राजपथ - जनपथ

जनपथ छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भाजपा में मनमुटाव, और घरों में सुरक्षित
08-May-2021 5:39 PM
जनपथ छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भाजपा में मनमुटाव, और घरों में सुरक्षित

भाजपा में मनमुटाव, और घरों में सुरक्षित

खबर है कि बीजेपी प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी पार्टी नेताओं की आपसी खींचतान से खफा हैं। राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष की शुक्रवार की वर्चुअल बैठक में तो उन्होंने अपनी नाराजगी का इजहार भी कर दिया। उन्होंने शिकायती लहजे में कहा कि यहां के नेताओं में काफी मनमुटाव है। चूंकि बैठक में प्रदेश के सभी बड़े नेता जुड़े हुए थे। लिहाजा, बीएल संतोष ने उन्हें टोकते हुए कहा कि अभी इस विषय पर बात करने का समय नहीं है। कोरोना की समस्या बड़ी है, और उस पर ध्यान देना होगा।

बैठक में संतोष प्रदेश के नेताओं को इशारों-इशारों में काफी कुछ कह गए। उन्होंने कहा कि सिर्फ सीएम या कांग्रेस के खिलाफ बयानबाजी से कुछ नहीं होगा। गांव-गांव में कोरोना से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए पहल करनी होगी। दरअसल, संतोष इस बात से नाराज हैं कि कोरोना संक्रमण बढ़ते ही प्रदेश के सभी नेताओं ने खुद को घर में कैद कर रखा है, और सिर्फ कोरी बयानबाजी कर रहे हैं। सुनील सोनी जैसे इक्का-दुक्का ही नेता हैं, जो कि कोरोना काल में अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं, और लोगों की समस्याएं सुनकर निराकरण की कोशिश कर रहे हैं।

अजय चंद्राकर अलग-थलग ?

पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को प्रदेश भाजपा महामंत्री भूपेन्द्र सिंह सवन्नी से पंगा लेना भारी पड़ रहा है। सवन्नी रायपुर संभाग के प्रभारी हैं, और उनकी संगठन में गहरी पैठ है। वे धरमलाल कौशिक के अति प्रिय हैं, तो पूर्व सीएम रमन सिंह भी सवन्नी को काफी तवज्जो देते हैं। संगठन में पदाधिकारियों की नियुक्तियों में भी सवन्नी की काफी दखल रहती है।

पिछले दिनों मिशन-2023 के लिए विभिन्न विभागों के प्रमुखों और सदस्यों की सूची जारी की गई, उसमें चंद्राकर को पर्याप्त महत्व नहीं मिला। उन्हें राजनीतिक प्रतिपुष्टि और प्रतिक्रिया विभाग में शिवरतन शर्मा के साथ सदस्य के रूप में रखा गया है। इस विभाग के प्रभारी शिवरतन हैं। पार्टी ने बृजमोहन, प्रेमप्रकाश, नारायण चंदेल जैसे अन्य प्रमुख नेताओं को विभाग प्रभारी बनाया गया है। अजय पार्टी के मुख्य प्रवक्ता हैं, लेकिन किसी विभाग का प्रभार नहीं दिया गया है।

दो दिन पहले बंगाल में हिंसा के विरोध में पार्टी नेताओं ने अपने घर में धरना दिया। पूर्व सीएम रमन सिंह के निवास पर अगल-बगल में रहने वाले रामविचार नेताम, और राजेश मूणत को बुलाया गया था, और तीनों साथ धरने पर बैठे थे, लेकिन रमन निवास से कुछ दूरी पर रहने वाले अजय चंद्राकर को वहां नहीं बुलाया गया। अजय ने अकेले अपने घर में धरना दिया। जो लोग अजय को करीब से जानते हैं कि वे इन सब चीजों की परवाह नहीं करते हैं। वे विधायक दल के मुखिया नहीं है, लेकिन विधानसभा में अक्सर विपक्ष का नेतृत्व करते हुए नजर आते हैं।  संगठन को भले ही उनकी जरूरत नहीं दिखती, लेकिन विपक्ष की आवाज बुलंद करने में वे सबसे आगे दिखते हैं।

सिर्फ सर्कुलर निकालने से बात बनेगी नहीं..

कोरोना पीडि़त मरीज के परिवार से गुरुग्राम से लुधियाना जाने के लिए एक लाख 20 हजार रुपये एंबुलेंस किराया लेने वाले को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मगर छत्तीसगढ़ में ऐसी शिकायतों पर सिर्फ सरकारी सर्कुलर निकालकर खानापूर्ति की जा रही है। लगातार शिकायतें आ रही हैं कि 5-10 किलोमीटर की दूरी के लिए भी एंबुलेंस चालक चार-पांच हज़ार रुपये से नीचे बात नहीं कर रहे हैं। शहर के बाहर लाने ले जाने के लिए तो 20 से 25 हजार में सौदा कर रहे हैं। शिकायतों के बाद जिला प्रशासन और परिवहन विभाग ने एक ही काम किया कि किराया कितना लेना है इसके लिए एक सर्कुलर जारी कर दिया। ठीक उसी तरह से जैसा कि निजी अस्पतालों का खर्च तय कर दिया गया है। जब पीडि़त परिवार इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों से करते हैं तो जांच की बात कही जाती लेकिन जांच क्या हुई और कार्रवाई किस पर हुई एक दो मामलों को छोडक़र या अभी तक सामने नहीं आया है। अधिकारी शायद यह समझते हैं कि इस विषम परिस्थिति में डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों पर कार्रवाई करके उन्हें हतोत्साहित नहीं किया जाए। पर सच्चाई यह है कि अभी बहुत से निजी चिकित्सालय संचालक मरीजों की परिस्थितियों को समझते हुए ठीक बिल बना रहे हैं। इसी तरह से कई एंबुलेंस संचालक मानवता के नाते सही-सही किराया भी ले रहे हैं। मशीनरी की ढिलाई के चलते दूसरों को जब लूटते देखेंगे तो क्या पता इनकी भी नीयत बदल जाए। इसलिए जहां गड़बड़ी हो रही है वहां पर सख्ती तो बरती जानी ही चाहिए। महामारी के नाम पर कुछ भी करने की छूट क्यों दी जानी चाहिए? राजधानी के एक अस्पताल से हाल ही में शिकायत आई थी कि समाज सेवी संस्थाएं वहां फ्री में एंबुलेंस भेजने के लिए तैयार बैठे हैं। अस्पतालों को अपना फोन नंबर भी दे रखा है पर कर्मचारियों की मिलीभगत की वजह से पीडि़त परिवार फ्री एंबुलेंस सेवा तक का लाभ उठा ही नहीं पाते और वे उन्हें किराये का एम्बुलेंस लेने के लिये विवश करते हैं।

मेहमानों पर लगाम नहीं लगाने का नतीजा

15-17 मई तक लॉकडाउन को बढ़ाने का आदेश जिस दिन जारी किया गया उसमें विवाह समारोह पर पाबंदी लगाने का निर्णय ज्यादातर जिलों ने नहीं लिया था। पर अब शादी के लिए पूर्व में दी गई सभी अनुमतियों को निरस्त कर दिया गया है। इस बीच बहुत से शुभ मुहूर्त हैं पर प्रशासन ने कोई नरमी नहीं दिखाई। दरअसल देखने में आया कि 10-20 लोगों के लिए अनुमति ली जाती है लेकिन मेहमानों की संख्या पर कोई नियंत्रण नहीं रहता है। अब इसी तस्वीर को देखिए। जैसे ही यहां छापा पड़ा प्रीति भोज का आनंद उठा रहे लोग पता नहीं कहां खिसक गए। आयोजक तर्क देते रह गए कि हम तो यहां पर चार-पांच लोग हैं। हमसे ज्यादा संख्या में तो आप लोग पहुंचे हैं। मगर राजस्व व पुलिस विभाग के अधिकारियों ने उन्हें बख्शा नहीं। उन्होंने कार्रवाई की और इसका आधार बना वहां सजाया गया डिनर का टेबल। वहां बड़े बड़े कटोरे रखे थे और कम से कम 200 लोगों का खाना तैयार था।

बाद में आयोजकों ने स्वीकार किया कि आप लोगों के पहुंचने की खबर गांव के बाहर से ही मिली और हमारे मेहमान तितर-बितर हो गए...। शादी ब्याह बड़ा संवेदनशील मामला है पर महामारी से नहीं बचेंगे तो शादी विवाह करके भी कुनबे कहां बचने वाले हैं।

अब आंध्रप्रदेश का खतरनाक वायरस

दूसरे चरण की शुरुआत में राज्य सरकार ने दावा किया कि महाराष्ट्र और उड़ीसा से आने-जाने वाले लोगों के कारण फैला। अब देश के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में मजदूर लौट रहे हैं कोई ट्रेन से तो कोई सडक़ के रास्ते से। इन्हें राज्य की सीमा पर, स्टेशन या बस स्टैंड पर ही अपना कोरोना टेस्ट कराना है। पर यह आदेश निकलने में देर हुई। तब तक हजारों मजदूर लौटकर गांव में अपने घर पहुंच चुके थे। इसी वजह से शहरी क्षेत्रों की बराबरी में ही  ग्रामीण क्षेत्रों से भी कोरोना मामले रोजाना आ रहे हैं। अब एक नई सूचना ने छत्तीसगढ़ की चिंता बढ़ा दी है। वह है बस्तर के रास्ते से आंध्रप्रदेश के नये वेरियेंट का छत्तीसगढ़ में प्रवेश करना। बीते बुधवार को आंध्रप्रदेश के एक मजदूर की कोरोना से मौत हो गई। इतनी तेजी से उसकी तबियत बिगड़ी कि लोगों ने इसे आंध्रप्रदेश का वेरियेंट बताया। हालांकि कलेक्टर ने इसका खंडन किया। आंध्रप्रदेश के नये स्ट्रेन से लोग इसीलिये घबरा रहे हैं कि इसे मौजूदा वायरस से 15 गुना ज्यादा घातक बताया जा रहा है। इसे इसे एन 440 के नाम दिया गया है। 

बस्तर के अधिकांश जिलों में छत्तीसगढ़ के बाकी हिस्सों की तरह लॉकडाउन लगा हुआ है लेकिन दूरदराज के ऐसे गांव जिन की सीमाएं आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को छूती भी हैं वहां से बसों का भी संचालन नहीं रोका जा सका है। हाल ही में सवारियों को अवैध रूप से ढोते हुए बस्तर पुलिस ने एक बस को पकड़ा था। यहां सीमाएं दूर-दूर तक बिना किसी चौकसी के फैली हुई है। ऐसे में जिला प्रशासन के लिये आंध्र और तेलंगाना से आने वालों पर सख्त निगरानी रखना जरूरी हो गया है।

लॉकडाउन में पेट्रोलियम का भाव बढऩा

जैसा कि लोगों ने अनुमान लगाया था पेट्रोल डीजल के दाम बंगाल सहित पांच राज्यों के चुनाव खत्म होने के बाद फिर बढऩे लगेंगे, ठीक वैसा ही हो रहा है। 27 फरवरी के बाद मई में लगातार तीन दिन से दाम बढ़ रहे हैं। यह तब हो रहा है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल के दाम घटे हैं, जाहिर है चुनाव के दिनों में जो मुनाफा पेट्रोलियम कम्पनियां नहीं कमा सकीं, उसकी अब वे भरपाई कर रही हैं। वैसे पूरे प्रदेश में इस समय लॉकडाउन लगा हुआ है। लोग घरों से निकल नहीं हैं। गाडिय़ों में पेट्रोल भरवाने की जरूरत नहीं पड़ रही है, पर मालवाहक तो चल रहे हैं। डीजल के दाम जो बढ़े हैं उसके चलते महंगाई तो बढ़ेगी ही।

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