राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अदालतों में झटके ही झटके
22-Oct-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अदालतों में झटके ही झटके

अदालतों में झटके ही झटके
सरकार को एक के बाद एक अदालत से झटके लग रहे हैं। पहले आरक्षण बढ़ाने के फैसले पर रोक लग गई थी। और अब पुलिस भर्ती के लिए नए सिरे से विज्ञापन जारी करने पर भी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। यही नहीं, अनुसूचित जाति, महिला आयोग के हटाए गए पदाधिकारी फिर स्टे लेकर बैठ गए हैं। ऐसे कई प्रकरण हैं, जिन पर सरकार अपने मनमाफिक फैसले लागू नहीं कर सकी और हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। यह सब देखकर सरकार के अंदरखाने में चर्चा आम हो गई है कि एजी ऑफिस सही ढंग से काम नहीं कर रहा है। 

जानकार बताते हैं कि सरकार कोई भी हो, एजी ऑफिस को सबसे पहले मजबूत करती है। काबिल वकीलों की नियुक्ति करती है। ताकि सरकारी फैसले के खिलाफ अदालत में पक्ष मजबूती से रखा जा सके। राज्य बनने के बाद पहले सीएम अजीत जोगी ने रविन्द्र श्रीवास्तव को एजी नियुक्त किया था। श्रीवास्तव, अविभाजित मप्र में अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में एजी थे। जोगी के बाद रमन सरकार ने मध्यप्रदेश के प्रतिष्ठित वकील रवीश अग्रवाल को एजी नियुक्त किया। रविश दो साल बाद खुद हट गए, तब एडिशनल एजी प्रशांत मिश्रा को एजी नियुक्त किया गया। 

प्रशांत मिश्रा जब हाईकोर्ट जज बने, तो देवराज सिंह सुराना को एजी  बना दिया गया। सुराना की सारी वकालत जिंदगी जिला अदालत तक सीमित रही थी, और हाईकोर्ट में वह काम नहीं आती। ऐसे में सुराना के एजी रहते रमन सरकार को यह अहसास हुआ कि अलग-अलग प्रकरणों में कोर्ट में उनका पक्ष कमजोर हो रहा है, तो उनका इस्तीफा लेकर संजय के. अग्रवाल को एजी नियुक्त किया गया। संजय के. अग्रवाल के हाईकोर्ट जज बनने के बाद जेके गिल्डा को एजी बनाया गया। गिल्डा उसके पहले करीब 10 साल एडिशनल एजी के पद पर काम कर चुके थे। 

कनक तिवारी आए और गए
भूपेश सरकार आई, तो बिलासपुर, जबलपुर और दिल्ली के बड़े वकीलों में एजी बनने की होड़ मच गई। तब कनक तिवारी को एजी बनाया गया। कनक तिवारी अपने पूरे जीवन कांगे्रस पार्टी से जुड़े रहे, या कांगे्रस की नेहरू-गांधी विचारधारा के आक्रामक विचारक रहे। तिवारी की गिनती भी प्रतिष्ठित वकीलों में होती है, लेकिन दो-तीन महीने में ही सरकार से उनकी पटरी नहीं बैठ पाई और उनका, न दिया गया इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद सतीशचंद्र वर्मा को एजी नियुक्त किया गया। वर्मा युवा हैं और उनसे पहले के एजी की तुलना में उनका बहुत कम अनुभव है। यही नहीं, उनकी टीम के सदस्यों का कोई लंबा अनुभव नहीं है। कुछ लोग कह रहे हैं कि सरकार का पक्ष मजबूती से नहीं रखा जा रहा है। बात चाहे सही न भी हो, जिस तरह अदालतों में सरकार को मुंह खानी पड़ रही है, उससे यह लगने लगा है कि एजी ऑफिस मजबूत नहीं है। 

सुप्रीम कोर्ट में सरकारी वकील...
कल जब सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की याचिका पर सुनवाई हो रही थी, तो वहां मौजूद एक वकील के मुताबिक छत्तीसगढ़ के एजी चुपचाप खड़े थे, और राज्य सरकार को नोटिस जारी हो गया। उनकी मौजूदगी में रिंकू खनूजा की मौत पर लंबी-चौड़ी चर्चा हुई, लेकिन वे अदालत में छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से खड़े हुए एक वरिष्ठ वकील की भी कोई मदद नहीं कर सके। कुल मिलाकर सरकार बैकफुट पर रही।

राज्य सरकार के कुछ सबसे बड़े अफसरों का भी यह तजुर्बा है कि अदालतों में चल रहे मामलों की खबर उन्हें एजी दफ्तर से समय रहते नहीं मिलती। सुप्रीम कोर्ट से मुकेश गुप्ता की याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी होने के चार दिन बाद भी डीजीपी डी.एम. अवस्थी यह दावा करते रहे कि उन्होंने किसी याचिका या नोटिस की कॉपी भी नहीं देखी है। मीडिया में छपा उनका ऐसा बयान लोगों को राज्य की कानूनी हालत पर हक्का-बक्का कर गया।

संजीव बख्शी ने फेसबुक पर लिखा है- 
आज 22 अक्टूबर को किशोर साहू महान फिल्म निर्माता-निर्देशक का जन्म दिवस है। ज्ञात हो कि किशोर साहू का जन्म दुर्ग में और उनकी पढ़ाई आदि की शुरुआत राजनांदगांव में हुई थी। तीन वर्ष पहले राजनांदगांव में किशोर साहू की जयंती में शानदार कार्यक्रम हुआ था जिसमें मुख्यमंत्रीजी ने किशोर साहू की आत्मकथा का विमोचन किया था यह आत्मकथा राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ था जोकि काफी चर्चित हुआ इस आत्मकथा के लिए रमेश अनुपम के साथ मैं भी मुंबई गया था जहां से किशोर साहू के पुत्र ने पांडुलिपि देकर यह विश्वास किया था कि इसका प्रकाशन ठीक ढंग से किया जाएगा तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने आत्मकथा के प्रकाशन के लिए रुचि दिखाई और अशोक माहेश्वरी राजकमल प्रकाशन से स्वयं पांडुलिपि लेने के लिए रायपुर आए थे। इस कार्यक्रम की विशेषता यह थी कि मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर पर फिल्म निर्देशक को 1000000 रुपए का सम्मान किया जाएगा और राज्य के स्तर पर ? 200000 का सम्मान प्रतिवर्ष दिया जाएगा पहले वर्ष में यह सम्मान राष्ट्रीय स्तर का श्याम बेनेगल को और प्रादेशिक स्तर का मनोज वर्मा को प्रदान किया गया था आज 22 अक्टूबर है लेकिन किशोर साहू जयंती पर ना तो सम्मान देने की कार्यवाही का कुछ पता चल रहा है और ना ही किसी कार्यक्रम का । हम जब मुंबई गए थे और किशोर साहू के पुत्र विक्रम साहू से मिले थे तो विक्रम साहू जी ने हमें बताया था कि किशोर साहू वह शख्सियत थे कि राज कपूर भी उस समय जब उनसे मिलने आते तो बराबरी के सोफे पर ना बैठ कर जमीन पर उनके सामने बैठते थे। ([email protected])

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