राजपथ - जनपथ
उपजाऊ जमीन मिल गयी थी..
कोरोना का संक्रमण एकाएक तेजी से बढ़ रहा है। पिछले तीन-चार महीने से संक्रमण में कमी क्या आई, लोगों ने मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करना बंद कर दिया था। मंत्रालय में तो सैनिटाइजर टनल खराब हो गए थे। अब जब कई कर्मचारी कोरोना की चपेट में आए हैं, तो फिर एक बार आनन-फानन में सैनिटाइजर खरीदी के लिए टेंडर बुलाए गए हैं। कुछ कर्मचारियों ने सैनिटाइजर लेकर आना शुरू कर दिया है, और काम शुरू करने से पहले अपने कक्ष को सैनिटाइज करना शुरू कर दिया है। देर से ही सही लोगों को बात समझ में आ रही है कि सुरक्षा ही बचाव है। लेकिन इस समझ आने तक कोरोना को उपजाऊ जमीन मिल गई !
नाराजगी रंग लाएगी?
नारायणपुर नक्सल विस्फोट की घटना के पीछे चूक सामने आ रही है। इस घटना में डीआरजी के पांच जवान शहीद हो गए, घायलों का अभी भी इलाज चल रहा है। सीएम ने रायपुर आने के बाद गृहमंत्री और कुछ अफसरों के साथ मंत्रणा की। इस बैठक में डीजीपी को नहीं बुलाया गया था। सुनते हैं कि सीएम, डीजीपी से नाखुश चल रहे हैं। गृहमंत्री ने उनकी कार्यशैली पर अप्रसन्नता जताते हुए सीएम से पहले ही शिकायत कर दी थी। संकेत साफ है कि सीएम अलग-अलग स्तरों पर डीजीपी के खिलाफ आ रही शिकायतों को ज्यादा समय तक नजरअंदाज नहीं करेंगे।
नए सीएस ने चि_ी लिखी, तो...
आखिरकार डेढ़ साल बाद रीना बाबा साहेब कंगाले को चुनाव आयोग की अनुमति के बाद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के साथ महिला बाल विकास, और समाज कल्याण सचिव का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। दरअसल, रीना को अतिरिक्त प्रभार देने की अनुमति के लिए तत्कालीन सीएस आरपी मंडल ने आयोग को चि_ी लिखी थी। पत्र की भाषा कुछ ऐसी थी कि केन्द्रीय निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा खफा हो गए, और उन्हें अनुमति नहीं मिली। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के पास चुनाव के समय को छोडक़र कोई ज्यादा काम नहीं रहता है। ऐसे में आयोग अतिरिक्त विभाग संभालने की अनुमति दे देता है। अनुमति नहीं मिली, तो रीना को काफी इंतजार करना पड़ा। नए सीएस अमिताभ जैन ने चि_ी लिखी, तो आयोग नेे विरोध नहीं किया।
मतदान और चुनावी रैली
बढ़ते कोरोना मामलों के चलते छत्तीसगढ़ के ज्यादातर जिले नाइट कफ्र्यू के घेरे में ला दिये गये हैं। पर हैरानी यह है कि जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं वहां कोरोना नियंत्रण में हैं। 28 मार्च को पश्चिम बंगाल में पहले चरण की वोटिंग हुई। कुछ तस्वीरें भारी भीड़ की भी है, पर अधिकांश मतदान केन्द्रों में चुनाव आयोग की गाइडलाइन का पालन करते हुए गोल घेरे में दूरी बनाकर वोट डालने वालों की कतार लगाई गई। पर इसके दो दिन पहले की तस्वीर भी देखें। दो दिन पहले ही क्यों, एक माह लगातार जितनी रैलियां हुईं उनमें इतनी भीड़ रही कि लोगों ने कोरोना के खतरे को ठेंगा दिखा दिया और पुलिस, चुनाव आयोग और कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने वाले किसी संस्थान ने लगाम नहीं लगाई।
तो इतनी सूखी निकली होली
कोरोना ने होली के कई बड़े समारोहों पर ताला जड़ दिया। इस बार होली पर सडक़ें उसी तरह सूनी थी, जैसी उसके अगले दिन होती हैं। पर इस बार हुआ ये कि एक साथ तीन त्यौहार आये। होली, शब-ए-बारात और खजूर रविवार यानि ईस्टर।
होली पर पुलिस को कानून-व्यवस्था संभालने के लिये ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी, क्योंकि हुड़दंगी कम निकले।
रंग गुलाल की बिक्री थोक बाजार वाले बता रहे हैं कि 25 फीसदी ही हुई। नगाड़ों की बिक्री भी बहुत कम हुई।
बच्चों को होली में खूब आनंद आता है पर उन पर भी पहरा लगा रहा। त्यौहार, मेल-जोल का, उमंग का जरिया है। बस लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं कोरोना वायरस का प्रकोप घटे तो आने वाले त्यौहारों को पारम्परिक तरीके से मना पायें।