दुआ की दौलत बटोरने के लिए पहला काम करो और वो है- परोपकार करो। दूसरा मंत्र है उसका तरीका है- घर के बड़े-बुजुर्गों को सुबह उठकर घुटने टिका कर प्रणाम करो। दुनिया में चार का नेटवर्क बड़ा तेज होता है- एक प्रभुजी, दूसरा गुरुजी, तीसरा पिताजी और चौथा माताजी। तीसरा मंत्र है- दुआ की दौलत को पाने के लिए रामबाण की तरह यह कार्य करेगा, वह है- जब भी करो प्रभुजी की प्रार्थना जरूर करो।
भूखे का पेट भरोगे तो भरा रहेगा आपका भंडार
संतप्रवर ने कहा कि जब एक गरीब भूखे बच्चे को आप खाना खिलाते हैं तब हर कौर खाने के बाद वह आपसे आंख मिलाएगा। सोचा है आपने कभी कि वह आपसे आंख क्यों मिलता है? यह तो छोड़ो आपने देखा होगा कि जब आप कुत्ते को रोटी डालते हैं तो कुत्ता रोटी सीधा नहीं खाता, हर कौर खाते समय वह आपसे आंख मिलाता है। भयभीत होकर नहीं, वो उस समय आपको दुआ की दौलत दे रहा होता है। कि तुम मेरा पेट भर रहे हो, तुम्हारा भी भंडार सदा भरा रहेगा।
दुआ की दौलत कमाने सण्डे को भी न लें छुट्टी
संतश्री ने श्रद्धालुओं ने बताया कि वेदव्यासजी से जब यह पूछा गया कि आपने इतने बड़े-बड़े एक नहीं अट्ठारह पुराण रच दिए हैं, इन्हें पढ़ेगा कौन? तो वेदव्यासजी ने कहा- जिसे अट्ठारह पुराण पढ़ने का समय न हो वो मेरी एक लाइन को हमेशा याद रखे कि परोपकार जब भी करोगे-तुम्हें पुण्य मिलेगा और पीड़ा जब भी दोगे-तुम्हें पाप मिलेगा। इसीलिए आज दुआ की दौलत को कमाने के लिए पहला संकल्प ये जरूर ले लो, मैं रोज जो भी काम करूंगा परोपकार का एक काम जरूर करूंगा। रात में जब सोओ तो यह संकल्प करो कि आज दिनभर में मुझसे कोई सत्कर्म हुआ या नहीं हुआ। यदि हुआ तो कल फिर करूंगा और अगर नहीं हुआ तो कल जरूर करूंगा। दुआ की दौलत कमाने के लिए सण्डे की भी छुट्टी न लेना। हम सबने यह सुना ही है- तुम गरीबों की सुनो, वो तुम्हारी सुनेगा। तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा। जब जिंदगी में कोई दौलत काम न आएगी तब जो भी काम आएगी वो आपकी दुआ की दौलत होगी।
संतश्री ने परोपकार से मिलने वाले पुण्य के बारे में समझाते हुए बताया कि हाथ से फेंका हुआ पत्थर सौ मीटर दूर तक जाता है, पिस्तौल से छूटी गोली पांच सौ मीटर तक जाती है, तोप से छोड़ा हुआ गोला पांच हजार मीटर तक जाता है, पर गरीब के पेट में डाली हुई रोटी भगवान तक जाती है। परोपकार के बदले में हमें जो भी मिलती है, उसी का नाम है दुआ की दौलत। हर आदमी की दिन की शुरुआत अर्जन से नहीं होनी चाहिए, हर आदमी की दिन की शुरुआत विसर्जन से होनी चाहिए। याद रखना- जो व्यक्ति दो हाथ से लुटाया करता है, ईश्वर उसको हजार हाथ से दिया करता है। अपनी हर दिन की शुरुआत कमाने से नहीं दान से करो।
पाप फल के हिस्सेदार आप स्वयं होंगे और कोई नहीं: डॉ. मुनिश्री शांतिप्रियजी
धर्मसभा के पूर्वार्ध में डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागरजी ने कहा कि दुनिया में सभी सुख के साथी होते हैं दुख का साथी कोई नहीं होना चाहता। आप अपने जीवन में धन कमाने के लिए जो पाप किया करते हैं, उस पाप फल के हिस्सेदार और कोई नहीं होंगे, उनका भुगतान केवल आप को ही करना होगा। क्योंकि कर्म सिद्धांत का सूत्र है- कर्म हमेशा कर्ता का अनुगमन किया करता है। इंसान सबकी आंखों में धूल झोंक सकता है पर कर्म की आंखों में धूल नहीं झोंक सकता। इसीलिए हमें कर्म करते समय हमेशा सजग-सावधान रहना चाहिए। दुनिया में किसी से डरने की जरूरत नहीं, यदि डरना ही है तो पाप कर्म करने से डरें। आदमी कर्म करने में स्वतंत्र है लेकिन उस कर्म उदय में आने पर उसका भुगतान करने में वह परतंत्र हो जाता है। किए हुए कर्मों को भोगे बिना उनसे छुटकारा नहीं मिलता। आज से हम सब यह संकल्प लेवें कि कभी भी पाप कर्मों का बंधन नहीं करेंगे और पूर्व के कर्मों को काटने हम सदा सन्मार्ग पर चलते रहेंगे। जो कर्मों को जीत लेता है, वही महावीर कहलाता है।
अतिथियों को भेंट में मिले ज्ञान पुष्प
श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, ट्रस्टीगण तिलोकचंद बरड़िया, राजेंद्र गोलछा व उज्जवल झाबक ने संयुक्त जानकारी देते बताया कि आज दिव्य सत्संग का शुभारंभ अतिथिगण सांसद सुनील सोनी, श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, सुरेश कांकरिया, संतोष दुग्गड़, सुलोचना सराफ, संगीता चोपड़ा एवं गौतमचंद बोथरा द्वारा ज्ञान का दीप प्रज्जवलित कर किया गया। अतिथियों को श्रद्धेय संतश्री के हस्ते ज्ञानपुष्प स्वरूप धार्मिक साहित्य भेंट किये गये। अतिथि सत्कार दिव्य चातुर्मास समिति के स्वागताध्यक्ष कमल भंसाली, पीआरओ समिति से विमल गोलछा व मनोज कोठारी द्वारा किया गया। सूचना सत्र का संचालन चातुर्मास समिति के महासचिव पारस पारख ने किया।
श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं श्रीदिव्य चातुर्मास समिति की ओर से आज धर्मसभा में 11 उपवास की तपस्विनी श्रीमती नम्रता कांकरिया धर्मपत्नी सुमित कांकरिया एवं श्रीमती गौरी कांकरिया धर्मपत्नी संयम कांकरिया सहित 9 उपवास के तपस्वी माणकचंद चोपड़ा, राजेंद्र गोटी का बहुमान किया गया।
आज प्रवचन ‘भक्ति की शक्ति और प्रार्थना का चमत्कार’ विषय पर
दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया, महासचिव पारस पारख व प्रशांत तालेड़ा, कोषाध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि शनिवार, 13 अगस्त को दिव्य सत्संग के अंतर्गत धर्म सप्ताह के छठवें दिन ‘भक्ति की शक्ति और प्रार्थना का चमत्कार’ विषय पर प्रवचन होगा। श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति ने श्रद्धालुओं को चातुर्मास के सभी कार्यक्रमों व प्रवचन माला में भाग लेने का अनुरोध किया है।
ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग जीने की कला के अंतर्गत धर्म सप्ताह के तृतीय दिवस बुधवार को व्यक्त किए। वे आज ‘समाज में एकता लाने के लिए क्या करें’ विषय पर प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि अनेक धर्मों का होना बहुत अच्छी बात है। अलग-अलग धर्मों के बारे में आप यूं सोचें कि जैसे आप बगीचे में जाते हैं, तो उस बगीचे में एक ही तरह के फूल नहीं रहते, वे विविध फूल ही बगीचे की शोभा बढ़ाया करते हैं। तब अलग-अलग परम्पराएं हैं तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन दिक्कत तब आ जाती है जब व्यक्ति के मन से पथ तो चला जाता है पर पंथ का आग्रह रह जाता है। एक बात तो तय है कि आदमी को कभी पंथ नहीं तारता अपितु एक अच्छा पथ तारता है। आदमी जैसा कर्म करता है, जीवन में वैसा परिणाम पाता है। आदमी कल्याण के रास्ते पर तब जाता है जब उसका अच्छे रास्ते पर चलना शुरू हो जाता है।
संतप्रवर ने कहा कि आदमी अपने परिवार, समाज और धर्म में एकता का माहौल बनाए रखने सदा तत्पर रहे क्योंकि एकता में वह ताकत होती है, जिसे कोई भी तोड़ नहीं सकता। जिस परिवार में भाई-भाई अलग हो जाते हैं, उन पर पड़ोसी भी हावी हो जाता है। साथ रहने के हजार सुख होते हैं और टूटने का केवल एक ही सुख होता है कि आदमी अपनी मनचाही जिंदगी जी सकता है। पंचतंत्र की कहानी में हमने यह पढ़ा कि शिकारी के जाल में फंसे हुए कबूतरों ने जब एक साथ अपनी चोंच से जाल को ऊपर उठाया और एक साथ पंख खोलकर उड़ान लगाई तो वे पूरे जाल को ले उड़ने में सफल हो गए। ये ताकत कबूतरों के पंखों व चोंच की ही नहीं, ये ताकत थी एकता की। जब सारे कबूतर एक हो गए तो वे पूरे जाल को उड़ाने में सफल हो गए।
जिसके पास एकता का बल वह सबसे शक्तिशाली
संतश्री ने आगे कहा कि जिसके पास धन का बल है वह शक्तिशाली नहीं, जिसके पास तन का बल है वह भी शक्तिशाली नहीं, दुनिया में सबसे शक्तिशाली वह है जिसका परिवार में-समाज में-शहर में एकता का बल है। साथ में रहने का, प्रेम और मिठास से रहने का बड़ा ही सुख होता है। इंसान को तकलीफ तब नहीं होती जब कोई दूर जाकर दूर हो जाता है। असली तकलीफ तब होती है जब कोई एक छत की नीचे रहकर आपस में दूरियां बना लेता है। घर में चार लोग यदि आपस में हिल-मिलकर रह गए तो समझो आप जीवन की बाजी जीत गए।
कण-कण के जुड़ने में छिपा है दुनिया की खुशिहाली का राज
संतश्री ने कहा कि कार्यक्रम का आयोजन कर कहीं पर विश्व मैत्री दिवस की स्थापना करना बहुत सरल है, विश्व मैत्री की स्थापना जब भी शुरू होती है तो आदमी के अपने घर से होती है। जब मिट्टी के कण आपस में जुड़ते हैं तब र्इंट बनती है, जब हम र्इंट पर र्इंट सजाते हैं तो दीवार बनती है, जब चार दीवारों की खड़ी हो जाती हैं और छत ढलता है तब मकान बनता है, जब सौ मकान पास-पास बनते हैं तो मोहल्ला बन जाता है, जब सारे मोहल्लो मिल-जुल जाते हैं तब नगर बनता है, जब अनेक नगर साथ मिल जाते हैं तो राज्य बनता है। और देश तब सुधरता है जब ऐसे सारे राज्य मिल-जुल कर रहते हैं तब देश में खुशहाली रहती है। अब जरा सोचो दुनिया में खुशिहाली कब रहती है, जब सारे देश मिल-जुलकर रहते हैं। दुनिया की खुशहाली को पैदा करने के लिए एक-एक मिट्टी के कण को आपस में जुड़ना पड़ता है। यदि दुनिया को अच्छा बनाना है तो हमें पहले एक आदमी को अच्छा बनाना पड़ेगा।
संतप्रवर ने कहा कि अपने बच्चों में परिवार के प्रति प्रेम के सूत्र का बीजारोपण करें। जब भाई-भाई आपस में झगड़ लेते हैं तो दोनों ही नुकसान में होते हैं और जब आपस में हिल-मिलकर रहते हैं तो दोनों ही लाभ रहते हैं। एक तिनके की कोई औकात नहीं होती पर बहुत से तिनके आपस में मिलकर मोटा रस्सा बन जाते हैं तो हाथी को भी बांधने में कामयाब हो जाते हैं। हथेली की पांचों अंगुलियां कभी अभिमान न करे कि मैं जो काम करती हूं वह और कोई नहीं कर सकता, ये पांचों जब तक साथ हैं तभी तक इनकी ताकत है अन्य ये यदि अलग-अलग हो गर्इं तो इनकी कोई ताकत नहीं। एक धागे में पिरोकर अलग-अलग मोती माला कहलाने लगते हैं। 108 मणियों को सुई-धागे से होकर गुजरना पड़ा तब जाकर यह माला बनी लेकिन इन्हें बिखरने-अलग करने के लिए केवल एक सेकंड की कैची ही काफी है।
संतश्री ने कहा कि जब हम जुड़ते हैं तो हमारे भीतर में भाव सेक्रिफाइस के, त्याग के होते हैं, और जब हम टूटते या अलग हैं तो हमारे भीतर के भाव स्वार्थ के होते हैं। परिवार में सुई-धागा बनकर रहिए जो सबको जोड़ने का काम करते हैं, प्लीज कैंची बनकर न रहिए। नारी जाति पर लगे इस कलंक को, कि शादी होते ही साथ में रहने वाले दो भाई अलग-अलग हो जाते हैं, आज से अपने इस कलंग को धोने अपनी मानसिकता को बदल लो कि दो भाई भले अलग हो जाएं पर हम देवरानी-जेठानी कभी अलग नहीं होंगे। फिर देखते हैं कि इन भाइयों की क्या औकात होती है कि अपनी-अपनी बीवियों को छोड़कर ये अलग कैसे होते हैं। नारी जाति अपने पर लगने वाले इस झूठे आरोप को साफ करें कि महिलाएं घर तो तोड़ती हैं, नए युग की शुरुआत हो कि महिलाएं हमेशा घर को जोड़ कर रखती हैं। अब हमें नई सोच-नई दिशा, नया नजरिया अपने जीवन में बनाना पड़ेगा। हम संकल्पबद्ध हो जाएं मैं जहां रहूं वहां फूल की भूमिका अदा करूं, कांटों की नहीं। जहां रहूं वहां बाग लगाने का काम करुं-आग लगाने का नहीं।
श्रद्धेय संतश्री ने कहा कि देखो उन समाजों को जो आपस में हिल-मिलकर रहते हैं, उनकी ताकत को देखो। उनके जीने के तरीके को देखो। साथ रहने का आनंद क्या होता है, इसे जानना-सीखना हो तो अंगूरों से सीखना। जब अंगूर गुच्छे से लगे होते हैं तो 80 रुपए किलो होते हैं और जब गुच्छे से अलग हो जाए तो 20 रुपए किलो के हो जाते हैं। यह बात हमें यह सिखाती है कि हमारी औकात तभी रहेगी जब हम साथ-साथ रहेंगे। परिवार में हम एक-दूसरे से हिल-मिल कर रहने का आनंद लेना शुरू कर दें। हम घर में रोज दिवाली आ जाएगी। सभी मानवों का रक्त लाल होता है, इसका अर्थ है हम स्वयं ही बंट गए हैं, वास्तव में तो पूरी दुनिया के मानव एक ही हैं। राजनीति में धर्म होना चाहिए-देश का कल्याण होगा, पर धर्म में कभी-भी राजनीति नहीं होनी चाहिए अन्यथा धर्म का विनाश होगा। वे लोग महान होते हैं जो धंधे में भी धर्म करते हैं। और उससे बड़ा पापी कौन जो धर्म में भी धंधे करते हैं। दुनिया में सच्चा कार्यकर्ता वही होता है जिसका कार्य तो दिखता है पर कर्ता कभी नहीं दिखता।
संतश्री ने बताया कि अपने समाज व परिवार को बिखराव से बचाने के लिए हम अपने जीवन में इन सावधानियों को अपना लें। वे हैं- नंबर एक ईर्ष्या और अहंकार को कभी भी पैदा न होने दो। संकीर्ण सोच कभी-भी नहीं रखनी चाहिए क्योंकि यह समाज को तोड़ती है। इसी तरह समाज-परिवार के मधुर बनाए रखने के लिए हमें इन चार मंत्रों को जीवन से जोड़ लेना चाहिए। उनमें पहला है- संगठन। दीवारें भले ही रहें कोई बात नहीं पर दीवारों में दरवाजे खुले रहने चाहिए। दूसरा है- सहयोग की भावना। तीसरा है- समाज में समानता रहे। और चौथा है- समन्वय का भाव हो।
अतिथियों को मिली ज्ञानपुष्प की भेंट: श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, ट्रस्टीगण तिलोकचंद बरड़िया, राजेंद्र गोलछा व उज्जवल झाबक ने संयुक्त जानकारी देते बताया कि बुधवार को दिव्य सत्संग सभा में आये सभी अतिथियों को श्रद्धेय संतश्री के हस्ते ज्ञानपुष्प स्वरूप धार्मिक साहित्य भेंट किये गये। अतिथि सत्कार श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली व दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया द्वारा किया गया। सूचना सत्र का संचालन चातुर्मास समिति के महासचिव पारस पारख ने किया।
आज प्रवचन ‘प्रेम का पवित्र पर्व: रक्षाबंधन’ विषय पर
दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया, महासचिव पारस पारख, प्रशांत तालेड़ा, कोषाध्यक्ष अमित मुणोत व स्वागताध्यक्ष कमल भंसाली ने बताया कि गुरूवार, 11 अगस्त को दिव्य सत्संग के अंतर्गत धर्म सप्ताह के चतुर्थ दिवस ‘प्रेम का पवित्र पर्व: रक्षाबंधन’ विषय पर प्रवचन होगा। श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति ने श्रद्धालुओं को चातुर्मास के सभी कार्यक्रमों व प्रवचन माला में भाग लेने का अनुरोध किया है।
ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग जीने की कला के अंतर्गत धर्म सप्ताह के तृतीय दिवस बुधवार को व्यक्त किए। वे आज ‘समाज में एकता लाने के लिए क्या करें’ विषय पर प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि अनेक धर्मों का होना बहुत अच्छी बात है। अलग-अलग धर्मों के बारे में आप यूं सोचें कि जैसे आप बगीचे में जाते हैं, तो उस बगीचे में एक ही तरह के फूल नहीं रहते, वे विविध फूल ही बगीचे की शोभा बढ़ाया करते हैं। तब अलग-अलग परम्पराएं हैं तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन दिक्कत तब आ जाती है जब व्यक्ति के मन से पथ तो चला जाता है पर पंथ का आग्रह रह जाता है। एक बात तो तय है कि आदमी को कभी पंथ नहीं तारता अपितु एक अच्छा पथ तारता है। आदमी जैसा कर्म करता है, जीवन में वैसा परिणाम पाता है। आदमी कल्याण के रास्ते पर तब जाता है जब उसका अच्छे रास्ते पर चलना शुरू हो जाता है।
साथ रहने के सुख हजार होते हैं
संतप्रवर ने कहा कि आदमी अपने परिवार, समाज और धर्म में एकता का माहौल बनाए रखने सदा तत्पर रहे क्योंकि एकता में वह ताकत होती है, जिसे कोई भी तोड़ नहीं सकता। जिस परिवार में भाई-भाई अलग हो जाते हैं, उन पर पड़ोसी भी हावी हो जाता है। साथ रहने के हजार सुख होते हैं और टूटने का केवल एक ही सुख होता है कि आदमी अपनी मनचाही जिंदगी जी सकता है। पंचतंत्र की कहानी में हमने यह पढ़ा कि शिकारी के जाल में फंसे हुए कबूतरों ने जब एक साथ अपनी चोंच से जाल को ऊपर उठाया और एक साथ पंख खोलकर उड़ान लगाई तो वे पूरे जाल को ले उड़ने में सफल हो गए। ये ताकत कबूतरों के पंखों व चोंच की ही नहीं, ये ताकत थी एकता की। जब सारे कबूतर एक हो गए तो वे पूरे जाल को उड़ाने में सफल हो गए।
जिसके पास एकता का बल वह सबसे शक्तिशाली
संतश्री ने आगे कहा कि जिसके पास धन का बल है वह शक्तिशाली नहीं, जिसके पास तन का बल है वह भी शक्तिशाली नहीं, दुनिया में सबसे शक्तिशाली वह है जिसका परिवार में-समाज में-शहर में एकता का बल है। साथ में रहने का, प्रेम और मिठास से रहने का बड़ा ही सुख होता है। इंसान को तकलीफ तब नहीं होती जब कोई दूर जाकर दूर हो जाता है। असली तकलीफ तब होती है जब कोई एक छत की नीचे रहकर आपस में दूरियां बना लेता है। घर में चार लोग यदि आपस में हिल-मिलकर रह गए तो समझो आप जीवन की बाजी जीत गए।
कण-कण के जुड़ने में छिपा है दुनिया की खुशिहाली का राज
संतश्री ने कहा कि कार्यक्रम का आयोजन कर कहीं पर विश्व मैत्री दिवस की स्थापना करना बहुत सरल है, विश्व मैत्री की स्थापना जब भी शुरू होती है तो आदमी के अपने घर से होती है। जब मिट्टी के कण आपस में जुड़ते हैं तब र्इंट बनती है, जब हम र्इंट पर र्इंट सजाते हैं तो दीवार बनती है, जब चार दीवारों की खड़ी हो जाती हैं और छत ढलता है तब मकान बनता है, जब सौ मकान पास-पास बनते हैं तो मोहल्ला बन जाता है, जब सारे मोहल्लो मिल-जुल जाते हैं तब नगर बनता है, जब अनेक नगर साथ मिल जाते हैं तो राज्य बनता है। और देश तब सुधरता है जब ऐसे सारे राज्य मिल-जुल कर रहते हैं तब देश में खुशहाली रहती है। अब जरा सोचो दुनिया में खुशिहाली कब रहती है, जब सारे देश मिल-जुलकर रहते हैं। दुनिया की खुशहाली को पैदा करने के लिए एक-एक मिट्टी के कण को आपस में जुड़ना पड़ता है। यदि दुनिया को अच्छा बनाना है तो हमें पहले एक आदमी को अच्छा बनाना पड़ेगा।
सृजन यह भगवान की भूमिका है और विध्वंस शैतान की
संतप्रवर ने कहा कि अपने बच्चों में परिवार के प्रति प्रेम के सूत्र का बीजारोपण करें। जब भाई-भाई आपस में झगड़ लेते हैं तो दोनों ही नुकसान में होते हैं और जब आपस में हिल-मिलकर रहते हैं तो दोनों ही लाभ रहते हैं। एक तिनके की कोई औकात नहीं होती पर बहुत से तिनके आपस में मिलकर मोटा रस्सा बन जाते हैं तो हाथी को भी बांधने में कामयाब हो जाते हैं। हथेली की पांचों अंगुलियां कभी अभिमान न करे कि मैं जो काम करती हूं वह और कोई नहीं कर सकता, ये पांचों जब तक साथ हैं तभी तक इनकी ताकत है अन्य ये यदि अलग-अलग हो गर्इं तो इनकी कोई ताकत नहीं। एक धागे में पिरोकर अलग-अलग मोती माला कहलाने लगते हैं। 108 मणियों को सुई-धागे से होकर गुजरना पड़ा तब जाकर यह माला बनी लेकिन इन्हें बिखरने-अलग करने के लिए केवल एक सेकंड की कैची ही काफी है। सावधान रहना, जिंदगीभर सेक्रिफाइस करते रहे तब भाई-भाई साथ रहे पर पर एक छोटी-सी चूक भाई-भाई को जुदा कर सकती है। भगवान की भूमिका होती है जो माला बनाता है और शैतान की भूमिका होती है जो कैची चलाकर माला को बिखेर देता है। सृजन करना यह भगवान की भूमिका है और विध्वंस करना यह शैतान की भूमिका है। अगर आपमें साधना-आराधना की ताकत हो-चारित्र्य का बल हो तो गॉड बन जाना, पर अगर आपको लगता है कि आप गॉड नहीं बन पाए तो आप अपने-आपसे वादा करो कि मैं गॉड नहीं बन पाया तो कम से कम गुड जरूर बन जाउंगा। जो गुड बन जाता है, उसकी यात्रा गॉड बनने की ओर शुरू हो जाती है।
समाज-परिवार में रहें सुई-धागा बनकर
संतश्री ने कहा कि जब हम जुड़ते हैं तो हमारे भीतर में भाव सेक्रिफाइस के, त्याग के होते हैं, और जब हम टूटते या अलग हैं तो हमारे भीतर के भाव स्वार्थ के होते हैं। परिवार में सुई-धागा बनकर रहिए जो सबको जोड़ने का काम करते हैं, प्लीज कैंची बनकर न रहिए। नारी जाति पर लगे इस कलंक को, कि शादी होते ही साथ में रहने वाले दो भाई अलग-अलग हो जाते हैं, आज से अपने इस कलंग को धोने अपनी मानसिकता को बदल लो कि दो भाई भले अलग हो जाएं पर हम देवरानी-जेठानी कभी अलग नहीं होंगे। फिर देखते हैं कि इन भाइयों की क्या औकात होती है कि अपनी-अपनी बीवियों को छोड़कर ये अलग कैसे होते हैं। नारी जाति अपने पर लगने वाले इस झूठे आरोप को साफ करें कि महिलाएं घर तो तोड़ती हैं, नए युग की शुरुआत हो कि महिलाएं हमेशा घर को जोड़ कर रखती हैं। अब हमें नई सोच-नई दिशा, नया नजरिया अपने जीवन में बनाना पड़ेगा। हम संकल्पबद्ध हो जाएं मैं जहां रहूं वहां फूल की भूमिका अदा करूं, कांटों की नहीं। जहां रहूं वहां बाग लगाने का काम करुं-आग लगाने का नहीं।
हिल-मिल कर रहने का लें आनंद
श्रद्धेय संतश्री ने कहा कि देखो उन समाजों को जो आपस में हिल-मिलकर रहते हैं, उनकी ताकत को देखो। उनके जीने के तरीके को देखो। साथ रहने का आनंद क्या होता है, इसे जानना-सीखना हो तो अंगूरों से सीखना। जब अंगूर गुच्छे से लगे होते हैं तो 80 रुपए किलो होते हैं और जब गुच्छे से अलग हो जाए तो 20 रुपए किलो के हो जाते हैं। यह बात हमें यह सिखाती है कि हमारी औकात तभी रहेगी जब हम साथ-साथ रहेंगे। परिवार में हम एक-दूसरे से हिल-मिल कर रहने का आनंद लेना शुरू कर दें। हम घर में रोज दिवाली आ जाएगी। सभी मानवों का रक्त लाल होता है, इसका अर्थ है हम स्वयं ही बंट गए हैं, वास्तव में तो पूरी दुनिया के मानव एक ही हैं। राजनीति में धर्म होना चाहिए-देश का कल्याण होगा, पर धर्म में कभी-भी राजनीति नहीं होनी चाहिए अन्यथा धर्म का विनाश होगा। वे लोग महान होते हैं जो धंधे में भी धर्म करते हैं। और उससे बड़ा पापी कौन जो धर्म में भी धंधे करते हैं। दुनिया में सच्चा कार्यकर्ता वही होता है जिसका कार्य तो दिखता है पर कर्ता कभी नहीं दिखता।
परिवार-समाज को बिखराव से बचाने बरतें ये सावधानियां
संतश्री ने बताया कि अपने समाज व परिवार को बिखराव से बचाने के लिए हम अपने जीवन में इन सावधानियों को अपना लें। वे हैं- नंबर एक ईर्ष्या और अहंकार को कभी भी पैदा न होने दो। संकीर्ण सोच कभी-भी नहीं रखनी चाहिए क्योंकि यह समाज को तोड़ती है। इसी तरह समाज-परिवार के मधुर बनाए रखने के लिए हमें इन चार मंत्रों को जीवन से जोड़ लेना चाहिए। उनमें पहला है- संगठन। दीवारें भले ही रहें कोई बात नहीं पर दीवारों में दरवाजे खुले रहने चाहिए। दूसरा है- सहयोग की भावना। तीसरा है- समाज में समानता रहे। और चौथा है- समन्वय का भाव हो।
अतिथियों को मिली ज्ञानपुष्प की भेंट: श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, ट्रस्टीगण तिलोकचंद बरड़िया, राजेंद्र गोलछा व उज्जवल झाबक ने संयुक्त जानकारी देते बताया कि बुधवार को दिव्य सत्संग सभा में आये सभी अतिथियों को श्रद्धेय संतश्री के हस्ते ज्ञानपुष्प स्वरूप धार्मिक साहित्य भेंट किये गये। अतिथि सत्कार श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली व दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया द्वारा किया गया। सूचना सत्र का संचालन चातुर्मास समिति के महासचिव पारस पारख ने किया।
आज प्रवचन ‘प्रेम का पवित्र पर्व: रक्षाबंधन’ विषय पर
दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया, महासचिव पारस पारख, प्रशांत तालेड़ा, कोषाध्यक्ष अमित मुणोत व स्वागताध्यक्ष कमल भंसाली ने बताया कि गुरूवार, 11 अगस्त को दिव्य सत्संग के अंतर्गत धर्म सप्ताह के चतुर्थ दिवस ‘प्रेम का पवित्र पर्व: रक्षाबंधन’ विषय पर प्रवचन होगा। श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति ने श्रद्धालुओं को चातुर्मास के सभी कार्यक्रमों व प्रवचन माला में भाग लेने का अनुरोध किया है।
35 फीट की राखी श्रद्धालु बहनों ने ट्रस्ट मंडल को समर्पित की
रायपुर, 13 अगस्त। रक्षाबंधन प्रेम, पवित्रता और मानवीय सुरक्षा का पर्व है। आओ हम सब इसका तहेदिल से स्वागत करें। यह वो पर्व है जब एक भाई अपनी बहन के लिए असीम प्रेम को लुटाता है, दुनिया में भाई-बहन के प्रेम के समकक्ष दुनिया में किसी की भी तुलना नहीं की जा सकती।
बहन की अंतिम सांस तक यदि कोई काम आता है तो वह है उसका भाई। जब सब साथ छोड़ देते हैं, तब भी महिला के भीतर एक आश और विश्वास होता है कि मेरा भाई मेरा साथ निभाएगा। दुनिया में माँ जितना प्यारा एक और शब्द पैदा हुआ, माँ को तो माँ कहते हैं और माँ के भाई को मा-मा कहते हैं।’’
ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग जीने की कला के अंतर्गत धर्म सप्ताह के चतुर्थ दिवस गुरूवार को ‘प्रेम का पवित्र पर्व: रक्षाबंधन’ विषय पर व्यक्त किए। संतप्रवर ने आगे कहा कि यह रक्षाबंधन का त्यौहार ये केवल डोरी बांधने का त्यौहार नहीं, कोई हजार-पांच सौ का लिफाफा लेने-देने का त्यौहार नहीं, ये मानवीय भावना के सर्वोच्च परिणाम का त्यौहार है।
नारी व नारी के बीच विशुद्धता, निर्मलता, प्रेममूलक भावना को पैदा करने वाला यह दिव्य पर्व है। हिमायू जैसे आततायी को भी जब पद्मावति के द्वारा लिफाफे में एक धागा भेजकर मैं तुम्हारे भाई बना रही हूं, मुझे तुम्हारी रक्षा की आवश्यकता है। तो कहते हैं बंगाल में रहने वाला हिमायू भी राखी की डोर का महत्व रखने राजस्थान तक आया था।
जब भगवान श्रीकृष्ण ने जरासंध का वध करने के लिए अपने हाथ से जब सुदर्शन चक्र चलाया था, तब उनकी अंगुली से रक्तधार बह निकली, तब उनकी धर्मबहन मुंहबोली द्रोपदी पास बैठी थी, भरी राजसभा में खड़ी हो गई और अपने पल्लू को झट से फाडक़र श्रीकृष्ण की अंगुली पर बांध दिया।
तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लाडक़ी छोटी बहन द्रोपदी से कहा था- हे कल्याणी मैं इस पल्लू के एक-एक धागे का मोल चुकाउंगा। यह भाई के द्वारा अपनी छोटी बहन को दिया गया वचन था। संकट के समय जब नारी का कोई काम नहीं आता तब उसका भाई काम आता है।
ये हैं भाई-बहन के अमर प्रेम की कहानियां।
संतश्री ने कहा कि जब आप अपनी बहन से राखी का धागा बंधाते हैं तब केवल एक बहन को ही नहीं पूरी नारी जाति को यह वचन देते हैं कि मैं पूरी नारी जाति की इज्जत-सम्मान करूंगा, मैं नारी जाति की इज्जत का हमेशा विवेक रखुंगा। इसीलिए अगर आप चाहते हैं कि इस जग की हमारी सारी बहु-बेटियां सुरक्षित हों, तो उसके लिए पहली शर्त है आप औरों की बहन-बेटियों की इज्जत बचाने के लिए सदा आगे रहेंगे।
संतप्रवर ने कहा कि यह राखी का त्यौहार परिवार में प्रेम और मिठास को घोलने के लिए आया है। हमेशा याद रखें, आदमी का धन रिश्तों की ताकत नहीं होता, आदमी की जमीन-जायजाद रिश्तों की ताकत नहीं होती, रिश्तों की सबसे बड़ी ताकत अगर कोई होती है तो वह परस्पर रहने वाला प्रेम होता है। मैं यहां बैठे हजारों लोगों से यह अनुरोध करूंगा कि आज रक्षाबंधन के दिन अपने मन को पवित्र-सकारात्मक बनाना और जिस किसी भी रिश्तेदार से आपकी बोलचाल बंद है, मेरी बातों पर भरोसा करके उनके घर जाना और सॉरी कह देना। सॉरी कहने का मतलब यह है कि आप रिश्तों का निभाना जानते हैं। रिश्तों को निभाने वाला घर में बड़ा होता है, रिश्ता और मटका-इसका महत्व वे ही लोग जानते हैं जो इसको बनाते हैं, इसको तोडऩे वाले कभी नहीं जान सकते। महान वे नहीं होते जो कंकड़ मारकर रिश्तों को तोड़ते हैं, महान वे होते हैं जो रिश्तों का सृजन कर उसकी अहमियत को समझते हैं। जो चंदन घिसता है वह मंदिर में भगवान की मूर्ति पर चढऩे काम आता है और जो चंदन घिसता नहीं वह किसी अमीर के शव को श्मशान में जलाने के काम आता है। अगर आप घर में घिस रहे हैं तो आप अभिनंदन के पात्र हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई, 13 अगस्त। छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स भिलाई इकाई की एक आवश्यक बैठक गत दिनों आहुत की गई। जिसमें सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि भिलाई चेम्बर 13 अगस्त से 19 सितंबर तक सदस्यता अमृत महोत्सव मनाएगी। इस अमृत महोत्सव में प्रत्येक सप्ताह शनिवार -रविवार व सोमवार को सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान हर सप्ताह अलग-अलग ज़ोन में चलाया जाएगा। अभियान के प्रभारी राकेश मल्होत्रा ने बताया कि च्च्सदस्यता अमृत महोत्सव प्रदेश महामंत्री अजय भसीन व भिलाई चेम्बर अध्यक्ष गारगी शंकर मिश्रा के नेतृत्व में 3333 का लक्ष्य लेकर प्रारंभ किया जा रहा है।
श्री मल्होत्रा ने बताया कि कुम्हारी से लेकर भिलाई तीन चरोदा, खुर्सीपार, नंदिनी रोड, जवाहर मार्केट, लिंक रोड, सुपेला, सेक्टर एरिया, हुडको सहित पूरे भिलाई में यह अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान में महिला चेम्बर भिलाई की अध्यक्ष सरोजनी पाणिग्रही व सचिव सुमन कन्नौजे के नेतृत्व में सम्पूर्ण महिला टीम अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर अभियान को सफल बनाने का संकल्प लिया। वहीं युवा चेम्बर अध्यक्ष अंकित जैन ने भी युवा टीम के साथ इस अभियान को सम्पूर्ण कराने कमर कस ली है।
महामंत्री से अजय भसीन ने सदस्यता अमृत महोत्सव में सभी सदस्यों को लक्ष्य प्राप्ति के लिए शुभकामनाएं दी है। उद्योग चेम्बर अध्यक्ष जे पी गुप्ता ने भी इस अभियान में उद्योग जगत से ज्यादा से ज्यादा सदस्य जोडऩे का संकल्प लिया। उन्होंने बताया कि भिलाई उद्योग जगत को चेम्बर से जोडऩे की मुहिम प्रारम्भ कर दी गई है। इस अभियान में सभी जोन प्रभारी,सभी प्रमुख सदस्यों का विशेष योगदान रहेगा। प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सूचना प्रदेश मंत्री शंकर सचदेव ने दी।
रायपुर, 13 अगस्त। अशोका मार्ट के चारो डिपार्टमेट स्टोर्स में आजादी का अमृत महोत्सव की सुंदर झांकी सजाई गई है रायपुर के निम्न डिपार्टमेंट स्टोर में यह देखा जा सकता है रामनगर, भाटागांव,बिरगाँव एवं शंकर नगर। ऑफज़ऱ् का अमृत महोत्सव के नाम से 6 दिन 10-15 अगस्त धमाकेदार ऑफज़ऱ् भी लगाए गए है।
रायपुर, 13 अगस्त। रालस मोटर्स टाटीबंध में महिंद्रा एंड महिंद्रा की न्यू जनरेशन बोलेरो पिचक-अप मैक्स को लांच किया गया। इस कर्यक्रम में मुख्या अतिथि के रूप में श्री रुस्तम सारंग (अंतररास्ट्रीय वेट लिफ्टर), विशेष अथिथि श्री गगानानद बाबुराव पत्भाजे (गगानंद ट्रांसपोर्ट के मालिक ) एवं श्याम भाटिया ( एस के कार्गो के मालिक ) साथ ही रालास मोटर्स के मैनेजिंग पार्टनर श्री मनीष राज सिंघानिया उपस्थित थे।
उपस्थित अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम को आरंभ किया गया तत्पश्चात मुख्य अतिथि को मनीष राज सिंघानिया द्वारा पुष्प गुच्छ देकर स्वागत व अभिनन्दन किया गया। साथ ही उपस्थित अतिथियों को कर्मचारियो द्वारा पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया। मुख्य अतिथि श्री रुस्तम सारंग ने उपस्थित लोगो का अभिवादन करते हुए रालास मोटर्स का धन्यवाद् किया की समय समय पर सस्था द्वारा हम खिलाडियों का अभिवादन कर हमारा हौसला अफजाही करते आयें है जिसके लिए हम इनका शुक्रिया अदा किया।
संस्था के मैनेजिंग पार्टनर श्री मनीष राज सिंघानिया ने उपस्थित लोगो को महिंद्रा एंड महिंद्रा की न्यू जनरेशन बोलेरो पिचक –अप मैक्स की खूबियों के बारे में बताया की इस नये वाहन में वाहन ट्रेकिंग, रूट प्लानिंग, कम्फर्ट,सुरक्षा,जिओ फेसिंग,वाहन हेल्थ मोनिटरिंग, मैक्स प्रॉफिट एवं मैक्स सिटी आदि खूबियों की जानकारी दी और कहा की समय समय पर महिंद्रा एंड महिंद्रा अपने ग्राहकों के सुविधायो के अनुसार वाहन में परिवर्तन कर सुविधायें उपलब्ध कराते आया है। और सभी का साथ पाकर हम नित नई ऊचाईयों को छु रहे है।
रायपुर, 13 अगस्त। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीडिय़ा प्रभारी संजय चौंबे ने बताया।
इस साल एक बार फिर, भारत के व्यापारियों और लोगों ने देश भर में रक्षा बंधन के त्योहार को किसी भी प्रकार की चीनी राखी का उपयोग करने के बजाय भारतीय राखी का विकल्प चुनकर चीन को राखी के व्यापार का एक तगड़ा झटका दिया।
व्यावहारिक रूप से इस वर्ष चीनी राखी की कोई मांग ही नहीं थी और पूरे देश के बाजारों में केवल भारतीय राखी की ही बहुत मांग थी। लोगों के इस बदलते रूख से यह अंदाजा लगाना बेहद सहज है की धीरे धीरे भारत के लोग अपने दैनिक जीवन में चीनी सामानों के उपयोग नहीं कर रहे हैं।
इस वर्ष पूरे देश में लगभग 7 हजार करोड़ का राखी का व्यापार हुआ। भारतीय त्योहारों के गौरवशाली अतीत को पुन: प्राप्त करने की दृष्टि से कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने लोगों से वैदिक राखी के उपयोग का भी आह्वान किया जिससे भारत की प्राचीन संस्कृति और राखी त्योहार की पवित्रता को पुनर्जीवित किया जाए।
कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी और प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने कहा कि भारत का हर त्योहार देश की पुरानी संस्कृति और सभ्यता से जुड़ा हुआ है जो तेजी से पश्चिमीकरण के कारण से बहुत नष्ट हो गया है और इसलिए भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता है।
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए और चीन पर भारत की निर्भरता को कम करके भारत को एक आत्मनिर्भर देश बनाना बेहद जरूरी है वह समय चला गया है जब भारतीय लोग चीनी राखी के डिजाइन और लागत प्रभावी होने के कारण उसको खरीदने के लिए उत्सुक रहते थे।
समय और मानसिकता के परिवर्तन के साथ लोग अब स्थानीय उत्पादित राखी को ही ज्यादा पसंद कर रहे हैं। दूसरी ओर कैट ने लोगों को विशेष रूप से देश के व्यापारिक समुदाय के बीच विभिन्न प्रकार की वैदिक राखी का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। वैदिक राखी स्वयं निर्मित राखी है। पूरे देश ने राखी का त्योहार भारतीय राखी के साथ बड़ी धूमधाम से मनाया ।
श्री पारवानी और श्री दोशी दोनों ने कहा कि कैट के तत्वावधान में पूरे देश में व्यापारी संगठनों ने इस वर्ष वैदिक रक्षा राखी की तैयारी पर अधिक जोर दिया जिसमें अनिवार्य रूप से पांच चीजें हैं जिनकी अपनी प्रासंगिकता है जिसमें दूर्वा यानी घास, अक्षत यानी चावल, केसर, चंदन और सरसों के दाने।
इन्हें रेशम के कपड़े में सिलकर कलावा से पिरोया जा सकता है और इस प्रकार वैदिक राखी तैयार की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि इन पांच चीजों का विशेष वैदिक महत्व है जो परिवार की रक्षा और उपचार से संबंधित है। जिस प्रकार दूर्वा का अंकुर बुवाई के बाद तेजी से फैलता है और हजारों की संख्या में बढ़ता है, वैसे ही बहन की प्रार्थना है कि मेरे भाई की संतान और उसके गुणों में तेजी से वृद्धि हो। पुण्य, मन की पवित्रता तेजी से बढ़े। दूर्वा भगवान गणेश को प्रिय है और यह दर्शाता है कि बहनों के भाई अपने जीवन में बाधाओं को नष्ट कर देंगे और सभी बड़ों की भक्ति कभी भी बर्बाद नहीं होगी।
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा कि केसर का स्वभाव तेज होता है, अर्थात जो राखी बांधी जाती है वह तेजस्वी होती है। अध्यात्म और भक्ति की तीव्रता कभी मिटती नहीं है, वैसे ही चंदन का स्वभाव उज्ज्वल होता है, एक सुखद सुगंध होती है जो भाई के जीवन में शीतलता का प्रतीक है और उसे कभी भी मानसिक तनाव नहीं होना चाहिए और साथ ही साथ परोपकार की सुगंध भी होनी चाहिए। उसके जीवन में सदाचार और आत्मसंयम का प्रसार होना चाहिए। सरसों का स्वभाव तीक्ष्ण होता है, जिसका अर्थ है कि हमें समाज के दोषों को दूर करने में प्रबल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह इन पांच वस्तुओं से बनी राखी सबसे पहले गुरु या परिवार के किसी बड़े के चित्र को समर्पित की जाती है. तत्पश्चात बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते-पोतियों को शुभ संकल्प के साथ राखी बांधती हैं।