राजपथ - जनपथ
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ऑनलाइन विधानसभा, सम्भावना और आशंका
ऑनलाइन विधानसभा, सम्भावना और आशंका
छत्तीसगढ़ विधानसभा के लम्बे समय तक सचिव रहे, और अब भोपाल जा बसे देवेंद्र वर्मा ने एक नया सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कल फेसबुक पर लिखा- हमारे देश में कोरोना की वजह से विगत दिनों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित अनेक राज्यों की विधानसभाएं बिना कार्य सम्पादित किये अथवा आपाधापी में बिना चर्चा के एक दिन में चौदह चौदह विधेयक पारित कर स्थगित की गयी. लोकसभा की भी पचास से अधिक् विभिन्न समितियों की बैठकें जो अप्रैल एवं मई माह में प्रस्तावित थी स्थगित कर दी गयी. ऐसी स्थिति में लोकसभा, विधानसभा की वर्चुअल बैठकें शीघ्र आरंभ होना समय की मांग है जिसका श्री गणेश ब्रिटेन में हो चुका है और वहां 21 अप्रैल को संसद की वर्चुअल बैठक भी सम्पादित हुई।
अब अगर उनकी सलाह के मुताबिक छत्तीसगढ़ विधानसभा की अगर ऑनलाइन बैठक होती है तो क्या होगा? एक तो सरकार इस बात को पसंद नहीं करेगी कि कोरोना-मुसीबत से जूझते हुए उसके सर पर विपक्ष भी सवार हो जाये जिसके जिम्मे इस राज्य में तो कुछ है नहीं. दूसरी तरफ दो दिन पहले राजस्थान हिघ्कोर्ट में जैसा हुआ, वैसा भी हो सकता है. वहां वीडियो कांफ्रेंस पर चल रही सुनवाई के दौरान एक वकील साहेब बनियान पहने ही कैमरे के सामने आ गए. जज खफा हो गए, और पेशी बढ़ा दी. अब पता लगेगा कि छत्तीसगढ़ के कोई विधायक गमछे में ही ऑनलाइन विधानसभा में पहुँच गए. वैसे आज देश के हर राज्य के सामने यह रिकॉर्ड बनाने का मौका है कि वहां की विधानसभा ऑनलाइन होने वाली पहली विधानसभा रही।
राधाबाई की रामकोठी काम आई
छत्तीसगढ़ परंपराओं और रीति-रिवाजों के मामलों में काफी धनी माना जाता है। यहां अच्छे-बुरे सभी तरह की परिस्थितियों के लिए कुछ ना कुछ परंपरा प्रचलित है। खुशी और गम दोनों तरह के वक्त के लिए यहां लोग व्यवस्था रखते हैं। राज्य में नई सरकार बनने के बाद पिछले एक डेढ़ बरस से तीज-त्यौहार और परंपराएं प्रचलित भी हुई हैं। बात चाहे तीजा पोला की हो या फिर पुन्नी मेला की। इनको काफी धूमधाम से मनाया गया। सूबे के मुखिया भूपेश बघेल ने खुद सभी त्यौहारों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सभी को याद होगा कि भूपेश बघेल छेरछेरा पुन्नी के दिन खुद सड़क पर निकलकर लोगों से दान लिया था। मान्यता है कि इस दिन दान पुण्य करने से सुख समृद्धि बढ़ती है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में मान्यता है कि प्रत्येत किसान अपने घर में रामकोठी रखते हैं। इसमें धान की आमदनी या पैदावार का कुछ हिस्सा रखा जाता है। जोकि आड़े वक्त में काम आता है। यह भी मान्यता है कि रामकोठी कभी खाली नहीं होता। घर में कोई शुभ कार्य के लिए इसी रामकोठी की बचत का उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं परिवार या गांव में सामाजिक कार्य हो या आपदा की स्थिति हो तो हर घर से रामकोठी के अनाज का उपयोग किया जाता है। मुख्यमंत्री ने छेराछेरा मांगते समय रामकोठी का स्मरण कराया था, तब से रामकोठी एक बार चर्चा में था और लोग अपने पुरखों की परंपरा को बनाए रखने रामकोठी में अनाज या बचत का हिस्सा रखते हैं। आज जब पूरा विश्व कोरोना के संकट से जूझ रहा है। ऐसे में फिंगेश्वर जनपद के गांव सरगोड़ की एक बुजुर्ग किसान महिला राधाबाई सिन्हा ने इसके महत्व को बढ़ा दिया है। दरअसल उन्होंने इसी रामकोठी से कोरोना की लड़ाई के लिए दस हजार रुपए मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा करवाई है। 85 साल की राधाबाई सिन्हा अपने पुरखों द्वारा तैयार की गई रामकोठी को सहेजे हुए है। इस कठिन समय में वे मदद के लिए आगे आई हैं। कोरोना महामारी के चलते इस साल गांवों में धार्मिक, मांगलिक और दूसरे आयोजन नहीं हो रहे हैं। ऐसे में रामकोठी की वह राशि जिससे जरूरतमंदों की मदद में खर्च की जानी थी, मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराया है। छत्तीसगढ़ खेती किसानी वाला राज्य है और इस काम भी सूखा-बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ता है। इस बुजुर्ग किसान महिला ने कोरोना के खिलाफ इस भागीदारी के जरिए बड़ा संदेश दिया है। ([email protected])