राष्ट्रीय
रांची, 10 सितंबर (आईएएनएस)| रांची के एक गांव में 28 वर्षीय एक मजदूर ने अपने दो नाबालिग बेटों के साथ कुएं में कूदकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली। यह जानकारी पुलिस ने बुधवार को दी। यह घटना रांची जिले के ओरमांझी ब्लॉक के कुचू गांव में हुआ। शवों को कुएं से बाहर निकाल लिया गया है। पुलिस को लगता है कि यह मामला आत्महत्या का है।
सत्येंद्र महतो की पत्नी रेखा देवी सोमवार को झगड़ने के बाद अपने मायके चली गई थी, जिसके बाद सत्येंद्र महतो अपने बेटे ऋत्विक (4 साल) और नीलेश कुमार (2 साल) के साथ कुएं में कूद गया, परिवार के सदस्यों ने सत्येंद्र महतो और उनके बच्चों को मंगलवार से नहीं देखा था।
पुलिस ने कहा कि सत्येंद्र को जुए की लत थी। वह हमेशा अपनी पत्नी से मारपीट करता था और मायके वालों से पैसे मंगवाने का दबाव देता था।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (आईएएनएस)| नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कोविड-19 की वजह से चल रहे व्यवधान को 'शिष्टता' और 'नैतिकता' का संकट बताया है। उन्होंने कहा कि महामारी के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया 'असमान' है और इसने वास्तविकता को 'उजागर' किया है। उन्होंने बुधवार को लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन समिट में अपने भाषण के दौरान यह बात कही।
सत्यार्थी ने कहा, "हमारी रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक आठ खरब डॉलर के वैश्विक कोविड-19 बेलआउट पैकेज का केवल 0.13 प्रतिशत ही सबसे अधिक हाशिए पर रहने वालों के लिए समर्पित है। यह एक प्रतिशत भी नहीं है, बल्कि आधा प्रतिशत भी नहीं है।"
उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन का उद्देश्य सरकारों को जवाबदेह बनाए रखना है। उन्होंने कहा, "अतीत में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि 40 नोबेल पुरस्कार विजेता सबसे अधिक हाशिए पर रहने वालों के लिए उचित हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं।"
शिखर सम्मेलन में आयोजित 'चिल्ड्रन प्रिवेंटिंग द लॉस ऑफ ए जेनरेशन टू कोविड-19' सत्र का जिक्र करते हुए सत्यार्थी ने कहा कि वैसे तो कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को ही प्रभावित किया है, लेकिन इसका असर हाशिए पर रहने वाले लोगों पर कहीं अधिक पड़ा है।
उन्होंने कहा कि हाशिए पर रहने वाला समुदाय वायरस और इसके प्रभावों के खिलाफ सुरक्षात्मक उपायों के लिहाज से कम सक्षम है। उन्होंने कहा कि इससे इस समुदाय के लिए कई असमानताएं बढ़ गई हैं और वह लंबे समय तक इसका सामना करने के लिए मजबूर हैं।
सत्यार्थी ने इसे 'नैतिकता का संकट' कहा। इसके साथ ही उन्होंने बच्चों सहित सबसे अधिक हाशिए पर रहने वाले समुदाय के लिए वैश्विक बेल आउट पैकेज की 20 प्रतिशत सुविधा की मांग की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि महामारी ने कैसे सभी को प्रभावित किया है, लेकिन असमानता और करुणा समय की जरूरत है।
इससे पहले सत्यार्थी ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कोविड-19 के कारण उत्पन्न हो हुई स्थिति से बच्चों पर पड़ने वाले व्यापक असर को लेकर अपने विचार रखे थे। उन्होंने साक्षात्कार में कहा कि कुछ राज्यों में भारत के श्रम कानून कमजोर पड़ने से बालश्रम में इजाफा देखने को मिलेगा। इसके अलावा देश में स्कूलों के लंबे समय तक बंद रहने से कई बच्चों की तस्करी होने का खतरा है।
उन्होंने कहा, "कोविड-19 के आगमन ने न केवल प्रगति रोकी है, बल्कि वैश्विक नेताओं की बेहद असमान कोविड-19 प्रतिक्रिया के साथ अब हमें पिछले कुछ दशकों की प्रगति पर वापस पहुंचने में बहुत जोखिम भी है। किसी भी आपदा में बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, लेकिन कोविड-19 के साथ प्रभाव एक अभूतपूर्व प्रकृति का रहा है। दुनियाभर में बाल श्रम, बाल तस्करी और गुलामी में निश्चित और पर्याप्त वृद्धि होगी। आज हम जो देख रहे हैं, वह हमारे समय में बच्चों के लिए एक सबसे गंभीर संकट है और अगर हम अब कार्य करने में विफल होते हैं, तो हम एक पूरी पीढ़ी को खोने का जोखिम उठाएंगे।"
क्या भारत ने महामारी के दौरान अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कार्य किया है? इस सवाल के जवाब में सत्यार्थी कहते हैं, "इस दिशा में प्रयास किए गए हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने महामारी के दौरान अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए हैं। मैं आपसे कहता हूं कि इस पर आप मेरी प्रतिक्रिया (शब्द) न लें। मैं केवल सबसे पीछे के बच्चों के लिए एक आवाज हूं। मैं आपसे देश में बच्चों द्वारा सामना की जा रही वास्तविकता पर सरकारों के जवाब का आकलन करने के लिए कहता हूं।"
नई दिल्ली, 10 सितंबर (आईएएनएस)| संसद के 14 सितंबर से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र में मोदी सरकार 11 अध्यादेशों को बिल के रूप में लेकर आएगी। ऐसे में सरकार की निगाह में यह सत्र काफी अहम हो गया है।
कोरोना के खतरे को देखते हुए खास सावधानियों के साथ लोकसभा और राज्य सभा का संचालन होगा। संसद के दोनों सदनों में सत्र के संचालन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन होगा। सांसदों के लिए कोविड 19 के चेकअप की भी व्यवस्था होगी।
बीजेपी के राज्य सभा सांसद और राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव के मुताबिक संसद की कार्यवाही ढंग से चले और देश में अच्छे विधायी कानूनों का निर्माण हो, इसके लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। संसद में नई व्यवस्थाओं को भी पूरी संसदीय प्रक्रिया के साथ किया जा रहा है। सरकार के लिहाज से ये सत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इस सत्र में ग्यारह ऐसे अध्यादेश आएंगे, जिनपर कानूनी रूप से चर्चा होगी। इनमें कुछ अध्यादेश ऐसे हैं जो कोविड की परिस्थिति के कारण सरकार की ओर से लाए गए।
बीजेपी महासचिव भूपेंद्र यादव ने संसद डायरी में कहा, "जो ग्यारह अध्यादेश बिल के रूप में आएंगे, उनको तीन भागों में समझा जा सकता है। आर्थिक क्षेत्र से जुड़े कानून, कृषि क्षेत्र से जुड़े कानून और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हुए कानून।"
ये 11 बिल लाएगी सरकार
1- टैक्सेसन एंड अदर लॉज आर्डिनेंस,2020
2- बैकिंग रेगुलेशन( अमेंडमेंट) आर्डिनेंस,2020
3- सैलरी एंड अलाउंसेज ऑफ मिनिस्टर्स अमेंडमेंट आर्डिनेंस,2020
4- सैलरी, अलाउंसेज एंड पेंशन ऑफ मेंबर ऑफ पार्लियामेंट अमेंडमेंट आर्डिनेंस 2020
5- एसेंशियल कमोडिटीज अमेंडमेंड आर्डिनेंस
6- फारमर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स आर्डिनेंस, 2020
7- फारमर्स एग्रीमेंट ऑन प्राइस एंड फार्म सर्विसेज
8- इंडियन मेडिसिन सेंट्रल काउंसिल आर्डिनेंस, 2020
9- होमियोपैथी सेंट्रल काउंसिल आर्डिनेंस,2020
10- एपिडमिक डिजीज अमेंडमेंट आर्डिनेंस,2020
11- इंसाल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड आर्डिनेंस,2020
नयी दिल्ली 10 सितंबर (वार्ता) तेल विपणन कंपनियों ने करीब छह महीने बाद पेट्रोल की कीमत घटाई है। डीजल के दाम में भी कटौती की गई है।
देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल का मूल्य नौ पैसे कम होकर आज 81.99 रुपये प्रति लीटर रह गया। मुंबई में भी इसकी कीमत नौ पैसे घटकर 88.64 रुपये प्रति लीटर पर आ गई। कोलकाता और चेन्नई में इसके दाम में आठ-आठ पैसे की कटौती की गई। कोलकाता में एक लीटर पेट्रोल आज 83.49 रुपये का और चेन्नई में 84.96 रुपये का बिका।
इस साल 16 मार्च के बाद पहली बार पेट्रोल की कीमत में कमी की गई है। तेल विपणन कंपनियाँ दैनिक आधार पर पेट्रोल-डीजल के मूल्य की समीक्षा करती हैं। नयी कीमत रोज सुबह छह बजे से लागू होती है।
डीजल के दाम दिल्ली और कोलकाता में 11-11 पैसे कम होकर क्रमश: 73.05 रुपये और 76.55 रुपये प्रति लीटर पर आ गये। मुंबई में इसकी कीमत 12 पैसे घटकर 79.57 रुपये और चेन्नई में 10 पैसे की कटौती के साथ 78.38 रुपये प्रति लीटर रही।
देश के चार प्रमुख महानगरों में पेट्रोल-डीजल की कीमत (रुपये प्रति लीटर में) इस प्रकार रही:
महानगर-----------पेट्रोल-----------------डीजल
दिल्ली------------81.99(-09 पैसे)-------73.05(-11 पैसे)
कोलकाता---------83.49(-08 पैसे)-------76.55(-11 पैसे)
मुंबई-------------88.64(-09 पैसे)-------79.57(-12 पैसे)
चेन्नई------------84.96(-08 पैसे)-------78.38(-10 पैसे)
- अरविंद छाबड़ा
भारत में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन इसके साथ कई तरह की अफ़वाहें भी फैल रही हैं जिसका असर टेस्टिंग पर पड़ रहा है.
कोरोना वायरस के फैलने से जुड़ी अफ़वाहों के कारण, पंजाब में लोग कोरोना का टेस्ट करवाने से डर रहे हैं.
पंजाब के संगरूर ज़िले की रहने वालीं सोनिया कौर कहती हैं, "इंसानी अंगों की तस्करी की जा रही है. सिर्फ़ गांव के लोग ही नहीं पूरी दुनिया इससे डरी हुई है. सोशल मीडिया ऐसी ख़बरों से भरा पड़ा है."
कौर के मुताबिक़ जाँच और इलाज करने के बहाने लोगों के अंग निकाले जा रहे हैं. ऐसी बातें पंजाब के ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले कई लोग कह रहे हैं.
पंजाब में यह अफ़वाह तेज़ी से फैल रही है कि वायरस बस एक बहाना है, जिन लोगों को कोई बीमारी नहीं है, कोविड-19 के सहारे उन्हें मारा जा रहा, उनके अंग निकाल लिए जा रहे हैं और लाशों की अदला-बदली हो रही है.
स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले
लोगों के मन में डर बसा हुआ है और इंटरनेट की पहुँच और सोशल मीडिया ख़ासकर व्हॉट्सऐप पर लोगों की मौजूदगी इन अफ़वाहों को तेज़ी से फैलाने में मदद कर रही है.
इसके कारण कुछ जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले किए गए.
कई दूसरे गांवों की तरह सोनिया के गांव में सैंपल इकट्ठा करने आए स्वास्थ्यकर्मियों को घुसने नहीं दिया गया, लोगों ने स्वास्थ्यकर्मियों पर ईंट पत्थरों से हमला भी किया और "वापस जाओ, हमें टेस्ट नहीं चाहिए" के नारे लगाकर उन्हें वापस लौटने के लिए मजबूर कर दिया.
सरकार अपनी तरफ़ से जागरूकता फैलाने और डर कम करने के लिए कई वीडियो लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है, इन वीडियो को ध्यान में रखकर भी एक कैंपेन चलाने की तैयारी की जा रही है.
सरकार की कोशिशों पर बुरा असर
पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने बीबीसी को बताया, "ये सभी अफ़वाह हैं, कोविड के कारण मरने वालों को कोई छू भी नहीं सकता है. लाश को बांध कर अंतिम क्रिया के लिए भेज दिया जाता है. अंगों के निकाले जाने का तो सवाल ही नहीं उठता."
पंजाब में कोविड -19 को लेकर अफ़वाहों का फैलना कोई नई बात नहीं है, लेकिन टेस्टिंग को लेकर हो रहे विरोध की घटनाएं पिछले कुछ समय में काफ़ी फैल गई हैं. इसके कारण बीमारी से निपटने के लिए की जा रही सरकार की कोशिशों पर असर पड़ रहा है.
पंजाब में पिछले कुछ हफ्तों में मामले लगातार बढ़े हैं. अधिकारियों का कहना है कि मौतों के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह टेस्टिंग में होने वाली देरी है. बीमार पड़ने के बाद लोग काफ़ी देर से अस्पताल पहुँच रहे हैं.
कोविड-19 से संबंधित सूचनाएं
साठ साल के सुच्चा सिंह की पत्नी कुलवंत कौर की मौत कोविड-19 से हो गई है. लेकिन, उन्हें अभी भी लगता है कि कोरोना वायरस एक साज़िश है.
वे कहते हैं, "यह सब बकवास है. कोरोना जैसा कुछ भी नहीं है. अगर ऐसा कुछ होता तो मेरी पत्नी की मां जो कि उम्र के 80 के दशक में हैं वो ज़िंदा नहीं होतीं."
वे कहते हैं कि उन्हें पछतावा है कि वे अपनी पत्नी को डायबिटीज चेक कराने के लिए अस्पताल क्यों लेकर गए. सुच्चा सिंह कहते हैं, "उन्होंने उनका डायबिटीज का इलाज ही नहीं किया बल्कि कोरोना, कोरोना चिल्लाते रहे."
"हमने सुना है कि डॉक्टरों और सरकारों को कोविड-19 की ज्यादा मौतें दिखाने के लिए पैसे मिल रहे हैं. हमने यह भी सुना है कि लोगों को घरों से निकाला जा रहा है और फिर उन्हें मार दिया जाता है."
कोविड-19 से संबंधित सूचनाओं में बदलाव और इसके अलग-अलग असर के चलते ग़लत सूचनाओं को हवा मिलती दिख रही है.
शवों की अदला-बदली के मामले
एक गांव प्रधान सतपाल सिंह ढिल्लों कहते हैं, "पहले बूढ़े लोग मर रहे थे. अब युवा लोग भी मर रहे हैं. ऐसा कैसे हो सकता है कि अचानक से युवा लोग संक्रमित होने लगे हैं."
सतपाल के गांव की पंचायत ने कोविड-19 के लिए टेस्टिंग की इजाज़त नहीं दी थी.
"हम आमतौर पर देखते हैं कि मौत किसी बूढ़े शख्स की हुई, लेकिन परिवार को किसी युवा महिला का शव सुपुर्द किया गया. ऐसे में लोग कैसे किसी पर भरोसा कर पाएंगे?"
इस तरह की अफ़वाहों की जड़ तक पहुँचना नामुमकिन है, लेकिन शवों की अदला-बदली जैसे मामले किसी ग़लती की वजह से हुए हो सकते हैं.
जुलाई में दो भाइयों ने, जिनके पिता की कोविड-19 से मौत हो गई थी, आरोप लगाया कि वे ज़िंदा हैं और उन्हें एक महिला का शव दिया गया है.
अफ़वाहों का लगातार मज़बूत होना...
इसकी वजह से एक मजिस्ट्रेट की अगुवाई में जाँच की गई और अधिकारियों ने बाद में माना कि इसमें घालमेल हो गया था, लेकिन उन्होंने कहा कि उन भाइयों के पिता की भी मौत हो गई थी और उनका अंतिम संस्कार महिला के परिवारवालों ने कर दिया था.
इस सबके बावजूद अफ़वाहें लगातार मज़बूत ही हो रही हैं.
मोगा ज़िले के सुखदेव सिंह कोकरी कहते हैं, "हम टेस्टिंग का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम निश्चित तौर पर लोगों को स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा ज़बरदस्ती ले जाए जाने का विरोध कर रहे हैं. जब लोगों को ले जाया जाता है तब वे सामान्य होते हैं, लेकिन वे मरे हुए लौटते हैं और उनके अंग निकाल लिए गए होते हैं."
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कोविड-19 के आंकड़ों को बढ़ाचढ़ाकर बता रही है ताकि लोगों को कंट्रोल में रखा जा सके और विरोध-प्रदर्शन न हों.
वैक्सीनेशन मुहिम के दौरान
अधिकारियों का कहना है कि यह स्पष्ट नहीं है कि कोई क्यों इन अफ़वाहों का सहारा लेगा या पंजाब में इस पैमाने पर ऐसा क्यों हो रहा है.
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक अरविंदर गिल कहते हैं कि पोलियो और रूबेला वैक्सीनेशन मुहिम के दौरान भी इसी तरह की अफ़वाहें फैली थीं.
"मुझे याद है कि हमारी पोलियो वैक्सीनेशन ड्राइव के दौरान लोगों ने हमारी टीमों का विरोध किया और कहा कि इससे बुख़ार होता है और यह घातक साबित हो सकता है."
डॉ. गिल ने कहा कि यह विरोध काफ़ी ख़तरनाक साबित हो सकता है क्योंकि लोगों को पता ही नहीं चलेगा कि वे संक्रमित हो रहे हैं.
"वे संक्रमित होंगे और इधर-उधर घूमेंगे. उनकी ख़ुद की हालत भी ख़राब होगी. बाद में उन्हें हॉस्पिटल लाया जाएगा, तब स्वास्थ्यकर्मी शायद उनकी मदद न कर पाएं."(bbc)
भुवनेश्वर, 9 सितंबर (आईएएनएस)| ओडिशा के कंधमाल जिले में बुधवार को सेना के जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। ओडिशा पुलिस ने अपने बयान में कहा, "मुठभेड़ में 4 नक्सली मारे गए, जबकि इसमें एक स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) का जवान घायल हो गया है। घायल जवान का उपचार किया जा रहा है।"
उन्होंने कहा कि जंगल में तलाशी अभियान जारी है।
मंगलवार को एक विषेश सूचना के आधार पर कालाहांडी-कंधमाल सीमा पर एक अभियान चलाया गया। इस अभियान में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के जवान और जिला स्वैछिक बल (डीवीएफ) ने भी हिस्सा लिया।
बयान में कहा गया कि बुधवार को तरीकबन 11 बजे मुठभेड़ शुरू हुआ, जहां एसओजी और डीवीएफ की टीम ने नक्सलियों पर जवाबी गोलीबारी की। मुठभेड़ आधा घंटे तक चली।
घटनास्थल पर एसओजी, डीवीएफ और सीआरपीएफ की टीम को भेजकर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
--आईएएनएस
मुंबई, 9 सितंबर (आईएएनएस)| कंगना रनौत के बुधवार को मुंबई एयरपोर्ट पर उतरने के साथ ही राजनीतिक दलों का एक हिस्सा शिवसेना के साथ चल रहे विवाद में अभिनेत्री का समर्थन में उतर गया है, इनमें भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी शामिल हैं जिन्होंने अभिनेत्री से विश्वास बनाए रखने के लिए कहा है। स्वामी ने बुधवार को ट्वीट किया, "कंगना से कह दो भरोसा रखें। हम सब उनके संघर्ष में साथ हैं।"
सोशल मीडिया पर कंगना और महाराष्ट्र के कुछ राजनेताओं के बीच छिड़ी जुबानी जंग के बाद कंगना अन्य मुसीबत में फंस गई हैं अबकी बार कंगना प्रशासन के चंगुल में फंस गईं हैं।
बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने बुधवार को कंगना रनौत के बांद्रा स्थित ऑफिस को कथित रूप से कई अनधिकृत संशोधनों/एक्सटेंशन के कारण तोड़ना शुरू कर दिया। बीएमसी एच-वेस्ट वार्ड के अधिकारियों की एक टीम पुलिस के साथ बुलडोजर, जेसीबी और अन्य भारी मशीन लेकर कंगना के ऑफिस पहुंची और बाहर से ढहाना शुरू कर दिया।
नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)| उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कानूनी इकाई के तौर पर पशुओं को समानता दिए जाने की मांग कर रहे याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या वह अपने कुत्ते को अपने बराबर मानता है। मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह किस तरह का अनुरोध है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "आप (याचिकाकर्ता) चाहते हैं कि पूरे पशु साम्राज्य को एक कानूनी इकाई माना जाए .. आप चाहते हैं कि हम जानवरों को मुकदमा चलाने में सक्षम घोषित करें और उन पर मुकदमा चलाया जाए?"
पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या वह उन्हें एक कानूनी व्यक्तित्व दिए जाने की मांग कर रहा है? इस पर याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जानवरों को संपत्ति के रूप में माना जाता है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "लेकिन वे आपके बराबर नहीं हैं। क्या आपका कुत्ता आपके बराबर है?"
पीठ ने कहा कि जानवरों को विभिन्न कानूनों के तहत संरक्षण प्राप्त है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि क्या इस तरह हमें पेड़ों को भी कानूनी संस्था बनाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता भ्रमित था।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि जानवर इंसान के बराबर हैं, हालांकि विकास के मामले में वे मनुष्य से कम हैं। याचिकाकर्ता ने कहा, "उनके पास भी आत्मा और बुद्धि होती है।"
2016 की आईपीएल विजेता के सदस्य ने कहा, "मुझे लगता है कि हर टीम के खिताब जीतने की संभावना बराबर हैं। सनराइजर्स की जहां तक बात है तो, हम अच्छे से तैयारी कर रहे हैं और निश्चित तौर पर जीतना चाहते हैं।"
यूएई में पिचें धीमी और स्पिनरों की मददगार मानी जाती हैं , इसलिए प्रशंसकों को हो सकता है कि उस तरह के हाई स्कोरिंग मैच देखने को नहीं मिलें जितने भारत में देखने को मिलते थे। भुवनेश्वर ने हालांकि कहा है कि बल्लेबाज रन करन के तरीके निकाल लेंगे और गेंदबाजों को तैयार रहना होगा।
दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा, "मैं यह नहीं कहूंगा कि गेंदबाजों को फायदा होगा क्योंकि दोनों, बल्लेबाज और गेंदबाज क्रमश: स्कोर करने और विकेट निकालने के तरीके खोज लेंगे, चाहे पिचें मददगार हो या नहीं। यह खेल ऐसा ही है।"
नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को होने जा रही परीक्षा नीट 2020 के स्थगन की मांग के लिए लगाई गई नई याचिकाओं पर विचार करने से बुधवार को इनकार कर दिया। जस्टिस अशोक भूषण, आर. सुभाष रेड्डी और एम.आर. शाह की खंडपीठ ने कहा कि वे इस मामले की जांच करने के लिए इच्छुक नहीं हैं क्योंकि नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट कुछ दिनों में आयोजित होने वाला है।
शीर्ष अदालत ने परीक्षा स्थगन के लिए जनहित याचिकाओं के समूह के साथ-साथ गैर-भाजपा शासित राज्यों के छह मंत्रियों की याचिका को भी खारिज कर दिया।
पीठ ने कहा, "अब सब कुछ खत्म हो गया है। एक समीक्षा को खारिज कर दिया गया है। जेईई हो चुकी है। अब हम इस पर कैसे विचार कर सकते हैं?"
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दतार ने दलील दी कि वे छात्रों को हो रहीं व्यावहारिक कठिनाइयों को उजागर कर रहे हैं। उन्होंने बिहार का उदाहरण दिया, जहां केवल दो परीक्षा केंद्र हैं।
पीठ ने जवाब दिया कि नीट के लिए सभी व्यवस्थाएं की जाएंगी। अलग-अलग प्रवेश परीक्षा के लिए अलग-अलग तरीखें नहीं हो सकती हैं।
दतार ने शीर्ष अदालत से नीट को तीन सप्ताह के लिए स्थगित करने पर विचार करने का आग्रह किया है।
एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील के.टी.एस. तुलसी ने तर्क दिया कि कोविड-19 के एक दिन में 90 हजार मामले दर्ज हुए हैं। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि जो उम्मीदवार परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं हो सके, उनके बारे में उचित ढंग से विचार करना चाहिए।
इस पर पीठ ने कहा कि यह परीक्षा निकाय को तय करनी थी, ना कि न्यायालय को।
एक अन्य अधिवक्ता शोएब आलम ने कंटेनमेंट जोन के लिए जारी दिशा-निर्देशों का हवाला दिया कि ऐसे में वहां के छात्र कैसे परीक्षा केन्द्र पहुंचेंगे। इस पर पीठ ने कहा कि संबंधित अधिकारी उम्मीदवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक सावधानी बरतेंगे।
नई दिल्ली, 9 सितम्बर (आईएएनएस)| राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा को एक संदेश देने के लिए महाभारत में लिखे भगवान कृष्ण की एक बात का उद्धरण किया है। स्वामी ने इसके जरिए नड्डा से भाजपा आईटी सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय को हटाने की मांग की है। स्वामी ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, "कल तक अगर मालवीय को बीजेपी आईटी सेल (जो नड्डा के लिए मेरे पांच गांवों का समझौता प्रस्ताव है) से नहीं हटाया जाता है तो इसका मतलब है कि पार्टी मेरा बचाव नहीं करना चाहती है। चूंकि पार्टी में कोई फोरम नहीं है जहां मैं कैडर की राय मांग सकता हूं। इसलिए मुझे अपना बचाव करना होगा।"
महाभारत में भगवान कृष्ण ने कौरव राजा धृतराष्ट्र से पांडवों को पांच गांव देने का अंतिम प्रस्ताव दिया था। कौरवों ने मना कर दिया जिसके बाद भगवान कृष्ण ने कहा कि युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
स्वामी सोमवार से भाजपा आईटी सेल और मालवीय के बारे में शिकायत कर रहे हैं। स्वामी का दावा है कि उन पर हमला किया जा रहा है और कहा कि भाजपा आईटी सेल दुष्ट हो गया है।
स्वामी ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा था, "भाजपा आईटी सेल दुष्ट हो गया है। इसके कुछ सदस्य मुझ पर निजी हमले करने के लिए फर्जी आईडी ट्वीट का सहारा ले रहे हैं। यदि मेरे नाराज फॉलोअर्स पलटवार करते हुए व्यक्तिगत हमले करते हैं तो मुझे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि भाजपा को पार्टी के दुष्ट आईटी सेल के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।"
लखनऊ, 9 सितम्बर (आईएएनएस)| बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के लिए अब मुसीबतें बढ़ने जा रही हैं। योगी सरकार ने नियंत्रक और महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट के आधार पर उन पर कार्रवाई करने का फैसला किया है। इस रिपोर्ट ने 2007 से 2012 के बीच मायावती के नेतृत्व वाली सरकार के शासन की विसंगतियों का खुलासा किया है।
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन मायावती सरकार ने गाजियाबाद में कृषि भूमि को आवास भूमि में बदला और इसके लिए प्रॉपर्टी डेवलेपर्स से अपेक्षित रूपांतरण शुल्क नहीं लिया।
मायावती सरकार के फैसले से गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) को 572.48 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ और दिल्ली मास्टर प्लान 2021 का उल्लंघन करते हुए चुनिंदा प्रॉपर्टी डेवलपर्स को ही यह लाभ दिया गया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जीडीए ने दिल्ली मास्टर प्लान 2021 में हाई-टेक टाउनशिप के रूप में चिन्हित 3,702.97 एकड़ सहित कुल 4,772.19 एकड़ क्षेत्र के लिए प्रॉपर्टी डेवलपर्स के लेआउट प्लान्स को मंजूरी दी थी।
मानदंडों के खिलाफ जाकर कृषि भूमि को उप्पल चड्ढा हाई-टेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित किया गया, क्योंकि इसका भूमि उपयोग बदलकर आवासीय कर दिया गया था और इसके लिए कोई रूपांतरण शुल्क नहीं लिया गया था।
इस फर्म में उप्पल चड्ढा हाई-टेक डेवलपर्स और सन सिटी हाई-टेक इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड जैसे दो डेवलपर्स शामिल हैं।
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने 23 अप्रैल, 2010 को एक आदेश जारी किया था इसके बाद यह वित्तीय अनियमितताएं हुईं।
नई दिल्ली, 9 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश में पिछले छह वर्ष में गरीबों के लिए बहुत काम हुआ है। इतना काम पहले कभी नहीं हुआ। पीएम स्वनिधि योजना के लाभार्थियों से संवाद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमारे देश में गरीबों की बात बहुत हुई हैं लेकिन गरीबों के लिए जितना काम पिछले 6 साल में हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। हर वो क्षेत्र, हर वो सेक्टर जहां गरीब-पीड़ित-शोषित-वंचित, अभाव में था, सरकार की योजनाएं उसका संबल बनकर आईं। प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को पीएम स्वनिधि योजना के लाभार्थियों से संवाद करते हुए कहा कि हमारे देश का गरीब तो कागजों के डर से बैंक में जाता तक नहीं था। जनधन योजना के माध्यम से देश में 40 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक खाते खुलवाए गए हैं। इन जनधन खातों से गरीब बैंक से जुड़ा, तभी तो उन्हें आसानी से लोन, आवास योजना का लाभ, आर्थिक मदद मिल रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हाल में सरकार ने शहरों में उचित किराए में बेहतर आवास उपलब्ध कराने की भी एक बड़ी योजना शुरू की है। एक देश, एक राशन कार्ड की सुविधा से आप देश में कहीं भी जाएंगे तो अपने हिस्से का सस्ता राशन ले पाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना का मकसद है कि रेहड़ी पटरी वाले लोग नई शुरूआत कर सकें, अपना काम फिर शुरू कर सकें, इसके लिए उन्हें आसानी से पूंजी मिले। उन्हें अधिक ब्याज देकर पूंजी न लानी पड़े।
प्रतापगढ़, 9 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री मोती सिंह को 'एनकाउंटर' की धमकी देने के मामले में एक व्यक्ति पर मामला दर्ज किया गया है। व्यक्ति खुद को फरार हिस्ट्रीशीटर का भतीजा होने का दावा कर रहा है। एक वीडियो में सुल्तानपुर जिले के करौदी कला के निवासी आरोपी चंदन यादव उर्फ बग्गद को करीब 50 लोगों की भीड़ के साथ देखा गया।
वीडियो में वह कह रहा है, "सभापति यादव मेरे मामा लगते हैं। अगर उनको कुछ हुआ तो मैं सीधे मोती सिंह का एनकाउंटर करुंगा।"
इसके बाद सभापति यादव के समर्थक उनके पक्ष में नारेबाजी करते दिखाई दिए।
उत्तर प्रदेश के मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह को मोती सिंह के नाम से जाना जाता है। वह प्रतापगढ़ में पट्टी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं।
वीडियो क्लिप का संज्ञान लेते हुए, पुलिस ने प्रतापगढ़ के असपुर देवसरा पुलिस स्टेशन में आपदा अधिनियम की धारा 51 के तहत और चंदन यादव बग्गद के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 504, 506, 507, 188 और 269 के तहत और आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत मंगलवार को मामला दर्ज किया।
आईजी प्रयागराज रेंज के.पी. सिंह ने कहा, "हमने आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस की दो टीमें गठित की हैं। टीमें आरोपी के साथ वीडियो में दिखाई दे रहे अन्य लोगों की भी पहचान कर रही हैं।"
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि सभापति यादव असपुर देवसरा पुलिस थाने का हिस्ट्रीशीटर है और उसके खिलाफ लगभग 50 आपराधिक मामले लंबित हैं।
पिछले महीने ही पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के तहत उसकी 1.6 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की थी।
एसपी प्रतापगढ़ अनुराग आर्य ने कहा, "चंदन यादव और अन्य के खिलाफ उचित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस की दो टीमें सभी आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही हैं। हम वीडियो में चंदन यादव के आसपास खड़े लोगों की पहचान कर रहे हैं।"
हैदराबाद, 9 सितंबर (आईएएनएस)| तेलुगु टेलीविजन अभिनेत्री कोंडापल्ली श्रावणी ने हैदराबाद में अपने घर पर कथित रूप से आत्महत्या कर ली है। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी है। 26 साल की श्रावणी मंगलवार को मधुरनगर स्थित अपने आवास पर फांसी पर लटकी पाई गईं। परिवार के सदस्यों ने कहा कि वह अपने बेडरूम में गई और दरवाजा बंद कर लिया। उन्हें लगा कि वह नहा रही हैं लेकिन जब वह काफी देर तक बाहर नहीं आईं तो उन्होंने दरवाजा तोड़ा और देखा कि वो लटकी हुई हैं। वे उन्हें अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पुलिस ने शव को परीक्षण के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।
परिवार ने आरोप लगाया है कि श्रावणी ने अपने पूर्व प्रेमी देवराज रेड्डी के उत्पीड़न से परेशान होकर यह कदम उठाया है। पुलिस ने कहा है कि परिवार ने उसके खिलाफ कुछ दिन पहले मामला दर्ज कराया था और उन्होंने श्रावणी को उसके साथ घूमने को लेकर चेतावनी भी दी थी।
पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि देवराज के साथ घूमने को लेकर मंगलवार की देर रात श्रावणी की अपनी मां और भाई के साथ बहस हुई थी। इसके बाद वह अपने कमरे में गई और खुद को फांसी लगा ली।
पुलिस ने देवराज को गिरफ्तार करने के लिए आंध्र प्रदेश के काकीनाडा शहर में एक टीम भेजी है। पुलिस ने कहा, "चूंकि श्रावणी का परिवार उस पर आरोप लगा रहा है, इसलिए हम उसे गिरफ्तार करेंगे और पूछताछ करेंगे।"
पुलिस अधिकारी ने कहा कि देवराज को जून में श्रावणी द्वारा शिकायत करने के बाद गिरफ्तार किया गया था, इसमें कहा गया था कि वह श्रावणी से शादी करने के लिए उसे परेशान कर रहा था।
परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि देवराज के खिलाफ शिकायत करने के बाद भी पुलिस कार्रवाई करने में विफल रही है।
बता दें कि देवराज कुछ महीने पहले टिक-टॉक के माध्यम से अभिनेत्री के संपर्क में आए थे और फिर दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई।
श्रावणी के परिवार ने कहा है कि देवराज ने उसे पैसे के लिए उसे परेशान करना शुरू कर दिया था। वह उसकी निजी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की धमकी दे रहा था। लिहाजा परिवार ने देवराज को 1 लाख रुपये गूगल पे के माध्यम से दिए।
हालांकि कथित रूप से वह पैसे लेने के बाद भी उसे परेशान करता रहा, लिहाजा उन्होंने उसके खिलाफ एस.आर.नगर थाने में 22 जून को शिकायत दर्ज कराई। वहीं पुलिस ने दावा किया है कि शिकायत में वीडियो और तस्वीरों का कोई जिक्र नहीं था।
बता दें कि श्रावणी ने 'मनासु ममता' और 'मौनरागम' जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों में अभिनय किया था।
इंदौर, 9 सितंबर। सांवेर विधानसभा क्षेत्र में निकल रही कलश यात्रा के मामले में मंगलवार रात पुलिस ने भाजपा जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर व पूर्व जनपद अध्यक्ष भगवान परमार, सुभाषष चौधरी, पूर्व सरपंच विनोद चंदानी, अंतरदयाल कतौला, सतीश मालवीय के खिलाफ धारा 188 के तहत प्रकरण दर्ज किया है। सांवेर, धरमपुरी और चंद्रावती गंज में निकली यात्राओं को लेकर कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया। अब तक 50 से ज्यादा स्थानों पर कलश यात्राएं निकल चुकी हैं और उनमें कोडिव-19 के प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ है।
240 गांवों से निकलने वाली यात्रा शुरु
बीते रविवार को निकले ताजिये और उसके बाद शुरू हुआ आयोजकों की गिरफ्तारियां का दौर अभी थमा भी नहीं था कि पिवड़ाय से नर्मदा कलश यात्रा का भव्य श्रीगणेश हो गया। सांवेर उप चुनाव की तैयारियों के तहत प्लान की गई इस कलश यात्रा में पिवड़ाय व आसपास के अन्य गांवों की 700 से महिलाओं ने भाग लिया। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी कोविड-19 गाइडलाइन कुछ ही लोगों तक सीमित नजर आई।
सांवेर में अपना सिंहासन कायम रखने के लिए मंत्री तुलसीराम सिलावट और मप्र सरकार ने जो रणनीति बनाई है उसका हिस्सा है नर्मदा कलश यात्रा। जो पोलिंग बुथों के आधार पर बनाए गए 31 सेक्टरों के 240 गांवो में निकलेगी। इस यात्रा को निकलकर सरकार गांव-गांव तक 2423 करोड़ की लागत से प्रस्तावित नर्मदा-शिप्रा मल्टीपरपस प्रोजेक्ट की जानकारी पहुंचाना है जिसके तहत विधानसभा के 183 गांवों तक पानी पहुंचना है।
नर्मदा कलश यात्रा अभियान की शुरुआत पिवड़ाय से हुई है जो मंडल अध्यक्ष सुधीर भजनी के नेतृत्व में निकाली गई। दो दिन पहले उज्जैनी पहुंचे मंत्री और उनके
समर्थकों ने नर्मदा कलश भरकर दिए थे। शनिवार को जब यात्रा निकली तो इसमें 700 से अधिक महिलाएं शामिली थी। जिनके माथे पर कलश सजा हुआ था। बैंड बाजे के साथ निकी यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण भी शामिल थे। यात्रा में शामिल पंचायत पदाधिकारियों के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया था।
#Indore| Amid rising cases of #COVID19, MP Cabinet Minister Tulsi Silawat organises religious procession as elections inch closer, violating all social distancing norms. pic.twitter.com/7ZNmqFDwc2
— Mojo Story (@themojo_in) September 8, 2020
आज कम्पेल में यात्रा...
पिवड़ाय के बाद अगला सेक्टर कम्पेल है जो भी बड़ा गांव है। 12 पोलिंग बुथ है। यहां रविवार की सुबह 9 बजे कलश यात्रा निकाली जाना है।
लगातार पॉजिटव हो रहे हैं नेता...
उपुचनाव के लिए कलश यात्रा की तैयारियों में लगे लोग कोरोना को हल्के में ले रहे हैं। जबकि उपचुनाव के दोनों ही दावेदारों के साथ इंदौर जिले के एक दर्जन बड़े नेता अब तक कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। बीते दिनों विधायक महेंद्र हार्डिया और प्रवक्ता उमेश शर्मा भी पॉजिटिव निकले।
कांग्रेस भी सक्रिय...
बीते दिनों तेजादशमी निकली। इस दिन मन्नत पूरी होने वाले परिवार तेजाजी के निशान निकालते हैं। पिवड़ाय में ही ऐसे 50 परिवार थे। जिन्हें उस दिन कांग्रेस उम्मीद्वार प्रेमचंद गुड्?डू की बेटी रश्मी बोरासी ने पिवड़ाय पहुंचकर शॉल और श्रीफल दिया था। ऐसे अन्य गांवों में भी जाकर शॉल-श्रीफल दिए गए।
मुंबई, 9 सितम्बर (आईएएनएस)| बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने बुधवार को बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के बांद्रा स्थित ऑफिस को कथित रूप से कई अनधिकृत संशोधनों / एक्सटेंशन के कारण तोड़ना शुरू कर दिया। बीएमसी एच-वेस्ट वार्ड के अधिकारियों की एक टीम पुलिस के साथ बुलडोजर, जेसीबी और अन्य भारी मशीन लेकर कंगना के ऑफिस पहुंची और बाहर से ढहाना शुरू कर दिया।
इससे पहले, बीएमसी ने ऑफिस के बाहर एक नोटिस चिपकाया, जिसमें कंगना के वकील रिजवान सिद्दीकी द्वारा मंगलवार के नोटिस के मद्देनजर दायर जवाब को खारिज कर दिया गया था, जिसमें बीएमसी ने उनके कार्यालय में चल रहे निर्माण में कई उल्लंघनों का जिक्र किया था। इसके कुछ ही घंटो बाद ऑफिस तोड़ना शुरू कर दिया गया।
यह कदम सोशल मीडिया पर कंगना और महाराष्ट्र के कुछ राजनेताओं के बीच साझा किए गए छिड़ी जुबानी जंग के बाद सामने आया है।
बीएमसी के एग्जिक्यूटिव इंजीनियर ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट थे कि (अवैध) निर्माण किए जा रहे थे और अभिनेत्री बीएमसी कानूनों के अनुसार इसके लिए अनुमति /अनुमोदन / स्वीकृति प्रदान करने में विफल रही थी।
नोटिस में यह भी चेतावनी दी गई कि अभिनेत्री को जुर्माना के अलावा, न्यूनतम एक महीने की कैद और एक साल की जेल की सजा तक हो सकती है।
नोटिस के अनुसार, ऑफिस निर्माण में किए गए उल्लंघनों में दो बंगलों का विलय, ग्राउंड-फ्लोर के टॉयलेट को एक ऑफिस केबिन बना लेना, स्टोररूम को किचन बनवा लेना, ग्राउंड फ्लोर पर एक अनधिकृत पेंट्री बनाना, स्टोररूम और पार्किं ग एरिया के पास टॉयलेट बनाना, पहली मंजिल के लिविंग रूम में अवैध तरीके से पार्टिशन करना, पूजा कमरे में एक अवैध मीटिंग रूप बनाना, एक बालकनी को हैबिटेबल एरिया बनाना और फ्लोर एक्सटेंशन आदि हैं।
गौरतलब है कि बीएमसी की टीम ने कंगना के ऑफिस का औचक निरीक्षण किया था जिसके दो दिन बाद अब यह कदम उठाया गया है।
गोरखपुर, 9 सितंबर (आईएएनएस)| करणी सेना बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के समर्थन में उतर आई है। करणी सेना ने शिवसेना नेता संजय राउत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। करणी सेना के सदस्यों ने अभिनेत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत के खिलाफ मंगलवार को गोरखपुर में विरोध प्रदर्शन किया।
शिवसेना के सदस्यों ने गोरखपुर के शास्त्री चौक पर संजय राउत का पुतला भी जलाया और उनके माफी मांगने की मांग की। उन्होंने कहा कि कंगना के लिए शिवसेना के नेता ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है वह सभी महिलाओं का अपमान है।
श्री राजपूत करणी सेना, 'करणी सेना' के रूप में लोकप्रिय है।
करणी सेना के जिला अध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने कहा, "जब भी महिलाओं का तिरस्कार और अपमान किया गया है, राजपूतों ने हमेशा महिलाओं का समर्थन किया है। संजय राउत ने कंगना रनौत के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है, जो बहुत आपत्तिजनक है। हम मांग करते हैं कि महाराष्ट्र सरकार और शिवसेना संजय राउत के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें अन्यथा करणी सेना महिलाओं के सम्मान के लिए लड़ने के लिए सड़कों पर आएगी।"
संजय राउत पार्टी के समाचार पत्र 'सामना' के कार्यकारी संपादक हैं और मंगलवार को उन्हें पार्टी का मुख्य प्रवक्ता नियुक्त किया गया।
करणी सेना ने यह भी घोषणा की है कि वह मुंबई में कंगना रनौत की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेगी। अभिनेत्री बुधवार को मुंबई वापसी कर रही हैं।
करणी सेना ने कहा कि उसके सदस्य कंगना रनौत की रक्षा करेंगे और उसे हवाई अड्डे से उसके घर तक सुरक्षा देंगे।
गौरतलब है कि जनवरी 2018 में करणी सेना ने देशभर में फिल्म 'पद्मावत' की रिलीज का विरोध किया था, फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली को फिल्म का शीर्षक 'पद्मावती' से 'पद्मावत' में बदलने के लिए मजबूर किया था।
नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)| नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के बैरक में सेना के एक जवान ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। यह जानकारी बुधवार को पुलिस अधिकारियों ने दी। पुलिस को बुधवार सुबह करीब 4 बजे फोन आया कि 38 वर्षीय तेज बहादुर थापा ने खुद को बैरक के अंदर सीलिंग फैन से लटका लिया है। साउथ एवेन्यू पुलिस स्टेशन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और जवान को अस्पताल ले गए लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
नई दिल्ली के एडिशनल डीसीपी दीपक यादव ने कहा "आत्महत्या के कारण का अभी पता नहीं चल पाया है। अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। हम मामले की जांच कर रहे हैं।"
सूत्रों ने बताया कि थापा का बेस अस्पताल में उच्च रक्तचाप का इलाज चल रहा था।
थापा गोरखा राइफल्स में तैनात थे और वह नेपाल के मूल निवासी थे। पुलिस के अनुसार, उसने यह कदम तब उठाया जब कमरे में उसके साथी सो रहे थे। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है।
संदीप पौराणिक
बैतूल, 9 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक मजदूर दंपत्ति ने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है। इस दंपत्ति ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लगातार 49 दिन तक मेहनत की और दो मंजिला मकान बना लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दंपत्ति से संवाद भी करने वाले हैं।
बैतूल जिले के उड़दन गांव का रहने वाला है मजदूर दंपत्ति सुशीला देवी और सुभाष। इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत डेढ लाख रूपये की राशि मिली। वे इस राशि से बड़ा मकान बनाना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने खुद ही मजदूरी कर आवास बनाने का फैसला लिया, ताकि मजदूरी के पैसे को बचाया जा सके। फि र क्या था दोनों अपने मिशन में जुट गए।
वैसे तो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाली राशि से दो कमरे और शौचालय आदि ही बना पा रहे हैं, मगर इस दंपत्ति का मकान दो मंजिला तो है ही साथ में लुभावना भी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के पीएम आवास हितग्राहियों के साथ वर्चुअल संवाद कर रहे हैं। प्रधनमंत्री 12 सितंबर को उन हितग्राहियों से बात करेंगे जो गृह प्रवेश करेंगे। इस दौरान वे बैतूल के मजदूर दंपति सुशीला देवी और सुभाष से भी बात करेंगे, क्योंकि दोनों ने पीएम आवास योजना के तहत अपना घर खुद ही बनाया है।
सुशीला देवी ने बताया कि वे पीएम मोदी से संवाद करने को लेकर वो काफी उत्साहित हैं। उन्होंने पीएम आवास योजना के तहत दो मंजिला घर बना दिया, जिसमें तीन बड़े कमरे, दलान, किचन और उसके साथ छोटा सा बगीचा शामिल है।
पुराने दिनों को याद करते हुए सुशीला बताती हैं कि पहले वे कच्चे घरों में रहते थे। इस दौरान जब बारिश होती थी तो छप्पर से पानी गिरता था। इसकी वजह से घर में पानी भर जाता था और पूरा परिवार परेशान होता था। इतना ही नहीं कमान कमजोर होने के कारण गिरने का भी डर सताता था। लेकिन पीएम आवास योजना के तहत घर बनने से उनकी ये कठिनाई दूर हो गई है, अब उन्हें सिर्फ बच्चों का भविष्य संवारना है।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एम एल त्यागी ने बताया कि हितग्राही ने जिस तरह खुद मेहनत कर आवास तैयार किया वह काबिले तारीफ है। उनकी मेहनत की वजह से उन्हें 13 अन्य योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। दंपत्ति के इस कार्य के लिए प्रधानमंत्री से उनका संवाद होने वाला है।
प्रशांत रुपेरा, वडोदरा
गुजरात में एक ऐसी डेयरी बनने जा रही है जहां गधी का दूध मिला करेगा। इसकी कीमत सुनकर होश उड़ जाएंगे, एक लीटर गधी का दूध सात हजार रुपये तक का हो सकता है। इस हिसाब से यह दुनिया का सबसे महंगा दूध साबित होगा।
जो लोग गधी के दूध का नाम सुनकर नाक-भौं सिकोड़ रहे हों उनके लिए बता दें कि इसके दूध में बहुत औषधीय गुण होते हैं। प्राचीन मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा की सुंदरता के बड़े चर्चे थे, बताया जाता है कि वह गधी के दूध से स्नान करती थी। इसमें ऐंटी एजिंग, ऐंटी ऑक्सिडेंट और दूसरे तत्व होते हैं जो इसे दुलर्भ बनाते हैं।
सरकार इन्हें दुधारू पशु का दर्जा देगी
फिलहाल, गुजरात की स्थानीय हलारी नस्ल के गधे इसके लिए मुफीद माने गए हैं। ये गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में पाए जाते हैं। अब गुजरात सरकार सोच रही है कि इन्हें बोझा ढोने वाले पशुओं की जगह दुधारू पशु की श्रेणी में रखा जाए और उससे कमाई भी की जाए।
नई नस्ल के रूप में पहचान मिली है
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) ने हरियाणा के हिसार में गधी के दूध पर एक प्रॉजेक्ट की शुरुआत भी कर दी है। दो साल पहले ही नैशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक रिसोर्सेज ने हलारी नस्ल को नई नस्ल का दर्जा दिया है। गधों की किसी दूसरी नस्ल को यह दर्जा मिला है, गुजरात की यह पहली गधों की नस्ल है।
पिछले 200 साल से सौराष्ट्र में हैं
गुजरात के आणंद स्थित, आणंद एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट के डॉ. डीएन रंक ने बताया, 'हलारी गधे घोड़ों से तो कद में छोटे होते हैं लेकिन बाकी गधों से बड़े होते हैं। देखने में ये घोड़ों जैसे ही लगते हैं। गधों की यह नस्ल पिछले 200 साल से हलारा क्षेत्र में रह रही है। इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने से इस नस्ल के संरक्षण और इनके जींन्स के संवर्धन के लिए रास्ता खुल जाएगा।'
विदेशों में है भारी डिमांड
जामनगर और देवभूमि द्वारका जिलों को पहले हलार क्षेत्र कहा जाता था। यहां के 18,176 वर्ग किलोमीटर में लगभग 1,112 गधे हैं। विदेशों में दूध की बड़ी डिमांड है। यह साबुन बनाने, स्किन जेल और फेस वॉश में इस्तेमाल किया जाता है।(navbharattimes)
कर्नाटक में चंदन की लकड़ी ड्रग्स रैकेट के परिणामस्वरूप पुलिस ने ड्रग्स के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। की खेती के साथ ही ड्रग्स बेचने वालों के खिलाफ ऐक्शन लिया जा रहा है। हालांकि कई लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं कि उत्तरी कर्नाटक के मंदिरों में गांजे ganja को पवित्र समझकर उपभोग किया जाता है।
सरना, अवधूत, शप्थ, अरुणा परंपरा में श्रद्धालु मारिजुआना या gaaja को विभिन्न रूपों में लेते हैं। वे इसे आध्यात्मिक बोध का साधन मानते हैं। यादगीर जिले में तिनथिनि स्थित मौनेश्वर मंदिर में जनवरी में होने वाले वार्षिक मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां श्रद्धालुओं को प्रसाद के तौर पर गांजे का पैकेट दिया जाता है, जिसे मौनेश्वर या मनप्पा की प्रार्थना के बाद उपभोग कर लिया जाता है।
‘आध्यात्मिक रास्ते पर ले जाता है गांजा’
मंदिर समिति के सदस्य गंगाधर नायक ने बताया कि गांजे का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘मौनेश्वर ने लोगों को गांजा प्रदान किया था। इसलिए यहां परंपरा है। संतों और श्रद्धालुओं का मानना है कि यह पवित्र घास आध्यात्मिक ज्ञान के रास्ते पर ले जाती है।’ हालांकि उन्होंने मंदिर के बाहर गांजे की बिक्री किए जाने से स्पष्ट तौर पर इनकार किया।
नायक ने बताया कि कुछ श्रद्धालु यहां आकर गांजे का सेवन करते हैं। वहीं कुछ लोग उबालकर गांजा खाते हैं। जबकि कुछ लोग तंबाकू पाउडर की तरह इसका सेवन करते हैं। सरना समुदाय पर रिसर्च करने वाली प्रफेसर मीनाक्षी बाले ने बताया कि मंदिर में गांजे का सेवन करने वाले लोगों में इसकी लत नहीं होती है।
चिकित्सकीय फायदा भी, शरीर रहता है स्वस्थ’
इसी तरह सरना परंपरा को मानने वाले महंतेश के. ने बताया कि रायचूर जिले की सिंधानौर तालुक स्थित अम्भा मठ में भी यह परंपरा देखने को मिलती है। उन्होंने कहा, ‘गांजा सेवन कोई लत नहीं, बल्कि अनंत खुशी का साधन है। कई लोग दिन में या सप्ताह में एक बार गांजा सेवन कर ध्यान लगाते हैं। इसका चिकित्सकीय गुण भी होता है, जिस वजह से
ध्यान साधना के दौरान करते हैं सेवन
यादगीर के शोरापुर तालुक स्थित सिद्धवट दामा शिवयोगी आश्रम के पुजारी सिद्धारामेश्वर शिवयोगी ने बताया, ‘मैं खुद दिन में एक बार गांजे का सेवन करता हूं। यह पवित्र चीज है। ध्यान के दौरान आसपास की आवाजों को शांत करने के लिए इसका सेवन करते हैं।’
पुलिस भी बना लेती है इन मठों से दूरी!
इन परंपराओं का सम्मान करते हुए पुलिस ऐसे मंदिरों से दूर रहती है और शिकायत मिलने पर आंखें मूंद लेती है। हालांकि रायचूर के एसपी प्रकाश नित्यम ने बताया, ‘जहां कहीं भी गांजे की सप्लाई होती है, हम वहां छापेमारी कर रहे हैं। मुझे किसी मंदिर या मठ के बारे में ऐसी जानकारी नहीं है। अगर हमें सूचना मिलेगी तो हम वहां छापेमारी करेंगे।’(newsinc)
नई दिल्ली, 9 सितम्बर (आईएएनएस)| नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने आगाह किया है कि कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप दुनियाभर में बाल श्रम, बाल तस्करी और दासता या गुलामी (स्लैवरी) में सबसे निश्चित और पर्याप्त वृद्धि होगी।
सत्यार्थी ने आईएएनएस को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि कुछ राज्यों में भारत के श्रम कानून कमजोर पड़ने से बाल श्रम में इजाफा देखने को मिलेगा। इसके अलावा देश में स्कूलों के लंबे समय तक बंद रहने से कई बच्चों की तस्करी होने का खतरा है।
पेश है कैलाश सत्यार्थी से बातचीत के कुछ प्रमुख अंश :
प्रश्न : राष्ट्रव्यापी बंद शुरू होने के बाद से चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन को घरेलू हिंसा और हिंसा से सुरक्षा के लिए लगभग 4,60,000 कॉल प्राप्त हुई हैं। इस संदर्भ में भारत के लिए कितनी गंभीर चिंता है?
उत्तर : कोविड-19 महामारी से पहले, हम धीरे-धीरे ही सही, लेकिन निश्चित रूप से दुनिया के अधिकांश हिस्सों में बच्चों की रक्षा करने की दिशा में आगे की ओर बढ़ रहे थे। लेकिन कोविड-प्रेरित राष्ट्रव्यापी बंद से पहले बच्चों से संबंधित एसडीजी (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) में स्थिरता आ गई थी और असमानता बढ़ रही थी। भारत कोई अपवाद नहीं रहा। महामारी के कारण मौजूदा सामाजिक असमानताओं और सामाजिक सुरक्षा का अभाव उजागर हो गया है।
कोविड-19 के आगमन ने न केवल प्रगति रोकी है, बल्कि वैश्विक नेताओं की बेहद असमान कोविड-19 प्रतिक्रिया के साथ अब हमें पिछले कुछ दशकों की प्रगति पर वापस पहुंचने में बहुत जोखिम भी है। किसी भी आपदा में बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, लेकिन कोविड-19 के साथ प्रभाव एक अभूतपूर्व प्रकृति का रहा है। दुनिया भर में बाल श्रम, बाल तस्करी और गुलामी में निश्चित और पर्याप्त वृद्धि होगी। आज हम जो देख रहे हैं, वह हमारे समय में बच्चों के लिए एक सबसे गंभीर संकट है और अगर हम अब कार्य करने में विफल होते हैं, तो हम एक पूरी पीढ़ी को खोने का जोखिम उठाएंगे।
प्रश्न : आप 'लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन समिट' के जरिए वैश्विक नेताओं को क्या संदेश देना चाहते हैं, जिसमें डब्ल्यूएचओ प्रमुख और दलाई लामा की उपस्थिति भी होगी?
उत्तर : महामारी प्रकृति की देन है, लेकिन अगर लाखों बच्चे भूखे रहें और लाखों बच्चों को शिक्षा से वंचित कर दिया जाएगा और वह बाल श्रमिक बन जाते हैं तो यह करुणा रहित और असमान प्रतिक्रिया होगी।
इस वर्ष मई में मैं 88 नोबेल प्रतिष्ठितों के साथ एक संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर करने में शामिल रहा, जिसमें कहा गया है कि कोविड-19 की 20 प्रतिशत प्रतिक्रिया को सबसे अधिक 20 प्रतिशत बच्चों और उनके परिवारों को आवंटित किया जाना चाहिए।
यह बच्चों के लिए न्यूनतम उचित हिस्सा है। यहां तक कि अगर आप महामारी के पहले कुछ हफ्तों में केवल पांच खरब डॉलर के पैकेज की घोषणा करते हैं, तो उसमें से 20 प्रतिशत यानी एक खरब डॉलर सभी कोविड-19 यूएन अपील को निधि देने के लिए पर्याप्त धन होगा।
प्रश्न : क्या भारत ने महामारी के दौरान अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कार्य किया है?
उत्तर : इस दिशा में प्रयास किए गए हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने महामारी के दौरान अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए हैं। और मैं आपसे कहता हूं कि इस पर आप मेरी प्रतिक्रिया (शब्द) न लें। मैं केवल सबसे पीछे के बच्चों के लिए एक आवाज हूं। मैं आपसे देश में बच्चों द्वारा सामना की जा रही वास्तविकता पर सरकारों की प्रतिक्रियाओं का आकलन करने के लिए कहता हूं।
भुखमरी से मरने वाले व सबसे अधिक हाशिए पर रहने वाले बच्चे या अपने माता-पिता के रोजगार के नुकसान के कारण बाल श्रम या फिर यौन शोषण के लिए तस्करी होने वाले बच्चे किसी भी राष्ट्र की महामारी के प्रति मानवीय प्रतिक्रिया के एकमात्र सच्चे जानकार हैं।
प्रश्न: कुछ राज्यों में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए श्रम कानूनों को कमजोर करने से आपको ऐसा कोई डर है कि भारत में बाल श्रम बढ़ेगा?
उत्तर : चल रहे संकट के प्रति मानवीय प्रतिक्रिया ने श्रम कानूनों और उनके अनुपालन को मजबूत किया होगा, विशेष रूप से वे जो श्रम अधिकारों, कल्याण और सुरक्षा की रक्षा करते हैं। हम एक महामारी के बहाने श्रमिक अधिकारों और संरक्षण के साथ-साथ बाल श्रम के उन्मूलन में दशकों से की गई प्रगति को उलट (रिवर्स) नहीं सकते हैं।
वास्तव में, भारत सरकार को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आपूर्ति श्रृंखलाओं द्वारा भारत में बाल श्रम को रोकने वाले विधानों को लाने के लिए इस अवसर का फायदा उठाना चाहिए। यह वास्तव में वयस्कों के लिए नौकरियों के निर्माण के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।
प्रश्न : भारत के किस राज्य ने बंद के दौरान और बाद में बच्चों की सुरक्षा के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन किया है?
उत्तर : हमें संकट के इस समय राष्ट्र के लिए एक खंडित दृष्टिकोण रखने से बचना चाहिए। हमें एक देश के रूप में एकजुट होने और एक दूसरे का समर्थन करने की आवश्यकता है, तभी हम इस परीक्षा की घड़ी से उभर सकते हैं। पूरे देश को सबसे पहले हाशिए पर पड़े समुदायों की जरूरतों और चुनौतियों के लिए उचित और पर्याप्त संसाधनों का आवंटन करना होगा। कोविड-19 के परिणामस्वरूप भारत में बाल श्रम और तस्करी में निश्चित रूप से पर्याप्त वृद्धि होगी। कोविड से प्रेरित स्वास्थ्य, आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक चुनौतियां इन जोखिमों को बढ़ाने वाली हैं।
अगर हम बच्चों को उचित हिस्सा आवंटित कर सकते हैं और दुनिया की कोविड-19 प्रतिक्रिया में असमानता को कम कर सकते हैं, तभी हम वर्तमान में बच्चों पर कोविड-19 के पहले से ही विनाशकारी प्रभाव को काबू में कर सकते हैं।
प्रश्न : पश्चिमी देश स्कूलों को फिर से खोल रहे हैं, क्या आपको लगता है कि भारत में भी स्कूलों को फिर से खोलने का समय आ गया है?
उत्तर : यह सरकार को तय करना है। स्कूलों को फिर से खोलने का निर्णय कोई आसान नहीं है, खासकर जब हमारे पास एक तरफ बच्चों के स्वास्थ्य और जीवन का जोखिम है और दूसरी तरफ उनके शिक्षा से वंचित होने का भी जोखिम है।
बहरहाल, स्कूल बंद होने से बच्चों की तस्करी का खतरा बढ़ गया है और साथ ही इससे मध्यान्ह भोजन भी बंद हो गया है, जिससे उनके स्वास्थ्य और पोषण पर असर पड़ा है। यह महत्वपूर्ण है कि भारत स्कूलों को फिर से खोलने के लिए एक निश्चित रोडमैप विकसित करे। ऑनलाइन शिक्षा के लिए डिजिटल विभाजन को कम करे और यह सुनिश्चित करे कि सभी बच्चों को जल्द से जल्द स्कूलों में पुन: प्रवेश दिया जाए।
नई दिल्ली, 9 सितम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली के नजफगढ़ के छावला इलाके से एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां सोमवार को एक 33 साल के शख्स ने 90 साल की महिला के साथ दुष्कर्म किया। महिला के विरोध करने पर उनके साथ मारपीट भी की गई है। पुलिस ने कई धाराओं मे मामला दर्ज किया है। आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया है। वहीं बुजुर्ग महिला से आज दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने मुलाकात की। उन्होंने इस पूरी घटना पर अपना दुख जताया।
आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, "6 महीने की बच्ची से लेकर 90 वर्ष की बुजुर्ग महिला तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। इस उम्र में इन महिला को इस प्रकार की प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। ये साफ दिखाता है ये कि इन घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग इंसान नहीं जानवर हैं।"
उन्होंने कहा, "मैं बुजुर्ग महिला से मिली हूं, इनको न्याय दिलवाने की जंग में हम इनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ चलेंगे। हर हाल में इस केस में 6 महीने में फांसी होनी ही चाहिए।"
नयी दिल्ली 09 सितंबर (वार्ता) देश में मंगलवार देर रात तक कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के 80 हजार से अधिक नये मामले सामने आने से संक्रमितों का आंकड़ा 43.58 लाख के पार पहुंच गया लेकिन राहत की बात यह रही कि कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने की दर 78 फीसदी के करीब पहुंच गयी है।
विभिन्न राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक आज 80,814 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या बढकर 43,58,398 हो गयी है। राहत की बात यह है कि इस दौरान स्वस्थ लोगों की संख्या में भी इजाफा हुआ। देश में 69,344 कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण मुक्त लोगों की संख्या बढकर 33,90,764 हो गयी है। इसी अवधि में 1,066 कोरोना मरीजों की मौत से मृतकाें की संख्या 73,882 हो गयी है।
संक्रमण के मामले में अब भारत कोरोना से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर आ गया है। वैश्विक महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या 63 लाख को पार कर 63.04 लाख के पार पहुंच गयी है और अब तक 1,89,236 लोगों की इससे जान जा चुकी है।
कोरोना वायरस से प्रभावित देशों में अब तीसरे नंबर पर स्थित ब्राजील में अब तक 41.48 लाख लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं जबकि 1.26 लाख के लोगों की मौत हो चुकी है। मौत के मामले में ब्राजील अब भी दूसरे स्थान पर है।
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक समेत विभिन्न राज्यों से मिली जानकारी के अनुसार चिंता की बात यह है कि स्वस्थ होने वाले मरीजों की तुलना में नये संक्रमितों में वृद्धि होने के कारण सक्रिय मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। आज 9,453 मरीजों की बढोतरी होने से सक्रिय मामलों की संख्या 8,93,150 हो गयी।
देश में सक्रिय मामले 20.49 प्रतिशत और रोगमुक्त होने वालों की दर 77.79 प्रतिशत है जबकि मृतकों की दर 1.70 फीसदी है। स्वस्थ होने वाले मरीजों की दर गत दिवस के 77.59 प्रतिशत से बढकर आज 77.79 फीसदी पर पहुंच गयी।
महामारी से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के रिकॉर्ड 20,131 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या आज रात बढ़कर 9,43,772 पहुंच गयी। राज्य में इस दौरान नये मामलों की तुलना में स्वस्थ हुए लोगों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की गयी तथा इस दौरान 13,234 और मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या 6,72,556 हो गयी है। इस दौरान 380 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 27,407 हो गयी है।
राज्य में मरीजों के स्वस्थ होने की दर आज घटकर 71.26 प्रतिशत पर आ गयी जो सोमवार को 71.38 फीसदी थी जबकि मरीजों की मृत्यु दर 2.90 फीसदी रह गयी।
राज्य में आज 6,512 मरीजों की बढ़ोतरी दर्ज किये जाने के बाद चिंता बढ़ गयी है। राज्य में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या आज 2,43,446 पहुंच गयी जो सोमवार को 2,36,934 रही थी
यूपी में तीन दिनों में लिंचिंग की 4 घटनाएं हुई, लेकिन योगी सरकार की असहाय पुलिस खड़ी-खड़ी देखती रही। कहीं झूठी अफवाह पर बेकसूर को मार डाला, तो कहीं पुलिस की कस्टडी से खींच कर आरोपी को पीट पीट कर मौत के घाट उतार दिया गया।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य में भले ही कानून-व्यवस्था के बेहतर होने के लाख दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। राज्य में पिछले कई दिनों से लगातार हो रही लिंचिंग की वारदात से यही लगता है कि बदमाशों को ना पुलिस का डर है ना कानून की फिक्र।
उत्तर प्रदेश के चार अलग-अलग जगहों पर तीन दिनों में लिंचिंग की चार वारदातें हुई है। यह वारदात बरेली, कुशीनगर,नोयडा और मैनपुरी में हुई है। पहली वारदात 4 सितंबर को राजधानी लखनऊ से 250 किमी की दूरी पर बरेली के आंवला कस्बे में हुई हैं। जहां लोहे के तार की कथित चोरी के आरोप में 34 साल के शख्स को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया है। आरोप है कि बासित को पेड़ से बांधकर पीटा गया और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई।
सरी वारदात बीते रविवार 6 सितंबर को नोएडा के बादलपुर थाना क्षेत्र में हुई। जहां आफ़ताब आलम नाम के शख्स को पीट पीट कर मार दिया गया। आरोप है कि पीटने वालों ने आफ़ताब आलम से 'जय श्री राम' का नारा लगाने को कहा। मृतक के बेटे मोहम्मद साबिर के पास एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी है जिसमें कुछ लोग आफ़ताब आलम से 'जय श्री राम' के नारे लगाने के लिए कह रहे हैं।
तीसरी वारदात 7 सितंबर को कुशीनगर के तरयासुजान थाने के रामनगर बंगरा गांव में हुई। जहां एक शिक्षक की गोली मार कर हत्या कर दी गई। इसके बाद हत्यारे ने सरेंडर किया, लेकिन भीड़ ने आरोपी को पुलिस से छीन लिया और उसे भी पीट पीट कर मार दिया गया। इस दौरान योगी सरकार की असहाय पुलिस खड़ी देखती रही। मामले में फिलहाल डीआईजी राजेश मोदक ने थाना प्रभारी हरेंद्र मिश्र को निलंबित कर दिया है।
वहीं चौथी वारदात भी 7 सितंबर की ही है। ये घटना मैनपुरी के खरागजीत नगर में हुई। जहां झूठी खबर पर विश्वास करते हुए कुछ लोगों ने दलित सर्वेश दिवाकर की छत में सरेआम पीट पीटकर हत्या कर दी गई। आरोप है कि वारदात को अंजाम देने वाले बजरंग दल के हैं। दरअसल, ये हत्या एक अफ़वाह के बाद की गई। सर्वेश के बारे में अफ़वाह फैलाई गई थी कि उसने अपनी बेटी को बेच दिया है। हालांकि यह झूठी पाई गई और खुद उसकी बेटी ने इसका खंडन किया।(navjivan)