राजपथ - जनपथ
वैक्सीनेशन को लेकर हिचक भारी न पड़े
छत्तीसगढ़ की उपलब्धि है कि टीकाकरण की स्थिति यहां कई विकसित कहे जाने वाले राज्यों से बेहतर है। देश के बड़े राज्यों में अपने प्रदेश का स्थान दूसरा है। पर अगली बार जब फिर से डेटा तैयार किया जायेगा तो यही तस्वीर बनी रहेगी इसकी संभावना कम दिखाई दे रही है। इसकी वजह यह है कि हर दिन टीकाकरण की रफ्तार घटती जा रही है। ज्यादातर जिलों में 20-30 प्रतिशत ही रोजाना का लक्ष्य हासिल हो पा रहा है। दरअसल, सरकारी स्तर पर वैक्सीन की कमी तो दूर कर ली गई है और अस्थायी वैक्सीनेशन सेंटर भी जगह-जगह बनाये जा रहे हैं पर एक कमी यह दिखाई दे रही है कि वहां पहुंचने वालों से कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने वाला कोई नहीं। सब मास्क लगाकर जरूर पहुंचते हैं पर ज्यादातर केन्द्रों में सैनेटाइजर नहीं है। कुछ समझदार लोग अपने साथ सैनेटाइजर ले आते हैं। दूसरी बात, दो गज की दूरी के नियम का पालन नहीं हो रहा है। वैक्सीनेशन तब तक शुरू नहीं किया जाता जब तक कम से कम 10 लोग रजिस्टर्ड नहीं हो जाते। इसके पहले वैक्सीन लगवा चुके लोगों को भी आधे घंटे तक वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट तो नहीं हो रहा है यह देखने के लिये बिठाकर रखते हैं। वैक्सीनेशन की टीम को जोड़ दें तो एक समय पर एक कमरे में 25, 30 लोगों का मौजूद होना सामान्य है। इन सबको दो गज की दूरी पर बिठाना, वैक्सीनेशन के लिये बुलाये जाने पर पर्याप्त दूरी रखते हुए अपनी बारी का इंतजार करना जरूरी है, पर इसका पालन नहीं हो रहा है। इसे देखने के लिये वालेंटियर्स की कमी भी वैक्सीनेशन सेंटर्स में महसूस हो रही है। ज्यादातर केन्द्रों में ये होते नहीं। इन दिनों छत्तीसगढ़ में जिस तेजी से कोरोना का संक्रमण बढ़ा है वैक्सीनेशन कराने के इच्छुक लोग भी थोड़ा इंतजार करना चाहते हैं, लेकिन आगे तो भीड़ इससे ज्यादा होने की उम्मीद है। क्योंकि 18 वर्ष से ऊपर के आयु वालों का रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है। मई में उन्हें भी टीके लगेंगे। लॉकडाउन खत्म हो गये तो घरों से ज्यादा लोग वैक्सीनेशन के लिये निकलेंगे।
मौका मिला गंगा नहा लिये
18 प्लस वालों का वैक्सीनेशन के लिये पंजीयन आज से शुरू हो गया है। एक मई से युवाओं को वैक्सीनेशन शुरू करने की केन्द्र सरकार की घोषणा के बीच छत्तीसगढ़ में संशय की स्थिति है। वैक्सीन का ऑर्डर तो कर दिया है पर दवा कम्पनियों ने यह नहीं बताया है कि कब आपूर्ति होगी। स्वास्थ्य मंत्री को तो लगता है कि जिस मात्रा में वैक्सीन की जरूरत है जून माह से ही युवाओं को वैक्सीन लगाने का मौका मिलेगा। इधर कल कोरबा जिले के कटघोरा अनुविभाग के दर्जनों टीकाकरण केन्द्रों में युवक कांग्रेस और सेवादल के कार्यकर्ताओं ने टीका लगवा लिया। यह तब हुआ है जब टीकाकरण तो दूर पंजीयन की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई थी। इस बारे में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर की नरमी भी ध्यान देने लायक है। कहा है- गलतफहमी में कुछ केन्द्रों में ऐसा हो गया। जानबूझकर कोई गलती नहीं की गई इसलिये किसी पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। इनका पंजीयन भी एक मई के बाद करा लिया जायेगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा तो था कि हम 18 प्लस के लिये पूरी तरह तैयार हैं पर इतनी दुरुस्त है कि समय से पहले टीका लगना शुरू हो जाये, अंदाजा नहीं था।
घबराहट से बचे रहने के दो उपाय
इन दिनों अनेक लोगों ने सोशल मीडिया, खासकर वाट्सअप खोलना बंद कर दिया है। न्यूज चैनल भी नहीं देख रहे हैं। दिल की बीमारी से पीडि़त एक 60 प्लस बुजुर्ग ने अपना नुस्खा बताया। वे कोरोना की स्थिति भयावह होने से पहले तक टीवी और वाट्सअप में पूरा दिन बिता लेते थे, समय कब कट जाता था पता नहीं चलता था। पर, उन्होंने पहला काम किया, सभी न्यूज चैनल लॉक। कोई सा भी नहीं देखना है। वाट्सएप एकाउन्ट ही मोबाइल से डिलीट। अख़बार में खबर को छोडक़र लेख, मनोरंजन की चीजें हो तो वे पढ़ते हैं। और सबसे बड़ा काम वो ये करते हैं कि डब की हुई साउथ की फिल्में टीवी औ देखते रहते हैं। वजह? उनमें हीरो का जबरदस्त एक्शन होता है। बीस बीस गुंडों को धराशायी करता है.. कांफिडेंस बढ़ता है। बॉलीवुड की फिल्मों में वो बात नहीं है।