राजपथ - जनपथ
एक बार और हार की तकलीफ
चित्रकोट में बड़ी जीत के बाद भी प्रदेश कांग्रेस के रणनीतिकार मायूस हैं। वजह यह है कि प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के पुत्र तनुज पुनिया बाराबंकी जिले की विधानसभा सीट से बुरी तरह हार गए। वे तीसरे स्थान पर रहे। जबकि साधन-संसाधन में कोई कमी नहीं थी। सुनते हैं कि छत्तीसगढ़ से कई नेताओं ने पुनिया के क्षेत्र में काफी कुछ दांव पर लगाया था। सीएम भूपेश बघेल भी वहां प्रचार के लिए गए थे। पुनिया के बेहद करीबी माने जाने वाले नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया तो तीन दिन तक वहां डटे रहे। इन सबके बावजूद पुनिया के बेटे की करारी हार को टाल नहीं सके ।
पुनिया के बेटे तनुज लोकसभा का भी चुनाव लड़े थे तब बड़ी संख्या में प्रदेश से नेताओं ने वहां जाकर प्रचार की कमान संभाली थी। इन सबके बावजूद तनुज पुनिया की जमानत नहीं बच पाई। इतना साधन-संसाधन जुटाने के बाद जीत नहीं हुई, तो दुखी होना स्वाभाविक है।
पार्टी के लोगों से ही परेशानी
राजनांदगांव के एक भाजपा नेता इन दिनों बेचैन हैं। वजह यह है कि पिछली सरकार में उन्होंने जमकर अवैध उत्खनन कराया था। वे तत्कालीन सांसद के करीबियों में गिने जाते थे, इसलिए कोई बाल-बांका नहीं हुआ। सरकार बदली, तो शिकायतें हो गई। अब अवैध खनन की फाइल तैयार हो रही है। जल्द ही उन पर गाज गिर सकती है। ऐसा नहीं है कि नेताजी खुद को बचाने के लिए कोई कोशिश नहीं कर रहे हैं। उन्होंने पार्टी के कई बड़े नेताओं से मदद भी मांगी है। मगर दिक्कत यह है कि भाजपा के ही विरोधी खेमे के लोग उन पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाए हुए हैं। अब भाजपा के लोग भी अपनी पार्टी के नेता के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं, तो भला सरकार-प्रशासन को कार्रवाई में परेशानी क्यों होगी।