ताजा खबर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 6 अगस्त। मालगाड़ी पर चढक़र कोयला निकाल रहे अपने भाई को बचाने के लिए वैगन पर चढ़ी युवती की मौत हाईटेंशन लाइन की संपर्क में आने से हो गई। घटना की जानकारी आसपास के लोगों को मिलने के बाद रेलवे विभाग में इसकी खबर की गई। शटडाउन मिलने के बाद युवती की लाश को वैगन से नीचे उतारा गया।
घटना गुरुवार की दोपहर लगभग 3:00 बजे के आसपास की है जानकारी के मुताबिक कोयले से भरी मालगाड़ी रेलवे स्टेशन से पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी पावर प्लांट की ओर जा रही थी ।शहर के शारदा विहार रेलवे क्रॉसिंग मैं मालगाड़ी को सिग्नल न मिलने के कारण खड़ा किया गया था। इसी दौरान आसपास की बस्तीवासी मालगाड़ी से कोयला निकालने लगे। कोयला निकालने में कुरेशी परिवार का एक लडक़ा भी शामिल था। जब इसकी जानकारी उसकी बहन को लगी तो वह अपने भाई को बचाने के लिए कोयले से भरी मालगाड़ी में के वेगन में चढ़ गई। वेगन में चढ़ते ही युवती गुलशन कुरैशी हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गई। युवती की मौके पर ही मौत हो गई और उसका शव लगभग 2 घंटे तक मालगाड़ी के वेगन में पड़ा रहा। वही उसका भाई सुरक्षित है। जब रेलवे रेलवे के इलेक्ट्रिकल विभाग में शटडाउन दिया तब कहीं जाकर स्थानीय लोगों की मदद से युवती के शव को वैगन से नीचे उतारा गया। इसके बाद रेलवे व स्थानीय पुलिस ने विभागीय कार्यवाही पूरी की।
इस घटना के कारण शहर के बीच में स्थित शारदा विहार रेलवे क्रॉसिंग में घंटो जाम लगा रहा और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
अयोध्या, 6 अगस्त। अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के भव्य 'भूमिपूजन' समारोह का प्रसाद सबसे पहले एक दलित परिवार को दिया गया। परिवार महाबीर का है और उन्हें राम चरित मानस की एक प्रति और 'तुलसी माला' के साथ प्रसाद दिया गया। इसके बाद ही अयोध्या में अन्य लोगों के लिए प्रसाद का वितरण शुरू हुआ।
महाबीर वही शख्स हैं, जिनके घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए थे, जहां उन्होंने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भोजन भी किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुधवार को भूमिपूजन किया गया। प्रधानमंत्री के अलावा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे।
पूरे राम जन्मभूमि परिसर की गुरुवार को सफाई की गई। मंदिर का निर्माण शनिवार से शुरू होगा।(ians)
नई दिल्ली, 6 अगस्त। देश की राजधानी दिल्ली में पांच साल की बच्ची 'गुड़िया' के साथ हुई निर्मम सामूहिक दुष्कर्म की घटना के सात साल बाद, एक 12 साल की लड़की के साथ इसी तरह की घटना घटी है, जो एम्स अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रही है। बाहरी दिल्ली के पश्चिम विहार में मंगलवार शाम एक अज्ञात व्यक्ति ने 12 साल की लड़की के साथ दुष्कर्म करने के बाद कथित रूप से धारदार हथियार से बेरहमी से हमला कर दिया। आरोपी फरार है।
डीसीडब्ल्यू प्रमुख स्वाति मालीवाल ने गुरुवार को एम्स में पीड़िता के परिवार से मुलाकात करने के बाद कहा, "लड़की की स्थिति बहुत गंभीर है। उसके पेट पर गंभीर चोटों के अलावा पूरे शरीर पर चोट के निशान हैं।"
नाबालिग को पहले संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों की एक टीम ने उसकी चोटों को देखने के बाद एम्स रेफर कर दिया। पुलिस ने अज्ञात हमलावर के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पास्को) और आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया है।
दिल्ली पुलिस ने आरोपियों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कई टीमों का गठन किया है। पश्चिम विहार के जिस इलाके में हमला हुआ, वहां के सीसीटीवी की जांच की जा रही है।
जब पीड़िता के साथ दुष्कर्म हुआ उस वक्त वह घर में अकेले थी, क्योंकि उसके माता पिता दिहाड़ी मजदूर हैं।
मालीवाल ने डीसीपी आउटर दिल्ली को भी तलब किया है और वह चाहती हैं कि इस मामले के घटनाक्रम के बारे में आयोग को सूचित करते रहें।
इस जघन्य अपराध ने 15 अप्रैल, 2013 की दुखद यादों को फिर से ताजा कर दिया है, जब दो लोगों ने पांच साल की लड़की के साथ दुष्कर्म कर उसके प्राइवेट पार्ट को क्षत विक्षत कर दिया था और मृत समझ कर उसे कमरे में ही छोड़ कर फरार हो गए थे।
बच्ची को घटना के 40 घंटे बाद बचाया गया था।
इस साल जनवरी में दिल्ली की एक अदालत ने दोनों आरोपियों को 20 साल की जेल की सजा सुनाई, साथ ही पीड़िता को मुआवजे के रूप में 11 लाख रुपये देने का आदेश दिया, जिसे घटना के बाद 'गुड़िया' नाम दिया गया था।(ians)
3-4 दिनों में जारी होने के संकेत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 अगस्त। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पीएल पुनिया शुक्रवार को यहां पहुंच रहे हैं। वे निगम-मंडलों के पदाधिकारियों की नियुक्तियों पर विचार-विमर्श करेंगे। बताया गया कि सीएसआईडीसी, ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन और मार्कफेड में फिलहाल नियुक्तियां नहीं होंगी। दूसरी सूची में दो दर्जन से अधिक नेताओं के नाम हो सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक निगम-मंडल के पदाधिकारियों की दूसरी सूची अगले दो-तीन दिनों में जारी हो सकती है। सूची को लेकर प्रारंभिक चर्चा हो चुकी है। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मंत्रियों और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम से मंत्रणा कर चुके हैं। प्रदेश प्रभारी श्री पुनिया शुक्रवार को यहां पहुंच रहे हैं।
बताया गया कि प्रदेश प्रभारी श्री पुनिया इस सिलसिले में मुख्यमंत्री श्री बघेल और मंत्रियों के साथ फिर से चर्चा करेंगे। माना जा रहा है कि निगम-मंडलों में जाति समीकरणों को ध्यान में रखकर नियुक्ति की जा सकती है। सूत्र बताते हैं कि सिंधी समाज को अभी प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेता रमेश वल्र्यानी को अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। चर्चा है कि उन्हें वित्त आयोग का मुखिया बनाया जा सकता है।
दूसरी सूची में ज्यादातर चेहरे नए हो सकते हैं। महंत के करीबी मनहरण राठौर सहित कई और नेताओं के नामों की चर्चा है। मरवाही से उत्तम वासुदेव और एक-दो अन्य नेताओं को जगह दी जा सकती है। कांग्रेस नेता विनोद तिवारी को भी महत्व मिल सकता है। चर्चा है कि दूसरी सूची में भी दो दर्जन से अधिक नेताओं के नाम हो सकते हैं। सूची अगले तीन-चार दिनों में जारी हो सकती है।
नई दिल्ली, 6 अगस्त। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कोविड-19 से लड़खड़ाती इकॉनमी को सहारा देने के लिए कई उपायों की घोषणा की। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक समाप्त होने का बाद उन्होंने कहा कि रीपो रेट 4 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया गया है। एमपीसी की बैठक में लिए गए अहम फैसले इस प्रकार हैं..
कारोबारियों और कर्जदारों को राहत
-7 जून के स्ट्रेस्ड एसेट रिजॉल्यूशन फ्रेमवर्क के तहत एक विंडो मुहैया कराई जाएगी जिससे लेंडर्स को ऑनरशिप में बदलाव किए बिना एक समाधान योजना लागू करने का मौका मिलेगा।
-आरबीआई के वी कामथ की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करेगा जो समाधान योजना के लिए जरूरी वित्तीय मानकों का निर्धारण करेगा।
छोटी और मझोली कंपनियों को सहारा
-दबावग्रस्त एमएसएमई कर्जदार मौजूदा व्यवस्था के तहत अपने कर्ज का पुनर्गठन कर सकेंगे, लेकिन इसके लिए यह शर्त रखी गई है कि 1 मार्च, 2020 तक उनका अकाउंट स्टैंडर्ड होना चाहिए।
-इस पुनर्गठन को 31 मार्च, 2021 तक लागू किया जाएगा।
इससे एमएसएमई को काफी राहत मिलेगी क्योंकि कोविड-19 के कारण उनका कामकाज और कैश फ्लो बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
गोल्ड ज्वेलरी पर ज्यादा लोन
-वर्तमान में गिरवी रखे जाने वाले सोने के जेवर और आभूषण के मूल्य के 75 प्रतिशत तक कर्ज देने की व्यवस्था है, जिसे बढ़ाकर 90 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है। -यह राहत 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध होगी।
इससे लोगों को गोल्ड पर पहले से ज्यादा लोन मिलेगा और उन्हें ज्यादा नकदी लेने के लिए सोने को बेचना नहीं पड़ेगा।
रियल एस्टेट के लिए ज्यादा पैसा
-नेशनल हाउसिंग बैंक को हाउसिंग सेक्टर को नकदी संकट से बचने के लिए 5000 करोड़ रुपये मिलेंगे।
-छोटी एनबीएफसी और एमएफआई को राहत देने के लिए नाबार्ड को 5000 करोड़ रुपये मिलेंगे।
बैंकों को राहत
-बैंकों को डे-एंड कैश रिजर्व रेश्यो बैलेंस के प्रबंधन में ज्यादा अधिकार देने के लिए रिजर्व बैंक एक ऑप्शनल फसिलिटी शुरू करेगा।
-बैंक अब यह तय कर सकेंगे कि दिन के अंत में वे आरबीआई के पास अपने चालू खाते में कितना बैलेंस रखें।
अन्य घोषणाएं
-भारत में एक इनोवेशन हब बनाया जाएगा।
-50000 रुपये और उससे अधिक राशि के चेकों के लिए पॉजिटिव पे की एक व्यवस्था बनाई जाएगी।(nbt)
रायपुर 6 अगस्त। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के रायपुर निवास पहुंचकर उन्हें जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने श्री साहू के स्वस्थ, सुदीर्घ और खुशहाल जीवन की कामना की।
वाशिंगटन/नई दिल्ली, 6 अगस्त। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जम्मू एवं कश्मीर पर एक चर्चा शुरू कराने की बीजिंग की असफल कोशिश के बाद नई दिल्ली ने भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश के खिलाफ चीन को गुरुवार को चेतावनी दी है। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में सरकार ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब चीन ने एक ऐसे विषय को उठाने की मांग की है, जो पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है।
सरकार ने कहा, पहले की तरह ही इस बार भी चीन के इस प्रयास को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से बहुत कम समर्थन मिला। हम भारत के आंतरिक मामलों में चीन के हस्तक्षेप को खारिज करते हैं। साथ ही चीन से अपील करते हैं कि वह इस तरह के निष्फल प्रयासों के बाद समुचित निष्कर्ष निकाले।
सरकार को बुधवार को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति से समर्थन को लेकर एक का पत्र मिला है, जिसमें लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की ओर से दिखाई जा रही आक्रामकता के लिए उसे जिम्मेदार ठहराया गया है।
प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष और डेमोक्रेट रैंकिंग सदस्य एलियॉट एंगल एवं रैंकिंग रिपब्लिकन सदस्य माइकल टी मैक्कॉल ने संयुक्त रूप से यह पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि वे अमेरिका-भारत संबंधों के लिए मजबूत द्विदलीय समर्थन प्रदर्शित करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, दोनों दलों के सदस्य भारत एवं अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों के 21वीं सदी पर मजबूत प्रभाव को समझते हैं। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल फरवरी में कहा था कि हमारे संबंध अब केवल साझेदारी नहीं हैं, बल्कि ये पहले से कहीं अधिक मजबूत एवं करीबी हैं। ये मजबूत संबंध ऐसे समय में और अधिक महत्वपूर्ण हैं, जब भारत चीन के साथ लगती सीमा पर उसके (चीन के) आक्रामक रुख का सामना कर रहा है। चीन का यह व्यवहार हिंद प्रशांत में चीन सरकार के अवैध कदमों और उसकी आक्रामकता का हिस्सा है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि अमेरिका अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के भारत के प्रयासों के समर्थन में अडिग रहेगा।
अमेरिकी हाउस कमेटी ने अपने पत्र में जम्मू-कश्मीर में चल रही गंभीर सुरक्षा और आतंकवाद जैसी चिंताओं को भी स्वीकार किया और कहा कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धताओं को बनाए रखते हुए भारत सरकार के साथ इन चिंताओं को दूर करने के लिए काम करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, द्विपक्षीय संबंधों को हमारे समर्थन के साथ ही, हम इस बात पर चिंता जताते हैं कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने और उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद पिछले एक साल में वहां हालात सामान्य नहीं हुए हैं।(ians)
पटना, 6 अगस्त। सुशांत सिंह राजपूत के कथित आत्महत्या मामले को लेकर जांच करने गई चार सदस्यीय पटना पुलिस टीम गुरुवार को वापस पटना लौट गई। हालांकि टीम को मदद करने के लिए मुंबई गए पटना के नगर पुलिस अधीक्षक आईपीएस अधिकारी विनय तिवारी फिलहाल मुंबई में अभी भी क्वारंटीन हैं। टीम गुरुवार को दोपहर पटना हवाईअड्डे पर पहुंची। यहां टीम के सदस्यों ने पत्रकारों से खुलकर तो बात नहीं की, लेकिन इतना जरूर कहा कि प्रतिकूल परिस्थितियों में सुशांत मामले में जो भी साक्ष्य मिला है, वह इकट्ठा किया गया है।
टीम के सदस्यों ने कहा, "जितना समय मिला, उतना अनुसंधान किया गया। हालांकि अनुसंधान की सभी बातें नहीं बताई जा सकती।"
टीम के सदस्यों ने कहा कि पटना से सभी वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग मिलता रहा।
इधर, पुलिस सूत्रों के मुताबिक मुंबई गई टीम अपनी रिपोर्ट पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उपेंद्र शर्मा को सौंपेगी । टीम के सदस्य पटना रेंज के पुलिस महानिरीक्षक संजय कुमार से भी मिलेंगे और जांच संबंधी जानकारी देंगे।
सूत्रों का कहना है कि बिहार सरकार द्वारा इस मामले की जांच सीबीआई कराने की अनुशंसा करने और केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद पुलिस मुख्यालय ने अपनी जांच टीम को वापस लौटने का निर्देश दिया था।
बिहार के पटना के राजीवनगर थाना में सुशांत के पिता के. के .सिंह द्वारा 25 जुलाई को मामला दर्ज कराने के बाद हरकत में आई पटना पुलिस की चार सदस्यीय टीम 27 जुलाई को मामले की जांच करने मुंबई गई थी। इसके बाद पटना के सिटी एसपी विनय तिवारी को भी मुंबई भेजा गया था, जिसे मुंबई पहुंचते ही क्वारंटीन कर दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि 14 जून को पटना के रहने वाले और बॉलीवुड के अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का शव मुंबई के बांद्रा स्थित उनके फ्लैट से बरामद किया गया था। इसके बाद इस मामले की जांच मुंबई पुलिस ने प्रारंभ की थी।(ians)
कोडागु (कर्नाटक), 6 अगस्त (आईएएनएस)| कर्नाटक के कोडागु जिले के तालाकावेरी के पास ब्रम्हगिरी पहाड़ियों में भारी बारिश और तेज हवाओं के बाद हुए भूस्खलन के कारण कुछ घर ढह गए। इस हादसे में पांच लोगों के लापता होने की खबर है। जिला अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "पिछले 2-3 दिनों में हुई भारी बारिश के कारण ब्रह्मगिरी की पहाड़ियों में भूस्खलन हो गया, जिससे कुछ घर ढह गए। भूस्खलन से मंदिर के पुजारियों के कम से कम 2 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसमें एक पुजारी के परिवार के सदस्यों सहित 5 लोग लापता हैं। उनका पता लगाने और उन्हें बचाने के लिए प्रयास जारी हैं।"
ताला कावेरी बेंगलुरू से लगभग 300 किमी दूर दक्षिण पश्चिम में है।
अधिकारी ने कहा, "लापता लोगों को बचाने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई है।"
तलहटी पर बना ताला कावेरी मंदिर भी बारिश के पानी से भरा हुआ था। इस भूस्खलन ने घाट रोड को भी अवरुद्ध कर दिया है, जिससे क्षेत्र में बचाव अभियान और वाहनों के आवागमन में रुकावट आ रही है।
इस बीच, राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र ने दक्षिणी राज्य के तटीय, मध्य और दक्षिणी अंदरूनी क्षेत्रों में भारी बारिश और बाढ़ के कारण रेड अलर्ट जारी किया है।
जिले में पिछले 24 घंटों के दौरान 117 मिमी वर्षा हुई है, जिसके चलते कई नदियों में बाढ़ आ गई है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता के चलते दक्षिण कन्नड़, उडुपी, उत्तर कन्नड़, चिक्कमगलुरु, शिवमोगा, हासन और हावेरी में भारी बारिश हुई है।
हर दुकानदार को मास्क रखना अनिवार्य
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 अगस्त। प्रदेश में अब लॉकडाउन और नहीं बढ़ेगा। अलबत्ता रायपुर, बीरगांव और दुर्ग में कुछ पाबंदियों के साथ बाजार खोलने की अनुमति दी गई है। रायपुर में दुकान खोलने के लिए समय भी निर्धारित किया गया है। बाकी जिलों में सामान्य रूप से दुकानें खोली जा सकती हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को लॉकडाउन पर मंत्रियों से अनौपचारिक चर्चा की थी। रायपुर, दुर्ग और बीरगांव में ही कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। बाकी ग्रामीण इलाकों में स्थिति नियंत्रण में है। इन सबके बावजूद लोगों की दिक्कतों को देखते हुए सरकार अब और लॉकडाउन बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। व्यापारी संगठनों का बाजार खोलने की अनुमति देने के लिए काफी दबाव रहा है। इस सिलसिले में गुरूवार को रायपुर कलेक्टर एस भारतीदासन ने चेम्बर ऑफ कॉमर्स और अन्य व्यापारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की और सुझाव के बाद समय-सीमा निर्धारित की है।
नए निर्देशों में सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक सब्जी, डेयरी, मटन-मछली की दुकानें खोली जा सकेंगी। इसी तरह किराना और जनरल प्रोविजन स्टोर्स भी सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक खुलेगा। बाकी व्यवसाय भी दोपहर 11 बजे से 7 बजे तक संचालित हो सकेगी।
रेस्टोरेंट, होटल में सुबह 10 बजे से 9 बजे तक और होमडिलीवरी रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक हो सकेगी। ठेले पर खाद्य सामग्री सुबह 6 से 9 और रात्रि 5 से 8 बजे तक अनुमति रहेगी। सभी व्यापारियों, कर्मचारियों को मास्क पहनने अनिवार्य रहेगा। सिर्फ गले में गमछा बांधकर रखने से कठोर कार्रवाई की जाएगी। सभी दुकानों में सोशल डिस्टेसिंग की अनिवार्य मार्किंग होगी। दुकानदार को 50 मास्क अपने पास रखना होगा। यदि कोई दुकानदार बिना मास्क के आता है, तो उसे मास्क दिया जाना चाहिए। रविवार को सुबह 6 बजे से 12 बजे तक सिर्फ डेयरी की दुकानें खुल सकेंगी।
सूत्र बताते हैं कि बीरगांव में ऑड-ईवन फार्मूले के तहत बाजार खोलने की अनुमति दी जा सकती है। यानी एक समय में सारी दुकानें नहीं खुलेंगी। रायपुर में भी सुबह सब्जी-दूध, दोपहर तक किराना दुकानों को खोलने की अनुमति दी जाएगी। इसी तरह कृषि यंत्रों और सराफा बाजार के लिए भी समय निर्धारित किया जाएगा। कृषि और सराफा की दुकानें शाम को खोलने की अनुमति दी जाएगी। कंटेनमेंट जोन की दुकानें बंद रहेंगी।
प्रशांत भूषण अवमानना मामले में दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ आलोचना के बिंदु उठाए
नई दिल्ली, 6 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायपालिका पर ट्वीट करने के कारण अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ शुरू हुए अवमानना के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में 3 घंटे की लंबी सुनवाई के दौरान दिलचस्प तर्क दिए गए। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की खंडपीठ के समक्ष भूषण की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे पेश हुए। दवे की दलीलों का केंद्रबिंदु यह था कि श्री भूषण के ट्वीट अवमाननापूर्ण थे या नहीं।
इस दौरान दवे ने न्यायालय से आग्रह किया कि भूषण की टिप्पणियों को न्यायपालिका की बेहतरी के लिए की गई निष्पक्ष आलोचना के रूप में देखा जाना चाहिए, जिनमें कोई ऐसी दुर्भावना नहीं है। न ही यह टिप्पणियां न्यायिक प्रणाली की स्वतंत्रता का अपमान करने के इरादे से की गई थी। उनकी दलीलों का मूलबिंदु यह था कि कई दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के चलते वास्तव में न्यायपालिका की प्रभावशीलता कम हो रही थी। इसलिए भूषण के ट्वीट को उस संदर्भ में समझा जाना चाहिए।
दवे-भूषण जैसे लोग कई बार ऐसे मुद्दों को उठाते हैं जिनको कार्यकारी या राज्य के कर्मचारी भी उठाने को तैयार नहीं होते हैं। निश्चित रूप से उनकी कई याचिकाएं खारिज कर दी जाती हैं, यह ठीक है क्योंकि आपको फैसला करना है, लेकिन मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि इस पर ध्यान दिया जाए। यदि श्री भूषण कोई ‘प्रो-इस्टैब्लिश्मंट या संस्थान’ होते तो आप उनको उनके काम के लिए पद्म विभूषण दे देते।
12 जनवरी, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के चार सिटिंग जजों द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ द्वारा दिए गए बयानों का उल्लेख करते हुए दवे ने जोर दिया कि न्यायिक दृष्टिकोण के बारे में की गई आलोचना पूरी तरह से अनुचित नहीं थी।
अपने बयानों में इन न्यायाधीशों ने कहा था कि अन्य बातों के अलावा शीर्ष कोर्ट का प्रशासन भी ‘‘सुव्यवस्था में नहीं था’’ और कई ऐसी चीजें हो रही हैं जो ‘वांछनीय नहीं थी’।
दवे- जब आपको लगता है कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है तो अपने विचारों को रोक न पाने में कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन क्या इसे अवमानना माना जा सकता है?
इसके बाद उन्होंने हाल के मुद्दों के बारे में बात की और कहा कि उन्होंने न्यायपालिका की प्रभावशीलता को प्रभावित किया है जैसे कि अनुच्छेद 370 के मामलों पर कोर्ट का उदासीनभरा रवैया, बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर कोई कार्यवाही न करना आदि।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की ऐसी प्रतिक्रियाओं पर किसी को भी पीड़ा होगी। दवे ने यह भी कहा कि पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीडऩ के मामले में जिस तरीके से व्यवहार किया गया है,उससे भी संस्था पर बुरा असर पड़ा है।
दवे-उनके मामले को देखें। उसे (शिकायतकर्ता) बहाल कर दिया गया था और सभी आरोपों को हटा दिया गया था। जो यह दर्शाता है कि वह सच बोल रही थी। क्या उसके खिलाफ कोई अवमानना की कार्यवाही की गई थी? इससे क्या धारणा बनी हैै? हमें इन गंभीर मुद्दों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। एक न्यायाधीश शनिवार को अपने स्वयं के मामले में सुनवाई करता है,जो यौन उत्पीडऩ के संबंध में था।
उन्होंने यह भी कहा कि जस्टिस गोगोई को उनकी सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद राज्यसभा सीट और जेड प्लस सुरक्षा भी दी गई। जिसने राफेल, अयोध्या, सीबीआई निदेशक आदि जैसे मामलों में दिए गए फैसलों पर सवालिया निशान उठाया है।
इसके बाद दवे ने ये भी कहा कि न्यायाधीशों को मामलों के आवंटन का तरीका भी आलोचना के लिए पर्याप्त आधार तैयार करता हैं। उन्होंने कहा कि केवल कुछ न्यायाधीशों को ही राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले सुनवाई के लिए दिए जाते हैं।
दवे- उदाहरण के लिए, केवल कुछ न्यायाधीशों को ही क्यों राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले मिलते हैं? उदाहरण के लिए जैसे जस्टिस नरीमन है- उन्हें कभी ऐसे मामले नहीं सौंपे जाते हैं!
मामले की सुनवाई के बाद पीठ ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
भूषण ने अवमानना नोटिस के मामले में एक विस्तृत जवाबी हलफनामा दायर किया है। जिसमें कहा गया है कि न्यायालय के बारे में वास्तविक या यथार्थ विचारों की अभिव्यक्ति अवमानना के समान नहीं है। (hindi.livelaw)
कंटेनमेंट जोन की दुकानें बंद रहेंगी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 अगस्त। प्रदेश में अब लॉकडाउन और नहीं बढ़ेगा। अलबत्ता रायपुर, बीरगांव और दुर्ग में कुछ पाबंदियों के साथ बाजार खोलने की अनुमति दी जाएगी। बाकी जिलों में सामान्य रूप से दुकानें खोली जा सकती हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को लॉकडाउन पर मंत्रियों से अनौपचारिक चर्चा की थी। रायपुर, दुर्ग और बीरगांव में ही कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। बाकी ग्रामीण इलाकों में स्थिति नियंत्रण में है। इन सबके बावजूद लोगों की दिक्कतों को देखते हुए सरकार अब और लॉकडाउन बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। व्यापारी संगठनों का बाजार खोलने की अनुमति देने के लिए काफी दबाव है।
सूत्र बताते हैं कि बीरगांव में ऑड-ईवन फार्मूले के तहत बाजार खोलने की अनुमति दी जा सकती है। यानी एक समय में सारी दुकानें नहीं खुलेंगी। रायपुर में भी सुबह सब्जी-दूध, दोपहर तक किराना दुकानों को खोलने की अनुमति दी जाएगी। इसी तरह कृषि यंत्रों और सराफा बाजार के लिए भी समय निर्धारित किया जाएगा। कृषि और सराफा की दुकानें शाम को खोलने की अनुमति दी जाएगी। कंटेनमेंट जोन की दुकानें बंद रहेंगी।
इस वक्त जब सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की वजह से बिहार नेशनल मीडिया में छाया हुआ है। बिहार और महाराष्ट्र की सरकारों में राजनीतिक टकराव की ख़बरें हैं। राज्य के लोग अपने दौर की दो सबसे भीषण समस्याओं का सामना कर रहे हैं। एक तरफ कोरोना का अनियंत्रित आवेग है तो दूसरी तरफ़ बाढ़ का क़हर।
-पुष्यमित्र
उत्तर बिहार के 16 जिले इस साल फिर से भीषण बाढ़ का सामना कर रहे हैं। राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक लगभग 64 लाख लोग इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, इनमें से 4.4 लाख लोगों को अपना घर छोड़कर दूसरी जगह शरण लेना पड़ रहा है। यह सब उस दौर में हो रहा है, जब राज्य कोरोना के भीषण संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। इस भीषण बाढ़ की वजह से बेघर हुए 4.4 लाख लोगों को जहां ऐसे ठिकानों की जरूरत थी, जहां उनके भोजन, आवास की न्यूनतम व्यवस्था तो हो ही, कोरोना के संक्रमण से भी उनका बचाव हो सके। मगर राज्य सरकार ने उन्हें इस दोहरे संकट का मुकाबला करने के लिए अकेला छोड़ दिया है।
पूरे राज्य में इस वक्त सिर्फ 17 राहत शिविर संचालित हो रहे हैं, जहां सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ 17,916 लोगों को जगह मिली है, शेष चार लाख से अधिक लोग किस हाल में हैं, इसकी सरकार को कोई फिक्र नहीं।
इस वक्त जब सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की वजह से बिहार नेशनल मीडिया में छाया हुआ है। इस मसले को लेकर बिहार औऱ महाराष्ट्र की सरकारों में राजनीतिक टकराव की खबरें हैं। राज्य के लोग अपने दौर की दो सबसे भीषण समस्याओं का सामना कर रहे हैं। एक तरफ कोरोना का अनियंत्रित आवेग है। संक्रमितों की संख्या 62 हजार के अधिक हो गयी है, रोज दो से तीन हजार नये मरीज मिल रहे हैं। राज्य के अस्पतालों में जगह कम पड़ रही है, 92 फीसदी संक्रमितों को होम आइसोलेशन में रखा गया है। तो वहीं दूसरी तरफ उत्तर बिहार की बड़ी आबादी अतिवृष्टि और भीषण बाढ़ का सामना कर रही है। मगर इन दोनों मामलों में सरकार की तरफ से सिर्फ योजनाओं की जानकारी देने के अलावा कोई काम नहीं किया जा रहा है।
जहां तक बाढ़ का मामला है, मंगलवार 4 अगस्त को राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक इससे अब तक 16 जिले के 1152 पंचायतों के 63,60,424 लोग प्रभावित हुए हैं। इनमें से 4,40,507 लोग बेघर हो चुके हैं। मगर हैरत की बात है कि इसी रिपोर्ट के मुताबिक इन 4.4 लाख बेघरों के लिए विभाग सिर्फ 17 राहत शिविरों का संचालन कर रहा है, जिसमें सिर्फ 17,916 लोग रह रहे हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि शेष 4,22,591 लोग कहां और किस हाल में रह रहे होंगे। वह भी उस स्थिति में जब कोरोना की वजह से राज्य में छठी बार लॉकडाउन लगा है। दुकानों के खुलने पर पाबंदी है। कहीं आने जाने पर रोक है। आपस में घुलने मिलने में संक्रमण का खतरा है।
ध्यान देने वाली बात है कि राज्य के मुख्यमंत्री ने काफी पहले से कह रखा है कि इस कोरोना काल में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए विशेष तैयारी की जरूरत है। उन्होंने सभी पीड़ितों की स्क्रीनिंग, उन्हें रहने की ऐसी व्यवस्था करना कि संक्रमण फैलने का खतरा न हो, मुमकिन हो तो सभी पीड़ितों का कोरोना टेस्ट कराना, उन्हें मास्क औऱ सेनिटाइजर देना, उन्हें लाने-ले जाने वाले नावों, बोटों का नियमित सेनिटाइज कराना आदि के निर्देश दिये हैं। खुद आपदा प्रबंधन विभाग दो माह पहले से इसकी तैयारी कर रहा है और इस काम से जुड़े कर्मियों की ट्रेनिंग करायी जा रही है। मगर खुद विभाग के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि सरकार की तैयारियां नगण्य हैं।
इसी सिलसिले में 5 अगस्त, बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दरभंगा जाकर बाढ़ पीड़ितों का हाल लेने की कोशिश की है। सीएम जिस राहत शिविर में पहुंचे, वहां प्रशासन ने सजावटी व्यवस्था कर ली, मगर दरभंगा जिले के ही दूसरे शिविरों में बच्चे जमीन पर बैठकर एक दूसरे से सटकर खाते नजर आ रहे हैं।
राहत शिविरों का वास्तविक हाल। दरभंगा की एक सामुदायिक रसोई।
जमीनी हालात बता रहे हैं कि बाढ़ को लेकर मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर आदि जिले में स्थिति काफी विस्फोटक है। बाढ़ का पानी घुस जाने की वजह से मुजफ्फरपुर के कांटी थर्मल पावर की दो यूनिट और बरौनी थर्मल की एक यूनिट मैं बिजली उत्पादन सोमवार से ठप है। इसके अलावा पावर ग्रिडों में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। इस कारण तिरहुत और चंपारण के इलाकों में भीषण बिजली संकट की स्थिति है। ज्यादातर जगहों पर सिर्फ चार से आठ घंटे बिजली की आपूर्ति हो पा रही है।
इस अव्यवस्था से बाढ़ पीड़ित इतने नाराज हैं कि उन्होंने मंगलवार को मुजफ्फरपुर के पास एनएच 77 और एनएच 57 को सुबह से लेकर दोपहर तक जाम कर दिया और नारेबाजी करते है। उसी तरह पारू प्रखंड के चांदकेवरी पंचायत के सैकड़ों लोगों ने भी प्रखंड मुख्यालय पहुंच कर बीडीओ के खिलाफ नारेबाजी की। राज्य के दूसरे इलाकों से भी ऐसी छिट-पुट घटनाओं की खबरें हैं। राज्य के स्थानीय अखबारों के अंदर के पन्ने बाढ़ की खबरों से भरे पड़े हैं। मगर राज्य सरकार इस मसले पर सिर्फ बयान जारी कर रही है।
इस बीच उत्तर बिहार अतिवृष्टि का भी सामना कर रहा है। उत्तर बिहार के आठ जिलों में अभी भी एक हजार मिमि. से अधिक बारिश हो गयी है, जबकि अभी भादो और आश्विन का महीना बाकी है। ऐसे में जहां बाढ़ का पानी नहीं भी फैला है, वहां लोग जलजमाव से परेशान हैं। खेत लबालब डूबे हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि इस समय राज्य के स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन दोनों महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा एक ही प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को दे दिया गया है। उन्होंने दावा किया है कि बाढ़ पीड़ितों का कोरोना को लेकर रैपिड टेस्ट कराया जायेगा। मगर राज्य में राहत शिविरों की संख्या को देखकर समझा जा सकता है कि उनकी बातों में कितना दम है। (hindi.newsclick.in)
मौतें-71, एक्टिव-2555, डिस्चार्ज-7871
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 अगस्त। प्रदेश में कोरोना मरीज साढ़े 10 हजार के करीब पहुंच गए हैं। बीती रात सामने आए 295 नए पॉजिटिव के साथ इनकी संख्या बढक़र 10 हजार 497 हो गई है। इसमें 71 लोगों की मौत हो गई है। 25 सौ 55 एक्टिव हैं और इन सबका अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है। 78 सौ 71 ठीक होने के बाद अपने घर लौट गए हैं। सैंपलों की जांच जारी है।
प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। खासकर राजधानी रायपुर में इसके ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं। बीती रात साढ़े 8 बजे 205 नए पॉजीटिव की पहचान की गई। इसमें रायपुर जिले से 83, दुर्ग से 32, बस्तर से 18, राजनांदगांव से 16, महासमुंद से 13, रायगढ़ व बलौदाबाजार से 9-9, जशपुर से 5, सरगुजा व नारायणपुर से 4-4, जांजगीर-चांपा, कांकेर व अन्य राज्य से 2-2 एवं बेमेतरा, कबीरधाम, गरियाबंद, बिलासपुर, सूरजपुर व कोंडागांव से 1-1 मरीज शामिल रहे।
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इसके बाद रात 11 बजे 90 और पॉजिटिव मिले। इसमें रायपुर जिसे से 59, दुर्ग से 17, महासमुंद से 6, बलौदाबाजार से 5, रायगढ़, कोरबा व कोरिया से 1-1 मरीज शामिल रहे। ये सभी मरीज आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे हैं। वहीं उनके संपर्क में आने वालों की जांच-पहचान जारी है। दूसरी तरफ, बीती रात में परशुराम नगर, महामायापारा, रायपुर के 63 वर्षीय पुरूष और राऊरकेला, उड़ीसा का 55 वर्षीय पुरूष की मौत दर्ज की गई।
स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि प्रदेश में कोरोना संैपलों की जांच लगातार चल रही है और संक्रमित सामने आ रहे हैं। फिलहाल हर रोज करीब 5 हजार सैंपलों की जांच हो रही है, जिसमें 3 से 4 सौ के आसपास लोग पॉजिटिव निकल रहे हैं। सैंपल जांच आने वाले दिनों में बढ़ाकर 10 हजार तक ले जाने की तैयारी है। ऐसे में कोरोना पॉजिटिव की संख्या और बढ़ सकती है। हालांकि फिलहाल जितने मरीज सामने आ रहे हैं, उतने के आसपास लोग ठीक होकर अपने घर भी लौट रहे हैं। बीती रात में 258 मरीज ठीक होने पर डिस्चार्ज किए गए।
कांग्रेस पार्टी के छत्तीसगढ़ के सबसे बुजुर्ग नेता मोतीलाल वोरा एक बरगद की तरह बूढ़े हैं, और बरगद की तरह ही उनका तजुर्बा फैला हुआ है। भला और कौन ऐसे हो सकते हैं, जो राजस्थान से आकर छत्तीसगढ़ में बसे हों, और यहां के कांग्रेस के इतने बड़े नेता बन जाएं कि उन्हें अविभाजित मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जाए, केन्द्रीय मंत्री बनाया जाए, और उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य का राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल बनाया जाए। वोराजी एक अद्भुत व्यक्तित्व हैं, और छत्तीसगढ़ी में एक कहावत है जो उनके बारे में कई लोग कहते हैं, ऐड़ा बनकर पेड़ा खाना।
मोतीलाल वोरा ने अपनी कामकाजी जिंदगी की शुरूआत रायपुर की एक बस कंपनी में काम करते हुए की थी। जैसा कि पहले किसी भी परंपरागत कारोबार में होता था, हर कर्मचारी को हर किस्म के काम करने पड़ते थे, न तो उस वक्त अधिक किस्म के ओहदे होते थे, और न ही लोगों को किसी काम को करने में झिझक होती थी। मुसाफिर बस चलाने वाली इस कंपनी में वोराजी कई किस्म के काम करते थे। लेकिन उनकी सरलता की एक घटना खुद उन्हें याद नहीं होगी।
यह बात मेरे बचपन की है, जिस वक्त हमारे पड़ोस में बसों को नियंत्रित करने वाले आरटीओ के एक अफसर रहते थे। उनके घर पर मेरा डेरा ही रहता था, लेकिन 5-7 बरस की उस उम्र की अधिक यादें नहीं है, लेकिन बाद में पड़ोस के चाचाजी की बताई हुई बात जरूर याद है। उनके घर एक सोफा की जरूरत थी, और सरकारी विभागों के प्रचलन के मुताबिक आरटीओ अधिकारी के घर सोफा पहुंचाने का जिम्मा इस बस कंपनी पर आया था। ठेले पर सोफा लदवाकर किसी के साथ स्कूटर पर बैठकर बस कंपनी के कर्मचारी मोतीलाल वोरा पहुंचे और सोफा उतरवाकर घर के भीतर रखवाकर लौटे। यह बात आई-गई हो गई, वक्त के साथ-साथ वोराजी राजनीति में आए, कांग्रेस में आए, विधायक बने, और अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए। इस बीच हमारे पड़ोस के चाचाजी बढ़ते-बढ़ते प्रदेश के एक सबसे बड़े संभाग के आरटीओ बने। लेकिन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा जब उनके शहर के दौरे पर पहुंचते थे, तो वे या तो छुट्टी ले लेते थे, या सामने पडऩे से बचने का कोई और जरिया निकाल लेते थे। ऐसा नहीं कि वोराजी को आरटीओ का कामकाज समझता नहीं था, लेकिन रायपुर के उस वक्त का सोफा इस वक्त झिझक पैदा कर रहा था, और चाचाजी उनके सामने नहीं पड़े, तो नहीं पड़े।
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मोतीलाल वोरा कुछ असंभव किस्म के व्यक्ति हैं। वे बहुत सीधे-सरल भी हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी में सोनिया गांधी के दाएं हाथ की तरह इतने बरसों से बने रहने के लिए सिधाई, और सरलता से परे भी कई हुनर लगते हैं, जिनमें से कुछ तो वोराजी के पास होंगे ही। प्रदेशों के कांग्रेस संगठनों की बात करना ठीक नहीं होगा, लेकिन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बारे में यह कहा जाता है कि इसका यह अनोखा सौभाग्य रहा कि इसके कोषाध्यक्ष ईमानदार रहे। मोतीलाल वोरा ने कांग्रेस कोषाध्यक्ष रहते हुए हजारों करोड़ रूपए देखे होंगे, लेकिन उन पर किसी बेईमानी का कोई लांछन कभी नहीं लगा। और तो और अभी दो चुनाव पहले जब उनका बेटा अरूण दुर्ग से चुनाव लड़ रहा था, और इस सदी में चुनाव के जिन खर्चों की परंपरा मजबूत हो चुकी है, उन खर्चों के लिए आखिरी के दो-तीन दिनों में उम्मीदवारों को पार्टी से पैसा मिलता है। मोतीलाल वोरा ने प्रदेश के सभी कांग्रेस उम्मीदवारों को जो पैसा भेजा था, वही पैसा अरूण वोरा को भी मिला था। पता नहीं क्यों उस चुनाव में मोतीलाल वोरा ने हाथ खींच लिया था, और मतदान के दो दिन पहले का पैसा नहीं पहुंचा, और वह भी एक वजह थी जो अरूण वोरा चुनाव हार गए थे।
पिछले 25-30 बरसों में दो-चार बार मेरा वोराजी के दुर्ग घर पर जाकर मिलना हुआ है। लकड़ी का वही पुराना सोफा, और कमरे में प्लास्टिक की 10-20 कुर्सियों की थप्पी लगी हुई थी। कोई शान-शौकत नहीं बढ़ी, कोई खर्च भी नहीं बढ़े। ताकत की जितनी कुर्सियों पर वोराजी रहे, और कांग्रेस पार्टी के हजारों करोड़ को उन्होंने यूपीए के 10 बरसों में देखा, कई आम चुनाव निपटाए, पूरे देश की विधानसभाओं के चुनाव निपटाए, लेकिन उनके परिवार का रहन-सहन ज्यों का त्यों बना रहा। आज के जमाने में यह सादगी छोटी बात नहीं है, और शायद इसी के चलते कांग्रेस पार्टी में सोनिया गांधी के करीब और कोई विकल्प नहीं बन पाया।
15-16 बरस पहले जब मैंने अखबार की नौकरी छोड़ी, और इस अखबार, ‘छत्तीसगढ़’, को शुरू करना तय किया, तो कुछ विज्ञापनों की कोशिश करने के लिए दिल्ली गया। उस वक्त दिल्ली के मेरे एक दोस्त, संदीप दीक्षित, पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस के सांसद बने थे, और अपनी मां शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री निवास से अलग रहने लगे थे। उनकी जिद पर मैं उनके घर पर ही ठहरा, और दिल्ली आने की वजह बताई, यह भी बताया कि कांग्रेस मुख्यालय में आज वोराजी से मुलाकात तय है। संदीप ने कहा कि वहां तो मजमा लगा होगा क्योंकि पंजाब विधानसभा चुनाव की टिकटें तय होना है, और चुनाव समिति में वोराजी भी हैं। इसके साथ ही संदीप ने आधे मजाक और आधी गंभीरता से कहा- आप भी कहां विज्ञापनों के चक्कर में पड़े हैं, पंजाब में एक-एक टिकट के लिए लोग पांच-पांच करोड़ रूपए देने को तैयार खड़े हैं, आप वोराजी से किसी एक को टिकट ही दिला दीजिए, आपका प्रेस खड़ा हो जाएगा।
जब मैं वोराजी से मिलने एआईसीसी पहुंचा, तो सचमुच ही सारे बरामदों में पंजाब ही पंजाब था। लेकिन बाहर सहायक के पास मेरे नाम की खबर थी, मुझे तुरंत भीतर पहुंचाया गया, और वैसी मारामारी के बीच भी वोराजी ने चाय पिलाई, पान निकालकर अपने हाथ से दिया, और कांग्रेस प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के नाम विज्ञापनों के लिए चिट्ठियां टाईप करवाईं, उनकी एक-एक कॉपी मुझे भी दी कि मैं जाकर उनसे संपर्क कर लूं।
चिट्ठी आसान होती है, लेकिन उस वक्त के उतने कांग्रेस प्रदेशों में जाना अकेले इंसान के लिए मुमकिन नहीं होता, इसलिए वे सारी चिट्ठियां मेरे पास रखी रह गईं, और भला किस प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक चिट्ठी के आधार पर शुरू होने वाले अखबार के लिए विज्ञापन मंजूर करने का समय हो सकता है? बात आई-गई हो गई, लेकिन वोराजी ने पूरा वक्त दिया, और उन्हें जब मैंने संदीप दीक्षित की कही बात बताई तो वे हॅंस भी पड़े। टिकट दिलवाकर पैसे लेने या दिलवाने का काम वे करते होते, तो इतने बरसों में न बात छुपती, न पैसा छुपता।
वोराजी से मेरा अच्छा और बुरा, सभी किस्म का खूब तजुर्बा रहा। अच्छा ही अधिक रहा, और बुरा तो नाममात्र का था।
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जब मोतीलाल वोरा अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब मैं पिछले अखबार में रिपोर्टिंग करता था। वोराजी तकरीबन हर शनिवार-इतवार रायपुर-दुर्ग आ जाते थे, और मैं दोनों जगहों पर उनके कई कार्यक्रमों में चले जाता था, और रायपुर की सभी प्रेस कांफ्रेंस में भी। ऐसी ही एक प्रेस कांफ्रेंस में मैंने उनसे पूछा- क्या रायपुर में आपके किसी रिश्तेदार को अफसर परेशान कर रहे हैं?
वे कुछ हक्का-बक्का रह गए, सवाल अटपटा था, और मुख्यमंत्री अपने रिश्तेदारों के बारे में ऐसी अवांछित बात सुनने की उम्मीद भी नहीं कर सकता था। उन्होंने इंकार किया।
लेकिन मेरे पास उससे अधिक अवांछित अगला सवाल था, मैंने उनसे पूछा कि क्या उन्हें उनके अफसरों से ऐसी शिकायत मिली है कि उनके (वोराजी के) रिश्तेदार उन्हें परेशान करते हैं?
इस पर वे कुछ खफा होने लगे लेकिन उनकी सज्जनता ने उनकी आवाज को फिर भी काबू में रखा, और उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली।
मैं उन दिनों रिपोर्ट लिखते हुए पत्रकारवार्ता के सवाल-जवाब भी बारीकी से सवाल-जवाब की शक्ल में लिखता था, और अपने पूछे सवालों के साथ यह भी खुलासा कर देता था कि ये सवाल इस संवाददाता ने पूछे थे, और उनका यह जवाब मिला था।
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सवाल-जवाब की शक्ल में छपी प्रेस कांफ्रेंस की बात आई-गई हो गई। इसके कुछ या कई हफ्ते बाद उस अखबार के प्रधान संपादक मायारामजी सुरजन रायपुर लौटे। मुझे भनक लग गई थी कि वे किसी बात पर मुझसे खफा हैं, और मेरी पेशी हो सकती है। दफ्तर पहुंचते ही उन्होंने मुझे बुलाया, और कहा कि भोपाल में वोराजी ने उन्हें मेरी शिकायत की है। और यह कहकर शिकायत की है कि सुनील कुमार मुझसे (वोराजी से) इस टोन में बात करते हैं कि मानो वे मेरे मालिक हों। बाबूजी (मायारामजी) ने बताया कि वोराजी ने चाय पर बुलाकर अखबार की कतरन उनके सामने रख दी थी कि मैंने प्रेस कांफ्रेंस में ऐसे-ऐसे सवाल किए थे। बाबूजी ने उनसे यह साफ किया कि हमारे अखबार के रिपोर्टरों को यह हिदायत दी जाती है कि वे सवाल तैयार करके ही किसी प्रेस कांफ्रेंस में जाएं, और सवाल जरूर पूछें, महज डिक्टेशन लेकर न लौटें। इसलिए सुनील ने सवाल जरूर किए होंगे, लेकिन इन सवालों में कुछ गलत तो लग नहीं रहा।
अब यहां पर एक संदर्भ को साफ करना जरूरी है, वोराजी के एक रिश्तेदार और नगर निगम के एक कर्मचारी, वल्लभ थानवी बड़े सक्रिय कर्मचारी नेता थे। वहां के बड़े अफसरों से उनकी तनातनी चलती ही रहती थी। कुछ दिन पहले ही उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि म्युनिसिपल के बड़े अफसर उन्हें इसलिए परेशान करते हैं कि वे मुख्यमंत्री के रिश्तेदार हैं। इसके जवाब में निगम-प्रशासक या आयुक्त ने कहा था कि मुख्यमंत्री के रिश्तेदार होने की वजह से वल्लभ थानवी उन्हें परेशान करते हैं। इसी संदर्भ में मैंने प्रेस कांफ्रेंस में वोराजी से सवाल किया था।
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लेकिन मुख्यमंत्री तो मुख्यमंत्री होते हैं, उन्हें अगर कोई बात बुरी लगी तो अखबार के मुखिया से शिकायत का उनका एक जायज हक बनता था। और बहुत लंबे परिचय की वजह से उन्होंने बाबूजी को बुलाकर ऐसी कुछ और कतरनों की भी फाईल सामने धर दी थी।
मुझे बाबूजी के शब्द अच्छी तरह याद हैं कि उन्होंने इन्हें पढक़र वोराजी से कहा था कि उन्हें तो इसमें कोई बात आपत्तिजनक नहीं लग रही है, जहां तक मेरे बोलने के तरीके का सवाल है, तो मुख्यमंत्री का भला कौन मालिक हो सकता है। उन्होंने कहा कि सुनील के बात करने का तरीका कुछ अक्खड़ है, और वे मुझे उनसे (वोराजी से) बात करने भेजेंगे। वे तो चाय पीकर लौट आए थे, लेकिन मुझे रायपुर में यह जानकारी देते हुए बाबूजी ने कहा कि जब वोराजी अगली बार रायपुर आएं तो उनसे जाकर मैं मिल लूं, और पूछ लूं कि वे किसी बात पर नाराज हैं क्या। न मुझे खेद व्यक्त करने का निर्देश मिला, और न ही माफी मांगने की कोई सलाह दी गई, कोई हुक्म दिया गया।
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वोराजी का कोई रायपुर प्रवास हफ्ते भर से अधिक दूर तो होता नहीं था, वे यहां आए, और मैं सर्किट हाऊस में जाकर उनसे मिला। भीतर खबर जाते ही उन्होंने तुरंत बुला लिया, मैंने कहा- बाबूजी कह रहे थे कि आप मेरी किसी बात से नाराज हैं?
वोराजी ने हॅंसते हुए पास आकर पीठ थपथपाई, और कहा- अरे नहीं, कोई नाराजगी नहीं है। और क्या हाल है? कैसा चल रहा है?
मुख्यमंत्री की नाराजगी महज एक वाक्य कहने से इस तरह धुल जाए, ऐसा आमतौर पर होता नहीं है, लेकिन वोराजी की सज्जनता कुछ इसी तरह की थी। उन्हें मैंने मन में गांठ बांधकर रखते नहीं देखा है, और राजनीति के प्रचलित पैमानों पर उनकी सज्जनता अनदेखी नहीं रहती।
मोतीलाल वोरा के बारे में और कई बातें लिखने लायक हैं, शायद कल, या फिर अगली किसी किस्त में।
-सुनील कुमार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 अगस्त। राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग ने रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन वाले क्षेत्रों की नई सूची अधिसूचित की है। इसमें रायपुर-बिलासपुर शहर समेत 114 ब्लॉक रेड जोन घोषित किए गए।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक प्रदेश के सभी विकासखंडों और शहरी क्षेत्रों में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या, इनके दोगुने होने की दर तथा प्रति एक लाख जनसंख्या पर सैंपल जांच की ताजा स्थिति के आधार पर उन्हें रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में पुन: वर्गीकृत किया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 2 अगस्त की स्थिति के आधार पर यह वर्गीकरण किया गया है। रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन घोषित क्षेत्र इस प्रकार हैं:-
नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। बीते 24 घंटों में देश में कोरोनावायरस के 56,282 नए मामले और 904 मौतें सामने आईं हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के गुरुवार को आए आंकड़ों के मुताबिक अब तक देश में कुल 19,64,537 मामले और 40,699 मौतें दर्ज हो चुकी हैं। देश में वर्तमान में, 5,95,501 सक्रिय मामले हैं और 13,28,336 लोग इस बीमारी से उबर चुके हैं। रिकवरी दर 67.19 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
भारत में छह राज्य ऐसे हैं जहां पिछले 6 महीनों में एक-एक लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
महाराष्ट्र में सबसे अधिक 4,68,265 मामले और 16,476 मौतें दर्ज हुईं। इसके बाद तमिलनाडु में 2,73,460 मामलों और 4,461 मौतें सामने आईं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी एक लाख से अधिक मामले सामने आए हैं।
दूसरी ओर देश में आठ राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, लद्दाख, मिजोरम, अरुणांचल प्रदेश, मेघालय, सिक्किम और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ऐसे हैं जहां सक्रिय मामलों की संख्या 1,000 से कम है।
इस हफ्ते की शुरूआत में एक प्रेस वार्ता में, स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा था कि कुल मामलों में से 82 प्रतिशत मामले दस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक सीमित हैं। उस पर भी इन राज्यों के केवल पचास जिलों में कुल मामलों के 66 प्रतिशत मामले दर्ज हुए हैं।
देखें मुंबई बारिश-तूफान के VIDEO - 1 (बारिश में मुंबई के एक अस्पताल का हाल, वीडियो पोस्ट किया है फ़िल्मकार अशोक मिश्र ने... )
मुंबई, 7 अगस्त (भाषा)। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में मौसम का बुरा हाल है। भारी बारिश के साथ तूफानी हवाओं ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मुंबई में तेज हवाएं चल रही हैं। अब तक इन तूफानी हवाओं की रफ्तार 107 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई। इसे देखते हुए मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री आदित्य ठाकरे ने लोगों से घरों से बाहर नहीं निकलने की अपील की है। ट्विटर पर आ रहे संदेशों और तस्वीरों से मुंबई के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। बड़ी-बड़ी क्रेनों की मदद से सडक़ पर फंसी कारों, गिरे हुए पेड़ों को उठाया जा रहा है।
देखें मुंबई बारिश-तूफान के VIDEO - 2 (वीडियो ट्विटर पर आनंद महिंद्रा ने पोस्ट किया)
Of all the videos that did the rounds yesterday about the rains in Mumbai, this one was the most dramatic. We have to figure out if this palm tree’s Tandava was a dance of joy—enjoying the drama of the storm—or nature’s dance of anger... pic.twitter.com/MmXh6qPhn5
— anand mahindra (@anandmahindra) August 6, 2020
मौसम विभाग का कहना है कि कोलाबा में 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं दर्ज की गई हैं। लेकिन करीब पांच बजे यहां पर हवा की रफ्तार बढक़र 107 किलोमीटर प्रति घंटे पर पहुंच गई। विभाग ने कहा कि शाम तक मुंबई के कोलाबा में 22.9 सेमी बारिश हुई जबकि सैंटाक्रूज में 8.8 सेमी बारिश हुई। सेंट्रल रेलवे ने ट्वीट में कहा कि भारी बारिश और जलभराव की वजह से छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से वाशी (हार्बर लाइन पर) और मेल लाइन पर ठाणे तक ट्रेन सेवाएं रद्द कर दी गई हैं।
तूफान के VIDEO - 3 (मुंबई बारिश-तूफ़ान के वीडियो। इसे पोस्ट किया है पत्रकार नीलकंठ पारटकर ने.)
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कार्यालय ने कहा कि सीएम ने मुंबई और उसके आसपास के इलाकों की समीक्षा की है। मौसम विभाग की ओर से कल भारी बारिश का अनुमान जताने की वजह से अधिकारियों को अलर्ट रहने को कहा गया है। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने लोगों से घर में रहने का आग्रह किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- सभी लोग घर में ही रहें। मंबई तेज हवाओं और भारी बारिश का सामना कर रही है, जैसा की हम सब देख रहे हैं। मैं सभी लोगों से, खासकर पत्रकारों से जो इस घटना को कवर कर रहे हैं, उनसे अपील करता हूं कि जहां हैं, वहीं पर सुरक्षित रहें। मुंबई पुलिस ने लोगों भी लोगों से घर में रहने की अपील की है। भाषा की एक खबर के मुताबिक, मुंबई और पड़ोसी जिलों ठाणे तथा पालघर में बुधवार को हुई जिससे रेल की पटरियों और सडक़ों पर जलभराव के कारण लोकल ट्रेन तथा बस सेवाएं बाधित हो गईं। मुंबई के चेंबूर, परेल, हिंदमाता, वडाला और अन्य क्षेत्रों के निचले इलाकों में जलभराव की खबरें हैं। पालघर में सुबह भारी बारिश के कारण पश्चिमी रेलवे मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही बाधित रही।
Tweets by Bhushan were statements of fact that in no way scandalised the court: Dave
When the Supreme Court has reinstated an employee who had accused the then Chief Justice of India Ranjan Gogoi of sexually harassing her, how can it haul up activist Prashant Bhushan for contempt for voicing his bona fide opinion about the judiciary and an action of the incumbent Chief Justice, senior advocate Dushyant Dave asked on Wednesday.
The top court on July 22 initiated contempt proceedings against Bhushan for a tweet about Chief Justice S.A. Bobde posing on a Harley Davidson and another alleging that democracy had been destroyed in the country during the last six years under the last four Chief Justices.
Dave appeared for the activist before a bench headed by Justice Arun Mishra and including Justices B.R. Gavai and Krishna Murari.
“The Supreme Court has taken back the woman who raised sexual harassment charges against a former Chief Justice of India. What does that mean? It says there was truth in her allegations.… When allegations are made against the highest constitutional functionary, please, for God’s sake, do not suppress it,” Dave pleaded.
Had her allegations been untrue, these would amount to contempt, Dave said. But since the top court chose to reinstate her in January this year, it suggests that what she alleged was the truth, for which no contempt arises.
“Your Lordships may look at the case against Mr Bhushan in the same light. She (the alleged victim) was reinstated and all the charges against her were dropped. It only clearly shows that she was speaking the truth. Was any contempt issued against her? What kind of impression does it give to the world?” he asked.
Bhushan too cannot be hauled up for contempt for voicing his “bona fide impressions” of the judiciary and the action of the present Chief Justice, who had posed on the “Rs 50 lakh” Harley-Davidson during the Covid lockdown which has been cited to close the Supreme Court, Dave contended. People seeking enforcement of their fundamental rights do not have access to the court, Bhushan had noted.
“Tell us whether motorcycle has political colour; I am asking on the lighter side,” Justice Mishra said. The motorcycle Chief Justice Bobde posed on is registered in the name of a BJP leader’s son. However, sources close to the Chief Justice had said the bike had been brought to him by a Harley-Davidson executive and he did not know who the owner was.
The tweets by Bhushan were statements of fact that in no way scandalised the court, the lawyer contended.
“The two tweets are not against the institution. They are against the judges in their personal capacity regarding their conduct. They are not malicious and do not obstruct administration of justice,” Dave submitted.
Returning to the sexual harassment complaint against Gogoi, Dave said that despite the allegations, the former Chief Justice had been accorded a Rajya Sabha seat by the present government.
“A judge (Ranjan Gogoi) sits on a Saturday in his own case regarding sexual harassment and subsequently gets a seat in the Rajya Sabha with Z-plus category security, which he (Bhushan) said had raised serious question marks over his (Gogoi’s) decisions in the Rafale, Ayodhya and CBI director case,” Dave argued.
Gagoi
No one is infallible
“Nobody can claim to be infallible, including judges,” Dave said, pleading that Bhushan’s tweets were posted in the course of his expressing deep anguish at the way several cases, including those relating to the abrogation of Article 370 and the anti-CAA protests, were being dealt with by the top court.
There were serious misgivings among the bar and general public over the manner in which some “politically sensitive” cases are allocated, he contended.
“For instance, why do only certain judges get politically sensitive matters? Justice (R.F.) Nariman, for example, never gets assigned such matters,” Dave said.
Justice Mishra replied: “Justice Nariman had been part of many constitution bench matters in this court.”
Justice B.R. Gavai said Justice Nariman was also part of the bench that heard the row over the powers of the Manipur Speaker. Dave asked that if judges can criticise the institution, why can’t Bhushan?
He recalled the unprecedented news conference held on January 12, 2018, by four sitting judges of the Supreme Court who had said that the administration of the Supreme Court “was not in order and many things less than desirable were happening”.
“There is nothing wrong in one not withholding views when you feel that everything is not hunky-dory in the Supreme Court. Can I be held for contempt for expressing my views?” he asked.
The Supreme Court’s healing touch was required, the lawyer said.
“It will be no good for the institution. I beg you to ignore it,” Dave said, pleading that the court drop the contempt proceedings against Bhushan.
“The comments were not out of malice or vendetta. They were made out of love and affection for the judiciary. People like Mr Bhushan take up issues that many a times the executive is not willing to do.”
Bhushan fit for Padma Vibhushan
The Supreme Court had itself lauded Bhushan for espousing public interest litigations in earlier high-profile cases such as the 2G spectrum scandal and the coal scam.
“Your Lordships have appreciated Mr Bhushan’s work in matter of allocation of 2G licences, coal-block allocation, mining in forests etc.… Perhaps you would have given him a Padma Vibhushan for the work he did in the last 30 years,” Dave said.
The court reserved its judgment. (telegraphindia.com)
लेबनान की राजधानी बेरुत में मंगलवार शाम हुए विनाशकारी धमाके में अब तक 135 लोगों की जान जा चुकी है और 4000 से ज़्यादा लोग ज़ख़्मी हुए हैं.
राहत बचावकर्मी अब भी मलबे में दबे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं. धमाके में लेबनान का मुख्य अन्नागार भी बर्बाद हो गया है. इस तबाही के बाद लेबनान के पास एक महीने से भी कम का सुरक्षित अनाज बचा है.
बुधवार को लेबनान के वित्त मंत्री राउल नेह्मे ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि इस धमाके बाद लेबनान के पास एक महीने से भी कम के सुरक्षित अनाज बचे हैं लेकिन आटा पर्याप्त है इसलिए संकट से बचा जा सकता है.
वित्त मंत्री ने कहा कि कम से कम तीन महीने के सुरक्षित अनाज होने चाहिए. धमाके के पहले से ही लेबनान आर्थिक संकट से जूझ रहा है और अनाज आयात करने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि धमाके में तबाह हुए अनाज गोदामों में कम से कम 15 हज़ार टन अनाज की बर्बादी हुई है हालांकि इनकी क्षमता एक लाख 20 हज़ार टन की है.
लेबनान ज़्यादातर खाद्य सामग्री आयात करता है और अनाज का बड़ा हिस्सा पोर्ट पर स्टोर करके रखा जाता है. लेकिन धमाके में ये स्टोर किए अनाज भी पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं. लेबनान खाद्य संकट के मुहाने पर खड़ा है.
बेरुत में हुए धमाके की अहम बातें जानिए-
क्या हुआ?
मंगलवार की शाम शुरू में बेरुत के तटीय इलाक़े में धमाके की ख़बर आई. चश्मदीदों का कहना है कि इसके बाद आग लगी और छोटे धमाके हुए, जिनकी आवाज़ पटाखे की तरह थी.
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में दिख रहा है कि सफ़ेद धुएं के गुबार एक गोदाम से उठ रहे हैं. पास में ही एक अनाज का गोदाम था. इसके ठीक पहले एक विनाशकारी धमाका हुआ था और ये इतना ज़ोरदार था कि पूरे शहर में आग की लपटें और धुएं के गुबार फैल गए.
दूसरा धमाका पोर्ट के कऱीब की इमारतों के पास हुआ और इसका असर पूरे बेरुत शहर पर पड़ा. बेरुत 20 लाख लोगों का घर है. देखते ही देखते अस्पताल पीड़ितों से भर गए. लेबनानी रेडक्रॉस के प्रमुख जॉर्ज केटैनी ने कहा, ''हमलोग विनाशकारी मंजर के गवाह बने. चारों तरफ़ ज़ख़्म और तबाही का आलम था.''
धमाका कितना शक्तिशाली था?
विशेषज्ञों को धमाकों के आकार के बारे में पता नहीं चल पाया है लेकिन यह इतना ज़ोरदार था कि जहां धमाका हुआ वहां से 9 किलोमीटर दूर बेरुत इंटरनेशनल एयरपोर्ट के शीशे टूटने लगे.
वहां से 200 किलोमीटर दूर साइप्रस में धमाके की गूंज सुनाई पड़ी. अमरीका के भूकंप विज्ञानियों का कहना है कि यह धमाका 3.3 मैग्निट्यूड के भूकंप के बराबर था.
धमाके की वजह क्या है?
लेबनान के राष्ट्रपति माइकल इयोन का कहना है कि पोर्ट पर एक गोदाम में 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट असुरक्षित तरीक़े से रखा हुआ था. इस धमाके लिए राष्ट्रपति इयोन ने इसी अमोनियम नाइट्रेट को ज़िम्मेदार ठहराया है. इसी मात्रा में 2013 में एक पोत से केमिकल जब्त किया गया था. अमोनियम नाइट्रेट क्रिस्टल की तरह होता है.
सामान्य तौर पर इसका इस्तेमाल नाइट्रोजन के रूप में खेती में उर्वरक के लिए होता है. लेकिन इसका इस्तेमाल ईंधन तेल के साथ विस्फोटक बनाने में भी किया जाता है. यह खनन और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में काम आता है.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लगता है कि बेरुत धमाका किसी भयावह हमले का नतीजा है. लेकिन अमरीकी अधिकारियों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा है कि हमले की आशंका के पक्ष में कोई ठोस तर्क नहीं है. शुरुआती जाँच में यही पता चला है कि धमाका लापरवाही का नतीजा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमोनियम नाइट्रेट को ठीक से रखा जाए तो यह बाक़ी केमिकलों की तुलना में सुरक्षित है. हालांकि बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट लंबे समय तक रखा जाता है तो इसमें विघटन शुरू हो जाता है और आगे चलकर विस्फोटक साबित होता है.
ईंधन तेल के साथ मिलने के बाद ऊष्मा पैदा होती है और आख़िरकार विस्फोट तक पहुंच जाता है. अमोनियम नाइट्रेट से अक्सर दुनिया भर में जानलेवा औद्योगिक हादसे में हुए हैं.
आरोप किस पर है?
राष्ट्रपति इओन ने इस मामले की पारदर्शी जाँच का वादा किया है. दुर्घटना स्थल पर बुधवार को जाने के बाद उन्होंने कहा, ''हम इसकी तत्काल जाँच कराएंगे और पता लगाया जाएगा कि ये धमाके किन परिस्थितियों में हुए हैं. पूरे मामले में जिनकी भी लापरवाही सामने आएगी उन्हें सज़ा मिलेगी.''
प्रधानमंत्री हसन दिआब ने भी इस लापरवाही को अस्वीकार्य बताया है. पोर्ट के महाप्रबंधक हसन कोरयातम और लेबनानी कस्टम के महानिदेशक बाद्री दाहेर ने बुधवार को कहा कि अमोनियम नाइट्रेट को रखने के मामले में लापरवाही बरती गई है.(bbc)
मुंबई, 6 अगस्त (आईएएनएस)| फिल्म निर्माता रोहित शेट्टी ने बॉलीवुड के सिने कर्मचारियों की मदद करने के लिए एक नया कदम उठाया है। 'खतरों के खिलाड़ी' की भी मेजबानी करने वाले इस फिल्मकार ने इस रियलिटी टीवी शो के वर्तमान में प्रसारित हो विशेष संस्करणों से मिले पारिश्रमिक का एक हिस्सा जूनियर कलाकारों, बैकग्राउंड डांसर्स, स्टंटमैन, लाइटमैन और श्रमिकों की मदद के लिए देने का फैसाला किया है। इस पैसे को इन लोगों के खातों में सीधे भेजा जाएगा है।
बता दें कि रविवार से ही उन्होंने 'खतरों के खिलाड़ी: मेड इन इंडिया' नाम से विशेष संस्करण की शूटिंग शुरू की थी।
विदेशों में फिल्माए गए पिछले सीजन की बनिस्बत इस सीजन की पूरी शूटिंग मुंबई में ही की जाएगी। इस सीजन में पिछले सीजन के चैंपियन भी एक्शन करते नजर आएंगे।
इंडिया एडिशन के प्रतियोगियों में करण वाही, रिथविक धनजानी, हर्ष लिम्बाचिया, रश्मि देसाई, निया शर्मा, जैस्मीन भसीन, ऐली गोनी और जय भानुशाली शामिल हैं। यह सीजन 1 अगस्त से प्रसारित हो रहा है।
गौरतलब है कि देश में कोरोना महामारी की शुरूआत के वक्त शेट्टी ने एफडब्ल्यूआईसीई और लॉकडाउन के कारण घर पर बैठे फोटोग्राफरों को भी मदद दी थी।
लेबनान इस समय ऐसा संकट झेल रहा है जैसा उसने पिछले कई दशकों में नहीं देखा. आर्थिक संकट, सामाजिक असंतोष, कोरोना महामारी और राजधानी बेरूत के विस्फोटों से थरथराने की घटना से इस मध्य पूर्वी देश की परेशानियां और गहरा गई हैं.
पंद्रह सालों तक गृहयुद्ध झेल चुका लेबनान पहली बार इतनी खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है. 1975 से 1990 तक लेबनान गृहयुद्ध की चपेट में रहा. इसके बाद भी दो दशक से लंबे समय तक सीरिया की सेनाएं देश में रहीं और लेबनान में अपना प्रभुत्व बनाए रखा. सन 2005 में लेबनान के तत्कालीन प्रधानमंत्री रफीक हरीरी की हत्या से उपजी स्थिति देश के राजनैतिक और आर्थिक इतिहास में एक बड़ा मोड़ लेकर आई.
निर्णायक साल रहा 2005
14 फरवरी, 2005 के दिन लेबनान के प्रधानमंत्री रफीक हरीरी के दस्ते पर एक बड़ा आत्मघाती बम हमला हुआ था, जिसमें हरीरी के अलावा 21 और लोग भी मारे गए थे. विपक्ष ने इसके पीछे सीरिया का हाथ बताया था, जिससे सीरिया इनकार करता आया है. वहीं खुद लेबनान के शक्तिशाली शिया गुट हिजबुल्लाह पर भी इसका संदेह रहा है. इसके बाद देश में बहुत बड़े स्तर पर हुए विरोध प्रदर्शनों के चलते, सीरियाई सेना ने 26 अप्रैल को लेबनान छोड़ दिया.
सीरियाई सेनाएं 29 साल से लेबनान में बनी हुई थीं और एक समय तो उनके 40,000 सैनिक लेबनान में तैनात थे. संयुक्त राष्ट्र के एक ट्राइब्यूनल में चार आरोपियों पर हरीरी की हत्या के लिए जिम्मेदार होने का मामला चल रहा है. इसी शुक्रवार अदालत इस पर अपना फैसला सुनाने वाली है. हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह ने अब तक इन चारों अभियुक्तों को नहीं सौंपा है.
इस्राएल के साथ जंग
जुलाई 2006 में हिजबुल्लाह ने दो इस्राएली सैनिकों को कब्जे में ले लिया, जिसके कारण इस्राएल के साथ जंग छिड़ गई. 34-दिन चली इस जंग में जो 1,400 जानें गईं, उनमें से 1,200 लेबनानी थीं. मई 2008 में एक बार फिर एक हफ्ते तक चली हिंसक झड़पों में एक ओर थे हिजबुल्लाह समर्थित आतंकी और दूसरी ओर थे बेरूत और दूसरे इलाकों के सरकारी समर्थक. इस हिंसा की चपेट में आने से करीब 100 लोगों की जान चली गई थी.
इन हिंसक प्रकरणों का उल्लेख करना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह ऐसा समय था जब लेबनान फिर से गृह युद्ध के दलदल में गिरता नजर आ रहा था. जुलाई 2008 में जाकर लेबनान में एक 30-सदस्यों वाली राष्ट्रीय एकता सरकार के गठन पर सहमति बनी, जिसमें हिजबुल्लाह और उसके सहयोगियों को वीटो करने की शक्ति दी गई.
जून 2009 में रफीक हरीरी के बेटे साद हरीरी ने सीरिया-विरोधी गठबंधन के नेता के तौर पर चुनाव जीता और देश के प्रधानमंत्री चुने गए. हिजबुल्लाह के साथ कई महीनों तक चले गतिरोध के बाद साद हरीरी नवंबर में जाकर सरकार का गठन कर पाए. जनवरी 2011 में हिजबुल्लाह ने सरकार गिरा दी और जून में अपने प्रभुत्व वाली सरकार का गठन कर लिया.
ईरान समर्थित हिजबुल्लाह सरकार और सीरिया संकट
अप्रैल 2013 में हिजबुल्लाह ने माना कि उसने अपने लड़ाके सीरिया में राष्ट्रपति बसर अल असद के समर्थन में लड़ने भेजे हैं. इसके बाद के सालों में भी हिजबुल्लाह अपने क्षेत्र के शक्तिशाली शिया देश ईरान से सैन्य और आर्थिक मदद लेकर हजारों लड़ाकों को सीरिया से लगी सीमा पर भेजता रहा.
अक्टूबर 2016 में हिजबुल्लाह के समर्थन से ही लेबनान में सेना के पूर्व जनरल माइकल आउन राष्ट्रपति बने. इसी के साथ देश में 29-महीनों से चला आ रहा राजनीतिक निर्वात भर गया. साद हरीरी को फिर से प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया.
मई 2018 में हिजबुल्लाह और उसके समर्थकों ने 2009 के बाद देश मे कराए गए संसदीय चुनावों में ज्यादातर सीटों पर जीत हासिल की. खुद प्रधानमंत्री की पार्टी को काफी नुकसान हुआ लेकिन फिर भी उन्हीं का नाम तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए आगे किया गया. हालांकि नई सरकार के गठन पर मतभेदों के चलते हरीरी-हिजबुल्लाह के बीच बातचीत जनवरी 2019 तक खिंचती चली गई.
सड़कों पर उतरी जनता
देश की बिगड़ती आर्थिक हालत और गिरती मुद्रा के कारण आम जनों को हो रही परेशानियों के चलते सितंबर 2019 में सैकड़ों लोग राजधानी बेरूत की सड़कों पर उतरे और अगले करीब डेढ़ महीने तक वहां ऐसे हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए जिनके चलते 29 अक्टूबर को हरीरी ने अपनी सरकार समेत इस्तीफा दे दिया. 19 दिसंबर को हिजबुल्लाह ने समर्थन देकर एक अंजान से व्यक्ति हसन दियाब को देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए आगे किया, जिसे प्रदर्शनकारियों ने फौरन रद्द कर दिया.
आर्थिक संकट के चरम की ओर
इसी साल 21 जनवरी को लेबनान में एक नई सरकार बनी. यह एक ही पार्टी की सरकार है, जिसमें हिजबुल्लाह और उनके सहयोगी शामिल हैं और जो संसद में भी बहुमत में हैं. 30 अप्रैल को सरकार ने माना कि लेबनान के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि वह अंतरराष्ट्रीय कर्ज चुकाने में चूक गया. इसके बाद से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और देश में आर्थिक सुधारों की योजना बनाई गई.
मई के मध्य में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ शुरु हुई बातचीत फिलहाल रुकी हुई है और जरूरी रकम का इंतजाम अभी नहीं हो सका है. इस संकट से निपटने के सरकार के तरीके के प्रति अपना विरोध जताते हुए 3 अगस्त को लेबनान के विदेश मंत्री ने इस्तीफा दे दिया. लेबनान पर 92 अरब डॉलर का कर्ज है जो कि उसकी जीडीपी के 170 फीसदी के आसपास है. देश की आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीती है और करीब 35 फीसदी लोग बेरोजगार हैं.
आरपी/सीके (एएफपी) (dw)
वाशिंगटन, 6 अगस्त (आईएएनएस)| जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के अनुसार, पूरी दुनिया में कोरोनोवायरस मामलों की कुल संख्या 1.87 करोड़ की संख्या से ऊपर हो गई है, जबकि खतरनाक वायरस से होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 706,000 हो गई हैं।
विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि गुरुवार की सुबह तक कुल मामलों की संख्या 18,727,530 थी और इससे होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 706,041 हो गई है।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका दुनिया में सबसे अधिक संक्रमण से प्रभावित देश है, जहां मामलें 4,821,287 और संक्रमण से हुई मौतें 158,171 है।
ब्राजील 2,859,073 संक्रमण और 97,256 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर है।
सीएसएसई के अनुसार, मामलों की ²ष्टि से भारत तीसरे (1,908,254) स्थान पर है, और इसके बाद रूस (864,948), दक्षिण अफ्रीका (529,877), मेक्सिको (456,100), पेरू (439,890), चिली (364,723), कोलंबिया (334,979), ईरान (317,483), ब्रिटेन (307,258), स्पेन (305,767), सऊदी अरब (282,824), पाकिस्तान (281,136), इटली (248,803), बांग्लादेश (246,674), तुर्की (236,112), फ्रांस (228,576), अर्जेंटीना (220,682), जर्मनी (214,113), इराक (137,556), कनाडा (120,033), इंडोनेशिया (116,871), फिलीपींस (115,980) और कतर (111,805) है।
वहीं 10,000 से अधिक मौतों वाले अन्य देश मेक्सिको (49,698), ब्रिटेन (46,295), भारत (39,795), इटली (35,181), फ्रांस (30,297), स्पेन (28,499), पेरू (20,007), ईरान (17,802), रूस (14,465) और कोलंबिया (11,315)हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग NHRC ने प्रो. नंदिनी सुंदर व अन्य 5 के खिलाफ झूठे प्रकरण गढ़ने पर छग सरकार को पीड़ितों को एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने का दिया आदेश ! 2016 का बस्तर का मामला
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बस्तर पुलिस द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. नंदिनी सुंदर व अन्य पांच लोगों के खिलाफ बस्तर पुलिस द्वारा हत्या का झूठा मुक़दमा गढ़ने पर पीड़ितों को हुई मानसिक प्रताड़ना के लिए छत्तीसगढ़ सरकार को एक-एक लाख रूपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. अन्य लोगों में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय की प्रो. अर्चना प्रसाद, माकपा के छत्तीसगढ़ राज्य सचिव संजय पराते, बुद्धिजीवी-साहित्यकार विनीत तिवारी, भाकपा कार्यकर्ता मंजू कोवासी व इस दल में सहयोगी आदिवासी कार्यकर्ता मंगल राम कर्मा शामिल हैं. मानवाधिकार आयोग ने यह आदेश 13 मार्च को जारी किया था, जिसकी प्रति उनके अधिवक्ताओं के माध्यम से पीड़ितों को आज प्राप्त हुई है.
आयोग को बस्तर पुलिस द्वारा नागरिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किए जाने की कई शिकायतें मिली हैं, जिसमें एक मामला प्रो. नंदिनी सुंदर का भी था. उल्लेखनीय है कि मई 2016 में उक्त 6 सदस्यीय दल बस्तर के हालत का अध्ययन करने के लिए क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में गया था. यह दौरा उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सलवा जुडूम को बंद करने के आदेश के बाद किया था. अपने दौरे में वे कांकेर, बीजापुर, दंतेवाडा व सुकमा के कई गांवों में गए थे, इनमें सुकमा जिले का नामा नामक एक गांव भी शामिल था. दौरे से वापस आने के बाद इस दल ने एक रिपोर्ट "दो पाटों के बीच पिसते आदिवासी और गैर-जिम्मेदार राज्य" भी लिखी थी, जिसे कई प्रतिष्ठित अख़बारों व पत्रिकाओं ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था.
अध्ययन दल के इस दौरे से नाराज तत्कालीन भाजपा सरकार ने इस दल के सदस्यों के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया था. बस्तर पुलिस ने राज्य सरकार के संरक्षण में नंदिनी सुंदर और अन्य लोगों के पुतले जलाये थे. भाजपा ने सभी सदस्यों को गिरफ्तार करने की मांग की थी, वाही तत्कालीन आईजी एसआरपी कल्लूरी ने "अबकी बार इन लोगों को पत्थर मार-मार कर सबक सीखाने" की बात कही थी. नवम्बर 2016 में नामा गांव के ही नक्सल विरोधी कार्यकर्ता सामनाथ बघेल की हत्या के मामले में पुलिस ने इस अध्ययन दल के सभी सदस्यों के नाम एफआईआर में दर्ज कर लिए थे. सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप के बाद ही पीदिओं को राहत मिली और उसके दिशा—निर्देश पर हुई जांच के बाद इन पीड़ितों के नाम प्रकरण से हटाने के लिए सरकार को बाध्य होना पड़ा. मन्वधिअकर आयोग ने पूरे मामले में पीड़ितों को हुई मानसिक प्रताड़ना पर छत्तीसगढ़ सरकार को एक-एक लाख रूपये मुआवजा देने का आदेश पारित किया है.
आयोग ने ऐसा ही आदेश नोटबंदी के दौरान हैदराबाद से प्राध्यापकों और छात्रों के एक अध्ययन दल को गिरफ्तार करने के मामले में भी पारित किया है. इस दल के सदस्यों को 7 माह जेल में रहना पड़ा था. मामला चलने के बाद न्यायलय ने उन्हें बरी कर दिया था.
अपनी प्रारंभिक प्रतिक्रिया में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने पीयूसीएल की टीम को मानवाधिकार आयोग में मामला लड़ने के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया है और रही सरकार से कुख्यात पुलिसे अधिकारी कल्लूरी के खिलाफ, जो कई रिपोर्टों में बस्तर में गये जनसंहार के दोषी पाए गए हैं, के खिलाफ इन प्रताडनाओं और्हत्याओं के लिए मामला चलने की मांग की है.
मुंबई, 6 अगस्त (आईएएनएस)| महाराष्ट्र में बुधवार को कोरोना से 334 मौतें हो गईं। एक दिन में मौतों का यह अब तक का सबसे ज्यादा आंकड़ा है। राज्य में संक्रमित मरीजों का आंकड़ा अब 10 हजार को पार कर गया है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह जानकारी दी। राज्य में इससे पहले, 1 अगस्त को 322 मौतें हुई थीं। अब एक दिन में संक्रमण के 10,309 नए मामले सामने आने का भी एक रिकार्ड कायम हो गया है। हालांकि 30 जुलाई को इससे ज्यादा 11,147 नए मामले आए थे।
बुधवार को और 334 मौतें होने के साथ राज्य में कोरोना से मौतों की संख्या बढ़कर 16,476 हो गई। यह देश में सबसे ज्यादा आंकड़ा है।
राज्य में संक्रमितों के ठीक होने की दर 65.37 फीसदी थी, जो घटकर 65.25 हो गई है।