राष्ट्रीय
नैनीताल, 27 अप्रैल । उत्तराखंड में नैनीताल व आसपास के जंगलों में भीषण आग लगी है। सरकार ने आग पर काबू पाने के लिए एयरफोर्स का एमआई-17 हेलीकॉप्टर लगा दिया है।
हेलीकॉप्टर ने शनिवार सुबह भीमताल झील से पानी भरा और पाइंस क्षेत्र में आग बुझाई। इससे पहले भी साल 2019 और 2021 में अनियंत्रित आग पर काबू पाने के लिए एमआई-17 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया था।
नैनीताल से लगे पाइंस, भूमियाधार, ज्योलीकोट, नारायणनगर, भवाली, रामगढ़, मुक्तेश्वर आदि के जंगल इन दिनों बुरी तरह से धधक रहे हैं।
इस साल बारिश कम होने के कारण सूखे जंगल जगह-जगह जल रहे हैं। दमकल विभाग और वन विभाग आग पर काबू पाने में लगा है। आग इतनी तेज है कि दोनों विभागों के अलावा आर्मी के जवान भी आग पर काबू पाने में जुट गए हैं।
मुख्यमंत्री और प्रशासन के आला अधिकारियों के बीच गहन बातचीत के बाद फैसला लिया गया कि आग पर काबू पाने के लिए एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर की मदद ली जाए।
इस मिशन के तहत एयरफोर्स का एमआई-17 हेलीकॉप्टर नैनीताल पहुंचा। सुबह हवा और पानी की व्यवस्था देखने के बाद लगभग 7 बजे हेलीकॉप्टर ने भीमताल झील से बकेट (बाल्टी) में पानी भरा और मिशन पर निकल गया।
एसडीएम प्रमोद कुमार ने बताया कि पाइंस से लेकर लड़िया कांटा के जंगलों में आग अनियंत्रित रूप से बढ़ रही है, जिसे बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर को भेजा गया है।
बात दें कि इससे पहले भी वर्ष 2019 और 2021 में इसी तरह अनियंत्रित आग पर काबू पाने के लिए एमआई-17 हेलीकॉप्टर बुलाया गया था।
(आईएएनएस)
जौनपुर, 27 अप्रैल । पूर्व सांसद धनंजय सिंह को शनिवार को जौनपुर जिला कारागार से बरेली जेल में शिफ्ट किया गया। पुलिस के अनुसार, शासन के आदेश पर उन्हें शिफ्ट किया गया है। धनंजय बीते छह मार्च से जौनपुर के जिला कारागार में बंद थे।
पुलिस अधीक्षक डॉ. अजय पाल शर्मा ने बताया कि शासन के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है। एंबुलेंस से पूर्व सांसद को लेकर बरेली जेल पुलिस पहुंची, जिसका वीडियो भी सामने आया है। इसमें कुछ लोग उनसे पूछ रहे हैं कि कुछ कहना है? वह कोई जवाब नहीं देते हैं।
धनंजय सिंह को अपहरण और रंगदारी के मामले में कोर्ट ने सजा सुनाई है। वादी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में पूर्व सांसद समेत दो के खिलाफ अपहरण और रंगदारी की एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
इस मामले में पूर्व सांसद तीन महीने जिला कारागार में बंद रहे। इसके बाद उन्हें जमानत मिल गई। मामले में पुलिस ने विवेचना कर तीन महीने के भीतर कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया।
ज्ञात हो कि धनंजय सिंह को इंजीनियर अभिनव सिंघल के अपहरण और रंगदारी मामले में जौनपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने 6 मार्च को सात साल की सजा सुनाई। तब से वह जौनपुर जेल में बंद हैं। धनंजय सिंह के समर्थकों का कहना है कि जेल शिफ्ट करने को लेकर जेल प्रशासन ने अब तक कोई जानकारी नहीं दी है।
उन्होंने बताया की सुबह 6 बजे जब जेल के गेट पर गाड़ियां लगीं, तब हमें पता चला कि धनंजय सिंह को बरेली शिफ्ट किया जा रहा है। उनको बरेली जेल भेजने की चर्चा पिछले 5 दिनों से चल रही थी। जौनपुर में चुनाव को देखते हुए उनकी जेल बदली गई है।
गौरतलब है कि धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला को बसपा ने जौनपुर से टिकट दिया है। भाजपा ने यहां से महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। कृपाशंकर सिंह ने 2021 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।
(आईएएनएस)
जम्मू, 27 अप्रैल । जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में जमीन धंसने से दर्जनों घर नष्ट हो गए। इसके बाद शनिवार को 350 से ज्यादा लोगों ने अपने घर छोड़ दिए।
रिपोर्टों के अनुसार, रामबन-गूल रोड पर एक गांव में 30 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए, 20 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए और 10 अन्य में बड़ी दरारें आ गईं।
घरों के नष्ट और क्षतिग्रस्त होने के बाद ये परिवार अब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
अधिकारी इन 350 लोगों को तंबू, पीने के पानी की सुविधा, स्वास्थ्य देखभाल, शौचालय, बिस्तर आदि उपलब्ध करा रहे हैं।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, "वह व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर नजर रख रहे हैं। जमीन धंसने का कारण पता लगाया जा रहा है।"
उन्होंने प्रभावित परिवारों को पुनर्वास, राहत और मुआवजा देने का आश्वासन दिया है।
रामबन के डीसी बसीर-उल-हक चौधरी ने कहा कि बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है। रामबन-गूल मार्ग पर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है।
(आईएएनएस)
ऋषिकेश, 27 अप्रैल । कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा उत्तराखंड के ऋषिकेश गंगा आरती करने पहुंचे। रॉबर्ट वाड्रा आध्यात्मिक यात्रा के अंतर्गत शुक्रवार को ऋषिकेश पहुंचे थे। गंगा आरती के अलावा वो भजन में भी शामिल हुए।
उनके साथ कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष राजपाल सिंह खरोला, एआईसीसी सदस्य जयेंद्र रमोला, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मोहित उनियाल, अंशुल अरोड़ा भी ऋषिकेश पहुंचे।
गंगा आरती के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “मैं 1999 से ही राजनीति में सक्रिय हूं। स्मृति ईरानी ने वहां कोई काम नहीं किया है, वहां की जनता चाहती है कि मैं चुनाव लड़ूं।”
बीते दिनों अमेठी में कांग्रेस कार्यालय पर रॉबर्ट वाड्रा के पोस्टर लगाए गए थे जिनमें उनसे यहां से चुनाव लड़ने की मांग की गई थी। ये पोस्टर किसने लगाए थे, इसकी जानकारी सामने नहीं आई थी।
इसके बाद अमेठी पहुंचीं स्मृति ईरानी ने कहा, "अगर रॉबर्ट वाड्रा अमेठी आने में सफल हुए, तो आप लोगों को अपने कागजात छुपाने होंगे, क्योंकि उनकी नजर आपके कागजों पर है।"
बीजेपी अमेठी में स्मृति ईरानी को चुनावी मैदान में उतार चुकी है, जबकि दूसरे चरण का मतदान संपन्न होने के बावजूद अभी तक कांग्रेस ने इस अहम सीट पर अपने किसी भी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है।
बीते दिनों खबर आई थी कि कांग्रेस यहां से राहुल गांधी पर दांव आजमा सकती है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 अप्रैल । दिल्ली के रोहिणी इलाके में शनिवार सुबह दो मंजिला एक मकान के ऊपरी हिस्से में आग लग गई। आग लगने की सूचना फायर ब्रिगेड को दी गई। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की पांच गाड़ियों ने कड़ी मेहनत के बाद आग पर काबू पाया।
इस दौरान फायर कर्मचारी ने मकान में फंसे दो लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया।
मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के रोहिणी इलाके के सेक्टर-14 स्थित मिलनसार अपार्टमेंट में शनिवार सुबह अचानक दो मंजिला मकान के ऊपरी हिस्से में भीषण आग लग गई।
दमकल विभाग को सुबह 6 बजे आग लगने की जानकारी मिली।
सूचना के बाद मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़ी ने आग पर काबू पाना शुरू किया।
दमकल कर्मियों को पता चला कि अंदर कुछ लोग भी फंसे हुए हैं। फिर अधिकारियों ने घर की बालकनी से सीढ़ी लगाकर दो लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।
पांच दमकल की गाड़ियों ने दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया।
आग लगने के कारणों का अभी पता नहीं चल सका है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
(आईएएनएस)
पटना, 27 अप्रैल । बिहार की राजनीति में अपनी खास पहचान बना चुके सम्राट चौधरी की पहचान एक आक्रामक, बेबाक नेता के रूप में है। भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद वो उप मुख्यमंत्री की कुर्सी भी संभाल रहे हैं। आईएएनएस ने उनसे खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि अब राजनीति के तौर तरीके में काफी बदलाव आ गया है। अब रिपोर्ट कार्ड के आधार पर चुनाव जीते जाते हैं।
प्रस्तुत है बातचीत के कुछ अंश:
सम्राट चौधरी ने कहा कि पहले के चुनावों में जाति, अगड़े, पिछड़े, जातीय समीकरण की बात होती थी, लेकिन तब से गंगा में काफी पानी बह गया है। अब लोग आपके रिपोर्ट कार्ड, आपकी नीतियों और आपके द्वारा किये गये कार्यों का लेखा जोखा देखते हैं और तब वोट करते हैं।
उन्होंने कहा कि कोई भी पार्टी अब किसी जाति को वोट बैंक का दावा नहीं कर सकती। पिछले चुनाव में 39 सीटों पर एनडीए के प्रत्याशी विजयी हुए थे। यह परिणाम इसकी तस्दीक करते हैं।
उप मुख्यमंत्री ने दावा किया कि इस चुनाव में बिहार में एनडीए ने 40 की 40 सीटों पर जीतने का लक्ष्य रखा है और बिहार की जनता मोदी जी के साथ खड़ी है और हम लोगों को 40 सीट पर जीत दिलवाएगी। इसमें किसी को गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ चुनाव में उतरने में किसी प्रकार के घाटे के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह कोई नया गठबंधन नहीं है, हम लोग पहले भी सरकार चला चुके हैं और चुनाव लड़ चुके हैं। हमारा गठबंधन उनकी नीतियों और सिद्धांतों को देखकर हुआ है।
मोदी के नाम पर वोट के विषय में पूछे जाने पर चौधरी ने सधे अंदाज में कहा कि लोकसभा का चुनाव हम सभी एक गठबंधन के तहत मोदी जी के नेतृत्व में ही लड़ रहे हैं। उनके नेतृत्व को सभी ने स्वीकार किया है, तभी तो गठबंधन हुआ है। मोदी जी के नाम पर ही वोट मांगेंगे। पिछला विधानसभा चुनाव हमलोगों ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा था।
कई सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर नाराजगी या टिकट नहीं मिलने को लेकर नाराजगी से जुड़े प्रश्न पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा का नेतृत्व जो भी फैसला लेता है, उसका हम सभी कार्यकर्ता पालन करते हैं। यह कोई परिवार की पार्टी नहीं है कि सीधे सिंगापुर से टूरिस्ट बेटी को चुनाव मैदान में उतार दिया जाए। यहां काम करने वालों को प्राथमिकता दी जाती है।
बिहार के दिग्गज नेता शकुनी चौधरी के बेटे सम्राट स्पष्ट रूप से कहते हैं कि भाजपा में किसी प्रकार के सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए कार्य नहीं किये जाते हैं। आज आप खुद देख लीजिए जातियों के नाम पर राजनीति करने वाले, तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले राजनीति में कहां हैं?
इधर, राजद के नेता द्वारा तेजस्वी यादव द्वारा नौकरी को मुद्दा बनाने पर चौधरी ने कहा कि आप खुद सोचिए कि क्या किसी सरकार में उप मुख्यमंत्री नौकरी देते हैं। राज्य सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद एनडीए की सरकार बनने के बाद से ही नौकरी, रोजगार को लेकर काम चल रहा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी मंच से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरी जैसे विरोधियों के आरोपों को लेकर उन्होंने कहा कि मुंगेर की सभा में भी दोनों नेता एक मंच पर थे। दरअसल विरोधियों के पास कोई मुद्दा नहीं है। ये लोगों को कभी संविधान खत्म, लोकतंत्र समाप्त, आरक्षण समाप्त करने की बात कर लोगों को बरगलाना चाहते हैं।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि ऐसा कोई कर सकता है क्या? दरअसल, राजद, कांग्रेस को न संविधान पर विश्वास है, न लोकतंत्र पर, न कार्यकर्ताओं पर, नाही जनता पर, इनको केवल अपने परिवार पर विश्वास है।
(आईएएनएस)
सौतिक बिस्वास
दशकों से भारत एक ऐसा देश रहा है जहां लोग कमाई का एक बड़ा हिस्सा भविष्य के लिए बचाकर रख लेते हैं.
लेकिन अब इसमें बदलाव दिखाई दे रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक के हालिया आंकड़ों के मुताबिक़ भारत में शुद्ध घरेलू बचत 47 साल के निचले स्तर पर है.
किसी परिवार के कुल धन और निवेश में से उसका कर्ज और उधारी अगर घटा दी जाए तो उसे शुद्ध घरेलू बचत कहते हैं.
वित्तीय वर्ष 2023 में बचत घटकर सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 5.3 प्रतिशत हो गई है जो साल 2022 में 7.3 प्रतिशत थी. इस गिरावट को एक अर्थशास्त्री ने बहुत चिंताजनक बताया है.
इसी अवधि में घरेलू कर्ज के मामले में तेज उछाल आया है. सालाना कर्ज, जीडीपी का 5.8 प्रतिशत हो गया है, जो 1970 के बाद दूसरा उच्चतम स्तर है.
जैसे-जैसे लोग घर चलाने के लिए कर्ज ले रहे हैं, उनकी बचत कम होती जा रही है. ज्यादा उधारी के मामलों में परिवार के सामने मुश्किल यह है कि उन्हें कमाई का एक हिस्सा उस उधारी और उसके कर्ज को चुकाने में खर्च करना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में परिवार के पास बचत के लिए बहुत कम पैसे बचते हैं.
क्यों बढ़ रहा है कर्ज
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के साथ काम करने वाले अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता का कहना है कि भारत के बढ़ते घरेलू कर्ज का एक बड़ा हिस्सा नॉन मॉर्गेज लोन है. इनमें से आधे से ज्यादा कर्ज कृषि और बिजनेस से जुड़े हैं.
दिलचस्प बात यह है कि 2022 में भारत नॉन मॉर्गेज लोन के मामले में ऑस्ट्रेलिया और जापान के बराबर आ गया और उसने अमेरिका और चीन सहित कई प्रमुख देशों को पीछे छोड़ दिया.
गुप्ता का कहना है कि क्रेडिट कार्ड, शादी और हेल्थ इमरजेंसी के लिए कर्ज, कुल घरेलू कर्ज का 20 प्रतिशत से कम है, लेकिन यह सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट था.
तो कम बचत और ज्यादा कर्ज की यह स्थिति हमें दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के बारे में क्या बताती है?
क्या बढ़ता कर्ज और खर्च भविष्य के लिए अच्छा है? या फिर यह घटती आय, महंगाई और आर्थिक तनाव जैसी चुनौतियों की चेतावनी दे रहा है?
अर्थशास्त्री गुप्ता कहते हैं, "उपभोक्ताओं को कुछ हद तक विश्वास है. ऐसे कई भारतीय हैं जिन्हें उम्मीद है कि भविष्य में वे ज्यादा पैसे कमा पाएंगे. या फिर वे भविष्य में क्या होगा इसके बारे में सोचने के बजाय वर्तमान में एक अच्छा जीवन जीना चाहते हैं."
क्या ज्यादा खर्च करने को लेकर भारतीयों की मानसिकता बदली है? गुप्ता कहते हैं, "हो सकता है लेकिन यह साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि ऐसा क्यों हो रहा है?"
मुश्किल वित्तीय स्थिति में कर्ज लेने के बारे में क्या कहा जा सकता है? लंबे समय से चली आ रही कठिन वित्तीय स्थिति व्यक्ति को लोन डिफॉल्टर बना सकती है. दूसरी तरफ अगर कर्ज देने वाला अपना काम अच्छे से कर रहे हैं तो वे वित्तीय संकट में फंसे ऐसे लोगों को कर्ज देना क्यों जारी रखेंगे, जिन्हें क्रेडिट रेटिंग भी अच्छी नहीं है?
गुप्ता के मुताबिक़, उधारकर्ताओं पर आधिकारिक डेटा में विवरण की कमी एक प्रमुख समस्या है. कर्ज लेने वाले किस तरह की नौकरियां करते हैं? कितने लोगों ने कितना लोन ले रखा है? (एक व्यक्ति कई तरह के लोन ले सकता है) व्यक्ति लोन लेने के बाद उस पैसे का क्या कर रहा है? कर्ज चुकाने को लेकर उसका रिकॉर्ड कैसा है?
भारत के लिए क्या चिंताजनक है?
कुछ बातें हमारे सामने हैं. मोतीलाल ओसवाल के गुप्ता और उनकी साथी अर्थशास्त्री तनीषा लढ़ा ने पाया कि पिछले दशक में कर्ज की उपलब्धता ने घरेलू कर्ज को बढ़ाने का काम किया है.
उनका कहना है कि पिछले दशक में कर्ज लेने वालों की संख्या बढ़ी है. किसी एक व्यक्ति का बड़ा लोन लेने की बजाय ज्यादा लोगों का कर्ज लेना बेहतर स्थिति है.
उन्होंने पाया कि भारतीय परिवारों की कर्ज सेवा अनुपात यानी डेट् सर्विस रेशियो करीब 12 प्रतिशत है, जो नॉर्डिक देशों के जैसी है. ये अनुपात चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों से ज्यादा है. इन सभी देशों में घरेलू कर्ज का स्तर ज्यादा है.
यह फर्क इसलिए है क्योंकि भारत में कर्ज की दर ज्यादा और अवधि कम है, जिसकी वजह से अपेक्षाकृत डीएसआर ज्यादा है.
सितंबर में भारत के वित्त मंत्रालय ने बचत कम होने और कर्ज बढ़ने की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा था लोग कोरोना के बाद कम ब्याज दरों को फायदा उठा रहे हैं और कार, शिक्षा और घर खरीदने के लिए लोन ले रहे हैं.
इसके अलावा मंत्रालय का कहना है कि ज्यादा लोग घर और कार जैसे चीजों को खरीदने के लिए कर्ज ले रहे हैं, जो किसी संकट का संकेत नहीं है बल्कि यह भविष्य में रोजगार और बढ़ती आय की संभावना से भरा हुआ है.
हालाँकि, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के जिको दासगुप्ता और श्रीनिवास राघवेंद्र चिंता जताते हैं.
दोनों अर्थशास्त्री द हिंदू अखबार में लिखते हैं कि बचत में गिरावट ने कर्ज को चुकाने से जुड़ी चिंताओं को बढ़ाने का काम किया है.
इसके अलावा अर्थशास्त्री रथिन रॉय जैसे लोगों ने जी 20 देशों में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले देश में कर्ज लेने पर बढ़ती निर्भरता को लेकर चिंता जाहिर की है.
उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड में लिखा है कि सरकार बुनियादी सेवाओं और सब्सिडी के लिए उधार लेती है, जबकि परिवार सुख सुविधा से जुड़ी चीजों को खरीदने के लिए लोन ले रहे
अर्थशास्त्री गुप्ता और लढ़ा का मानना है कि एक वर्ष में उधार लेने का मौजूदा उच्च स्तर भारत की वित्तीय या व्यापक तौर पर आर्थिक स्थिरता को खतरे में नहीं डालता है लेकिन अगर ऐसा ही बना रहा तो इससे मुश्किलें पैदा हो सकती हैं.
बिजनेस कंसल्टेंट रमा बिजापुरकर ने अपनी नई किताब लिलिपुट लैंड में लिखा है कि भारत का उपभोक्ता एक ऐसे चौराहे पर खड़ा है जहां वह बेहतरीन जिंदगी जीने के सपने देख रहा है लेकिन उसके पास घटिया सार्वजनिक सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर है और उसकी आय कम है और वो भी अस्थिर है.
दूसरे शब्दों में भारतीय उपभोक्ता इन चीजों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश में लगा हुआ है. (bbc.com)
मंडी, 27 अप्रैल । मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी कंगना रनौत ने पन्ना प्रमुख सम्मेलन में कांग्रेस सरकार से सवाल किया कि प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए केंद्र द्वारा दिए गए 1800 करोड़ रुपए कहां गए?
कंगना ने आरोप लगाया, "प्रदेश सरकार की खराब नीति की वजह से यह पैसा प्रभावित लोगों तक नहीं पहुंचा।"
हालांकि, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नुकसान का जायजा लेने आए थे।
कंगना ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “कांग्रेस ने सत्ता का दुरुपयोग कर टू-जी, फोर-जी, चारा और ना जाने कितने घोटाले किए। कांग्रेस को प्रदेश की जनता के हितों से कोई सरोकार नहीं है, बल्कि यह पार्टी हमेशा से ही जनता के हितों पर कुठाराघात करने में माहिर है।”
अभिनेत्री ने कहा, “कांग्रेस ने सत्ता में रहते समय सीमा पर सड़क निर्माण करने से गुरेज किया, जिसका नतीजा यह हुआ कि सीमावर्ती इलाकों में विकास नहीं हो सका, मगर आज मोदी सरकार के नेतृत्व में चौतरफा विकास हो रहा है।”
कंगना ने कहा, “केंद्र की मोदी सरकार महिलाओं को लेकर हमेशा से ही संवेदनशील रही है। मोदी सरकार ने राजनीति में महिलाओं को आरक्षण दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया, लेकिन कांग्रेस ने इसका विरोध किया, क्योंकि कांग्रेस के लोग नहीं चाहते थे कि इस देश की महिलाओं की तरक्की हो।”
बता दें, कंगना को बीजेपी ने मंडी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने इस सीट पर विक्रमादित्य सिंह पर दांव लगाया है।
(आईएएनएस)
बेगूसराय, 27 अप्रैल । केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी गिरिराज सिंह ने शनिवार को कांग्रेस और राजद पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस मुसलमानों के लिए हिंदुओं की हकमारी कर रही है।
उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि कर्नाटक में जहां ओबीसी का अधिकार छीनकर मुसलमानों को दे दिया जा रहा है, उस पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव चुप क्यों हैं।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि एक तरह से कांग्रेस मुसलमानों के लिए हिंदुओं का गला काट रही है। कांग्रेस चाहती है कि देश में गृह युद्ध हो जाए।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक में मुसलमानों को ओबीसी का दर्जा देकर कांग्रेस क्या चाहती है। कर्नाटक में जहां ओबीसी के साथ हकमारी की जा रही है, इस मुद्दे पर लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव चुप क्यों है।
सिंह ने कहा कि कांग्रेस जिस तरह की राजनीति कर रही है, वह तुष्टिकरण की पराकाष्ठा है।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि आज मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं बहुसंख्यक है। मुसलमानों को अब अल्पसंख्यक कहना हिंदुओं के साथ नाइंसाफी है।
(आईएएनएस)
श्रीनगर, 27 अप्रैल । उत्तर कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक स्वयंभू फकीर ने 60 साल की महिला की कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने शनिवार को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने बताया कि गुलाम रसूल उर्फ लस्सा बाब नाम के एक स्वयंभू फकीर ने शुक्रवार को हंदवाड़ा तहसील के चोगल गांव में अपने कमरे में 60 वर्षीय एक महिला की कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी।
फकीर को गिरफ्तार कर लिया गया है। कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। डॉक्टरों ने कहा है कि तथाकथित फकीर पागल आदमी है।
इस घटना से पूरी घाटी में सदमे की लहर दौड़ गई। भरोसेमंद लोग, ज्यादातर महिलाएं, ऐसे लोगों से मदद मांगने जाते थे।
(आईएएनएस)
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के जरिए पड़े वोटों के साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) की पर्चियों के 100 फीसदी मिलान की याचिका पर अपना फैसला सुना दिया है. लोकसभा चुनाव के बीच कोर्ट का फैसला आया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम से डाले गए वोटों को वीवीपीएटी की पर्चियों से 100 फीसदी मिलान की मांग वाली याचिकाएं खारिज कर दी हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का इस्तेमाल करके डाले गए वोटों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल या वीवीपीएटी के साथ पूर्ण क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया और चुनावों के लिए बैलेट पेपर सिस्टम में वापसी की मांग वाली याचिका को भी खारिज कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले में सहमति से दो फैसले सुनाए. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र का अर्थ सद्भावना बनाना है और मतदान प्रक्रिया पर आंख मूंद कर अविश्वास करना अनुचित संदेह को जन्म दे सकता है.
फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें चुनावों में बैलेट पेपरों का इस्तेमाल करने की मांग करने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के लिए दो निर्देश जारी किए. कोर्ट ने कहा कि ईवीएम में सिंबल लोड करने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) को सील करके कंटेनर में सुरक्षित किया जाना चाहिए. उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधि मुहर पर हस्ताक्षर करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसएलयू वाले सीलबंद कंटेनरों को नतीजों की घोषणा के बाद कम से कम 45 दिनों तक ईवीएम के साथ स्टोररूम में रखा जाएगा.
अदालत ने चुनाव नतीजों के बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवारों के अनुरोध पर निर्माता द्वारा ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर के सत्यापन की अनुमति दी है.
अदालत ने यह भी कहा कि ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर के सत्यापन के लिए शुल्क का भुगतान करके चुनाव नतीजे घोषित होने के सात दिनों के भीतर अनुरोध किया जा सकता है. अगर ईवीएम में छेड़छाड़ पाई जाती है तो फीस लौटाई जाएगी.
इसके साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या पर्चियों की गिनती के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीनें इस्तेमाल हो सकती हैं और क्या चुनाव चिन्ह के साथ-साथ प्रत्येक पार्टी के लिए एक बार कोड भी हो सकता है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल ने कोर्ट में याचिका दायर कर ईवीएम के वोटों और वीवीपैट पर्चियों के 100 फीसदी की मिलान की मांग की थी.
क्या थी मांग
फैसले के बाद एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने कहा, "हम लोगों का यह कहना था, ये ईवीएम जो है इनमें एक मेमरी होती है. इसलिए इसमें छेड़छाड़ हो सकती है. और इस वजह से यह जरूरी है कि जो वीवीपैट है उसकी जांच होनी चाहिए. जो पर्ची निकलती है उन सभी पर्चियों की गिनती करनी चाहिए."
उन्होंने आगे कहा, "कोर्ट ने हमारी याचिकाओं को खारिज किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग ये जांच करे, सारे बैलेट पेपर पर हम बार कोड डाल दें तो उसकी मशीन के जरिए गिनती हो सकती है या नहीं."
फिलहाल वीवीपैट वेरिफिकेशन के तहत विधानसभा क्षेत्र के सिर्फ पांच मतदान केंद्रों में ईवीएम से पड़े वोटों और वीवीपैट पर्ची का मिलान किया जाता है. अप्रैल की शुरुआत में जब इस मामले की सुनवाई हो रही थी तब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में सिर्फ पांच अनियमित रूप से चुने ईवीएम को सत्यापित करने के बजाय सभी ईवीएम वोट और वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग करने वाली याचिका पर केंद्रीय चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था.
ईवीएम को लेकर भारत में सवाल उठते रहे हैं लेकिन चुनाव आयोग हर बार यह कहता आया है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए ईवीएम बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
ईवीएम पर उठते सवाल
ईवीएम को लेकर जब राजनीतिक दल सवाल उठाने लगे तो चुनाव आयोग ने वीवीपैट को चुनावों में पेश किया. दरअसल इस वीवीपैट की मदद से मतदाता यह देख पाता है कि उसका वोट सही तरीके से पड़ा है या नहीं. जब वोटर अपना वोट डाल देता है तो वीवीपैट से एक पर्ची निकलती है और वह बॉक्स में गिर जाती है. उस पर्ची पर वोटर ने जिस पार्टी को वोट दिया है उसका चुनाव चिन्ह दर्ज होता है. विवाद होने पर पर्ची को निकाला भी जाता है और उसे वेरिफाई किया जाता है.
सबसे पहले वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल 2013 में नागालैंड विधानसभा चुनाव में हुआ था. 2014 के लोकसभा चुनावों में भी कुछ सीटों पर इस मशीन का इस्तेमाल हो चुका है. 2019 के लोकसभा चुनाव में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था. (dw.com)
पश्चिम बंगाल के पर्वतीय क्षेत्र दार्जिलिंग में लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण पर्यावरण पर बढ़ते खतरे को लेकर चिंताएं तो लंबे समय से जताई जा रही थी. लेकिन अब तक यह कोई चुनावी मुद्दा नहीं बन सका था.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
पहली बार इस बार के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के पर्वतीय क्षेत्र दार्जिलिंग में कुछ राजनीतिक दलों ने पर्यावरण संतुलन को अपना मुद्दा बनाते हुए संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की है. कुछ महीने पहले आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि बढ़ते प्रदूषण के कारण पर्वतीय इलाके की हवा की गुणवत्ता काफी खराब हो चुकी है. इस सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान है.
लगातार बढ़ते प्रदूषण के बीच पर्यावरण का मुद्दा राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्र में कभी तरजीह नहीं पा सका है. लेकिन हाल ही में लद्दाख में सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल और आंदोलन ने अब दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में भी इस मुद्दे को हवा दी है. पहाड़ियों की रानी के नाम से मशहूर इस पर्वतीय क्षेत्र में पहले पर्यावरण कभी मुद्दा नहीं रहा. लेकिन इस बार यहां भी स्थानीय दलों ने इसे मुद्दा बनाया है.
लद्दाख के आंदोलन से मिला बल
कांग्रेस के उम्मीदवार मुनीश तामंग के अलावा स्थानीय हामरो पार्टी के अध्यक्ष अजय एडवर्ड सोनम वांगचुक अजय एडवर्ड सोनम वांगचुक के अनशन की वीडियो के साथ इलाके में प्रचार करती रही है. इसें लद्दाख और दार्जिलिंग को एक श्रेणी में रखते हुए इलाके को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग उठ रही है.
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के जाने-माने पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पूर्ण राज्य और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर कड़ी सर्दी में करीब 21 दिनों तक अनशन किया था. उन्होंने सीमा तक मार्च की भी योजना बनाई थी. लेकिन केंद्र से टकराव टालते हुए उन्होंने उस मार्च को स्थगित कर दिया था.
बीजेपी ने साल 2019 के अपने चुनावी घोषणापत्र में और बीते वर्ष लद्दाख हिल काउंसिल चुनाव के में भी लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था. वांगचुक का आरोप है कि पार्टी अब बीजेपी इन वादों से मुकर रही है.
यहां इस बात का जिक्र जरूरी है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 की छठी अनुसूची स्वायत्त प्रशासनिक प्रभागों में स्वायत्त जिला परिषदों के गठन का प्रावधान करती है. इन परिषदों के पास एक राज्य के ढांचे के भीतर ही भीतर कुछ विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक अधिकार होते हैं.
सोनम वांगचुक का कहना था कि वो लद्दाख की पहाड़ियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं. छठी अनुसूची स्थानीय संस्कृति को बचाने के लिए रक्षा कवच का काम करती है.
दार्जिलिंग में पर्यावरण प्रदूषण
हर साल लगातार बढ़ती पर्यटकों की भीड़ ने इलाके में बड़े पैमाने पर प्रदूषण को बढ़ावा दिया है. इन पर्यटकों की रिहाइश के लिए बेतरबी तरीके से होने वाले निर्माण के कारण भारी तादाद में जंगल साफ हो रहे हैं. इसका असर अब आम लोगों के जीवन पर भी नजर आने लगा है. अब कांग्रेस और हामरो पार्टी लद्दाख की तर्ज पर ही दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र को बचाने के लिए इस इलाके को भी छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रही है. वैसे तो नब्बे के दशक में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के तत्कालीन प्रमुख सुभाष घीसिंग भी लगातार यह मांग उठाते रहे थे. लेकिन केंद्र ने इसे कोई तवज्जो नहीं दी.
अजय एडवर्ड और मुनीश तामंग सोमन वांगचुक के अनशन के दौरान लद्दाख में उनसे मुलाकात कर आंदोलन के प्रति अपना समर्थन जताया था. वहां से लौटने के बाद दिल्ली में इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. अजय की पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. मुनीश गोरखा परिसंघ से नाता तोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. अजय बताते हैं, "दार्जिलिंग और लद्दाख की मांग समान है. इन दोनों इलाकों में केंद्र लगातार झूठा भरोसा देती रही है. लेकिन अब तक उसे अमली जामा नहीं नहीं पहनाया जा सका है. हमने छठी अनुसूची की मांग में लोगों से कांग्रेस का समर्थन करने की अपील की है."
कांग्रेस उम्मीदवार मुनीश तामंग सोनम के भाषण का जिक्र करते हुए कहते हैं, "बीते तीन लोकसभा चुनाव में यहां से लगातार जीतने वाली बीजेपी सिर्फ खोखले वादे करती रही है. इलाके की समस्याओं का समाधान और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को पूरा करना तो दूर की बात है. अब तक पर्वतीय इलाके में विकास का तमाम काम केंद्र की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान ही हुआ है." अपनी मांगों के समर्थन में इंडिया गठबंधन के तमाम सहयोगी दल पर्वतीय इलाकों की मांग के समर्थन में साझा रैली निकालते रहे हैं.
नागरिकों के जीवन पर कैसा असर
अब इलाके के होम स्टे मालिकों ने भी इलाके को प्रदूषण-मुक्त करने और तेजी से बढ़ते पर्यावरण असंतुलन को नियंत्रित करने की दिशा में ठोस पहल करने की मांग उठाई है. दार्जिलिंग में एक होम स्टे के मालिक अनूप मुखिया कहते हैं, "यहां आने वाले पर्यटक अब होटलों की बजाय होम स्टे में रहने को तरजीह देते हैं. इससे हजारों लोगों की रोजी-रोटी चलती है और सरकार की भी आमदनी होती है. लेकिन इलाके में पानी की बढ़ती समस्या और पर्यावरण संतुलन की ओर किसी का ध्यान नहीं है. लगातार बढ़ते प्रदूषण और दूसरी समस्याओं के कारण पर्यटक अब देश के दूसरे पर्वतीय पर्यटन केंद्रों का रुख करने लगे हैं."
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर बंगाल और सिक्किम में करीब 12 हजार होम स्टे हैं. इनमें से सबसे ज्यादा 3,338 कालिम्पोंग जिले में ही हैं. दार्जिलिंग और कालिम्पोंग में सरकारी की अनुमोदित होम स्टे की तादाद 18 सौ से कुछ ज्यादा है.
बीते साल एक रिपोर्ट में कहा गया था कि मिथक के विपरीत दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता राष्ट्रीय औसत के मुकाबले कम है. कोलकाता स्थित बोस इंस्टीट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर अभिजीत चटर्जी, संस्थान की एक शोधकर्ता मोनामी दत्त और आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ता अभिनंदन गोष ने वर्ष 2009 से 2021 यानी करीब 13 साल लंबे अध्ययन के बाद बीते साल अपनी रिपोर्ट में यह बात कही थी.
पर्यावरण कार्यकर्ताओं की पहल
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 50 से ज्यादा पर्यावरण संगठन और कार्यकर्ताओं के फोरम सबूज मंच ने 32 पेज का एक हरित घोषणा पत्र जारी करते हुए तमाम राजनीतिक दलों से पर्यावरण और बढ़ते प्रदूषण को मुद्दा बनाने की अपील की थी. गठन का कहना है कि तमाम राजनीतिक दलों के घोषमापत्रों में पर्यावरण जैसे बेहद अहम मुद्दा गायब है. संगठन के सचिव नब दत्त कहते हैं कि बीते 15 वर्षों के दौरान तस्वीर में ज्यादा बदलाव नहीं आया है. तमाम राजनीतिक दलों ने इस अहम मुद्दे को हाशिए पर धकेल दिया है.
सबूज मंच के उपाध्यत्र और सिलीगुड़ी स्थित गैर-सरकारी संगठन हिमालयन नेचर एंड एडवेंचर फाउंडेशन के प्रमुख अनिमेष बोस कहते हैं, "उत्तर बंगाल में रोजगार के दो प्रमुख क्षेत्रों चाय और पर्यटन को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाना सबसे जरूरी है. राजनीतिक दल जितनी जल्दी इस हकीकत को स्वीकार कर लेंगे, इलाके के भविष्य के लिए उतना ही बेहतर होगा."
वह कहते हैं कि दार्जिलिंग में पहली बार कांग्रेस और हामरो पार्टी ने पर्यावरण के लिए आवाज तो उठाई है. इसका क्या और कितना असर होगा यह तो बाद में पता चलेगा. लेकिन मुख्यधारा के तमाम दलों को भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए.
पश्चिम बंगाल में पर्वतीय क्षेत्र दार्जिलिंग संसदीय सीट बीते तीन बार से भाजपा ही जीतती रही है. लेकिन अकेले अपने बूते नहीं बल्कि स्थानीय गोरखा पार्टियों के समर्थन से. अबकी बार भी भाजपा ने पिछले विजेता राजू विस्टा को दोबारा मैदान में उतारा है. इस सीट पर भाजपा के राजू विस्टा का मुकाबला तृणमूल कांग्रेस के गोपाल लामा से है.
दार्जिलिंग उन गिनी-चुनी सीटों में से है जहां तृणमूल कांग्रेस कभी जीत नहीं सकी है. जहां तक मुद्दों का सवाल है अलग गोरखालैंड की दशकों पुरानी मांग के अलावा इलाके में बढ़ता प्रदूषण और चाय बागान उद्योग की समस्याएं ही सबसे बड़े मुद्दे के तौर पर सामने आए हैं. इसके अलावा इलाके का विकास और पीने के पानी के संकट के साथ अंधाधुंध शहरीकरण पर अंकुश लगाने जैसे मुद्दे भी उठाए जा रहे हैं.
कहां है अलग गोरखालैंड की मांग का मुद्दा
दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में चुनाव चाहे लोकसभा का हो या फिर विधानसभा का, हर बार अलग गोरखालैंड की मांग एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनती रही है. इस बार भी अपवाद नहीं है. बीजेपी उम्मीदवार राजू विस्टा दावा करते हैं कि अगले पांच साल में इस समस्या का स्थायी राजनीतिक समाधान हो जाएगा. लेकिन वह समाधान क्या होगा, राजू इसका खुलासा नहीं करते.
गोरखा समुदाय के नेता विमल गुरुंग, जो इस चुनाव में भाजपा का समर्थन कर रहे हैं कहते हैं कि अलग राज्य के गठन के लिए बीजेपी को कुछ और समय देना जरूरी है. गुरुंग को भरोसा है कि अगले कुछ साल में भाजपा या तो अलग गोरखालैंड की स्थापना करेगी या फिर गोरखा समुदाय की 11 जनजातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दे देगी.
दार्जिलिंग की पहाड़ियों में अस्सी के दशक के उत्तरार्ध में सुभाष घीसिंग के नेतृत्व वाले गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) ने अलग गोरखालैंड की मांग में बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया था. उसके बाद तितरफा समझौते के तहत दार्जिलिंग गोरखा पर्वतीय परिषद और गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) जैसी कई स्वायत परिषदों का गठन तो हुआ लेकिन असली मांग कहीं पीछे रही. यह मांग इलाके के लोगों के लिए एक भावनात्मक मुद्दा बन गई है. बाद में विमल गुरुंग ने भी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बैनर तले इस मांग में लंबे अरसे तक आंदोलन किया था. लेकिन अब तक कुछ हासिल नहीं हो सका.
दूसरी ओर, कांग्रेस उम्मीदवार मुनीश तामंग भाजपा पर इलाके के लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हैं. उनका कहना है कि हर बार गोरखालैंड के मुद्दे पर चुनाव जीतने के बाद बीजेपी चुप्पी साध लेती है. उधर, तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करने वाले गोरखा नेता अनित थापा कहते हैं कि गोरखालैंड हर पहाड़वासी का सपना है. लेकिन अब यह महज एक चुनावी मुद्दा बन कर रह गया है. बीजेपी अलग राज्य की बजाय अब इस क्षेत्र की समस्या स्थायी राजनीतिक समाधान की बात कर रही है. (dw.com)
भारत के नये आईटी ऐक्ट के खिलाफ वॉट्सऐप और मेटा ने मुकदमा दायर किया है. वॉट्सऐप ने कहा है कि अगर उसे इनक्रिप्शन फीचर हटाना पड़ा तो वह भारत छोड़ने पर मजबूर हो जाएगा.
डॉयचे वैले पर रितिका की रिपोर्ट-
सोशल मेसेजिंग ऐप वॉट्सऐप ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान कहा है कि अगर कंपनी पर इनक्रिप्शन फीचर हटाने का दबाव डाला गया तो कंपनी भारत छोड़ने पर मजबूर हो जाएगी. वॉट्सऐप और मेटा ने भारत सरकार के नए इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ऐक्ट (2021) के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की है.
नए आईटी ऐक्ट के सेक्शन 4 (2) के तहत अब सोशल मीडिया कंपनियों को कोई भी सूचना कहां से आई या कोई मेसेज पहले किसने भेजा इसकी पहचान करनी होगी. वॉट्सऐप ने कोर्ट से कहा है कि वह इस सेक्शन को असंवैधानिक घोषित करे. साथ ही जो कंपनियां इस सेक्शन को लागू करने के लिए तैयार नहीं हैं उन पर कोई आपराधिक जिम्मेदारी ना थोपी जाए.
क्या है वॉट्सऐप की दलील
मामले की सुनवाई के दौरान वॉट्सऐप ने कोर्ट से कहा कि अगर वह सूचना भेजने वाले की पहचान करते हैं तो उन्हें अपने इनक्रिप्शन फीचर को खत्म करना होगा. अगर ऐसा होता है तो वॉट्सऐप भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा.
वॉट्सऐप के मुताबिक इनक्रिप्शन यूजरों की निजता से जुड़ा हुआ है. कंपनी ने यह भी कहा कि आईटी के नये नियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत यूजरों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वॉट्सऐप का तर्क है कि लोग इस ऐप का इस्तेमाल इसके इनक्रिप्शन फीचर की वजह से ही करते हैं. अगर कंपनी आईटी ऐक्ट के नये नियम लागू करती है तो उसे इन फीचर को हटाना होगा. इसके बिना यह पता लगाना नामुमकिन है कि कोई मेसेज पहली बार किसने भेजा. इसके साथ ही अरबों मेसेज को अनगिनत सालों तक सेव करके रखना पड़ सकता है. कंपनी ने जोर दिया कि इतने मेसेज सेव करना संभव नहीं है क्योंकि इसकी कोई सीमा नहीं है.
इनक्रिप्शन फीचर और निजता का अधिकार
वॉट्सऐप का इनक्रिप्शन फीचर यह सुनिश्चित करता है कि दो लोगों के आपस के मेसेज सिर्फ वही पढ़, देख या सुन सकते हैं. इन्हें पढ़ने या देखने का अधिकार खुद वॉट्सऐप तक के पास भी नहीं है. वॉट्सऐप ने यह फीचर सभी यूजरों के लिए अनिवार्य कर दिया है. इस फीचर को बंद करने का विकल्प भी ऐप में मौजूद नहीं है.
कंपनी ने यह फीचर यूजरों की निजता को ध्यान में रखते हुए लागू किया था. वॉट्सऐप का कहना है कि दुनिया के किसी भी देश में ऐसा कोई नियम नहीं है जो उस पर इनक्रिप्शन फीचर हटाने का दबाव डालता हो.
सरकार की क्या है दलील
नए आईटी ऐक्ट के तहत किसी मेसेज का स्रोत क्या है इसकी जानकारी देना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार का तर्क है कि इससे फेक न्यूज पर रोक लगाने में मदद मिल सकती है. साथ ही किसी गलत खबर या भ्रामक जानकारी का स्रोत क्या है इसका पता लगाना प्रशासन के लिए आसान हो जाएगा.
सरकार ने यह भी कहा है कि अगर कोई प्लेटफॉर्म से इनक्रिप्शन फीचर को हटाए बिना सूचना के स्रोत का पता नहीं लगा सकता है तो यह उस प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी है कि वह ऐसा तरीका विकसित करे. (dw.com)
बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश), 26 अप्रैल। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर क्षेत्र में ताबड़तोड़ रैलियां व गहन जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने बिलासपुर ज़िले के घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र में एक दिवसीय दौरे के दौरान नुक्कड़ सभाएं की और लोगों से समर्थन मांगा।
इस दौरान घुमारवीं उपमंडल के तहत हमीरपुर सीमा से लगती तडौन पंचायत में उन्होंने नुक्कड़ सभा कर जनता से वोट देने की अपील की।
अनुराग ठाकुर ने ईवीएम व वीवीपेट मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इस फैसले के साथ ही विपक्ष द्वारा अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ते हुए लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश एक बार फिर नाकाम हुई।
अनुराग ठाकुर ने विपक्ष से कहा कि उन्हें मुद्दों पर व विचारधारा पर चुनाव लड़ना चाहिए। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी केरल के वायनाड में लोकसभा चुनाव हार रहे हैं, इसी आशंका के चलते वह दूसरी सीट से चुनाव लड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
(आईएएनएस)
मंडी, 26 अप्रैल । मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी कंगना रनौत ने शुक्रवार को पन्ना प्रमुख सम्मेलन को संबोधित करने के दौरान कांग्रेस पर जमकर हमला बोला।
उन्होंने कहा, "कांग्रेस एक परिवारवादी पार्टी है, जहां सिर्फ परिवार के लोगों को तरजीह दी जाती है। कांग्रेस में हमेशा से ही मेहनत करने वाले नेताओं को दरकिनार किया गया है, इसलिए आज इस पार्टी की हालत खराब है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिर्फ परिवार के लोगों को देखती है, लेकिन हमारे यहां एक साधारण कार्यकर्ता भी एक शीर्ष नेता बन सकता है।"
एक्ट्रेस ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीति में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया है, जिससे यह साफ हो चुका है कि इस बार पीएम मोदी को मातृ शक्ति का समर्थन मिलने जा रहा है, जबकि कांग्रेस के शीर्ष नेता लगातार महिलाओं के संदर्भ में अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस एक घोटालेबाज पार्टी है। यह सिर्फ घोटाले करती है। इसने सत्ता में रहते हुए ना जाने कितने घोटाले किए, मगर अब तक बीजेपी पर एक भी घोटाले का आरोप नहीं लगा।”
उन्होंने आगे कहा, "बीजेपी 'सबका साथ और सबका विकास' पर चलने वाली पार्टी है। हमारी पार्टी समाज के सभी वर्गों के विकास के बारे में सोचती है, जबकि कांग्रेस एक परिवार तक सिमट कर रह गई है। हम सभी लोगों को मिलकर कांग्रेस को कैंसर की तरह उखाड़ फेंकना है। कांग्रेस पार्टी वोट हासिल करने के लिए खराब नीति की राह पर चल रही है।"
बता दें, बीजेपी ने मंडी लोकसभा सीट से कंगना रनौत को चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने इस सीट से विक्रमादित्य सिंह पर दांव लगाया है।
(आईएएनएस)
नोएडा/गाजियाबाद, 26 अप्रैल । लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने के लिए मतदाता अपने काम को किनारे रखकर मतदान केंद्र पहुंच रहे हैं। मतदाताओं में मरीज, महिलाएं और बुजुर्गों की संख्या अच्छी खासी है।
सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लंबी लाइन देखने को मिल रही थी। नोएडा के मेरीगोल्ड स्कूल में बने पोलिंग बूथ पर महिला निर्मला यादव एम्बुलेंस से पहुंची। महिला की कुछ दिन पहले ही ओपन हार्ट सर्जरी हुई है। 75 साल की महिला का कहना है कि मैं सुबह से बहुत परेशान थी कि वोट कैसे डालूंगी। जिसके बाद एक निजी संस्था की एम्बुलेंस में बैठकर मैं वोट डालने आई हूं। वोट डालने के बाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
इसके अलावा भी नोएडा के कई वोटिंग केंद्र पर एंबुलेंस से आए मरीजों को देखा गया। ग्रेटर नोएडा में भी 96 साल की शांति देवी ने वोट किया। शांति देवी व्हील चेयर पर बैठकर मतदान करने के लिए परिवार वालों के साथ आई थी। शांति देवी ने कहा कि वोट देते-देते मेरी उम्र बीत गई। मुझे अच्छा लगता है कि मैं इस लोकतंत्र का हिस्सा बनती हूं। मैं चल नहीं पाती। बहू-बेटे के साथ मतदान करने के लिए आती हूं और सबको आना चाहिए।
लोकतंत्र के इस महापर्व में महिलाओं और बुजुर्गों की भागीदारी बढ़-चढ़कर दिखाई दे रही है। नोएडा हो या गाजियाबाद मतदाता केंद्रों पर बुजुर्ग और महिलाओं की बड़ी संख्या देखने को मिल रही है।
गौतमबुद्ध नगर के जिला निर्वाचन अधिकारी और पुलिस आयुक्त संयुक्त रूप से जनपद में मतदान केंद्रों पर लगातार निरीक्षण करते नजर आ रहे हैं।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने जनपद वासियों से अपील की है कि अधिक से अधिक संख्या में घरों से निकलकर अपने मताधिकार का प्रयोग करें। जिला निर्वाचन अधिकारी मनीष कुमार वर्मा और पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह संयुक्त रूप से मतदान केंद्रों का निरीक्षण कर रहे हैं।
मतदान केंद्रों पर शांतिपूर्ण तरीके से मतदान चल रहा है तथा लोग घरों से निकलकर अपने-अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी ने जनपद वासियों से अपील करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा मतदाता घरों से निकलकर अपने मताधिकार का प्रयोग करें और लोकतंत्र के महापर्व में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें।
जिला निर्वाचन अधिकारी और पुलिस आयुक्त अपने भ्रमण के दौरान कलेक्ट्रेट सभागार में बनाए गए वेबकास्टिंग/कंट्रोल रूम पहुंचे। कंट्रोल रूम टीम बहुत ही गहनता के साथ निगरानी बनाए हुए है।
(आईएएनएस)
सूरत, 26 अप्रैल । लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के बीच गुजरात कांग्रेस ने सूरत से प्रत्याशी रहे नीलेश कुंभानी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। पार्टी ने कुंभानी को 6 साल के लिए निलंबित कर दिया है।
इससे पहले, पार्टी ने उन्हें नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा था। लेकिन समय बीत जाने के बावजूद भी उन्होंने जवाब नहीं दिया।
नीलेश कुंभानी पर आरोप है कि उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर खुद के फॉर्म को रद्द कराया, जिसके चलते भाजपा के उम्मीदवार मुकेश दलाल निर्विरोध निर्वाचित हो गए।
कांग्रेस की अनुशासन समिति ने नीलेश कुंभानी को 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित करने की अनुशंसा की थी।
कांग्रेस से सस्पेंड होने पर खबर है कि वो अब बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 26 अप्रैल । केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ईवीएम और वीवीपैट को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों पर जमकर निशाना साधा है।
इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विपक्षी दलों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि जिस प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री रहते हुए हाथी पर रखकर संविधान की शोभायात्रा निकाली, 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद बाबा साहेब के सम्मान में संविधान दिवस मनाना शुरू किया, उनके बारे में ये कांग्रेसी भ्रम फैलाते रहे हैं कि वे संविधान समाप्त कर देंगे। संविधान लागू होने के 75 वर्ष पूर्ण होने पर उसके सम्मान में 'हमारा संविधान, हमारा सम्मान' कार्यक्रम पूरे देश में मना रहे हैं, जो सरकार संविधान को पूजती है, उसके बारे में कांग्रेस और इंडी गठबंधन के नेता जनता को भ्रमित करने में लगे हुए हैं।
भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वीवीपैट को पूर्णतया विश्वसनीय ठहराने के निर्णय ने कांग्रेस के झूठ और दोहरे चरित्र का पर्दाफाश कर दिया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और इंडी गठबंधन ने देश की संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने की भरपूर कोशिश की है, लेकिन, उन्हें मुंह की खानी पड़ी है। उन्होंने दावा किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने यह माना है कि वीवीपैट पूर्णतया विश्वसनीय एवं पारदर्शी है और ईवीएम या वीवीपैट के साथ छेड़छाड़ संभव नहीं है। अदालत के इस फैसले से पहले भी चुनाव आयोग ने कई बार विभिन्न राजनीतिक दलों को ईवीएम और वीवीपैट की कार्यप्रणाली को समझाया है। लेकिन, कांग्रेस और इंडी गठबंधन की घटक पार्टियां चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं को कमतर आंकती हैं और राहुल गांधी तो विदेशों में भी जाकर चुनाव आयोग को बदनाम करते हैं। हाल ही में कांग्रेस की बड़ी नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी ईवीएम पर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि देश में अब तक 5 लोकसभा और 132 विधानसभा चुनावों में ईवीएम का उपयोग हुआ है, इसके बावजूद इंडी गठबंधन के नेता इस प्रणाली पर प्रश्न खड़े करते हैं। जबकि, इसी ईवीएम से हुए चुनाव से ही कांग्रेस ने कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना एवं तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में चुनाव जीता है। कांग्रेस समेत इंडी गठबंधन के नेताओं का ये दोहरा चरित्र है कि जब ये लोग जीतते हैं तो ईवीएम ठीक होती है, लेकिन, जब हारते हैं तो ईवीएम पर सवाल उठाते हैं।
मेघवाल ने विपक्षी दलों पर जानबूझकर विवाद खड़ा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों को 3 जून और 26 जून 2017 को ईवीएम हैक करने और आरोप सिद्ध करने की चुनौती दी थी, लेकिन, कोई दल अपने आरोप सिद्ध नहीं कर पाया था। इसके अलावा 2019 में 20,687 पोलिंग बूथ पर वीवीपैट का मिलान किया गया, जिसमें सिर्फ 0.0004 प्रतिशत की गड़बड़ी पाई गई, जो किसी भी चुनाव के परिणाम को प्रभावित नहीं कर सकता। चुनाव आयोग की चुनौती में हारने के बाद कांग्रेसी नेता सुप्रीम कोर्ट गए और वहां भी इन्हें मुंह की खानी पड़ी।
मेघवाल ने आपातकाल की याद दिलाते हुए कहा कि आपातकाल के 'काले' दौर से अब तक कांग्रेस नेता हर संवैधानिक संस्था पर संदेह करते आ रहे हैं और ये लोग देश को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने विपक्षी गठबंधन पर हमला जारी रखते हुए आगे कहा कि देश की संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करना ही कांग्रेस और इंडी गठबंधन के नेताओं की फितरत बन गई है। कांग्रेस नेताओं ने संसद में भी बहस के दौरान चुनाव आयोग को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कांग्रेस नेता देश और देश की संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने का अवसर ढूंढते हैं और देश के खिलाफ खड़े रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इन नेताओं की पोल खुल गई है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वागत योग्य, अभिनंदनीय और लोकतंत्र को मजबूत करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि वोट बैंक और तुष्टीकरण की राजनीति में डूबी कांग्रेस बाबा साहेब अंबेडकर और संविधान का अपमान करके धर्म के आधार पर एससी, एसटी और ओबीसी का हक छीन करके मुस्लिमों को आरक्षण देना चाहती है।
(आईएएनएस)
अहमदाबाद, 26 अप्रैल । लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के बीच दुनियाभर में रह रहे गुजराती प्रवासी भारत पहुंच रहे हैं।
यूएस, यूके, लंदन सहित अन्य यूरोपीय देशों में रह रहे प्रवासी गुजराती बड़ी संख्या में भारत पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने के लिए कमर कस चुके हैं।
प्रवासी गुजरातियों ने पीएम मोदी के पक्ष में प्रचार करने के लिए सूरत से लेकर अहमदाबाद तक रैली करने का भी फैसला किया है, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी शामिल होंगे।
रैली में मोदी सरकार की उपलब्धियों को जनता के बारे में विस्तार से बताया जाएगा और उनसे अपील की जाएगी कि वो बीजेपी के पक्ष में वोट करें।
हालांकि, इसे लेकर सोशल मीडिया पर मुहिम काफी पहले छेड़ी जा चुकी है, जिसमें लोगों से पीएम मोदी के पक्ष में मतदान करने की अपील कर चुकी है, लेकिन विदेशों में रह रहे प्रवासी गुजराती भी इस मुहिम का हिस्सा बनने के लिए आतुर नजर आ रहे हैं।
एनआरआई सेल दिगंत सोमपुरा ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि लोकसभा चुनाव के बीच दुनियाभर में रह रहे भारतीय मतदाताओं के बीच खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। विदेश रहने वाले भारतीय सक्रिय हो गए हैं और बीजेपी द्वारा आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा भी ले रहे हैं।
वहीं, यूके, अमेरिका सहित अन्य देशों में कई कार्यक्रमों की शुरुआत हो चुकी है, जिसे लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
इस दौरान, उन्होंने एनआरआई द्वारा तैयार किए गए कार्यक्रमों की रूपरेखा के बारे में भी विस्तार से मीडिया को बताया।
--(आईएएनएस)
हैदराबाद, 26 अप्रैल । तेलंगाना का मल्काजगिरी देश का सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र है। यहां नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवारों की संख्या सबसे अधिक है। इस निर्वाचन क्षेत्र में 114 उम्मीदवार मैदान में हैं।
चुनाव आयोग के अनुसार राज्य के सभी 17 निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 895 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया। गुरुवार को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन था, जिसमें 348 उम्मीदवारों ने अपना पर्चा दाखिल किया, इसमें से ज्यादातर निर्दलीय थे।
सभी निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 1,488 नामांकन दाखिल किए गए, जिनमें से कई उम्मीदवारों ने कई सेट दाखिल किए।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी विकास राज ने कहा कि नामांकन की जांच शुक्रवार को की गई। 29 अप्रैल को उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख है जबकि मतदान 13 मई को होगा।
मल्काजगिरी में आखिरी दिन 63 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया, जिससे कुल उम्मीदवारों की संख्या 114 हो गई।
चेवेल्ला जो कि हैदराबाद और आसपास के जिलों के बाहरी इलाके में विधानसभा क्षेत्रों में फैला हुआ है, वहां 66 प्रतियोगियों की संख्या दूसरे स्थान पर है। यहां कुल 88 नामांकन दाखिल किए गए थे।
पेद्दापल्ली में 63 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया जबकि भोंगिर में यह संख्या 61 है। वारंगल और हैदराबाद में क्रमशः 58 और 57 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया। सिकंदराबाद निर्वाचन क्षेत्र में भी 57 उम्मीदवारों ने नामांकन दर्ज किया।
आदिलाबाद में सबसे कम उम्मीदवारों (23) ने नामांकन दाखिल किया। महबूबनगर और निजामाबाद में 42-42 प्रतियोगियों ने अपना नामांकन दाखिल किया।
अधिकांश उम्मीदवार निर्दलीय या छोटी पार्टियों से हैं। लगभग सभी निर्वाचन क्षेत्रों में सत्तारूढ़ कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है।
2019 में बीआरएस को नौ सीटें मिली थीं जबकि बीजेपी ने चार सीटें जीती थीं। कांग्रेस के उम्मीदवार तीन निर्वाचन क्षेत्रों से चुने गए। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने एकमात्र सीट (हैदराबाद) बरकरार रखी थी।
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मेरठ, 26 अप्रैल । लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान शुरू हुए तो मेरठ में पहली बार वोट डालने आए युवाओं में काफी उत्साह देखने को मिला। मतदान के प्रति युवाओं ने अपने विचार भी साझा किए।
मेरठ की साकेत निवासी अंकिता ने बताया कि उन्होंने पहला वोट विकास, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और महिला सुरक्षा के मुद्दे को ध्यान में रखकर दिया है। मेघा ने बताया कि मेरा वोट किसी ऐसे व्यक्ति को जाएगा, जो रोजगार को बढ़ावा देगा और विकास करेगा।
इसके अलावा साकेत में ही स्वाति और अनीता ने कहा कि हम पहली बार मतदान करने को लेकर उत्साहित हैं। हमारे क्षेत्र से चुने जाने वाला जनप्रतिनिधि क्षेत्र के विकास को रफ्तार दें और मेरठ में नए उद्योग स्थापित कराएं।
मेरठ के किठौर में गांधी स्मारक इंटर कॉलेज मतदान केंद्र पर पहली बार मत का प्रयोग करने पहुंची अंजली ने बताया कि राष्ट्र के निर्माण और लोकतंत्र की मजबूती के नाम पर अपना मत प्रयोग करके बहुत अच्छा लगा। युवाओं को अपने मतों का प्रयोग निश्चित तौर पर करना चाहिए।
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राजगढ़, 26 अप्रैल । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजगढ़ में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर हमला बोलते हुए कहा कि अब उनकी परमानेंट विदाई का समय आ गया है।
मध्य प्रदेश के राजगढ़ संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाया है। यहां से भाजपा ने एक बार फिर रोडमल नागर को टिकट दिया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजगढ़ में आयोजित जनसभा में दिग्विजय सिंह और उनके कार्यकाल की चर्चा की और उन्हें 'बंटाधार' बताते हुए कहा कि वे बहुत बार आए और बहुत बार गए, अब समय आ गया है, इनको परमानेंट विदाई देने का। राजनीति से दिग्विजय सिंह की परमानेंट विदाई राजगढ़ वालों को करना है। परमानेंट विदाई जरूर करो। मगर, आशिक का जनाजा है, जरा धूम से निकालना, उनके सम्मान के अनुसार लीड से हराकर उनकी विदाई करें।
उन्होंने कहा कि दुर्दांत आतंकवादी को वह हाफिज सईद जी कहते हैं। जाकिर नायक को गले लगाते हैं, अफजल गुरु जिसने पार्लियामेंट पर हमला किया, उसकी फांसी का विरोध करते हैं। पीएफआई पर बैन लगाने का विरोध करते हैं। मध्य प्रदेश को बंटाधार बीमारू राज्य बनाकर गए थे। भारतीय जनता पार्टी ने राज्य को आगे बढ़ाया है और हर खेत में सिंचाई की व्यवस्था की है। किसान की फसल का समर्थन मूल्य बढ़ाया।
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श्रीनगर, 26 अप्रैल । जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर मतदान की तारीख बदलने के किसी भी कदम का विरोध किया।
उमर अब्दुल्ला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "अनंतनाग-राजौरी लोकसभा क्षेत्र में मतदान की तारीख को स्थगित करने की कोशिश कर भाजपा द्वारा अपनी 'सहायक पार्टियों' का समर्थन करने की साजिश रची जा रही है।
उमर अब्दुल्ला ने चुनाव आयोग और जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर एनसी के विरोधियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, "हम चुनाव आयोग से अपील करते हैं और चेतावनी देते हैं कि अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव स्थगित करने से बचें।"
स्थगन का अनुरोध करने वाले पत्र पर केवल उन पार्टियों द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं जो भाजपा की सहायक पार्टियां हैं। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के अलावा पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जो इस निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव नहीं लड़ रहे हैं) ने भी स्थगन अनुरोध पर हस्ताक्षर किए हैं।
उन्होंने पूछा, "उनका इस चुनाव से क्या लेना-देना? यदि मैं चुनाव आयोग को तमिलनाडु, केरल या महाराष्ट्र के बारे में ऐसा ही पत्र लिखूं, तो क्या वे ऐसे अनुरोध पर विचार करेंगे जहां मेरी पार्टी कोई चुनाव नहीं लड़ रही है।"
अगर उम्मीदवारों द्वारा प्रचार करना एक मुद्दा है तो हमारे उम्मीदवार यहां बैठे हैं। उनका कहना है कि वह रियासी जिले से राजौरी और पुंछ में अपने निर्वाचन क्षेत्र का रुख कर सकते हैं।
कुछ उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान की तारीख स्थगित करने का अनुरोध किया है। इसमें जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी, भाजपा, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, जम्मू-कश्मीर नेशनलिस्ट पीपुल्स फ्रंट, वकील मोहम्मद सलीम पारे (उम्मीदवार), अली मोहम्मद वानी (उम्मीदवार) और अर्शीद अली लोन (उम्मीदवार) शामिल हैं।
उत्तरी कश्मीर के बारामूला निर्वाचन क्षेत्र से उमर अब्दुल्ला उम्मीदवार हैं। बारामूला निर्वाचन क्षेत्र में अपनी संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "मुझे विश्वास है कि मैं वह सीट जीतूंगा। उन्होंने मुझे 'पर्यटक' कहा है और आज वे 'पर्यटक' से इतना डर गए कि वे सभी मेरे खिलाफ एकजुट हो गए हैं।"
पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने उमर अब्दुल्ला को 'पर्यटक' कहा था। उन्होंने आरोप लगाया था कि उमर अपना ज्यादातर समय जम्मू-कश्मीर के बाहर बिताते हैं।
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लखनऊ, 26 अप्रैल । उत्तर प्रदेश में प्रवर्तन एजेंसियों और उड़नदस्तों द्वारा अवैध शराब, नकदी आदि की जब्ती संबंधी निर्वाचन आयोग के निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन किया जा रहा है।
इसी क्रम में आबकारी, आयकर, पुलिस एवं नार्कोटिक्स विभाग एवं अन्य प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा 25 अप्रैल, 2024 को कुल 127.51 लाख रुपए कीमत की शराब, ड्रग व नगदी आदि जब्त किया गया।
इस तरह 1 मार्च से 25 अप्रैल, 2024 तक कुल 32281.70 लाख रुपए कीमत की शराब, ड्रग, बहुमूल्य धातुएं व नकदी आदि जब्त किए जा चुके हैं। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि गुरुवार को 127.51 लाख रुपए कीमत की शराब, ड्रग व नगदी जब्त की गई। इसमें 13.93 लाख रुपए नकद, 49.95 लाख रुपए कीमत की 18628.60 लीटर शराब, 63.62 लाख रुपए कीमत की 193367.70 ग्राम ड्रग व 0.01 लाख रुपए कीमत की अन्य सामग्री शामिल है।
उन्होंने बताया कि 1 मार्च से 25 अप्रैल तक जो 32281.70 लाख रुपए कीमत की शराब, ड्रग, बहुमूल्य धातुएं व नगदी जब्त की गई है, उसमें 3181.54 लाख रुपए नकद, 4435.47 लाख रुपए की शराब, 21346.72 लाख रुपए कीमत की ड्रग, 2161.59 लाख रुपए कीमत की बहुमूल्य धातुएं एवं 1156.39 लाख रुपए कीमत की अन्य सामग्री शामिल हैं।
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नई दिल्ली, 26 अप्रैल । सुप्रीम कोर्ट ने किसी चुनाव में खड़े उम्मीदवारों के मुकाबले नोटा को अधिक वोट मिलने पर फिर से चुनाव कराने के संबंध में चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। कोर्ट इस संबंध में दायर उस याचिका पर विचार करने को सहमत हो गया है, जिसमें नोटा को अधिक वोट पड़ने पर चुनाव आयोग (ईसी) को नियम बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है।
इस संबंध में मोटिवेशनल वक्ता शिव खेड़ा की याचिका को स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने नोटिस जारी कर मामले में चुनाव आयोग से जवाब मांगा।
शिव खेड़ा ने किसी निर्वाचन क्षेत्र में नोटा को बहुमत मिलने पर उस निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव शून्य घोषित करने और नए सिरे से चुनाव कराने जाने संबंधी नियम बनाने के लिए कोर्ट से चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की है।
इसमें विभिन्न राज्य चुनाव आयोगों द्वारा दिए आदेशों का उल्लेख किया गया है, जिसमें कहा गया है कि नोटा को "काल्पनिक उम्मीदवार" के रूप में माना जाएगा और उसे सबसे अधिक वोट मिलने की स्थिति में नए चुनाव कराए जाएंगे।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से यह भी निर्देश देने की मांग की कि नोटा से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को पांच साल के लिए सभी चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए।
याचिका के अनुसार, चुनाव आयोग ने पिछले साल जुलाई में एक पत्र जारी किया था, इसमें कहा गया था कि किसी चुनाव में उम्मीदवारों के मुकाबले नोटा को अधिक वोट मिलने की स्थिति में जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट प्राप्त होगा, उसे विजेता घोषित कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि 2013 में, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सभी ईवीएम में "उपरोक्त में से कोई नहीं" (नोटा) का विकल्प प्रदान करने का निर्देश देते हुए कहा था कि नकारात्मक मतदान का प्रावधान लोकतंत्र मजबूत करेगा।
(आईएएनएस)