राजपथ - जनपथ
आगे-आगे देखें होता है क्या...
सीएस की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने डीकेएस घोटाले पर अपना प्रतिवेदन सरकार को सौंप दिया है। जांच प्रतिवेदन में भारी धांधली की पुष्टि होने पर प्रकरण ईओडब्ल्यू को सौंप दिया है। प्रारंभिक जांच में पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के दामाद डॉ. पुनीत गुप्ता की घोटाले में संलिप्तता साबित हुई है। प्रतिवेदन में यह कहा गया कि आउटसोर्सिंग सर्विसेस के लिए पुनीत गुप्ता ने अलग-अलग कंपनियों को बिना सक्षम अधिकारी के अनुमोदन के आशय पत्र जारी कर दिया।
प्रतिवेदन में एक और गंभीर टिप्पणी की गई है कि डीकेएस पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीस्ट्यूट एण्ड रिसर्च सेंटर की परिकल्पना से क्रियान्वयन तक अलग-अलग सेवाओं के लिए आउटसोर्सिंग के कार्य में पाई गई विभिन्न कमियां, पर्याप्त सही पर्यवेक्षण और समीक्षा के अभाव के लिए सभी स्तर के विभागीय अफसर जिम्मेदार हैं। यानी अब गेंद ईओडब्ल्यू के पाले में आ गई है। देखना है कि वह किस स्तर के अफसरों को पूछताछ के लिए बुलाती है, अथवा कार्रवाई करती है। यानी विभाग के उस समय के सभी छोटे-बड़े अफसरों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है, जिनमें से कुछ आज सरकार में महत्वपूर्ण जगहों पर बैठे हुए हैं, आगे-आगे देखें होता है क्या।
काटजू ने लिखा था कि मुल्ला ने लिखा था...
हैदराबाद में बलात्कार के आरोपियों को एक पुलिस मुठभेड़ में मारने को लेकर देश भर में बहस छिड़ी हुई है कि पुलिस के ऐसा करने की छूट मिलनी चाहिए या नहीं? लोकप्रिय प्रतिक्रिया कानून से परे है क्योंकि मारे जाने वाले लोग ऐसे नाचते लोगों के सगे नहीं हैं। ऐसे में लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कन्डेय काटजू का एक ट्वीट दुबारा पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने लिखा था- जस्टिस अवध नारायण मुल्ला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले में लिखा था- मैं जिम्मेदारी के पूरे एहसास के साथ कह रहा हूं कि पूरे देश में मुजरिमों का ऐसा कोई भी गिरोह नहीं है जिसके जुर्म का रिकॉर्ड भारतीय पुलिस कहे जाने वाले संगठित मुजरिम गिरोह के रिकॉर्ड के आसपास भी आता हो। ([email protected])