राजपथ - जनपथ
दाएं हाथ को पता नहीं चलता कि...
जान जोखिम में डालकर कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे एम्स के डॉक्टरों-नर्सिंग स्टॉफ के साथ बदसलूकी को लेकर आईएमए में गुस्सा है। होटल पिकाडिली में क्वारंटाइन के दौरान रखे गए डॉक्टरों से रात में होटल बदलने कह दिया गया। होटल का भुगतान नगर निगम के मत्थे डाल दिया गया था, उसने हाथ खड़े कर दिए कि इतने महंगे होटल का खर्च वह नहीं उठा सकता. दिलचस्प बात यह है कि खुद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने अपनी तरफ से एम्स स्टॉफ के लिए क्वारंटाइन के लिए होटल की व्यवस्था की थी। लेकिन मुनादी तो हो गयी थी, उसका भुगतान कौन सा विभाग करेगा यह तय नहीं था. महंगे होटल का खर्च वहन करने में सरकारी अमला रास्ता निकालता रहा।
इस महंगे होटल को एम्स के डॉक्टर्स और स्टॉफ के लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाने का फैसला लिया गया था चूंकि वह एम्स के एकदम पास था। जिला प्रशासन के अधिकारियों ने प्रस्ताव दिया था कि खाने पीने और रुकने से लेकर तमाम इंतजाम के लिए होटल को साढ़े तीन हजार प्रति रूम के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। इस पर होटल प्रबंधन ने भी सहमति जता दी थी। प्रशासन और होटल प्रबंधन के बीच हुए इस समझौते के अनुसार डॉक्टर्स और स्टॉफ को ठहरने यहां भेजा गया। अगले दिन बुधवार को जिला प्रशासन के अधिकारियों ने होटल प्रबंधन को सूचित किया कि मेडिकल स्टॉफ को नजदीक के दूसरे होटल और गेस्ट हाउस में शिफ्ट किया जा रहा है। इसके पीछे प्रशासन की दलील थी कि उन्हें कम दर पर कमरे उपलब्ध हो गए हैं, लिहाजा उन्हें वहां भेजा रहा है। डॉक्टरों को लाने ले जाने का पूरा इंतजाम भी प्रशासन और एम्स प्रबंधन की ओर से किया गया।
पिकाडिली के अलावा दो और होटलों में चिकित्सकों-नर्सिंग स्टॉफ के क्वारंटाइन की व्यवस्था की गई। मगर यहां भी चिकित्सा स्टाफ का अनुभव अच्छा नहीं रहा। उनके लिए होटल के खाने के बजाए टिफिन की व्यवस्था की गई है। यह कहा गया कि होटल का खाना महंगा पड़ता है। यही नहीं, पहले दिन तो बोतल बंद पानी दिया गया, बाद में होटल वालों ने बता दिया कि अब सादे पानी से ही काम चलाना पड़ेगा।
उद्योगपति रतन टाटा ने देश के सबसे महंगे, अपने मुंबई के ताज होटल को कोरोना की जंग लड़ रहे डॉक्टर-नर्सिंग स्टाफ को समर्पित कर दिया है ताकि उन्हें कोरोना जंग में किसी तरह की सुविधाओं में कमी महसूस न हो।
मगर छत्तीसगढ़ में सरकार चिकित्सा स्टॉफ को सुविधाएं उपलब्ध कराना तो दूर, उनका सम्मान भी नहीं रख पाई।दरअसल सरकार के दाएं हाथ को पता नहीं चलता कि बाएं हाथ ने किस हुक्म पर दस्तखत किये हैं। सरकार के भीतर की यह नौबत बार-बार इलाज सी जुड़े फैसलों को बदलवा रही है। एम्स सलाहकार समिति के सदस्य सांसद सुनील सोनी इस पूरे घटनाक्रम को लेकर स्वास्थ्य मंत्री और विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि सिर्फ एम्स के भरोसे ही कोरोना जांच और इलाज हो रहा है। जबकि राज्य सरकार का एक भी सरकारी अस्पताल जांच और इलाज के लायक तैयार नहीं है। सोनी ने यह भी कहा कि सिंहदेव जो भी कहते हैं, उसका पालन भी नहीं हो पाता है। बहरहाल, एम्स के नर्सिंग स्टाफ के हौसले की तारीफ करनी होगी, जो कि इतना सबकुछ होते हुए कोरोना के खिलाफ तन-मन से जुटा है, और किसी तरह की बयानबाजी से परहेज कर रहा है ।
पिकॉडली होटल से डॉक्टरों को निकाले जाने वाली खबरों पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि पूरी बात को जानने समझने में कहीं न कहीं चूक हुई है। डॉक्टरों के लिए जिला और नगरीय प्रशासन के माध्यम से पिकॉडली होटल को लिया गया था। इसके लिए रेट भी तय हुआ था, जिसमें खाना वगैरह सब कुछ था। कुछ दिन डॉक्टर वहां रहे भी। अच्छे से रहे, कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई। बाद में कम रेट की एक व्यवस्था हम लोगों को मिली तो विभाग ने उस विकल्प को लिया। स्वेच्छा से विभाग ने डॉक्टरों को शिफ्ट किया, लेकिन पता नहीं ये बात कैसी आई कि होटल प्रबंधन ने ऐसा कुछ किया। उन्होंने कहा कि होटल ने तो हमारा बहुत अच्छा ध्यान रखा। डॉक्टर भी वहां की व्यवस्था से पूरी तरह संतुष्ट भी थे। केवल पब्लिक के पैसों के खर्च को देखते हुए हम लोगों ने वहां जाने का निर्णय लिया, जहां कम पैसे में कमरे मिल रहे थे।
स्टिंग और बहाली
कोरोना के खिलाफ जंग में पुलिस कर्मियों की भूमिका को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। मगर कुछ घटनाएं ऐसी हो जा रही है जिससे खाकी पर दाग भी दिख रहा है। ऐसे ही एक प्रकरण में पिछले दिनों एक आरक्षक को सस्पेंड भी किया गया था। सुनते हैं कि बाहरी इलाके के थाने में पदस्थ आरक्षक एक प्रकरण को निपटाने के लिए रिश्वत मांगते स्टिंग ऑपरेशन का शिकार हो गया।
मीडिया में मामला आया, तो एसएसपी ने आरक्षक के खिलाफ कार्रवाई में देर नहीं लगाई। मामला यही खत्म नहीं हुआ। आरक्षक ने अपनी बहाली के लिए भरपूर कोशिश की और उनसे भी संपर्क किया जिसने स्टिंग ऑपरेशन किया था। स्टिंग ऑपरेटर ने बहाली कराने के लिए आरक्षक से ही एक लाख रूपए मांग लिए। अब गेंद आरक्षक के पाले में थी।
आरक्षक ने भी चतुराई दिखाते हुए बातचीत कर ऑडियो तैयार कर लिया। फिर उसने खुद को पाक साफ बताते हुए प्रमाण के तौर पर ऑडियो टेप आला अफसरों के समक्ष पेश भी किया। परन्तु किसी ने इसमें रूचि नहीं दिखाई। इसके बाद आरक्षक उस राजनेता के पास पहुंचा, जिसकी एसएसपी सबसे ज्यादा सुनते हैं। आरक्षक ने नेताजी को पूरी व्यथा सुनाई। साथ ही प्रमाण के तौर पर ऑडियो टेप भी सुनाई। फिर क्या था नेताजी ने एसएसपी को फोन कर दिया और आरक्षक की बहाली हो गई।
...जब रावण और केंवट को देखने भीड़ उमड़ी
दुरदर्शन पर धारावाहिक रामायण चल रहा है। तीन दशक बाद इस सीरियल की लोकप्रियता में कमी नहीं आई है। लोगों के बीच खूब पसंद किया जा रहा है। जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष अशोक बजाज ने रामायण के कलाकारों की बरसों पुरानी तस्वीर साझा की है। उस समय रावण की भूमिका निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी और निषाद राज की भूमिका निभाने वाले कलाकार, दोनों 1991-92 में साथ साथ छत्तीसगढ़ आए थे। वक्त निकाल कर दोनों जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष अशोक बजाज के गृह गांव खोल्हा (अभनपुर) पहुंचे जहां मड़ई मेले का आयोजन चल रहा था। इस दौरान लोगों ने उनका खूब स्वागत किया।
मड़ई मेले के मंच में उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में रामायण धारावाहिक के डायलॉग भी सुनाये थे। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण कल्चर से दोनों अति प्रभावित हुए थे। मंच में उन दोनों के अलावा जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष अशोक बजाज एवं वर्तमान सांसद सुनील सोनी भी मौजूद थे।