राजपथ - जनपथ
साइबर क्राइम से कैसे निपटे पुलिस?
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का जिस तरह चलन बढ़ रहा है लोग जालसाजी के भी उसी गति से शिकार हो रहे हैं। साथ ही निजता पर भी संकट खड़ा हो रहा है। बेंगलूरु से डेटा चोरी की बड़ी ख़बर आई है। एक साइबर सेक्यूरिटी रिसर्चर राजशेखर ने दावा किया है कि देश के करीब 10 करोड़ क्रेडिट और डेबिट कार्ड धारकों का डेटा हासिल कर इसे विदेशी कम्पनियों को बेचा जा रहा है। यह एक पेमेन्ट गेट वे जस पे के जरिये लीक किये जाने की बात सामने आ रही है। बिक्री भी नगदी लेन-देन करके नहीं बल्कि क्रिप्टो करंसी बिटक्वाइन के जरिये की जा रही है।
इस खुलासे में यह भी बताया गया है कि कार्ड की डिटेल के साथ मोबाइल नंबर्स, इन्कम लेवल, ई मेल आईडी, पैन नंबर आदि भी लीक हुए हैं। पहले भी इस रिसर्चर ने 70 लाख से ज्यादा लोगों के डिटेल लीक होने का दावा किया था। छत्तीसगढ़ भी डेटा लीक और ऑनलाइन ठगी की समस्या से जूझ रहा है। मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने में चूक हुई, फोन कॉल के झांसे में आये और एक झटके में लोगों की जीवन भर की कमाई साफ हो रही है। पेमेन्ट गेट वे से आसानी से एक खाते से दूसरे खाते में राशि चली जाती है। परम्परागत तरीके से काम करने वाली पुलिस को साइबर क्राइम से लडऩे के लिये नये तरीके से प्रशिक्षित करने की जरूरत आ पड़ी है साथ ही बैंकों को अपना सुरक्षा तंत्र मजबूत कर ठगों की पहुंच से उपभोक्ताओं को बचाने का इंतजाम करना होगा। हालांकि बैंकों को अपनी एटीएम मशीनों को भी ठीक करने की जरूरत है। हाल ही में जगदलपुर और बिलासपुर से करीब डेढ़ करोड़ रुपये साफ कर लिये गये थे।
वैक्सीन को लेकर ऊहापोह...
कोरोना वैक्सीन अब बस लगने ही वाली है। मॉक ड्रिल हो चुकी है। जिन दो लोगों पर पहला ट्रायल किया गया उनमें से एक महिला की तबियत बिगड़ गई। इससे यह सवाल खड़ा होने लगा है कि वैक्सीन 100 फीसदी सुरक्षित है भी या नहीं। न्यूज चैनलों और अखबारों में इस पर बहस हो रही है। बहुत लोगों का मानना है कि किसी भी रोग प्रतिरोधक वैक्सीन के लिये सालों तक लम्बे रिसर्च की जरूरत पड़ती है। यह वैक्सीन तो छह-आठ माह में बना ली गई। हड़बड़ी से नुकसान हो सकता है। संभवत: इसीलिये एक जोन में एक बार में केवल 100 लोगों को डोज देने का निर्णय लिया गया है।
छत्तीसगढ़ में हर दिन करीब 2000 लोगों को वैक्सीन देने की तैयारी की गई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की यह घोषणा भी लोगों को उत्साहित नहीं कर सकी, जिसमें उन्होंने सभी को फ्री में वैक्सीन लगाने की बात कही थी। बिहार में तो भाजपा का यह एक चुनावी वायदा भी था। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे भाजपा का वैक्सीन बताते हुए लगवाने से मना कर दिया है। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा है कि जनमानस में वैक्सीन के प्रति विश्वसनीयता बढ़ाने से ही टीकाकरण अभियान सफल हो सकता है। सरकारों के प्रतिनिधियों को सामने आना चाहिये। दूसरी ओर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कह दिया है कि वे वैक्सीन नहीं लगवायेंगे।
कोरोना वैक्सीन की विश्वसनीयता सौ फीसदी तय नहीं हुई है तो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को ही क्यों इसके ट्रायल के लिये चुना जाये। सार्वजनिक स्थानों पर तो राजनेता ज्यादा दिखाई पड़ते हैं। कोरोना का खतरा उन्हें भी तो है। क्यों नहीं उनसे ही वैक्सीन लगवाने की शुरूआत हो।
इस बार मेलों का क्या होगा?
माघ महीने में छत्तीसगढ़ में जगह-जगह मेले लगते हैं। आधुनिकता की चमक गांवों तक पहुंच चुकी है लेकिन मेलों का क्रेज खत्म नहीं हुआ। शिवरीनारायण जैसी जगहों पर तो मेला महीने भर का उत्सव होता है। पिछली बार मेले खत्म होने के कुछ दिन बाद कोरोना का प्रकोप फैलने लगा था। इसके बाद सभी धार्मिक स्थलों में ताले लग गये थे। नवरात्रि पर डोंगरगढ़, रतनपुर आदि में मेले लगा करते हैं, पर इस बरस नहीं लगे। माघ का मेला-झूला सिर्फ मनोरंजन और मेल-मिलाप का माध्यम नहीं बल्कि सैकड़ों लोगों के लिये रोजगार भी लेकर आता है। नये साल के आगमन पर कुछ शर्तों पर कार्यक्रम रखने की अनुमति दी गई थी, पर खुले में नहीं, जबकि मेले तो खुली जगह पर ही लगते हैं।