राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 31 दिसंबर | ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने गुरुवार को इस बात का संकेत दिया कि भारत में नए साल में कोविड-19 वैक्सीन आ सकती है। डीसीजीआई ने उम्मीद जताई कि नववर्ष बहुत शुभ होगा, जिसमें हमारे हाथ में कुछ होगा। दवा नियामक वर्तमान में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों का विश्लेषण कर रहा है, जो ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और भारत बायोटेक की वैक्सीन का निर्माण कर रहा है और जो आईसीएमआर के साथ मिलकर स्वदेशी वैक्सीन भी बना रहा है। विशेषज्ञ पैनल इस पर एक जनवरी को बैठक बुलाएगा।
बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक और फाइजर ने डीसीजीआई के समक्ष आवेदन दिया है कि उनकी वैक्सीन (टीके) को आपात स्थिति में उपयोग की अनुमति प्रदान की जाए। ये कंपनियां अनुमति मिलने की प्रतीक्षा कर रही हैं।
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया वी.जी. सोमानी ने गुरुवार को इस बात का संकेत दिया कि भारत में नए साल में कोविड-19 का टीका आ सकता है। सोमानी ने कहा, "सबसे महत्वपूर्ण है कि उद्योग और अनुसंधान संगठन समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। यह बहुत ही शानदार अनुभव रहा है। संभवत: नववर्ष बहुत शुभ होगा, जिसमें हमारे हाथ में कुछ होगा।"
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के विशेषज्ञों की समिति ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोविड-19 टीके के आपात इस्तेमाल की अनुमति देने के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की गुजारिश और 'कोवैक्सीन' के आपात इस्तेमाल को अनुमति देने के भारत बायोटेक के आग्रह पर विचार करने के लिए बुधवार को बैठक की थी।
सोमानी के मुताबिक, महामारी के मद्देनजर आवेदकों को अनुमति प्रदान करने की पक्रिया तेजी से चल रही है और साथ ही पूरे डाटा की प्रतीक्षा किए बिना ही पहले और दूसरे चरण के परीक्षणों को अनुमति दी गई है।
उन्होंने कहा, "डाटा की सुरक्षा या इसके कारगर होने के संदर्भ में कोई समझौता नहीं किया गया है। सिर्फ यह बात है कि नियामक ने आंशिक डाटा को स्वीकार किया है।"
उल्लेखनीय है कि नौ दिसंबर को विषय विशेषज्ञ समिति ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक को अनुमोदन प्राप्त करने के लिए अधिक डेटा और जानकारी प्रस्तुत करने के लिए कहा था। (आईएएनएस)
आगरा (उत्तर प्रदेश), 31 दिसंबर | आगरा शहर के ताजगंज इलाके में गुरुवार को सड़क हादसे में एक आदमी की मौत हो जाने के बाद भड़की हिंसा में लोग न केवल पुलिस से भिड़ गए, बल्कि पुलिस चौकी सहित कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। खबरों के मुताबिक, जिले में गुरुवार की सुबह एक ट्रैक्टर-ट्रेलर के पलट जाने से वह व्यक्ति घायल हो गया, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
पुलिस महानिरीक्षक (आगरा रेंज) सतीश गणेश ने कहा, "कुछ उपद्रवी तत्वों ने पुलिस चौकी में तोड़फोड़ की और बाहर खड़े वाहनों पर भी आग लगा दी। उन्होंने इलाके में कानून व्यवस्था को भंग करने का प्रयास किया और इस वजह से यहां वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों सहित पर्याप्त बल की तैनाती की गई।"
गणेश ने कहा कि मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
पुलिस ने कहा कि क्षेत्र में स्थिति अभी नियंत्रण में है हालांकि एहतियात के तौर पर अतिरिक्त बल की तैनाती की गई है।
आईजीपी ने आगे कहा, "जिन्होंने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, इलाके में मौजूद सीसीटीवी कैमरे की मदद से उनकी पहचान कर हिरासत में लिया जाएगा।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 दिसंबर | सरकार ने गुरुवार को ईस्टर्न रेलवे के महाप्रबंधक सुनीत शर्मा को भारतीय रेलवे के नए बोर्ड अध्यक्ष और सीईओ के रूप में नियुक्त किया। एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, "मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने शर्मा, आईआरएसएमई (1981) को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ के रुप में नियुक्त किया। रेलवे के निवर्तमान सीईओ वी.के. यादव का कार्यकाल 31 दिसंबर, 2020 को पूरा हो रहा है।"
पिछले साल 19 सितंबर को ईस्टर्न रेलवे के महाप्रबंधक नियुक्त किए गए शर्मा के पास मजबूत तकनीकी पृष्ठभूमि है और भारतीय रेलवे के कई क्षेत्रों में उन्हें विशेषज्ञता हासिल है।
शर्मा को विभिन्न प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है, जिसमें राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर में नए बेंचमार्क स्थापित करने के लिए प्रक्रिया का सरलीकरण शामिल है।
वह पहले उत्तर प्रदेश के रायबरेली में आधुनिक कोच फैक्ट्री के महाप्रबंधक थे। (आईएएनएस)
पंजाब के कुछ हिस्सों से पिछले दिनों रिलायंस जियो मोबाइल के टावरों के क्षतिग्रस्त करने की तस्वीरें सामने आई थीं. अब मामले की गंभीरता को देखते हुए पंजाब के राज्यपाल ने राज्य की मुख्य सचिव और डीजीपी से रिपोर्ट मांगी है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी का लिखा-
पंजाब, 31 दिसंबर | पंजाब के अलग-अलग इलाकों से सोशल मीडिया पर जियो के मोबाइल टावरों के बिजली कनेक्शन काटने, डीजल जनरेटर हटाने और टावरों पर चढ़कर किसान आंदोलन के समर्थन में झंडे लगाने की तस्वीरें तेजी से वायरल हुईं.
टावरों को नुकसान पहुंचाने वालों का दावा है कि केंद्र सरकार बड़े उद्योग घारानों के दबाव में नए कृषि कानून लागू कर रही है. कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि राज्य में आंदोलन के दौरान रिलायंस जियो के 1,600 से अधिक टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है.
टावर को नुकसान पहुंचाने वालों का कहना है कि वे आंदोलन के समर्थन में हैं और इस तरह नए कानूनों के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. हालांकि किसान संगठनों से इस तरह के नुकसान पहुंचाने वाली घटनाओं का समर्थन नहीं किया है.
सुरक्षा को खतरा
पंजाब के गांवों और कस्बों में रिलायंस जियो के टावरों को नुकसान पहुंचाने से ना केवल संचार पर असर पड़ रहा है बल्कि संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में भी सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. कोरोना वायरस महामारी के दौर में जब स्कूल और कॉलेज बंद हैं तो बच्चे मोबाइल और कंप्यूटर के सहारे ऑनलाइन शिक्षा हासिल कर रहे हैं, ऐसे में जानकारों का कहना है कि जिनके पास जियो के मोबाइल नंबर हैं उन्हें ऑनलाइन शिक्षा लेने में खासी परेशानी हो सकती है.
पंजाब में जियो के टावर तोड़ने या नुकसान पहुंचाने के मामले में राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने मुख्य सचिव विनी महाजन और डीजीपी दिनकर गुप्ता को तलब कर रिपोर्ट भी मांगी है. राज्य में जियो के नौ हजार से अधिक टावर हैं और मंगलवार तक 700 टावरों की मरम्मत की रिपोर्ट है.
राज्य में अपने टावरों को निशाना बनाने को लेकर रिलायंस जियो इंफोकॉम भी गंभीर है और उसने पंजाब के मुख्यमंत्री और डीजीपी को पत्र लिखकर अज्ञात लोगों द्वारा "जियो के टावरों में तोड़फोड़ के मामले में दखल देने की मांग की है." 27 दिसंबर को रिलायंस जियो के पंजाब सर्किल के प्रमुख तजिंदर पाल सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर ऐसी घटनाओ को रोकने और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने का आग्रह किया था. कंपनी ने अपने पत्र में कहा था कि टावरों में तोड़फोड़ के कारण लोगों के रोजमर्रा के काम प्रभावित हो रहे हैं, जैसे कि बिजनेस, शिक्षा आदि.
राज्य की छवि का हवाला
इस बीच एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने भी बुधवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह को अलग से पत्र लिखकर टावरों के साथ छेड़खानी और तोड़फोड़ की घटनाओं पर हस्तक्षेप का अनुरोध किया है. एसौचैम, उद्योग और वाणिज्य जगत की अहम संस्था है. उसके अध्यक्ष विनीत अग्रवाल ने अपने पत्र में लिखा, "पंजाब की प्रगति वाली छवि को भी तोड़फोड़ के कारण नुकसान हो रहा है. राज्य में उद्योग खासकर दूरसंचार क्षेत्र को पहुंचाए जा रहे नुकसान से ना केवल राष्ट्रीय संपत्तियों नष्ट हुई हैं बल्कि पंजाब की प्रगतिशील राज्य की छवि भी धूमिल हो रही है."
इससे दो दिनों पहले ही कैप्टन अमरिंदर ने राज्य पुलिस को टावरों में तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे. पंजाब में जून महीने से ही तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे थे और यह बढ़ते-बढ़ते दिल्ली की सीमाओं तक आ पहुंचे. किसानों का मानना है कि इन कानूनों से कारोबारी मुकेश अंबानी और गौतम अडानी को सबसे ज्यादा लाभ होगा, जबकि केंद्र सरकार का तर्क है कि तीनों कानूनों से किसानों को दीर्घकालिक लाभ होंगे.
दिल्ली की सीमा पर किसानों को आंदोलन करते हुए एक महीना से ज्यादा हो गया है. उनकी सरकार के साथ अगले दौर की बातचीत कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की गारंटी पर 4 जनवरी को होनी है. सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक छह दौर की वार्ता हो चुकी है. (dw.com)
नई दिल्ली, 31 दिसंबर | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को एग्री इंडिया हैकाथॉन के पहले संस्करण का शुभारंभ किया। इस मौके पर कृषि मंत्री ने कहा कि इससे कृषि क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे खेती में सकारात्मक बदलाव आएगा और छोटे किसानों को इसका फायदा मिलेगा। तोमर ने कहा, "इनोवेशन व स्टार्टअप्स गांव-गांव पहुंचने से छोटे किसानों का कल्याण होगा और खेती के क्षेत्र में बड़ा सकारात्मक बदलाव आएगा।"
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए अनुसंधान और नवाचार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई विषयों पर ध्यान आकर्षित करते हुए एग्री इंडिया हैकाथॉन के आयोजन का सुझाव दिया था।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि के क्षेत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग की आवश्यकता पर बल देते हैं और उनका मानना है कि एग्री हैकाथॉन के माध्यम से कृषि क्षेत्र की समस्याओं का हल हो सकता है।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा, "एग्री इंडिया हैकाथॉन के माध्यम से, हमारे युवा रचनात्मक स्टाटअप्स व स्मार्ट इनोवेटर्स के साथ कृषि क्षेत्र की बड़ी समस्याओं से निपटने में योगदान देंगे। यह प्रथम आयोजन कृषि के मौजूदा ढांचे के उत्थान और किसानों की आय बढ़ाने तथा समग्र रूप से उनके कल्याण के बड़े मिशन की दिशा में काम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर का एक अनूठा प्रयास है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम सबको यह सुनिश्चित करना है कि कृषि का क्षेत्र और मुनाफे में कैसे आए, युवाओं का आकर्षण खेती की तरफ कैसे बढ़े, फसलों का विविधीकरण कैसे हो, फर्टिलाइजर का उपयोग धीरे-धीरे कम हो, हम जैविक खेती व सूक्ष्म सिंचाई की ओर तेजी से बढ़े, खेती में लागत कम हो, किसान महंगी फसलों की खेती की तरफ जाएं, तकनीक का पूरा समर्थन कृषि को मिले, उत्पादन-उत्पादकता बढ़ें, वैश्विक मानकों के अनुसार खेती कर सकें एवं अधिक से अधिक निर्यात करके किसानों को समृद्ध बना सकें। जीडीपी में कृषि का योगदान सुनिश्चित कर सकें।"
उन्होंने कहा कि किसानों के परिश्रम में कोई कमी नहीं है, आज जरूरत इस बात की है कि कृषि क्षेत्र में नए आयाम जुड़े और इस दृष्टि से एग्री स्टार्टअप्स का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है।
कार्यक्रम में कृषि राज्यमंत्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि नवाचार से खेती-किसानी का कार्य लाभकारी बनेगा।
इस मौके पर मौजूद कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा, "टेक्नोलॉजी की दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इससे कृषि क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं निर्मित होंगी।"
एग्री इंडिया हैकाथॉन एक ऐसा मंच है जो छात्रों व युवा स्टार्टअप को अपने नवाचार और रचनात्मकता को अभिव्यक्त करने का मौका देगा। यह आयोजन 60 दिनों के लिए होगा, जिसमें देशभर के 3000 से अधिक नवाचार, 5000 से अधिक प्रतिभागी, 100 से अधिक विचारक, 1000 से अधिक स्टार्ट-अप और 50 अधिक स्पीकर शामिल होंगे।
इसमें विभिन्न फोकस क्षेत्रों से 24 सर्वश्रेष्ठ नवाचारों का चयन किया जाएगा जिनमें से प्रत्येक को 1,00,000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 दिसंबर | साल 2019 में छह महीने के लिए देशभर में 19,000 से अधिक वीआईपी को चौबीसों घंटे पुलिस सुरक्षा दी गई, जिसके लिए 66,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया। मंत्री, सांसद, विधायक, न्यायाधीश और नौकरशाह इन वीआईपी में से थे, जिन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा पुलिस सुरक्षा कवच दिया गया था, जो आवश्यकता और खतरे के आधार पर था।
ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआर एंड डी) द्वारा संकलित डाटा ऑन पुलिस ऑर्गेनाइजेशन (डीओपीओ) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इसमें उल्लेख किया गया है कि सभी 37 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में पुलिसकर्मियों को सुरक्षा के लिए लगाया गया था।
मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 19,467 लोगों को 2019 में छह महीने से अधिक समय के लिए पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई थी, जिसमें 66,043 पुलिसकर्मी शामिल थे।
वहीं वर्ष 2018 में, 63,061 पुलिसकर्मियों द्वारा 21,300 वीआईपी को पुलिस सुरक्षा दी गई थी।
वर्ष 2019 में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पश्चिम बंगाल शीर्ष पर रहा, जहां सबसे अधिक 3142 वीआईपी के लिए 6247 पुलिसकर्मी तैनात रहे। इसके बाद पंजाब राज्य में 2,594 जबकि बिहार में 2,347 वीआईपी को सुरक्षा मिली।
पंजाब में वीआईपी के सुरक्षा कवच के लिए कुल 7,714 पुलिसकर्मी तैनात किए गए, उसके बाद बिहार में 5,611, हरियाणा में 1,355, झारखंड में 1,351, असम में 1,199 और जम्मू एवं कश्मीर में 1,184 सुरक्षाकर्मी वीआईपी की सुरक्षा में तैनात रहे।
दादर और नगर हवेली में एक पुलिसकर्मी की ओर से एक ही व्यक्ति को सुरक्षा मिली। इसके अलावा दमन और दीव में दो, जबकि लक्षद्वीप में पांच लोगों को पुलिस सुरक्षा दी गई।
राष्ट्रीय राजधानी में 501 वीआईपी को सुरक्षाकर्मियों की ओर से सुरक्षा मिली। इन्हें छह महीने से अधिक समय तक सुरक्षा कवच प्रदान किया गया। हालांकि दिल्ली में इन 501 वीआईपी पर 8,182 पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर लगाया गया था। पुलिसकर्मियों की तैनाती के लिहाज से देशभर में सुरक्षा ड्यूटी के लिए अधिकतम संख्या दिल्ली में ही दर्ज की गई है।
प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से वीआईपी को सुरक्षा की सुविधा प्रदान की जाती है, जिसकी संख्या 2018 में 40,031 से बढ़ाकर 2019 में 43,566 कर दी गई है। यह सुविधा वीआईपी को उनकी अनिवार्य सुरक्षा आवश्यकता या खतरे की धारणा के अनुसार प्रदान की जाती है। किसी व्यक्ति विशेष की सुरक्षा ड्यूटी में लगे कर्मियों की संख्या राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों द्वारा तय की जाती है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 31 दिसंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को लाईट हाउस प्रोजेक्ट (एलएचपी) का शिलान्यास करेंगे। इसके तहत लखनऊ के 1040 शहरी गरीबों को मात्र पौने पांच लाख रुपए में 415 वर्गफीट एरिया का फ्लैट अगले साल सौंपा जाएगा। इसकी कीमत 12 लाख 59 हजार होगी। इसमें केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से सात लाख 83 हजार रुपए अनुदान के रूप में दिए जाएंगे। शेष धनराशि चार लाख 76 हजार ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लाभार्थी को देने होंगे। फ्लैट का आवंटन प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अनुसार किया जाएगा और डूडा के माध्यम से डीएम की अध्यक्षता में खुली लॉटरी कराई जाएगी।
देश में छह राज्यों में ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज इंडिया (जीएचटीसी इण्डिया) की नींव और प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के वितरण कार्यक्रम में दिल्ली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली जुड़ेंगे। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शहीद पथ स्थित अवध विहार योजना में सुबह 11 बजे प्रस्तावित प्रोजेक्ट से लाइव जुड़ेंगे।
राज्य सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन भी होगा। इस दौरान प्रधानमंत्री कई कैटेगरी में अवाडरें की घोषणा भी करेंगे। इसके बाद एलएचपी का शिलान्यास किया जाएगा।
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय भारत सरकार ने शहरी कमजोर वर्गों को ध्यान में रखते हुए छह राज्यों -- मध्य प्रदेश में इन्दौर, गुजरात में राजकोट, तमिलनाडु में चेन्नई, झारखण्ड में रांची, त्रिपुरा में अगरतला और उत्तर प्रदेश में लखनऊ को लाईट हाउस प्रोजेक्ट के तहत आवास बनाने के लिए चुना है। शहीद पथ स्थित अवध विहार योजना में बनने वाले एलएचपी का क्रियान्वयन 34.50 वर्ग मीटर कारपेट एरिया में किया जा रहा है। जिसके तहत 14 मंजिला टावर बनेगा और उसमें 1040 फ्लैट कमजोर वर्ग के लोगों को मिलेंगे।
प्रदेश सरकार भवन निर्माण सम्बन्धित अनुसंधान संस्थाओं, छात्रों, प्रौद्योगिक संस्थाओं, वास्तुविदों और अभियंताओं में नई तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में नई तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है, जिस कारण निर्माण कार्य करीब एक साल में पूरा हो सकेगा। एलएचपी निर्माण क्षेत्र को बदलकर रख देगा। प्री फैब्रिकेटेड वस्तुओं के प्रयोग से निर्माण ज्यादा टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल होगा।
12 लाख 59 हजार में भारत सरकार साढ़े पांच लाख रुपए अनुदान देगी। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत डेढ़ लाख और टेक्निकल इनोवेशन ग्रांट (टीआईजी) के तहत चार लाख। जबकि राज्य सरकार की ओर से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक लाख और टीआईजी के तहत एक लाख 33 हजार रुपए दिए जाएंगे। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 31 दिसंबर | प्रख्यात ब्रेस्ट कैंसर सर्जन डॉ. रघुराम पिल्लारीसेट्टी का नाम क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय की प्रतिष्ठित नए साल 2021 की ऑनर्स सूची में शामिल किया गया है। यह सूची क्राउन के आधिकारिक प्रकाशन 'लंदन गजट' में प्रकाशित हुई है। किंग जॉर्ज द्वारा 1917 में स्थापित, महारानी सम्मान दुनियाभर में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है।
रघुराम ब्रेस्ट (स्तन) रोग के लिए किम्स-उषा लक्ष्मी सेंटर के निदेशक और उषा लक्ष्मी स्तन कैंसर फाउंडेशन के संस्थापक-सीईओ हैं। वह एसोसिएशन ऑफ सर्जन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
डॉ. रघुराम (54) को ब्रिटिश महारानी की तरफ से उत्कृष्ट सम्मान से नवाजा जाएगा। बीते 100 सालों में इस तरह का सम्मान पाने वाले भारतीय मूल के लोगों में डॉ. रघुराम को युवा सर्जनों में से एक बनने का दुर्लभ गौरव प्राप्त हुआ है।
यह ब्रिटिश एम्पायर अवार्ड के बाद दूसरा सबसे बड़ा अवार्ड माना जाता है।
डॉ. रघुराम ने पुरस्कार मिलने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा, "मैं महामहिम, महारानी द्वारा दिए गए इस उच्च सम्मान को स्वीकार करने के लिए बहुत आभारी और अविश्वसनीय रूप से विनम्र हूं।"
उन्होंने कहा, "एक दशक से भी अधिक समय से, मैंने अपनी मातृभूमि में ब्रिटिश प्रथाओं के सर्वश्रेष्ठ को दोहराने का प्रयास किया है और ब्रिटेन और भारत के बीच एक 'लिविंग ब्रिज' होने पर गर्व महसूस करता हूं।"
उन्होंने इस पुरस्कार को अपने परिवार और रोगियों को समर्पित किया। डॉ. रघु ने किम्स (केआईएमएस) के निदेशक मंडल को भी धन्यवाद दिया।
डॉ. रघुराम को साल 2015 और 2016 में क्रमश: पद्मश्री और डॉ. बी.सी. रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। इन पुरस्कारों को हासिल करने वालों में भी डॉ. रघुराम की उम्र काफी कम है।
बीते 25 सालों के करियर में डॉ. रघुराम ने स्तन कैंसर पर काफी शोध किया है। सन् 1995 में सर्जन बनने के बाद सफल ऑपरेशन के जरिए उन्होंने कई महिलाओं को स्तन कैंसर से ठीक किया। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 31 दिसंबर | अलर्ट बीएसएफ कर्मियों ने घने कोहरे के कारण खराब दृश्यता का फायदा उठाकर गुरुवार तड़के भारत के पंजाब में पाकिस्तान से आए राष्ट्र विरोधी तत्वों के एक समूह की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया। अबोहर सेक्टर में बाड़ के पास सीमा सुरक्षा बल की 181 बटालियन द्वारा संदिग्ध गतिविधि का पता लगाया गया। बीएसएफ ने कहा कि सैनिकों ने तुरंत घुसपैठियों पर गोलीबारी की, जो खराब मौसम की स्थिति का लाभ उठाकर पाकिस्तान वापस भागने में सफल रहे।
क्षेत्र में तलाशी के बाद, एक लोहे की सीढ़ी और लगभग 26 फीट लंबा लोहे का खंभा बरामद किया गया।
इस साल, बीएसएफ ने पंजाब सीमा पर 517 किलोग्राम हेरोइन जब्त किया है और आठ पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया है। (आईएएनएस)
-बाला सतीश
चुटकियों में क़र्ज़ बाँटने वाले एप्स कुकरमुत्तों की तरह पनप रहे हैं, लेकिन कुछ को छोड़कर बाक़ियों की गतिविधियाँ काफ़ी ख़तरनाक हैं.
हैदराबाद की वी कविता ने कोरोना महामारी के समय एक एप के ज़रिए लोन लिया था. वे इस लोन को तय वक़्त पर नहीं चुका पाईं.
इस एप के कर्मचारियों ने उन्हें लोन चुकाने की आख़िरी तारीख़ के दिन सुबह सात बजे फ़ोन किया. चूंकि, वे दूसरे कामों में व्यस्त थीं, ऐसे में वे फ़ोन चेक नहीं कर पाईं.
अगली कॉल कविता के छोटे भाई की पत्नी की रिश्तेदार को गई. यहाँ तक कि कविता की भी उनके साथ कोई नज़दीकी बातचीत नहीं थी.
जब एप के कर्मचारियों ने उनसे पूछा कि क्या वे कविता को जानती हैं तो उन्होंने बताया कि 'हाँ, वे उनकी रिश्तेदार हैं.'
इस पर कर्मचारियों ने उनसे कहा कि कविता ने उनकी कंपनी से एक लोन लिया है और उन्होंने ही उनका नंबर उन्हें दिया था. ऐसे में अब उन्हें ही यह लोन चुकाना चाहिए.
लेकिन इस तरह की माँग से वे घबरा गईं और उन्होंने यह पूरा वाक़या अपने परिवार में बता दिया. पूरे परिवार ने कविता से दूरी बना ली.
इसी तरह सिद्दीपेट की कीर्णी मोनिका, जो एक सरकारी कर्मचारी थीं और कृषि विभाग में काम करती थीं. उन्होंने भी अपनी निजी ज़रूरतों के लिए इन एप्स में से एक से लोन ले लिया.
जब वे बक़ाया रक़म का भुगतान करने से चूक गईं, तो लोन एप वालों ने उनकी फ़ोटो को व्हाट्सएप पर उनके सभी कॉन्टैक्ट्स को भेज दिया और उसमें लिखा कि मोनिका ने उनसे एक लोन लिया है और अगर वे उन्हें कहीं दिखाई देती हैं, तो उनसे लोन का भुगतान करने के लिए कहें.
मोनिका के परिवार के अनुसार, वे इस बेइज़्ज़ती को सह नहीं पायीं और उन्होंने ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली.
उनके गुज़रने के बाद एप के कर्मचारियों ने उनके घर फ़ोन किया और जब उन्हें बताया गया कि मोनिका ने आत्महत्या कर ली है तो उन्होंने इस पर कोई ग़ौर नहीं किया.
एप के कर्मचारियों ने मोनिका और उनके परिवार को भद्दी-भद्दी गालियाँ दीं और लोन ना चुकाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया.
रामगुंडम में काम करने वाले संतोष ने भी इन्हीं एप्स की प्रताड़ना और अपमान से तंग आकर आत्महत्या कर ली.
एक वीडियो में उन्होंने अपनी इस व्यथा का ज़िक्र किया. उन्होंने कीड़े मारने की दवाई खाकर जान दे दी.
इससे पहले राजेंद्र नगर में एक और शख़्स ने इन्हीं लोन एप्स की कारगुज़ारियों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी.
इन लोन एप्स के ज़रिए भारी-भरकम ब्याज पर पैसा उधार लेने वालों से अगर क़र्ज़ चुकाने में ज़रा भी देरी हो जाती है तो उन्हें अक्सर धमकियों और भद्दी-भद्दी गालियों का सामना करना पड़ता है.
यह पूरी परिस्थिति इस तरह के क़र्ज़दारों के लिए एक प्रताड़ना बन गई है.
ये लोन कंपनियाँ बिना किसी अंडरराइटिंग के आकस्मिक परिस्थितियों में काम चलाने के लिए तुरत-फुरत पैसा देती हैं. बाद में ये उधार लेने वाले से मोटा पैसा वसूलती हैं.
ऊपर दिये गए मामले इन कंपनियों द्वारा अपनायी जा रही अनियंत्रित ग़लत गतिविधियों के चंद वाक़ये भर हैं.
आमतौर पर लोग बैंकों से या अपने परिचितों से पैसे उधार लेना पसंद करते हैं. मोबाइल फ़ोन आने के बाद कुछ लोगों ने इनके ज़रिए ब्याज पर पैसे उठाना शुरू कर दिया है.
अगर आप अपना ब्यौरा मोबाइल एप में डालते हैं तो वे आपको लोन देते हैं. इस क़र्ज़ को आपको बाद में वापस करना होता है. जब तक आप तय वक़्त पर पैसे चुकाते हैं, तब तक सब कुछ अच्छा रहता है. चीजें तब बिगड़ती हैं जब आप लोन की रक़म चुकाने में देरी करते हैं.
दूसरी बात, ये लोन लेना जितना आसान है इन्हें चुकाना उतना ही मुश्किल होता है. कई लोगों के लिए ये लोन एक मानसिक प्रताड़ना के दौर के रूप में सामने आते हैं.
सिर्फ़ ऊपर दिये गए मामले ही इन एप आधारित लोन के चलते मुसीबत में पड़ने वाले लोगों के उदाहरण नहीं हैं. ऐसे तमाम लोग हैं जिन्हें इन लोन्स के चलते गंभीर प्रताड़ना का सामना करना पड़ा है.
जो लोग थोड़े बहुत पढ़े लिखे हैं और फ़ोन का इस्तेमाल करना जानते हैं, वे कई दफ़ा अपनी ज़रूरतों के लिए इन एप्स से लोन ले लेते हैं, लेकिन जब इन्हें चुकाने में देरी होती है तो उन्हें भयंकर मुश्किलों और तनाव से जूझना पड़ता है.
आमतौर पर जब बैंक या किसी दूसरी वित्तीय संस्था से लोन लिया जाता है तो ब्याज दर एक से डेढ़ फ़ीसद प्रतिमाह होती है. लेकिन, इन एप आधारित क़र्ज़ों में ब्याज की कोई ऊपरी सीमा नहीं है. इनमें कोई काग़ज़ नहीं होता है.
इन क़र्ज़ों में ब्याज पर ब्याज चढ़ता है. दिनों के आधार पर ब्याज तय होता है. हफ्ते के आधार पर ब्याज तय किया जाता है.
लोन चुकाने में देरी होने पर मूलधन पर पेनाल्टी लगती है. साथ ही ब्याज पर भी पेनाल्टी वसूली जाती है.
आमतौर पर कहीं भी महीने के आधार पर ब्याज का आकलन नहीं किया जाता, लेकिन इन एप्स में यह आकलन दिन, हफ्ते और महीने के आधार पर किया जाता है.
प्रोसेसिंग फ़ीस
बैंक और दूसरे ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (एनबीएफ़सी) किसी को लोन देते हैं तो वो उसके लिए एक प्रोसेसिंग फ़ीस लेते हैं.
यह फ़ीस लोन की मात्रा पर आधारित होती है. यह प्रोसेसिंग फ़ीस आमतौर पर लोन की रक़म के एक फ़ीसद से भी कम होती है. इसका मतलब है कि अगर आप पाँच लाख रुपये का लोन लेते हैं, तो प्रोसेसिंग फ़ीस के तौर पर आपको 5,000 रुपये से भी कम देने होते हैं.
लेकिन, एप आधारित लोन ऐसे नहीं चलते. ये महज़ पाँच हज़ार रुपये के लोन के लिए चार हज़ार रुपये प्रोसेसिंग फ़ीस के लेते हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि लोग आख़िर ये लोन लेते क्यों हैं?
इसकी वजह ये है कि ये एप्स आपसे आपकी आमदनी का कोई प्रमाण नहीं माँगते. ये आपका सिबिल स्कोर नहीं देखते. जबकि कोई भी बैंकिंग संस्थान या एनबीएफ़सी आपका सिबिल स्कोर चेक किए बग़ैर आपको लोन नहीं देता.
सिबिल एक ऐसा स्कोर होता है जिससे आपकी किसी लोन को चुकाने की हैसियत का पता चलता है.
इससे यह भी पता चलता है कि आपने कहीं अपने पिछले लोन चुकाने में कोई देरी या डिफ़ॉल्ट तो नहीं किया.
इन्हीं के आधार पर आपका स्कोर तय किया जाता है और बैंक लोन देते वक़्त इस स्कोर का इस्तेमाल आपकी लोन चुकाने की क़ाबिलियत का अंदाज़ा लगाने में करते हैं. जितना ऊंचा सिबिल स्कोर होता है आपकी लोन चुकाने की संभावना उतनी ही मज़बूत होती है.
कुछ एप्स आमदनी के प्रमाण और सिबिल स्कोर को वेरिफ़ाई करते हैं और अपने दिये गए क़र्ज़ों को एक प्रक्रिया के तहत वसूलते हैं. लेकिन, ऐसे एप्स चुनिंदा ही हैं.
जबकि ऐसे एप्स की भारी तादाद है जो लोन देने के नाम पर लूट मचा रहे हैं. इस तरह के एप्स लोगों की पैसों की आकस्मिक ज़रूरतों और तुरत-फुरत लोन मिल जाने की सहूलियत का फ़ायदा उठा रहे हैं.
जीएसटी के नाम पर
आमतौर पर हम हर तरह की सर्विस के लिए सरकार को जीएसटी का भुगतान करते हैं. लेकिन, ये एप्स जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड नहीं हैं. ये एप्स उनसे क़र्ज़ लेने वालों से जीएसटी वसूलते हैं, लेकिन यह पैसा सरकार को नहीं चुकाया जाता है.
इसका मतलब यह है कि जीएसटी के दायरे में आये बग़ैर ये जीएसटी का पैसा भी अपने ग्राहकों से वसूलते हैं.
अगर जीएसटी लिया जाता है तो उस संस्थान का जीएसटी नंबर भी दिया जाना चाहिए. लेकिन, ये एप्स ऐसा कोई ख़ुलासा नहीं करते हैं.
फ़र्ज़ी क़ानूनी नोटिस
अगर रीपेमेंट में देरी होती है तो फ़र्ज़ी क़ानूनी नोटिस फ़ोन पर भेजे जाते हैं. इनमें लिखा होता है कि चूंकि आप अपने लिए गए लोन को चुकाने में डिफॉल्ट कर गए हैं ऐसे में हम आप आपके ख़िलाफ़ एक्शन ले रहे हैं या एक्शन लेने जा रहे हैं. इनमें कहा जाता कि आप कोर्ट में उपस्थित रहने के लिए तैयार रहें.
लेकिन, ये नोटिस फ़र्ज़ी होते हैं. ये एप्स इसी तरह के नोटिस क़र्ज़दार के रिश्तेदारों और दोस्तों को भी भेजते हैं. जिन लोगों को इस सब के बारे में जानकारी नहीं होती है वे इस नोटिस को देखकर डर जाते हैं.
इन एप्स से लोन लेने के बाद हमें इन्हें तय समयसीमा के भीतर चुकाना होता है. ऐसा नहीं होने पर लोन चुकाने की डेडलाइन के दिन सुबह सात बजे ही ये एप्स आपको लगातार फ़ोन कॉल्स करने लगते हैं. ये दर्जनों बार आपको फ़ोन करते हैं. और इनकी भाषा धमकाने वाली होती है.
अगर किसी भी वजह से आप डेडलाइन से एक दिन भी चूक गए तो बस आपकी मुसीबत शुरू हो जाती है.
एप्स के कर्मचारी इस तरह के आदेश से शुरुआत करते हैं, "भीख मांगो, लेकिन पैसे वापस करो."
यह इनकी पहले चरण की कार्रवाई होती है.
अगले चरण में ये आपके रिश्तेदारों को फ़ोन करना शुरू कर देते हैं. ये उन्हें कहते हैं कि आपने उनका रेफ़रेंस दिया है. ये आपके रिश्तेदारों से कहते हैं कि अब आपको यह लोन चुकाना होगा.
इसके साथ ही लोन लेने वाले और उसके रिश्तेदारों के बीच संबंध या तो ख़त्म हो जाते हैं या फिर ख़राब हो जाते हैं. ये एप्स आपके कई रिश्तेदारों को इस तरह से फ़ोन करते हैं.
अंतिम चरण में ये लोन लेते वक़्त आपकी दी गई तस्वीरों का इस्तेमाल करने लगते हैं. ये व्हॉट्सएप ग्रुप्स पर आपकी तस्वीरें डालने लगते हैं.
ये उधार लेने वाले के दोस्तों और रिश्तेदारों का एक ग्रुप बनाते हैं और उसमें उधार लेने वाले की फ़ोटो डालते हैं और उसका कैप्शन देते हैं, "फ़लां शख्स धोखेबाज़ है." या "ये शख्स पैसे चुकाने से बच रहा है."
यह प्रताड़ना यहीं ख़त्म नहीं होती है. इनमें कहा जाता है कि आप सब सौ-सौ रुपये इकट्ठे कीजिए और इनका लोन चुकाइए. ये सब बेहद बुरे अंदाज में कहा जाता है.
कविता कहती हैं, "हम ये नहीं कह रहे कि हम लोन नहीं चुकाएंगे. मैं एक छोटा कारोबार चलाती हूं. मुझे कोरोना के वक़्त पर पैसे उधार लेने पड़ गए. लेकिन, वे किसी भी बात को नहीं सुनना चाहते. यहां कि मैं ये भी कहूं कि मुझे बैंक जाने के लिए कम से कम एक घंटे का वक़्त दे दीजिए."
वे चीख़ने लगते हैं, "आप एक महिला नहीं हैं? आपके बच्चे नहीं हैं? ऐसा कोई नहीं है जो बैंक में पैसे जमा कर सके?"
कविता कहती हैं, "वे बेहद गंदी गालियां देने लगते हैं."
इन्हें नंबर कहां से मिलते हैं?
हर स्मार्टफ़ोन में अगर हम कोई नया एप इंस्टॉल करते हैं तो हमसे कुछ मंज़ूरियां मांगी जाती हैं. आमतौर पर एप इंस्टॉल करते वक़्त हम इन मंज़ूरियों का ब्योरा पढ़े बग़ैर ओके पर क्लिक कर देते हैं और सभी तरह की मंज़ूरियों के लिए हामी भर देते हैं.
इन मंज़ूरियों को देने का मतलब यह है कि एप आपकी सभी फ़ोटोज़ और कॉन्टैक्ट नंबरों तक पहुँच सकता है और उनका मनचाहा इस्तेमाल कर सकता है.
इन एप्स से लोन वाले एक बटन को दबाते हैं और इसके साथ ही एप को उनके सभी कॉन्टैक्ट नंबर निकालने की ताक़त मिल जाती है.
ओके बटन के दबने के साथ ही उधार लेने वाले के सभी कॉन्टैक्ट्स एप्स चलाने वालों के पास पहुँच जाते हैं.
उधार लेने वाले को यह पता भी नहीं चलता है कि लोन लेने पर उसके फ़ोन के सभी संपर्क एप्स वालों के हाथ चले जाएंगे.
कविता बताती हैं, "जब मेरे रिश्तेदारों को फ़ोन गए तो मैं हैरान रह गई. लेकिन, जब मैंने इस पर विचार किया तो मुझे पता चला कि एप को इंस्टॉल करते वक़्त उन्होंने ये सारे नंबर ले लिए थे. अब पूरे परिवार ने मुझसे दूरी बना ली है."
यहां तक कि अब पुलिस भी इस बात की जाँच कर रही है कि इन एप्स के पास लोगों को बांटने के लिए इतना पैसा कहां से आता है.
लेकिन, अभी तक पुलिस केवल ऐसे लोगों का पता कर पाई है जो कि कॉल सेंटरों से लोगों को फ़ोन करते हैं और धमकाते हैं. इस मामले में आगे की जाँच जारी है.
जब हम कोई क़र्ज़ लेते हैं तो हमें वह पैसा चुकाना पड़ता है. लेकिन, इस भुगतान का एक तरीक़ा होता है, इसमें सरकार के तय किए गए नियमों को मानना होता है. इस तरह के क़र्ज़ों में ब्याज की दरें तार्किक होनी चाहिए.
इन क़र्ज़ देने वालों को बताना होता है कि वे किस चीज़ के लिए कितना चार्ज ले रहे हैं. ये चार्ज एक दायरे में होने चाहिए.
इन संस्थानों को लोगों को पैसे चुकाने के लिए वक़्त देना चाहिए. लेकिन, ये संस्थान इस तरह के किसी रेगुलेशन को नहीं मानते हैं. यही असली समस्या है.
इन एप्स का एक दूसरा पहलू भी है. गुज़रे वक़्त में ऐसा हुआ है कि कुछ लोगों ने इन एप्स से पैसे उधार लिए और क्रेडिट कार्ड की ब्याज दर के मुताबिक़ पैसे लौटा दिए.
इन एप्स से पैसे उधार ले चुके एक शख्स ने बताया कि उन्होंने इतने बुरे तरीक़े से बर्ताव नहीं किया था.
सैकड़ों की संख्या में मौजूद क़र्ज़ देने वाली एजेंसियों में ऐसी चुनिंदा ही हैं जो कि रेगुलेशंस के मुताबिक़ चल रही हैं. एक पुलिस अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि बाक़ी की एजेंसियां लोगों को प्रताड़ित करती हैं और उनका मक़सद लोगों को लूटना होता है.
क़ानून क्या कहता है?
भारत में बैंकों को रेगुलेट करने वाले रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने भी इन एप्स के लिए कोई रेगुलेशंस नहीं बनाए हैं.
ऐसे में पुलिस पहले से मौजूद क़ानूनों के आधार पर इन एप्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की कोशिश कर रही है. इन क़ानूनों में बैंकिंग रेगुलेशंस, आईपीसी, आईटी क़ानून शामिल हैं.
तेलंगाना की साइबराबाद पुलिस इसकी जाँच कर रही है. अब तक वे दर्जनों लोगों की पूछताछ कर चुके हैं.
पुलिस ने आंध्र प्रदेश में भी मामले दर्ज किए हैं. आंध्र प्रदेश की पुलिस ने एक स्पेशल एनओसी भी जारी की है.
चीन की भूमिका
इस बारे में चीज़ें स्पष्ट होना अभी बाक़ी है कि इन एप्स में चीनी संस्थानों की क्या भूमिका है.
कुछ लोगों का कहना है कि लोग चीन में मौजूद सर्वर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोगों का यहां तक कहना है कि इन एप्स में पैसा भी चीनी वित्तीय संस्थान लगा रहे हैं.
पुलिस इसकी जाँच कर रही है. 25 दिसंबर को साइबराबाद पुलिस ने एक चीनी नागरिक समेत चार लोगों को लोन देने वाले एप्स के ख़िलाफ़ मामले में गिरफ़्तार किया है.
साइबराबाद पुलिस ने जानकारी दी है कि उन्होंने क्यूबवो टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के हेड को अरेस्ट किया है जो कि एक चीनी नागरिक है. इसके अलावा तीन अन्य लोगों को भी अरेस्ट किया गया है.
इस ऑर्गनाइजेशन को दिल्ली में हेड ऑफ़िस के तौर पर रजिस्टर्ड किया गया है और इसका नाम स्काईलाइन इनोवेशंस टेक्नोलॉजीज रखा गया था.
इस कंपनी में जिक्सिया झेंग, उमापति (अजय) डायरेक्टर के तौर पर काम कर रहे थे.
इस कंपनी ने 11 लोन एप्स डिवेलप किए हैं. यह कंपनी बड़े पैमाने पर पैसे वसूल रही है और इसके काम करने के तरीक़ों में धमकियां देना शामिल रहा है. मौजूदा वक़्त में कंपनी के प्रतिनिधि पुलिस कस्टडी में हैं.
आरबीआई का क्या कहता है?
रिज़र्व बैंक में रजिस्टर्ड बैंक्स और राज्यों के क़ानूनों के हिसाब से काम करने वाले ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (एनबीएफ़सी) ही केवल लोन दे सकते हैं.
इसी वजह से लोन देने वाले मोबाइल एप्स के बैकग्राउंड वेरिफिकेशन को किया जाना चाहिए.
आपको किसी भी अनधिकृत एप्स या अपरिचित लोगों को अपने आईडी दस्तावेज़ नहीं देने चाहिए.
आपको ऐसे एप्स के बारे में पुलिस या सैचेट.आरबीआई.ऑर्ग.इन पर शिकायत करनी चाहिए.
आरबीआई ने एक विज्ञापन जारी किया है जिसमें कहा गया है कि आरबीआई के यहां रजिस्टर्ड कोई संस्थान अगर ऑनलाइन लोन दे रहा है तो यह चीज़ पहले ही स्पष्ट रूप से बताई जानी चाहिए.
इसी तरह से आरबीआई के यहां रजिस्टर्ड वित्तीय संस्थानों के नाम आरबीआई की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होंगे.
जानकार क्या कहते हैं?
फिन टेक कंपनियों (फाइनेंस और टेक्नोलॉजी के मेल) को लेकर बड़े पैमाने पर चिंताएं पैदा हो रही हैं.
आरबीआई इनसे निबटने की तैयारी कर रहा है. महज़ इस वजह से कि आपको चुटकियों में क़र्ज़ मिल जाता है, इस तरह की कंपनियों से लोन लेना ठीक नहीं है.
अब हालात इतने ख़राब हो गए हैं कि न केवल कंपनियों ने बल्कि लोगों ने भी समूह बना लिए हैं और वे इस तरह के एप्स के ज़रिए लोन बांट रहे हैं.
क्लाउड फंडिंग लोनः इसका मतलब यह है कि अगर आपके पास एक हज़ार रुपये हैं तो आप भी लोन बांट सकते हैं.
जब क्रेडिट कार्ड कंपनियों की शुरुआत हुई थी तब भी ऐसी ही समस्याएं सामने आई थीं.
फाइनेंस एक्सपर्ट कुंडावारापू नागेंद्र साईं ने बीबीसी को बताया कि अगर कोई लोन बांट रहा है तो इसका यह मतलब क़त्तई नहीं है कि हम उससे लोन ले लें.
अगर किसी को पैसों की ज़रूरत पड़ती भी है तो उसे भरोसेमंद बैंक, सरकारी और निजी बैंकों और दूसरे आरबीआई से मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थानों के पास लोन के लिए जाना चाहिए. (bbc.com)
मनोज पाठक
पटना, 31 दिसंबर| हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव में बहुमत से कुछ ही दूर रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाला महागठबंधन इन दिनों सत्तारूढ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल घटक दलों के रिश्ते में पड़ी 'गांठ' के जरिए मौके की तलाश में है।
अरूणाचल प्रदेश में जदयू के सात विधायकों में छह के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद बिहार सरकार में शामिल जदयू, भाजपा के गठबंधन में गांठ उभर आई है। इसकी बानगी जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी दिखी थी।
इसके बाद तो जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के 'अरूणाचल प्रदेश की घटना से हमलोगों को तकलीफ तो जरूर हुई है' के बयान ने जदयू के नेताओं के उभरे दर्द को सार्वजनिक कर दिया। सिंह ने यहां तक कह दिया कि ऐसी घटनाओं का दिल और दिमाग पर तो असर पड़ता ही है।
अरूणाचल की घटना के बाद जदयू के उभरे इसी दर्द को राजद ने सियासी हथियार बनाया और मौके की तलाश में जुट गई। राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नाराण चौधरी ने तो नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने तक का 'ऑफर' दे दिया।
चौधरी ने कहा, "नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का पद छोड़ देना चाहिए और राजग से बाहर हो जाना चाहिए। उन्हें तेजस्वी यादव को नई सरकार बनाने में मदद करनी चाहिए। 2024 में राजद नीतीश को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उनका साथ देगा।"
इधर, राजद के नेता शिवानंद तिवारी ने तो अरूणाचल प्रदेश की घटना को चुनाव में जदयू के खिलाफ लोजपा के द्वारा उतारे गए प्रत्याशियों से जोड़ते हुए कहा कि भाजपा अब जदयू को समाप्त करने की तैयारी में है। उन्होंने भी नीतीश को राजग का साथ छोड़कर महागठबंधन में आने तक की सलाह दे दी।
बिहार के पूर्व मंत्री और राजद नेता श्याम रजक ने बुधवार को जदयू के 17 विधायकों के संपर्क में रहने का दावा कर बिहार की सियासत को और गर्म कर दिया। उन्होंने कहा कि जदयू के 43 विधायकों में से 17 उनके संपर्क में हैं, जो नीतीश कुमार की सरकार को गिराना चाहते हैं।
राजद के नेताओं द्वारा लगातार दिए जा रहे बयान के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सामने आना पडा। नीतीश कुमार ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि जो भी दावा किया जा रहा है, वह बेबुनियाद है। इन दावों में कोई दम नहीं है।
इधर, राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं राजग अस्थिर है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि यह सरकार किसी भी स्थिति में पांच वर्ष नहीं चलने वाली है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि राजद किसके साथ मिलकर सरकार बनाएगी, यह तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही तय करेगा।
इधर, बिहार भाजपा अरूणाचल प्रदेश की घटना के बाद 'डैमेज कंट्रोल' में जुट गई है। बिहार की उपमुख्यमंत्री रेणु देवी कहती हैं कि बिहार राजग के नीतीश कुमार अभिभावक है। उन्होंने कहा कि हमलोगों का घर पूरी तरह ठीक है।
बहरहाल, बिहार में इस ठंड में भी सियासत का पारा गर्म है। अब राजद के दावे में कितना दम है, इसका पता तो नए साल में ही चल पाएगा। लेकिन, वर्तमान समय में राजनीतिक दलों के बीच बढ़े हलचल से इतना तय है कि आने वाले साल में भी बिहार की सियासत में तपिश महसूस की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि इस साल नवंबर में संपन्न विधानसभा चुनाव में राजद जहां 75 सीट लेकर सबसे बडा दल के रूप में सामने आई है, जबकि उसकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस को 19 मिली थी। इसके अलावे राजग में भाजपा को 74, जदयू को 43 तथा हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी को चार-चार सीटें मिली थी। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 31 दिसंबर| भाजपा के केरल नेतृत्व ने गुरुवार को राज्य के एकमात्र विधायक के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव को समर्थन दिए जाने पर हैरानी जताई है। पार्टी ने हालांकि कहा है कि वह इस इस बारे में भाजपा विधायक ओ. राजगोपाल से बात करेंगे, लेकिन सूत्रों ने कहा कि राजगोपाल के इस कदम से पार्टी हैरान है। भाजपा के प्रदेश प्रमुख के. सुरेंद्रन ने मीडिया से कहा, "मैंने राजगोपाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं देखी है, न ही मुझे पता है कि उन्होंने क्या कहा है। मैं उनसे बात करूंगा और आपको बताऊंगा।"
भाजपा में कृषि कानूनों पर दो राय के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा, "आप क्या कह रहे हैं? केरल के भाजपा नेताओं के बीच कृषि कानूनों पर कोई दो राय नहीं है।"
भाजपा के राज्य महासचिव एम.टी. रमेश ने मीडिया को बताया, "राजगोपाल एक वरिष्ठ नेता हैं और मैंने नहीं सोचा था कि वे इस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे। उन्होंने पहले कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लाए जाने के राज्य सरकार के फैसले का विरोध किया था। उसके बाद पता नहीं क्या हुआ। मुझे पता करने दीजिए, फिर मैं आपको बताता हूं।"
हांलाकि दोनो वरिष्ठ नेताओं ने इस मुद्दे पर सधी प्रतिक्रिया दी, लेकिन पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि पार्टी 'पूरी तरह से आश्चर्यचकित है।'
एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "पार्टी सचमुच सदमे में है। हमें नहीं पता कि इस स्थिति में क्या करना है। भाजपा इस मामले में फैसला लेगी।"
राजगोपाल केंद्र की वाजपेयी सरकार में रेल, रक्षा और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री रह चुके हैं। वह केरल विधानसभा में प्रवेश करने वाले पहले भाजपा नेता हैं।
राजगोपाल ने इससे पहले वामपंथी उम्मीदवार श्रीरामकृष्णन का स्पीकर पद के लिए समर्थन करके एक विवाद खड़ा दिया था। उन्होंने तब कहा था कि उन्होंने अध्यक्ष का समर्थन किया था, क्योंकि उनके नाम में भगवान राम और भगवान श्रीकृष्ण हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 दिसंबर| आबकारी नीति बनाने के लिए गठित की गई दिल्ली सरकार की एक विशेषज्ञ समिति ने शराब की दुकानों को प्रत्येक वार्ड के हिसाब से बांटने की सिफारिश की है। इसके साथ ही समिति ने शराब खरीदने और पीने की आयु 21 वर्ष करने की सिफारिश की है। फिलहाल दिल्ली में शराब खरीदने और पीने की उम्र 25 वर्ष है। आबकारी नीति बनाने के लिए गठित की गई दिल्ली सरकार की इस विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार करके दिल्ली सरकार को सौंप दी है। हालांकि अभी इस विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को लागू नहीं किया गया है।
समिति के मुताबिक एनडीएमसी क्षेत्र में 24 व इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर शराब की छह दुकानों खोली जाएं। प्रत्येक दो वर्ष पर दुकानों का वितरण लॉटरी से किया जाएगा।
दिल्ली में हर साल एक अप्रैल तक आबकारी नीति जारी की जाती है। इस नीति को तैयार करने के लिए सरकार ने आबकारी आयुक्त की अध्यक्षता में सितंबर में एक कमेटी गठित की थी।
उप मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि विशेषज्ञ समिति अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने कहा, विशेषज्ञ समिति ने अपनी सिफारिशें जरूर दिल्ली सरकार को सौंप दी हैं। लेकिन दिल्ली सरकार अपनी नई आबकारी नीति जनता के सुझाव से तैयार करेगी। सरकार इस बारे में अंतिम फैसला कैबिनेट की बैठक में लेगी। आबकारी विभाग, विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट अपलोड कर जनता से सुझाव हासिल करेगा। सुझाव लेने के बाद विभाग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। जनता की राय के आधार पर ही वर्ष 2021 के लिए नई आबकारी नीति तय की जाएगी।
विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट दिल्ली के आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया को सौंपी है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रिपोर्ट को ऑनलाइन अपलोड कर उस पर जनता से सुझाव लेने को कहा है। इस पूरी प्रक्रिया में शराब कारोबार से जुड़े लोगों के भी सुझाव लिए जाएंगे।
समिति द्वारा तय की गई सिफारिशें के मुताबिक केवल गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अवसर पर यानी कुल तीन ड्राई डे होने चाहिए। वहीं डिपार्टमेंटल स्टोर को अपने 10 फीसदी हिस्से में बीयर, वाइन व हल्के नशे की बोतल बेचने की इजाजत दी जानी चाहिए।
वहीं शराब मूल्य प्रक्रिया को एक समान और सरल बनाने, टैक्स की चोरी रोकने, शराब की आपूर्ति सुनिश्चित करना और असली-नकली शराब जांचने के लिए दिल्ली सरकार एक ऐप तैयार कर रही है। दिल्ली सरकार के मुताबिक अगले वर्ष के शुरूआती महीनों में यह ऐप जनता को उपलब्ध हो सकेगा। गूगल प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड किया जा सकेगा। बोतल के लेबल पर लगे बारकोड ऐप में स्कैन करने पर पता चल जाएगा कि शराब असली है या नकली। शराब की बोतल पर लगा लेबल बता देगा कि इसके लिए आबकारी विभाग को टैक्स दिया गया है या नहीं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 दिसंबर | नई दिल्ली-कटरा वंदे भारत एक्सप्रेस 1 जनवरी से अपनी सेवाओं को फिर से शुरू करेगी। गौरतलब है कि कोविड महामारी के कारण सेवा कई महीनों से स्थगित थी। केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्विटर पर लिखा, "दिल्ली-कटरा वंदे भारत एक्सप्रेस जो तीर्थयात्रियों को वैष्णो देवी मंदिर ले जाती है, 1 जनवरी से अपनी सेवाओं को फिर से शुरू करेगी। भारत की आधुनिक ट्रेन में एक बार फिर से श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों का स्वागत करने के लिए तैयार है।"
नई दिल्ली-कटरा वंदे भारत एक्सप्रेस को पिछले साल 3 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हरी झंडी दिखाई थी। ट्रेन ने बीते साल 5 अक्टूबर से यात्रियों के लिए अपनी नियमित सेवाएं शुरू की थीं।
इस साल मार्च में कोविड महामारी के कारण वंदे भारत की सेवाएं रोक दी गई थीं।
अब तक, भारतीय रेलवे 1,768 में से 1,089 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन कर रही है। (आईएएनएस)
शिमला, 31 दिसंबर | हिमाचल प्रदेश में गुरुवार को धूप खिली रही। वहीं शिमला में मौसम विभाग ने 3 जनवरी तक राज्य में शुष्क मौसम जारी रहने की भविष्यवाणी की है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "4 जनवरी (सोमवार) को राज्य में बड़ी बर्फबारी और बारिश की संभावना है। तब तक धूप खिली रहेगी।"
शिमला में न्यूनतम तापमान 3 डिग्री सेल्सियस रहा, वहीं 28 दिसंबर को बर्फबारी हुई थी।
शिमला के विपरीत कुफरी और नारकंडा जैसे इसके आस-पास के गंतव्य अभी भी बर्फ की चादर से ढके हैं।
राज्य में सबसे अधिक ठंडा क्षेत्र लाहौल-स्पीति जिले में कीलोंग रहा जहां तापमान शून्य से 12.2 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा।
किन्नौर जिले के कल्पा में तापमान शून्य से 3.8 डिग्री सेल्सियस नीचे, जबकि मनाली में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.6 डिग्री नीचे, धर्मशाला में 2.4 डिग्री और डलहौजी में 2 डिग्री दर्ज किया गया।
मौसम विभाग के कार्यालय ने कहा कि रविवार से क्षेत्र में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने लगेगा। (आईएएनएस)
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दिल्ली में कोरोना महामारी के मद्देनजर आज रात 11 बजे से 1 जनवरी की सुबह 6 बजे तक और फिर 1 जनवरी की रात 11 बजे से 2 जनवरी की सुबह 6 बजे तक रात का कर्फ्यू रहेगा. मुंबई में भी इसी तरह का आदेश लागू किया गया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी का लिखा-
नए साल का जश्न मनाने के लिए बाजार, होटल, मॉल और अन्य जगहों पर जाने वाले दिल्ली वासियों को अब 11 बजे से पहले घर लौटना होगा. दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के मुताबिक यह कार्रवाई कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए की गई है.
ब्रिटेन में पाया गया कोरोना का नया स्ट्रेन दिल्ली को प्रभावित न कर सके, इसके मद्देनजर भी रात का यह कर्फ्यू लगाया गया है. हालांकि इस दौरान अंतरराज्यीय आवाजाही प्रभावित नहीं होगी. दूसरे राज्यों से गाड़ियां दिल्ली में आ जा सकेंगी.
इस फैसले को लेकर दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने बाकायदा एक आधिकारिक आदेश भी जारी किया है. अथॉरिटी ने अपने आदेश में कहा, "नए साल के जश्न को लेकर होने वाली भीड़ के कारण यह आदेश जारी किया गया है. भीड़ बढ़ने से कोरोना वायरस संक्रमण और अधिक फैलने का खतरा है." आदेश के मुताबिक सार्वजनिक जगहों पर 5 लोगों से ज्यादा भीड़ जमा नहीं हो सकती. दिल्ली में किसी भी सार्वजनिक स्थान पर नए साल के जश्न की इजाजत नहीं होगी.
अन्य राज्यों में सख्ती
आर्थिक राजधानी मुंबई में पुलिस लोगों से सोशल मीडिया के जरिए नए साल के जश्न को लेकर सावधानी बरतने की अपील कर रही है. मुंबई पुलिस लोगों से बाहर ना जाकर घर पर ही रहने को कह रही है. मुंबई में भी दिल्ली की तरह रात का कर्फ्यू लगाया है. महाराष्ट्र सरकार ने एक दिन पहले ही लॉकडाउन को 31 जनवरी 2021 तक बढ़ा दिया था. राज्य सरकार ने लोगों से सादगी के साथ नए साल के स्वागत की अपील की है. साथ ही मुंबई पुलिस ने कहा है कि वह निगरानी के लिए ड्रोन इस्तेमाल करेगी.
उधर, बेंगलुरू पुलिस कमिश्नर ने बताया है कि गुरुवार दोपहर से ही भीड़ को जमा होने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा आदेश जारी किया गया है. कर्नाटक में भी रात का कर्फ्यू लगाया गया है और वहां सड़क पर नए साल के जश्न को लेकर इकट्ठा होने की इजाजत नहीं है. कर्नाटक सरकार के आदेश के मुताबिक पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने की इजाजत नहीं है.
देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय गोवा में भी घरेलू पर्यटक पहुंच रहे हैं लेकिन राज्य सरकार ने कोविड-19 प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया है.
चेन्नई में भी भीड़ पर पाबंदी लगाई गई है, खासकर समंदर के किनारे और सड़कों पर लोगों के जमा होने पर रोक है. चेन्नई में होटल और बार को आज रात 10 बजे तक बंद करने देने का आदेश है. पश्चिम बंगाल में भी राज्य सरकार ने लोगों से सादगी के साथ नए साल के स्वागत की अपील की है. राज्य सरकार ने कहा है कि "कर्फ्यू जैसे कदम की जरूरत नहीं है लेकिन नए साल के जश्न के पर सतर्कता बरतने की जरूरत है."
चंडीगढ़ में रात का कर्फ्यू नहीं लगेगा और रेस्तरां और होटलों को तय समय के मुताबिक बंद कर दिया जाएगा जबकि पंजाब में रात का कर्फ्यू 31 दिसंबर की रात को रहेगा और वह 1 जनवरी 2021 की सुबह हटा लिया जाएगा. सोमवार को ही केंद्र सरकार ने राज्यों से कोरोना संक्रमण को देखते हुए नए साल के जश्न के दौरान खास एहतियात बरतने और दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन कराने को कहा था.
दिल्ली में घट रहे हैं मामले
दिल्ली में कोरोना के मामलों में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिल रही है. दिल्ली में बीते दिन कोरोना वायरस के 677 नए मामले सामने आए हैं. अभी तक दिल्ली में 6,24,795 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. इनमें से 6 लाख 8 हजार से अधिक स्वस्थ भी हो चुके हैं जबकि 10,523 की मौत हो चुकी है. दिल्ली में अभी भी 5,838 एक्टिव कोरोना मरीज हैं.
दिल्ली सरकार के मुताबिक लोगों को वैक्सीन देने के लिए इंतजाम किया जा रहा है. तीन तरह के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन दी जाएगी. इनमें सबसे पहले हैं स्वास्थ्यकर्मी, अंग्रिम पंक्ति के कर्मचारी और उसके बाद ऐसे लोग हैं जिनकी उम्र 50 साल से ऊपर है या उन्हें डायबिटीज जैसी बीमारी है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना वैक्सीन और उसके रखने के बारे में कहा है कि दिल्ली सरकार के पास 74 लाख खुराक रखने की क्षमता है. उनके मुताबिक दिल्ली में ऐसे लगभग 51 लाख लोग है जिनको प्राथमिकता से वैक्सीन दी जाएगी. इसके लिए 1 करोड़ 2 लाख खुराक की जरूरत होगी.
गुरुग्राम, 31 दिसंबर| भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत के खिलाफ, हरियाणा के पलवल में 25 दिसंबर को एक भाषण के दौरान कथित विवादास्पद टिप्पणी को लेकर गुरुग्राम के शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई है। टिकैत पर आरोप है कि उन्होंने ब्राह्मणों के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा कि वे किसान प्रदर्शन का समर्थन नहीं कर रहे हैं।
यह शिकायत बुधवार की शाम एक वकील ने दर्ज करवाई।
शिकायतकर्ता के अनुसार, टिकैत ने जानबूझकर हिंदू मंदिरों और ब्राह्मणों पर अपमानजनक टिप्पणी की।
शिकायतकर्ता ने कहा, उन्होंने विशेष रूप से कहा कि ब्राह्मण समुदाय समाज के लिए कुछ नहीं कर रहा है, यहां तक कि 'भंडारे' की व्यवस्था भी नहीं की। उन्होंने ब्राह्मण समुदाय का मजाक उड़ाया।
हरियाणा के पलवल में आंदोलनकारी किसानों को संबोधित करते हुए बीकेयू नेता का कथित वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर सामने आया। टिकैत ने कथित तौर पर वीडियो में पुजारियों के खिलाफ भी टिप्पणी की।
विवाद के तुरंत बाद, टिकैत ने कई ट्वीट्स किए जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की है लेकिन कुछ लोग जानबूझकर विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह ब्राह्मणों से आग्रह कर रहे थे कि वे आगे आएं और किसानों के आंदोलन का समर्थन करें।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, मामले की पहले जांच की जाएगी। जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। (आईएएनएस)
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गोपालगंज (बिहार), 31 दिसंबर | बिहार के गोपालगंज जिले के कुचायकोट थाना क्षेत्र में बुधवार की देर रात दो गुटों में हुए विवाद में पिता और पुत्र की धारदार हथियार से वार कर हत्या कर दी गई। इस घटना में एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि फुलवरिया गांव निवासी रामइकबाल तिवारी अपने पुत्र मुकेश तिवारी अपने घर के बाहर खड़े थे। आरोप है कि इसी दौरान गांव के ही कुछ लोग शराब के नशे में धुत होकर वहां पहुंचे ओर गाली गलौच करने लगे। इस दौरान मना करने पर उन लोगों ने रामइकबाल और मुकेश पर धारदार हथियार से वार कर दिया, जिससे दोनों की घटनास्थल पर ही मौत हेा गई।
बीच-बचाव करने आए परिवार का एक अन्य सदस्य भी गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भेजा गया है।
कुचायकोट के थाना प्रभारी पप्पू कुमार ने बताया कि पड़ोस के ही कुछ लोगों से तिवारी के परिवार का विवाद चल रहा था। उन्होंने बताया कि इस मामले में पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है तथा पूरे मामले की छानबीन की जा रही हैं। इस घटना के बाद गांव में तनाव बना हुआ है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली/कोलकाता, 31 दिसंबर| पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के युवा विंग के नेता विनय मिश्रा के खिलाफ गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक पशु तस्करी मामले में उसके कोलकाता के दो ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया। सूत्रों से ये जानकारी मिली है। मिश्रा के खिलाफ एजेंसी ने लुक आउट सकरुलर (एलओसी) जारी किया है। सूत्रों ने कहा कि टीएमसी यूथ कांग्रेस का महासचिव गायब है।
जांच एजेंसी पिछले कई हफ्तों से पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर सीमा पार से पशु तस्करी और अवैध कोयला खनन मामलों के संबंध में जांच कर रही है। इसी के बाद ये कार्रवाई हुई है। (आईएएनएस)
लखनऊ , 31 दिसंबर | समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भदोही में कारपेट एक्सपो मार्ट का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लोकार्पण को लेकर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि 'भदोही कार्पेट एक्सपो-मार्ट' का तीसरी बार होने वाला लोकार्पण। सरकार बताए बाबतपुर-भदोही मार्ग व बाकी अधूरे काम कब पूरे होंगे। अखिलेश यादव ने गुरूवार को मार्ट की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए ट्विटर के माध्यम से लिखा कि, भाजपा सरकार सपा के कामों का दुबारा उद्घाटन-लोकार्पण करते-करते अब तीन बार भी करने लगी है, जैसे 'भदोही कार्पेट एक्सपो-मार्ट' का तीसरी बार होने वाला लोकार्पण। सरकार बताए बाबतपुर-भदोही मार्ग व बाकी अधूरे काम कब पूरे होंगे। भाजपा दिखावटी इवेंट मैनेजमेंट में जनता का पैसा न बर्बाद करे।
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को 7़5 एकड़ क्षेत्र में 180 करोड़ रूपये से बने भदोही कालीन एक्सपो मार्ट का शुभारंभ करेंगे। इस बाजार से देश विदेश के खरीददार तथा स्थानीय कालीन निर्माताओं को एक ही छत के नीचे व्यापर के अवसर मिलेंगे। कालीन एक्सपो मार्ट बिल्कुल हाईटेक सुविधाओं से लैस है। इसमें 94 दुकानें हैं। ग्राउंड लोर पर 30, प्रथम तल पर 31 और दूसरे तल पर 33 दुकाने हैं। मार्ट की छत पर कैंटीन व कैफेटेरिया बनाया गया है। तीन मंजिला कारपेट मार्ट के जरिए योगी सरकार यूपी के कारपेट उद्योग को देश और दुनिया में नई ऊंचाई देने जा रही है।
यूपी के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निवेश निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सिद्घार्थ नाथ सिंह ने बताया कि यह अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा। भदोही के कालीन उद्योग की अहम भूमिका है लेकिन इस पर पिछली सरकारों ने ध्यान नहीं दिया। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 31 दिसंबर| केरल विधानसभा में गुरुवार को मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया, जिसका भाजपा के एकमात्र विधायक ओ. राजगोपाल ने समर्थन किया है। अध्यक्ष पी. श्रीरामकृष्णन ने कहा कि विधानसभा के विशेष सत्र में ध्वनिमत से प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया।
हालांकि, राजगोपाल का समर्थन मिलने के बाद विवाद बढ़ गया। उन्होंने अपने भाषण में, कानूनों में संशोधन करने की बात कही।
राजगोपाल ने बाद में मीडिया को बताया, "मैंने प्रस्ताव का समर्थन किया है, लेकिन इसमें कुछ हिस्सों का विरोध भी किया है। मैंने विधानसभा में आम सहमति का पालन किया है और ऐसा मैंने लोकतांत्रिक भावना के तहत किया है।"
उन्होंने कहा, "लेकिन मुझे इन कानूनों की व्याख्या पर कुछ आपत्ति है।"
कानूनों पर उनकी पार्टी के रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में, आम सहमति का पालन करना पड़ता है। उनका समर्थन विधानसभा की भावना के अनुरूप है।"
वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के आंदोलन को जारी रहने से दक्षिणी राज्य में संकट पैदा होगा और दावा किया कि केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी से पीछे हट रही है।
उन्होंने कहा कि केंद्र को देश के हित में नए कृषि कानूनों को निरस्त करना चाहिए।
उन्होंने कहा, "नए कृषि कानूनों को विशेष रूप से प्रमुख कॉरपोरेट्स को लाभान्वित करने के लिए तैयार किया गया है। इससे भारत में खाद्य क्षेत्र में एक अभूतपूर्व संकट पैदा होगा।"
उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों ने देश भर के किसानों में भारी चिंता पैदा की है।
विधानसभा में कांग्रेस के उपनेता के.सी. जोसेफ ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन एलडीएफ सरकार की आलोचना की।
कांग्रेस नेता ने प्रस्ताव में प्रधानमंत्री का नाम शामिल करने पर भी जोर दिया, जो राज्य सरकार ने नहीं किया।
जोसेफ ने आरोप लगाया कि विजयन सरकार 'प्रधानमंत्री पर निशाना साधने के इच्छुक नहीं दिखी'। उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा कि विजयन सरकार, केंद्र और नरेंद्र मोदी से क्यों डरती है। (आईएएनएस)
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 31 दिसंबर | नए साल में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार समाज के सबसे वंचित वर्ग को एक बड़ी सौगात देने की तैयारी में है। यह सौगात होगी किसी व्यक्ति की मूलभूत जरूरतों में से रोटी, कपड़ा और मकान में से मकान की। सरकार की योजना इस वर्ग को एक साथ 7.5 लाख पीएम (प्रधानमंत्री) आवास योजना देने की है। इस बाबत होने वाले वर्चुअल कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रह सकते हैं।
मालूम हो कि प्रधानमंत्री आवास देने के मामले में यूपी नंबर एक पर है। अब तक पूरे देश में इस योजना के तहत उपलब्ध कराए गये करीब दो करोड़ आवासों के लाभार्थी परिवारों में से 30 लाख परिवार उप्र के ही हैं। मुख्यमंत्री योगी का मानना है कि एक अदद अपना घर हर व्यक्ति का मूल अधिकार है। हर पात्र को इसे उपलब्ध कराना किसी सरकार के फर्ज के साथ पुण्य का भी काम है। अपनी इसी सोच के क्रम में पीएम आवास योजना से छूटे हुए पात्रों के लिए दो साल पहले मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) शुरू की थी। इस योजना के तहत अब तक 50,740 आवास आवंटित किए जा चुके हैं। 21,562 मुख्यमंत्री आवासों के निर्माण के लिए पहली किश्त के रूप में 87 करोड़ रुपए का हस्तांतरण लाभार्थियों के खाते में किया जा चुका है। इन आवासों के बनने के बाद इनकी संख्या 72,302 हो जाएगी।
पीएम और सीएम आवासों के आवंटन का नतीजा यह रहा कि योगी के सीएम बनने के पहले गोरखपुर, महराजगंज और अन्य कुछ जिलों के घने जंगलों में रहने वाले जो वनटांगिया आजाद भारत के नागरिक तक नहीं थे, आज उन सबके पास इन योजनाओं के तहत न केवल अपना घर है, बल्कि सरकार की जनहित की सभी योजनाओं (राशन कार्ड, रसोई गैस, बिजली, आयुष्मान भारत आदि) से भी संतृप्त किए जा चुके हैं। सरकार चाहती है कि इसी तरह हर मुसहर परिवार, कुष्ठ रोगी, इंसेफेलाइटिस, कालाजार और दैवीय आपदा से प्रभावित क्षेत्रों के हर पात्र को पीएम या सीएम आवास मिले। साथ ही उनको जनहित की सभी योजनाओं से भी संतृप्त किया जाए।
पात्रता के बावजूद पीएम आवास योजना से वंचित परिवारों को एक अदद पक्का घर मुहैया कराने के लिए फरवरी, 2018 में यह योजना शुरू की गई थी। योजना के तहत नक्सल प्रभावित सोनभद्र, चन्दौली और मिर्जापुर में प्रति आवास 1.30 लाख एवं बाकी जिलों में 1.20 लाख लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर की जाती है। इसके अलावा शौचालय निर्माण के लिए 12,000 स्वच्छ भारत मिशन-मनरेगा से दी जाती है।
मनरेगा से ही प्रति आवास लाभार्थी को 90 से 95 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अन्तर्गत लाभार्थी द्वारा स्वयं 25 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में आवास निर्माण कराना होता है। लाभार्थी के खाते में तीन किश्तों में क्रमश: 40 हजार, 70 हजार और 10 हजार रुपए भेजी जाती है।
वर्ष 2018-19 में 16,700 एवं वर्ष 2019-20 में 34,040 (कुल 50,740) पात्र आवास-परिवारों को इस योजना से संतृप्त किया जा चुका है। सरकार ने इस योजना में अब तक 630.60 करोड़ खर्च किए हैं। योजना के तहत अब तक मुसहर वर्ग को 28,295, वनटांगियां वर्ग को 4,602, कालाजार से प्रभावित परिवारों को 155, जापानी इंसेफेलाइटिस से प्रभावित परिवारों को 266, ए.ई.एस. से प्रभावित परिवारों को 272, प्राकृतिक आपदा से प्रभावित 15,035 परिवारों और कुष्ठ रोग से प्रभावित 2,115 परिवारों को आवास आवंटित किए जा चुके हैं। इसके अलावा सामान्य श्रेणी के 16 981, अनुसूचित जाति के 33,500 एवं अनुसूचित जनजाति के परिवारों 259 आवास आवंटित किए जा चुके हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 दिसंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को साल के आखिरी दिन संबोधन के दौरान देश को कोरोना वैक्सीन की तैयारियों के बारे में आश्वस्त किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 इलाज की आशा को लेकर आ रहा है और कोरोना वैक्सीन की तैयारियां तेज गति से चल रहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के राजकोट में वर्चुअल माध्यम से एम्स का शिलान्यास करते हुए कहा, साल 2020 में संक्रमण की निराशा थी, चिंताएं थी, चारों तरफ सवालिया निशान थे। लेकिन 2021 इलाज की आशा लेकर आ रहा है। वैक्सीन को लेकर भारत में हर जरूरी तैयारियां चल रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुश्किल भरे इस साल ने दिखाया है कि भारत जब एकजुट होता है तो मुश्किल से मुश्किल संकट का सामना वो कितने प्रभावी तरीके से कर सकता है। राजकोट में एम्स के शिलान्यास से पूरे देश के मेडिकल एजुकेशन को बल मिलेगा। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उठाए गए कदमों का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत ने एकजुटता के साथ समय पर प्रभावी कदम उठाए, उसी का परिणाम है कि आज हम बहुत बेहतर स्थिति में हैं। जिस देश में 130 करोड़ से ज्यादा लोग हों, घनी आबादी हो। वहां करीब 1 करोड़ लोग इस बीमारी से लड़कर जीत चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बीते दो दशकों में गुजरात में जिस प्रकार का मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्च र तैयार हुआ है, वो बड़ी वजह है कि गुजरात कोरोना की चुनौती से बेहतर तरीके से निपट पा रहा है। एम्स राजकोट, गुजरात के हेल्थ नेटवर्क को और भी सशक्त करेगा, मजबूत करेगा।(आईएएनएस)
बदायूं (उप्र), 31 दिसंबर | उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में दलित समुदाय से जुड़े लोगों के बाल काटने से मना करने पर एक नाई के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। यह मामला तब सामने आया जब एक वीडियो क्लिप वायरल हुई जिसमें नाई ने एक दलित युवक को उसकी जाति के लिए दुकान से चले जाने को कहा।
बदायूं के करियामई गांव में नाई को यह कहते हुए सुना गया कि वह अपनी दुकान बंद करना पसंद करेगा, न कि दलित जाति के युवाओं के बाल काटना।
बिल्सी सर्कल अधिकारी (सीओ) अनिरुद्ध सिंह ने कहा, स्थानीय लोगों से बात करने के बाद, हमें पता चला कि नाई दलित समुदाय से संबंधित ग्राहकों को चले जाने को कहता था। यह स्वीकार्य नहीं है।
नाई अब फरार हो गया है।
इस घटना का वीडियो बनाने वाले बबलू ने कहा कि जब उसने सुना कि नाई दलितों का अपमान करता है तो उसने सबूत के लिए उसका वीडियो बना लिया।
नाई पिछले 15 वर्षों से अपनी दुकान चला रहा है और बबलू के अनुसार, किसी भी दलित ग्राहक का बाल काटने से हमेशा इनकार करता है।
सर्कल अधिकारी ने कहा कि वीडियो क्लिप एक महत्वपूर्ण सबूत है और इसे फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। (आईएएनएस)
फतेहपुर (उत्तर प्रदेश), 31 दिसंबर| उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के एक गांव में एक दलित व्यक्ति ने कथित तौर पर इसलिए फांसी लगा ली क्योंकि आम के पेड़ से पत्तियां तोड़ने के कारण कुछ लोगों ने उसके साथ मारपीट की थी। खबरों के मुताबिक 26 साल के धर्मपाल दिवाकर कथित रूप से इस घटना से बहुत निराश था, जिसके कारण बुधवार को आस्टा गांव में अपने घर में फांसी लगा ली।
पुलिस को बताया गया था कि दिवाकर को उस समय पीटा गया जब वह अपनी बकरियों के लिए आम के पेड़ से पत्तियां तोड़ने गया था। इसके बाद दिवाकर ने खुद को कमरे में बंद कर लिया और फिर उससे बाहर नहीं निकला।
मलवान के एसएचओ शेर सिंह राजपूत ने कहा कि उनका शरीर कमरे में लटका हुआ मिला। मृतक के परिवार की शिकायत के आधार पर 3 लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है। (आईएएनएस)