राजपथ - जनपथ
साफगोई के शिकार सिंहदेव
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव एक बार फिर क्वॉरंटीन हैं। यह चौथी-पांचवीं बार है जब कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आने के कारण एहतियातन सिंहदेव को क्वॉरंटीन होना पड़ा। उन्हें राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रम में शिरकत करने सीएम हाऊस जाना था, लेकिन वे नहीं जा पाए। वैसे तो वे कार्यक्रम में वर्चुअल शरीक हो सकते थे, लेकिन वे इससे दूर रहे। जबकि राहुल गांधी दिल्ली से, और तो और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक मरवाही से कार्यक्रम में वर्चुअल मौजूद थे। ऐसे में सिंहदेव की गैरमौजूदगी में चर्चा में रही।
हालांकि राहुल गांधी ने अपने उद्बोधन में सीएम भूपेश बघेल के बाद, गैर मौजूदगी के बावजूद टीएस सिंहदेव का ही नाम लिया। इससे यह संदेश गया कि सिंहदेव की दिल्ली दरबार में हैसियत कम नहीं हुई है। कई बार सरल स्वभाव के टीएस सिंहदेव के बयानों से पार्टी और सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाती है। मरवाही चुनाव में कांग्रेस के छोटे बड़े नेता जीत के बढ़ चढक़र दावे कर रहे थे, तो सिंहदेव का बयान आया कि जोगी पार्टी के वोट जिधर पड़ेंगे, जीत उसी को मिलेगी।
ये अलग बात है कि सिंहदेव ने मरवाही में भरपूर प्रचार किया है। मगर सिंहदेव की साफगोई से पार्टी-सरकार को थोड़ी दिक्कतें हो रही है। मरवाही के चुनाव नतीजे पार्टी के खिलाफ गए, तो सिंहदेव और मुखर हो सकते हैं। सिंहदेव के तेवर देखकर लग रहा है कि ‘सच’ बोलना जारी रखेंगे। भले ही इससे सरकार को परेशानी उठानी पड़े।
अगला सीएस कौन ?
राजस्थान के सीएस राजीव स्वरूप शनिवार को रिटायर हो गए। उन्हें एक्सटेंशन मिलने की काफी चर्चा थी, और जब केन्द्र से कोई पत्र नहीं आया तो ढाई बजे रात 89 बैच के एसीएस निरंजन आर्य को सीएस बनाया गया। आप सोच रहे होंगे कि राजस्थान के सीएस का जिक्र यहां क्यों किया जा रहा है? छत्तीसगढ़ की परिस्थिति भी राजस्थान की तरह बन गई है। यहां सीएस आरपी मंडल 30 नवम्बर को रिटायर होने वाले हैं। सीएम भूपेश बघेल ने उन्हें एक्सटेंशन देने के लिए पत्र लिखा है। मगर आज तारीख तक डीओपीटी में उन्हें एक्सटेंशन देने के लिए किसी तरह की फाइल नहीं चल रही है।
वैसे तो एक महीने का समय काफी होता है, और अंतिम दिन तक ऑर्डर निकलता है। गुजरात और आंध्रप्रदेश के सीएस को कुछ महीने पहले ही छह माह का एक्सटेंशन मिला है। इससे मंडल को भी एक्सटेंशन मिलने की संभावना जताई जा रही थी। मगर राजस्थान के घटनाक्रम के बाद एक्सटेंशन मिलने की संभावना कम हो गई है। जानकार बताते हैं कि गुजरात में भाजपा सरकार है, और आंध्रप्रदेश की वायएसआर सरकार केन्द्र में एनडीए को समर्थन दे रही है। ऐसे में दोनों जगह राज्य सरकार की बात मान ली गई थी। खैर, अगला सीएस कौन होगा, इसको लेकर चर्चा चल रही है।
सुनते हैं कि मंडल के ही बैचमेट और जम्मू-कश्मीर के सीएस बीवीआर सुब्रमण्यम का नाम भी चर्चा में है। सुब्रमण्यम तीन महीने पहले छत्तीसगढ़ आए भी थे। उनकी सीएम से अकेले में चर्चा भी हुई थी। मगर वे छत्तीसगढ़ आएंगे, इसकी संभावना कम दिख रही है। वजह यह है कि जम्मू कश्मीर की प्रशासनिक व्यवस्था उन्होंने बेहतर की है, और केन्द्र सरकार को भी उन पर भरोसा है। अब बच जाते हैं-सीके खेतान और अमिताभ जैन। खेतान भी मंडल के बैचमेट हैं, और वरिष्ठताक्रम में सबसे आगे हैं। खेतान का भारत सरकार का लम्बा तजुर्बा उन्हें इस पद का दावेदार बनाता है, लेकिन मंडल के बाद खेतान को भी अधिक वक्त नहीं मिल पायेगा। मंडल को पहले बनाने के पीछे सामाजिक समीकरण ने भी काम किया था। भूपेश और मंडल एक ही जिले के, आमने-सामने के कॉलेज में पढ़े हुए भी थे।
ऐसी स्थिति में अभी अमिताभ जैन के लिए मैदान तकरीबन खाली दिख रखा है। ये भी संयोग है कि राजस्थान में उन्हीं के बैचमेट और वित्त विभाग के प्रमुख निरंजन आर्य सीएस बन गए हैं। वैसे भी राजस्थान की परिस्थिति छत्तीसगढ़ के अनुकूल ही है।