सामान्य ज्ञान
1. सिलिका एवं एल्युमीनियम की अधिकता कहां मिलती है?
(अ) स्थल मंडल (ब) मिश्रित मंडल (स) बैरीस्फीयर मंडल (द) इन में से कोई नहीं
2. पृथ्वी की सतह के बिल्कुल नीचे वह स्थान क्या है, जहां से भूचाल का जन्म होता है, वह कहलाता है?
(अ) ऐपी सेंटर (ब)जेनी सेंटर (स) सीस्मिक सेंटर (द) फोकस
3. चक्रवात एक प्रकार की वायु भंवर है, जिसके केंद्र में पाया जाता है?
(अ) निम्न वायुदाब (ब) उच्च वायुदाब (स) समान वायु दाब (द)इनमें से कोई नहीं
4. चीन में सर्वाधिक टाइफून किन महीनों में आते हैं?
(अ) जनवरी से मार्च (ब) मार्च से जून (स) जुलाई से नवंबर (द) नवंबर से जनवरी
5. निम्न में से कौन सा एकमात्र गवर्नर जनरल या वायसराय भारत में मारा गया?
(अ) लॉर्ड मिण्टो प्रथम (ब) लॉर्ड माउण्टबेटन (स) लॉर्ड मेयो (द) लॉर्ड कार्नवालिस
6. निम्न में से किसने नाना साहब की उपाधि धारण की थी?
(अ) बालाजी बाजीराव (ब) बाजीराव प्रथम (स) बाजीराव द्वितीय (द) माधवराव
7. भारत में जब रेलमार्ग पहली बार प्रचलित हुए, उनका प्रमुख उद्देश्य था?
(अ) वाणिज्य एवं व्यापार को सुविधा प्रदान करना (ब) कृषि वाले खेतों को बाजार से जोडऩा (स) सैनिक संचार को अधिक अच्छा ओर अधिक गतिमान बनाना (द) सस्ता यात्री परिवहन प्रदान करना
8. पुरोहित वर्ग के प्रभाव से सर्वथा मुक्त रहने वाला दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान कौन था?
(अ) इल्तुतमिश (ब) फिरोजशाह तुगलक (स) अलाउद्दीन खिलजी (द) केकूबाद
9. महासागरों में सबसे बड़ा महासागर कौन सा है, जो पृथ्वी के एक - तिहाई हिस्से में फैला हुआ है ?
(अ) प्रशांत महासागर (ब)हिन्द महासागर (स)आर्कटिक महासागर (द) अटलांटिक महासागर
10. लक्षद्वीप में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा निम्न में कौन सी है?
(अ) उर्दू (ब) तमिल (स) मलयालम (द) हिंदी
11. निम्नलिखित में से कौन सा शिपयार्ड भारतीय नौसेना के लिए युद्घपोत बनाता है?
(अ) कोचीन शिपयार्ड, कोचीन (ब) हिन्दुस्तान शिपयार्ड, विशाखापत्तनम (स) मझगांव गोदी, मुंबई (द) गार्डन रीच वर्कशॉप, कोलकाता
12. अग्नि मंदिर निम्न में से किस समुदाय का पूजा स्थल है?
(अ) ईसाई (ब) यहूदी (स) पारसी (द) बौद्घ
13. महाबलीपुरम का प्रसिद्घ मंदिर किस प्रदेश में स्थित है?
(अ)मध्यप्रदेश में (ब) राजस्थान में (स) महाराष्टï्र में (द) तमिलनाडु में
14. महात्मा गांधी सेतु कहां स्थित है?
(अ) बिहार में (ब) उत्तरप्रदेश में (स) मध्यप्रदेश में (द) आंध्रप्रदेश में
15. निम्नलिखित में से कौन पक्षियों का महाद्वीप के नाम से जाना जाता है?
(अ) यूरोप (ब) ऑस्टे्रलिया (स) दक्षिणी अमेरिका (द) एशिया
16. तार सडक़ कब आसानी से टूट जाते हैं?
(अ) ग्रीष्म (ब) शीत (स)बारिश के मौसम में (द) व्यस्त ट्रैफिक के समय
17. किस देश में सर्वाधिक अम्लीय वर्षा होती है?
(अ) चीन में (ब) जापान में (स) नार्वे में (द) संयुक्त राज्य अमेरिका में
18. चीन में लाल क्रांति किस वर्ष हुई थी?
(अ) वर्ष 1917 (ब) वर्ष 1949 (स) वर्ष 1959 (द) वर्ष 1962
19. चकमा निम्न में से किस देश के शरणार्थी थे?
(अ) पाकिस्तान (ब) श्रीलंका (स) बांग्लादेश (द) भूटान
20. भारत में गर्वनर जनरल का कार्यकाल कब समाप्त हुआ?
(अ) 26 जनवरी 1950 (ब) 15 अगस्त 1947 (स) 20 जनवरी 1951 (द) 20 फरवरी 1948
21. पौराणिक आख्यानों के अनुसार किस देवता को शाप के कारण पीपल का वृक्ष बनना पड़ा था ?
(अ) श्रीकृष्ण (ब) विष्णु (स) ब्रह्मïा (द) इंद्र
22. उत्तराखंड में हिमालय क्षेत्र में नंदादेवी नामक शिखर दुनिया में कौन से नंबर का शिखर है?
(अ) पहले (ब) दूसरे (स) तीसरे (द)चौथे
23. किस सल्तनकालीन सुल्तान ने सर्वप्रथम नहर निर्माण की दिशा में प्रयास किया?
(अ) अलाउद्दीन खिलजी (ब) ग्यासुद्दीन तुगलक (स) फिरोजशाह तुगलक (द) उपरोक्त में से कोई नहीं
24. सल्तनतकालीन किस वंश के शासकों ने भूमि की नाप इकाई के लिए सिंकदरी गज का प्रयोग किया?
(अ) खिलजी वंश (ब) तुगलक वंश (स) सैयद वंश (द) लोदी वंश
25. भारत में सर्वप्रथम चर्खे के प्रयोग का प्रमाण निम्नलिखित में से किस समय मिलता है?
(अ) ग्यारहवीं सदी (ब) बारहवीं सदी (स) तेरहवीं सदी (द) चौदहवीं सदी
26. पोस्ट आफिस द्वारा प्रयोग किए जाने वाले पिन कोड में प्रथम अंक सांकेतिक है?
(अ)निश्चित वितरक डाक घर का (ब) निश्चित क्षेत्र का (स)निश्चित उप क्षेत्र का (द) इनमें से कोई नहीं
27. सर्वाधिक जैव विविधता कहां पाई जाती है?
(अ) कश्मीर घाटी में (ब) शांत घाटी में (स) सुरमा घाटी में (द) फूलों की घाटी में
28. एलर बार्डर का संबंध निम्नलिखित में से कौन से खेल से है?
(अ) क्रिकेट (ब) फुटबॉल (स) शतरंज (द) बैडमिंटन
29. परिवार नियोजन कार्यक्रम कब शुरु हुआ?
(अ) सन् 1952 में (ब) सन् 1960 में (स) सन् 1965 में (द) सन् 1970 में
सही जवाब- 1.(अ) स्थल मंडल, 2.(द) फोकस, 3.(अ) निम्न वायुदाब, 4.(स) जुलाई से नवंबर, 5.(स) लॉर्ड मेयो, 6.(अ) बालाजी बाजीराव, 7.(अ) वाणिज्य एवं व्यापार को सुविधा प्रदान करना, 8.(स) अलाउद्दीन खिलजी, 9.(अ)प्रशांत महासागर, 10.(स)मलयालम, 11.(स)मझगांव गोदी, मुंबई, 12.(स)पारसी, 13.(द) तमिलनाडु में, 14.(अ) बिहार, 15.(स) दक्षिणी अमेरिका, 16.(स) बारिश के मौसम में, 17.(स)नार्वे में, 18.(ब) वर्ष 1949, 19.(स)बांग्लादेश, 20. (अ) 26 जनवरी 1950, 21.(ब)विष्णु, 22.(ब) दूसरे, 23.(द) उपरोक्त में से कोई नहीं, 24.(द)लोदी वंश, 25.(द) चौदहवीं सदी, 26.(ब) निश्चित क्षेत्र का, 27.(ब)शांत घाटी में, 28.(अ) क्रिकेट, 29. (अ) सन् 1952 में।
बबूना एक प्रकार की छोटी चिडिय़ा है, जिसका ऊपरी बदन हरापन लिये सुनहला पीला और दुम गहरी भूरी होती है। इसकी आंखों के चारों ओर एक सफेद छल्ला सा रहता है। भारत में यह चिडिय़ा बहुतायक में पाई जाती है। हिन्दी में इस चिडिय़ा को बबूना कहते हैं। वहीं तमिल में वेल्लई केन्नई या कन्नाडी कुरुवी। फरवरी अंत में या अप्रैल की शुरुआत में बबूना दिल्ली में आमतौर पर घरों के आसपास देखी जाती है ।
भगवान गौतम बुद्ध के जीवनकाल में, ईसा पूर्व 7 वीं और शुरूआती 6 वीं शताब्दि के दौरान सोलह बड़ी शक्तियां (महाजनपद) विद्यमान थे। अति महत्वपूर्ण गणराज्यों में कपिलवस्तु के शाक्य और वैशाली के लिच्छवी गणराज्य थे। गणराज्यों के अलावा राजतंत्रीय राज्य भी थे, जिनमें से कौशाम्बी (वत्स), मगध, कोशल, और अवन्ति महत्वपूर्ण थे। इन राज्यों का शासन ऐसे शक्तिशाली व्यक्तियों के पास था, जिन्होंने राज्य विस्तार और पड़ोसी राज्यों को अपने में मिलाने की नीति अपना रखी थी। तथापि गणराज्यात्मक राज्यों के तब भी स्पष्ट संकेत थे जब राजाओं के अधीन राज्यों का विस्तार हो रहा था।
बुद्ध का जन्म ईसा पूर्व 560 में हुआ और उनका देहांत ईसा पूर्व 480 में 80 वर्ष की आयु में हुआ। उनका जन्म स्थान नेपाल में हिमालय पर्वत श्रंखला के पलपा गिरि की तलहटी में बसे कपिलवस्तु नगर का लुम्बिनी नामक निकुंज था। बुद्ध, जिनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ गौतम था, ने बुद्ध धर्म की स्थापना की जो पूर्वी एशिया के अधिकांश हिस्सों में एक महान संस्कृति के रूप में विकसित हुआ।
भारत में परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्वक ढंग से उपयोग में लाने हेतु नीतियों को बनाने के लिए 1948 ई. में परमाणु ऊर्जा कमीशन की स्थापना की गई। इन नीतियों को निष्पादित करने के लिए 1954 ई. में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना की गई।
परमाणु ऊर्जा विभाग के परिवार में पाच अनुसंधान केंद्र हैं- भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र - मुंबई,, इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र - कलपक्कम, तमिलनाडु, उन्नत तकनीकी केंद्र- इंदौर, वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन केंद्र - कोलकाता, परमाणु पदार्थ अन्वेषण और अनुसंधान निदेशालय - हैदराबाद।
परमाणु ऊर्जा विभाग सात राष्ट्रीय स्वायत्त संस्थानों को भी आर्थिक सहायता देता है, वे हैं- टाटा फंडामेंटल अनुसंधान संस्थान -मुम्बई, टाटा स्मारक केंद्र-मुंबई, साहा नाभिकीय भौतिकी संस्थान - कोलकाता, भौतिकी संस्थान - भुवनेश्वर, हरिश्चंद्र अनुसंधान संस्थान- इलाहाबाद, गणितीय विज्ञान संस्थान - चेन्नई और प्लाज़्मा अनुसंधान संस्थान- अहमदाबाद।
मौर्य साम्राज्य की अवधि (ईसा पूर्व 322 से ईसा पूर्व 185 तक) ने भारतीय इतिहास में एक युग का सूत्रपात किया। कहा जाता है कि यह वह अवधि थी जब कालक्रम स्पष्ट हुआ। यह वह समय था जब, राजनीति, कला, और वाणिज्य ने भारत को एक स्वर्णिम ऊंचाई पर पहुंचा दिया। यह खंडों में विभाजित राज्यों के एकीकरण का समय था। इससे भी आगे इस अवधि के दौरान बाहरी दुनिया के साथ प्रभावशाली ढंग से भारत के संपर्क स्थापित हुए।
सिकन्दर की मृत्यु के बाद उत्पन्न भ्रम की स्थिति ने राज्यों को यूनानियों की दासता से मुक्त कराने और इस प्रकार पंजाब और सिंध प्रांतों पर कब्जा करने का चन्द्रगुप्त को अवसर प्रदान किया। उसने बाद में कौटिल्य की सहायता से मगध में नन्द के राज्य को समाप्त कर दिया और ईसा पूर्व और 322 में प्रतापी मौर्य राज्य की स्थापना की। चन्द्रगुप्त जिसने 324 से 301 ईसा पूर्व तक शासन किया, ने मुक्तिदाता की उपाधि प्राप्त की और भारत के पहले सम्राट की उपाधि प्राप्त की।
वृद्धावस्था आने पर चन्द्रगुप्त की रुचि धर्म की ओर हुई तथा ईसा पूर्व 301 में उसने अपनी गद्दी अपने पुत्र बिंदुसार के लिए छोड़ दी। अपने 28 वर्ष के शासनकाल में बिंदुसार ने दक्षिण के ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर विजय प्राप्?त की तथा 273 ईसा पूर्व में अपनी राजगद्दी अपने पुत्र अशोक को सौंप दी। अशोक न केवल मौर्य साम्राज्य का अत्यधिक प्रसिद्ध सम्राट हुआ, परंतु उसे भारत और विश्व के महानतम सम्राटों में से एक माना जाता है।
उसका साम्राज्य हिन्दु कुश से बंगाल तक के पूर्वी भूभाग में फैला हुआ था और अफगानिस्तान, बलूचिस्तान तथा पूरे भारत में फैला हुआ था, केवल सुदूर दक्षिण का कुछ क्षेत्र छूटा था। नेपाल की घाटी और कश्मीर भी उसके साम्राज्य में शामिल थे।
अशोक के साम्राज्य की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी कलिंग विजय (आधुनिक ओडिशा), जो उसके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाली साबित हुई। कलिंग युद्ध में भयानक नरसंहार व विनाश हुआ। युद्ध भूमि के कष्टों व अत्याचारों ने अशोक के हृदय को विदीर्ण कर दिया। उसने भविष्य में और कोई युद्ध न करने का प्रण कर लिया। उसने सांसरिक विजय के अत्याचारों तथा सदाचार व आध्यात्मिकता की सफलता को समझा। वह बुद्ध के उपदेशों के प्रति आकर्षित हुआ तथा उसने अपने जीवन को, मनुष्य के हृदय को कर्तव्य परायणता व धर्म परायणता से जीतने में लगा दिया।
अशोक के उत्तराधिकारी कमज़ोर शासक हुए, जिससे प्रांतों को अपनी स्वतंत्रता का दावा करने का साहस हुआ। इतने बड़े साम्राज्य का प्रशासन चलाने के कठिन कार्य का संपादन कमज़ोर शासकों द्वारा नहीं हो सका। उत्तराधिकारियों के बीच आपसी लड़ाइयों ने भी मौर्य साम्राज्य के अवनति में योगदान किया।
ईसवी सन् की प्रथम शताब्दि के प्रारम्भ में कुशाणों ने भारत के उत्तर पश्चिम मोर्चे में अपना साम्राज्य स्थापित किया। कुशाण सम्राटों में सबसे अधिक प्रसिद्ध सम्राट कनिष्क (125 ई. से 162 ई. तक), जो कि कुशाण साम्राज्य का तीसरा सम्राट था। कुशाण शासन ईस्वी की तीसरी शताब्दि के मध्य तक चला। इस साम्राज्य की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियां कला के गांधार घराने का विकास व बुद्ध मत का आगे एशिया के सुदूर क्षेत्रों में विस्तार करना रही।
मुम्बई-पुणे एक्सप्रेस वे भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई और शैक्षिक केन्द्र पूना के बीच पहला एक्सप्रेस वे है। यह एक्सप्रेस वे छह लेन का बनाया गया है। 93 किमी (58 मील) लंबाई वाला यह राजमार्ग अन्य सडक़ों से अलग है। आधिकारिक तौर पर यह यशवंतराव चौहान मुंबई पुणे एक्सप्रेस-वे, के रूप में जाना जाता है।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा सबसे महत्वाकांक्षी परिवहन परियोजना मुंबई - पुणे एक्सप्रेस वे, 5 अप्रैल 2000 को यातायात के लिए खोला गया था। पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार से पर्यावरणीय मंजूरी अक्टूबर 1997 में प्राप्त की गई थी। इस एक्सप्रेस वे पर मुंबई से पुणे 2-3 घंटे में पहुंचा जडा सकता है। जबकि एनएच 4 (राष्ट्रीय राजमार्ग 4) से जाने पर 4-5 घंटे का समय लग जाता है। यह वन वे तो है ही, इसकी सुरंगों को भी अलग-अलग बनाया गया है। सडक़ के दोनों ओर बाड़ लगाई है ताकि जानवर आदि वाहनों की गति में कोई बाधा पैदा न करें। इस पर दो पहिया वाहन, तिपहिया और ट्रैक्टर की अनुमति नहीं है। जगह-जगह पेट्रोल पंप, ढाबे, कार्यशालाओं, शौचालय, आपातकालीन फ़ोन, प्राथमिक चिकित्सा, सी.सी.टीवी आदि की व्यवस्था से सुसज्जित किया गया है। साथ ही हजारों पेड़ भी लगाए गए हैं।
गूगल आज इंटरनेट का पर्याय बन चुका है। दुनिया भर में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले गूगल का महत्व जानते हैं। वर्ष 1998 में लैरी पेज और सैर्गे ब्रिन ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने के दौरान इसकी रचना की।
अनुमान है कि गूगल कॉर्पोरेशन इस वक्त दुनिया भर के डाटा सेंटरों में 10 लाख से ज्यादा सर्वर चला रहा है। हर दिन उसे एक अरब से ज्यादा खोज के अनुरोधों को पूरा करना होता है। गूगल का इस्तेमाल करने वाले हर दिन करीब 24 पेटाबाइट्स डाटा इंटरनेट पर डाल देते हैं। दिसंबर 2012 में गूगल डॉट कॉम को दुनिया में सर्वाधिक देखी जाने वाली वेबसाइट घोषित किया गया।
गूगल से जुड़ी कई दूसरी वेबसाइट दुनिया की 100 सबसे ज्यादा देखी जाने वाली वेबसाइटों में शामिल हैं। इनमें यूट्यूब और ब्लॉगर जैसी वेबसाइट शामिल हैं। ईमेल के लिए जीमेल, सोशल नेटवर्किंग के लिए ऑरकुट और गूगल प्लस, ऑफिस के लिए गूगल ड्राइव, इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए क्रोम जैसी दर्जनों चीजें इंटरनेट के आम से लेकर खास तबके तक की जरूरतों और शौकों को पूरा करती हैं। इंटरनेट पर जानकारी जुटाने का एक टर्म है गूगल और अब एक बड़ी जरूरत बनता जा रहा है।
हालांकि ऐसा भी नहीं कि सब कुछ ठीक ही है। मार्केट पर इसके दबदबे के कारण कॉपीराइट, सेंसरशिप और प्राइवेसी को लेकर गूगल की बड़ी आलोचना होती है, लेकिन इसके बावजूद यह दुनिया का चहेता बना हुआ है।
हमारे वैज्ञानिक पृथ्वी के इतिहास के बारे में काफी जानकारी जमा कर चुके हैं. फिर भी ऐसी बहुत सारी घटनाएं हैं जिनके बारे में उन्हें स्पष्ट या प्रमाणिक तौर पर जानकारी नहीं मिल सकी है. कई घटनाएं ऐसी भी हैं जिनके होने के तो प्रमाण मिले हैं, लेकिन उनके कारणों के बारे में कुछ पता नहीं चल सका है. अभी तक यह माना जाता था कि ज्वालामुखियों से निकलने वाले कार्बनडाइऑक्साइड की वजह से तेजी से जलवायु परिर्वतन होता था. लेकिन इसके कारक के बारे में साफ तौर पर पता नहीं था. लेकिन हालिया अध्ययन ने पृथ्वी के इतिहास में हुए जलवायु परिवर्तनों के नाटकीय मोड़ों के कारकों पर रोशनी डाली है.
पेलियोसीन-इयोसीन थर्मल मैग्जिमम जिसे शुरुआती इयोसीन थर्मल मैग्जिमम भी कहा जाता है. एक ऐसा दौर था जब पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग बहुत चरम पर था और यह समय करीब 150 हजार साल तक चला, लेकिन पीईटीएम की शुरुआत की वजह अभी तक पता नहीं चल सकी है. नए अध्ययन ने इसी बात पर रोशनी डाली है कि ऐसा क्या हुआ जिससे पृथ्वी के इतिहास में जलवायु परिवन के तेज और नाटकीय घटनाएं हुईं. अध्ययन ने सुझाया है कि अहम बदलाव बिंदुओं ने पृथ्वी के तंत्र में 5.5 करोड़ साल पहले तेजी से जलवायु परिवर्तन ला दिया था.
इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने PETM के ठीक पहले और शुरुआत में बढ़े हुए पारे के स्तरों की पहचान की. ये पहचान उत्तरी सागर में अवसादों से लिए गए नमूने की जांच करने पर की जा सकीं थीं. चट्टानों के नमूनों के विश्लेषण से पता चला है कि PETM के शुरुआती चरणों में पारे के स्तरों में काफी गिरावट हुई थी. इससे पता चला कि कम एक दूसरे कार्बन के भंडार ने इस घटना के दौरान बड़ी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन किया होगा.
शोध से पता चला कि पृथ्वी के तंत्र में शीर्ष बदलाव बिंदु की मौजूद हैं जो अतिरिक्त कार्बन भंडारों में से उत्सर्जन का कारण बन सकते हैं जो पृथ्वी की जलवायु में अभूतपूर्व रूप से उच्च तापमान ला सकते हैं. कोर्नवॉल में एक्सेर यूनिवर्सिटी के पेनरिन कैम्पस के कैम्बोर्न स्कूल ऑफ माइन्स स्टडी के शोधकर्ता और इस अध्ययन के सहलेखक डॉ केंडर ने बताया कि CO2, मीथेन जैसी ग्रीन हाउस गैसें PETM के शुरुआत में केवल कुछ हजार सालों में वायुमंडल में उत्सर्जित हुई थी.
डॉ केंडर ने बताया, “हम इस अवधारणा को जांचना चाहते थे कि विशाल ज्वालामुखी प्रस्फुटन ने ने इस प्रत्याशित ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन किया था. चूंकि ज्वालामुखी भी विशाल मात्रा में पारे का उत्सर्जन करते हैं, हमने अवसादों में पारे और कार्बन की मात्रा को भी माप जिससे हमें पता चल सके कि क्या उस सम कोई ज्वालामुखी प्रस्फुटन की घटना हुई थी. हमें यह जानकर हैरानी हुई कि हमें ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन और बढ़ते ज्वालामुखियों के बीच एक संबंध भी नहीं मिला.
शोधकर्ताओं ने पाया कि ज्वालामुखियों की घटनाएं PETM की शुरुआती दौर में ही हुई थीं. इसलिए ज्वालामुखियों के बाद किसी दूसरे स्रोत से ही ग्रीन हाउस गैसें उत्सर्जित हुई होंगी. उत्तर सागर के गहराई के नए अवसादों के विश्लेषण से पता चला कि इनमें पारे की मात्रा बहुत अधिक स्तर पर थी. इन नमूनों ने दर्शाया कि पारे स्तरों में बहुत सारे शीर्ष PETM के पहले और उसके शुरू होने के बाद दिखे. इससे पता चला कि इनकी शुरुआत ज्वालामुखी गतिविधियों से हुई थीं.
डॉ केंडर ने बताया कि वे इस शोध को करने में इसलिए सफल रहे क्योंकि उनकी टीम को अवसादों में उस समय के अवशेष अच्छे से संरक्षित अवस्था में मिले जिसमें जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ डेनमार्क एंड ग्रीनलैंड की बहुत बड़ी सहयोगी भूमिका थी. इससे शोधकर्ता वहां कार्बन रिसाव और पारे की स्तरों की सटीक जानकारी भी निकालने में सफल रहे. वैसे भी उत्तरी सागर का इलाका PETM में हुए ज्वालामुखी उत्सर्जन के पास मौजूद था, यह शोधकर्ताओं के लिए आदर्श जगह साबित हुई.
अरबी भाषा सामी हामी परिवार की एक भाषा है । ये हिन्द यूरोपीय परिवार की भाषाओं से मुख़्तलिफ़ है, यहां तक कि फ़ारसी से भी । ये इब्रनी भाषा से संबंधित है । अरबी इस्लाम धर्म की धर्मभाषा है, जिसमें क़ुरान-ए-शरीफ़ लिखी गयी है ।
अरबी कई देशों की राजभाषा है, जैसे सऊदी अरब, लेबनान, शाम (सीरिया), यमन, मिस्र, जॉर्डन, इराक़, अल्जीरिया, लीबिया, इत्यादि । बहरीन, जिबूती, ईरान, इस्राएल, येमेन, यार्दन, क़तर, कुवैत, लेबनान, लीबिया, माली, मोरक्को, माउरिशियानिया, नाइजीरिया, ओमान, फि़लिस्तीनी देशों, सौदी अरब, सुदान, सीरिया, तंज़ानिया, चाद, टुनिशिया, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य देशों में भी यह भाषा बोली जाती है।
अरबी भाषा को अरबी लिपि में लिखा जाता है । ये दाएं से बाएं लिखी जाती है । इसकी कई ध्वनियां उर्दू की ध्वनियों से अलग हैं । हर एक स्वर या व्यंजन के लिये (जो अरबी भाषा में प्रयुक्त होता है) एक और सिफऱ् एक ही अक्षर है । ह्रस्व स्वरों की मात्राएं देना वैकल्पिक है ।
एटीएम मशीनों के आने से आज बैंकों से जमा राशि निकालना आसान हो गया है। बस इसके लिए आपके नाम का एटीएम कार्ड होना जरूरी है। एटीएम का पूरा नाम है -ऑटोमैटिक टेलर मशीन। दुनिया में 2 सितंबर, 1969 पहली बार इस मशीन का इस्तेमाल बैंक से जमा राशि निकालने के लिए किया गया। इस मशीन ने बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में क्रांति ला दी।
2 सितंबर 1969 को अमेरिका की वित्तीय राजधानी न्यूयॉर्क में ऑटोमैटिक टेलर मशीन (एटीएम) को आम जनता के सामने पेश किया गया। ये पहल केमिकल बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए शुरू की। नारा दिया कि पर्सनल बैंकिंग और ज्यादा पर्सनल हो चुकी है। वैसे एटीएम बनाने की कोशिश कई लोग कर रहे थे, लेकिन सफलता डॉन वेटजेल को मिली। हालांकि शुरुआत में उनकी मशीन से सिर्फ कैश ही निकलता था।
इस मशीन के आते ही यह साफ हो गया कि अब पैसे निकालने के लिए बैंकों में लगने वाली लंबी कतार खत्म होने लगेगी। वर्ष 1980 तक अमेरिका के ज्यादतर शहरों में एटीएम लग चुके थे। इनसे पैसे निकालने के अलावा जमा और ट्रांसफर भी किए जा सकते थे।
भारत में पहली एटीएम मशीन 1988 में मुंबई में लगी। वर्ष 1991 में भारत में बड़े वित्तीय सुधार हुए। इसी दौरान कई निजी बैंक भी बाजार में आए। आईटी और बैंकिंग सेक्टर को बढ़ावा मिलने से भारत के बैंकों ने भी जगह जगह एटीएम लगाने शुरू किए। फिलहाल भारत में एक लाख से ज्यादा एटीएम हैं। एक अंतरराष्ट्रीय फर्म के शोध के मुताबिक 2016 तक भारत में दो लाख एटीएम होंगे।
दुनिया भर में इस वक्त 10 लाख से ज्यादा एटीएम हैं और हर पांच मिनट में एक नया एटीएम लग रहा है।
मुअम्मर गद्दाफी या कर्नल गद्दाफी लीबिया का तानाशाह हुए हैं। एक सितंबर 1969 को सैन्य तख्तापलट के बाद मुअम्मर गद्दाफी लीबिया ने खुद को लीबिया का शासक घोषित किया।
लीबिया यूनिवर्सिटी के बेनगाजी कॉलेज में पढऩे के दौरान गद्दाफी ने सेना में भर्ती होने का फैसला किया। पुलिस रिकॉर्ड खराब होने के बावजूद रॉयल मिलिट्री अकादमी में उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई। 60 के दशक में लीबिया में राजा इदरिस की सरकार के खिलाफ जन असंतोष बढऩे लगा। उन्हें इस्राएल का करीबी माना जाता था। गद्दाफी ने इसे भांप लिया। अकादमी में ट्रेनिंग ब्रिटिश सैन्य अफसर दिया करते थे। टेस्ट के दौरान गद्दाफी ने अंग्रेजी बोलने से मना कर दिया, इसके चलते उन्हें फेल कर दिया। इसी दौरान यह भी शक हुआ कि 1963 में अकादमी के कमांडर की हत्या में वो शामिल हैं। हालांकि बड़े सैन्य अफसरों ने गद्दाफी का बचाव किया। धीर- धीरे गद्दाफी सेना के भीतर ही अपने विश्वस्त लोगों का एक गुट बनाते गए।
इसी दौरान 1966 में तीसरे इस्राएल-अरब जगत के बीच चले छह दिन के युद्ध में अरब देशों की बुरी हार हुई। मिस्र समेत अरब जगत की ऐसी हार के लिए इस्राएल और पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहराया गया। विवाद को धर्म युद्ध जैसा नाम दिया गया। राजा इदरिस को खुले तौर पर इस्राएल का समर्थक करार दिया गया। उनके खिलाफ असंतोष अब और सुलग गया।
एक सितंबर 1969 की सुबह गद्दाफी की अगुवाई में विद्रोहियों ने राज परिवार को बंधक बना लिया। त्रिपोली को पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले लिया। गद्दाफी ने खुद को शासक घोषित किया और देश को लीबिया अरब गणतंत्र नाम दिया। पूरे घटनाक्रम को पहली सितंबर की क्रांति कहा गया। खुद को सुधारवादी कहने वाले गद्दाफी ने शुरुआत में समाजवादी नीतियां भी अपनाई, लेकिन धीर- धीरे वक्त के साथ वो कट्टर होते गए। उन्होंने अपने विरोधियों की हत्याएं करवाई, दूसरे देशों में भी उन पर हमले कराए। 1988 के लॉकरबी हमले के बाद पश्चिम से उनके रिश्ते बिगड़ते चले गए। अमेरिकी यात्री विमान में हुए बम हमले में 243 लोग मारे गए।
इसके बाद गद्दाफी भी पश्चिम विरोधी होते गए. वो धार्मिक उन्मांद का भी सहारा लेने लगे। साथ ही खुद भी विलासिता में डूबे रहने लगे। उनकी छवि महिलाओं से बलात्कार, कुछ लोगों को बेशकीमत तोहफे देने और विरोधियों की कहीं भी हत्या कराने वाले शासक की बन गई। लेकिन 2011 के ट्यूनीशिया से शुरू हुए अरब वसंत को गद्दाफी सही तरह नहीं भांप सके। उनके देश में भी प्रदर्शन हुए। कई कबीलों वालों लीबिया में कुछ गुट उनके खिलाफ हथियारबंद संघर्ष भी करने लगे। शुरुआत में गद्दाफी ने विरोधियों को सेना के जरिए कुचलने की कोशिश की, लेकिन बाद में फ्रांस की मदद से विरोधियों ने आखिर गद्दाफी को सिमटने पर मजबूर कर दिया। 20 अक्टूबर 2011 को गद्दाफी विरोधियों के हाथ लग गए। उनका वहीं अंजाम हुआ जो तानाशाहों का होता है। कभी खुद विद्रोही रहे गद्दाफी नए विरोधियों के हाथों मारे गए।
टेक्नीकल टेक्सटाइल टेक्नीकल टेक्सटाइल के अंतर्गत ऐसी सामग्री और उत्पाद शामिल हैं जिनका इस्तेमाल तकनीकी कार्य निष्पादन और व्यावहारिक संपत्तियों के लिए किया जाता है। इनमें टायर का धागा, फैब्रिक्स, एयरबैग्स, औद्योगिक टेक्सटाइल, फर्नीचर लाइनिंग, तम्बू, अग्निशमन उपकरण, बुलेटप्रूफ जैकेट, पैराशूट आदि शामिल हैं।
भारत सरकार ने 31 अगस्त 2013 को टेक्नीकल टेक्सटाइल हेतु 12वीं योजना के दौरान परिव्यय में 700 करोड़ रुपये की वृद्धि की। इस राशि का उपयोग टेक्नीकल टेक्सटाइल क्षेत्र के लिए चल रही विभिन्न योजनाओं में परिव्यय के लिए किया जाना है।
बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान भारतीय टेक्नीकल टेक्सटाइल क्षेत्र के लिए 11952 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। भारतीय टेक्नीकल टेक्सटाइल क्षेत्र का बाजार 2013-14 के लिए 91 हजार 236 करोड़ रुपये अनुमानित है जो कि वर्ष 2007-08 के 42000 करोड़ रुपये के स्तर से काफी अधिक बढ़ चुका है। वर्ष 2013-14 के लिए टेक्नीकल टेक्सटाइल क्षेत्र का निर्यात 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है. टेक्नीकल टेक्सटाइल क्षेत्र के वर्ष 2016-17 तक 1.58 लाख करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है. साथ ही, इस क्षेत्र में रोजगार वर्ष 2016-17 तक 13 प्रतिशत वार्षिक की वृद्धि दर
कतर अरब प्रायद्वीप के उत्तर पूर्वी तट पर स्थित एक छोटा प्रायद्वीप है। इसके दक्षिण में जहां सउदी अरब है, वहीं शेष तीनों ओर फारस की खाड़ी है। एक तेल समृद्ध राष्ट्र के रूप में कतर दुनिया का दूसरा (प्रति व्यक्ति सकल फरेलू उत्पाद) समृद्ध देश है। सन् 1783 में कुवैत के अल खलीफ वंश ने यहां शासन करना प्रारम्भ किया। तत्पश्चात यह तुर्की के अधीन रहा। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद यह ब्रिटेन के संरक्षण में रहा। 1971 में स्वतंत्रता मिलने के बाद 1972 में खलीफा बिन हमद का शासन प्रारम्भ हुआ।
माना जाता है कि कतर नाम आज के जुबारा नामक शहर के प्राचीन नाम कतारा से उत्पन्न हुआ है, जो प्राचीन समय में क्षेत्र का महत्वपूर्ण बंदरगाह और शहर था। कतारा शब्द पोटोल्मी द्वारा बनाए गए अरब प्रायद्वीप के मानचित्र पर पहली बार नजर आया था।
3 सितम्बर सन 1971 ईसवी को क़तर, ब्रिटेन के अधिकार से स्वतंत्र हुआ। इस दिन को देश में राष्ट्रीय दिवस के रुप में मनाया जाता है। 19वीं शताब्दी में अरब प्रायद्वीप के साथ क़तर भी उसमानी शासन के अधीन हो गया। किंतु उसमानी शासन की शक्ति क्षीण हो जाने के कारण वर्ष 1882 से यह देश ब्रिटेन द्वारा संचालित होता था और 1916 में औपचारिक रुप से इस देश पर ब्रिटेन का अधिकार हो गया। वर्ष 1971 में फ़ार्स की खाड़ी की दक्षिणी पट्टी के सरदारों ने सहमति करके संयुक्त अरब इमारात की स्थापना की किंतु क़तर इसी वर्ष के सितम्बर महीने से इस संघ से निकल गया और उसने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। क़तर में राजशाही शासन व्यवस्था प्रचलित है और वह विश्व में गैस के तीसरे बड़े भंडार का स्वामी है यहॉ की जनसंख्या बहुत कम है।
1. यूनीसेफ की स्थापना (न्यूयार्क) में किस वर्ष में हुई थी?
(अ) 1946 में (ब) 1947 में (स) 1950 में (द) 1955 में
2. भारत में सर्वप्रथम दूरदर्शन का पहला केंद्र किस वर्ष बना?
(अ) सितंबर, 1959 (ब) सितंबर, 1960 (स) सितंबर 1970 (द) सितंबर 1980
3. निम्नलिखित में से कौन सी देखी-सुनी जाने वाली है?
(अ) चलचित्र (ब) टेलीविजन (स)कठपुतली (द)उक्त सभी
4. गौतम बुद्घ की पूर्ण जीवनकथाओं का सर्वप्रथम अंकन कहां की कला में किया गया था?
(अ) अशोक का सारनाथ स्तंभ (ब) भरहुत स्तूप (स) अजंता की गुफाएं (द) एलोरा की गुफाएं
5. निम्नलिखित में से कौन चोलों के सिक्कों पर उत्कीर्ण नहीं है?
(अ) मत्स्य (ब) धनुष (स) चीता (द) हाथी
6. निम्नलिखित में से किसका विरुद अमोषवर्ष था?
(अ) मुंज परमार (ब) राजेंद्र चोल (स) गोविंद चंद गहड़वाल (द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
7. जलकर का साक्ष्य किनके अभिलेखों से प्राप्त होता है?
(अ) प्रतिहार (ब) गहड़वाल (स) चालुक्य (द) राष्टï्रकूट
8. धूप की कौन सी किरणें सौर कुकर को गरम करने में सहायता करती हैं?
(अ) एक्स किरणें (ब) वाई किरणें (स) गामा किरणें (द) सभी किरणें
9. यदि कोई व्यक्ति दूर की वस्तुओं को नहीं देख पाता हो, तो वह व्यक्ति किस नेत्र रोग से पीडि़त है?
(अ) निमोनिया (ब) मोतियाबिंद (स) मायोपिया (द) उक्त में से कोई नहीं
10. प्रसिद्घ महिला टेनिस खिलाड़ी जस्टिन हेनिन हार्डने किस देश की है?
(अ) मिस्र (ब) मलेशिया (स) इंडोनेशिया (द) बेल्जियम
11. वाटर पोलों में एक पक्ष के खिलाडिय़ों की संख्या कितनी होती है?
(अ) 7 (ब) 6 (स) 5 (द) 4
12. राख के टीले किस क्षेत्र की नव पाषाणिक संस्कृति से संबंधित है?
(अ) पूर्वी भारत (ब) दक्षिण भारत (स) उत्तरी विंध्य क्षेत्र (द) कश्मीर घाटी
13. निम्नलिखित में से क्या हड़प्पाविासयों को ज्ञात नहीं था?
(अ) कूपों का निर्माण (ब) स्तंभों का निर्माण (स)नालियों का निर्माण (द) मेहराबों का निर्माण
14. भारत में अविश्वास प्रस्ताव के कारण सर्वप्रथम किस प्रधानमंत्री को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा?
(अ) मोरारजी देसाई (ब) चौधरी चरण सिंह (स) वी.पी. सिंह (द) श्रीमती इंदिरा गांधी
15. प्रधानमंत्री पद पर किसी एक कार्यकाल के लिए सबसे कम समय के लिए कौन आसीन रहा?
(अ) मोरारजी देसाई (ब) चौधरी चरण सिंह (स) वीपी सिंह (द) अटल बिहारी वाजपेयी
16. मुहम्मद तुगलक ने दीवाने कोही नामक एक नए विभाग का सृजन किया, इसका मुख्य कार्य क्या था?
(अ) परती भूमि को कृषि योग्य बनाना (ब) भू-राजस्व का बकाया संग्रह करना (स) उद्दण्ड सरदारों को दंडित करना (द) राजस्व अधिकारियों का पर्यवेक्षण करना
17. भारत के एक भाग में पुर्तगाली साम्राज्य के संस्थापक का नाम क्या था?
(अ) अलफान्सो डि अलबुकर्क (ब) वास्कोडिगामा (स) पेद्रो अलवारेज कैबल (द) सालाजार
18. अकबर के शासन के अधीन दीवाने बयूतात नामक अधिकारी का कार्य क्या था?
(अ) शाही कारखानों के खर्च का परीक्षण (ब) राजस्व अभिलेखों का अनुरक्षण (स) न्याय प्रशासन (द) शाही टकसालों का पर्यवेक्षण
19. सुल्तान फिरोज तुगलक के खुत्बे में सभी पूर्ववर्ती सुल्तानों के नाम सम्मिलित थे। निम्नलिखित नामों में से कौन सा एक मात्र अपवाद था?
(अ) कुतुबद्दीन ऐबक (ब) बलबन (स) कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी (द) मोहम्मद बिन तुगलक
20. निम्नलिखित समकालीन स्त्रोतों में से कौन सा एक खगोलशास्त्र व ज्योतिष शास्त्र के प्रति हुमायूं के अनुराग का चित्रण करता है?
(अ) तारीख-ए-रशीदी (ब) तुजुक ए बाबरी (स) हुमायूंनामा (द) कानून-ए-हुमायूंनी
21. निम्नलिखित शासकों में से किसने सर्वप्रथम जजिया (गैर मुस्लिमों पर लगने वाला कर) समाप्त किया था?
(अ) जैनुल आबिदीन (ब) शाह हुसैन शर्की (स) मोहम्मद बिन तुगलक (द) अकबर
22. ह्वïेनसांग के अनुसार नालंदा विश्वविद्यालय में कितने विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करते थे?
(अ) 8 हजार (ब) 10 हजार (स) 12 हजार (द) 15 हजार
23. निम्नलिखित राजाओं में से किसने खम्भात में एक मस्जिद के जीर्णोद्घार के लिए अपने निजी कोष से एक लाख बलोतरा का अनुदान दिया था?
(अ) भीम प्रथम (ब) चामुण्डराय (स) जयसिंह सिद्घराज (द) कुमारपाल
24. भारोपीय भाषा परिवार की प्राचीनतम भाषा कौन सी है?
(अ) लैटिन (ब) ईरानी (स) ग्रीक (द) संस्कृत
4. ऐसे प्रथम प्रधानमंत्री जिनके विरूद्घ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया?
(अ) जवाहर लाल नेहरू (ब) लाल बहादुर शास्त्री (स) इंदिरा गांधी (द) मोरार जी देसाई
5. अभी तक पद पर रहते हुए कितने प्रधानमंत्रियों की मृत्यु हुई?
(अ) दो (ब) तीन (स) चार (द) पांच
10. क्षेत्रीय परिषदों का गठन किसके द्वारा किया जाता है?
(अ) राष्टï्रपति (ब) प्रधानमंत्री (स) लोकसभा अध्यक्ष (द) गृहमंत्री
सही जवाब- 1.(अ)1946 में, 2.(अ)सितंबर, 1959, 3.(द)उक्त सभी, 4.(ब)भरहुत स्तूप, 5.(ब)धनुष, 6.(अ)मुंज परमार, 7.(द)राष्टï्रकूट, 8.(द)सभी किरणें, 9.(स)मायोपिया, 10.(द) बेल्जियम, 11.(अ)7, 12.(ब) दक्षिण भारत, 13.(द) मेहराबों का निर्माण, 14.(अ) मोरारजी देसाई, 15.(द) अटल बिहारी वाजपेयी, 16.(अ) परती भूमि को कृषि योग्य बनाना, 17.(अ) अलफान्सो डि अलबुकर्क, 18.(अ) शाही कारखानों के खर्च का परीक्षण, 19.(स) कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी, 20.(द) कानून-ए-हुमायूंनी, 21.(अ) जैनुल आबिदीन, 22.(ब)10 हजार, 23.(स) जयसिंह सिद्घराज, 24.(द)संस्कृत, 25.(अ) जवाहर लाल नेहरू, 26.(ब) तीन, 27.(अ) राष्टï्रपति।
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रेडियोधर्मी पदार्थों में थोरियम के बारे में काफी कम जानकारी है। थोरियम काफी मात्रा में उपलब्ध है। परंपरागत परमाणु ईंधन यूरेनियम के मुकाबले यह चार गुना अधिक उपलब्ध है। यह कहीं अधिक शुद्ध रुप में भी प्राप्त होता है। यह माना जाता है कि पृथ्वी पर थोरियम में निहित ऊर्जा भंडार पेट्रोलियम, कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन तथा यूरेनियम को एक साथ मिलाने से भी ज्यादा है।
इसके अलावा थोरियम से निकला कचरा कम विषाक्त होता है। भारत के पास सबसे अधिक थोरियम होने के कारण उसके पास यह अवसर है कि थोरियम पर विशेष अनुसंधान और विकास पर ध्यान केन्द्रित करते हुए अपना मौजूदा परमाणु कार्यक्रम सुचारू रूप से चला सके।
ब्रह्माण्ड का हरेक परमाणु अपने ह्रदय, जिसे नाभिक कहते हैं, के भीतर अकल्पनीय शक्तिशाली बैटरी संजोए रहता है। इस तरह की ऊर्जा जिसे अक्सर टाइप-1 ईंधन कहते हैं, पारंपरिक ऊर्जा यानी टाइप-0 ईंधन की तुलना में लाख गुना ज्यादा शक्तिशाली होती है। इसे ही नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं। परमाणु ऊर्जा वह ऊर्जाs है जिसे नियंत्रित (यानी, गैर-विस्फोटक) परमाणु अभिक्रिया से उत्पन्न किया जाता है। वाणिज्यिक संयंत्र वर्तमान में बिजली उत्पन्न करने के लिए परमाणु विखंडन अभिक्रिया का उपयोग करते हैं। नाभिकीय रिएक्टर से प्राप्त उष्मा पानी को गर्म करके भाप बनाने के काम आती है, जिसे फिर बिजली उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। नाभिकीय संलयन अभिक्रिया अपेक्षाकृत सुरक्षित होती है और विखंडन की अपेक्षा कम रेडियोधर्मी कचरा उत्पन्न करती है. ये अभिक्रियाएं संभावित रूप से व्यवहार्य दिखाई देती हैं, हालांकि तकनीकी तौर पर काफी मुश्किल हैं और इन्हें अभी भी ऐसे पैमाने पर निर्मित किया जाना है जहां एक कार्यात्मक बिजली संयंत्र में इनका इस्तेमाल किया जा सके। संलयन ऊर्जा 1950 के बाद से, गहन सैद्धांतिक और प्रायोगिक जांच से गुजऱ रही है।
2009 में, दुनिया की बिजली का 15 प्रतिशत परमाणु ऊर्जा से प्राप्त हुआ। इसके अलावा, परमाणु प्रणोदन का उपयोग करने वाले 150 से अधिक नौसेना पोतों का निर्माण किया गया है।
भारत में हम 150 गीगावाट कुल बिजली उत्पादन में से 5 हजार मेगावाट भी नाभिकीय ऊर्जा से पैदा नहीं कर पा रहे हैं। ज्यादातर उत्पादन तो कोयले से हो रहा है। ऊर्जा के हरित स्रोत सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा स्थायी नहीं हैं। ये मौसम और सूर्यातप पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं। वहीं नाभिकीय ऊर्जा अपेक्षाकृत स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा का जबरदस्त स्रोत है। आज 29 देश 441 नाभिकीय संयंत्रों का संचालन कर रहे हैं, जिसकी कुल क्षमता 375 मेगावाट है। इस उद्योग को अब 14 हजार से ज्यादा नाभिकीय वर्षों का अनुभव है। कुल 58.6 गीगावाट की और 60 इकाइयां निर्माणाधीन हैं।
खुकरी सांप, कोलब्राइडी परिवार में ऑलिगोडॉन वंश की 50 से 60 प्रजातियों के सांपों में से एक है। इन सांपों का नामकरण उनके पिछले बड़े दांतों, जो इसी नाम के गोरखा चाकू के समान चौड़े और घुमावदार होते हैं, के आधार पर किया गया है। ये पूर्वी और दक्षिण एशिया में पाए जाते हैं। सभी खुकरी सांप अंडे देते हैं और इनके शरीर की लंबाई सामान्यत: 90 सेमी से कम होती है। पक्षियों और सरीसृपों के अंडे इनका मुख्य आहार हैं।
2 सितम्बर सन 1945 ईसवी को वियतनाम गणराज्य स्वतंत्र हुआ इसलिए आज के दिन को इस देश का राष्ट्रीयय दिवस घोषित किया गया है।
19वीं शताब्दी के मध्य में वियतनाम, फ्रांस के नियंत्रण में चला गया था किंतु वर्ष 1940 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी से फ्रांस के पराजित होने के बाद जापान ने फ्रांस की कमज़ोरी का लाभ उठाते हुए वियतनाम पर अधिकार कर लिया। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति और जापान की पराजय तक यह देश जापान के ही अधिकार में रहा। इसी काल में हूची मिन्ह के नेतृत्व में भारत-चीन प्रतिरोध आंदोलन ने वियतनाम को अपने नियंत्रण में कर लिया और वियतनाम गणराज्य की स्थापना की गयी। बाद में हूची मिन्ह वियतनाम के राष्ट्र्र्रपति घोषित किए गए किंतु वर्ष 1946 में फ्रांस ने दोबारा वियतनाम पर आक्रमण कर दिया जिसके बाद से वियेतनाम ने अपनी स्वाधीनता और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए पहले फ्रांसीसी और फिर अमरीकी अतिक्रमणकारियों के मुक़ाबले में लंबा संघर्ष किया। वियतनाम की जनता के कड़े संघर्ष के आगे वर्ष 1954 में फ्रांस को और 1975 में अमरीका को पराजय का सामना करना पड़ा।
वियतनाम दक्षिणपूर्व एशिया के हिन्दचीन प्रायद्वीप के पूर्वी भाग में स्थित एक देश है। इसके उत्तर में चीन, उत्तर पश्चिम में लाओस, दक्षिण पश्चिम में कंबोडिया और पूर्व में दक्षिण चीन सागर स्थित है। करीब 86 लाख की आबादी के साथ वियतनाम दुनिया में 13 वीं सबसे अधिक आबादी वाला देश है।
इस देश में 1986 में आर्थिक और राजनीतिक सुधारों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। 2000 तक देश से प्राय: सभी देशों के साथ राजनयिक संबंधों की स्थापना कर ली थी। पिछले एक दशक में देश का आर्थिक विकास दुनिया में सबसे अधिक दर्ज किया गया। इन प्रयासों के क्रम में वियतनाम में 2007 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल हुआ और 2008 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य बना।
तुर्की भाषाएं
तुर्की भाषाएं पैंतीस से भी अधिक भाषाओं का एक भाषा-परिवार है। तुर्की भाषाएं पूर्वी यूरोप और भूमध्य सागर से लेकर साईबेरिया और पश्चिमी चीन तक बोली जाती हैं।
कुछ भाषावैज्ञानिक इन्हें अल्ताई भाषा परिवार की एक शाखा मानते हैं। विश्व में लगभग 16.5 से 18 करोड़ लोग तुर्की भाषाएं अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं और अगर सभी तुर्की भाषाओं को बोल सकने वालों की गणना की जाए तो कऱीब 25 करोड़ लोग इन्हें बोल सकते हैं। सब से अधिक बोली जाने वाली तुर्की भाषा का नाम भी तुर्की है, हालांकि कभी-कभी इसे अनातोल्वी भी कहा जाता है (क्योंकि यह अनातोलिया में बोली जाती है)।
मुहम्मद गौरी यानी शहाब-उद-दीन मुहम्मद गोरी 12वीं शताब्दी का अफग़़ान सेनापति था जो 1202 ई. में ग़ोरी साम्राज्य का शासक बना। सेनापति की क्षमता में उसने अपने भाई गिय़ास-उद-दीन ग़ोरी (जो उस समय सुलतान था) के लिए भारतीय उपमहाद्वीप पर ग़ोरी साम्राज्य का बहुत विस्तार किया और उसका पहला आक्रमण मुल्तान (1175 ई.) पर था। पाटन (गुजरात) के शासक भीम द्वितीय पर मोहम्मद ग़ौरी ने 1178 ई. में आक्रमण किया किन्तु मोहम्मद गोरी बुरी तरह पराजित हुआ।
मोहम्मद ग़ोरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच तराईन के मैदान में दो युद्ध हुए। 1191 ई. मे हुए तराईन के प्रथम युद्ध मे पृथ्वीराज चौहान की विजय हुई किन्तु अगले ही वर्ष 1192 ई. मे पृथ्वीराज चौहान को तराईन के द्वितीय युद्ध में मोहम्मद ग़ौरी ने बुरी तरह पराजित किया। मोहम्मद ग़ौरी ने चंदावर के युद्ध (1194 ई.) में दिल्ली के गहड़वाल वंश के शासक जयचंद को पराजित किया। मोहम्मद गोरी ने भारत में विजित साम्राज्य का अपने सेनापतियों को सौंप दिया और वह गजऩी चला गया। बाद मे गोरी के गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुलाम राजवंश की नींव डाली।
किशोरी शक्ति योजना
समन्वित बाल विकास योजना के अंतर्गत किशोरी बालिकाओं के लिए विशेष रूप से स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु किशोरी शक्ति योजना को संचालित किया गया है। प्रथम चरण में इस योजना को देशभर के 507 विकासखंडों में लागू किया गया था ।
यह योजना ऐसे परिवारों की बालिकाओं के लिए हैं, जिनकी वार्षिक आमदानी 6 हजार 400 रुपए तक है। इस योजना के अंतर्गत लाभान्वित होने वाली गरीब परिवारों की बालिकाओं के उचित लालन-पालन, स्वास्थ्य और शिक्षित होने की संभावनाएं तथा समाज में लडक़े और लड़कियों में बरते जाने वाले भेदभाव और सामाजिक विषमता में कमी लाने की संभावनाएं व्यक्त की गई हैं।
इस योजना को दो भागों में बांटकर चलाया जा रहा है। पहली योजना गर्ल टू गर्ल एप्रोच तथा दूसरी योजना बालिका मंडल योजना का नाम दिया गया है। पहली योजना 11 से 15 वर्ष आयु वर्ग की किशोरियों के लिए तथा दूसरी योजना 15 से 18 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों के लिए है। दूसरे वर्ग की किशोरियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने की व्यवस्था की गई है।
ईलगुली बाग़ को बाग़े मिल्ली भी कहते हैं। यह बाग़ पश्चिमोत्तरी ईरान के तबरीज़ नगर के दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित है जो तबरीज़ के केन्द्रीय भाग से सात किलोमीटर दूर है। इस बाग़ में 54 हज़ार 675 वर्गमीटर के क्षेत्रफल पर बना एक विशाल हौज़ है। इस हौज़ का निर्माण पंद्रहवी ईसवी शताब्दी में आक़ क़ूयूनलू शासन श्रंखला के काल में आरंभ हुआ किन्तु इसका विशाल रूप सफ़वी शासन काल में अस्तित्व में आया। यह बाग ईरान की राष्ट्रीय धरोहर में शामिल किया गया है।
क़ाजारी शासन काल में जब अब्बास मीरज़ा के बेटे क़हरमान मीजऱ्ा इस क्षेत्र के शासक थे, इस छह कोणीय हौज़ को दो मंजि़ला बनाया किन्तु उनकी मृत्यु के कारण इस हौज़ में साज-सज्जा का काम अधूरा रह गया। वर्षों बाद 1970 में इस इमारत की मरम्मत की गयी और इस प्रकार यह प्रयोग में आ गयी। ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद यह हौज़ ईरान के राष्ट्रीय धरोहर में शामिल हो गया। ईल गुली बाग़ में बनी झील में 7 ला, 20 हज़ार घन मीटर पानी की क्षमता है। यही झील अपने भीमकाय आकार के कारण शाह गुली कही जाती थी जिसका अर्थ है विशाल झील किन्तु इस्लामी क्रांति के बाद इसे ईलगुली कहा जाने लगा जिसका अर्थ होता है लोक-झील।
तबरीज़ के चावान गांव के निकट से लिक़वान नदी की गुजऱने वाली एक शाखा में बनाई गयी छोटी नहर से ईलगुली झील में पानी पहुंचता है। यह नहर झील के दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित है। ईल गुली झील के दक्षिणी भाग में एक ऊंचा टीला है जिस पर जंगल के समान घने पेड़ लगाए गए हैं और कई कृत्रिम झरने के पानी इस टीले से झील में गिरते हैं। झील के दक्षिणी भाग से उसके केन्द्र और ईल गुली महल तक एक सडक़ बनी हुयी है जिसके कारण कुलाह फऱंगी नामक इमारत एक प्रायद्वीप के समान दिखती है।
पीसी यानी पर्सनल कम्प्यूटर , शब्दावली आईबीएम द्वारा प्रचलित की गयी थी, जिसका उद्देश्य ऐसे माइक्रोकंप्यूटर से था जिसका मूल्य, आकार एवं क्षमताएं उसे निजी प्रयोग हेतु उपयुक्त बनाती थी।
आजकल इस शब्दावली का अर्थ आइबीएम पीसी संगत हेतु किया जाता है। आधुनिक पीसी में निम्न घटक पाये जाते हैं- मॉनीटर, मदरबोर्ड, सीपीयू, प्राथमिक भण्डारण (रैम), विस्तार काड्र्स, विद्युत आपूर्ति इकाई (पावर सप्लाई युनिट), ऑप्टिकल डिस्क ड्राइव, द्वितीयक भण्डारण (हार्ड डिस्क), कीबोर्ड एवं माउस।
दुनिया में सबसे खूबसूरत जीवों मे शामिल तितलियों की बहुत सी प्रजातियां खतरे में हैं। हाल ही में शोध के ये परिणाम सामने आए हैं। शोधकर्ताओं ने तितलियों की 17 प्रजातियों पर दो दशक तक शोध किया। इस दौरान उन्होंने तितलियों की संख्या, प्रजनन और खाने पर ध्यान दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि तितलियां जरूरी हैं क्योंकि वे फूलों के परागण में मदद करती हैं और मधुमक्खियों की तरह कई कीटों का खाना होती हैं।
द कॉमन ब्लू नाम से मशहूर तितली का जूलॉजिकल नाम पोलियोम्मैटस इकैरस है। यह कभी पूरे यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और एशिया में मिलती थी। नदी किनारे निचले मैदानों या फिर पहाड़ों के मैदानों में ये पाई जाती हैं। हालांकि ये बहुत अच्छे से खुद को बदलती है, लेकिन ये भी अब खतरे में आ गई हैं। इसका कारण मैदानों का खेतों और घरों में तब्दील हो जाना। घास वाले मैदानों पर खूब जंगली फूल होते हैं। यहां द ऑरेंजटिप, द कॉमन ब्लू और ललवर्थ स्किपर नाम की तितलियां मिलती हैं। ये अलग-अलग पौधों से रस लेती हैं।
कुछ तितलियां मैदान पर बैठती हैं, तो कुछ खुद को बचाने के लिए पत्तों और फूलों के पीछे छिप जाती हैं। बहुत ज्यादा खेती, ताकतवर कीटनाशकों और खाद के इस्तेमाल ने यूरोपीय संघ के कई इलाकों को बहुत जहरीला बना दिया है। तितलियों के गायब होने का असर पक्षियों सहित उन जीवों पर भी पड़ता है जो तितलियां खा कर जिंदा रहते हैं। इस बात के काफी सबूत हैं कि तितलियों की संख्या जब भी कम होती है तो खाद्य श्रृंखला में ऊपर के जीव भी कम होने लगते हैं।
ऑरेंज टिप नाम की तितली को विज्ञान की भाषा में एंथोकैरिस कार्डेमिनेस कहते हैं। इसने खेती में बढ़ोतरी के दौर में खुद को बचा लिया। इस प्रजाति की नर तितली के पंख भडक़ीले रंग के होते हैं। ये जंगली फूलों का रस चूसती हैं और खुला पानी भी पी सकती हैं।
मैदानों में पाई जाने वाली तितलियों की दो प्रजातियों की संख्या थोड़ी बढ़ी है, खासकर यूरोप में। रेड अंडरविंग स्किपर (स्पियालिया सर्टोरियस) और माजारीन ब्लू (सियानिरिस सेमियार्गस) की संख्या बढ़ी है। हालांकि ये भी बहुत ज्यादा खेती से बच नहीं पाएंगी। 20वीं सदी की शुरुआत में माजारीन ब्लू ब्रिटेन के मैदानों से बिलकुल गायब हो गई।
1 सितंबर 1961 को योगोस्लाविया की राजधानी बेलग्रेड में गुट निरपेक्ष आनंदोलन के सदस्य देशों का प्रथम शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ। इस शिखर सम्मेलन में 25 देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने भाग लिया। इस शिखर सम्मेलन को, पूर्वी और पश्चिमी ब्लाकों के मुक़ाबले में तीसरी दुनिया के सदस्य देशों की सहायता के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। गुट निरपेक्ष आन्दोलन में सदस्यता की सबसे महत्वपूर्ण शर्त, तत्कालीन पूर्वी और पश्चिमी ब्लाक से तटस्थ रहना थी। सदस्य देशों के विचारों में भिन्नता के कारण यह आन्दोलन अब भी एक सुदृढ़ मोर्चा बनाने में सफल नहीं हो सका है।
गुट निरपेक्ष आंदोलन ऐसे राष्ट्रों की एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जिन्होंने निश्चय किया है, कि विश्व के वे किसी भी पावर ब्लॉक के संग या विरोध में नहीं रहेंगे। यह आंदोलन भारत के प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासर एवं युगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप ब्रॉज़ टीटो का आरंभ किया हुआ है। इसकी स्थापना अप्रैल, 1955 में हुई थी और वर्ष 2007 तक तक इसके 118 सदस्य हो चुके थे।
हवाना घोषणा-1979 के अनुसार इस संगठन का उद्देश्य गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों की राष्ट्रीय स्वतंत्रता, सार्वभौमिकता, क्षेत्रीय एकता एवं सुरक्षा को उनके साम्राज्यवाद, कोलोनियलिज़्म, जातिवाद, रंगभेद एवं विदेशी आक्रमण, सैन्य अधिकरण, हस्तक्षेप आदि मामलों के विरुद्ध उनके युद्ध के दौरान सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही किसी पावर ब्लॉक के पक्ष या विरोध में ना होकर निष्पक्ष रहना है। ये संगठन संयुक्त राष्ट्र के कुल सदस्यों की संख्या का लगभग 2/3 एवं विश्व की कुल जनसंख्या के 55 प्रतिशत भाग का प्रतिनिधित्व करता है। खासकर इसमें तृतीय विश्व यानी विकासशील देश सदस्य हैं।
पाशाई अफग़़ानिस्तान के पूर्वी नूरिस्तान, नंगरहार और कुनर राज्यों में बोली जाने वाली एक दार्दी भाषा है। पाशाई बोलने वालों को पाशाई समुदाय का सदस्य माना जाता है, जिसके अधिकतर लोग धर्म से मुसलमान हैं। 2003 से पहले पाशाई का कोई लिखित रूप नहीं था। बहुत से पाशाई बोलने वाले पश्तो भी बोलते हैं और उनमें साक्षरता का दर लगभग 25 प्रतिशत है।
पाशाई की चार उपभाषाएं बताई जाती हैं - उत्तर पूर्वी, उत्तरपश्चिमी, दक्षिणपूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी। इन उपभाषाओं को बोलने वाले एक दुसरे को समझ नहीं सकते, यानी इन्हें यह चारों अलग-अलग भाषाएं प्रतीत होती हैं।
भाषा वैज्ञानिकों के अनुसार पाशाई का नाम प्राचीन भारत के पश्चिमोत्तर प्रदेश में बोले जानी वाली पैशाची भाषा के नाम का ही जऱा सा बदला हुआ रूप है।