राजपथ - जनपथ
सारी कायनात जुट गई...
रेडिएंट-वे स्कूल में हादसे को लेकर पिछले दिनों जमकर कोहराम मचा। हादसे में एक छात्रा बुरी तरह घायल हो गई। स्कूल में फीस बढ़ोत्तरी को लेकर पालक पहले से ही नाराज चल रहे थे। ऐसे में हादसे के बाद उन्हें प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलने का मौका मिल गया। पालक संघ के दबाव के बाद स्कूल संचालक समीर दुबे और अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर कार्रवाई के लिए सीएम और गृहमंत्री का भी दबाव था, लेकिन कुछ घंटे बाद मुचलके पर उन्हें छोडऩा पड़ा।
सुनते हैं कि समीर को छोडऩे के लिए ऐसा दबाव पड़ा कि पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। विधायक कुलदीप जुनेजा ने तो समीर को छोडऩे के लिए पुलिस की नाक में दम कर रखा था। भाजपा सांसद सुनील सोनी भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने ने भी समीर को छुड़ाने के लिए आईजी और एसपी को फोन किया। समीर, दिवंगत खुदादाद डंूगाजी के नाती हैं, उनके पिता मंगल दुबे की भी अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से आईएएस अफसरों के बीच बड़ी पकड़ रही है। रायपुर के आयुर्वेदिक कॉलेज का अस्पताल डूंगाजी की दान की हुई जमीन पर बना है।
ऐसे में समीर पर आफत आई, तो कई बड़े असरदार लोग भी समीर को छुड़ाने की कोशिश में जुट गए। ऐसे में सत्ता और विपक्ष के साथ-साथ बड़े कारोबारियों को एक मंच पर देख पुलिस के हौसले पस्त पड़ गए और थोड़ी-बहुत कानूनी कार्रवाई कर रिहा कर अपनी जान छुड़ाई। वैसे नेताओं में समीर दुबे के घर सबसे अधिक जाने-आने वाला जोगी परिवार रहा है, लेकिन आज इस परिवार की सिफारिश नुकसान छोड़ कोई नफा नहीं कर सकती।
बिना वल्दियत का अज्ञान...
सोशल मीडिया के वैसे तो कई औजार हैं, लेकिन जितना आसान और प्रचलित वॉट्सऐप है, उतना और कोई नहीं। लोगों को यह दिख जाता है कि उनके दोस्त अभी ऑनलाईन हैं या नहीं, उन्होंने उनका भेजा मैसेज पढ़ लिया है या नहीं। ऐसी सहूलियत के साथ इसका प्रचलन बढ़ते चल रहा है। और साम्प्रदायिक अफवाहों के तुरंत बाद इसमें दूसरा सबसे बड़ा बेजा इस्तेमाल मेडिकल दावों का हो रहा है। लोग कहीं से ऐसा संदेश पाते हैं कि डायबिटीज का इलाज क्या है, किस तरह कैंसर ठीक हो सकता है, और आनन-फानन उसे किसी धार्मिक भंडारे के प्रसाद की तरह चारों तरफ बांटने में लग जाते हैं। ज्ञान बांटने में काफी मेहनत लगती है, और उसे पाने वाले उतना खुश भी नहीं होते। लेकिन अज्ञान के साथ ऐसी कोई दिक्कत नहीं होती, और लोग उसे पाकर भी खुश होते हैं क्योंकि वह दिमाग पर जोर नहीं डालता, और उसे खूब बांटते भी हैं क्योंकि लोगों को लगता है कि वह दोस्तों का भला करेगा। भली नीयत के साथ भी फैलाए गए बेबुनियाद मेडिकल दावे लोगों को सुख देते हैं, भेजने वाले को भी, और पाने वाले को भी। जानकार मेडिकल सलाह लोगों को कहेगी कि रोज आधा घंटा तेज पैदल चलो, मीठा खाने से बचो, रात खाना जल्दी खत्म करो। दूसरी तरफ अज्ञान के पास घरेलू नुस्खों की भरमार रहती है कि सौफ और अजवाईन से, लहसुन और सरसों के तेल से कैसे डायबिटीज गायब हो सकता है, कैंसर खत्म हो सकता है, और दिल की तंग हो चुकी धमनियां फिर से गौरवपथ की तरह चौड़ी हो सकती हैं। सोशल मीडिया पर तैरता हुआ अज्ञान बिना वल्दियत वाला होता है, और उसकी कीमत किसी पखाने के दरवाजे पर भीतर की तरफ खरोंचकर लिखी गई बातों से अधिक नहीं होती।
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