राजपथ - जनपथ
डॉ. ध्रुव को मरवाही में 20 साल किसने टिकाया?
मरवाही में कांग्रेस की जीत के बाद कई किस्से निकल कर आ रहे हैं। डॉ. के. के. धु्रव के लिये यह प्लस प्वाइंट था कि बीते यहां 20 साल तक चिकित्सा अधिकारी थे। पहले बीएमएचओ फिर सीएमएचओ। इतने सालों में मरवाही के एक-एक गांव में वे पहचाने जाने लगे। इतने अधिक की जन्म स्थान होने के बाद भी भाजपा उम्मीदवार डॉ. गंभीर सिंह पर वे भारी पड़ गये। कुछ ग्रामीण कहते मिले कि डॉ. ध्रुव हमारे लिये 'देवताÓ हैं।
इन सबके बीच सवाल यह उठता है कि आखिर 20 साल वे एक ही जगह पर टिके कैसे रहे? मालूम हुआ कि स्व. अजीत जोगी के वे चहेते डॉक्टर थे। मरवाही के लोगों को अच्छा इलाज मिले इसके लिये उन्होंने डॉ. धु्रव को मरवाही छोडऩे नहीं दिया। अगर कभी तबादला हो भी जाता था तो स्व. जोगी रुकवा दिया करते थे या वापस बुला लेते थे। संयोग देखिये, डॉ. ध्रुव ने डॉक्टरी छोड़कर उनकी सीट ही संभाल ली। थोड़ा दर्द भाजपा को भी हो रहा होगा कि उनकी सरकार के रहते हुए ही डॉ. ध्रुव ने वहां पैठ जमा ली। वैसे डॉ. ध्रुव के कंधे से कभी स्टेथोस्कोप हटता नहीं । चुनाव प्रचार के दौरान भी इसे वे लटकाये रहते थे। प्रचार के साथ-साथ मरीज मिलने पर उनकी जांच भी करते जा रहे। काउन्टिंग के दिन भी मतगणना स्थल के बाहर वे मरीजों की जांच करने लगे। डॉ. ध्रुव कहते हैं स्टेथेस्कोप उनकी पहचान है। जिस डॉक्टरी सेवा ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है उसे कभी छोड़ेंगे नहीं।
प्रवासियों के इलाके में कम कोरोना मौतें
कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों में जांजगीर-चाम्पा जिले की स्थिति प्रदेश में ज्यादा ठीक है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 100 से ज्यादा मौतों वाले जिले दुर्ग, रायपुर, रायगढ़, बिलासपुर, राजनांदगांव और जांजगीर-चाम्पा है। जांजगीर चाम्पा में मौत का आंकड़ा केवल एक प्रतिशत है। यह वही जिला है जहां से सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर हैं। जांजगीर-चाम्पा में स्वास्थ्य की सेवायें भी बहुत बेहतर नहीं है। जरा भी गंभीर केस होता है तो मरीज को सिम्स बिलासपुर अथवा एम्स रायपुर या फिर कोरबा कोविड अस्पताल रेफर किया जाता है। यहां 12 हजार 866 संक्रमितों में 130 की मौत हुई। यानि मौत का आंकड़ा करीब एक प्रतिशत रहा। दूसरी तरफ रायपुर, दुर्ग जहां प्रवासी मजदूर की संख्या कम रही और स्वास्थ्य सेवायें भी कुछ बेहतर है, मृत्यु का दर बढ़ा हुआ मिला। सर्वाधिक मृत्यु 2.8 प्रतिशत दुर्ग में हुई। यहां 17065 मरीजों के पीछे 486 की मौत हो गई। रायपुर में सर्वाधिक 42 हजार 757 मरीज मिले, जिनमें से 1.4 प्रतिशत, 625 की मौत हुई।
सटोरियों के बाद जुआरियों की मौज
आईपीएल में जगह-जगह सट्टेबाजी हुई। लोग बंगलों, होटलों में ही नहीं बल्कि कार पर, जंगल में और प्रदेश से बाहर गोवा, मुम्बई जैसी जगहों से भी सट्टा लगा रहे थे। जितना सट्टा खेला गया होगा उसका एक प्रतिशत भी शायद ही पुलिस के हाथ में आया हो। अब आईपीएल खत्म हुआ और बारी दीपावली की आ गई। जुएं के फड़ जगह-जगह लग रहे हैं। कुछ लोग इसे परम्परा में शामिल बताते हैं और घर पर परिवार के बीच भी खेलते हैं। गृह मंत्री और पुलिस विभाग के आला अफसर लगातार जुए सट्टे के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये अपने मातहतों को निर्देश भी देते हैं। पुलिस की ओर से पेश किये जाने वाले आंकड़े तो जबरदस्त हैं। रायपुर की देखें तो रोजाना दर्जनों कार्रवाई हो रही है। पर जब्ती बताती है कि ये जुआरी, सटोरिये अपने साथ ज्यादा रकम लेकर चलते नहीं, पुलिस को राजस्व बढ़ाने का ठीक से मौका नहीं मिलता, खासकर दीपावली के दिनों में।
ऑनलाइन लोन का झटका
मोबाइल एप कई सहूलियत देते हैं तो कई प्रलोभन भी। सावधानी नहीं बरतने पर समस्या खड़ी हो जाती है। ऑनलाइन ठगी के बाद अब ऑनलाइन लोन के नाम पर लोगों को लूटा जा रहा है। जशपुर पुलिस के पास ऐसी कई शिकायतें पहुंची हैं। लोग शर्तों को पढ़े जाने बिना ही ऑनलाइन आवेदन दे रहे हैं और किश्तें नहीं चुका पाने पर उन्हें धमकी मिल रही है। वसूली एजेंट घर पहुंच रहे हैं। कुछ एजेंट तो घर का सामान उठाकर ले जाने की बात करते हैं। कर्जदार की सहमति लेकर फ्रैंड लिस्ट में शामिल किसी भी व्यक्ति को उसका जमानतदार बना दिया जाता है और उसे भी धमकियां दी जा रही हैं। ये कम्पनियां 24 प्रतिशत से 48 प्रतिशत तक ब्याज ले रही हैं। किश्तों के दैनिक या साप्ताहिक भुगतान की सेवा दी जाती है। यदि एक भी किश्त देने में देर हुई तो पेनाल्टी का चक्र इतनी तेजी से घूमता है कि सूदखोरों को मात कर दे। जशपुर पुलिस ने ऐसे कुछ मामलों में कार्रवाई की है। जशपुर के अलावा प्रदेश के दूसरे स्थानों पर भी यह खेल चल ही रहा होगा। लोगों का सतर्क रहना जरूरी है।