राजपथ - जनपथ
हर विधायक को ओहदा
छत्तीसगढ़ देश का संभवत: पहला राज्य है जहां सत्तारूढ़ दल के हर विधायक को सरकार में पद मिलेगा। विधानसभा के 90 सदस्यों में से 69 सदस्य कांग्रेस के हैं। सीएम-विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और मंत्रियों समेत 54 विधायकों को पद मिल चुका है। 15 विधायक बाकी रह गए हैं। दो-तीन विधायकों को हाऊसिंग बोर्ड में जगह मिलेगी। सरकार ने पांच आयोगों में उपाध्यक्ष का पद बनाया है। यहां भी विधायकों को एडजस्ट किया जा सकता है। इसके अलावा एक-दो निगमों में भी विधायक को चेयरमैन बनाया जा सकता है।
कुल मिलाकर हर किसी को कुछ न कुछ मिलेगा। विधायकों से परे निगम-मंडल में जगह पाने वाले ज्यादातर नेता सिर्फ विजिटिंग कार्ड के भरोसे हैं। क्योंकि कई निगम-मंडलों में ऑफिस स्टाफ का अता-पता नहीं है। ऐसे ही एक नवनियुक्त चेयरमैन पदभार संभालने के लिए दो-तीन दिनों तक अपने संस्था के दफ्तर की तलाश करते रहे। उन्हें बताया गया कि संस्था का कोई अस्तित्व नहीं है। यह सिर्फ कागजों में ही है। मंत्रीजी को इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने उदारतापूर्वक चेयरमैन को बुलवाया और मान रखने के लिए उन्हें अपने घर में ही तामझामपूर्वक पदभार ग्रहण करवाया।
सत्र में विधायक रहेंगे कितने?
भाजपा के विधायक सरकार की इस बात के लिए कड़ी आलोचना कर रहे थे, कि चार दिन का सत्र सिर्फ खानापूर्ति के लिए बुलाया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और बृजमोहन अग्रवाल सहित अन्य विधायक सत्र की अवधि बढ़ाने के लिए दबाव बना रहे थे। मगर अब जब सत्र शुरू हो रहा है, तो कुल 14 भाजपा विधायकों में से कई विधायकों की उपस्थिति ही संदिग्ध हो चली है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक कोरोना से उबर चुके हैं, लेकिन वे क्वॉरंटीन पर हैं। ऐसे में सदन में उपस्थित रहेंगे या नहीं, यह तय नहीं है।
इसी तरह पूर्व सीएम रमन सिंह भी क्वॉरंटीन हैं। उनकी पत्नी के अलावा कुछ नजदीकी रिश्तेदार कोरोना के चपेट में आ गए हैं। ऐसे में उनकी भी मौजूदगी को लेकर संशय कायम है। भाजपा विधायक दल के सचेतक शिवरतन शर्मा कोरोना संक्रमित हैं, और वे रामकृष्ण केयर में भर्ती हैं। तेज तर्रार विधायक बृजमोहन अग्रवाल का बेटा भी कोरोना पॉजिटिव हो गया है। यही नहीं, उनके ऑफिस स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों में से कई कोरोना संक्रमित हो गए हैं। बृजमोहन खुद क्वॉरंटीन हैं। ऐसे में वे सदन की कार्रवाई में हिस्सा ले पाएंगे इसकी संभावना कम है। क्योंकि कम से कम सात से लेकर चौदह दिन तक क्वॉरंटीन में रहने का नियम है। भाजपा विधायकों की तुलना में कांग्रेस के लोग चुस्त-दुरूस्त हैं। सिर्फ वन मंत्री मोहम्मद अकबर के ही सदन में उपस्थित होने की संभावना कम है। वजह यह है कि अकबर के परिवार के ज्यादातर लोग कोरोना के चपेट में आ गए हैं और इस वजह से वे क्वॉरंटीन हैं। अब सत्र को चार दिन बाकी हैं। देखना है कि उस समय तक कितने लोग कोरोना से दूर रह पाते हैं।
कोरोना जांच में फर्क...
प्रदेश में कोरोना कहर बरपा रहा है। चिकित्सकों का मानना है कि चूंकि टेस्ट ज्यादा संख्या में हो रहा है। इसलिए पॉजिटिव भी ज्यादा निकल रहे हैं। कई लोग टेस्ट के नतीजे को लेकर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। वैसे तो तीन तरह के टेस्ट हो रहे हैं। जिनमें से आरटीपीसीआर टेस्ट को सबसे ज्यादा प्रमाणिक माना जाता है। मगर अलग-अलग लैब से आरटीपीसीआर टेस्ट के नतीजे भी अलग-अलग आ रहे हैं।
कुछ इसी तरह का मामला पूर्व सीएम के ओएसडी रहे विक्रम सिसोदिया से भी जुड़ा है। रमन सिंह के परिवार के कई सदस्य कोरोना के चपेट में आए, तो विक्रम ने भी अपना कोरोना टेस्ट कराया। उन्होंने पहले एक निजी अस्पताल के लैब से कोरोना जांच करवाई, जहां उनकी आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद उन्होंने मेकाहारा में फिर से आरटीपीसीआर कराई, वहां उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। विक्रम सिसोदिया को कोई लक्षण नहीं है। मजबूत कदकाठी के विक्रम, खिलाड़ी रहे हैं। चिकित्सकों की सलाह पर वे होमआइसोलेशन पर हैं।