सामान्य ज्ञान

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की स्थापना सन् 1911 में इंडियन रिसर्च फंड एसोसिएशन (आईसीएमआर) के रूप में की गयी थी, जिसे देश की स्वतंत्रता के बाद सन् 1949 में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) नाम दिया गया।
देश में जैव आयुर्विज्ञान अनुसंधान को बढ़ावा देने में परिषद का महत्वूर्ण योगदान रहा है क्योंकि वह देश की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को समझने तथा अनुसंधान के माधयम से उनका निराकरण खोजती है। आईसीएमआर नेटवर्क से जुड़े संस्थानों तथा इस नेटवर्क के बाहर के अनेक संस्थानों के अनुसंधान कार्यक्रमों के माध्यम से विभिन्न बीमारियों के निदान के लिए परिषद लगातार कार्य कर रही है। आईसीएमआर नेटवर्क में चार क्षेत्र हैं, जिनमें उत्तरी क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र, दक्षिणी क्षेत्र तथा पश्चिमी क्षेत्र शामिल हैं। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
आईसीएमआर के 18 राष्ट्रीय संस्थान क्षयरोग, कुष्ठरोग, हैजा तथा अतिसारीय रोग, एड्स सहित विषाणुज रोग, मलेरिया, कालाजार, रोगवाहक नियंत्रण, पोषण, खाद्य एवं औषध विष विज्ञान, प्रजनन, प्रतिरक्षा, रुधिर विज्ञान, अर्बुद विज्ञान, आयुर्विज्ञान सांख्यिकी आदि जैसे स्वास्थ्य के विशिष्ट विषयों पर अनुसंधान करते हैं। इसके 6 क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र तथा 5 इकाइयां क्षेत्रीय स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने से संबद्ध हैं, जिनका उद्देश्य देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में शोध क्षमताओं को तैयार करना तथा तथा उन्हें सुदृढ़ बनाना है।