राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)| भाजपा ने पीएम-केयर्स फंड मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनकी पार्टी पर निशाना साधा और राजीव गांधी फाउंडेशन मामले को लेकर पार्टी को घेरने की कोशिश की। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पीएम-केयर्स फंड को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष(एनडीआरएफ) में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "अभी तक, कोरोनावायरस से लड़ने के लिए पीएम-केयर्स फंड में 31,00 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। इनमें से 2000 करोड़ रुपये वेंटीलेटर के लिए दिए गए हैं।"
राजीव गांधी फाउंडेशन से तुलना करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, "फाउंडेशन द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, यह कहा गया था कि भारत-चीन रिश्ते को बेहतर करने के लिए, यह जरूरी है कि भारत के बाजार को उस देश के लिए खोला जाए।"
प्रसाद ने कहा कि पीएम-केयर्स के अन्य 1,000 करोड़ रुपये को राज्यों को प्रवासी मजदूरों के लिए दिए गए। इसके अलावा 100 करोड़ रुपये कोरोना वैक्सीन रिसर्च के लिए दिए गए।
उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा, "पीएम-केयर्स प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक पंजीकृत सार्वजनिक ट्रस्ट है, जिसे कोविड-19 जैसी आपात स्थिति के लिए निर्मित किया गया है।"
उन्होंने कहा, "राजीव गांधी फाउंडेशन एक परिवारिक फाउंडेशन है। आप जानते हैं कि इसने चीन से भी मदद ली है। फाउंडेशन की रिपोर्ट में, वे लोग भारत के बाजार को चीनी उत्पाद के लिए खोले जाने की बात करते हैं।"
राहुल गांधी के 'बेईमानी' के आरोप को पूरी तरह नकारते हुए प्रसाद ने कहा, "मोदी सरकार ईमानदारी से काम कर रही है। यह लोगों का आशीर्वाद है। इसी तरह की ईमानदारी पीएम-केयर्स में दिखती है।"
उन्होंने दावा किया कि भारत ने कोरोनावायरस से लड़ाई में सफलता हासिल की है, और यहां का रिकवरी रेट 70 प्रतिशत से ज्यादा है। रविशंकर प्रसाद बोले कि राहुल गांधी शुरुआत से ही कोरोनावायरस के खिलाफ देश की लड़ाई में एकता को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा नेता ने कहा, "प्रधानमंत्री ने कहा है कि सभी को डॉक्टर्स, नर्सो, स्वीपर और पुलिस जैसे कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में ताली बजानी चाहिए।"
इससे पहले, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी राहुल गांधी पर निशाना साधा था।
एक एनजीओ 'द सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' ने पीएम-केयर्स फंड के पैसे को एनडीआरएफ में ट्रांसफर किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
लखनऊ, 18 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हिंसा के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के आकलन के दावों को निपटाने के लिए दो न्यायाधिकरणों का गठन किया है - एक लखनऊ में और दूसरा मेरठ में। सरकार ने इसी साल मार्च के महीने में इससे जुड़े एक अध्यादेश जारी किया था।
ये न्यायाधिकरण ऐसे समय में लाए जा रहे हैं, जब कर्नाटक सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार के दंगों में हिंसा करने वाले लोगों से वसूली करने वाले मॉडल की सराहना की और उसे अपने राज्य में लागू करने का मन बनाया।
सरकार के एक अधिकारी ने बताया, "लखनऊ में गठित न्यायाधिकरण राज्य के पूर्वी क्षेत्र के लिए होगा और मेरठ में गठित न्यायाधिकरण पश्चिमी इलाके के लिए। मुख्य सचिव न्यायाधिकरण (ट्रिब्युनल) को हेड करने वाले जजों की तलाश करेंगे।"
लखनऊ वाला न्यायाधिकरण झांसी, कानपुर, चित्रकूट, लखनऊ, अयोध्या, देवी पाटन, प्रयागराज, आजमगढ़, वाराणसी, गोरखपुर, बस्ती और विंध्याचल क्षेत्र के केस हैंडल करेगा, जबकि मेरठ का न्यायाधिकरण अलीगढ़, मेरठ, मोरादाबाद, बरेली और आगरा डिवीजन के केसेज हैंडल करेगा।
बता दें कि राज्य सरकार ने सीएए के विरोध के दौरान हुई हिंसा में शामिल सैकड़ों लोगों के ख्रिलाफ संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए मुकदमे दायर किए थे, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। राज्य सरकार ने पिछले साल दिसंबर के महीने में हुई हिंसा के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए 20 जिलों में सैकड़ों लोगों पर मुकदमा दायर किया।
अध्यादेश के मुताबिक, सरकार या संपत्ति के मालिक नुकसान की भरपाई के लिए तीन महीने के अंदर दावा ठोक सकते हैं। न्यायाधिकरण का फैसला अंतिम होगा और इसे किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)| सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर घृणा सामग्री मामले की कांग्रेस संसदीय जांच की मांग कर रही है। इसके साथ ही अब पार्टी महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को पत्र लिखकर सोशल मीडिया दिग्गज द्वारा इस पूरे विवाद की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। कांग्रेस ने इस विवाद की पृष्ठभूमि में मंगलवार को जुकरबर्ग को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर आग्रह किया कि इस पूरे मामले की फेसबुक मुख्यालय की तरफ से उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और जांच पूरी होने तक उसके भारतीय शाखा के संचालन की जिम्मेदारी नई टीम को सौपीं जाए, ताकि जांच प्रक्रिया प्रभावित न हो सके।
कांग्रेस ने कहा कि अमेरिका स्थित वॉल स्ट्रीट जर्नल के लेख में किए गए खुलासे से पार्टी निराश है और 'भारत के चुनावी लोकतंत्र में फेसबुक इंडिया के हस्तक्षेप का गंभीर आरोप है।'
विपक्षी दल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर भारत में फेसबुक और व्हाट्सएप को नियंत्रित करने का आरोप लगाया है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में फेसबुक द्वारा भारत में सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर घृणा भाषण संबंधी नियमों को लागू करने में लापरवाही का दावा किये जाने के बाद रविवार को कांग्रेस भाजपा पर हमलावर रही। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रिपोर्ट को लेकर भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर फेसबुक और व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हुए मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए 'फर्जी खबरें' फैलाने का आरोप लगाया।
राहुल ने रविवार को ट्वीट किया, भाजपा और आरएसएस भारत में फेसबुक और व्हाट्सएप पर नियंत्रण करते हैं। वे इसके माध्यम से फर्जी खबरें तथा नफरत फैलाते हैं और मतदाताओं को लुभाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। आखिरकार अमेरिकी मीडिया ने फेसबुक के बारे में सच सामने ला दिया है। उन्होंने इस मुद्दे पर वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट को भी टैग किया था।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया, भाजपा सरकार के लिए फेसबुक-व्हाट्सएप कनेक्शन उजागर! क्या फेसबुक का इस्तेमाल 'फेक न्यूज' और 'हेट मटीरियल' फैलाने के लिए किया जा रहा है? फेसबुक-इंडिया के नेताओं का भाजपा से क्या संबंध है? क्या यह एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच के लिए उपयुक्त नहीं है?
कांग्रेस के एक अन्य प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने विवाद पर कहा, व्हाट्सएप पर 40 करोड़ और फेसबुक पर 20 करोड़ भारतीय हैं। इसलिए वाणिज्यिक व्यवहार, घृणा सामग्री के प्रचार और फेसबुक के कनेक्शन की जांच आवश्यक है।
उल्लेखनीय है कि वॉल स्ट्रीट जनरल में 'फेसबुक हेट-स्पीच रूल्स कोलाइड विद इंडियन पॉलिटिक्स' हेडिंग से प्रकाशित रिपोर्ट के बाद कांग्रेस मुखर हो गई है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि फेसबुक भारत में सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं के भड़काऊ भाषा के मामले में नियम कायदों में ढील बरतता है।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह कहने के बाद कि पीएम-केयर्स फंड से मिलने वाले पैसे को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष में ट्रांसफर करने की जरूरत नहीं है, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के 'कुटिल मंसूबों' पर निशाना साधा है। राहुल ने पीएम-केयर्स फंड पर सवाल उठाए थे।
नड्डा ने ट्वीट किया, "पीएम-केयर्स पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले ने राहुल गांधी और उनके भाड़े के आदमियों (रेंट-ए-कॉज बैंड) के कुटिल मंसूबों पर पानी फेर दिया है। यह दर्शाता है कि कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगियों के गलत इरादे और दुर्भावनापूर्ण प्रयासों के बावजूद सच्चाई सामने आती है।"
नड्डा दावा करते रहे हैं कि कि फंड के लिए व्यापक जनसमर्थन मिला है। उन्होंने आरोप लगाया, "राहुल गांधी के इस बारे में हल्ला मचाने को आम आदमी ने बार-बार खारिज किया है, जिन्होंने पीएम-केयर्स में भारी योगदान दिया है। शीर्ष कोर्ट ने भी अपना फैसला सुना दिया है, क्या राहुल और उनके रेंट-ए-कॉज कार्यकर्ता खुद में सुधार लाएंगे या आगे भी शर्मिदा होते रहेंगे।"
नड्डा ने गांधी परिवार पर दशकों तक प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) को अपनी 'व्यक्तिगत जागीर' की तरह मानने का आरोप लगाया।
कोविड-19 से निपटने के मकसद से फं ड जुटाने के लिए इस वर्ष मार्च में इस कोष की स्थापना की गई थी।
आकांक्षा खजूरिया
नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)| अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने संस्थान में खुदकुशी की घटनाएं बढ़ने पर चिंता जताई है। उन्होंने छात्रों व शिक्षकों से आग्रह किया है कि वे तनावग्रस्त छात्रों की मदद करें।
यह टिप्पणी एम्स के एक 40 वर्षीय डॉक्टर का शव उनके आवास से बुरी हालत में मिलने के बाद आई है।
राष्ट्रीय राजधानी के प्रमुख चिकित्सा संस्थान में पिछले दो महीनों में छह आत्महत्याएं हुई हैं। छात्राओं के अलावा तीन डॉक्टर भी मौत को गले लगा चुके हैं।
गुलेरिया ने कहा, "कई दुर्भाग्यपूर्ण हालिया घटनाओं ने हमें बहुत व्यथित किया है। इससे हमें अपने असाधारण व प्रतिभावान छात्रों और हमारे परिवार के हिस्से को खोना पड़ा है।"
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए, एम्स के निदेशक ने कहा कि 30 प्रतिशत छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का अनुभव हुआ है या उन्होंने इलाज कराया है। उन्होंने कहा कि यह कहीं ज्यादा बड़ी संख्या में है जो कि सामान्य आबादी में बहुत अधिक है।
उन्होंने कहा, "अमेरिकन मेडिकल स्टूडेंट एसोसिएशन के मुताबिक कि तनाव, चिंता और अवसाद का चक्र मेडिकल स्कूल के दौरान होता है, क्योंकि छात्रों को अक्सर पर्याप्त नींद, पौष्टिक भोजन, नियमित व्यायाम और छोटे सपोर्ट सिस्टम के लिए समय की कमी होती है। मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जिस पर हमें काम करने की जरूरत है।"
गुलेरिया कोरोना महामारी की निगरानी करने वाली एक कोर टीम का हिस्सा भी हैं। उन्होंने कहा कि कोरोनोवायरस ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर काफी असर डाला है। हम, एक समुदाय के रूप में, सामाजिक संपर्क और स्वतंत्रता के साथ बड़े हुए हैं और हम अचानक से आइसोलेशन, भय और प्रतिबंधों के बीच रहने को मजबूर हो गए। हालांकि हम शारीरिक दूरी की बात करते हैं, लेकिन हम वास्तव में नहीं चाहते हैं कि कोई सामाजिक दूरी हो।
उन्होंने कहा कि आत्महत्या के मुद्दे से निपटने के लिए प्रताप सरन और मनोरोग विभाग की अगुवाई में सप्ताह के सातों दिन और 24 घंटे छात्र कल्याण विंग है। पांच क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक ये विंग चलाते हैं।
इसके अलावा, एक मोबाइल हेल्पलाइन और ईमेल भी है जो सप्ताह के सातों दिन और 24 घंटे उपलब्ध है।
नई दिल्ली, 17 अगस्त (आईएएनएस)| स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मंगलवार को पुण्यतिथि है। उनके लापता होने को लेकर कई तरह की बातें और साजिशों तक की बात सामने आ चुकी है। हालांकि एक आम धारणा यह है कि जापान के एक बौद्ध मंदिर में उनकी अस्थियां रखी हुई हैं और उसे पूरे सम्मान के साथ भारत लाया जाना चाहिए। नेताजी की बेटी अनीता बोस के पत्र से लेकर उनके भतीजे चंद्र कुमार बोस के मुखर समर्थन तक यह मांग समय के साथ बुलंद होती गई।
नेताजी के अस्थि-कलश को लेकर कुछ तथ्य ऐसे हैं, जिनके बारे में आज भी कम ही लोग जानते हैं :
- नेताजी की कथित अस्थियां जिस रेंको-जी बौद्ध मंदिर में रखी है, उसे 1954 में समृद्धि और खुशियों के भगवान से प्रेरित होकर बनाया गया था। चंद्र कुमार बोस के अनुसार, मंदिर के उच्च पुजारी और अब उनके बेटे द्वारा इस राख को सुरक्षित रखा गया है। राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्रियों में जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी तक, सभी ने अपनी जापान यात्रा के दौरान उस बौद्ध मंदिर का दौरा किया, जिससे इस बात को बल मिला कि वहां वास्तव में नेताजी की अस्थियां रखी हैं।
- विदेश मंत्रालय में पूर्व अतिरिक्त सचिव अजय चौधरी ने कहा था कि नेताजी की अस्थियों वाले बक्से को मंदिर के परिसर में एक अलमारी में रखा गया है। जब कोई आगंतुक इसे देखना चाहता है, तो इस बक्से को बाहर निकालकर दो मोमबत्तियों के बीच रखा जाता है।
- टोक्यो स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार, अस्थियों को एक छोटे से टिन या लकड़ी के बक्से में रखा गया था। 2 माचर्, 2007 को आरटीआई आवेदन का जवाब देते हुए बताया गया कि अस्थियों को लगभग 6 इंच चौड़े व 9 इंच लंबे डिब्बे में (जो टिन या लकड़ी से बना है) में रखा गया है।
- प्रधानमंत्री नेहरू के सचिव एम.ओ. मथाई ने 2 दिसंबर, 1954 के एक पत्र में कहा, "टोक्यो में हमारे दूतावास के विदेश मंत्री को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां और अन्य अवशेषों के साथ 200 रुपये प्राप्त हुए थे।"
- केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 21 अक्टूबर, 1995 को जर्मनी में नेताजी की विधवा एमिली शेंक से मुलाकात की थी, इसके बाद उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव को नेताजी की अस्थियों के बारे में लिखा था। मुखर्जी ने उस साल एक गोपनीय पत्र में लिखा था, "मुझे लगता है कि नेताजी की विधवा और बेटी बहुत उत्सुक हैं कि नेताजी की अस्थियों की भारत में वापसी के मुद्दे का जल्द समाधान हो।"
इस बात को दशकों बीत चुके हैं, कई आरटीआई याचिका दायर की गइईं, लेकिन नेताजी की कथित अस्थियां अब भी जापान में ही हैं।
सुकांत दीपक
नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)| एक छह साल का बच्चा स्कूल जाने के अपने रास्ते में पड़ने वाले एक छोटे से दुकान से जब बेगम अख्तर की गजल 'दीवाना बनाना है तो दीवाना बना दे' को सुनता था तो उसके कदम यूं ही रूक जाते थे। बाद में जाकर यही नन्हा सा बालक दुनिया में पंडित जसराज के नाम से जाना गया जिन्होंने अपने गायन में आध्यात्म को लाकर श्रोताओं को अपना मुरीद बनाया।
सोमवार को अमेरिका में स्थित अपने घर में दिल का दौरा पड़ने के साथ इस महान संगीतज्ञ ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
वह 90 साल के थे, लेकिन इसके बावजूद वह संगीत के बारे में प्रशंसा करने से नहीं थकते थे और उनसे मिली इसी तारीफ से आजकल के संगीतकारों को बेहद प्रेरणा मिलती थी।
उनके करियर का विस्तार आठ दशक से अधिक लंबे समय तक रहा। महज 14 साल की उम्र में उन्होंने गायन में अपना पहला प्रशिक्षण प्राप्त किया, बाद में बड़े भाई पंडित प्रताप नारायण से उन्होंने तबला बजाने का प्रशिक्षण भी लिया। पंडित मणिराम से उन्होंने शास्त्रीय गायन की शिक्षा ली और बाद में मात्र 22 साल की आयु में जयवंत सिंह वाघेला, गुलाम कादिर खान और स्वामी वल्लभास दामुलजी के साथ उन्होंने नेपाल में अपने पहले सोलो कॉन्सर्ट में प्रस्तुति दी।
हवेली संगीत के इस विशेषज्ञ ने जसरंगी जुगलबंदी का भी निर्माण किया। वह मेवाती घराना से ताल्लुक रखते थे जिन्हें उनके समकालीन व जूनियरों द्वारा एक ऐसे कलाकार के रूप में याद किया जाता है जो खुद को नई-नई चीजों में ढालने से नहीं कतराते थे, लेकिन जब एक व्यक्तित्व के तौर पर वह मंच पर पहुंचते थे तब उन्हें अपनी कला से भिन्न महसूस करना काफी मुश्किल हो जाता था।
प्रख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान पंडित जसराज के निधन को संगीत के एक स्वर्ण युग के अंत के तौर पर देखते हैं। उन्होंने कहा, "मैंने साठ के दशक से पंडित जसराज के साथ कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। उन्होंने बेहद ही सहजता से गायन को एक अनूठा आयाम दिया। वह एक ऐसे कलाकार थे जो अपने समय से काफी आगे थे। भारतीय शास्त्रीय संगीत के स्वर्ण युग के गायकों में वह अंतिम कलाकार थे जिनमें उस्ताद बड़े गुलाम अली खान साहब, उस्ताद अमीर खान साहब, पंडित भीमसेन जोशी और पंडित कुमार गंधर्व जैसे संगीतज्ञ शामिल थे। मेवाती घराने की पहचान आज उन्हीं की वजह से है। यह मेरे लिए एक बहुत बड़ी व्यक्तिगत क्षति है।"
उन्हें याद करते हुए मशहूर सितार वादक उस्ताद शुजात खान कहते हैं, "मैं हमेशा उनसे कहा करता था कि उनकी प्रस्तुति के बाद ही मुझे अपनी प्रस्तुति पेश करते हुए काफी अजीब लगता था क्योंकि वह मुझसे काफी सीनियर थे, लेकिन वह इस बात को हमेशा हंसी में उड़ा देते थे। उनका जाना न केवल एक व्यक्तिगत क्षति है बल्कि यह पूरे देश के लिए एक नुकसान है। मुझे आज ग्रीन रूम मे बैठकर अपने बीच हुई बातें, हमारे सफर, कॉन्सर्ट सभी की बहुत याद आ रही है। उनकी अपनी एक अलग जगह थी। दिल्ली में कुछ साल पहले सुबह के वक्त आयोजित उनके एक कार्यक्रम को मैं कभी नहीं भुला सकता। उस दिन भैरव राग की उनकी प्रस्तुति ने मुझे एहसास दिलाया था कि संगीत का इंसान की भावनाओं के साथ क्या जोड़ है।"
प्रख्यात गायिका आशा भोंसले इस दिग्गज के बारे में कहती हैं, उनमें बच्चों की तरह उत्साह था। उनकी छत्रछाया में रहना एक आशीर्वाद था। वे पल काफी बेहतरीन थे। उनका जाना संगीत जगत की एक अपार क्षति है। आज मैंने अपने बड़े भाई को खो दिया।"
अमेरिका से आईएएनएस से बात करते हुए सितार वादक शाहिद परवेज ने कहा कि संगीत की दुनिया के लिए पंडित भीमसेन जोशी के बाद पंडित जसराज का जाना एक बड़ी क्षति है। कई यादें उनसे जुड़ी हैं। वो हमेशा हमारी मदद के लिए तैयार रहते थे। उन्होंने ही मुझे पहली बार उस्ताद कहा था।
संदीप पौराणिक
भोपाल, 18 अगस्त (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा उप-चुनाव के मद्देनजर बासमती चावल को जीआई टैग देने का मामला सियासी मुददा बनने लगा है। कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर हमलावर है, साथ ही अपने को किसानों का सबसे बड़ा हितैषी बताने में लग गई है।
ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग दिलाए जाने का मामला फि लहाल सर्वोच्च न्यायालय में है। मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा मध्य प्रदेश की जीआई टैग की याचिका खारिज किए जाने के बाद राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की है। पिछले दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश को जीआई टैग देने पर विरोध दर्ज कराया था। उसके बाद से बासमती चावल को जीआई टैग दिलाने का मसला धीरे-धीरे सियासी मुद्दा बनने लगा है।
राज्य में 27 विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव होने वाले हैं। इनमें से अधिकांश स्थान ग्रामीण बाहुल्य वाले हैं, लिहाजा दोनों दलों के लिए किसानों की बात करना मजबूरी हो गया है। वर्तमान में राजनेता और राजनीतिक दलों को बासमती चावल को जीआई टैग का मुद्दा मिल गया है और दोनों ही दल अपनी-अपनी तरह से बात उठाते हुए एक-दूसरे पर हमला बोल रहे हैं और बासमती को जीआई टैग न मिलने के लिए जिम्मेदार भी ठहरा रहे हैं।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय िंसंह ने कहा है कि पिछले कुछ वषरें में राज्य के कई जिलों में बासमती धान की पैदावार काफी होने लगी है। उन्होंने कहा, यूपीए की सरकार के समय मेरी ओर से प्रयास किए गए थे कि जीआई टैग मिले। हैरानी इस बात की है कि शिवराज सिंह चौहान अपने कार्यकाल में इस मांग को नहीं उठा पाए। पिछले 13-14 साल मुख्यमंत्री रहे, अब वर्तमान में कृषि मंत्री नरेंद्र सिह तोमर भी राज्य के ही हैं। राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार है। अब आखिर क्या दिक्कत है।
दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज िंसंह चौहान को पत्र लिखकर कहा, प्रदेश के किसानों के हित में बासमती चावल सहित अन्य कृषि उत्पादों की उनकी श्रेष्ठता के आधार पर जी आाई टैग दिलवाये जाने के लिए दिल्ली चलिए और सभी सांसदों के साथ प्रधानमंत्री आवास पर धरना दीजिये। दलीय राजनीति से हटकर मैं भी आपके धरने में शामिल होने के लिये तैयार हूँ। आप यदि प्रधानमंत्री के सामने किसानों की मांग को लेकर धरना देने के लिए तैयार हैं तो तारीख से अवगत कराने का कष्ट करें।
पूर्व मुख्यमंत्री सिंह को जवाब देने के लिए कृषि मंत्री कमल पटेल आगे आए हैं। उनका कहना है, दिग्विजय सिंह बहुत देरी से जागे हैं। राज्य में 15 माह कमल नाथ की सरकार रही है और उसे दिग्विजय सिंह ही चलाते रहे हैं, उस दौरान सिर्फ लूट में लगे रहे। तब उन्हें जीआई टैग की याद नहीं आई। मद्रास उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखने और सर्वोच्च न्यायालय में अपील तक करने की नहीं सोची। अब तो पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह जो कांग्रेस के है वे ही मध्य प्रदेश को जीआई टैग दिए जाने का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख रहे हैं। वास्तव में दिग्विजय सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखना चाहिए कि वे मध्य प्रदेश का विरोध न करें।
पटेल ने आगे कहा कि किसानों के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सजग हैं और उन्होंने सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में अपील की है जिसे स्वीकार कर लिया गया है। भरोसा है कि राज्य को जीआई टैग मिलेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में विधानसभा के उप-चुनाव में दोनों ही राजनीतिक दलों को मुद्दों की तलाश है, लिहाजा वे हर संभव यह कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी तरह जनता और वगरें को यह संदेश पहुंचा सके कि वो उनके हितों की लड़ाई के लिए तैयार है। उप-चुनाव उन क्षेत्रों में होने वाले हैं जहां किसानी से जुड़ा वर्ग बड़ा मतदाता है, इसलिए बासमती को जीआई टैग का मुद्दा उन मतदाताओं का दिल जीतने की जुगत से ज्यादा कुछ नहीं है। दोनों दलों की सरकारें रही, उस दौरान उन्होंने क्या किया, इसका भी तो ब्यौरा दें, वास्तव में इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)| भारत में टिकटॉक को प्रतिबंधित किए जाने के बाद इसकी अनुपस्थिति में इंस्टाग्राम रील्स युवा भारतीयों के लिए सबसे लोकप्रिय ऐप बन गया है । 10 में से 7 (18-29 आयु वर्ग) युवाओं ने कहा कि वे वीडियो साझा करने के लिए प्लेटफॉर्म के रूप में इंस्टाग्राम रील्स का इस्तेमाल करना पंसद करेंगे। मंगलवार को एक नए रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई।
एक इंटरनेट आधारित मार्केट रिसर्च और डेटा एनालिटिक्स फर्म यूजीओवी द्वारा उपलबध कराए गए आंकड़े के अनुसार, लगभग दो-तिहाई शहरी भारतीयों (65 प्रतिशत) ने चीनी शॉर्ट-वीडियो मेकिंग ऐप टिकटॉक की अनुपस्थिति में कहा कि वे विकल्प की ओर रुख कर सकते हैं या ऐसे वीडियो ऐप का इस्तेमाल शुरू कर सकते हैं जो मूल रूप से भारतीय या गैर-चीनी हैं।
जेनजेड (54 प्रतिशत) की तुलना में, मिलेनियल्स (69 प्रतिशत) के टिकटॉक के वकिल्प की ओर रुख करने की ज्यादा संभावना है।
इसी तरह, महिलाओं की तुलना में पुरुषों (70 प्रतिशत बनाम 59 प्रतिशत) के यही नजरिया रखने के आसार अधिक हैं।
यूजीओवी इंडिया की जनरल मैनेजर दीपा भाटिया ने कहा, "चीनी ऐप्स के साथ टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले ने घरेलू प्लेयर्स के लिए एक अवसर पेश किया है, जो इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए तैयारी कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "इसलिए, लोगों की जरूरतों को पूरा करना और उनकी पसंद को समझना जरूरी है।"
लगभग 68 प्रतिशत कंटेंट क्रिएटर्स ने कहा कि वे वीडियो शेयरिंग ऐप के भारतीय या गैर-चीनी संस्करणों पर स्विच करने की संभावना रखते हैं।
विकल्पों की सूची के साथ प्रस्तुत किए जाने पर, इंस्टाग्राम रील्स भविष्य में लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ऐप्स की सूची में सबसे ऊपर है।
प्लेटफॉर्म, जो कि फेसबुक का टिकटॉक को जवाब है, का स्वागत 10 में 6 (62 प्रतिशत) से ज्यादा शहरी भारतीयों ने किया है जो दावा करते हैं कि उन्होंने इसका इस्तेमाल करने की कोशिश की है और इसका इस्तेमाल जारी रखने की संभावना है।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (वार्ता)। उच्चतम न्यायालय ने पीएम केयर्स की राशि को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) में हस्तांतरित करने के निर्देश देने संबंधी याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि पीएम केयर्स फंड को एनडीआरएफ में हस्तांतरित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। न्यायालय ने, साथ ही कोरोना महामारी के लिए नयी राष्ट्रीय आपदा योजना बनाये जाने की मांग भी ठुकरा दी। न्यायालय ने कहा कि कोविड-19 के लिए नयी आपदा राहत योजना की जरूरत नहीं है।
खंडपीठ ने यह भी कहा कि कोविड-19 से पहले आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी राहत के न्यूनतम मानक आपदा प्रबंधन के लिए काफी हैं।
न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार को यदि लगता है कि पीएम केयर्स फंड को एनडीआरएफ में हस्तांतरित किया जा सकता है तो उसके लिए वह स्वतंत्र है। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि दान करने वाले व्यक्ति एनडीआरएफ में भी दान करने के लिए आजाद हैं।
न्यायालय ने इस याचिका से उत्पन्न पांच सवालों पर विचार किया था। पहला- क्या केंद्र सरकार कोविड 19 के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करने के लिए बाध्य है? दूसरा- क्या केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून के तहत राहत के लिए न्यूनतम मानक तय करने के लिए बाध्य है? तीसरा- क्या पीएम केयर्स में सहयोग करने पर कोई पाबंदी हो सकती है?
न्यायालय के समक्ष चौथा और पांचवा सवाल था कि क्या सभी चंदे केवल एनडीआरएफ में ही जमा कराये जाने चाहिए और क्या पीएम केयर्स फंड को एनडीआरएफ में हस्तांतरित किया जाना चाहिए?
न्यायालय ने इन प्रश्नों के उत्तर में कहा कि कोविड-19 के लिए राष्ट्रीय आपदा योजना पर्याप्त है, कोविड-10 से पहले से राहत के न्यूनतम मानक इस महामारी के लिए भी पर्याप्त हैं, केंद्र सरकार एनडीआरएफ का इस्तेमाल कर सकती है, किसी को भी पीएम केयर्स फंड में दान देने से रोका नहीं जा सकता तथा पीएम केयर्स के तहत संग्रहित रकम चैरिटेबल ट्रस्ट की रकम है और इसे एनडीआरएफ में हस्तांतरित करने की जरूरत नहीं है।
न्यायालय ने गैर-सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटेरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की याचिका पर सभी संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 27 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई करने वाली खंडपीठ में न्यायमूर्ति भूषण के अलावा न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह भी शामिल थे।
बागपत, 18 अगस्त (आईएएनएस)| भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय खोखर हत्याकांड मामले में दिवंगत नेता के परिवार ने सीबीआई जांच की मांग की है। खोखर की 11 अगस्त को बागपत के छपरौली इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस संबंध में खोखर के बेटों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई है। हत्या के बाद तीन पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
छपरौली पुलिस स्टेशन के एसएचओ को घटना के तुरंत बाद निलंबित कर दिया गया था, जबकि एडिशनल एसपी अनित कुमार का एक दिन बाद तबादला कर दिया गया था। बागपत के एसपी अजय कुमार का भी तबादला कर दिया गया है।
पुलिस ने एफआईआर में नामजद पांच आरोपियों में से तीन को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन परिवार का कहना है कि वे जांच से संतुष्ट नहीं है।
खोखर के बेटे अक्षय ने कहा, "हमने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और हत्या की जांच सीबीआई से कराने के लिए कहा, क्योंकि हम पुलिस की जांच से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं। पुलिस ने मामले में हमें किसी भी प्रगति से अवगत कराने की भी जहमत नहीं उठाई है। हमें जो भी जानकारी मिल रही है, वह मीडिया से मिल रही है।"
अक्षय के मुताबिक, खेतों में छिपे हुए कम से कम पांच लोगों ने बाहर निकलकर उनक पिता को करीब से गोली मार दी थी। बदमाशों ने खोखर को सिर और सीने में गोली मार दी थी जिसके बाद उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। पुलिस को हत्या के पीछे निजी दुश्मनी का शक है।
खोखर के परिवार ने पांच लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिनमें चार की पहचान नितिन धनकड़, मयंक दलाद, विनीत कुमार और अंकुर शर्मा के रूप में हुई है और एक अज्ञात है।
इनमें से दो को हत्या के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया था जबकि एक को बाद में गिरफ्तार किया गया था।
पटना, 18 अगस्त (आईएएनएस)| पटना के रहने वाले दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के कथित आत्महत्या मामले में अब उनके परिजन सबूत मिटाने को लेकर आशंकित हैं। सुशांत के चचेरे भाई नीरज कुमार बबलू ने यहां कहा कि इस मामले में सबूत मिटाए जा रहे हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा कि इस मामले में गवाहों की हत्या की जा सकती है। गवाहों को धमकाया जा रहा है। भाजपा विधायक नीरज कुमार बबलू ने कहा कि सामने आए गवाहों को पुलिस को सुरक्षा देनी चाहिए।
आईएएनएस के साथ मंगलवार को बातचीत में भाजपा विधायक नीरज ने कहा कि हम सभी लोगों को उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय जल्द ही इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को जांच का निर्देश देगी और जांच को सही दिशा मिलेगी और सब कुछ सामने आ जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह हम लोगों की ही नहीं पूरे देश की इच्छा है।
इस मामले में सबूत मिटाए जाने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "सबूत मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। यह आशंका मीडिया द्वारा भी व्यक्त किया जा रहा है। इसका ध्यान महाराष्ट्र पुलिस रखे।"
उन्होंने गवाहों के साथ किसी अनहोनी की आशंका जताते हुए कहा कि गवाहों को डराने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में मुंबई पुलिस सहयोग नहीं कर रही है, यह बात खुलकर सामने आ गई है फि र भी हम लोग चाहते हैं कि इस मामले में गवाहों को सुरक्षा दी जाए।
सुशांत के कथित आत्महत्या के दो महीने गुजर जाने के बाद भी अब तक इस मामले की जांच में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। 15 जुलाई को इस मामले को लेकर सुशांत के पिता के. के. सिंह ने पटना के राजीव नगर थाना में मामला दर्ज करवाया था। बाद में इस मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर बिहार सरकार ने अनुश्ांसा कर दी।
पटना में दर्ज मामले की मुख्य आरोपी रिया चक्रवर्ती ने मामले को मुबई स्थानांतरण करने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई है।
आगरा, 18 अगस्त (आईएएनएस)| आगरा जिला प्रशासन ने मंगलवार को जिम और रेस्तरां को फिर से खोलने की अनुमति दे दी है। हालांकि इसके लिए उन्होंने कई शर्तें भी रखी हैं। जिला मजिस्ट्रेट पी.एन. सिंह ने कहा, "इन्हें रात 10 बजे तक खुला रहने की अनुमति है। हालांकि इसके लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, जिनका कड़ाई से पालन करना जरूरी होगा। इन सभी जगहों पर मास्क, सैनेटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना होगा।"
हालांकि ताजमहल और आगरा किला खुलने के लिए अभी और इंतजार करना होगा। वहीं प्रशासन ने संकेत दिया है कि अन्य छोटे ऐतिहासिक स्मारकों को आगंतुकों के लिए फिर से खोला जा सकता है।
इसी बीच राज्य के एक पूर्व मंत्री की पत्नी की मौत के साथ यहां कोविड -19 से मरने वालों की संख्या 104 हो गई है। पिछले 24 घंटों में 35 नए मामले आए हैं। शहर में 322 सक्रिय मामले हैं और अब तक 1,922 लोग ठीक हो चुके हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि रिकवरी दर 81.90 प्रतिशत है। कंटेनमेंट जोन की संख्या फिर से बढ़कर 167 हो गई है।
मथुरा में तीन मौतों के साथ 54 मामले दर्ज हुए हैं। इसके अलावा फिरोजाबाद में 15, एटा में 14 और मैनपुरी में 15 मामले आए हैं।
आगरा, 18 अगस्त (आईएएनएस)| आगरा जिला प्रशासन ने मंगलवार को जिम और रेस्तरां को फिर से खोलने की अनुमति दे दी है। हालांकि इसके लिए उन्होंने कई शर्तें भी रखी हैं। जिला मजिस्ट्रेट पी.एन. सिंह ने कहा, "इन्हें रात 10 बजे तक खुला रहने की अनुमति है। हालांकि इसके लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, जिनका कड़ाई से पालन करना जरूरी होगा। इन सभी जगहों पर मास्क, सैनेटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना होगा।"
हालांकि ताजमहल और आगरा किला खुलने के लिए अभी और इंतजार करना होगा। वहीं प्रशासन ने संकेत दिया है कि अन्य छोटे ऐतिहासिक स्मारकों को आगंतुकों के लिए फिर से खोला जा सकता है।
इसी बीच राज्य के एक पूर्व मंत्री की पत्नी की मौत के साथ यहां कोविड -19 से मरने वालों की संख्या 104 हो गई है। पिछले 24 घंटों में 35 नए मामले आए हैं। शहर में 322 सक्रिय मामले हैं और अब तक 1,922 लोग ठीक हो चुके हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि रिकवरी दर 81.90 प्रतिशत है। कंटेनमेंट जोन की संख्या फिर से बढ़कर 167 हो गई है।
मथुरा में तीन मौतों के साथ 54 मामले दर्ज हुए हैं। इसके अलावा फिरोजाबाद में 15, एटा में 14 और मैनपुरी में 15 मामले आए हैं।
पटना, 18 अगस्त (आईएएनएस)| पटना के रहने वाले दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के कथित आत्महत्या मामले में अब उनके परिजन सबूत मिटाने को लेकर आशंकित हैं। सुशांत के चचेरे भाई नीरज कुमार बबलू ने यहां कहा कि इस मामले में सबूत मिटाए जा रहे हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा कि इस मामले में गवाहों की हत्या की जा सकती है। गवाहों को धमकाया जा रहा है। भाजपा विधायक नीरज कुमार बबलू ने कहा कि सामने आए गवाहों को पुलिस को सुरक्षा देनी चाहिए।
आईएएनएस के साथ मंगलवार को बातचीत में भाजपा विधायक नीरज ने कहा कि हम सभी लोगों को उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय जल्द ही इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को जांच का निर्देश देगी और जांच को सही दिशा मिलेगी और सब कुछ सामने आ जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह हम लोगों की ही नहीं पूरे देश की इच्छा है।
इस मामले में सबूत मिटाए जाने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "सबूत मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। यह आशंका मीडिया द्वारा भी व्यक्त किया जा रहा है। इसका ध्यान महाराष्ट्र पुलिस रखे।"
उन्होंने गवाहों के साथ किसी अनहोनी की आशंका जताते हुए कहा कि गवाहों को डराने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में मुंबई पुलिस सहयोग नहीं कर रही है, यह बात खुलकर सामने आ गई है फि र भी हम लोग चाहते हैं कि इस मामले में गवाहों को सुरक्षा दी जाए।
सुशांत के कथित आत्महत्या के दो महीने गुजर जाने के बाद भी अब तक इस मामले की जांच में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। 15 जुलाई को इस मामले को लेकर सुशांत के पिता के. के. सिंह ने पटना के राजीव नगर थाना में मामला दर्ज करवाया था। बाद में इस मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर बिहार सरकार ने अनुश्ांसा कर दी।
पटना में दर्ज मामले की मुख्य आरोपी रिया चक्रवर्ती ने मामले को मुबई स्थानांतरण करने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई है।
बागपत (उत्तर प्रदेश), 18 अगस्त (आईएएनएस)| भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय खोखर हत्याकांड मामले में दिवंगत नेता के परिवार ने सीबीआई जांच की मांग की है। खोखर की 11 अगस्त को बागपत के छपरौली इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस संबंध में खोखर के बेटों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई है। हत्या के बाद तीन पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
छपरौली पुलिस स्टेशन के एसएचओ को घटना के तुरंत बाद निलंबित कर दिया गया था, जबकि एडिशनल एसपी अनित कुमार का एक दिन बाद तबादला कर दिया गया था। बागपत के एसपी अजय कुमार का भी तबादला कर दिया गया है।
पुलिस ने एफआईआर में नामजद पांच आरोपियों में से तीन को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन परिवार का कहना है कि वे जांच से संतुष्ट नहीं है।
खोखर के बेटे अक्षय ने कहा, "हमने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और हत्या की जांच सीबीआई से कराने के लिए कहा, क्योंकि हम पुलिस की जांच से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं। पुलिस ने मामले में हमें किसी भी प्रगति से अवगत कराने की भी जहमत नहीं उठाई है। हमें जो भी जानकारी मिल रही है, वह मीडिया से मिल रही है।"
अक्षय के मुताबिक, खेतों में छिपे हुए कम से कम पांच लोगों ने बाहर निकलकर उनक पिता को करीब से गोली मार दी थी। बदमाशों ने खोखर को सिर और सीने में गोली मार दी थी जिसके बाद उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। पुलिस को हत्या के पीछे निजी दुश्मनी का शक है।
खोखर के परिवार ने पांच लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिनमें चार की पहचान नितिन धनकड़, मयंक दलाद, विनीत कुमार और अंकुर शर्मा के रूप में हुई है और एक अज्ञात है।
इनमें से दो को हत्या के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया था जबकि एक को बाद में गिरफ्तार किया गया था।
महाराष्ट्र, 18 अगस्त। महाराष्ट्र के पालघर जिले के बोईसर इलाके में तारापुर इंडस्ट्रियल एरिया में नंडोलीया केमिकल फैक्ट्री में आग लगने के कारण धमाका हो गया है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। पालघर के जिलाधिकारी कैलाश शिंदे के मुताबिक नंडोलीया ऑर्गेनिक कैमिकल्स फैक्ट्री में आग लगने से धमाका हुआ।
One person killed, three seriously injured in fire at the factory of Nandolia Organic Chemicals: Palghar Collector Kailas Shinde#Maharashtra https://t.co/Y9DfeTcxmQ
— ANI (@ANI) August 17, 2020
खबरों के मुताबिक इस धमाके की आवाज 10 किलोमीटर दूर तक सालवाड़, पाथल, बोईसर, तारापुर और आसपास के गांवों तक सुनाई दी। वहीं कुछ अन्य रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस विस्फोट के बाद कई किलोमीटर के इलाके में गैस रिसाव हुआ है। बताया जा रहा है कि केमिकल रिएक्शन की वजह से इंडस्ट्रियल एरिया के के टी जोन में यह विस्फोट हुआ है। पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचकर जांच कर रहे हैं।
पालघर में इससे पहले भी एक ऐसी घटना हुई थी। इसी साल जनवरी में भी पालघर जिले के कोलवाडे गांव में निर्माणाधीन केमिकल फैक्ट्री में धमाका हुआ था। इस घटना में 7 लोगों की जान चली गई थी और 4 लोग घायल हुए थे। इस धमाके की गूंज भी करीब 15 किलोमीटर दूर तक सुनाई देने की बात कही गई थी। धमाके में फैक्ट्री की एक इमरात भी ध्वस्त हो गई थी।(NAVJIVAN)
लखनऊ, 18 अगस्त। उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर ब्राह्मण वोटों को लेकर बयानबाजी जारी है। सोमवार को बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भाजपा नेता उमेश द्विवेदी के बयान पर ट्वीट करते हुए कहा कि ब्राह्मण समाज को बीमा से पहले मान-सम्मान व सुरक्षा की पूरी गारंटी चाहिए। सरकार इस ओर ध्यान दे तो बेहतर रहेगा। मायावती ने अपने ट्वीट के माध्यम से कहा कि "यूपी भाजपा सरकार द्वारा गरीब ब्राह्मणों का बीमा कराने की बात इस वर्ग के प्रति केवल अपनी कमियों पर पर्दा डालने के लिए ही लगता है, जबकि ब्राह्मण समाज को वास्तव में बीमा से पहले उन्हें सरकार से अपने मान-सम्मान व पूरी सुरक्षा की गारंटी चाहिए। सरकार इस ओर ध्यान दे तो बेहतर है।"
गौरतलब है कि भाजपा नेता उमेश द्विवेदी ने बयान दिया था कि योगी सरकार गरीब ब्राह्मणों के लिए मेडिकल इंश्योरेंस की व्यवस्था करेगी। हालांकि उनके इस बयान से भाजपा ने कन्नी काट ली है। उनके बयान को निजी बताया जा रहा है।(IANS)
शिमला, 18 अगस्त। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा शिमला में आयोजित की जा रही परीक्षाओं पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत के अगले आदेश तक परीक्षाओं पर रोक जारी रहेगी। 19 अगस्त तक लागू एक अंतरिम आदेश में न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर और चंदर भूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने छात्रों और अभिभावकों की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई की, जिन्होंने कोरोनावायरस के प्रसार पर चिंता जताते हुए विश्वविद्यालय की परीक्षाओं को आगे बढ़ाने की मांग की थी।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) मामले पर अपना फैसला नहीं सुनाया है। मामला 18 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
हिमाचल प्रदेश में राज्यभर में 134 केंद्रों पर आठ सितंबर तक 36,000 से अधिक छात्रों के परीक्षाओं में शामिल होने की उम्मीद थी।
हालांकि, यह आदेश हाईकोर्ट द्वारा 14 अगस्त को पारित किया गया था, लेकिन विश्वविद्यालय ने दावा किया कि उसे आदेश के बारे में जानकारी नहीं थी, इसलिए वह सोमवार को पहली परीक्षा के साथ आगे बढ़ गए।
राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ने यहां मीडिया को बताया कि राज्य ने सभी स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अंतिम वर्ष के आयोजन की तैयारी की है।
उन्होंने कहा, "हम हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में लीव पिटिशन दायर करने जा रहे हैं।"(IANS)
श्रीनगर, 17 अगस्त। आतंकवादियों ने शारीरिक रूप से अक्षम किसान आजाद अहमद डार की हत्या कर दी है। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि आतंकवादियों द्वारा बेवजह की जा रही हिंसा उन्हीं कश्मीरियों को खा रही है, जिनकी तथाकथित 'स्वतंत्रता' के लिए वे लड़ने का दावा करते हैं। पुलिस ने कहा है कि 15 अगस्त की रात करीब 8 बजे डार के घर में घुसे तीन आतंकवादियों ने उसे गोलियों से छलनी कर दिया।
किसी भी आतंकवादी संगठन ने डार की निर्दयता से की गई हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है और फिर भी स्थानीय समाज इस हद तक एक दूसरे से जुड़ा हुआ है कि आतंकी स्वीकार करें या न करें, लोगों को किसी न किसी तरह से पता चल जाता है कि किसने किसे मारा है।
पुलवामा जिले के कंगन गांव का विकलांग किसान डार (40) पूरे गांव का सबसे गरीब किसान था।
रिपोटरें में कहा गया है कि गांव में कोई भी कभी भी डार को अपने दामाद के रूप में स्वीकार करने के लिए सहमत नहीं हुआ क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि यदि कोई ऐसा करता तो इसका मतलब होगा कि वह अपनी बेटी को दुख और पीड़ा में धकेल देगा।
डार ने बिहार की एक महिला से शादी की जिससे उसे 10 साल की एक बेटी है।
गांव के एक बुजुर्ग ने नाम न बताने के आग्रह पर बताया, "अपने और अपने परिवार के लिए दो समय के भोजन का प्रबंधन करना भी उसके लिए मुश्किल था क्योंकि वह अपनी शारीरिक स्थिति के कारण के कारण अपनी छोटी सी जमीन पर ठीक से खेती भी नहीं कर पाते थे। वह ना तो किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित थे, न ही उन्होंने कभी सुरक्षा बलों या आतंकवादियों के साथ बातचीत करने की कोशिश के बारे में सुना गया था। उसकी हत्या ने हम सभी को हैरान कर दिया है। क्या अब हम आखिरकार एक-दूसरे को सिर्फ इसलिए मार रहे हैं क्योंकि हमें मारना है।"
कश्मीर में पिछले 30 वर्षों से चल रही हिंसा में सबसे ज्यादा निर्दोष कश्मीरी मारे गए हैं।
चाहे वह आतंकवादियों द्वारा फैलाया गया बेवजह का आतंक हो या सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच गोलीबारी की घटनाओं में नागरिकों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत, यह साबित करती है कि हिंसा हमेशा अपने बच्चों को ही खाती है।(IANS)
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नई दिल्ली, 17 अगस्त। निलंबित कांग्रेस नेता संजय झा ने दावा किया है कि पार्टी के 100 नेताओं ने सोनिया गांधी को खत लिखकर पार्टी में बदलाव और कांग्रेस वर्किं ग कमेटी के लिए चुनाव कराने का आग्रह किया है। हालांकि पार्टी ने झा के इस दावे को खारिज किया है। बता दें कि आईएएनएस ने 29 जुलाई को इस तरह के एक पत्र के बारे में जानकारी दी थी।
संजय झा ने ट्वीट किया, "कुछ सांसदों समेत करीब 100 कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के मौजूदा हालात को लेकर सोनिया गांधी को पत्र लिखा है, जिसमें अध्यक्ष पद और कांग्रेस वर्किं ग कमेटी के लिए चुनाव कराने की बात कही गई है।"
हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस तरह का कोई भी पत्र लिखे जाने की बात को खारिज किया। उन्होंने कहा, भाजपा का फेसबुक से लिंक के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए मीडिया में कुछ गलत प्रचार किया जा रहा है। ऐसा कोई पत्र है ही नहीं।
उन्होंने आगे कहा, "हां, भाजपा के कुछ कठपुतली इस मुद्दे पर कूद पड़े हैं।"
कांग्रेस पार्टी के सचिव प्रणव झा ने भी कहा, "ऐसा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।"
एक सवाल के जवाब में हालांकि कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया शिनाते ने कहा कि पार्टी में अंदरूनी लोकतंत्र है और सभी को पत्र लिख्रने की पूरी आजादी है। कांग्रेस वर्किं ग कमेटी को अपना नेता चुनने का पूरा अधिकार भी है।
कांग्रेस ने कहा कि पार्टी के कुछ नेता भाजपा के इशारों पर काम कर रहे हैं।
बता दें कि आईएएनएस ने 29 जुलाई को खबर दी थी कि कांग्रेस के कुछ नेता कांग्रेस वर्किं ग कमेटी को पत्र लिख कर फुल टाइम पार्टी अध्यक्ष चुनने की मांग कर सकते हैं।
सूत्रों ने बताया था कि कांग्रेस नेताओं के एक ग्रुप ने इस तरह का एक पत्र ड्राफ्ट किया है। एक कांग्रेस नेता ने आईएएनएस से इसकी पुष्टि भी की थी। लेकिन सूत्रों ने किसी नेता का नाम नहीं बताया था।(IANS)
अलीगढ़, 17 अगस्त (आईएएनएस)| अलीगढ़ के खैर इलाके के पीपल गांव में पहुंची अलग-अलग सरकारी एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों की एक टीम चीनी हवाला रैकेट से जुड़े संदिग्ध लड़के राहुल से मिलने पहुंची तो उसे चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं। कथित तौर पर दो चीनी कंपनियों में निदेशक और दो अन्य कंपनियों में शेयरधारक राहुल का घर बहुत ही जीर्ण-शीर्ण हालत में है। अधिकारियों की टीम उसके परिवार से सामान्य पूछताछ करने के बाद वापस चली गई।
अधिकारियों ने राहुल से भी फोन पर बात की है। उसने उन्हें बताया है कि वह पिछले एक साल से गुरुग्राम की एक मोटर व्हीकल पार्ट फर्म में काम कर रहा है। जब उसे एक व्यक्ति ने डीएलएफ साइबर सिटी में स्थित एक कार्यालय में दूसरी अंशकालिक नौकरी की पेशकश की तो उसने तुरंत हामी भर दी थी।
राहुल ने टीम को बताया कि सग्गू नाम के उस व्यक्ति ने राहुल के जॉब जॉइन करते ही उसका आधार और पैन कार्ड ले लिया था जिनका हाल ही में मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट में उसकी सहमति के बिना उपयोग किया गया है। इस मामले का खुलासा कुछ ही दिन पहले दिल्ली में किया गया है।
इसके बाद रविवार की दोपहर से ही राहुल का मोबाइल फोन स्विच ऑफ हो गया है और उसके पिता भी नहीं मिल रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, राहुल के परिवार के पास 12 बीघा जमीन है और कृषि ही उनकी आय का एकमात्र स्रोत है। परिवार के बाकी सदस्य जो अब मीडिया से बात करने के लिए तैयार नहीं हैं, वे भी इस बात से 'हैरान' हैं कि उनका बेटा कथित तौर पर करोड़पति है।
अपना नाम बताने से इंकार करते हुए एक पड़ोसी ने कहा, "हम विश्वास नहीं कर सकते कि राहुल ऐसी किसी भी चीज में शामिल हो सकता है। उनका घर जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं और ऐसा कोई संकेत नहीं है कि उनके पास इतना पैसा आया है।"
इस बीच चीनी संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे एक हवाला रैकेट की जांच में आयकर अधिकारियों ने पाया है कि एक संदिग्ध व्यक्ति लू सांग ने अपनी पहचान बदलकर चार्ली पैंग कर ली थी, जो कि एक भारतीय नागरिक था।
उसके पास भारतीय पासपोर्ट और यहां तक कि आधार कार्ड भी था। उसकी शादी मणिपुर की एक लड़की से हुई थी। उसके पास से मणिपुर से जारी किया गया पासपोर्ट मिला है।
आयकर विभाग ने पिछले ही हफ्ते कुछ चीनी व्यक्तियों और उनके भारतीय सहयोगियों द्वारा चलाए जा रहे एक हवाला रैकेट का भंडाफोड़ किया था। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि लू सांग नाम का व्यक्ति भारत में हवाला के संचालन के लिए कई चीनी फर्मों का प्रतिनिधित्व कर रहा था।
विभाग के अधिकारियों ने बैंक कर्मचारियों और कई चीनी कंपनियों के परिसरों पर भी छापा मारा है। संदेह है कि यह घोटाला एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है।
इस हवाला रैकेट को चलाने वाला आरोपी पिछले तीन सालों से इसे चला रहा था और अक्सर अपने पते बदलता रहता था। पहले वह दिल्ली के द्वारका इलाके में रहता था लेकिन वर्तमान में उसका पता बदलकर डीएलएफ हो गया है।
नई दिल्ली, 17 अगस्त (आईएएनएस)| फेसबुक की दक्षिण एशिया पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास ने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल यूनिट में कई लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, जो उन्हें ऑनलाइन पोस्ट और कंटेंट के जरिए कथित तौर पर जान से मारने की धमकी दे रहे थे। वॉल स्ट्रीट जर्नल में 14 अगस्त को एक लेख प्रकाशित होने के बाद दास सुर्खियों में आई हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि फेसबुक ने भारत में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सत्तारूढ़ भाजपा का पक्ष लिया है।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि एफआईआर में एक महिला सहित पांच लोगों के नाम हैं, जो ट्विटर पर सक्रिय हैं। हिमांशु देशमुख और अवेश तिवारी के रूप में पहचाने गए दो लोगों के फेसबुक प्रोफाइल का उल्लेख किया गया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए, 499/500, 506, 507, 509 कानून के अन्य लागू प्रावधानों के तहत यह एफआईआर दर्ज की गई है।
लुटियंस दिल्ली में एक बहुत ही प्रभावशाली एमएनसी एक्जिक्यूटिव्स में से एक के रूप में देखे जाने वाले पॉश दक्षिण दिल्ली क्षेत्र की निवासी 49 वर्षीय दास ने अपनी प्राथमिकी में कहा है, "14 अगस्त 2020 की शाम से, मुझे मेरे जीवन और शरीर के लिए हिंसक धमकियां मिल रही हैं। मैं आरोपी व्यक्तियों की ओर से मिल रही धमकियों से बेहद परेशान हूं। सामग्री (कंटेंट), जिसमें मेरी तस्वीर भी शामिल है, जाहिर तौर पर मेरे जीवन और शरीर के लिए खतरा है। मुझे अपनी और मेरे परिवार के सदस्यों की सुरक्षा को लेकर डर है।"
उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि "एक समाचार लेख के आधार कंटेंट मेरी प्रतिष्ठा को खराब कर रहे हैं और मुझे धमकियां मिल रही हैं।"
दास फेसबुक में सार्वजनिक नीति की निदेशक हैं। उन्होंने संकेत दिया है कि एक विशेष राजनीतिक दल के साथ मिलकर कई लोगों ने डब्ल्यूएसजे में प्रकाशित लेख के बाद उन्हें टारगेट (लक्षित) किया है।
प्राथमिकी में कहा गया है, "अभियुक्तों ने जानबूझकर अपनी राजनीतिक संबद्धता के कारण मुझे दोषी ठहराया है और अब ऑनलाइन और ऑफलाइन दुर्व्यवहार में संलग्न हैं। मुझे आपराधिक धमकी दी जा रही है।"
दास ने उन पर यौन रूप से भी भद्दी टिप्पणियां करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और उन्हें बदनाम करने के लिए यह किया जा रहा है।
उन्होंने अपनी शिकायत में कहा, "चूंकि मेरी तस्वीरें और ब्योरे सार्वजनिक रूप से अपराधियों द्वारा साझा किए जा रहे हैं, इसलिए मैं लगातार भय और धमकी के अधीन हूं, खासकर एक महिला होने के नाते।"
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने खुलासा किया कि एफआईआर में बताए गए आरोपियों की पहचान की जा रही है। पुलिस कार्रवाई शुरू करेगी, जिसमें कानून के अनुसार आरोपियों की गिरफ्तारी हो सकती है।
इस बीच एक फेसबुक प्रवक्ता ने कहा, "हम हिंसा को उकसाने वाले हेट स्पीच और कंटेंट को प्रतिबंधित करते हैं। हम यह देखे बिना इन नीतियों को दुनियाभर में लागू करते हैं कि किसी की क्या राजनीतिक हैसियत है या वो किस दल से जुड़ा है। हम निष्पक्षता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए नियमों को और धारदार बना रहे हैं। साथ ही हम अपनी प्रक्रियाओं की नियमित रूप से ऑडिंटिंग भी करते रहते हैं।
नई दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा)। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में फेसबुक द्वारा भारत में सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर घृणा भाषण संबंधी नियमों को लागू करने में लापरवाही का दावा किये जाने के बाद रविवार को कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गये। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रिपोर्ट को लेकर बीजेपी तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर फेसबुक तथा वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हुए मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए 'फर्जी खबरें' फैलाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस जेपीसी जांच की मांग की
इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्षी दल को कैंब्रिज एनालिटिका मुद्दे की याद दिलाने का प्रयास किया। कांग्रेस ने रिपोर्ट में लगाये गये आरोपों की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग करते हुए कहा कि ये भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद के लिए खतरा हैं और इनकी जांच की जानी चाहिए। प्रसाद ने पलटवार करते हुए ट्वीट किया, जो हारने वाले लोग अपनी ही पार्टी में लोगों को प्रभावित नहीं कर सकते, वे ऐसा माहौल बनाते रहते हैं कि पूरी दुनिया पर बीजेपी और आरएसएस का नियंत्रण है।
राहुल ने बीजेपी और संघ पर निशाना साधा
उन्होंने कहा, आप चुनाव से पहले आंकड़ों को हथियार बनाने के लिए कैंब्रिज एनालिटिका तथा फेसबुक के साथ गठजोड़ करते हुए रंगे हाथ पकड़े गये थे और अब हमसे सवाल पूछ रहे हैं। इससे पहले राहुल ने रिपोर्ट की एक तस्वीर डालते हुए ट्वीट किया था और बीजेपी और संघ पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, बीजेपी और आरएसएस भारत में फेसबुक तथा वॉट्सऐप पर नियंत्रण करते हैं। वे इसके माध्यम से फर्जी खबरें तथा नफरत फैलाते हैं और मतदाताओं को लुभाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। आखिरकार अमेरिकी मीडिया ने फेसबुक के बारे में सच सामने ला दिया है।
प्रसाद हुए राहुल पर हमलावर
अमेरिकी अखबार ने शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम भीतरी सूत्रों के साथ साक्षात्कारों का हवाला दिया है। इसमें दावा किया गया है कि उसके एक वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सामुदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक बीजेपी विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में दखलंदाजी की थी। राहुल के बयानों पर जवाब देते हुए प्रसाद ने यह भी कहा, सच यह है कि आज सूचना प्राप्त करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लोकतांत्रिक रूप दिया गया है। अब इन पर आपके परिवार के अनुयायियों का कब्जा नहीं रहा है और इसलिए यह बात आपको चुभती है।
प्रसाद ने कैंब्रिज एनालिटिका का जिक्र किया
प्रसाद ने जिस कैंब्रिज एनालिटिका का जिक्र किया वह 2018 में कांग्रेस पर लगे आरोपों से संबंधित है। आरोप थे कि ब्रिटिश कंपनी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए कांग्रेस को फेसबुक की अनेक पोस्ट का विश्लेषण करने की पेशकश की थी। कांग्रेस ने आरोपों को खारिज कर दिया था।
फेसबुक का पक्ष जानना चाहते हैं थरूर
सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि समिति रिपोर्ट के बारे में फेसबुक का पक्ष जानना चाहेगी। थरूर की टिप्पणी पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि उन्हीं विषयों को समिति के समक्ष उठाया जा सकता है जो स्वीकार्य हैं और संसदीय स्थायी समितियों के नियमों के अनुरूप हैं। उन्होंने कहा कि इन समितियों को सदस्यों द्वारा अपनी पार्टी के नेताओं के अहम के तुष्टीकरण के लिए राजनीतिक मंच नहीं बनाना चाहिए।
माकन ने जेपीसी से जांच की मांग की
कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने एक डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में इन आरोपों में जेपीसी जांच कराने की मांग की कि फेसबुक ने बीजेपी सांसदों के मामले में अपनी घृणा भाषण वाली नीति की अनदेखी की। इसमें नई बात क्या है, ये सब पहले से ही जानते हैं की ये लोग ऊपर से नीचे तक झूठे होते हैं।
बरेली, 17 अगस्त (आईएएनएस)| बरेली में सरकारी महिला आश्रय गृह के 90 कैदियों का कोविड-19 टेस्ट पॉजीटिव आया है। महिला कल्याण विभाग की उपनिदेशक, नीता अहिरवार ने कहा, "पिछले दो दिनों में नारी निकेतन की 90 कैदियों का कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव आया है। इन सभी को क्वारंटाइन कर दिया गया है।"
उन्होंने आगे कहा, "ये कैदी कोरोनावायरस से संक्रमित कैसे हुईं, इसकी जांच की जा रही है।"
सभी कैदियों में इसका लक्षण नहीं दिखा है, उन्हें दो मंजिला घर में क्वारंटाइन किया गया है।
इससे पहले, एक सहायक स्टाफ सदस्य का वायरस टेस्ट पॉजीटिव आया था।
नीता अहिरवार ने कहा कि आश्रय गृह में करीब 200 कैदी हैं और उन सभी का कोरोना टेस्ट किया गया है। इनमें से 90 का रिपोर्ट पॉजीटिव आया है।
डॉक्टरों की एक टीम नियमित रूप से चेकअप के लिए दौरा करती है और दवा उपलब्ध करा रही है।
अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अशोक कुमार ने कहा, "हमने आश्रय गृह को सैनिटाइज कर दिया है। फिलहाल, हमने किसी भी कैदी को अस्पताल में स्थानांतरित नहीं किया है, क्योंकि उन सभी में लक्षण नहीं है। आपातकालीन सेवाएं भी उपलब्ध हैं।"