राजपथ - जनपथ
मोर्चे पर अकेली अफसर
लॉक डाउन में थोड़ी ढील देने के बाद कुछ अफसरों का मंत्रालय में बैठना शुरू हो गया है। मगर राजस्व सचिव रीता शांडिल्य ही एकमात्र ऐसी अफसर हैं, जिन्होंने एक दिन भी ऑफिस नहीं छोड़ा। रीता के पास आपदा प्रबंधन का भी प्रभार है। ऐसे में कोरोना संक्रमण से निपटने की अहम जिम्मेदारी उन पर है। आईएएस की वर्ष-2002 बैच की अफसर रीता शांडिल्य सामान्य प्रशासन विभाग का भी दायित्व संभाल रही हैं।
वैसे तो रीता के पास भी विकल्प था कि वे बाकी अफसरों की तरह घर में बैठकर फाइलें निपटा सकती थीं और बैठकें ले सकती थीं। मगर वे इक्का-दुक्का अधिकारी-कर्मचारियों के साथ रोजाना मंत्रालय आती थीं और पूरे समय काम में लगी रही। ऐसे समय में जब कोरोना संक्रमण के चलते कई राज्यों का आपदा प्रबंधन गड़बड़ा गया है, रीता की मेहनत से छत्तीसगढ़ आपदा प्रबंधन के मामले में सबसे आगे है।
मुश्किलें बढ़ेंगी
कोरोना फैलाव रोकने के लिए एहतियात के तौर पर सेंट्रल एसी और कूलिंग सिस्टम को बंद करने के आदेश दिए गए हैं। इससे विशेषकर मंत्रालय के अधिकारी-कर्मचारियों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। मंत्रालय के बड़े अफसरों के कक्ष में तो टेबल पंखा लगा दिया गया है। लेकिन छोटे कर्मचारी बिना एसी-पंखे के पसीने से तरबतर काम कर रहे हैं। अभी उपस्थिति बेहद कम है, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खुलेगा, कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ेंगी।
ताश आवश्यक सामग्री ?
लॉक डाउन के चलते कामकाजी लोगों को घर में समय काटना मुश्किल हो चला है। ज्यादातर लोग टीवी देखकर, किताबें पढ़कर समय गुजार रहे हैं। मनोरंजन के लिए लोग ताश का भी सहारा ले रहे हैं। एकाएक ताश की मांग काफी बढ़ गई है। कई किराना दूकानों में तो ताश नहीं मिल रहा है। ऐसे में किराना दूकानों को ताश सप्लाई कर अच्छा मुनाफा कमाने के फेर में एक व्यवसायी पुलिस के हत्थे चढ़ गया।
हुआ यूं कि व्यवसायी का रायपुर शहर के मध्य में किराने की दूकान हैं। उनके पास ताश का स्टॉक पड़ा हुआ था। पिछले दिनों व्यवसायी ताश को कार्टन में भरकर ले जा रहा था तभी पुलिस ने उन्हें रोक लिया। कार्टन की तलाशी ली, तो स्वाभाविक था कि उसमें ताश की गड्डियां ही थी। पुलिस ने पूछ लिया कि क्या ताश आवश्यक सामग्री में आता है, जिसकी सप्लाई करना जरूरी हो गया है? व्यवसायी को जवाब देते नहीं बना। इसके बाद पुलिस उसे ले गई। काफी प्रभावशाली लोगों के फोन घनघनाए लेकिन पुलिस टस से मस नहीं हुई। व्यावसायी और उसके परिवारवालों ने काफी अनुनय-विनय किया, तब कहीं जाकर पुलिस ने हिसाब-किताब कर उसे छोड़ा।
छत्तीसगढिय़ा का भांचा प्रेम
लॉकडाउन पीरियड में रामायण सीरियल का रिपीट टेलीकॉस्ट पहली बार जैसा लोकप्रिय रहा है। अमूमन हर घर में परिवार सहित सीरियल देखने में लोगों की दिलचस्पी देखी गई। रामायण अब अपने क्लाइमेक्स पर है। रावण का वध कर राम अयोध्या पहुंच गए हैं। उनकी इस जीत पर अयोध्यावासी खुशियां मना रहे हैं। त्रेता युग में भगवान राम की जीत का जश्न हजारों-लाखों साल के बाद कलयुग के कोरोना युग में छत्तीसगढ़ में भी देखने सुनने को मिल रहा है। सोशल मीडिया और वाट्सएप पर लोग राम की जीत की बधाई दे रहे हैं। कई लोगों का आचरण तो ऐसा है जैसे उनके किसी अपने या करीबी रिश्तेदार ने लंका फतह कर ली हो।
दरअसल, पिछले कुछ समय से भगवान राम का छत्तीसगढ़ कनेक्शन खूब प्रचारित हुआ है। मान्यता है कि वनवास काल का बड़ा समय उन्होंने छत्तीसगढ़ में ही बिताया था और राज्य को राम का ननिहाल भी बताया जाता है। इस कनेक्शन के बाद छत्तीसगढिय़ा का भांचा प्रेम जाग गया है और राम को भांचा (भांजा) मानकर लंका विजय की एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं। स्वाभाविक है कि परिवार के किसी करीबी की सफलता पर खुशी तो होती है, लिहाजा यहां भी माहौल ऐसा ही बन गया है। सोशल मीडिया में बधाई संदेशों की बाढ़ आ गई है।
दूसरी तरफ राज्य सरकार ने भी राम वन गमन पथ और उनके ननिहाल को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने के लिए खजाना खोल दिया है। कोरोना फैलने के ठीक पहले इस पर तेजी से काम भी शुरू हो गया था। सूबे के प्रशासनिक मुखिया खुद निर्माण कार्य का मोर्चा संभाले हुए थे और उन स्थानों का दौरा कर निर्माण कार्यों की प्रगति का जायजा ले रहे थे। ऐसे में लोगों की भावनाएं कुलांचे मार रही है, तो आश्चर्य की बात नहीं है। सियासतदार भी लोगों की भावनाओं को खूब हवा दे रहे हैं। क्योंकि राम भले ही लोगों की भावनाओं से जुड़े हैं, लेकिन सियासत में तो वे वोट बटोरने के लिए ब्रम्हास्त्र से कम नहीं है। उम्मीद है कि कोरोना युग के निपटने के बाद त्रेता युग के तमाम अस्त्र शस्त्र चुनाव समर तक खूब चलेंगे।([email protected])