राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बड़े काम का श्रेय किसी एक को नहीं...
02-Mar-2021 5:35 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बड़े काम का श्रेय किसी एक को नहीं...

बड़े काम का श्रेय किसी एक को नहीं...

बिलासपुर से हवाई सेवा शुरू होने के मौके पर रखे गये समारोह में मंच पर सभी दलों के नेता थे, लेकिन विपक्ष के नेता भारी पड़ रहे थे। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अपनी बारी आई तो गिनाया कि छत्तीसगढ़ राज्य बना, हाईकोर्ट और रेलवे जोन बिलासपुर को मिला तब अटल बिहारी बाजपेयी ही प्रधानमंत्री थे। और आज जब यहां से हवाई सुविधा शुरू हुई है, तब भी केन्द्र में भाजपा की सरकार है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी है। (वैसे कांग्रेस के कार्यकाल में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, एनटीपीसी और एसईसीएल मिला है, जो अपने वक्त की बड़ी मांगें थीं।)

बस, फिर क्या था- मंच के सामने एकजुट होकर बैठे भाजपाईयों ने मोदी, मोदी, मोदी, नारे लगाना शुरू कर दिया। जिले के प्रभारी मंत्री गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू की बारी आई तो उन्होंने धीमे से पलटवार किया। सब मोदी ही दे रहे हैं तो कौशिक जी बतायें कि पिछले कार्यकाल में जब डॉ. रमन सिंह सीएम थे और दिल्ली में मोदी की ही सरकार थी, तब हवाई सुविधा शुरू क्यों नहीं हुई? यह तो भूपेश बघेल जी हैं, जिन्होंने हवाईअड्डे के लिये 27 करोड़ रुपये मंजूर कर दिये, जिसके चलते हवाईपट्टी तैयार हो पाई और उड़ानें चालू हुईं। आगे बात समेटते हुए साहू ने कहा कि जब कोई बड़ा काम होता है तो सबका योगदान रहता है। किसी एक दल या किसी एक व्यक्ति को श्रेय नहीं जाता।

जिला प्रशासन ने 30 से ज्यादा विशिष्ट अतिथि बुलाकर कार्यक्रम को गैर राजनीतिक बनाने की पूरी कोशिश की थी लेकिन तमाम नेता एक मंच पर बैठे हों तो राजनीति घुसनी ही थी।

पुलिस एक लिस्ट इनकी भी बनाये..

एक सप्ताह में दूसरी बार कांग्रेस नेताओं को अपने कार्यकर्ताओं की हरकतों से शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। किसी लडक़ी से अश्लील हरकत करते हुए वीडियो कॉल वायरल होने के बाद कोंडागांव के शहर कांग्रेस अध्यक्ष जितेन्द्र दुबे को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। अब अम्बिकापुर से युवक कांग्रेस के प्रदेश सचिव दीपक मिश्रा के खिलाफ थाने में घुसकर एक सिपाही से मारपीट करने को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है। महकमे के जवान पर हुए हमले के बावजूद पुलिस दबाव में थी और घंटों बाद रिपोर्ट लिखी जा सकी। प्रदेश युवक कांग्रेस ने अपने पदाधिकारी को पार्टी के पद से हटाते हुए जांच कमेटी बनाई गई है और पुलिस से निष्पक्ष कार्रवाई करने के लिये कहा है। मालूम तो यह भी हुआ है मारपीट में शामिल अन्य लोगों में एक और व्यक्ति कांग्रेस में किसी पद पर नहीं है लेकिन एक मंत्री का करीबी है।

भाजपा ने सतर्क विपक्ष की तरह दोनों मुद्दों को हाथों-हाथ लिया, लेकिन एक दो मामले तो उनकी पार्टी में भी कुछ दिन पहले ही हुए। दिसम्बर माह में राजनांदगांव में एक भाजपा पार्षद गगन आईच पर सरेराह दो युवतियों से छेड़छाड़, गाली-गलौच और और मारपीट का आरोप लगा। पुलिस ने करीब आधा दर्जन धाराओं में उसके खिलाफ अपराध दर्ज किया। इसी जिले के खैरागढ़ में एक भाजपा नेता और पूर्व पार्षद शेष नारायण यादव के खिलाफ छेडख़ानी और मारपीट का अपराध दर्ज किया गया। यह घटना बीते 26 जनवरी की है। पीडि़ता गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होकर लौटी थी। डोंगरगांव में मानव तस्करी का मामले की जांच में पुलिस गहराई में उतरी तो पता चला कि यह तो एक संगठित गिरोह चलाने वालों का काम है। इसमें रायपुर से गिरफ्तार महिला गंगा पांडे भाजपा से जुडी थी और उसके पति को एक पूर्व मंत्री का करीबी होने की बात भी सामने आई।

छत्तीसगढ़ में अपराधों का ग्राफ ऊपर जा रहा है। भाजपा तो अभी-अभी इसे अपराधगढ़ कहा था। ऐसे मामले सामने आते जायेंगे तो पुलिस का काम बढ़ जायेगा। एक अलग कॉलम बनाकर रिकॉर्ड रखना होगा कि अपराधियों, आरोपियों में नेतागिरी करने वालों की तादात कितनी है।

कोरोना हुआ तो पालक जिम्मेदार!

नवमीं और 11वीं की परीक्षायें ऑफलाइन मोड में लेने की छूट मिलने के बाद केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल की वार्षिक परीक्षायें शुरू हो गईं। ऑफलाइन क्लासेस में बच्चों की उपस्थिति जहां 10-20 फीसदी ही चल रही थी, वहीं मामला परीक्षा का था, इसलिये अधिकांश स्कूलों में 100 प्रतिशत उपस्थिति देखी जा रही है। हालांकि पालक चिंतित भी हैं। राजधानी के एक बड़े स्कूल में तो पालक अड़ गये। ऑफलाइन परीक्षा के लिये बच्चों को भेजने से मना कर दिया। मजबूरन स्कूल को परीक्षायें रद्द करनी पड़ी। पालकों के विरोध की एक वजह है कि ऑनलाइन पैटर्न में पूरी क्लासेस चली, जिसमें सीखने-समझने का तरीका अलग था। अब केवल परीक्षा क्यों ऑफलाइन ली जा रही है। हैरानी यह है कि कई स्कूल प्रबंधक स्कूल आने वाले छात्र-छात्राओं के पालकों से एक फॉर्म पर दस्तखत भी करा रहे हैं। इसमें लिखा गया है कि यदि बच्चों को कोरोना होगा तो स्कूल प्रबंधन नहीं, पालक ही जिम्मेदार होंगे। यह फॉर्म किसके निर्देश पर भरवाया जा रहा है? शादी, ब्याह, त्यौहारों में भीड़ इक_ी होने पर सरकार ने साफ-साफ निर्देश जारी किया है कि इसके लिये आयोजक जिम्मेदार होंगे। फिर स्कूलों में ऐसा क्यों? स्कूलों में बच्चों को बुलाकर एक जगह इक_ा कर रहा है प्रबंधन, और कोई कोरोना से पीडि़त हो जाये तो जिम्मेदार अभिभावक?   

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