छत्तीसगढ़ के एक प्रमुख और पुराने प्रेस फोटोग्राफर गोकुल सोनी पिछली आधी सदी का अपना देखा हुआ ताजा इतिहास भी फेसबुक पर लिखते रहते हैं। उनके संस्मरण बड़े दिलचस्प रहते हैं। वे बहुत से ताजा मामलों पर भी लिखते हैं।
उन्होंने अभी लिखा- ‘‘शहर में शादी करने वालों के लिए घोड़ा गाड़ी, कार की कमी नहीं है। अब सभी के पास लगभग गाडिय़ां है। शहर में घोड़ा (घोड़ा या बग्गी) और कार किराए पर आसानी से उपलब्ध है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी संस्कृति से जुड़े रहना चाहते हैं।
कल दोपहर रायपुर के अश्वनी नगर (लाखेनगर वार्ड) में दो सगे भाई प्रीतम देवांगन और ओमप्रकाश देवांगन की शादी हुई। दोनों एक साथ बारात निकाले। दोनों भाईयों ने घोड़ा बग्गी और कार को छोडक़र बारात के लिए पारंपरिक बैलगाड़ी को चुना। इसके लिए अमलेश्वर से बैलगाड़ी बुलाई गई। इसी बैलगाड़ी में दोनों भाई शान से बारात निकाले।
ऐसी कोई बात नहीं है कि देवांगन परिवार घोड़ा बग्गी या कार की व्यवस्था नहीं कर पाते, सम्पन्न परिवार है। इन्होंने सारी व्यवस्था अन्य शादियों की तरह ही किया था। पंडाल, डी.जे. अतिशबाजी सब कुछ आधुनिक लेकिन बारात बैलगाड़ी में निकालकर इन्होंने अपनी छत्तीसगढ़ी संस्कृति से जुड़े होने का अच्छा परिचय दिया है।’’