राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : अजब नामों की गजब दास्तां
15-Jun-2020 6:31 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : अजब नामों की गजब दास्तां

अजब नामों की गजब दास्तां

हिन्दुस्तान में मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक के नाम पर रखे गए सडक़-चौराहों और शहरों के नाम बदलना हाल के बरसों में एक बड़ा शगल बन चुका है। जाति, धर्म, और देश के मुद्दे चलन पर हावी हो गए हैं। ऐसे में रायपुर के एक संस्कृति-कर्मी राहुल सिंह ने लिखा है कि महापुरूषों की आत्माएं नामकरण के लिए उनके समर्थकों के माध्यम से भटकती रहती होंगी। उन्होंने लिखा है- क्या आप जानते हैं कि नवापारा-राजिम में एक मैडम चौक है, और यह नाम बोर्ड पर लिखाता भी है। रायपुर में टिल्लू चौक है, बिलासपुर में मन्नू चौक है, और करोना चौक भी है।

हर शहर में कुछ न कुछ जगहों के नाम ऐसे रहते हैं, जो कि लोगों की नजरों में खटकते हैं, और मौका पड़ते ही उन नामों को खिसकाकर अपनी पसंद के महापुरूष (महामहिला तो शायद हो ही नहीं सकती) का नाम टांग दिया जाता है।

इतना कुछ करने के बाद भी..

खबर है कि एक बड़े राजनीतिक दल के दो दिग्गज नेताओं के बीच चंदे की रकम के हिसाब-किताब को लेकर मनमुटाव चल रहा है। एक पर चंदा एकत्र करने में सहयोग करने की जिम्मेदारी थी, तो दूसरे के पास संभालकर रखने और खर्च करने की जिम्मेदारी रही है। चंदा इक_ा करने वाले नेताजी इस बात से परेशान हैं कि उन्हें कोई हिसाब-किताब नहीं बताया जा रहा है। सुनते हैं कि कुछ समय पहले उन्होंने अपने विश्वस्त सहयोगी को पार्टी दफ्तर के कोष अधिकारी के पास हिसाब-किताब जानने भेजा था। मगर कोष अधिकारी ने नेताजी के सहयोगी को खरी-खोटी सुनाकर उल्टे पांव लौटा दिया।

नेताजी का चंदा इक_ा करने में भरपूर सहयोग रहा है, तो हिसाब-किताब जानने की इच्छा भी स्वाभाविक है। चंदा जुटाने वाले और रखने वाले, दोनों नेता आमने-सामने बैठते भी हैं, लेकिन हिसाब-किताब को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कह पाते हैं। चंदे को लेकर पार्टी की अपनी गोपनीयता भी है। हिसाब-किताब देखने के लिए हाईकमान एक-दो लोगों को ही अधिकृत कर रखते हैं। इससे परे कोई भी हिसाब-किताब की जानकारी नहीं ले सकता। पार्टी अध्यक्ष तक को भी इसका पावर नहीं होता। मगर चंदा जुटाने वाले नेताजी इस बात से ज्यादा निराश है कि इतना सबकुछ करने के बाद भी कोई उन्हें बताने के लिए तैयार नहीं है।

जब सैंय्या भए कोतवाल...

छत्तीसगढ़ में शराब मिलना तो शुरू हो गया है, लेकिन पीने की दिक्कत कम नहीं हुई है। शराबघर खुल तो गए हैं, लेकिन वहां दूर-दूर बैठाकर पिलाने के नियम की वजह से लोगों को पीना अटपटा लग रहा है। ऐसे में जाहिर है कि लोग कारों में बैठकर, या सडक़ किनारे किसी अंधेरे कोने में रूककर पीने लगे हैं। जो लोग रात में घूमने निकलते हैं, उन्हें अपने इलाके में पीने के ऐसे अड्डे दिखते हैं, लेकिन कौन शराबियों से झगड़ा मोल ले? इसलिए लोग अनदेखा करके आगे बढ़ जाते हैं। जो लोग सुबह घूमने निकलते हैं, उन्हें ऐसी तय जगहों पर किनारे शराब की बोतलें और नमकीन के खाली पैकेट पड़े दिखते हैं, जो कि जाहिर तौर पर सफाई कर्मचारियों को भी दिखते होंगे। अगर सफाई कर्मचारी ऐसे ठिकाने पुलिस को बताने लगें, तो ऐसा पीना तुरंत पकड़ में आ जाएगा, लेकिन खाली बोतलें भी कुछ दाम दे जाती हैं, और कचरा गाडिय़ां ऐसी जगहों पर रोजाना रूककर बोतलें उठाने की आदी हो जाती हैं, वे भला पुलिस को क्यों बताएं? और फिर पुलिस के पास भी शराबियों को ही पकडऩे का काम बचा है क्या? अब आखिर में बचता है शराब नियंत्रित करने वाला आबकारी विभाग। तो यह विभाग खुद ही आज एक नंबर और दो नंबर दोनों किस्म की दारू बाजार में खपाकर लाल हो गया है, यह भला पीने वालों को क्यों पकड़े? जानकारों का तो यह भी कहना है कि पुलिस को कह दिया गया है कि शराब पीने वालों को न पकड़ा जाए, शायद यही वजह है कि इस जुर्म में कोई नहीं धरे जा रहे, जबकि कानून काफी कड़ा है। आबकारी विभाग ही दारू कारोबारी भी हो गया है, तो अब कार्रवाई कौन करे?

भूपेश की गंगा में डुबकी

 छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल ने आज एक पुराना वाक्या लिखा है. उन्होंने फेसबुक पर लिखा-  भूपेश 13 साल का हुआ तो तब हम लोग परिवार सहित, मेरी पत्नी बिंदेष्वरी देवी और झुमरलाल टावरी सर्वोदय सम्मेलन गये हुए थे। लौटते समय हमने बनारस में गंगा नदी में नौका विहार किया तथा बीच गंगा में चॉदी का सिक्का भूपेश को दिखाया और बोला कि गंगा नदी से इस सिक्के को निकालना है. मैंने सिक्के को गंगा नदी में फेंका और भूपेश ने उस सिक्के को गंगा में कूदकर निकाल लिया।  नाविक उस समय बहुत ही ज्यादा गर्म हो गया और उसने कहा यदि यह बच्चा नदी में डृब जाता तो उसका जिम्मेदार कौन होता ? पुलिस मुझे ही पकड़ लेती। आज उसी का ही परिणाम है कि विषम परिस्थिति में भी भूपेश भयभीत नहीं होता है, जब भी संकट का समय होता है तब वह और उसकी सरकार मुकाबला कर लेते हैं ।

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