राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक और छत्तीसगढ़ भवन
20-Feb-2021 6:15 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक और छत्तीसगढ़ भवन

एक और छत्तीसगढ़ भवन

दिल्ली के द्वारका में करोड़ों की लागत से एक और छत्तीसगढ़ भवन का निर्माण हो रहा है। निर्माण एजेंसियां नए कार्यों में विशेष रूचि लेती हंै। तभी तो प्राइम लोकेशन में स्थित पुरानी प्रापर्टी को खरीदने के बजाए नए भवन के निर्माण का फैसला लिया गया।

दिल्ली में विशिष्ट लोगों के ठहरने के लिए छत्तीसगढ़ भवन और छत्तीसगढ़ सदन पहले से ही मौजूद है। इनमें से छत्तीसगढ़ भवन राज्य बंटवारे में मिला था। यह भवन सरदार पटेल मार्ग पर स्थित है, जहां कई और राज्यों के भवन हैं। सरकार ने लोगों की बढ़ती आवाजाही को देखते हुए उनके ठहरने के लिए एक और भवन बनाने का फैसला लिया।

कुछ लोगों का सुझाव था कि नए निर्माण के बजाए छत्तीसगढ़ भवन से कुछ कदम की दूरी पर स्थित विजय माल्या की प्रापर्टी को खरीद लिया जाए। शराब कारोबारी विजय माल्या की प्रापर्टी को बैंक नीलाम कर रही थी। विजय माल्या का यह बंगला आलीशान है, और छत्तीसगढ़ भवन के नजदीक होने के कारण सुविधाजनक भी था। बंगले की कीमत भी नव निर्मित बंगले के बराबर ही बैठ रही थी।

मगर सरकारी स्तर पर नीलामी में हिस्सा लेने का कोई फैसला हो पाता, इससे पहले ही यस बैंक के लोगों ने ही नई कंपनी बनाकर बंगले को खरीद लिया। कुल मिलाकर प्राइम लोकेशन की एक बेहतर प्रापर्टी हाथ से निकल गई। वैसे भी नए निर्माण का अलग ही मजा होता है।

नंदकुमार साय और जैविक खेती

किसान आंदोलन के बीच छत्तीसगढ़ के दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय जैविक खेती को बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं। वे इसके लिए मुहिम भी चला रहे हैं, और चाहते हैं कि केन्द्र सरकार इसके लिए ठोस कदम उठाए। वे खुद खेती में रासायनिक खाद का उपयोग नहीं करते, और जशपुर जिले के किसानों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं।

पिछले दिनों साय इस सिलसिले में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से भी मिले। किसान आंदोलन की टेंशन के बावजूद तोमर ने साय से गर्मजोशी से मुलाकात की। नंदकुमार साय अविभाजित मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे, तब तोमर संगठन में प्रदेश मंत्री के पद पर थे। तोमर ने साय के सुझाव को काफी महत्व दिया है। देखना है कि सरकारी स्तर पर इस पर कितना अमल किया जाता है।

शिकारियों की ढूंढ निकालने में माहिर सिम्बा, नैरो

इन दिनों वन विभाग के पास मौजूद दो प्रशिक्षित डॉग कमाल कर रहे हैं। ये मुंगेली जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व (एटीआर) में तैनात डॉग नैरो और सिंबा हैं। जब इन्हें लाया गया तो यही मंशा थी कि यहीं के जंगल में होने वाले शिकार और लकडिय़ों की कटाई करने वाले अपराधियों की खोज में मदद मिले, पर इनकी प्रदेशभर में मांग हो रही है। कवर्धा वनमंडल के सहसपुर लोहारा परिक्षेत्र में करंट लगाकर बीते 16 फरवरी को एक तेंदुए को शिकारियों ने मार डाला था। वन विभाग की टीम ने अपनी तरफ से अपराधियों का पता लगाने की कोशिश की लेकिन जब कोई सुराग नहीं मिला तो एटीआर से एक डॉग सिम्बा को वहां बुलाया गया। सिम्बा ने दो शिकारियों को पहचान लिया और वन विभाग ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों ने अपना जुर्म भी कबूल किया है।

वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि 6 साल की उम्र वाले इन कुत्तों के खाते में पिछले चार साल के दौरान दो दर्जन से ज्यादा कामयाबी हाथ लग चुकी है। चीतल, तेंदुआ, सांभर, बाघ, हाथी के शिकारियों की गर्दन इन्होंने नापी है। कई बार तो नाखून के हिस्से को भी सूंघकर शिकारियों तक पहुंच चुके हैं। ये बस्तर से लेकर सरगुजा तक छत्तीसगढ़ के हर कोने में जा चुके हैं।

वैसे प्रशिक्षित कुत्तों के जरिये अपराधियों तक पहुंचने का काम तो काफी पहले से लिया जा रहा है। पुलिस अपराधियों के ठिकाने तक पहुंचने के लिये तो आरपीएफ संदिग्ध सामानों की तलाशी में इसका इस्तेमाल करती ही है। बस्तर में तो विस्फोटक ढूंढने के लिये एक बार आवारा कुत्तों को भी प्रशिक्षित करने की योजना बनी। नेरो और सिम्बा के हाथ जो कामयाबी लग रही है उसे देखते हुए आने वाले दिनों में पुलिस भी इनकी सेवायें लेने पर विचार करे तो कोई आश्चर्य नहीं।

लाइट मेट्रो क्या है?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लाइट मेट्रो परियोजना के लिये बजट में 11 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान कर रखा है। छत्तीसगढ़ के नगरीय प्रशासन मंत्री ने दिल्ली में केन्द्रीय आवास व शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी से मिलकर लाइट मेट्रो की मांग रख दी है। याद होगा कि भाजपा शासनकाल के दौरान रायपुर से प्रमुख शहरों के लिये मेट्रो रेल चलाने का प्रस्ताव दिया गया था। उस समय मेट्रो मैन ई. श्रीधरन ने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को बताया था कि यात्रियों की संख्या तथा निर्माण व संचालन में आने वाले खर्च की तुलना करें तो अभी इसकी आवश्यकता नहीं है।

लाइट मेट्रो नई यातायात सेवा है। दिल्ली में ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन पिछले साल शुरू हो ही चुकी है। इस साल वहां से लाइट मेट्रो शुरू हो सकती है। उत्तरप्रदेश सरकार ने भी गोरखपुर, प्रयागराज और मेरठ में लाइट मेट्रो चलाने की योजना बनाई है।  लाइट मेट्रो सडक़ के समानान्तर चलने वाली एक मिनी ट्रेन की तरह होगी, जिसकी सवारी क्षमता 300 होती है।। स्टेशन बस स्टैंड की तरह होंगे। कोलकाता में मेट्रो ट्रेन को चलते हुए हमने देखा ही है, पर लाइट मेट्रो सडक़ों से नहीं बल्कि उसके किनारे से गुजरेगी और आवश्यकतानुसार इसके लिये पुल पुलियों की चौड़ाई बढ़ाई जायेगी। परियोजना की निर्माण लागत भी कम होती है और संचालन का भी खर्च कम होता है। 

छत्तीसगढ़ में मंजूरी मिली तो नया रायपुर, रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव जैसे शहरों को इससे जोड़ा जा सकता है। रायपुर में अस्त-व्यस्त होती यातायात व्यवस्था को ठीक करने में मदद मिलेगी। छत्तीसगढ़ की राजधानी से प्रमुख शहरों के बीच आवागमन के साधन सीमित हैं। बसों और लोकल ट्रेनों की संख्या कम तो है ही रोज आना-जाना करने वालों के लिये यह खर्चीला भी है। ऐसे में लाइट मेट्रो मंजूर होती है तो छत्तीसगढ़ के लिये एक उपलब्धि ही होगी।

वैसे, नगरीय प्रशासन विभाग को सिटी बसों के भी पूर्ववत सुचारू संचालन के बारे में भी सोचना चाहिये। खासकर राजधानी रायपुर व बिलासपुर में कोरोना के बाद बंद बसों के चलते रोजाना हजारों लोग एक जगह से दूसरे जगह पहुंचने में दिक्कतों का सामना कर रहे हैं।

रंग-बिरंगी गोभी

कुछ वर्ष पहले जब छत्तीसगढ़ के मॉल में सब्जियों की बिक्री शुरू हुई तो फ्रीजर में रखी कुछ साफ-सुथरी रंगीन सब्जियां ध्यान खींचती थी और ग्राहक उसकी कोई भी कीमत देकर खरीदना चाहते थे। इनमें से एक थी ब्रोकली। यह गोभी का ही एक प्रकार है जिसका छत्तीसगढ़ में उत्पादन नहीं लिया जाता था, क्योंकि इसके बीज के बारे में पता नहीं था। अब ब्रोकली का उत्पादन छोटे रकबे के किसान भी करने लगे हैं। बाजार में यह मॉल के मुकाबले चौथाई कीमत पर उपलब्ध है। इसी तरह फूलगोभी की जानी पहचानी वैरायटी सफेद रंग की या फिर हल्का पीलापन लिये होता है। पर अब गांवों में चार पांच रंगों की गोभियां उगाई जाती हैं। इनमें लाल, चटक पीला, हरा और बैंगनी रंग शामिल है। मस्तूरी, मल्हार के एक किसान ने इसी तरह की अलग-अलग रंगों की गोभी अपने खेत में बोई है। वे बताते हैं कि इसकी कीमत आम गोभी से ज्यादा मिल जाती है और इसकी खेती काफी फायदेमंद है।

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