राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : राजनीतिक से ज्यादा कानूनी लड़ाई
11-Oct-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : राजनीतिक से ज्यादा कानूनी लड़ाई

राजनीतिक से ज्यादा कानूनी लड़ाई
भाजपा के रणनीतिकार सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ राजनीतिक लड़ाई के बजाए कानूनी विकल्पों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। तभी तो सीएम के खिलाफ दो दशक पुराने साडा जमीन आबंटन प्रकरण पर दर्ज अपराध के खात्मे की अनुशंसा के खिलाफ जिला अदालत में जमकर लड़ाई लड़ी गई। इस प्रकरण पर 17 तारीख को फैसला होगा। मगर भाजपा के रणनीतिकारों की प्रकरण पर दिलचस्पी लेने की राजनीतिक हल्कों में चर्चा का विषय है। सुनते हैं कि जमीन आबंटन प्रकरण पर भूपेश के खिलाफ उनके भतीजे भाजपा सांसद विजय बघेल को आगे किया गया है, लेकिन परदे के पीछे कई और बड़े चेहरे हैं। 

पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह की भूपेश से नाराजगी तो जगजाहिर है, लेकिन प्रकरण की मॉनिटरिंग रमन के करीबी रहे अफसर कर रहे हैं। खास बात यह है कि भूपेश के खिलाफ दर्ज प्रकरण के खात्मे के विरोध के लिए मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के सबसे महंगे वकील सुरेन्द्र सिंह की सेवाएं ली गई थी। जबकि भाजपा संगठन में वकीलों का एक अलग प्रकोष्ठ है। भाजपा संगठन के पदाधिकारी वकील, प्रकरण से दूर रहे। भूपेश के खिलाफ वकीलों के फीस पर ही लाखों रूपए फूंकने की चर्चा है। यह सब तब हो रहा है जब चित्रकोट उप चुनाव में पार्टी के नेता चुनावी फंड की कमी का रोना रो रहे हैं। इस प्रकरण पर पूर्व सीएम अजीत जोगी की तरफ से भी खात्मे की अनुशंसा के खिलाफ कड़ी आपत्ति दर्ज कराई गई। खैर, कानूनी लड़ाई का क्या हश्र होता है, यह देखना है। 

मंत्री से खफा पार्टी नेता
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को 9 महीने ही हुए हैं, लेकिन एक मंत्री ने अल्प समय में ही अपनी कार्यशैली से पार्टी के बड़े नेताओं को नाराज कर रखा है। मंत्रीजी की दखलंदाजी की वजह से डीएमएफ मद के कार्य भी काफी प्रभावित हुए हैं। यही नहीं, मंत्री समर्थकों की उगाही की शिकायत पीएचक्यू तक पहुंची है। सुनते हंै कि रोजमर्रा की शिकायतों के बाद मंत्रीजी पर अब लगाम कसा गया है। 

पहले चरण में मंत्रीजी के सारे करीबी अफसरों का तबादला एक-एक कर जिले से बाहर कर दिया गया है। साथ ही साथ मंत्री समर्थकों की गुंडागर्दी रोकने के लिए तेज-तर्रार पुलिस अफसर को वहां भेजा गया है। मंत्रीजी की हालत अब ऐसी हो गई है कि उन्होंने अपने विभाग के एक अफसर का तबादला जिले से बाहर किया, तो अफसर को कोर्ट से तबादले के खिलाफ स्टे मिल गया। संकेत साफ है कि मंत्रीजी ने अपनी कार्यशैली नहीं बदली, तो पंचायत चुनाव के बाद संभावित फेरबदल में उनका पत्ता साफ हो सकता है। 
([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news