राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मंदिर के लिए बैठे एक साथ
17-Jan-2021 5:54 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मंदिर के लिए बैठे एक साथ

मंदिर के लिए बैठे एक साथ

भाजपा के छोटे-बड़े नेता राम मंदिर के लिए चंदा एकत्र करने में जुट गए हैं। सुनते हैं कि पूर्व सीएम रमन सिंह ने तो दो दिन पहले अपने घर पर बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल और राजेश मूणत के साथ बैठक भी की थी। चर्चा है कि बैठक में बड़े कारोबारियों की सूची तैयार की गई, और उनसे संपर्क कर राम मंदिर के लिए सहयोग राशि लेने का फैसला लिया गया। प्रदेश के बड़े कारोबारी पिछले 15 सालों में इन्हीं चारों के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क में रहे हैं, और ये नेता संकट के समय में उनका सहयोग करते रहे हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इन दिग्गजों के आगे आने पर कारोबारी राम मंदिर के लिए सहयोग करने में पीछे नहीं रहेंगे।

आरएसएस भी चंदा जुटाने के लिए अभियान चला रही है। पिछले दिनों जागृति मंडल में व्यापारी संगठनों को आमंत्रित किया गया था। इसमें आरएसएस पदाधिकारियों ने व्यापारियों से राम मंदिर के लिए सहयोग राशि देने की अपील की। एक व्यापारी ने पूछ लिया कि अगर 21 लाख रूपए चंदा देते हैं, तो मंदिर प्रागण में उनका नाम लिखा जाएगा? या फिर राम मंदिर दर्शन के लिए जाते हैं, तो उनके ठहरने का मुफ्त में इंतजाम होगा? इस पर आरएसएस पदाधिकारी ने जवाब दिया कि ऐसी कोई भी उम्मीद पालना गलत होगा। अभी सिर्फ मंदिर निर्माण के लिए चंदा एकत्र करना है। दानदाताओं को वहां कोई विशेष सुविधाएं मिलेंगी या नहीं, यह अभी साफ नहीं है।

नेता के हाऊसिंग प्रोजेक्ट की तरफ

 रायपुर पश्चिम के इलाके की एक हाउसिंग प्रोजेक्ट की जमकर चर्चा है। यह प्रोजेक्ट कांग्रेस के एक नेता की है, और इसमें धनाढ्य लोग काफी रूचि ले रहे हैं। हल्ला तो यह भी है कि नेता के प्रोजेक्ट ने भाजपा के पूर्व मंत्री की अप्रत्यक्ष भागीदारी वाली विधानसभा मार्ग स्थित हाउसिंग कॉलोनी को पीछे छोड़ दिया है, जिसे मध्य भारत की सबसे लक्जरी कॉलोनी बताया जा रहा था।

सुनते हैं कि नेता के प्रोजेक्ट में समता कॉलोनी और अन्य क्षेत्रों के लोगों ने काफी निवेश किया है। समता कॉलोनी में पेयजल और अन्य कई तरह की समस्याएं पैदा हो रही है। इसके चलते वहां के  धनाढ्य लोग कांग्रेस नेता के हाऊसिंग प्रोजेक्ट की तरफ रूख कर रहे हैं। चर्चा तो यह भी है कि इस हाऊसिंग प्रोजेक्ट की कुछ जमीन को लेकर समस्याएं भी हैं। मगर निवेशकर्ता निश्चिंत हैं। वजह यह है कि नेता लालबत्ती धारी भी हैं। ऐसे में थोड़ी बहुत कुछ समस्याएं होंगी भी, तो उसे निपटाने में नेता सक्षम हैं। स्वाभाविक है कि पार्टी की सरकार में हो, तो कारोबारी अड़चनें आसानी दूर हो जाती हैं ।

पहली बार हो रहा है कि

भाजपा में गुटबाजी रोकने के लिए पहल हो रही है। इस काम में खुद महामंत्री (संगठन) पवन साय लगे हैं। पवन साय बेहद शालीन और लो-प्रोफाइल में रहने वाले नेता हैं। पिछले दिनों दुर्ग के तीनों जिलाध्यक्ष अपनी कार्यकारिणी की मंजूरी के लिए कुशाभाऊ ठाकरे परिसर पहुंचे, तो पवन साय ने यह कहकर रोक दिया, कि जिले के सभी प्रमुख नेताओं से चर्चा करने के बाद कार्यकारिणी की घोषणा करना ठीक रहेगा।

यह बात किसी से छिपी नहीं है, कि दुर्ग भाजपा में काफी विवाद है, और तीनों जिलाध्यक्ष सरोज पाण्डेय के खेमे के माने जाते हैं। विवाद के कारण तो कुछ मंडलों के भी चुनाव नहीं हो पाए थे। सुनते हैं कि पवन साय खुद सांसद विजय बघेल, प्रेमप्रकाश पाण्डेय और विद्यारतन भसीन व अन्य प्रमुख नेताओं के साथ कार्यकारिणी को लेकर बैठक करेंगे। ये नेता सरोज पाण्डेय के विरोधी माने जाते हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है कि विशेषकर दुर्ग में अब असंतुष्टों की भी बात सुनी जाएगी। इससे पहले तक तो सरोज की राय पर ही मुहर लगती रही है।

मुफ्त की जगह वैक्सीन की कीमत ली जाती तो?

कोविड टीकाकरण अभियान के लिये पूरे प्रदेश में शनिवार की सुबह उत्साह का वातावरण था। पर शाम होते-होते जब आंकड़े आये तो बहुत भरोसा जगाने वाला नहीं रहा। प्रदेश में केवल 61 प्रतिशत रजिस्टर्ड लोगों ने टीका लगवाया। बहुत से लोगों ने सेंटर पहुंचने के बाद बीमारी की बात बताई, जिसके चलते उनका इलाज शुरू किया गया, ग्लूकोज़ बोतलें भी चढ़ानी पड़ी। ये सब टीके से बच गये। पर कई लोग तो पहुंचे ही नहीं। बिना कोई कारण बताये। डॉक्टर्स हैरान हैं कि आंकड़ा इतना कम क्यों रहा। यह तो फ्रंटलाइन पर कोरोना मरीजों के बीच जोखिम भरी ड्यूटी निभाने वालों की सूची थी, जिन्हें कोरोना से बचाव के लिये ज्यादा उत्साहित होकर सामने आना था।

एक वैक्सीनेशन सेंटर में डॉक्टर बात कर रहे थे। उनका निष्कर्ष यह था कि एक तो पहले ही सरकार ने इसे लोगों की मर्जी पर छोड़ दिया है। लोग लापरवाह हो गये। सरकार और विशेषज्ञों के तमाम रिपोर्ट्स के बावजूद वे संतुष्ट होना चाहते हैं कि टीके का कोई रियेक्शन तो नहीं होता। दूसरी बात वैक्सीन मुफ्त लगाई जा रही है। मुफ्त की जगह टोकन के तौर पर ही इसकी कोई कीमत तय कर दी जाती तो शायद पहले टीका लगवाने की होड़ मच जाती।

40 फीसदी बचे वैक्सीन का सही इस्तेमाल

कोविड टीकाकरण अभियान के पहले दिन फ्रंटलाइन वर्कर्स को पहले चुना गया तो लोग सवाल कर रहे थे कि देश प्रदेश के प्रमुख लोगों को, अफसरों और नेताओं को पहले टीका लगवाकर क्यों उदाहरण पेश नहीं करना चाहिये। यह टीके के प्रति लोगों में भरोसा बढ़ायेगा। सरकार ने कहा कि नहीं- पहले कोविड अस्पतालों में काम करने वालों को टीका लगवायें। अगर नेताओं ने दिलचस्पी दिखाई तो कार्यकर्ता भी लाइन लगा लेंगे और जिन्हें ज्यादा जरूरी है वे वंचित रह जायेंगे। तर्क मान लिया गया और ऐसा ही किया गया। हालांकि रायपुर, बिलासपुर में कई जाने-माने डॉक्टरों ने आगे आकर खुद टीका स्वास्थ्य कर्मचारियों का हौसला बढ़ाने के लिये लगवाया। इसके बावजूद रिपोर्ट आई है कि छत्तीसगढ़ ही नहीं देश में भी आंकड़े 60 प्रतिशत के आसपास ही रहे और 40 प्रतिशत वैक्सीन बच गये। यानि वैक्सीन की कमी होने की चिंता फिलहाल नहीं है। इसलिये अब जरूर कुछ नेताओं, बड़े अफसरों को बचा हुआ टीका लगवा लेना चाहिये। सोमवार से अभियान फिर शुरू हो रहा है। ऐसा करेंगे तो टीकाकरण की रफ्तार बढ़ेगी।

चालू करते ही रिपब्लिक दर्शन

एक्टिविस्ट व सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण द्वारा रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी और बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच कथित चैट को सोशल मीडिया पर जारी करने के बाद से ही सनसनी फैली हुई है। इस चैट को भरोसेमंद मानने वाले हैरान है कि पीएमओ और मंत्रिपरिषद् में अर्णब की कितनी पकड़ है, देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों पर भी वे कहां तक घुसे हुए हैं। सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और इंडिया टीवी के रजत शर्मा के बारे में क्या राय है।

छत्तीसगढ़ में भी अर्णब गोस्वामी के खिलाफ कांग्रेस नेताओं ने सोनिया, राहुल, नेहरू पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई थी। फिलहाल आगे की कार्रवाई पर अदालती रोक लगी हुई है।

जो लोग रिपब्लिक टीवी को नापसंद करते हैं उनमें से कई घरों में एक केबल नेटवर्क ऐसा भी लगा हुआ है जिसमें टीवी ऑन करते ही सबसे पहले रिपब्लिक ही दिखाई देता है। आप चैनल बदलना है तो बदलते रहिये, पसंद न हो तब भी सबसे पहले कुछ देर तक रिपब्लिक का दर्शन करना ही होगा। ऐसा भी नहीं है कि इसलिये यह चैनल दिखाई देता है क्योंकि वह क्रम में पहले है। एक उपभोक्ता ने इसकी शिकायत अपने केबल ऑपरेटर से की, तो बताया कि पूरे छत्तीसगढ़ में हमारे नेटवर्क में ऐसी सेटिंग है। वह नहीं बदल सकता। यह भी बताया यह जा रहा है कि यह नेटवर्क फ्रैंचाइजी जिन लोगों के हाथ में है वे प्रदेश के कांग्रेस नेताओं के ही बड़े समर्थक माने जाते हैं।

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