राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : स्मार्ट पुलिस के राज में किस्मत कारगर
23-Nov-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : स्मार्ट पुलिस के राज में किस्मत कारगर

लोग बड़े-बड़ेे महान लोगों की किताबों में जिंदगी के राज ढूंढते हैं। हकीकत यह है कि जिंदगी के कई किस्म के फलसफे ट्रकों के नीचे लिखे दिख जाते हैं, और कई बार लोगों के टी-शर्ट भी कड़वी हकीकत बताते हैं

स्मार्ट पुलिस के राज में किस्मत कारगर

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की पुलिस स्मार्ट और हाईटेक होने का दावा करती है और यहां के पुलिस कप्तान की स्मार्ट पुलिसिंग का डंका देश-विदेश में भी बजता है, लेकिन शहर में चोरी के एक ताजा मामले में कहानी कुछ और ही कह रही है। हम जिस चोरी की बात कह रहे हैं, वह है तो एक मामूली सी चोरी, लेकिन राजधानी की स्मार्ट और हाइटेक पुलिसिंग की पोल खोलने के लिए काफी है। रायपुर के फूल चौक से करीब 15 दिन पहले एक महिला डॉक्टर की एक्टिवा बाइक चोरी हो गई थी, जिसकी रिपोर्ट मौदहापारा थाने में लिखवाई गई। जैसा कि आमतौर पर होता है कि पुलिस ने खानापूर्ति के लिए काफी जद्दोजहद के बाद रिपोर्ट तो लिख ली, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि आपको आश्चर्य होगा कि यह चोरी की गाड़ी शहर के दूसरे थाने में ही पड़ी मिली। वो तो गनीमत है कि महिला डॉक्टर के परिचित का, जो किसी काम से थाने गए तो उन्होंने बाइक को पहचान लिया। 

राजधानी रायपुर में बाइक चोरी, उठाईगिरी और सूने घरों के ताले टूटने की दर्जनों रिपोर्ट रोजाना थाने में दर्ज होते हैं, लेकिन उसमें से अधिकांश मामलों में पुलिस शायद ही किसी नतीजे तक पहुंच पाती है। पीडि़त लोग भी यह मानकर चलते हैं कि उनका चोरी हुए सामान का मिलना मुश्किल है, फिर भी पुलिस से उम्मीद लगाए लोग थाने के चक्कर जरूर काटते हैं, हालांकि पुलिस थानों के चक्कर काटते-काटते उनकी आखिरी उम्मीद भी टूट जाती है। किसी किस्मत वाले को ही उसका चोरी हुआ सामान वापस मिल पाता है। ऐसे ही फूल चौक की इस महिला डॉक्टर का भाग्य ने साथ दिया तो उसकी चोरी हुई बाइक 15 दिन के भीतर मिल गई। रायपुर की सुयश हास्पिटल की डॉक्टर की गाड़ी 8 नवंबर को फूल चौक स्थित घर से चोरी हो गई। उन्होंने 9 तारीख को मौदहापारा में इसकी रिपोर्ट लिखवाई। यह अलग बात है कि रिपोर्ट लिखवाने के लिए भी उन्हें खूब पापड़ बेलने पड़े। इसके बाद वो अपनी बाइक की खबर लेने रोजाना थाने जाती थीं, लेकिन पुलिस वाले उन्हें डॉटकर भगा देते थे कि रोज रोज परेशान न करें। गाड़ी के बारे में जानकारी मिलने पर फोन कर दिया जाएगा। महिला डॉक्टर ने आसपास के सीसीटीवी कैमरा के फुटेज भी पुलिस को उपलब्ध कराए थे, जिसमें सुबह 4 बजे के आसपास चोर गाड़ी ले जाते दिखाई दे रहा था, लेकिन इसके बाद भी पुलिस ने कोई खोजबीन नहीं की। 

महिला डॉक्टर का 15 दिन में उत्साह धीरे धीरे ठंड़ा हो रहा था, इस बीच शुक्रवार को उनके एक रिश्तेदार किसी काम से टिकरापारा थाने पहुंचे तो उन्हें वहां एक्टिवा बाइक खड़ी दिखी। उन्होंने इसकी सूचना महिला डॉक्टर को दी तो उसने टिकरापारा थाने जाकर देखा तो वह उनकी ही गाड़ी निकली। इसके बाद उन्होंने इसकी सूचना मौदहापारा पुलिस को दी। थाने वालों ने पता करवाया तो जानकारी मिली कि गाड़ी लावारिस हालत में पड़ी मिली थी, तो उसे थाने में रखवा दिया गया था। अब सोचने वाली बात यह है कि शहर में एक थाने से दूसरे थाने के बीच सूचनाओं का आदान प्रदान नहीं हो रहा है, तो कैसी स्मार्ट पुलिसिंग का दावा किया जा रहा है। महिला डॉक्टर को किस्मत और रिश्तेदार की तत्परता के कारण गाड़ी कोर्ट से वापस मिल जाएगी, लेकिन हर किसी की किस्मत ऐसा हो जरूरी नहीं है। 

खास बात यह है कि महिला डॉक्टर ने अपनी गाड़ी को आकर्षक बनाने के लिए तरह-तरह के ग्राफिक्स बनवाए थे, इसीलिए रिश्तेदारों ने उसकी पहचान कर ली, वरना तो गाड़ी थाने में पड़े-पड़े सड़ जाती। एक और बात यह भी कि उनकी गाड़ी में पेट्रोल कम था, तो पेट्रोल खत्म होने पर चोर ने गाड़ी को लावारिस छोडऩा ही सही समझा। इस पूरे वाकये से ये सबक तो मिलता है कि गाड़ी में ज्यादा पेट्रोल न रखें और कुछ ऐसा निशान बनाकर रखें, ताकि गाड़ी और सामानों को कोई भी पहचान सके, क्योंकि रायपुर की स्मार्ट पुलिस ने शहर को किस्मत के भरोसे छोड़ दिया है।
([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news