राजपथ - जनपथ
कानून के रखवाले ही सवालों के घेरे में
लोकतंत्र में न्याय के लिए अदालतों से आखरी उम्मीद रहती है, लेकिन पिछले कुछ समय से यह उम्मीद भी धीरे-धीरे टूटती नजर आ रही है। इस आखरी उम्मीद को तोडऩे में ही कानून के उन रखवालों का बड़ा हाथ है, जो वकालत के पेशे से जुड़े हैं। ऐसा एक आडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दो वकील किसी केस के सिलसिले में बात कर रहे हैं। कोरबा जिले के एक जूनियर वकील ने अपने किसी क्लाइंट की जमानत के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट के वकील से संपर्क किया और उन्हें केस दिलाया। सीनियर-जूनियर की बातचीत में फीस का विवाद तो है ही, साथ वकालत के पेशे के गलत इस्तेमाल का भी जिक्र आता है। जूनियर वकील का आरोप है कि सीनियर ने मामले को रफा-दफा करने के लिए पुलिस के अफसरों को रिश्वत देने के लिए मुवक्विल प्रेरित किया। जब जूनियर वकील ने इस पर सवाल उठाया तो सीनियर का कहना था कि वे कुछ भी कर सकते हैं। बातचीत के दौरान भद्दी-भद्दी गालियों का भी इस्तेमाल किया गया है। इस पूरे मामले की आडियो रिकार्डिंग के साथ कोरबा के एसपी से शिकायत भी की गई है। कार्रवाई के नतीजे के लिए फिलहाल इंतजार करना होगा, लेकिन एक जूनियर वकील ने साहस दिखाते हुए मामले को उजागर किया है। वरना इस तरह के कई किस्से सुनने और देखने को मिलते हैं और लगभग हर पेशे में इस तरह की गंदगी रहती है, लेकिन यह मामला कानून के रखवाले कहे जाने वाले वकीलों का है, इसलिए इस पर चर्चा तो होनी चाहिए। इसके साथ सीनियर वकील सत्ताधारी दल के पदाधिकारी रहे हैं। इसके अलावा भी कई महत्वपूर्ण जगहों पर रहे हैं। इसलिए यह मामला सामान्य नहीं है, बल्कि हाईकोर्ट के नामी-गिरामी वकीलों के अंदरुनी लड़ाई का भी बड़ा उदाहरण है। चर्चा तो यह भी है कि सीनियर वकील संवैधानिक पद पाने की कतार में है। इस वजह से भी वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके माहौल बना रहे हैं। हालांकि इस बार उनका दांव उलटा पड़ गया और रिकार्डिंग बाहर आ गई है। जो भी हो, लेकिन कानून के रखवाले ही न्याय के तराजू से अन्याय करेंगे तो आखिरी उम्मीद भी खतरे में पड़ जाएगी।
सोशल मीडिया पर किसी जगह की फोटो को किसी और जगह की बताकर साबित करना अधिक मुश्किल नहीं रहता। इसी तरह किसी वक्त की फोटो को किसी और वक्त की बताना भी मुश्किल नहीं रहता क्योंकि हर फोटो या वीडियो पर तारीख तो दर्ज होती नहीं। अब इस शराब दुकान की तस्वीर तो सही लग रही है, लेकिन यह छत्तीसगढ़ के नाम से इसलिए नहीं खप पाएगी कि इसमें दुकानदार या ठेकेदार का नाम लिखा है जो कि इस राज्य में बंद है, और दुकानें सरकारी हैं। इस तस्वीर में ऊपर के कोने में शाहजी इंदौर लिखा हुआ है जो कि कम्प्यूटर से निकाले गए अक्षर दिख रहे हैं, पेंट किए हुए नहीं। फिर एक छेडख़ानी इसमें लिखे गए साल में दिख रही है जो कि तस्वीर में बाद में जोड़ा गया है। इसके बाद जो एक मजेदार चेतावनी एक पूरे शटर पर लिखी हुई दिख रही है, वैसी चेतावनी कोई दुकान अपने धंधे को खत्म करने के लिए लिखती नहीं है, फिर चाहे वह दारू का धंधा ही क्यों न हो। खैर, तस्वीर किसी भी प्रदेश की हो, इस पर लिखी गई टिप्पणी तो सभी प्रदेशों पर लागू होती है। अगली बार सोशल मीडिया पर ऐसी कोई तस्वीर देखें, तो बारीक नजरों से उसमें छेड़छाड़ या उसके झूठ को जरूर पकड़ लें।
सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।
अब कोरोना के साथ ही जीने के आसार जब दिख रहे हैं तो लोग सेनेटाइजर के बढ़े हुए खर्च से निपटने के रास्ते निकाल रहे हैं। सबसे आसान रास्ता तो यही है कि थोड़ा सा सेनेटाइजर खरीदकर उसमें पानी मिला दिया जाए, और चाहे वह कितना ही बेअसर हो, वह कम से कम दिमागी राहत तो देगा ही। दूसरा तरीका यह है कि सेनेटाइजर का जरा भी इस्तेमाल न हो, और हरे-नीले रंग का कोई पानी ही अल्कोहल जैसी गंध के साथ रख दिया जाए। कुछ ऐसा ही मास्क को लेकर भी हो रहा है कि तीन लेयर वाले मास्क की जगह अब एक लेयर वाले मास्क ही बाजार में दिखते हैं, और उनकी सफाई-धुलाई का भी कोई इंतजाम है या नहीं इसका ठिकाना नहीं है।
धीरे-धीरे लोगों में साफ-सफाई को लेकर, सावधानी को लेकर लापरवाही आने ही लगती है, और 20 सेकंड का हाथ धोना 15 से होते हुए 10 सेकंड पर पहुंचने लगा है। पान ठेले खुलने के बाद अब दांतों के बीच की खाई में फंसने वाले रेशों और सुपारी को निकालने के लिए नाखून से लेकर नोट तक, और टूथ पिक से लेकर प्लॉस तक हाथ से होते हुए मुंह तक जाने लगे हैं, और सावधानी खत्म हो रही है। इसे दुनिया के कई देशों में भुगता गया है जब लोग सफाई और सावधानी से थकने लगते हैं, हाइजीन-फटीक। लेकिन याद रखना चाहिए कि सडक़ों के किनारे कौन सी चेतावनी लिखी रहती है- सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।