राजपथ - जनपथ
खेतान के ट्वीट का राज क्या है?
राज्य के सबसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी चित्तरंजन खेतान मुख्य सचिव नहीं बन पाए, और अपने ही बैचमेट, लेकिन अपने से जूनियर आर.पी.मंडल के मातहत मंत्रालय में काम करने के बजाय उन्होंने राजस्व मंडल में काम करना शायद बेहतर समझा और वहां चले गए। लेकिन वे उन अफसरों में से हैं जो सोशल मीडिया पर सक्रिय भी रहते हैं, और महज अपनी तस्वीर पोस्ट करने तक सीमित नहीं रहते। उन्होंने अभी ट्विटर पर लिखा- कलेक्टर/डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट पर ही सारी जिम्मेदारी, और उसी से सबकी नाराजगी। वो बहुत अच्छा भी, और बहुत खराब भी। नेताओं के काम वो बनाए, और नेताओं की डांच वो खाए। क्या करें, क्या न करें बोल मेरे भाई?
आईएएस अफसर कहीं भी चले जाएं, उनकी कलेक्टरी की यादें उनके दिल के सबसे करीब रहती हैं। इन यादों से वे कभी नहीं उबर पाते। अभी वे छत्तीसगढ़ आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं, और इस नाते अपने साथी आईएएस अफसरों के मुखिया भी हैं।
जो उन्होंने लिखा है कुछ उस किस्म की उनकी याद उनके रायपुर कलेक्टर रहते हुए रही होगी। उस वक्त जोगी मंत्रिमंडल में सत्यनारायण शर्मा मंत्री थे, और कलेक्टर के चेम्बर में खेतान से उनकी बड़ी गर्मागर्मी हुई थी। अफसरों का कहना है कि सत्यनारायण शर्मा ने बड़ी गालियां दी थीं। और इसी के चलते मुख्यमंत्री अजीत जोगी के सचिव सुनील कुमार ने मंत्रिमंडल की बैठकों में जाना छोड़ दिया था। उन्होंने जोगी से कहा था कि जिस कमरे में आप कलेक्टर बनकर बैठे थे, जिस कमरे में मैं कलेक्टर बनकर बैठा था, उस कमरे में आज के कलेक्टर से अगर कोई मंत्री गालियां देकर बात करे, तो वह व्यक्ति के साथ बदसलूकी नहीं है, वह कलेक्टर नाम की संस्था के साथ बदसलूकी है। उन्होंने कहा कि जब तक उनके विभाग से संबंधित कोई मामला मंत्रिमंडल में नहीं रहेगा, वे मुख्यमंत्री के सचिव के नाते मंत्रिमंडल में नहीं जाएंगे। और वे महीनों तक नहीं गए।
अब खेतान के ट्वीट पर ढेर सारे लोग प्रतिक्रिया कर रहे हैं, और एक टीवी चैनल ने भी उनसे इस पर प्रतिक्रिया मांगी। खेतान का इस बारे में कहना है कि उन्होंने नेताओं के काम की बात किसी निजी काम के लिए नहीं लिखी है, बल्कि सार्वजनिक कामों के संदर्भ में लिखी है।
हालांकि चित्तरंजन खेतान की बात में कहीं छत्तीसगढ़ का भी जिक्र नहीं है, और न ही राज्य में हाल फिलहाल किसी कलेक्टर के साथ कोई अप्रिय घटना हुई है, इसलिए यह बात किसी फलसफे की तरह अधिक लग रही है।
बिहार, झारखंड के ठगों से बचायेंगे साइबर मितान
कोरोना के कारण ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ा है। लोग तरह-तरह के ऐप डाउनलोड कर पर्स की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी बीच ऑनलाइन ठगी के मामले भी बेतहाशा बढ़े हैं। अकेले बिलासपुर जिले में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद सवा करोड़ रुपये से अधिक लोगों के खाते से पार हो गये। ठगी तरीका बीते कुछ सालों से पारम्परिक है। अनजान नंबर से आया फोन आपको बतायेगा कि आपका एटीएम कार्ड ब्लॉक हो गया है। रिएक्टिवेट करने के लिये ओटीपी आयेगा, पासवर्ड मांग लिया जायेगा। लाखों रुपये का ईनाम जीतने का लालच दिया जायेगा और सेक्यूरिटी मनी जमा करने कहा जायेगा। अब तो आप यदि अनजान नंबर से आये एसएमएस का लिंक क्लिक कर दें तब भी रुपये साफ हो सकते हैं। कुछ शातिर ठग महंगी कूरियर सेवा के जरिये उम्दा लिफाफे में अंग्रेजी में चि_ी भेजकर ईनाम जीतने का झांसा दे रहे हैं।
गृहणियां और ग्रामीण तो झांसे में आ ही रहे हैं, अचरज की बात है कि पढ़े लिखे लोग, पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक सेवा, प्रोफेसर, साइंटिस्ट जैसे पदों से रिटायर्ड लोग भी इनके शिकंजे में आ रहे हैं। ठगों का यह गिरोह बिहार और झारखंड में ज्यादा सक्रिय है। हाल में पकड़े गये बिहार के दो आरोपियों ने बताया कि वे अपने इलाके के थानेदार को 50 हजार रुपये महीना देते हैं ताकि दूसरे राज्य की पुलिस जांच में आये तो उन्हें सतर्क कर दे। यह सब देखते हुए बिलासपुर जिले में ऑनलाइन ठगी से बचाने के लिये मुहिम छेड़ी गई। थानेदारों को जिम्मा दिया कि वे 10 हजार साइबर मितान तैयार करें। ये मितान लोगों के बीच पहुंचकर बतायेंगे कि कैसे ठगी होती है और कैसे बचा जा सकता है।
अब प्रदेश के हर एक जिले में साइबर मितान बनाने की मुहिम शुरू होगी। बिलासपुर में एक से 8 सितम्बर तक यह अभियान चला। आज आखिरी दिन 10 लाख लोगों से संकल्प पत्र भरवाया जा रहा है जिसमें खास-खास बातें ये हैं- ओटीपी किसी से शेयर नहीं करेंगे, कार्ड, पिन की जानकारी फोन पर किसी को नहीं देंगे, ईनाम, लॉटरी, पेंशन, पीएफ, नौकरी के झांसे में आकर खाते की जानकारी किसी को नहीं देंगे, अनजान व्यक्ति से सोशल मीडिया पर सम्पर्क नहीं करेंगे, ऑनलाइन शॉपिंग में सावधानी बरतेंगे, गूगल सर्च से मिले कस्टमर केयर नंबर की जगह कंपनी की अधिकृत साइट पर जायेंगे। नौकरी या किसी दूसरे लालच में अनजान खाते में पैसे जमा नहीं करेंगे।
कोरोना के चलते ही इंडिया कैशलेस की तरफ बढ़ रहा है। यह काम नोटबंदी के बाद तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं हो पाया था। घर बैठे ऐसे लोग जिनकी नियमित आमदनी बनी हुई है इस समय जबरदस्त ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं। लोगों की गाढ़ी कमाई ऑनलाइन लेन-देन में लापरवाही के चलते पूरी की पूरी साफ हो जा रही है। ऐसे मामलों में अपराधी भी जल्दी पकड़ में नहीं आ रहे हैं, तब ठगी से पहले सतर्क हो जाना ही सही उपाय है। देखना होगा, जमीन पर पुलिस की यह कोशिश कितनी कारगर रहेगी, आने वाले दिनों में ऑनलाइन फ्रॉड कम होते हैं या नहीं।
फाइलों पर धूल की और परतें
अब तो सीएम ने भी कह दिया है कि अनावश्यक बैठकें न रखें। सरकारी दफ्तरों में तेजी से कोरोना फैल रहा है। अब ज्यादा से ज्यादा लोग आपस में ऑनलाइन सम्पर्क में रहेंगे। इससे उन अधिकारियों को बड़ी सहूलियत हुई हैं जो अक्सर मंत्रियों, नगर-निगम, जिला पंचायत की बैठकों से नदारत रहते थे। वीडियो कांफ्रेंस के दौरान ज्यादा जांच नहीं हो पाती कि कौन आया, कौन नहीं। रायपुर, बिलासपुर, अम्बिकापुर, रायगढ़ से ख़बरें आ रही हैं, सारे प्रमुख कार्यालयों में कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। अब सारे दफ्तर बंद तो किये नहीं जा सकते। दफ्तर तो खुल रहे हैं पर अधिकारी, कर्मचारी कुर्सियों पर नहीं दिख रहे हैं। वे भी नहीं दिख रहे जो कोरोना संक्रमित स्टाफ के सम्पर्क में बिल्कुल नहीं आये। आम लोगों को इससे खासी दिक्कत हो रही है। जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, राजस्व विभाग के नामांतरण, फौती, मुआवजा के काम रुक से गये हैं। उम्मीद ही की जा सकती है कि सरकारी दफ्तरों में कोरोना का असर जल्द ही कुछ कम होगा और लोगों के जरूरी काम हो सकेंगे। अभी तो पहले से दबी फाइलों पर और मोटी धूल की परतें चढ़ती जा रही हैं।