राजपथ - जनपथ
बंद होते जन औषधि केन्द्रों में जश्न
ब्रांडेड दवाओं की भारी कीमतों से आम लोगों को बचाने के लिये पांच साल पहले 21 फरवरी 2016 को जन औषधि केन्द्रों की शुरूआत की गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ से ही इसकी शुरुआत की थी। देशभर में एक साथ 100 केन्द्रों का भी उन्होंने ऑनलाइन उद्घाटन किया। सरकारी डॉक्टरों को केवल जेनेरिक दवायें लिखने का निर्देश मिला। ब्रांडेड दवायें लिखने पर 104 नंबर पर शिकायत करने का प्रावधान भी किया गया।
कल 7 मार्च को जब मोदी टीवी पर आये तब लोगों को ध्यान गया कि अब भी सस्ती दवायें मिल रही हैं। पर असलियत यह है कि प्रदेश में खोले गये 180 केन्द्रों में से अधिकांश बंद हो चुके हैं। वजह है दवाओं की समय पर सप्लाई नहीं होना। 732 प्रकार की जेनेरिक दवायें इन केन्द्रों के लिये सूचीबद्ध है पर इनमें से एक तिहाई भी नहीं मिलतीं। पैरासिटामॉल जैसी मामूली दवायें भी कई जगह पर उपलब्ध नहीं। अब तो डॉक्टरों की आदत भी जेनेरिक लिखने की छूट चुकी है और लोग 104 में इसकी शिकायत भी नहीं करते। पता चला है कि पहले जेनेरिक दवायें रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय खुद तैयार करता था लेकिन बाद में यह जिम्मेदारी निजी कम्पनियों को दे दी गई। इनके हाथ में ब्रांडेड दवायें बनाने का काम भी है। जेनेरिक में मुनाफा कम है, इसलिये वे समय पर आपूर्ति करने में रुचि नहीं लेते। छत्तीसगढ़ में जन औषधि केन्द्रों में दवा आपूर्ति गड़बड़ाई हुई है तो जाहिर है दूसरे राज्यों में भी इससे मिलता-जुलता हाल ही होगा। पर, जैसी खबर है, शिलांग में प्रधानमंत्री ने 7500वें केन्द्र का उद्घाटन किया है। क्या अफसरों ने योजना सफल बताने के लिये बंद हो चुके केन्द्रों को भी गिनती कर ली?
अवैध प्लॉटिंग का मकडज़ाल
प्रदेश में कांग्रेस सन् 2018 में चुनाव मैदान पर उतरी थी तो अनेक लुभावने वायदों में से एक यह भी था कि छोटे प्लॉट की रजिस्ट्री शुरू की जायेगी। ऐसा हो गया। भाजपा सरकार ने पांच डिसमिल से छोटी जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाई थी। इसके चलते जमीन खरीदी बिक्री के धंधे से छोटे निवेशक बाहर हो गये। आम लोगों को भी कम लागत पर अपना मकान बनाने का मौका नहीं मिल रहा था। फायदा बड़े कारोबारियों, अधिकारियों और नेताओं को मिला। अब छोटे प्लॉट की रजिस्ट्री की बाढ़ आई हुई है। पंजीयन विभाग आय बढऩे पर खुश है। उसने साफ कर दिया है कि वह रजिस्ट्री के वक्त यह नहीं देखती कि रेरा रजिट्रेशन, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की मंजूरी है या नहीं। गलत बिक्री है तो राजस्व विभाग का काम है कि वह नामांतरण रोक दे।
रायपुर के बाहरी हिस्से में ऐसे छोटे प्लाट 300 रुपये फ़ीट के आसपास मिल रहे हैं। वहीं अप्रूव्ड प्रोजेक्ट में उसी इलाके में 1000 रुपये से जमीन की शुरूआत होती है। कम दाम वाले प्लॉट दो-चार साल बाद बेचने पर मुनाफे का सौदा होता है। महंगे प्लाट के दाम तेजी से नहीं बढ़ते। रायपुर, बिलासपुर सहित कई बड़े शहरों में तेजी से यह धंधा चल रहा है। इस उम्मीद में भी कई लोग प्लॉट खरीद रहे हैं कि आगे चलकर मकान बना लेंगे। देर-सबेर कॉलोनी को नगर निगम अपने हाथ ले ही लेगी। राजस्व विभाग के पास हर जगह ऐसी शिकायतों का अम्बार है। तालाब, गोचर व सरकारी जमीन को दबाने की भी शिकायत है। इसके बावजूद कार्रवाई एक दो पर ही दिखावे के लिये हो रही है। शायद सरकार ने नरमी बरतने कहा हो। चुनावी वायदे का सवाल है।
भीड़ नहीं जुटा पाने पर कार्रवाई
मुंगेली की महिला कांग्रेस जिला अध्यक्ष ललिता सोनी को प्रदेश अध्यक्ष ने पद से हटा दिया और उनकी जगह पर नया अध्यक्ष जागेश्वरी वर्मा को नियुक्त कर दिया। दरअसल, कुछ दिन पहले महिला कांग्रेस ने सभी जिला मुख्यालयों में केन्द्र सरकार के खिलाफ महंगाई को लेकर प्रदर्शन करने का निर्देश दिया था। इस प्रदर्शन में कुल जमा 8 महिलायें इक_ी हुईं। स्वयं जिला अध्यक्ष पारिवारिक व्यस्तता का हवाला देते हुए नहीं पहुंचीं।
कुछ दिन पहले प्रदेशभर के जिला मुख्यालयों में जीएसटी के खिलाफ व्यापारियों के विरोध में भी कांग्रेस ने समर्थन दिया था और प्रमुख चौक-चौराहों पर पहुंचकर नारेबाजी की। ज्यादातर जगहों पर इसमें भी भीड़ नहीं जुटी। कई जिलों में तो प्रदर्शन ही नहीं हुआ।
दूसरी तरफ भाजपा ने हाल ही में राज्य सरकार के खिलाफ कुछ प्रदर्शन किये, जिसमें ठीक-ठाक भीड़ पहुंच गई। ऐसा लगता है कि सत्ता में आने के बाद कांग्रेस संघर्ष करना भूल रही है। प्रदेश के बाकी नेताओं को इसकी चिंता है या नहीं यह तो पता नहीं पर महिला अध्यक्ष फूलो देवी नेताम ने बता दिया कि उनको इसका ध्यान है।
रेस्त्रां जाकर भी फोन से...
महीनों की बेरोजगारी और फटेहाली के बाद जब रेस्त्रां शुरू हुए, तो कुछ सावधान और जिम्मेदार रेस्त्रां ने अधिक सतर्कता बरतना शुरू किया है। रायपुर के कोर्टयार्ड-मैरियट होटल के रेस्त्रां को देखें तो वहां टेबिलों पर ऐसे कागज सजे हैं जिन्हें अपने स्मार्टफोन से स्कैन करके फोन से ही सीधे खाना ऑर्डर कर सकते हैं। खाना तो इंसान ही लाकर रखेंगे, लेकिन खाने के बाद एक दूसरे निशान को स्कैन करके भुगतान कर सकेंगे। इस तरह कर्मचारियों से मिलना-जुलना, उनका मेन्यूकार्ड लाना, आखिर में बिल लाना, भुगतान के बाद बाकी चिल्हर लाना यह सब स्कैन करने से खत्म हो जाता है, और आप अपने फोन से ही इतने काम कर लेते हैं। अब इसके लिए अपने स्मार्टफोन जितना स्मार्ट भी लोगों को होना पड़ेगा, और फोन से भुगतान की सुविधा भी जरूरी होगी। लेकिन कुल मिलाकर लोग कम मिलने, कम छूने के रास्ते निकाल रहे हैं, यह रेस्त्रां उस दिशा में दो कदम आगे बढ़ा है।