राजपथ - जनपथ
पीडि़तों की मदद के कई और रास्ते
जरूरतमंदों के लिये सरकार की कोई योजना फायदेमंद है तो सरकारें उसे स्वीकार करने में हिचकती नहीं हैं। मनरेगा पर बजट बढ़ाना इसका बड़ा उदाहरण है जिसे कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मारक बताया था। कोरोना महामारी से जान गवां चुके लोगों के बच्चों को स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी विद्यालयों में प्रवेश का फैसला छत्तीसगढ़ सरकार का एक बड़ा कदम है। यहां जितनी सीटें हैं, उससे दस गुना आवेदन आये हैं। पर बेसहारा हुए बच्चों का प्रवेश निश्चित है। इसी तरह से अनुकम्पा नियुक्ति में 10 प्रतिशत की सीमा को शिथिल करने का फायदा सैकड़ों असमय जान गवां चुके सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को मिलने वाला है।
इन कदमों के बीच मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार का फैसला भी सामने आया है। कोरोना से बेसहारा हुई बड़ी बच्चियों के विवाह का खर्च सरकार ने उठाने निर्णय लिया है। बेसहारा हुए बच्चों के कॉलेज तक की पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार ने उठाने की घोषणा की है। इन फैसलों को देखकर छत्तीसगढ़ सरकार भी मदद का दायरा बढ़ा सकती है।
गर्व से बोलो खजाना खाली है..
अब लोग श्रीगंगानगर की ख़बर को पढ़ सुनकर अलर्ट हो गये हैं। यहां भी किसी दिन डीजल का दाम सौ रुपये हो ही जायेगा। केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान की साफगोई की दाद देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार का खज़ाना खाली है। इसलिये अभी पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं घटा सकते। सवाल इस पर भी किया जा सकता है। पूछ सकते हैं कि फिर जीएसटी लागू क्यों की। नोटबंदी क्यों कर दी। अर्थव्यवस्था नहीं संभल रही है, हमारे फैसले गलत थे। इस सच्चाई को स्वीकार करने में झिझक हो रही है।