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गोरखपुर, 14 अगस्त (आईएएनएस)| प्रज्ञा नामक 22 साल की एक लड़की की जिंदगी बिस्तर पर पड़े रहकर ही कट रही थी क्योंकि एक दुर्घटना का शिकार होने के चलते उसके दोनों ही घुटने बेअसर हो गए थे। हालांकि गुरुवार का दिन प्रज्ञा के लिए बिल्कुल अलग सा था क्योंकि सर्जरी के बाद वह वॉकर के सहारे धीरे-धीरे खुद से कुछ कदम चलने लगी थी। इस नजारे को देखकर उसके परिवारवाले अभिनेता सोनू सूद को दुआ देते नहीं थक रहे थे जिन्होंने इसे संभव बनाया।
लड़की के पिता विजय मिश्रा गोरखपुर के पादरी बाजार इलाके में एक पुरोहित हैं। उन्होंने कहा, "प्रज्ञा फरवरी में एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई थी और उसके दोनों घुटने नष्ट हो गए थे। स्थानीय चिकित्सकों ने कहा था कि सर्जरी ही इसे ठीक करने का एकमात्र विकल्प है जिसमें करीब 1.5 लाख रुपये का खर्च आएगा। इसे करा पाना हमारे बस के बाहर था और अधिकतर रिश्तेदारों ने भी कोई मदद नहीं की।"
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लॉ की पढ़ाई कर रही प्रज्ञा ने इस संदर्भ में कुछ नेताओं से मदद मांगने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी।
"अगस्त के पहले हफ्ते में उसने अभिनेता सोनू सूद को मदद के लिए ट्वीट किया और उन्होंने एक सर्जन से बात करने के बाद जवाब दिया और उसे दिल्ली बुलाया।"
बुधवार को गाजियाबाद में उसके घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी सफलतापूर्वक की हुई।
प्रज्ञा के पिता ने कहा कि सबकुछ सामान्य है और उसे दो से तीन दिनों में छुट्टी दे दी जाएगी।
उन्होंने कहा, "ट्रेन के टिकट से लेकर सारा बंदोबस्त सोनू सूद ने ही किया। जब हम दिल्ली पहुंचे, रेलवे स्टेशन पर उनकी टीम ने हमसे मुलाकात की और हमें वहां से सीधे अस्पताल लेकर गए।"
प्रज्ञा उनके बारे में कहती है, "मेरे लिए, सोनू सूद भगवान हैं। मैंने फैसला लिया है कि जब मैं पैसे कमाने लगूंगी, तो मैं उनकी बच्चों की मदद करूंगी जिनकी पढ़ाई छूट गई है।"
नयी दिल्ली, 13 अगस्त (वार्ता)। उच्चतम न्यायालय में वर्चुअल सुनवाई के दौरान रोज-ब-रोज नये-नये रोचक वाकये होते ही रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप न्यायाधीशों और वकीलों के बीच कभी मनोरंजक बातें तो कभी नोकझोंक आम बात है।
शीर्ष अदालत में गुरुवार को भी एक ऐसा ही वाकया हुआ जब वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश हो रहे एक वकील साहब गुटखा चबाते नजर आये। फिर क्या था- खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने उन्हें आड़े हाथों लिया।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “यह (आपके मुंह में) क्या है?” इस पर वकील साहब ने घबराकर ‘सॉरी’ बोला। लेकिन न्यायमूर्ति मिश्रा कहां छोड़ने वाले थे, उन्होंने कहा, “क्या सॉरी (ह्वाट सॉरी)? आगे से ऐसा नहीं होना चाहिए।”
वकील साहब ने उनकी हिदायत स्वीकार करते हुए अपनी जान बचाई।
कल ही राजस्थान संकट की सुनवाई के दौरान एक वरिष्ठ अधिवक्ता वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान हुक्का पीते नजर आये थे, लेकिन या तो न्यायाधीशों ने इसे नजरंदाज कर दिया था या उनकी नजर उस पर नहीं गयी थी।
एक वाकया मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान भी हुआ, जब एक वकील साहब ने ‘योर ऑनर’ बोला। इस पर न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि यह अमेरिकी अदालत नहीं है आप ‘योर ऑनर’ न बोलें।
नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के भंडार में अब रखरखाव की कमी की वजह से अनाज बर्बाद नहीं होगा, क्योंकि, सरकार वक्त की जरूरत के हिसाब से किसानों से एमसीपी पर अनाज की खरीद बढ़ाने के साथ-साथ भंडारण की भी बेहतर व्यवस्था करने जा रही है। अनाज भंडारण के लिए रेलवे की खाली जमीन पर गोदाम बनाने की कवायद शुरू हो गई है। एफसीआई ने इसके लिए रेलवे को 87 लोकेशन की सूची सौंपी है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, भंडारण की कमी को पूरा करने को लेकर एफसीआई, सेंट्रल हाउसिंग कॉरपोरेशन (सीडब्ल्यूसी) और सेंट्रल रेलसाइड वेयरहाउस कंपनी (सीआरडब्ल्यूसी) द्वारा किए गए विश्लेषण के मद्देनजर रेलवे की खाली जमीन पर गोदाम बनाए जाएंगे।
मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, एफसीआई ने रेलवे को इसके लिए 87 लोकेशन की सूची सौंपी थी जिनमें से 36 लोकेशन चिन्हित किए गए हैं और इनमें से भी 24 स्थानों का संयुक्त रूप से निरीक्षण किया जा चुका है।
वहीं, सीआरडब्ल्यूसी ने 1.30 लाख टन भंडारण के लिए गोदाम बनाने को लेकर 11 जगहों पर रेलवे की जमीन की सूची सौंपी है जिनमें से गुजरात के गांधीधाम और पश्चिम बंगाल के संकरैल के लिए रेलवे ने आआरडब्ल्यूसी को सकारात्मक संकेत दिया है जबकि बाकी जगहों के संबंध में रेलवे की स्वीकृति का इंतजार है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान और रेलमंत्री पीयूष गोयल ने इसी सप्ताह 11 अगस्त को विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई एक बैठक में इस योजना पर विचार विमर्श किया।
खाद्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, "एफसीआई के पास इस समय खुद के 545 गोदाम हैं जिनकी भंडारण क्षमत 153.70 लाख टन है जबकि किराये पर 1622 गोदाम हैं जिनकी क्षमता 261.53 लाख टन है। इसके अलावा राज्यों की एजेंसियों के खुद व किराये के गोदामों की भंडारण क्षमता 358.93 लाख टन है। इस प्रकार, कुल उपलब्ध भंडारण क्षमता 774.25 लाख टन है।"
भंडारण की यह सुविधा देशभर में उपलब्ध है। हालांकि जानकार बताते हैं कि पंजाब, हरियाणा जैसे उत्पादक राज्यों में जहां गेहूं और धान की सरकारी खरीद व्यापक पैमाने पर होती है वहां उपलब्ध भंडारण सुविधा कम पड़ जाती है। इसलिए, विगत में भंडारण के अभाव में अनाज खराब होने की शिकायते आती रही हैं। अब भंडारण की सुविधा बढ़ाए जाने से अनाज को बेहतर ढंग से रखरखाव हो पाएगा।
मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, छह अगस्त 2020 को एफसीआई के पास अनाज का कुल भंडार 750.19 लाख टन था जिसमें 241.47 लाख टन चावल और 508.72 लाख टन गेहूं शामिल है। सरकार ने इस साल रबी सीजन में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर रिकॉर्ड 389.91 लाख टन गेहूं खरीद की है।
सरकार के पास अनाज का पर्याप्त भंडार होने से ही कोरोना काल में मुफ्त अनाज वितरण योजना शुरू हो पाई। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अप्रैल से देश में खाद्य सुरक्षा कानून के तहत आने वाले सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रत्येक लाभार्थी को हर महीने पांच किलो अनाज दिया जा रहा है। यह योजना शुरू में अप्रैल, मई और जून के लिए शुरू की गई थी जिसे बाद में पांच महीने आगे बढ़ाकर नवंबर तक कर दिया गया है।
जयपुर, 14अगस्त (आईएएनएस)| राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बागी तेवर दिखाने वाले पूर्व पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और विधायक भंवरलाल शर्मा के निलंबन को कांग्रेस पार्टी ने वापस ले लिया है। एआईसीसी के महासचिव अविनाश पांडे ने एक ट्वीट में कहा, "एक विचार विमर्श के बाद राजस्थान कांग्रेस के विधायक भंवरलाल शर्मा जी और विश्वेंद्र सिंह जी का निलंबन रद्द कर दिया गया है।"
बता दें कि कांग्रेस पार्टी द्वारा राजस्थान में गहलोत सरकार को गिराने की साजिश करने का आरोप लगने के बाद दो विधायकों को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया गया था। पार्टी ने लीक हुए ऑडियो टेप का उल्लेख करते हुए कहा कि टोंक विधायक सचिन पायलट के साथ दो विधायकों ने भाजपा के साथ मिलकर एक षड्यंत्र रचा।
राज्य विधानसभा का महत्वपूर्ण सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है और दोनों विधायकों को सत्र में भाग लेने के लिए पार्टी द्वारा आमंत्रित किया गया है।
नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोना के चलते आर्थिक तबाही झेल रहे उपभोक्ताओं पर अब महंगाई की भी मार पड़ी है। बीते महीने जुलाई में खुदरा महंगाई बढ़कर 6.93 फीसदी हो गई। खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने से खुदरा महंगाई बढ़ी है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई दर जून में 6.23 फीसदी थी, जो जुलाई में बढ़कर 6.93 फीसदी हो गई।
उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) आधारित खाद्य पदार्थों की खुदरा महंगाई दर जुलाई में 9.62 फीसदी दर्ज की गई जोकि जून में 8.72 फीसदी थी।
कोरोना काल में खुदरा महंगाई दर में हुई वृद्धि के बाद यह जुलाई में लगातार दूसरे महीने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संतोषजनक महंगाई दर के लक्ष्य के उपरी स्तर के पार चली गई है। आरबीआई का यह लक्ष्य चार फीसदी से दो फीसदी से उपर या नीचे है।
एनएसओ के अनुसार, कोरोना महामारी की रोकथाम को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों में धीरे-धीरे ढील देने के बाद आर्थिक गतिविधियों में सुधार के साथ-साथ कीमत के आंकड़ों में भी वृद्धि दर्ज की गई।
शहरी क्षेत्रों में खुदरा महंगाई दर जुलाई में बढ़कर 6.84 फीसदी हो गई जोकि जून में 6.12 फीसदी थी। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र की महंगाई दर जून के 6.34 फीसदी से बढ़कर जुलाई में 7.04 फीसदी हो गई।
बेंगलुरू, 14 अगस्त (आईएएनएस)| कर्नाटक के कांग्रेस विधायक अकंदा श्रीनिवास मूर्ति ने गुरुवार को सवाल किया कि उपद्रवियों ने उन्हें आखिर क्यों निशाना बनाया। मंगलवार देर रात अचानक बेंगलुरू में विधायक मूर्ति के आवास पर भारी संख्या में लोग जुट गए। इस दौरान जमकर नारेबाजी के साथ कुछ उपद्रवियों ने विधायक के आवास पर तोड़-फोड़ और आगजनी की। मूर्ति ने यहां संवाददाताओं से कहा, उन्होंने (भीड़ ने) मुझ पर हमला क्यों किया? मैंने क्या किया है? अगर मैंने कोई गलती की है तो उन्हें पुलिस के पास जाना चाहिए।
संयोग से उनके परिवार के सदस्य मॉब (हिंसक भीड़) से बच निकलने में सक्षम रहे। क्योंकि वे एक मंदिर में कृष्णाष्टमी समारोह में भाग लेने के लिए हिंसा से कुछ ही समय पहले ही अपने घर से बाहर निकले थे।
मूर्ति ने कहा कि वह एक लोक सेवक हैं, जो एक लाख लोगों द्वारा उन्हें वोट दिए जाने के बाद निर्वाचित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि पुलिकेशीनगर के उनके निर्वाचन क्षेत्र के सभी लोग उनके भाइयों की तरह हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि बाहरी लोगों ने उनके घर पर हमला किया। उन्होंने पुलिस और सरकार से मामले की जांच करने का आग्रह किया है।
मूर्ति के अनुसार, उनके घर में सब कुछ जल गया है।
राजनेता के घर की कुछ डरावनी तस्वीरें सामने आई हैं। घर के कमरे राख से भरे हुए और फर्श पर बिखरे घरेलू सामान पूरी तरह से जले हुए दिखाई दे रहे हैं।
उनके घर के सभी कमरे आग की लपटों में कैद दिखाई दिए हैं और उनके घर का फर्नीचर, उपकरण, कपड़े और अन्य घरेलू सामान जलकर खाक हो गए हैं।
मूर्ति ने उनके घर में हुई क्षति को कुछ नेताओं को दिखाया है। उन्होंने कहा कि पुलिस को अपमानजनक संदेश पोस्ट करने वाले को दंडित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चाहे वह उनका भतीजा है या कोई और है, मगर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने फिर से सवाल किया कि उनके घर पर हमला क्यों किया गया?
अपने खुद घर के अलावा, मूर्ति ने कहा कि उग्र भीड़ ने कुछ अन्य लोगों के घरों और उनके वाहनों पर भी हमला किया था।
विधायक ने लोगों को शांत रहने का आह्वान किया है।
मंगलवार रात को मूर्ति के भतीजे नवीन द्वारा कथित तौर पर सोशल मीडिया पर अपमानजनक संदेश पोस्ट किए जाने के बाद सैकड़ों लोग अपना आपा खो बैठे और विधायक के घर पर हमला बोल दिया।
हिंसक भीड़ ने पथराव किया, जिस दौरान 60 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
लखनऊ, 14 अगस्त (आईएएनएस)| बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने उप्र की राजधानी लखनऊ के 'प्रेरणा केंद्र' में उनकी प्रतिमा लगाए जाने पर सफाई दी है और इससे संबंधित खबरें मीडिया में दिखाए जाने के तरीके पर आपत्ति जताते हुए कहा है, "इसे गलत तरीके से दर्शाया जा रहा है। मीडिया को अपनी जातिवादी मानसिकता बदलनी चाहिए।" मायावती ने गुरुवार को ट्विटर पर लिखा, "जैसा कि सर्वविदित है कि अपने देश में सरकारी, गैर-सरकारी व सार्वजनिक स्थानों-स्थलों पर जो मूर्तियां आदि लगी होती हैं, उनकी साफ-सफाई, मरम्मत व रखरखाव पर पूरा ध्यान नहीं दिया जाता है, जिनकी स्थिति फिर धीरे-धीरे काफी खराब हो जाती है, जिसे जनता कतई पसंद नहीं करती है।"
उन्होंने आगे लिखा, "बीएसपी इस मामले में अपनी सरकार में सरकारी स्थानों-स्थलों पर ही नहीं, बल्कि अपने प्राइवेट घरों-स्थानों पर भी लगी मूर्तियों व फव्वारों आदि की साफ-सफाई, मरम्मत व रखरखाव आदि पर भी हमेशा विशेष ध्यान देती है, जो कि जग-जाहिर है। इसी क्रम में प्राइवेट व गैर-सरकारी लखनऊ प्रेरणा केंद्र में जो यह सब कार्य चल रहा है, जिसे कुछ मीडिया गलत तरीके से दर्शा रहे हैं, उन्हें अपनी जातिवादी मानसिकता में जरूर कुछ बदलाव लाना चाहिए। यही बेहतर होगा।"
मीडिया रिपोर्ट और वायरल वीडियो के मुताबिक, लालबहादुर शास्त्री मार्ग पर बसपा सरकार के समय बने प्रेरणा स्थल में मायावती की प्रतिमाएं लगाने का काम चल रहा है। र्पिोट के अनुसार, मायावती की तीन प्रतिमाएं प्रेरणा स्थल पर लगाई जा रही हैं। सफेद संगमरमर से बनी तीन मूर्तियों को यहां स्थापित किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इसका काम कई साल से चल रहा था, लेकिन जब पहले से बनीं मूर्तियों को लगाने के लिए प्रेरणा स्थल पर लाया गया तो लोगों को इस बात की जानकारी हुई।
गौतमबुद्धनगर (यूपी ), 14 अगस्त (आईएएनएस)| ग्रेटर नोएडा के डेरी स्कनर गांव की रहने वाली सुदीक्षा भाटी की सड़क हादसे में हुई मौत से परिजनों में प्रशासन के प्रति आक्रोश है। पीड़ित परिवार का कहना है कि बुलेट सवार दो युवक सुदीक्षा की बाइक के आगे-पीछे स्टंट कर रहे थे, जिसके चलते हुए हादसे में उसकी मौत हो गई। सुदीक्षा के पिता जितेंद्र भाटी ने आईएएनएस से कहा, "पुलिस ने हमें जो समय दिया है, उसके बाद हम विचार करेंगे कि क्या करना है। कोर्ट, सीबीआई जांच और आंदोलन जो जरूरी कदम उठाना पड़ेगा वो उठाएंगे।" उन्हें इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि सांसद डॉ. महेश शर्मा अभी तक उनसे मिलने नहीं आए।
आईएएनएस जिस वक्त सुदीक्षा भाटी के गांव पहुंचा, उस वक्त गांव में कैंडल मार्च निकाला जा रहा था।
यह जिक्र करने पर कि पुलिस ने कहा है कि चश्मदीद के मुताबिक, आगे टैंकर था, पीछे बुलेट और उसके पीछे सुदीक्षा की बाइक थी। अचानक ब्रेक लगने की वजह से यह हादसा हुआ है, सुदीक्षा के पिता ने कहा, "क्या चश्मदीद गुजरने वाले टैंकर का नंबर बता सकता है? क्या इस चश्मदीद ने हमारे बच्चों को उठाकर अस्पताल पहुंचाया? चश्मदीद ने हमारी क्या मदद की?"
क्या चश्मदीद प्रशासन के दबाब में आकर झूट बोल रहा है? इस सवाल के जवाब में जितेंद्र ने कहा, "तैयार की हुई, बनी-बनाई कथा है। हमारे बच्चे के शव के लिए एम्बुलेंस नहीं था। शवगृह में ले जाया गया तो उनके पास पन्नी नहीं था। जबकि कोरोना काल चल रहा है। शवगृह से निकाले जाने के बाद भी शव के लिए एम्बुलेंस नहीं था।"
जब आईएएनएस ने पूछा कि जो आरोप लगाया गया कि बाइक पर छेड़खानी की गई, क्या बाइक सवार सुदीक्षा को पहले से जानते थे? इस सवाल के जबाब में जितेंद्र ने कहा, "ये आरोप नहीं ये सत्य है। 60 किलोमीटर दूर का आदमी हमें क्यों जानेगा? ये मनचले हैं जिन्होंने घटना को अंजाम दिया।"
उन्होंने कहा, "अगर एक्सीडेंट नहीं होता तो हो सकता था कि बाइक सवार कुछ गलत भी कर देते।..और भी कुछ कर सकते थे। क्या ऐसा होता नहीं है? क्या हो नहीं रहा है?"
यह पूछे जाने पर कि क्या कोर्ट का रुख करेंगे? सीबीआई जांच की मांग करेंगे, सुदीक्षा के परिजनों ने कहा, "जो भी जरूरत पड़ेगी हम वो करेंगे, आंदोलन करना हुआ तो हम वो भी करेंगे, हमें अपनी जान भी देनी पड़ी तो हम उसे भी देंगे। लेकिन हम लड़ेंगे हटेंगे नहीं, जो हमारी जिंदगी का सहारा था, जो हमारा जीने का सहारा था वो तो खत्म हो गया।"
इस मामले में एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने आईएएनएस से कहा, "जिले में करीब 1300 बुलेट हैं, आसपास के क्षेत्र की जितनी भी बुलेट मोटरसाइकिलें हैं, उन सभी को थाने में लाया गया है। बुलेट सवार आरोपियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी कर ली जाएगी। इसके साथ ही सभी लोगों की सीडीआर निकलवाई जा रही है, ताकि जो बाइक घटनास्थल के समय वहां से गुजरी है, उसके जरिए आरोपियों का पता लगाया जा सके।"
नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि आयकर विभाग को अब आयकरदाताओं का सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा कि आयकरदाताओं को अब शक की निगाह से नहीं बल्कि सम्मान की ²ष्टि से देखना होगा। प्रधानमंत्री ने यह बात यहां 'ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन, ऑनरिंग द ऑनेस्ट ' यानी पारदर्शी कराधान, ईमानदारों का सम्मान नाम से एक प्लेटफॉर्म लांच करने के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि देश में संरचनात्मक सुधार से नई दिशा मिली है और प्रक्रियाओं की जटिलताओं के साथ-साथ देश में कर में भी कटौती की गई है। मोदी ने कहा कि विगत छह साल में 1500 से अधिक कानून को हटाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 'ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन ऑनरिंग द ऑनेस्ट' यानी पारदर्शी कराधान ईमानदारों का सम्मान नाम से एक प्लेटफॉर्म लांच किया। प्रधानमंत्री ने पारदर्शी कर व्यवस्था के लिए एक नए मंच का शुभारंभ किया है जो केंद्र सरकार की ओर से किए जा रहे कर सुधार के कार्यक्रमों में एक नया कदम है।
नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की स्वास्थ्य संबंधी स्थिति गुरुवार को भी जस की तस गंभीर बनी हुई है। वह आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। अस्पताल के अधिकारियों ने कहा, "प्रणब मुखर्जी की हालत आज सुबह भी वैसी ही है। उनकी हालत स्थिर है और वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।"
भारत के 13वें राष्ट्रपति मुखर्जी कोविड -19 पॉजीटिव भी पाए गए थे।
वहीं मुखर्जी की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर फर्जी खबरें सामने आने के बाद अस्पताल के अधिकारियों ने एक बयान जारी किया है।
पूर्व राष्ट्रपति के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने पिता के बिगड़ते स्वास्थ्य के बारे में अटकलों का खंडन करते हुए कहा कि उनके पिता जीवित हैं। उन्होंने ट्वीट किया, "मेरे पिता श्री प्रणव मुखर्जी अभी भी जीवित हैं और हेमोडायनामिक रूप से उनकी हालत स्थिर हैं! प्रतिष्ठित पत्रकारों द्वारा सोशल मीडिया पर प्रसारित की जा रही अटकलों और फर्जी खबरों से साफ जाहिर होता है कि भारत में मीडिया फेक न्यूज का कारखाना बन गया है।"
वहीं मुखर्जी की बेटी व कांग्रेस की कार्यकर्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी अपने पिता के बारे में अफवाहों का खंडन किया।
नई दिल्ली, 13 अगस्त (वार्ता)। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए ) 2020 को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए गुरुवार को कहा कि यह प्रस्ताव पर्यावरण विरोधी है और इससे प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले लोगों का मनोबल बढ़ेगा।
श्रीमती गांधी ने अंग्रेजी के एक समाचार पत्र में इस संबंध में छपे अपने लेख के द्वारा सरकार को घेरते हुए कहा कि उसे मालूम होना चाहिए कि हमरा देश जैव विविधता का भंडार है और इसकी सुरक्षा हम सबका दायित्व है। कोरोना महामारी के दौरान सरकार को पर्यावरण की रक्षा के लिए काम करना चाहिए था लेकिन इस दिशा में अच्छे कदम उठाने की बजाय सरकार पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली नीति का प्रस्ताव लेकर आई है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) 2020 ड्राफ्ट की हर ओर आलोचना हो रही है। विपक्षी पार्टियों से लेकर पर्यावरण का मुद्दा उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता भी इसका विरोध कर रहे हैं। अब कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस मसले पर एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार की इस नीति की कड़ी आलोचना की है।
श्रीमती गांधी ने कहा कि नई पर्यावरण नीति से पूंजीपतियों को विकास के नाम पर पर्यावरण को हानि पहुंचाने का वैधानिक मौका मिल जाएगा और पर्यावरण संरक्षण की बजाय देश में प्रदूषण फैलाने की नई परम्परा की शुरुआत होगी।
श्री राहुल गांधी ने भी एक बार फिर इस प्रस्ताव को लेकर सरकार पर हमला किया और कहा Þप्रकृति की रक्षा करेंगे तो वह हमारी रक्षा करेगी । सरकार को पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले नियमों को खत्म करना चाहिये और इस क्रम में सबसे पहले ईआईए 2020 प्रस्ताव को वह वापस ले।'
नई दिल्ली,13 अगस्त (वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि ईमानदार करदाता की राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका है और जब ईमानदार करदाता का जीवन आसान बनता है, वह आगे बढ़ता है तो देश विकास करता है तथा आगे भी बढ़ता है।
श्री मोदी ने 21वीं सदी की नयी कर व्यवस्था का पारदर्शी कराधान -ईमानदार का सम्मान 'प्लेटफार्म का लोकार्पण करते हुए कहा कि देश में चल रहा ढांचागत सुधार का सिलसिला आज एक नए पड़ाव पर पहुंचा है। उन्होंने कहा, ‘एक दौर था जब हमारे यहां सुधारों की बहुत बातें होती थीं। कभी मजबूरी में कुछ फैसले लिए जाते थे, कभी दबाव में कुछ फैसले हो जाते थे, तो उन्हें सुधार कह दिया जाता था। इस कारण इच्छित परिणाम नहीं मिलते थे। अब ये सोच और पहुंच दोनों बदल गई है।’
उन्होंने कहा कि अब करदाता को उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का भरोसा दिया गया है। यानि आयकर विभाग को अब करदाताओं के गौरव का उसकी संवेदनशीलता के साथ ध्यान रखना होगा। अब करदाता की बात पर विश्वास करना होगा और विभाग उसको बिना किसी आधार के ही शक की न•ार से नहीं देख सकता।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अब देश में माहौल बनता जा रहा है कि कर्तव्य भाव को सर्वोपरि रखते हुए ही सारे काम करें। सवाल ये कि बदलाव आखिर कैसे आ रहा है? क्या ये सिर्फ सख्ती से आया है? क्या ये सिर्फ स•ाा देने से आया है? नहीं, बिल्कुल नहीं। आज हर नियम-कानून को, हर पॉलिसी को प्रक्रिया और अधिकार केंद्रित पहुंच से बाहर निकालकर उसको जन केंद्रित और जन मित्र बनाने पर बल दिया जा रहा है। ये नए भारत के नए गवर्नेंस मॉडल का प्रयोग है और इसके सुखद परिणाम भी देश को मिल रहे हैं।’
उन्होंने कहा किआज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं,‘‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस‘’के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं। ये देशवासियों के जीवन से सरकार को, सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
उन्होंने कहा आज से देश में करदाता चार्टर लागू हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा,Þ ईमानदार का सम्मान। देश का ईमानदार करदाता राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जब देश के ईमानदार करदाताओं का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बढ़ता है।Þ
श्री मोदी ने कहा कि बीते छह वर्षों में हमारा जोर गैर बैकिंग को बैंकिंग, असुरक्षित को सुरक्षित और पैसा न मिलने वाले को धन मुहैया कराना रहा है। उन्होंने कहा कि आज एक तरह से एक नई यात्रा शुरू हो रही है।
रांची, 13 अगस्त (न्यूज विंग)। पीटीआई के झारखंड ब्यूरो चीफ पीवी रामानुजम ने बुधवार की रात आत्महत्या कर ली। पीवी रामानुजम लालपुर थाना क्षेत्र के बरियातू रोड में रहते थे। बुधवार की रात अपने आवास पर ही उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। गुरूवार की सुबह लालपुर थाना को सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। शव को फांसी के फंदे से उतारकर पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। फिलहाल पुलिस मामले की छानबीन में जुटी हुई है।
पीटीआई के झारखंड ब्यूरो चीफ पीवी रामानुजम के आत्महत्या करने के पीछे की वजह तो अब तक स्पष्ट नहीं हो पायी है। हालांकि बताया जा रहा है की पीवी रामानुजम पिछले कुछ दिनों से वर्क प्रेशर से परेशान थे। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पायी है।
इस मामले में लालपुर थाना प्रभारी ने बताया की पीटीआई के झारखंड ब्यूरो चीफ पीवी रामानुजम ने अपने आवास पर बुधवार की रात फांसी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। गुरूवार की सुबह सूचना मिलने पर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और जांच की जा रही है। साथ ही थाना प्रभारी ने कहा कि आत्महत्या के पीछे वजह क्या है, अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है। वहीं पीवी रामानुजम के आत्महत्या के मामले में पुलिस उनकी पत्नी का बयान दर्ज करेगी। फिलहाल पोस्टमार्टम हाउस में शव रखा गया है। और कोरोना जांच के बाद ही शव परिजनों को सौंपा जाएगा। (newswing)
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश), 13 अगस्त (आईएएनएस)| अपने पिता की मौत के लिए न्याय की मांग कर रहे दो अनाथ भाई-बहन ने आत्महत्या करने की धमकी दी है। इन बच्चों के पिता ने हाल ही में आत्महत्या कर ली थी। बच्चों की मांग है कि पिता को ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर करने वाले लोगों पर मामला दर्ज किया जाए। अलीगढ़ के रहने वाले 16 साल के लड़के और उसकी 15 साल की बहन साल 2005 में अपनी मां को खो चुके थे और अब उनके पिता ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया है।
शहर के श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में काम करने वाले उनके पिता कृष्ण दत्त शर्मा (38) ने 3 अगस्त को कथित तौर पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी।
मरने से पहले शर्मा ने साफ तौर पर अपने रिश्तेदारों को बताया था कि उनके कॉलेज के प्रिंसिपल और क्लर्क उनका वेतन जारी करने के लिए दो लाख रुपये की मांग कर रहे थे। जबकि कथित तौर पर वे उन्हें अपना आधा वेतन दे रहे थे और उसके बाद भी उन्हें अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करने दी जा रही थी।
शर्मा ने जहरीले पदार्थ का सेवन करते हुए एक वीडियो भी बनाया था और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था।
अलीगढ़ पुलिस ने बुधवार को अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। जबकि मामले में अभी तक किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है।
भाई-बहन ने बताया, "हम पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) अतुल शर्मा से मिले थे। उन्होंने हमें आश्वासन दिया था कि इस मामले की उचित जांच की जाएगी, लेकिन बुधवार रात को उनका तबादला कर दिया गया (इस घटना के बाद ही भाजपा विधायक की हत्या हो गई थी)। हमें नहीं पता कि अब हमारी मदद कौन करेगा।"
वहीं बच्चों के एक रिश्तेदार गौरव कुमार शर्मा ने बताया, "कृष्ण दत्त शर्मा के पिता की मौत के बाद उनकी जगह पर उन्हें 2007 में यह नौकरी मिली थी। मरने से पहले शर्मा ने मुझे बताया था कि प्रिंसिपल और क्लर्क उसे परेशान कर रहे थे और लगातार पैसे मांग रहे थे।"
इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों की जांच कैसे हो पाएगी?
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा प्रीलिम्स परीक्षा (Civil Service Prelims Exam) कोरोना वायरस (Corona Virus) के चलते अभी तक नहीं हो पाई है. इस परीक्षा (Exams) का आयोजन 31 मई को देशभर (across country) के विभिन्न शहरों में बनाए गए परीक्षा केंद्र (Exam Centre) पर होना था, लेकिन कोरोना वायरस और देशभर में किए गए लॉकडाउन (Lockdown) के चलते इस परीक्षा को नहीं कराया जा सका. इस इस परीक्षा का आयोजन 4 अक्टूबर को होना है. यूपीएससी (UPSC) की सिविल सेवा प्रीलिम्स परीक्षा में शामिल होने के लिए आयोग ने नई गाइडलाइन जारी की है.
जिसके मुताबिक इस बार इस परीक्षा में वहीं उम्मीदवार शामिल हो पाएंगे जिनका कोरोना टेस्ट किया गया होगा. यानी बिना कोरोना की जांच कराए कोई उम्मीदवार परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएगा. आयोग की तरफ से जारी गाइडलाइन्स के मुताबिक, सिविल सेवा परीक्षा प्रीलिम्स में शामिल होने के लिए कोविड-19 की टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव होने की शर्त शामिल है. यानी अगर किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो वो इस बार इस परीक्षा में नहीं बैठ पाएगा. गौरतलब है कि यूपीएससी की परीक्षा में बड़ी संख्या में यूपी के विद्यार्थी भी शामिल होंगे. ऐसे में विद्यार्थियों के सामने परेशानी पैदा हो गई है.
परीक्षार्थियों का कहना है कि परीक्षा में बैठने के लिए कोविड-19 की जांच के लिए सरकार की तरफ से नामित अस्पतालों में जांच कराने को कहा गया है. जाहिर है कि जिस परीक्षार्थी की कोविड-19 की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाएगी, वह परीक्षा से वंचित हो जाएगा. विद्यार्थियों का यह भी कहना है कि अभी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की ही जांच नहीं हो पा रही है. इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों की जांच कैसे हो पाएगी? फिर यदि सरकार से अधिकृत निजी अस्पतालों या पैथालॉजी में जांच करानी पड़ी तो हर विद्यार्थी को इसके लिए 2500 रुपये भुगतान करना पड़ेगा.
परीक्षा की तैयारी करने वाले ज्यादातर विद्यार्थी ऐसे परिवारों से होते हैं कि उनके लिए यह रकम खर्च कर पाना कठिन हो जाएगा.
यही नहीं उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, प्रयागराज की खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) पद के लिए कराई जाने वाली परीक्षा को लेकर भी अभ्यर्थी परेशान हैं. इस परीक्षा का आयोजन 16 अगस्त को प्रस्तावित है. परीक्षा के लिए प्रदेश के 15 जिलों में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं, जबकि परीक्षार्थियों की संख्या पांच लाख के आसपास है.
ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो पाना मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि अभी 09 अगस्त को हुई B.Ed प्रवेश परीक्षा में 4.31 लाख परीक्षार्थियों के लिए सभी 73 जिलों में परीक्षा केंद्र बनाए गए थे, लेकिन परीक्षा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का कोई ध्यान नहीं रखा गया.(catch)
प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्म-निर्भर योजना
नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्म-निर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना के तहत 5 लाख से अधिक लोगों ने आवेदन किया है। ऋण देने की प्रक्रिया 2 जुलाई से शुरू हुई है। पीएम स्वनिधि योजना शुरू होने से सड़क पर रेहड़ी लगाकर अपना व्यापार करने वालों के बीच काफी उत्साह देखा गया है,जो कोविड-19 लॉकडाउन के बाद फिर से अपने काम को शुरू करने के लिए सस्ती कार्यशील पूंजी ऋण की तलाश कर रहे हैं।
पीएम स्वनिधि योजना को आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत लॉन्च किया है। मंत्रालय ने कहा,इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों और उसके आसपास के अर्ध-शहरी, ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स (रेहड़ी-पटरी वाले छोटे व्यापारी) को कोविड-19 लॉकडाउन के बाद फिर से अपना कारोबार शुरू करने के लिए बिना किसी गारंटी के एक साल की अवधि के लिए 10,000 रुपये तक के कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा देना है।
इसके तहत ऋण के नियमित भुगतान करने पर प्रोत्साहन के रूप में प्रति वर्ष 7 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी, निर्धारित डिजिटल लेनदेन करने पर सालाना 1,200 रुपये तक का कैशबैक और आगे फिर से ऋण पाने की पात्रता भी प्रदान की गई है।
पीएम स्वनिधि योजना में अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों- सार्वजनिक एवं निजी, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बैंकों के अलावा ऋण देने वाली संस्थाओं के रूप में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)और लघु वित्तीय संस्थानों (एमएफआई) को योजना से जोड़कर इन छोटे उद्यमियों के द्वार तक बैंकों की सेवाएं पहुंचाने का विचार किया गया है। डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म पर इन विक्रेताओं को लाना इनके क्रेडिट प्रोफाइल का निर्माण करने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है, ताकि इन्हें औपचारिक शहरी अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनने में मदद मिल सके।
इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) को दी गई है। रेहड़ी-खोमचे वालों (स्ट्रीट वेंडर्स) को उधार देने के लिए इन ऋणदाता संस्थानों को लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई)के माध्यम से प्रोत्साहित करने हेतु इनके पोर्टफोलियो के आधार पर एक ग्रेडेड गारंटी कवर प्रदान किया जाता है।
सड़कों पर रेहड़ी लगाकर व्यापार करने वाले ज्यादातर विक्रेता बहुत कम लाभ पर अपना व्यवसाय करते हैं। इस योजना के तहत ऐसे विक्रेताओं को लघु ऋण से न केवल बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, बल्कि उन्हें आर्थिक प्रगति करने में भी मदद मिलेगी। एकीकृत आईटी प्लेटफॉर्म वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप के उपयोग ने इस योजना को न्यूनतम सरकार और अधिकतम प्रबंधन के उद्देश्य के साथ समाज के इस तबके तक पहुंचने और इन्हें लाभ पहुंचाने में सक्षम बनाया है।
बेंगलुरु, 13 अगस्त (आईएएनएस)| कर्नाटक में बुधवार को बेंगलुरु आ रही एक बस में अचानक आग लग गई। इस हादसे में एक ही परिवार के पांच सदस्य जिंदा जल गए। चित्रदुर्ग जिले की एसपी जी. राधिका ने आईएएनएस को बताया कि बुधवार तड़के लगभग साढ़े चार बजे केआर हल्ली गेट इलाके में हिरीयुर के पास एक बस में आग लग गई। बस में 39 लोग सवार थे। आग की लपटों के बीच पांच यात्री फंस गए, बाकी सभी लोग बस से निकलने में कामयाब हो गए। चार यात्री घायल हैं।
चित्रदुर्ग जिले में हिरीयुर बेंगलुरु से 161 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में है।
इस बीच, पुलिस ने कुक्केश्री ट्रैवल्स बस के चालक सिद्धू (37) को गिरफ्तार कर लिया है। उसके खिलाफ तीन धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)| विश्व हिंदू परिषद ने दावा किया है कि पिछले 56 वर्षों में संगठन ने देश में 62 लाख हिंदुओं का धर्मांतरण रोकने के साथ साढ़े आठ लाख लोगों की घर वापसी कराई है। विश्व हिंदू परिषद ने समाज के सहयोग से अब तक देश भर में 85 हजार से अधिक सेवा कार्य संचालित किए। विश्व हिंदू परिषद की स्थापना दिवस पर संगठन के कार्यों के बारे में आईएएनएस को यह जानकारी राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने दी है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से शुरू हुआ विहिप का स्थापना दिवस समारोह स्वतंत्रता दिवस(15 अगस्त) तक चलेगा। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने आईएएनएस से कहा, "विहिप ने अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाने के साथ धर्मांतरित हिन्दू समाज के लोगों को जड़ों से फिर से जोड़ने की दिशा में बड़ा कार्य किया है। अब तक लगभग 62 लाख हिंदुओं के धर्मांतरण को रोकने के साथ-साथ लगभग 8.5 लाख की घरवापसी भी हुई है। अनुसूचित जाति, जन जाति समाज के बीच सेवा, समर्पण व स्वावलंबन के मंत्र के साथ अनेक राज्यों में छल-बल पूर्वक धर्मान्तरण के विरुद्ध कठोर दण्ड की व्यवस्था वाले कानून भी संगठन के प्रयासों से बन सके हैं।"
वर्ष 1964 में स्थापित हुए विश्व हिंदू परिषद की ओर से देश भर में 70 हजार संस्कार केंद्र चलाए जा रहे हैं।
विहिप की स्थापना को लेकर विनोद बंसल ने बताया कि वर्ष 1957 में आई नियोगी कमीशन की रिपोर्ट ने हिंदू समाज की आंखें खोल दी थी। रिपोर्ट में ईसाई मिशनरियों की ओर से छल, कपट, लोभ, लालच व धोखे से पूरे देश में हिंदुओं के धर्मांतरण की सच्चाई सामने आने के बावजूद केंद्र सरकार ने इसे रोकने के लिए प्रभावी केंद्रीय कानून बनाने से स्पष्ट मना कर दिया। जिससे देश का संत समाज चिंतित था। विदेशों में रहने वाला हिन्दू समाज भी अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भारत की तरफ देख रहा था मगर केंद्र सरकार उदासीन थी। ऐसे में हिन्दू समाज के जागरण और संगठन की जरूरत महसूस होने लगी।
तब संघ प्रचारक दादासाहेब आप्टे ने कई सामाजिक क्षेत्रों मे काम करने वाले गणमान्य व्यक्तियों की बैठक बुलाई थी। यह बैठक 29 अगस्त 1964 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मुम्बई स्थित सांदीपनि साधनालय में बुलाई गई। इसमें संघ के तत्कालीन सरसंघचालक गुरुजी भी उपस्थित थे। इसी दिन सभी महापुरुषों ने विश्व हिंदू परिषद के गठन की घोषणा कर दी थी। विश्व हिंदू परिषद स्थापना के 56 वर्षों में राम मंदिर आंदोलन को सबसे प्रमुख उपलब्धि मानता है। 1984 में शुरू हुए राम मंदिर आंदोलन के दौरान देश के 3 लाख गांवों के 16 करोड़ लोगों को संगठन ने जोड़ा था।
चीनी खुफिया सर्विस से जुड़े होने का संदेह
नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)| दिल्ली-एनसीआर में चल रहे अरबों रुपये के हवाला गिरोह के सरगना लुओ सांग उर्फ चार्ली पेंग को गिरफ्तार किया गया है। सांग पर चीनी खुफिया सर्विस का एजेंट होने का शक है। सांग पर चीन के मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (एमएसएस) से जुड़े होने का शक है।
शीर्ष खुफिया सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि जाली आधार कार्ड और यात्रा दस्तावेज के जरिए सांग ने चार्ली पेंग के नाम से नकली भारतीय पहचान बनाई थी। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने उसे 2018 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था।
तिब्बत के ल्हासा में चेंग गुआन जू का स्थायी निवासी लुओ सांग लगभग सात से आठ साल पहले ल्हासा में कथित तौर पर एमएसएस के संपर्क में आया था, जो चीन की बाहरी खुफिया एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
सूत्रों का कहना है कि उसे शुरू में नेपाल भेजा गया था, जहां पर काठमांडू में चीनी दूतावास के अधिकारियों द्वारा उसकी मदद की गई थी। सूत्रों ने बताया कि वह मनी एक्सचेंज और हवाला ऑपरेशन के साथ ही अकाउंट संबंधी कार्यों में प्रशिक्षित है।
सूत्रों ने कहा कि इसके बाद वह तब भारत आया था, जहां वह तिब्बती शरणार्थियों और भारत में दलाई लामा के करीबी लोगों के ठिकानों पर गहनता से जानकारी जुटा रहा था।
13 सितंबर, 2018 को, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लुओ सांग को भारत में जासूसी कार्यों में संलिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार किया और उसके पास से मणिपुर से खरीदे गए एक जाली भारतीय पासपोर्ट को जब्त किया गया।
पूछताछ के दौरान, यह पता चला कि वह 2013 में भारत में आया और मणिपुर में बस गया। उसने एक भारतीय महिला से शादी की और किराए के घर में रहने लगा। पूर्वोत्तर राज्य में बिताए समय ने लुओ सांग को एक भारतीय पहचान प्राप्त करने में सक्षम बनाया, जो उसके आगे के कार्य के लिए आवश्यक था।
कुछ साल पहले वह मणिपुर से दिल्ली आ गया था।
सूत्रों ने कहा कि लुओ सांग दिल्ली से परिचित था और डीएलएफ फेज-5, गुरुग्राम में शिफ्ट होने से पहले द्वारका में रहता था। यह संदेह है कि उसे सीमा पार से एमएसएस द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था।
दिल्ली में, उसने एनसीआर में रहने वाले तिब्बती लोगों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर दिया। अपने जासूसी अभियानों को आगे बढ़ाने के लिए वह मनी एक्सचेंज और हवाला ऑपरेशन में शामिल हो गया। वह ई-कॉमर्स कंपनियों और वित्तीय संस्थानों के बारे में भी जानकारी एकत्र कर रहा था।
स्पेशल सेल की टीम ने एक एसयूवी फॉर्चूनर, विदेशी मुद्रा और लुओ सांग के कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए थे, जब उसे 2018 में हिमाचल प्रदेश और सीमावर्ती क्षेत्रों में कुछ संवेदनशील स्थानों पर जाने के संदेह में पकड़ा गया था। सूत्रों ने कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा अदालत में पेश किए जाने के बाद चीनी एजेंट ने जेल में महीनों बिताने के बाद जमानत हासिल करने के लिए कुछ संपर्कों का इस्तेमाल किया।
आयकर विभाग ने मंगलवार को कुछ चीनी व्यक्तियों और भारतीय पेशेवरों को कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला लेनदेन में शामिल होने के आरोप में गिरफ्त में लिया। इन लोगों में लुओ सांग भी शामिल था, जो मास्टरमाइंड में से एक था।
विभाग ने खुलासा किया कि लुओ सांग ने 40 से अधिक बैंक खाते संचालित किए, जो कई शेल कंपनियों से जुड़े थे। विभाग ने कहा कि हवाला संचालन 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन से जुड़ा था। फिलहाल विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों द्वारा लुओ सांग का गहन पूछताछ जारी है।
भोपाल, 13 अगस्त (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में कुछ समय बाद 27 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बड़ी भूमिका रहने वाली है, इसके लिए संघ ने जमीनी स्तर पर स्वयंसेवकों को सक्रिय भी कर दिया है।
संघ के स्वयंसेवक कोरोना काल में लोगों की हर संभव मदद करने में लगे हैं और पार्टी की स्थिति के साथ उम्मीदवार के जनाधार का गणित भी तलाश रहे हैं।
राज्य में लगभग पांच माह पहले कांग्रेस के 22 विधायकों के एक साथ पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लेने से तत्कालीन कमल नाथ सरकार गिर गई थी और भाजपा को सत्ता में वापसी का मौका मिला था। इसके बाद कांग्रेस के तीन और विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया। वहीं दो सीटें दो विधायकों के निधन से खाली हुई हैं। कुल मिलाकर 27 विधानसभा क्षेत्रों में आगामी समय में उपचुनाव प्रस्तावित है। उपचुनाव सितंबर के अंत में हो सकते हैं, मगर चुनाव आयोग ने अभी तारीखों का ऐलान नहीं किया है।
राज्य की सियासत के लिहाज से 27 क्षेत्रों में होने वाले विधानसभा उपचुनाव काफी अहम हैं, क्योंकि राज्य विधानसभा की सदस्य संख्या 230 है, विधानसभा में पूर्ण बहुमत के लिए 116 विधायकों का समर्थन आवश्यक है। वर्तमान में भाजपा के पास 107, कांग्रेस के 89, सात निर्दलीय, बसपा और सपा के एक-एक विधायक हैं। भाजपा को पूर्ण बहुमत पाने के लिए कम से कम नौ सीटों पर जीत चाहिए।
सूत्रों का कहना है कि कुछ विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा के लिए सुखद सूचनाएं नहीं आ रही हैं। इस वजह से भाजपा संगठन जहां अपने स्तर पर उपचुनाव वाले क्षेत्रों में काम कर रहा है, वही संघ के स्वयंसेवक अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
इस समय कोरोना संक्रमण के कारण लोग मुसीबत में हैं और संघ के स्वयंसेवक इन लोगों की हर संभव मदद करने में लगे हैं। स्वयंसेवकों की सक्रियता से संघ को जमीनी फीडबैक भी मिल रहा और उसी के आधार पर आगे की रणनीति बनाई जा रही है।
पिछले एक माह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की मध्यप्रदेश में हुए दो दौरों को विधानसभा उपचुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। वैसे, संघ प्रमुख के इन दौरों के दौरान उनका भाजपा नेताओं से तो मुलाकात नहीं हुई, मगर संघ प्रमुख का स्वयंसेवकों से संवाद जरूर हुआ।
राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटैरिया का कहना है कि संघ सूचनाओं के आधार पर अपनी रणनीति बनाता है। अगर संघ को यह सूचना है कि कुछ क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति कमजोर है तो यह मान लीजिए कि संघ को उपचुनाव को लेकर खतरा जान पड़ रहा है। इसीलिए संघ प्रमुख एक माह के भीतर मध्यप्रदेश का दो बार दौरा कर चुके हैं और संघ के लोगों से फीडबैक ले चुके हैं।
सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) में जम्मू-कश्मीर के पहले टॉपर शाह फ़ैसल ने पिछले साल काफ़ी नाटकीय अंदाज़ में फैसला लेते हुए सरकारी नौकरी छोड़कर जम्मू-कश्मीर की उलझी हुई सियासत में कदम रखा. उन्होंने 10 साल पहले यूपीएससी परीक्षा में टॉप करके देशभर में चर्चा बटोरी थी और उसके बाद कश्मीर में ही अलग-अलग पदों पर काम किया.
पिछले साल इस्तीफ़ा देने के बाद उन्होंने जम्मू कश्मीर पीपल्स मूवमेंट नाम से अपनी राजनीतिक पार्टी की शुरुआत की. पार्टी की शुरुआत के वक़्त शाह फ़ैसल ने दो पन्नों का एक विजन डॉक्यूमेंट जारी किया था जिसमें लोगों को संवैधानिक मूल्यों के ज़रिए मज़बूत बनाने की बात कही गई थी.
कश्मीर की राजनीति में बतौर युवा नेता उनके उभरने के क़रीब दो महीने बाद ही भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर का 70 साल पुराना विशेष राज्य का दर्जा 5 अगस्त 2019 को ख़त्म कर दिया.
कश्मीर के भारतीय संघ में पूर्ण विलय और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने की प्रक्रिया के दौरान प्रशासन ने कश्मीर के सभी बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया. इनमें शाह फ़ैसल भी शामिल थे.
लंबे समय तक घर में नज़रबंद रहने के बाद इस सप्ताह 37 वर्षीय शाह फ़ैसल ने अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया. इसी के साथ उनके दोबारा प्रशासनिक सेवा में लौटने की अफवाहें भी उड़ने लगीं.
खुद को हिरासत में रखे जाने को वो एक सीख मानते हैं. उनका कहना है कि उन्होंने राजनीति इसलिए छोड़ी है क्योंकि वो जम्मू कश्मीर की परेशान जनता से किए गए अपने वादे को पूरा नहीं कर सकते.
बीबीसी संवाददाता रियाज़ मसरूर को ईमेल पर दिए गए एक इंटरव्यू में शाह फ़ैसल एक नौकरशाह से लेकर अल्पकालिक नेता और अब बतौर एक कश्मीरी अपनी बात कह रहे हैं, जिनका मानना है कि सियासी जगह पूरी तरह कभी ख़त्म नहीं की जा सकती.
सवाल: आपने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफ़ा देकर राजनीति का रास्ता चुना लेकिन आपका ये सफ़र 5 अगस्त 2019 को हुए एक बड़े बदलाव की वजह से बेहद छोटा रहा. क्या कश्मीर की आंशिक स्वायत्तता का अंत आपकी राजनीतिक परिकल्पना की भी हार थी?
हां. मुझे यह क़ुबूल करने में कोई झिझक नहीं है.
मैंने संविधान के दायरे में रहकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मज़बूत करने की बात कही थी. लेकिन पांच अगस्त के बाद ये सारा मामला इतना अधिक जज़्बाती हो गया कि अगर एक राजनेता कहता है कि हमें इस नई हक़ीक़त के साथ आगे बढ़ना है तो वो ईशनिंदा के जैसा समझा जाएगा
ज़मीनी हक़ीक़त बदल गई है और अब ये वो जगह बिल्कुल नहीं है. इसलिए मैं यहां के नए राजनीतिक हालात को लेकर अपनी समझ स्पष्ट करना चाहता हूं. राजनीतिक रूप से सही नज़र आए बिना यहां राजनीति करना बहुत मुश्किल है. मैं बहुत विनम्रता के साथ राजनीति छोड़ रहा हूं और लोगों को बता रहा हूं कि मैं झूठी उम्मीदें नहीं दिला सकता कि मैं आपके लिए ये करूंगा, वो करूंगा, जबकि मुझे पता है कि मेरे पास ऐसा कर पाने की ताक़त नहीं है.
आपका इस्तीफ़ा अब तक मंज़ूर नहीं हुआ, जिससे अफवाहें बढ़ रही हैं कि आप फिर से नौकरशाही में वापस जाना चाहते हैं. अपनी ही बनाई पार्टी छोड़कर आपने उन अफ़वाहों को और बल दे दिया है जिसे कश्मीर की जटिल राजनीति का एक दिन कहा जाता है.
मेरे इस्तीफ़े ने समस्याएं सुलझाने की बजाय और समस्याएं खड़ी कर दी हैं. जब इरादा असहमति जताने का था तो इसे देशद्रोह बता दिया गया. सिविल सेवाओं के नए प्रतिभागी भी काफ़ी हतोत्साहित हुए. मेरे सहकर्मी भी नाराज़ थे जब मैंने यह फैसला लिया.
मैं ऐसा कोई काम नहीं करते रहना चाहता जब मुझे पता कि इससे कुछ बदलने वाला नहीं है. इसलिए मुझे लगा रुक जाना ही अच्छा है.
भारतीय प्रशासनिक सेवा में आपकी एंट्री ने हज़ारों युवाओं को इस तरफ आकर्षित किया कि वो प्रशासनिक सेवा में करियर बनाएं. फिर आपने एक नारा दिया- "हवा बदलेगी" और फिर बहुत से लोगों को लगा कि राजनीति अभिव्यक्ति का एक माध्यम है. आपको क्या लगता है, आपकी इस उलझन का असर आपसे नाराज़ युवाओं पर किस तरह पड़ेगा?
मुझे नहीं लगता इससे युवाओं को परेशान होना चाहिए. दरअसल इससे उन्हें नई राजनीतिक परिस्थिति को और अधिक निष्पक्ष रूप से देखने की ताक़त मिलनी चाहिए.
जिंदगी चलती रहनी चाहिए. हमें नई चुनौतियों का सामना करना होगा और अपनी ज़िंदगी को सार्थक बनाना होगा. हम लंबे समय तक नकार नहीं सकते. इससे तनाव बढ़ता है. हमें सकारात्मकता के साथ भविष्य की ओर देखना चाहिए और जो ज़िंदगी में आ रहा है उसे स्वीकार करना चाहिए.
राजनीति से आपका विदा होना क्या इस बात का संकेत है कि कश्मीर के मौजूदा राजनीतिक ढांचे से आपका भरोसा उठ चुका है?
मेरे अलग होने का मतलब भरोसा उठना नहीं है. इसका मतलब है नई राजनीतिक परिस्थिति को समझना और मुश्किलों का अहसास होना. अगर मेरे पास कुछ बदलने की ताक़त नहीं होगी तो मैं वहां जाऊंगा ही क्यों.
लोकलुभावन राजनीति से मेरे बहुत से चाहने वाले हो जाएंगे लेकिन उससे मैं कश्मीर में कुछ बदल नहीं पाऊंगा.
फ़ारूक़ अब्दुल्ला के सामने आप एक नौसिखिए थे. क्या फ़ारूक़, उमर और महबूबा को भी पीएसए के तहत बंद किए जाने पर आपको राजनीति में आने पर पछतावा हुआ था?
पीएसए के तहत मेरी ख़ुद की हिरासत भी मेरे लिए एक बड़ा सबक थी. इससे मुझे ज़िंदगी को अलग ढंग से देखने का मौका मिला. इससे मुझे अहसास हुआ कि स्थिति कितनी जटिल है.
ऐसा कहा जा रहा है कि आपका परिवार आपके प्रशासनिक सेवा में लौटने को लेकर बातचीत कर रहा है. आप क्या कहेंगे?
मेरा परिवार मेरे लिए ऐसी कोई बातचीत क्यों करेगा? मेरा परिवार बेहद मामूली पृष्ठभूमि का है और अगर मुझे कुछ बातचीत करनी होगी तो वो मैं खुद करूंगा और खुलेआम करूंगा.
राजनीति में आपका पहला साल पांच अगस्त 2019 के मद्देनज़र बुरी सार्वजनिक प्रतिक्रिया और कठोर सरकारी प्रतिक्रिया के साथ शुरू हुआ. अब क्या इससे बाहर निकलकरआप ये स्वीकार कर रहे हैं कि कश्मीर की राजनीति में यहां के मूल निवासियों की भूमिका को आंकने में आपसे चूक हुई?
किसी अन्य संघर्ष क्षेत्र की तरह कश्मीर की त्रासदी ये है कि यहां जीवन के छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर सर्वसम्मति का अभाव है. हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां भरोसा बहुत कम है. जब मैंने राजनीति चुनी तो मुझे कठपुतली कहा गया. जब मैं राजनीति छोड़ रहा हूं तब मुझे वही लोग फिर से कठपुतली कह रहे हैं. ऐसे लोगों पर मैं हंसता हूं. इससे मुझे फ़र्क नहीं पड़ता.
क्या आपको लगता है कि 5 अगस्त 2019 के बाद से कश्मीर पूरी तरह गैर-राजनीतिकरण के दौर से गुज़र रहा है, इसलिए आपने छोड़ दिया?
नहीं, मुझे लगता है मुख्यधारा की राजनीति जो कि चुनावी राजनीति है वो कभी ख़त्म नहीं हो सकती. हो सकता है राजनीतिक प्रक्रिया शुरू होने में वक़्त लगे लेकिन आप देखेंगे कि आखिरकार लोकतांत्रिक राजनीति शुरू होगी. मैं रहूं या ना रहूं.
क्या फिर से उसी सिस्टम में लौटना चाहते हैं जहां से आप कुछ बड़ा करने के लिए बाहर निकले थे?
मैंने कभी सिस्टम नहीं छोड़ा. मैं एक छोटे सिस्टम से दूसरे में शिफ्ट हुआ था. मेरी विशेषज्ञता लोक प्रशासन है और मुझे सरकार के साथ काम करने में कोई परेशानी नहीं है. लेकिन वो कब और कैसे होगा मुझे फिलहाल नहीं पता.(bbc)
लगाया तुष्टीकरण का आरोप
नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)| बेंगलुरू में आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट को लेकर भड़की हिंसा की घटना पर सियासत गरमा गई है। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष ने कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि " पार्टी अपने ही विधायक के घर हमले की घटना की खुलकर निंदा करने की जगह तुष्टीकरण करने में जुटी है"।
दरअसल, कांग्रेस विधायक के एक रिश्तेदार की ओर से कथित आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट पर मंगलवार शाम को पूर्वी बेंगलुरु में हिंसा भड़क उठी। उपद्रवियों की ओर से किए गए पथराव में करीब 60 पुलिसकर्मियों को चोटें आईं। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को फायरिंग के लिए मजबूर होना पड़ा। हिंसा के दौरान तीन लोगों के मारे जाने की खबर है।
इस पूरे घटनाक्रम पर बुधवार को बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि " कम से कम अपने दलित विधायक के घर में तोड़फोड़ को आपको संज्ञान में लेना चाहिए था। पुलिस थाने को तबाह कर दिया गया जब आपके ही विधायक को निशाना बनाया गया, तो इतना तुष्टीकरण क्यों। बीएल संतोष ने यह प्रतिक्रिया कांग्रेस नेता दिनेश गुंडू राव के ट्वीट पर दी"।
बीएल संतोष ने आगे कहा कि "कई घंटे बाद कांग्रेस की कर्नाटक यूनिट जागी भी तो उसने फेसबुक पोस्ट करने वाले नवीन और एक्शन में देरी पर पुलिस को कसूरवार ठहराया। क्या कांग्रेस इस तरह के दंगों का समर्थन करती है। कांग्रेस दंगों की निंदा करने में क्यों संकोच करती है"।
बीजेपी की नेशनल यूनिट में आने से पहले बीएल संतोष कर्नाटक में लंबे समय तक संघ के प्रचारक और भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री भी रहे हैं। ऐसे में उनकी कर्नाटक की राजनीति पर बारीक नजर रहती है।
रांची, 12 अगस्त (आईएएनएस)| झारखंड के पलामू जिले में बुधवार को ट्रेन के आगे कूदकर एक महिला ने अपने सात वर्षीय बेटे के साथ आत्महत्या कर ली। पुलिस ने इसकी जानकारी दी।
सगौना गांव की प्रियंका देवी, जिनकी उम्र 30 साल की थी, वह रात को अपने पति नागेंद्र राम से हुई झड़प के बाद अपने तीन बच्चों के साथ बुधवार सुबह पास के रेलवे ट्रैक पर चली गई, जहां से गुजर रही मालगाड़ी के सामने अपने तीन बच्चों के साथ पटरियों पर कूद गई।
महिला और उसके बेटे आकाश की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसकी पांच साल की बेटी और तीन महीने का बेटा गंभीर रूप से घायल हो गया है।
शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। घायलों को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इंदौर, 12 अगस्त (आईएएनएस)| यह सुनने में थोड़ा अचरज हो सकता है कि मुस्लिम परिवार में किसी बच्चे का नाम कृष्णा है, मगर हकीकत यही है। लगभग 12 साल पहले जन्माष्टमी के दिन अजीज खान के घर बेटे ने जन्म लिया तो उन्होंने उसका नाम कृष्णा रख दिया। परिवार के सदस्यों ने विरोध भी किया मगर अजीज खान अपनी बात पर कायम रहे।
जन्माष्टमी पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है। इंदौर के मुस्लिम परिवार में भी खुशी का माहौल है क्योंकि अजीज खान के घर जन्माष्टमी को बेटे का जन्म हुआ था और उन्होंने उसका नाम कृष्णा रखा था। यह परिवार साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल के तौर पर चर्चाओं में रहता है।
लगभग 12 साल पुराने वाक्या केा याद करते हुए अजीज खान बताते है कि 23 अगस्त, 2008 केा उनकी पत्नी को ऑपरेषन से बच्चा हुआ। डॉ. प्रवीण जड़िया ने ऑपरेशन किया था और फार्म भरने के लिए बेटे का नाम पूछ लिया। मुस्लिम परंपरा के अनुसार नाम का चयन परिवार के सदस्य मिलकर करते है।
अजीज खान के मुताबिक डॉ. जड़िया के सवाल का जवाब देने के लिए कुछ देर वे ठिठके मगर उसी बीच डा जड़िया से कहा दिया कि आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है, तो कृष्णा लिख दीजिए। डॉ. जड़िया भी हैरत में पड़ गए।
अजीज बताते है कि डॉ. जड़िया ने कहा कि आप मुसलमान है और बेटे का नाम कृष्णा, इस पर आपको दिक्कत तो नहीं जाएगी। तब उन्होंने डॉ. जड़िया से कहा था कि पिता को बेटे का नाम रखने का अधिकार है।
अजीज खान का बेटा अब 12 साल का है और उसे कृष्णा नाम दिया गया है। अजीज बताते हैं कि इस नाम को लेकर उनकी मां यानिकी कृष्णा की दादी ने आपत्ति भी की थी और अजीज को काफिर तक कह दिया, फिर भी नाम नहीं बदला।
अजीज की पत्नी का कहना है कि उनकी दो बेटियां थी और छोटी बेटी के जन्म के आठ साल बाद बेटे का जन्म हुआ। उसके लिए उन्होंने हर धार्मिक स्थल पर जानकर मन्नत मांगी थी।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)| फेसबुक ने साल की दूसरी तिमाही में इंस्टाग्राम से हिंसा मूलक सामग्री और चित्रों सहित वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से संबंधित तस्वीरें व ऐसी चीजें हटा दी हैं। साल की पहली तिमाही में यौन गतिविधियों से संबंधित सामग्रियों की संख्या 81 लाख थी जो दूसरी तिमाही में बढ़कर 1.24 करोड़ तक पहुंच गई थी।
जहां तक बात हिंसक सामग्री या तस्वीरों की है तो इनकी संख्या पहली तिमाही में 28 लाख थी जो दूसरी तिमाही में बढ़कर 31 लाख हो गई।
फेसबुक ने मंगलवार को अपनी सामुदायिक मानक प्रवर्तन रिपोर्ट के छठे संस्करण में कहा, "हम इंस्टाग्राम पर ऐसी सामग्रियां परोसे जाने की अनुमति नहीं देंगे जो यौन शोषण से संबंधित हो और जिससे बच्चों में मनोविकार पैदा होने की संभावना हो। हमें जब कभी इस तरह की चीजें मिलती हैं, हम उसे हटा देते हैं। हम इस बारे में नहीं सोचते कि किसी ने किस संदर्भ में किस मनोभाव के चलते इन्हें साझा किया है।"
इंस्टाग्राम पर की डाली गईं चाइल्ड न्यूडिटी और यौन शोषण से संबंधित सामग्रियां पहली तिमाही में 10 लाख से घटकर दूसरी तिमाही में 479.4 तक आ गई है।
फेसबुक ने कहा, "हमने ऐसी ही कुछ पुरानी सामग्रियों पर भी ठोस कदम उठाए हैं। इसी संदर्भ में हमारी सक्रियता की दर 68.9 प्रतिशत से बढ़कर 74.3 प्रतिशत हो गई है।"