नई दिल्ली, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय माकन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे करीब 48,000 झुग्गियों में रहने वाले लोगों के पुनर्वास की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को दिल्ली में तीन महीने के भीतर रेलवे पटरियों के पास बसी करीब 48,000 झुग्गी-बस्तियों को हटाने का आदेश दिया था और कहा था कि इस मामले में कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।
माकन ने एक हस्तक्षेप आवेदन में कहा है कि रेल मंत्रालय और दिल्ली सरकार ने पहले ही प्रक्रिया की पहचान करने और झुग्गियों को हटाने की पहल की है और दिल्ली में विभिन्न मलिन बस्तियों के लिए 'विध्वंस नोटिस' जारी किए हैं।
उन्होंने कहा, "इसके अलावा, ऐसा करते हुए उन्होंने झुग्गियों को हटाने/ढहाने से पहले झुग्गी बस्तियों के पुनर्वास के संबंध में कानून में प्रदत्त प्रक्रिया को दरकिनार किया है और दिल्ली स्लम और जेजे पुनर्वास और पुनर्वास नीति, 2015 और प्रोटोकॉल (झुग्गियों को हटाने के लिए) में निर्दिष्ट प्रक्रिया की अनदेखी की है।"
माकन ने जोर देकर कहा कि अगर झुग्गियों के बड़े पैमाने पर विध्वंस की कार्रवाई जारी रहती है, तो इससे लाखों लोगों के प्रभावित होने और कोविड-19 के बीच बेघर होने की संभावना है।
उन्होंने अपने आवेदन में कहा, "बेघर व्यक्तियों को आश्रय और आजीविका की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए मजबूर किया जाएगा और वर्तमान में चल रहे कोविड-19 संकट को देखते हुए यह हानिकारक होगा।" उन्होंने शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए इस मामले की लिस्टिंग की मांग की।
माकन की ओर से दलील दी गई है कि 31 अगस्त के आदेश को पारित करते समय शीर्ष अदालत ने सरकारी एजेंसियों (रेलवे, नगर निगम आदि) के लिए तो एक विस्तृत सुनवाई की, मगर अदालत ने झुग्गीवासियों की प्रभावित/कमजोर आबादी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया और उन्हें सुनवाई के अवसर से वंचित रखा गया।
माकन ने कहा, "31 अगस्त के आदेश में पारित निर्देशों का शुद्ध प्रभाव न केवल यह है कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को सुनवाई के अवसर से वंचित कर दिया गया है, बल्कि यह आदेश अपने आप में अमानवीय भी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया, इस आदेश से बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों सहित लाखों लोगों के सिर से छत छिन जाएगी। माकन ने आदेश को सार्वजनिक नीति के खिलाफ करार दिया।
याचिका में दलील दी गई कि शीर्ष अदालत का आदेश है कि कोई भी अदालत 48,000 झुग्गियों को हटाने पर रोक लगाने का निर्देश न दे, जो कि न्याय तक पहुंच स्थापित करने के अधिकार में बाधा उत्पन्न करता है।
शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की मांग करते हुए, याचिकाकर्ता ने कहा है कि अदालत सीधे रेल मंत्रालय और दिल्ली सरकार को निर्माण हटाने से पहले झुग्गीवासियों के पुनर्वास के लिए उन्हें दिल्ली स्लम और जेजे पुनर्वास और पुनर्वास नीति, 2015 और प्रोटोकॉल (झुग्गियों को हटाने के लिए) का पालन करने के लिए निर्देशित करें।
पटना, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| बिहार में इस साल होने वाले चुनाव के पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में हलचल तेज है। पार्टी के अध्यक्ष लालू प्रसाद को पत्र भेजकर पार्टी से इस्तीफा दे चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भेजकर कुछ मांगें रखी हैं। इससे पहले लालू प्रसाद ने भी सिंह के इस्तीफे के बाद गुरुवार को उन्हें पत्र लिखा था, लेकिन सिंह ने अब तक उसका कोई जवाब नहीं दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि वैशाली गणतंत्र की जननी है। उन्होंने पत्र में मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे 15 अगस्त को पटना में और 26 जनवरी को वैशाली में राष्ट्रध्वज फहराने का फैसला करें। उन्होंने इसके लिए 2000 के पहले झारखंड बंटवारे का जिक्र करते हुए कहा है कि तब 26 जनवरी को रांची में झंडोत्तोलन होता था।
इसके अलावे उन्होंने मनरेगा से जुडे कार्यो में भी कुछ बदलाव की मांग की है। इसके अलावा, रघुवंश प्रसाद ने भगवान बुद्ध का पवित्र भिक्षापात्र अफगानिस्तान से वैशाली लाने की भी मांग रखी है। सिंह ने पत्र में कहा कि वे इस मुद्दे को लोकसभा में भी उठा चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू प्रसाद को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था, कपर्ूी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षो तक आपके पीठ पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं।
उन्होंने पत्र में लोगों से माफी मांगते हुए आगे लिखा था, पार्टी, नेता, कार्यकर्ता और आमजन ने बड़ा स्नेह दिया, क्षमा करें।
सूत्रों का कहना है कि राजद से इस्तीफा दिए जाने के बाद भाजपा और जदयू के कई नेता सिंह से संपर्क में हैं।
इस पत्र के बाद बिहार की सियासत गर्म हो गई है। इसके बाद रााजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने जेल से ही सिंह को पत्र लिखकर 'डैमेज कंट्रेाल' में जुट गए।
लालू प्रसाद ने पत्र में लिखा, आपके द्वारा कथित तौर पर लिखी एक चिट्ठी मीडिया में चलाई जा रही है। मुझे तो विश्वास ही नहीं होता। अभी मेरे, मेरे परिवार और मेरे साथ मिलकर सिंचित राजद परिवार आपको शीघ्र स्वस्थ होकर अपने बीच देखना चाहता है।
पत्र में लालू ने आगे लिखा, चार दशकों में हमने हर राजनीतिक, सामाजिक और यहां तक कि पारिवारिक मामलों में मिल-बैठकर ही विचार किया है। आप जल्द स्वस्थ हो जाएं, फिर बैठकर बात करेंगे. आप कहीं नहीं जा रहे हैं। समझ लीजिए।
फिलहाल रघुवंश प्रसाद सिंह स्वास्थ्य कारणों से दिल्ली एम्स में इलाजरत हैं, जबकि चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू प्रसाद स्वास्थ्य कारणों से रांची के रिम्स में हैं।
‘छत्तीसगढ़’ न्यूज डेस्क
हरियाणा में पानीपत में एक मुस्लिम मजदूर का हाथ आरा मशीन से काटकर फेंक दिया गया, और फिर उसे मरने के लिए रेल लाईन के पास फेंक दिया। यह घटना 23 अगस्त की है, लेकिन इसकी रिपोर्ट अभी 7 सितंबर को होने के बाद यह मामला सामने आया है।
अगली सुबह जब पटरियों के पास इखलाक को होश आया तो उसने पास से गुजरते किसी से अपील करके अपने घर फोन करवाया और फिर रिश्तेदार और पुलिस ने आकर उसे रोहतक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। अब उसकी हालत ठीक होने पर उसने यह रिपोर्ट दर्ज कराई है।
इसमें एफआईआर से परे सोशल मीडिया पर यह लिखा जा रहा है कि इसके मुस्लिम होने की वजह से, और इसके हाथ पर मुस्लिम धार्मिक संख्या 786 गुदी होने से उसका हाथ काटकर लोग ले गए। अलग-अलग अखबारों में अलग-अलग खबरें हैं, लेकिन उसका हाथ काटकर या तोडक़र ले जाने की खबर कई जगह पर है। यहां की जानकारी जागरण, इंडियाडॉटकॉम, और ट्विटर पोस्ट पर से ली गई है।
अरूल लुईस
संयुक्त राष्ट्र, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत ने विघटनकारी अभियानों को रोकने के लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों और राष्ट्रों द्वारा संयुक्त कार्रवाई किए जाने का आह्वान किया है, जिससे लाखों लोगों की जिंदगियां प्रभावित होती है।
भारत के संयुक्त राष्ट्र के मिशन की काउंसिलर पौलमी त्रिपाठी ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में बताया, "गलत सूचना और विघटन के प्रसार को रोकने और तर्क, विज्ञान व सहानुभूति के आधार पर उचित कार्यवाही करने के लिए हमें राज्यों और अन्य हितधारकों सहित प्रौद्योगिकी कंपनियों से भी अधिक सहयोग की आवश्यकता है।"
पौलमी ने गलत सूचनाओं और विघटनकारी अभियानों की भी निंदा कीं जिसने "लाखों की तादात में लोगों की जिंदगी और आजीविका को खतरे में डाल रखा है, फर्जी खबरों और गलत ढंग से बनाए गए वीडियोज से समुदायों में फूट पड़ रही है और बीमारी से निपटने के लिए प्रशासन पर लोगों के भरोसे को भी कम किया है।"
वह आगे कहती हैं, "महामारी के बीच हमें समाज में सूचनाओं को लेकर दुविधा देखने को मिली है। सही सूचना के अभाव में निर्णय लेने में परेशानी होती है और समाज में सकारात्मक परिवर्तन भी नहीं लाया जा सकता है। इसलिए हमें सटीक सूचनाओं की पहुंच लोगों तक कराए जाने की आवश्यकता है ताकि सभी स्तरों पर सटीक निर्णय लिए जा सके और महिलाओं व युवाओं को सशक्त बनाया जा सके।"
कोलकाता, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल में नेशनल हाईवे-2 पर शुक्रवार सुबह हुए एक भीषण सड़क हादसे में एक महिला पुलिस अधिकारी, उनके दोस्त और सुरक्षा गार्ड की मौत हो गई। हादसा तब हुआ जब पुलिस अधिकारी की गाड़ी बालू से भरे एक खड़े ट्रक से टकरा गई। देबोश्री चटर्जी, उनके दोस्त तपस बर्मन और ड्राइवर मनोज साहा की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। घटना के बाद उनको अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
हुगली जिले के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिस वक्त हादसा हुआ उस समय पुलिस अधिकारी की गाड़ी काफी तेज रफ्तार से चल रही थी और ड्राइवर का गाड़ी से नियंत्रण हट गया। देबोश्री चटर्जी सिलिगुरी से कोलकाता आ रही थी।
घटना के बाद हुगली के एसपी ने चिनसुरा स्थित इमामबारा अस्पताल का दौरा किया जहां तीनों को दुर्घटना के बाद लाया गया था।
देबोश्री चटर्जी ने पुलिस फोर्स सब-इंस्पेक्टर के तौर पर ज्वाइन किया था और कोलकाता पुलिस में कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दी।
तिरुवनंतपुरम, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| केरल में एक और मंत्री कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। पिछले सप्ताह राज्य सचिवालय में सीपीआई (एम) की बैठक के बाद मंत्री ई.पी. जयराजन कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। जयराजन को कुन्नुर के पास एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी पत्नी भी कोरोना से संक्रमित पाई गई हैं।
इससे पहले केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक कोरोना से संक्रमित पाए गए थे। वो सीपीआई (एम) की बैठक में शामिल हुए थे। उसके बाद से मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और स्वास्थ्य मंत्री शैलजा होम आइसोलेशन में चली गई थी। हालांकि विजयन का टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव आया था।
इसाक फिलहाल अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।
पटना, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 'पत्रों' को लेकर राजनीति गर्म है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के पत्र लिखकर इस्तीफा दिए जाने के बाद चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद ने जेल से पत्र लिखा। अब इस पत्र को लेकर ही बिहार के मंत्री नीरज कुमार ने सवाल उठाते हुए इसे नियम के विरूद्ध बता दिया है। बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों से चर्चा करते हुए जेल से लालू प्रसाद के पत्र लिखने को ही जेल मैनुअल का उल्लंघन बताया है।
जदयू नेता ने कहा, सजायाफ्ता लालू प्रसाद का जेल में दरबार लगाने से मन नहीं भरा तो अब फिर जेल मैनुअल की धारा-999 की धज्जी उड़ा दी, जो स्पष्ट कहता है कि कैदी की ओर से राजनीतिक पत्र व्यवहार नहीं किया जा सकता है। फिर जेल अधीक्षक ने इसकी अनुमति कैसे दी? ये गंभीर मामला है, पर जान लें कानून के हाथ लंबे होते हैं।
उल्लेखनीय है कि पार्टी से नाराज चल रहे राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू प्रसाद को पत्र लिखकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे लालू ने भी जेल से ही रघुवंश को पत्र लिखकर उनको मनाने की कोशिश करते हुए लिख है कि 'आप कहीं नहीं जा रहे हैं।'
नई दिल्ली, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षा को स्कूलों की चारदीवारी से बाहर निकालने की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि जब शिक्षा को आस-पास के परिवेश से जोड़ दिया जाता है तो, उसका प्रभाव विद्यार्थी के पूरे जीवन पर पड़ता है, पूरे समाज पर भी पड़ता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्क (अंक) और मार्कशीट (अंकपत्र) से विद्यार्थियों की प्रतिभा को मापने को अनुचित ठहराया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक टेस्ट, एक मार्क्सशीट क्या बच्चों के सीखने की, उनके मानसिक विकास की पैरामीटर (पैमाना) हो सकती है? आज सच्चाई ये है कि मार्क्सशीट, मानसिक प्रैशरशीट बन गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पढ़ाई से मिल रहे इस तनाव से अपने बच्चों को बाहर निकालना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य है। परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर इसका बेवजह दबाव न पड़े। कोशिश ये होनी चाहिए कि केवल एक परीक्षा से विद्यार्थियों को मूल्यांकन न किया जाए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, सीख तो बच्चे तब भी कर रहे होते हैं जब वो खेल रहे होते हैं, जब वो परिवार में बात कर रहे होते हैं, जब वो बाहर आपके साथ घूमने जाते हैं। लेकिन अक्सर माता-पिता भी बच्चों से ये नहीं पूछते कि क्या सीखा? वो यही पूछते हैं कि मार्क्स कितने आए? हर चीज यहीं आकर अटक जाती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों को कोई भी विषय चुनने की आजादी दी गई है। ये सबसे बड़े सुधार में से एक है। अब हमारे युवा को विज्ञान, कला या कॉमर्स के किसी एक ब्रेकैट में ही फिट होने की जरूरत नहीं है। देश के छात्रों की प्रतिभा को अब पूरा मौका मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षा व्यवस्था में आसान और नए-नए तौर-तरीकों को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे ये प्रयोग, न्यू एज लनिर्ंग का मूलमंत्र होना चाहिए। हमारे देश भर में हर क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है, कोई न कोई पारंपरिक कला, कारीगरी, प्रोडक्ट्स हर जगह के मशहूर हैं। विद्यार्थी उन हथकरघों में जाकर देखें आखिर ये कपड़े बनते कैसे हैं? स्कूल में भी ऐसे कारीगरों को बुलाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कितने ही प्रोफेशन हैं जिनके लिए गहरे हुनर की जरूरत होती है, लेकिन हम उन्हें महत्व ही नहीं देते। अगर विद्यार्थी इन्हें देखेंगे तो एक तरह का भावनात्मक जुड़ाव होगा, उनका सम्मान भी करेंगे। हो सकता है बड़े होकर इनमें से कई बच्चे ऐसे ही उद्योगों से जुड़ें, उन्हें आगे बढ़ाएं।
अयोध्या, 11 सितंबर (आईएएनएस)। अयोध्या के साधु संतों और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने घोषणा की है कि कंगना रनौत प्रकरण के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का 'अयोध्या में स्वागत नहीं है'। हनुमान गढ़ी मंदिर के पुजारी महंत राजू दास ने रानौत के कार्यालय को बीएमसी द्वारा ध्वस्त किए जाने को लेकर सवाल उठाए और कहा, "उद्धव ठाकरे और शिवसेना का अयोध्या में कोई स्वागत नहीं है। अब अगर वह यहां आते हैं, तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को अयोध्या के संतों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ेगा।"
उन्होंने आगे कहा, "महाराष्ट्र सरकार ने अभिनेत्री के खिलाफ बिना समय बर्बाद किए काम को अंजाम दिया। लेकिन वही सरकार अभी तक पालघर में दो साधुओं के हत्यारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकी है।"
विहिप के क्षेत्रीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, "यह बहुत स्पष्ट है कि शिवसेना जानबूझकर अभिनेत्री को निशाना बना रही है क्योंकि वह राष्ट्रवादी ताकतों का समर्थन कर रही है और उसने मुंबई के ड्रग माफिया के खिलाफ आवाज उठाई है।"
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा कंगना रनौत के खिलाफ गलत इरादे से कार्रवाई की गई है।
अयोध्या संत समाज के प्रमुख महंत कन्हैया दास ने महाराष्ट्र सरकार पर उन लोगों को बचाने का भी आरोप लगाया, जो असामाजिक गतिविधियों में शामिल हैं और उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को अयोध्या न आने की चेतावनी दी।
महंत कन्हैया दास ने कहा, "अब अयोध्या में उद्धव ठाकरे का स्वागत नहीं है। शिवसेना रनौत पर हमला क्यों कर रही है? हर कोई समझ सकता है। यह कोई रहस्य नहीं है। शिवसेना वह नहीं रही, जो कभी बालासाहेब ठाकरे के अधीन हुआ करती थी।"
उद्धव 24 नवंबर, 2018 को अयोध्या आए थे। इसके बाद पिछले साल 16 जून और फिर महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के बाद इस साल मार्च में अयोध्या आए थे।
मनोज पाठक
रांची (झारखंड), 11 सितम्बर (आईएएनएस)| कोरोना काल में झारखंड के गांवों की महिलाएं तकनीक के सहारे तकदीर बदलने में जुटी हैं। मोबाइल एप्प के जरिए ग्रामीण महिलाएं अपने साथ-साथ दूसरों के जीवन में बदलाव की नई कहानी लिख रही हैं।
झारखंड की सखी मंडल की महिलाओं ने तकनीक से आय बढ़ाने के लिए 'सखी बॉस्केट' का प्रयोग कर आज दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। झारखंड के खूंटी जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत स्थित अनिगड़ा दो सखी मंडलों (महिला समूह) की 6 महिला सदस्यों ने ऑनलाइन आर्डर के माध्यम से राशन (रोजमर्रा के घर के सामानों) की होम-डिलीवरी का कार्य शुरू की है।
इस काल में जहां लोग घरों से निकलने से परहेज कर रहे थे, वहीं इन ग्रामीण महिलाओं द्वारा संचालित 'सखी बास्केट' नामक यह दुकान पूरे सतर्कता के साथ लोगों के घर-घर जा कर राशन उपलब्ध करा रहा है। पिछले चार महीने के दौरान 'सखी बास्केट' ने 1,500 से ज्यादा लोगों के घरों तक सामान पहुंचाए हैं।
खूंटी जिले के नेताजी चौक के 4 किलोमीटर के दायरे के लोगों को सखी बास्केट एप्प के माध्यम से आर्डर करने पर 250 रुपये के ऊपर के आर्डर पर मुफ्त डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध है जबकि 250 रूपये से कम के सामान की खरीद पर ग्राहक को 20 रूपये की अतिरिक्त राशि डिलीवरी शुल्क के तौर पर करना पड़ता है।
अनिगड़ा ग्राम सखी मंडल का गठन वर्ष 2017 में हुआ था, इसके तहत रोड-टोली की महिलाएं कृषि के माध्यम से अपना जीविकोपार्जन कर रही थीं। इसी बीच कोरोना काल में हो रही परेशानियों के कारण 6 महिलाओं ने रोजमर्रा के सामानों की 'होम डिलीवरी' करने की योजना बनाई।
इन महिलाओं ने अपने-अपने समूहों से 50-50 हजार रुपये ऋण लेकर थोक भााव में सामान खरीददारी की और फिर क्षेत्र में एक वितरण केंद्र स्थापित किया। शुरूआत के दिनों में इन महिलाओं ने व्हॉटसएप्प के माध्यम से आर्डर लिए और साइकिल से डिलीवरी प्रारंभ किए।
इसके बाद इन महिलाओं ने तकनीक से जुड़े लोगों से संपर्क साधकर गूगल प्ले स्टोर पर एप्प उपलब्ध करवाया और तकनीकी सहायता व स्टॉक के अपडेट के लिए उस एप्प को कंप्यूटर रिलेशनशिप मैनेजमेंट नामक एप्प से जोड़ दिया गया। इस एप्प के माध्यम से ग्राहक अपने सुविधानुसार भाषा का चयन कर के उपलब्ध सामान घर बैठे मंगा रहे हैं और ऑनलाइन पैसों का भुगतान भी कर रहे।
सखी बास्केट का संचालन कर रही मीरा देवी आईएएनएस को बताती हैं, "तालाबंदी के दौरान लोगों में कोरोना का भय था व लोग घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे थे, ऐसे माहौल में हमने जरुरत के सामानों को लोगों के घर तक पहुंचाने की कवायद की।"
वे कहती हैं कि संक्रमण के खतरे के मद्देनजर डिलीवरी बास्केट पर ही बार-कोड लगाया गया है, जिससे नकद न होने की स्थिति में ग्राहक ऑनलाइन भुगतान अंकित खाते में कर सकें।
सखी बास्केट का संचालन ग्रामीण महिलाओं के द्वारा ही किया जा रहा है, मुख्य रूप से मीरा देवी व सरोज देवी इस प्रतिष्ठान की देखभाल करती हैं। सरोज देवी खुद से ही दुकान का लेखा-जोखा संभालती हैं। इन महिलाओं ने अब तक 1,500 घरों में सामानों की डिलीवरी की है तथा अप्रैल माह से अबतक सखी बास्केट के माध्यम से लगभग 5 लाख 72 हजार रुपये का लेन-देन किया जा चुका है।
इधर, सरोज देवी कहती हैं, "हम अभी मुनाफा की ओर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम अपना स्टॉक व ग्राहक वर्धन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं, जिससे हम जिले के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी सेवा पहुंचा सकें।"
आईएएनएस को ग्रामीण विकास विभाग के झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के सीईओ राजीव कुमार बताते हैं कि समूह की महिलाएं समूह प्रदत्त बैंक लिंकेज की सुविधा की मदद से कई अभिनव प्रयोग कर रही हैं, जिसमें सरकार भी अपनी मदद दे रही है।
नई दिल्ली, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोनावायरस के 96,551 नए मामलों के साथ जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली, जिससे देश में कुल मामलों की संख्या बढ़कर 45,62,414 हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से शुक्रवार को इसका खुलासा हुआ। बीते 24 घंटों में 1,209 मौतें हुईं, जो एक दिन में सबसे ज्यादा मौत होने के आंकड़ें को दर्शाता है। देश में अब तक 76,271 लोग इस बीमारी से अपनी जान गंवा चुके हैं।
कुल मामलों में से, 9,43,480 सक्रिय हैं, जबकि 35,42,663 लोग ठीक हो चुके हैं। कोरोना मामलों में अमेरिका के बाद भारत दूसरे स्थान पर है। अमेरिका में सबसे अधिक 63,95,904 मामले सामने आ चुके हैं और 1,91,753 लोगों की मौत हो चुकी है।
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं। मंत्रालय के अनुसार, इन राज्यों में सक्रिय मामलों के 60 प्रतिशत से अधिक मामले हैं।
मंत्रालय के आंकड़ों ने दर्शाया कि रिकवरी दर 77.74 प्रतिशत है, जबकि मत्यु दर 1.68 प्रतिशत हो गई है।
भरतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने गुरुवार को एक ही दिन में रिकॉर्ड 11,63,542 नमूनों के परीक्षण किए, और अब तक कुल 5,40,97,975 नमूनों की जांच हो चुकी है।
इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को संयुक्त रूप से लिखा है और उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट के सभी नेगेटिव लक्षण वाले मामलों की जांच गोल्ड स्टैंडर्ड आरटी-पीसीआर का इस्तेमाल कर फिर से जांच कराना अनिवार्य है ताकि इस तरह के नेगेटिव लक्षण वाले मामले जांच में छूटे न रह जाए और बीमारी न फैले।
मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आग्रह किया है कि वे ऐसे मामलों के मद्देनजर हर जिले में तत्काल निगरानी तंत्र स्थापित करे।
- नामदेव अंजना
कंगना रनौत और शिवसेना के संजय राउत 3 सितंबर से एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं. दोनों में से कोई भी अपने कदम पीछे नहीं खींचना चाहता है. ऐसे में इस विवाद के राजनीतिक मायने खोजे जाने लगे हैं.
कंगना ने शिवसेना सांसद संजय राउत की आलोचना करते हुए मुंबई को 'पीओके' (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) बता दिया. कंगना के इस बयान ने पिछले एक हफ्ते से चले आ रहे इस विवाद में आग में घी की तरह से काम किया. कंगना और शिवसेना लगातार एक-दूसरे की आलोचना कर रहे हैं.
कांग्रेस और एनसीपी राज्य सरकार में शिवसेना के सहयोगी हैं. ऐसे में उन्होंने इस विवाद में शिवसेना का समर्थन किया है. लेकिन, महाराष्ट्र बीजेपी ने पहले दिन कंगना का समर्थन किया, लेकिन कंगना के पीओके वाले बयान के बाद महाराष्ट्र बीजेपी बैकफुट पर आ गई है.
कंगना के बयानों का समर्थन कर रहे राम कदम ने अचानक से चुप्पी साध ली. हालांकि, महाराष्ट्र के बाहर बीजेपी नेता अभी भी सोशल मीडिया पर कंगना का समर्थन कर रहे हैं. लेकिन, बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई शांत है.
इस विवाद में एक बात से सभी को आश्चर्य हो रहा है कि पिछले एक हफ्ते से शिवसेना कंगना के बयानों को इतनी तवज्जो क्यों दे रही है? इस सवाल का जवाब खोजते हुए हमें कंगना के बयानों से शिवसेना को होने वाले चार संभावित (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष) फ़ायदे दिखाई दिए. इन चारों बिंदुओं को समझते हैं.
1. महाराष्ट्र बीजेपी की नकारात्मक छवि
कंगना ने 3 सितंबर को 'न्यू इंडियन एक्सप्रेस' की एक ख़बर ट्विटर पर साझा की और संजय राउत की आलोचना की थी. उन्होंने मुंबई की तुलना पीओके से भी कर दी. उस वक्त मुंबई के एमएलए राम कदम, पूर्व प्रवक्ता अवधूत वाघ जैसे बीजेपी के लीडर्स सोशल मीडिया पर कंगना के समर्थन में आ गए.
लेकिन, ट्विटर पर आमची मुंबई हैशटैग वायरल हो गया. राजनीति और मनोरंजन जगत की कई प्रमुख हस्तियों ने कंगना के बयान की निंदा की और मुंबई की तारीफ की. बीजेपी नेता राम कदम ने कंगना की तुलना झांसी की रानी से की और ऐसे में लोगों का रुख बीजेपी के ख़िलाफ़ होना शुरू हो गया.
बीजेपी नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री आशीष शेलार ने तत्काल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और स्पष्ट किया है कि बीजेपी कंगना के कमेंट से सहमत नहीं है. लेकिन, पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद परवेश साहिब सिंह वर्मा समेत महाराष्ट्र से बाहर के बीजेपी नेता अभी भी कंगना के समर्थन में हैं.
विश्लेषकों का कहना है कि इसकी वजह से महाराष्ट्र बीजेपी की राज्य में एक नकारात्मक छवि बन रही है. अगर बीजेपी की छवि मुंबई में ख़राब होती है तो इससे शिवसेना को फ़ायदा होगा.
चूंकि, मुंबई महानगरपालिका के चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं, ऐसे में कई राजनीतिक विश्लेषकों को लगता है कि अगर बीजेपी की यह नकारात्मक छवि बनी रहती है तो इसका फ़ायदा शिवसेना को होगा. बीबीसी मराठी को दिए इंटरव्यू में संजय राउत ने भी यही चीज़ दोहराई है.
राउत ने कहा, "बीजेपी उन्हें सपोर्ट कर रही है. क्यों? दरअसल, किसी भी राजनीतिक नेता को ऐसे शख़्स का सपोर्ट नहीं करना चाहिए जो महाराष्ट्र का सम्मान ना करता हो. अगर बीजेपी अभी राज्य में सत्ता में होती तो तस्वीर कुछ और ही होती. अगर कोई नरेंद्र मोदी साहेब, अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस को किसी चैनल पर कुछ बोलता तो उसे तुरंत जेल में डाल दिया जाता. जिन्होंने योगी आदित्यनाथ के कार्टून बनाए या उनके ख़िलाफ़ कुछ लिखा उन्हें जेल में डाल दिया गया."
वरिष्ठ पत्रकार दीपक भातुसे कहते हैं, "पहले दिन कंगना ने मुंबई की तुलना पीओके से की और फिर राम कदम ने उनका समर्थन किया. बीजेपी को समझ आ गया था कि ट्विटर ट्रेंड पार्टी के ख़िलाफ़ जा रहा है, ऐसे में तत्काल आशीष शेलार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर स्थिति स्पष्ट की. लेकिन, अब शिवसेना इस मसले को भुनाना चाहती है."
अन्य राजनीतिक पार्टियों और विश्लेषकों को भी लगता है कि यह मसला बीजेपी की महाराष्ट्र विरोधी छवि बनाने के लिए गढ़ा जा रहा है.
'द हिंदू' के आलोक देशपांडे कहते हैं, "कंगना की टिप्पणी के बाद शिवसेना कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए. शिवसेना कल तक चुप थी, लेकिन जैसे ही चीजें कंगना के ख़िलाफ़ गईं शिवसेना ने आगे आकर प्रतिक्रिया दी. इससे शिवसेना को राजनीतिक रूप से फ़ायदा हो रहा है."
वरिष्ठ पत्रकार हेमंत देसाई भी इस राय से सहमति जताते हैं, "कोरोना का संकट राज्य में गहरा रहा है. शिवसेना चीफ़ उद्धव ठाकरे आलोचना का शिकार हो सकते हैं. लेकिन, ऐसी स्थिति में कंगना के विवाद से शिवसेना को मुद्दे से ध्यान भटकाने में मदद मिल रही है."
2. क्या शिवसेना मजबूत हो रही है?
कंगना ने शिवसेना और संजय राउत की बुराई करते-करते मुंबई की आलोचना शुरू कर दी. एक बार उन्होंने पीओके का जिक्र किया और उसके बाद उन्होंने इसे पाकिस्तान कह दिया. इससे मुंबई की अस्मिता का मुद्दा उठ खड़ा हुआ और इससे हमेशा शिवसेना को फ़ायदा हुआ है.
शिवसेना का आधार ही अस्मिता की राजनीति पर टिका है. महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी कहा है कि अगर कोई मुंबई को कोस रहा है तो उसे मुंबई में रहने का कोई हक़ नहीं है. राउत ने देशमुख के बयान का समर्थन किया है.
कई सालों से मुंबई यानी शिवसेना का समीकरण लोगों के दिमागों में बना हुआ है. इस छाप से शिवसेना को फ़ायदा आगामी मुंबई नगरपालिका चुनावों में हो सकता है. कंगना मसले पर शिवसेना आक्रामक बनी हुई है, और इससे मुंबई में शिवसेना का समीकरण और मजबूत हो रहा है.
राउत ने बीबीसी को अपने इंटरव्यू में कहा था, "मुंबई उन्हें खिलाती है. मुंबई उन्हें सब कुछ देती है. अगर मुंबई नहीं होती तो हमारे पास मुंबई पुलिस भी नहीं होती. अगर मुंबई में कोई इंडस्ट्री नहीं होती तो लोग मुंबई क्यों आते? इन लोगों को मुंबई का आभार मानना चाहिए."
3. शिवसेना की ख़ासियत है भाषाई और क्षेत्रीय पहचान का मसला
कंगना ने टिप्पणी की, "महाराष्ट्र किसी के बाप का नहीं है. यह उन सभी का है जिन्होंने महाराष्ट्र के गौरव को प्रतिष्ठा दी है."
संजय राउत ने उनके बयान का जवाब ट्विटर पर दिया.
राउत ने ट्वीट किया, "मुंबई मराठी मानुष के पूर्वजों की धरती है. जो इससे सहमत नहीं हैं वे अपने बाप लाकर दिखाएं. शिवसेना सुनिश्चित करेगी कि हम महाराष्ट्र के ऐसे दुश्मनों को एक सबक सिखाएं."
दूसरी ओर, कंगना ने मुंबई की पीओके, पाकिस्तान, बाबर और तालिबान से कर दी.
भाषाई और क्षेत्रीय पहचान महाराष्ट्र में हमेशा से एक संवेदनशील मसला रहा है. ऐसे में कंगना के बयानों ने शिवसेना को इन पर आक्रामक रुख़ अपनाने का मौका दे दिया है.
वरिष्ठ पत्रकार संजय जोग कहते हैं, "शिवसेना निश्चित तौर पर मुंबई और महाराष्ट्र को लेकर अपनी स्थिति को मज़बूत करने की कोशिश में है. पार्टी इस चीज़ को आक्रामक तरीके से लोगों के बीच ले जाना चाहती है."
संजय राउत कहते हैं कि कोई भी ऐसा बोलने की हिम्मत नहीं कर सकता जब तक कि उसे पीछे से राजनीतिक समर्थन न मिल रहा हो.
उन्होंने कहा, "दिल्ली ने हमेशा से महाराष्ट्र विरोधी स्वरों को समर्थन दिया है. मुंबई के ख़िलाफ़ गुस्सा और नफ़रत नज़र आती है."
4. कोरोना और दूसरे मसलों से ध्यान भटकाने में कामयाब?
महाराष्ट्र आज कोरोना, शिक्षा, रोज़गार, विदर्भ में बाढ़, कोंकण निसर्ग तूफ़ान की वजह से आई तबाही जैसे मसलों से जूझ रहा है. लेकिन, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मीडिया केवल कंगना और शिवसेना पर चर्चा कर रहे हैं. क्या यह मसला केंद्र में रखने से शिवसेना को फ़ायदा होगा?
महाराष्ट्र विधानसभा के मॉनसून सत्र में 7 और 8 सितंबर केवल कंगना और अर्णब गोस्वामी के मसलों पर चर्चा में निकल गए. कोरोना और बाकी मसलों पर कोई चर्चा नहीं हो पाई. मुंबई के साथ ही पुणे भी गंभीर कोरोना संकट से गुजर रहा है.
ऐसी उम्मीद थी कि विधानसभा में इन मसलों पर गंभीर चर्चा होगी. लेकिन, चर्चा कंगना विवाद तक सीमित रह गई.
इस बारे में संजय राउत ने बीबीसी मराठी को बताया, "यह विवाद हम पर थोपा गया है. विपक्षी पार्टी को महाराष्ट्र के अनादर के मसले पर सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए. अगर ऐसा हुआ होता तो यह मसला 10 मिनट से ज्यादा नहीं खिंचता. जब महाराष्ट्र का अपमान हो रहा हो तो विपक्षी पार्टी और अन्य पार्टियां उस वक्त अलग खड़ी नहीं रह सकतीं. हम सब इसी मिट्टी की संतान हैं."
वरिष्ठ पत्रकार दीपक भातुसे कहते हैं, "असेंबली में कोरोना या दूसरे मसलों की उपेक्षा हुई या नहीं, यह अभी नहीं कहा जा सकता है, लेकिन कंगना और अर्णब से जुड़े विवाद निश्चित तौर पर से असली मसलों से ध्यान हटाते हैं."(bbc)
बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की बेंच ने गुरुवार को कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट इस बात से हैरान है कि टीवी न्यूज चैनलों पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। कोर्ट ने यह टिप्पणी उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की जिसमें अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले से जुड़ी कई राहत के साथ मामले की कवरेज में प्रेस को संयम बरतने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को भी एक पक्ष बनाया है। चीफ जस्टिस की बेंच ने मंत्रालय को जवाब दाखिल कर यह बताने को कहा है कि खबर प्रसारित करने के मामले में किस हद तक सरकार का नियंत्रण होता है। खास कर ऐसी खबरों के बारे में जिसका व्यापक असर होता है। बेंच ने सुशांत केस की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसियों ईडी और एनसीबी को भी पक्ष बनाया है। कोर्ट ने इन एजेंसियों को तब पक्ष बनाया जब एक याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एजेंसियां जांच संबंधी सूचनाएं प्रेस और जनता को ‘लीक’ कर रही हैं।
ध्यान रहे कि कुछ एक्टिविस्ट्स और 8 रिटायर्ड वरिष्ठ पुलिस अफसरों ने कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। याचिकाओं में कहा गया है कि न्यूज चैनल समानांतर जांच चला रहे हैं। गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एक बेंच ने 3 सितंबर को इन्हीं याचिकाओँ की सुनवाई के बाद सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में कवरेज के दौरान संयम बरतने के अनुरोध वाला एक आदेश जारी किया था।
सुनवाई के दौरान पूर्व पुलिस अधिकारियों की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे ने बेंच से कहा कि आदेश के बावजूद टीवी चैनलों का मुंबई पुलिस के खिलाफ द्वेषपूर्ण अभियान जारी है। साठे ने न्यूज चैनलों के प्रसारण का कुछ मटीरियल भी कोर्ट में पेश किया। इस सिलसिले में कोर्ट ने कहा कि अदालत उम्मीद करती है कि ‘टीवी न्यूज चैनलों को तीन सितंबर वाले आदेश की भावना को ध्यान में रखना चाहिए।
कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा, याचिकाकर्ताओं को अपनी शिकायतों के संबंध में प्रिंट मीडिया का नियमन करने वाले वैधानिक निकाय प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और टीवी न्यूज चैनलों के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) से संपर्क करना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि एनबीएसए कोई वैधानिक निकाय नहीं है। पीठ ने कहा, ‘हमें हैरानी है कि सरकार का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर नियंत्रण नहीं है। इसका (टीवी न्यूज चैनलों) ऐसे मामलों में नियमन क्यों नहीं होना चाहिए, जहां इसका व्यापक असर होता है।’ पीठ ने सभी पक्षों को अपने जवाब दो हफ्ते में दाखिल करने को कहा है। साथ ही कहा कि याचिकाएं लंबित रहने तक एनबीएसए ऐसी खबरों के खिलाफ कोई भी शिकायत मिलने पर कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है।(navjivan)
नई दिल्ली, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| आर्य समाज के जाने-माने नेता स्वामी अग्निवेश की तबियत बिगड़ने के बाद दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। स्वामी अग्निवेश को नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलेरी साइंसेज (आईएलबीएस) में भर्ती कराया गया है। वह लिवर सिरोसिस से पीड़ित हैं और इलाज के दौरान उन्हें मल्टी ऑर्गन फेल्योर की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। अस्पताल की ओर से गुरुवार को यह जानकारी मिली। अस्पताल का कहना कि उनकी कड़ी निगरानी की जा रही है।
आर्य समाज के नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता मंगलवार को आईएलबीएस में भर्ती हुए थे और तब से वह वेंटिलेटर पर हैं। एक विशेषज्ञ टीम उनकी स्थिति की निगरानी कर रही है।
हरियाणा के पूर्व विधायक 80 वर्षीय अग्निवेश ने 1970 में एक राजनीतिक पार्टी आर्य सभा की स्थापना की, जो आर्य समाज के सिद्धांतों पर आधारित थी। वह धर्मों के मामलों में वार्ता के लिए एक वकील भी हैं।
वह सामाजिक सक्रियता के विभिन्न क्षेत्रों में शामिल हैं, जिसमें कन्या भ्रूण हत्या और महिलाओं की मुक्ति के खिलाफ अभियान शामिल हैं। जन लोकपाल विधेयक को लागू करने के लिए 2011 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अभियान के दौरान वह अन्ना हजारे के प्रमुख सहयोगी थे।
जयपुर, 11 सितंबर (आईएएनएस)| जयपुर सीरियल ब्लास्ट मामले में चार दोषियों को मौत की सजा सुनाने वाले न्यायाधीश अजय कुमार शर्मा ने हाल ही में डीजीपी भूपेंद्र सिंह को पत्र लिखकर अपने परिवार और खुद के लिए खतरे की आशंका जताते हुए सुरक्षा घेरा बढ़ाने की मांग की है। सुरक्षा को लेकर चिंतित सेवानिवृत्त न्यायाधीश शर्मा ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) भूपेंद्र यादव को पत्र में कहा, "आईबी की रिपोर्ट के अनुसार, मुझे और मेरे परिवार से आतंकी ग्रुप कभी भी बदला ले सकते हैं। मुझे सूचना मिली है कि पुलिस लाइन के अधिकारी मुझे दी गई सुरक्षा को हटाने जा रहे हैं, ऐसे में मुझे दी गई सुरक्षा को यथावत रखा जाए।"
पत्र में शर्मा ने कहा कि उनके घर पर शराब की खाली बोतलें फेंकी गई हैं। कई दिनों से मोटरसाइकिल सवार संदिग्ध लोग घर के बाहर चक्कर लगा रहे हैं।
शर्मा ने पत्र में कहा, "संदिग्ध लोगों ने उनके घर के बाहर की फोटो भी खींची है। ये आतंकी समूह बहुत ही खतरनाक हैं। ये मेरे और मेरे परिवार के साथ कुछ भी कर सकते हैं।"
पत्र में न्यायाधीश नीलकंठ गंजू का उदाहरण भी दिया गया है। न्यायाधीश नीलकंठ गंजू ने 1984 में आतंकी मकबूल भट्ट को मौत की सजा सुनाई थी और उन्हें दो अक्टूबर, 1989 को आतंकियों ने मार दिया था।
उन्होंने लिखा है कि क्या यह मेरा कसूर है कि मैंने चार खूंखार आतंकियों को फांसी की सजा दी।
उन्होंने कहा कि ये आतंकवादी आईएसआई से संबंधित हैं और संगठन के स्लीपर सेल के साथ काम कर रहे हैं।
जयपुर में 13 मई, 2008 को सिलसिलेवार धमाके हुए थे, जिसमें 80 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 250 लोग घायल हुए थे।
नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)| भारत की 47 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं कोविड-19 महामारी की वजह से अधिक तनाव या चिंता महसूस कर रही हैं। एक नए सर्वेक्षण में गुरुवार को यह बात कही गई है। माइक्रोसॉफ्ट के स्वामित्व वाली लिंक्डइन ने गुरुवार को 'श्रमबल विश्वास सूचकांक' (वर्कफोर्स कॉन्फिडेंस इंडेक्स) सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि पांच में से दो यानी महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल के लिए कार्य के घंटों से आगे भी काम करना पड़ रहा है।
यह सर्वे 2,254 पेशेवरों के बीच किया गया है।
वहीं अगर पुरुषों की बात जाए तो 38 प्रतिशत कामकाजी पुरुषों ने कहा कि महामारी की वजह से उन पर दबाव बढ़ा है।
सर्वे में सामने आया है कि अभी तीन में से एक महिला (31 प्रतिशत) पूरे समय बच्चों की देखभाल कर रही हैं। वहीं, सिर्फ पांच में से एक यानी 17 प्रतिशत पुरुष ही पूरे समय बच्चों की देखभाल रहे हैं।
ऑनलाइन पोर्टल 'जॉब फॉर हर' की सीईओ नेहा बागरिया ने कहा कि महामारी के दौरान पुरुषों की भागीदारी में वृद्धि देखने को मिली है, लेकिन महिलाएं अभी भी बच्चों की देखभाल में सबसे अधिक समय बिता रही हैं।
आंकड़ों से पता चलता है कि कामकाजी माताओं को बच्चों की देखभाल से ध्यान भंग होने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
सर्वे के अनुसार, पांच में से सिर्फ एक यानी 20 प्रतिशत महिलाएं ही अपने बच्चों की देखभाल के लिए परिवार के सदस्यों या मित्रों पर निर्भर हैं। वहीं पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 32 प्रतिशत है।
करीब 46 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें देर तक काम करने की जरूरत पड़ रही है। वहीं 42 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि बच्चों के घर पर होने की वजह से वे काम पर ध्यान नहीं दे पातीं।
फ्रीलांसर के रूप में काम करने वाले लोगों में से 25 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें आमदनी में बढ़ोतरी की उम्मीद है। वहीं 27 प्रतिशत ने कहा कि उनकी व्यक्तिगत बचत बढ़ने की उम्मीद है, जबकि 31 प्रतिशत ने कहा कि अगले छह माह के दौरान उन्हें अपने निवेश में वृद्धि की उम्मीद है।
कानपुर, 11 सितंबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत ने कोरोना संकट के समय बेरोजगार हुए मजदूरों को लेकर चिंता जाहिर की है। कहा कि स्वयंसेवक आगे आएं और प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराएं। संघ प्रमुख मोहन भागवत बुधवार की रात कानपुर प्रवास पर आए हैं। गुरुवार की सुबह सिविल लाइंस स्थित क्षेत्र संघ चालक वीरेंद्र जीत सिंह के आवास पर कानपुर प्रांत के पदाधिकारियों की बैठक की। दो दिवस चलने वाली बैठक के पहले दिन उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में श्रमिकों के लिए तथा ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के लिए कार्य करना है। प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अभी और कार्य करने को लेकर केंद्र और प्रदेश की ओर इशारा किया।
उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में श्रमिकों के लिए और ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए कार्य करना है। आत्मनिर्भरता का भाव समाज में उत्पन्न करना है। संघ प्रमुख ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने का कानपुर प्रांत में अच्छा काम हुआ है, इसको और बढ़ाने की आवश्यकता है।
सर संघ चालक ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान संघ के अतिरिक्त मठ, मंदिर, गुरुद्वारों, सामाजिक संगठनों ने भी सेवा कार्य किए हैं। इससे समाज में एक बहुत बड़ी सज्जन शक्ति उभर कर सामने आई है। संघ के स्वयंसेवकों को ऐसी सज्जन शक्ति से संपर्क करना चाहिए।
उन्होंने लॉकडाउन के दौरान कानपुर प्रांत में किए गए सेवा कार्यो की भी जानकारी ली। पदाधिकारियों ने प्रांत के सेवा कार्यो को आंकड़ों के साथ रखा। साथ ही स्वयंसेवकों द्वारा व्यक्तिगत रूप से किए गए प्रेरणादायी कार्यो को भी उनके सामने रखा।
सेवा कार्यो की सराहना करते हुए सर संघ चालक ने कहा कि स्वयंसेवकों को याद रखना चाहिए कि हमने यह कार्य प्रचार के लिए नहीं किया है। यह हमारा समाज के प्रति दायित्व था।
उन्होंने कानपुर प्रांत में संस्कार उत्पन्न करने के लिए बुद्घ पूर्णिमा पर उपवास, कुटुंब प्रबोधन की ²ष्टि से परिवारजन का एक साथ भोजन कार्यक्रम और प्रत्येक प्रति प्रेमी परिवार की ओर से पर्यावरण की ²ष्टि से हवन कार्यक्रम की भी सराहना की।
संघ प्रमुख यहां 12 सितंबर तक रहेंगे और अलग-अलग विषयों को लेकर चर्चा करेंगे।
नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)| कोरोनावायरस महामारी के फैलाव को रोकने के लिए देशभर में 24 मार्च से राष्ट्रव्यापी बंद लागू किया गया था, जिस दौरान लाखों लोग अपने घरों में ही रहे और वह केवल जरूरी वस्तुओं की खरीदारी के लिए ही बाहर निकले। राष्ट्रव्यापी बंद भारत में कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने में प्रभावी रहा हो, ऐसा जरूर हो सकता है, मगर यह कई लोगों के भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं रहा है।
यह देखने को मिला है कि मनोचिकित्सकों के सामने इस अवधि के दौरान आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले अधिक रोगी पहुंचे हैं। इस दौरान लोगों को रोजगार और आजीविका का नुकसान हुआ है और साथ ही घर में हिंसा की घटनाएं भी बढ़ी हैं। पिछले दो महीनों में इस तरह की स्थिति काफी बढ़ गई है।
नई दिल्ली के एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल आकाश हेल्थकेयर का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य जैसी दिक्कतों से जूझ रहे 33 प्रतिशत रोगियों को आत्मघाती (खुद को नुकसान पहुंचाना या आत्महत्या का विचार) विचारों का सामना करना पड़ा है। सबसे बड़े उदाहरणों में से एक सुशांत सिंह राजपूत की मौत का व्यापक कवरेज रहा है, जिन्होंने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। इस बीच, इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आईएसआईसी) का कहना है कि वे हर दिन कम से कम 10 रोगियों को देखते हैं, जो विभिन्न कारणों से आत्महत्या के विचारों की शिकायत करते हैं।
द्वारका स्थित आकाश हेल्थकेयर एंड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की मनोवैज्ञानिक डॉ. लवलीन मल्होत्रा ने कहा, "सबसे बड़े ट्रिगर्स में से एक आत्महत्या के बारे में बात करना हो सकता है और सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु और उस पर लगातार मीडिया चर्चा के बाद से बहुत से लोग हमारे पास आ रहे हैं, जिन्हें आत्महत्या के ख्याल आ रहे हैं और वे इसके बारे में उत्सुक हैं।"
उन्होंने कहा, "पिछले दो महीनों में लगभग 150 लोगों ने क्लीनिकल मानसिक स्वास्थ्य दिक्कतों के कारण हमसे संपर्क किया है और इनमें से 50 को गंभीर आत्मघाती विचार आ रहे थे। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में भी आत्मघाती विचार देखे गए हैं। रोगियों में से एक 30 वर्षीय व्यक्ति था, जिसने दवा की अधिकता के माध्यम से आत्महत्या करने की कोशिश की। जिन लोगों को चिंता या द्विध्रुवीय विकार (बाइपोलर डिसऑर्डर) है, उनके लिए भी आत्महत्या किए जाने को लेकर खतरा हो सकता है।"
दवा और स्वास्थ्य सेवा की दिग्गज कंपनी अपोलो की टेलीमेडिसिन सेवा अपोलो टेलीहेल्थ का कहना है कि उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से पीड़ित लोगों को 2000 परामर्श दिए हैं। अपोलो टेलीहेल्थ में मनोवैज्ञानिक डॉ. तबस्सुम शेख ने कहा कि उनमें से कई ने आत्मघाती प्रवृत्ति प्रदर्शित की है।
शेख ने कहा, "रोगियों में कई तरह की दिक्कतों और अंतर्निहित स्थितियों को देखा गया, जिससे आत्महत्या तक के विचार आने लगे। लेकिन अधिकांश को संक्रमण, सोशल आइसोलेशन, प्रियजनों को नुकसान के डर का सामना करना पड़ा, जो बेरोजगारी और नुकसान के कारण उत्पन्न संकट से अक्सर पीड़ित थे।"
शेख ने कहा कि लोगों को भावनात्मक दुख, कोविड-19 की व्यापकता के कारण चिंता, अकेलापन, अवसाद, रोजगार के मुद्दे, बेरोजगारी, नौकरी की सुरक्षा और संतुष्टि की कमी जैसी चिंताओं से जूझना पड़ा है। यही नहीं, काम के दबाव के कारण लोगों में अपर्याप्त नींद भी इसका कारण रही है।
तनाव के कारण वैवाहिक जीवन में भी खटास आने वाले मामले देखने को मिले हैं।
इस बीच, डॉ. मल्होत्रा ने सलाह दी कि आत्मघाती विचारों को कम करने के लिए प्रभावित व्यक्तियों को ऐसा वातावरण प्रदान करना अनिवार्य है, जिसमें वे बात कर सकें। उन्होंने कहा कि अधिकांश मामले प्रभावित व्यक्ति और उनके आसपास के लोगों के बीच संचार की कमी के कारण होते हैं।
नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)| चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर फिंगर-4 के क्षेत्रों पर अपना कब्जा करना जारी रखे हुए हैं, वहीं भारतीय सैनिकों ने झील के उत्तरी किनारे की कुछ ऊंचाइयों पर अपनी पहुंच स्थापित कर ली है। सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। एक सूत्र ने कहा, "हमारे सैनिकों ने पीएलए के कब्जे वाली पोजिशन को देखते हुए कुछ ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया है।"
सूत्र ने कहा कि भारतीय सेना एहतियात के तौर पर ऐसे स्थानों पर तैनात है।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना की टुकड़ियां, जो कि पहाड़ी युद्ध की विशेषज्ञ हैं, वह पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को संभालने में कामयाब रही है।
सूत्रों ने कहा कि अब पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट पर चीनी सैनिकों और वाहनों की आवाजाही दिखाई दे रही है। कुछ जगहों पर भारी-भरकम हथियारबंद सैनिक भारतीय जवानों के नजदीक ही हैं। इन चौकियों पर सेना हाई अलर्ट पर नहीं है।
भारतीय सेना ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर चीनी सैनिक भड़काऊ सैन्य कदम उठाते हैं तो उनकी सेना जवाबी कार्रवाई करेगी।
भारतीय सेना ने ऐसे ऊंचाई वाले स्थानों पर कब्जा कर लिया है, जो इसे चीनी नियंत्रण के तहत आने वाले मोल्दो गैरीसन और स्पंगुर गैप पर हावी होने की अनुमति देता है। भारत और चीन दोनों इनमें से कुछ ऊंचाइयों का दावा करते हैं।
भारतीय सेना की सबसे महत्वपूर्ण ऊंचाइयों में से एक है रेचिन ला, जिसका चीनी विरोध कर रहे हैं। चीन ने भारतीय सैनिकों को पहाड़ की ऊंचाइयों से दूर करने के लिए कई प्रयास किए हैं।
भारत एलएसी के पास फिंगर-8 पर अपना दावा करता है और उसका फिंगर-4 तक कब्जा कर रहा है, लेकिन विस्तारवादी सोच रखने वाले चीन की सेना यथास्थिति बदलने के लिए फिंगर-4 पर डेरा डाले हुए है और उसने फिंगर-5 और फिंगर-8 के बीच किलेबंदी की है।
यह नया गतिरोध बिंदु बन गया है, जहां भारतीय सेना एक लाभप्रद स्थिति में है।
भारत और चीन की सेना पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास चार महीने से आमने-सामने है। कई स्तरों के संवाद के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध जारी है।
नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)| प्रशांत भूषण मामले में अदालत के फैसले की आलोचना करने और न्यायपालिका से जुड़े अन्य ट्वीट्स के लिए पत्रकार राजदीप सरदेसाई के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता आस्था खुराना ने एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड ओम प्रकाश परिहार के माध्यम से कहा है कि सरदेसाई का बयान न केवल एक सस्ता प्रचार स्टंट है, बल्कि शीर्ष अदालत के खिलाफ हर तरह से विरोध करने के लिए भारत विरोधी अभियान के रूप में नफरत फैलाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है।
याचिका में कहा गया है कि यह समकालीन ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के संप्रभु कार्य और संविधान के प्रति उनके पालन करने की प्रकृति पर एक बड़ा सवाल है।
याचिकाकर्ता ने राजदीप सरदेसाई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल की सहमति भी मांगी है।
याचिकाकर्ता ने सरदेसाई के एक ट्वीट का हवाला दिया, जहां उन्होंने अदालत द्वारा भूषण पर लगाए गए एक रुपये के दंड की आलोचना की थी। इसके अलावा दूसरे ट्वीट का भी हवाला दिया गया, जिसमें सरदेसाई ने कहा था कि शीर्ष अदालत किसी वकील को प्रैक्टिस से नहीं हटा सकती।
दलील दी गई कि यह स्पष्ट है कि सरदेसाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का अपमान किया है।
याचिकाकर्ता ने सरदेसाई को इस तरह के कार्य में एक अभ्यस्त के तौर पर संदर्भित करते हुए शीर्ष अदालत के आदेश का जानबूझकर अपमान करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का आदेश पारित करने का आग्रह किया है।
देश में पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस ने कोहराम मचा रखा है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक राहत की खबर दी है। मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 29 दिनों में रिकवरी और डिस्चार्ज हो चुके मरीजों में 100 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है।
अहमदाबाद, 10 सितंबर। गुजरात के राजकोट शहर में निर्मित धमण-3 वेंटीलेटर शुरू से ही काफी विवादों में रहे हैं। महाराजा सयाजी राव गायकवाड अस्पताल में लगी आग का कारण भी धमण वेंटीलेटर ही है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि 24 घंटे वेंटीलेटर चल रहा था, इसलिए गर्म होकर जल गया। सयाजी हॉस्पिटल के ट्रामा सेंटर के ऊपर प्रथम तल पर बने आईसीयू-2 में मंगलवार देर रात लगी आग के बाद यहां भर्ती 40 से अधिक कोरोना मरीजों को अन्यत्र स्थानांतरित किया गया। सयाजी अस्पताल के नोडल अधिकारी डॉ शीतल मिस्त्री ने बताया कि केवल दो धमण-3 का ही उपयोग किया जा रहा है, एक सयाजी व दूसरा गौत्री अस्पताल में काम लिया जा रहा है। लगातार 24 घंटे चलने की वजह से धमण-3 वेंटीलेटर गरम होकर जल गया।
जिला कलक्टर ने घटना की जांच के लिए महानगर पालिका के उपायुक्त सहित 3 अधिकारियों की एक टीम बनाई है, जिसने बुधवार को घटनास्थल का दौरा किया। गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौरान अस्पताल में आग लगने की यह चौथी घटना है। इससे पहले अहमदाबाद व वडोदरा में आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी है। अहमदाबाद के श्रेय अस्पताल के आईसीयू में लगी आग में कोरोना के आठ मरीज जलकर मर गए थे।
पता चला था कि श्रेय अस्पताल पर आरोप था कि यहां फायर सेफ्टी के कोई इंतजाम नहीं थे। इस घटना में पांच पुरुष व तीन महिलाओं की झुलसने से मौत हो गई थी। श्रेय अस्पताल 50 बेड का कोविड-19 अस्पताल है। अस्पताल के पास फायर सेफ्टी के साधन न होने पर फायर ब्रिगेड का अनापत्ति प्रमाण पत्र न होने की भी बात सामने आई थी। घटना के दौरान करीब 40 से 45 मरीज यहां इलाज के लिए भर्ती थे। यह सभी कोरोना संक्रमित थे, जिन्हें महानगर पालिका संचालित सरदार वल्लभभाई पटेल अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया था।
धमण वेंटीलेटर शुरुआत से विवाद में रहे। उसके बाद गत दिनों इसकी निर्माता कंपनी ज्योति सीएनसी ने दावा किया था कि धमण-3 पूरी तरह सुरक्षित व उन्नत है, लेकिन सयाजी असप्ताल में धमण के शॉर्ट सर्किट के बाद आग लगने से यह भी विवादों में आ गया है। अप्रैल, 2020 में ज्योति सीएनसी ने 10 दिन में धमण-1 को बनाने का दावा किया था। (jagran.com)
(Ahmedabad Mirror)CCTV reveals that #ventilator, not short circuit caused SSG hospital fire pic.twitter.com/TBd0WOY6yj
— Ahmedabad Mirror (@ahmedabadmirror) September 10, 2020
नई दिल्ली, 10 सितंबर(आईएएनएस) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जिस पीएम मत्स्य संपदा योजना का शुभारंभ किया, वह सफलता से धरातल पर उतरी तो न केवल देश को मोटा मुनाफा होगा, बल्कि नए रोजगार भी बढ़ेंगे। मोदी सरकार अगले पांच वर्षो के भीतर मछली निर्यात को जहां एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचाना चाहती है, वहीं इस सेक्टर में करीब 55 लाख नए रोजगार के मौके भी उपलब्ध कराने की कोशिश है। दुनिया में दूसरे सबसे बड़े मछली उत्पादक देश भारत में फिलहाल करीब एक करोड़ 60 लाख से ज्यादा लोग इस सेक्टर में रोजगार से जुड़े हैं। क्या है मत्स्य संपदा योजना?
दरअसल देश में इस समय करीब 46 हजार करोड़ रुपये मछली निर्यात से आते हैं। सरकार मछली उत्पादन बढ़ाकर निर्यात की धनराशि में दोगुने से ज्यादा का इजाफा करने में जुटी है। इसी सिलसिले में शुरू हुई प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना काफी मददगार हो सकती है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत पूरे पांच साल में 20,050 करोड़ रुपये का भारी-भरकम निवेश इस योजना में होना है। इनमें से करीब 12,340 करोड़ रुपये समुद्री, अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि में होंगे, वहीं 7,710 करोड़ रुपये का निवेश मछली पालन के आधारभूत संसाधनों के लिए होगा। इस प्रकार 20 हजार करोड़ रुपये खर्च कर, सरकार एक लाख करोड़ रुपये के निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने की तैयारी में है।
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के जरिए देश में 2024-25 तक मछली उत्पादन को 70 लाख टन बढ़ाना है। इससे देश में मछली निर्यात का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो फिर मछली पालन से जुड़े किसानों की आय दोगुनी होगी। योजना के तहत मछली पालन में 20-25 प्रतिशत के नुकसान को दस प्रतिशत तक किया जाएगा। यह पूरी योजना करीब 55 लाख नए रोजगार पैदा करेगी।"
कैसे बढ़ेगा मछली पालन?
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए कई मोर्चो पर एक साथ काम शुरू होगा। गुणवत्तापूर्ण प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल होगा। मछली पालन के लिए देश में जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास होगा। किसानों को मछली उत्पादन पर उचित मूल्य मिले, इसके लिए भी समुचित इंतजाम होंगे। मछली प्रबंधन ढांचे को मजबूत किया जाएगा। नीली क्रांति योजना को और विस्तार दिया जाएगा। मत्स्य समूहों के निर्माण के जरिए मछली पालन को बढ़ावा दिया जाएगा। मछली पकड़ने वाले जहाजों का बीमा, अच्छी नावों की व्यवस्था, ब्रीडिंग सेंटर्स स्टार्टअप्स सुविधाओं का विस्तार होगा।
--आईएएनएस
भोपाल, 10 सितंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में कोरोना मरीजों के उपचार के दौरान ऑक्सीजन की कमी के मामले सामने आने पर सरकार ने इसे दूर करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संदर्भ में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी बात की, साथ ही कहा कि राज्य में ऑक्सीजन सिलिंडर की कमी नहीं रहेगी। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने राज्य में कोरोना के कारण बने हालात पर चिंता जताई। ऑक्सीजन सिलिंडर की कमी के मसले पर मुख्यमंत्री शिवराज ने गुरुवार को कहा कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं रहेगी। कोविड-19 के मरीजों को जरूरत के मुताबिक, ऑक्सीजन की आपूर्ति हर हलात में सुनिश्चित की जाएगी। प्रदेश में विद्यमान प्लांट्स की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ अन्य राज्यों से समन्वय का प्रयास निरंतर जारी है।
मुख्यमंत्री चौहान ने निवास पर आयोजित बैठक में कोरोना की स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, पर हर स्थिति में व्यवस्थाओं का सुचारु संचालन आवश्यक है। सितंबर माह के अंत तक 150 टन ऑक्सीजन उपलब्ध हो जाएगी। नए ऑक्सीजन प्लांट के लिए भी कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
राज्य में महाराष्ट्र से ऑक्सीजन सिलिंडर की आपूर्ति होती है। इसी को लेकर मुख्यमंत्री चौहान ने बैठक के दौरान उद्धव ठाकरे से प्रदेश में ऑक्सीजन आपूर्ति के संबंध में फोन पर बात की। मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि ठाकरे ने आश्वस्त किया है कि ऑक्सीजन की समस्या महाराष्ट्र में भी है, पर वे पूरे प्रयास करेंगे कि मध्यप्रदेश को ऑक्सीजन की आपूर्ति जारी रहे।
बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश को 20 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति महाराष्ट्र से है। यह आपूर्ति आईनेक्स कंपनी द्वारा की जाती है। यह कंपनी जरूरत होने पर गुजरात और उत्तरप्रदेश के अपने प्लांट से मध्यप्रदेश को ऑक्सीजन की आपूर्ति करेगी।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि राज्य शासन ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए दूरगामी योजना पर भी कार्य कर रहा है। प्रदेश में आईनेक्स कंपनी का ऑक्सीजन प्लांट लगाने की अनुमति दी जा रही है। होशंगाबाद के मोहासा बावई में यह प्लांट लगेगा। इसमें 200 टन ऑक्सीजन का उत्पादन होगा।
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं। ऐसे में प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी बेहद चिंताजनक विषय है। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से अपील की है कि संकट के इस दौर में वे हस्तक्षेप कर महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश को होने वाली ऑक्सीजन की आपूर्ति को बहाल करवाएं।
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री चौहान ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने को लेकर अगले छह माह की व 30 सितंबर तक की बात कर रहे हैं। साथ ही प्रदेश के इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर व अन्य जिलों में कोरोना संक्रमण के निरंतर बढ़ते मामलों व अस्पतालों में बेड की कमी व इलाज में लापरवाही के कारण हो रही मौतों की निरंतर शिकायतें मिल रही हैं। सरकार इस दिशा में ध्यान देकर कड़े कदम उठाए। संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए अस्पतालों में बेड की संख्या सुनिश्चित करने के लिए भी सरकार कदम उठाए।
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नई दिल्ली, 10 सितंबर (आईएएनएस) सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र से अधिस्थगन/पाबंदी अवधि के दौरान स्थगित ईएमआई के ब्याज पर ब्याज नहीं लेने के लिए एक याचिका पर विचार करने के लिए कहा। साथ ही कर्जदारों के क्रेडिट/एसेट वर्गीकरण को भी डाउनग्रेड नहीं करने पर विचार करने के लिए कहा। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, आर. सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र, भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य बैंकों से कहा कि वे दो सप्ताह के भीतर महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए साथ बैठक करने को कहा। यह महत्वपूर्ण मुद्दे विशिष्ट ऋण पुनर्गठन, ब्याज पर ब्याज चार्ज करना आदि है। कोर्ट ने उन्हें एक ठोस निर्णय के साथ आने को कहा है।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्थगन के मुद्दे पर फैसला लेने के लिए उच्चतम स्तर पर एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो स्थगन के दौरान ब्याज पर ब्याज और अन्य जुड़े मुद्दों से संबंधित है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक उचित हलफनामा दायर करने के लिए केंद्र को दो सप्ताह का समय दिया जाता है और वह अगली तारीख पर याचिकाकर्ताओं के फरियाद पर विचार करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 28 सितंबर को सुनवाई करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने केंद्र, आरबीआई और बैंकों को भी निर्देश दिया कि वे इस मामले पर अपने फैसले तारीख के पहले दें।
--आईएएनएस