राजपथ - जनपथ
सिंहदेव फंसे, और निकले
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के उस बयान पर पार्टी में गदर मच गया जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रदेश में 30 लाख लोग कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। टीवी चैनलों में स्वास्थ्य मंत्री के हवाले से 6 हजार लोगों की मौत की आशंका जताई गई। स्वास्थ्य मंत्री के बयान की तीखी प्रतिक्रिया हुई। उन पर सोशल मीडिया प्लेटफार्म में उन पर भय का वातावरण पैदा करने का आरोप भी लगे। पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने तो फेसबुक पर मैसेज पोस्ट कर इस पूरे मामले पर सरकार से सफाई भी मांगी। सिंहदेव के बयान से खफा कांग्रेस के कुछ नेताओं ने फोन कर प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया तक को इसकी जानकारी दी।
सिंहदेव के बयान की वीडियो क्लिप भी कांग्रेस हाईकमान को भेजी गई। फिर क्या था, पार्टी के सिंहदेव कैंप की तरफ से डैमेज कंट्रोल की कोशिश शुरू हुई। सिंहदेव ने पहले तो मीडिया रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज किया। और कह दिया कि उन्होंने कभी इस तरह की बातें नहीं की। उन्हें भाजपा के लोगों का आश्चर्यजनक साथ मिला। पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने अपना फेसबुक मैसेज डिलीट कर दिया।
रात तक मीडिया से सिंहदेव की कोरोना-आशंका पूरी तरह गायब हो गई। सिंहदेव का मीडिया प्रबंधन काबिले तारीफ था, तो भाजपा के रमन सिंह कैंप का सिंहदेव के लिए सहयोगात्मक रवैया भी चर्चा का विषय रहा। राजनीतिक गलियारों में रमन सिंह विरोधी समझे जाने वाले भाजपा विधायकों को सीएम भूपेश बघेल के सहयोगी के रूप में प्रचारित किया जाता है, तो रमन सिंह समर्थक सिंहदेव के लिए कोई परेशानी खड़ा नहीं करना चाहते हैं। कम से कम इस पूरे घटनाक्रम से यह बात साबित भी हुई है। भाजपा की अंदरूनी खींचतान का बड़ा फायदा यह रहा कि कांग्रेस सरकार एक बड़ी आलोचना झेलने से बच गई।
एक नशे से दूसरे को खतरा..
छत्तीसगढ़ के लोगों में तम्बाकू से बने हुए गुड़ाखू का चलन खूब है। किसी भी जगह मजदूरों को देखें तो काम के बीच वे किनारे होकर छोटी सी डिब्बी निकालकर मंजन की तरह दांतों पर गुड़ाखू घीसते दिखते हैं, और जैसा तम्बाकू का असर होता है वैसा हल्का नशा इससे आता है और लोग इसके आदी होते चलते हैं। अभी लगातार इसकी कमी चलती रही, और रायपुर में एक गुड़ाखू कारोबारी की दुकान से मुफ्त गुड़ाखू बंटने की अफवाह पर लोग वहां डेरा डाले दिखते थे। कई जिलों में लॉकडाऊन के बाद अभी किसी दुकान में गुड़ाखू बिकना शुरू हुआ, तो सौ-पचास लोगों की कतार लग गई। शराब के कुछ बड़े कारोबारियों को उसमें अपना नुकसान दिखता है। दरअसल कोई भी नशा दूसरे नशे के बाजार को कमजोर करता है, इसलिए किसी प्रदेश में अगर चरस या अफीम, या दूसरे किस्म के विदेशी नशे पैर नहीं जमा पाते, तो उसका श्रेय वहां के अफसरों को नहीं, शराब कारोबारियों को जाता है जो कि शराब के अलावा बाकी किस्म के नशों पर नजर रखते हैं, और उन्हें पकड़वाते हैं। इन दिनों शराब कारोबारियों की नजर गुड़ाखू पर है, और वे इसके खिलाफ तस्वीरें और वीडियो फैलाने में भी लगे हैं।