राजपथ - जनपथ
शराब वही, बोतल नई...
राज्य पॉवर कंपनी ने मोर बिजली एप लांच किया है। इसमें बिजली से संबंधित 16 तरह की समस्याओं को बिजली उपभोक्ता घर बैठे ही एप के माध्यम से निपटा सकते हैं। वैसे तो सालभर पहले ही यह एप लांच हो चुका था। तब 12 तरह की समस्याओं को हल करने की सुविधा थी।
उस समय के पॉवर कंपनी के चेयरमैन शैलेन्द्र शुक्ला ने दावा किया था कि एक महीने के भीतर ही 50 हजार से अधिक एप डाउनलोड होने तक कीर्तिमान स्थापित हुआ है। गूगल प्ले स्टोर में यह एप कई बार दूसरे-तीसरे नंबर पर था।
अब पॉवर कंपनी के अफसरों ने सीएम भूपेश बघेल से दोबारा एप लांच कराने जा रहे हैं। जो काम पहले से ही चल रहा है, उसे एक उपलब्धि के तौर पर पेश किया जा रहा है। इसे कहते हैं शराब वही, बोतल नई...।
प्रधानमंत्री को दो फीसदी ज्यादा छूट!
जब कोई नई तकनीक एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद करती है, तो बड़े मजेदार मामले सामने आते हैं। अब जैसे भारत के लिए अमेजान ने अपनी एक नई वेबसाईट शुरू की, तो उस पर तमाम जानकारी हिन्दी में भी देना शुरू किया। एक पत्रकार आशुतोष भारद्वाज ने जब अमेजान प्राईम एप्लीकेशन इस्तेमाल किया तो उसमें प्राईम मेम्बर्स के लिए प्रधानमंत्री के सदस्यों लिखा हुआ आया, और नान प्राईम मेम्बर्स के लिए गैरप्रधानमंत्री सदस्य लिखा हुआ। जो प्रधानमंत्री सदस्य हैं, उन्हें दो फीसदी का ज्यादा फायदा है। अब यह अमेजान का मामला है, या देश में प्रधानमंत्री के लिए ऐसी रियायत रखी जाती है, इसे लोग खुद सोचते रहें।
दुबारा टेस्ट कराने की मनाही
कोरोना की जांच के लिये उपलब्ध कोई भी तकनीक सौ फीसदी कारगर नहीं है। स्वास्थ्य संगठनों ने माना है कि जांच में चूक भी हो सकती है और रिपोर्ट गलत भी हो सकती है। बहुत से लोगों की शिकायत है कि उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई पर उनकी सेहत दुरुस्त है। कोई तकलीफ नहीं हो रही है। चूंकि गाइडलाइन है इसलिये आइसोलेशन पर हैं। लेकिन यदि इसके ठीक उल्टा हुआ तो? यानि रिपोर्ट तो निगेटिव मिले लेकिन मरीज को कोरोना जैसे लक्षण और तकलीफ हों? ऐसी स्थिति में भी वह दुबारा जांच कम से कम सरकारी साधनों से कराने की पात्रता नहीं रखता। किसी की एंटिजन टेस्ट में रिपोर्ट पॉजिटिव मिली तो जांच की बात छिपाकर उसने ट्रू नॉट टेस्ट करा लिया। रिपोर्ट निगेटिव आ गई। हाल में रायगढ़ में इस तरह के कुछ मामले आये। बकौल स्वास्थ्य विभाग, अब एक बार किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव या निगेटिव जैसी भी आई, उसे यह बात छिपाकर दुबारा टेस्ट नहीं कराना है। यदि ऐसा करता है तो कार्रवाई की जायेगी। हां, बाद में लक्षण प्रगट हों तो बात अलग है। कहा जा रहा है कि केन्द्र सरकार से भी ऐसी गाइडलाइन आ चुकी है। कोरोना सेंटर्स में टेस्ट का इतना दबाव है कि अब कांट्रेक्ट ट्रैसिंग लगभग बंद कर दी गई है। यानि कोई संक्रमित पाया जाता है तो उसके परिवार के सदस्यों और करीबियों को खुद ही क्वारांटीन हो जाना चाहिये। यह निर्णय इस हिसाब से तो ठीक है कि जांच का दायरा अलग-अलग परिवारों में बढ़ाया जा सकेगा, पर यदि कोई कोरोना के इलाज से बचने के लिये बार-बार टेस्ट करा रहा हो तो वह केवल खुद को बल्कि करीबियों को भी संकट में डालता है।
कोरोना ने कद घटा दिया ‘असत्य’ का
नवरात्रि के बाद अब दशहरे के लिये भी गाइडलाइन जारी कर दी गई है। हर बार इस पर्व के आने पर कुछ बौद्धिक विचार दोहराये जाते रहे हैं। जैसे किसी-किसी अतिथि के बारे में कह दिया जाता था कि एक रावण दूसरे को कैसे मारेगा? दूसरा, इतने बरस हो गये हम असत्य के प्रतीक रावण को खत्म क्यों नहीं कर पाये, उसका कद यानि पुतले की ऊंचाई बढ़ती क्यों जा रही है। इस बार यह सोचकर दुखी होने वाले संतोष कर सकते हैं। रावण दहन में सिर्फ पूजा करने वाले और आयोजन समिति के सदस्यों को शामिल रखने की अनुमति मिली है। भीड़ इक_ी न हो, इसका ध्यान रखा जायेगा। दहन कार्यक्रम की वीडियोग्राफ्री कराई जायेगी, ताकि कोई संक्रमित हो तो उनके सम्पर्क में आने वालों को पहचाना जा सके। भंडारा, प्रसाद वितरण, पंडाल, मंच, गाने-बजाने की अनुमति नहीं है। स्वागत की रस्म रखने की भी इजाजत नहीं है। बड़ी बात ये भी है कि आयोजन स्थल पर पहुंचने वाले प्रत्येक व्यक्ति का नाम पता रजिस्टर में दर्ज किया जाना है और इनमें से कोई भी संक्रमित पाया गया तो नियम दुर्गा पंडाल की ही तरह है। यानि इलाज का पूरा खर्च आयोजन समिति को वहन करना पड़ेगा। यदि इन सब नियमों का ठीक-ठीक पालन किया गया तो आयोजकों पर बड़ा बोझ पडऩे वाला है। अर्थात्, कोरोना ने रावण को भी अपनी लपेट में ले लिया है।