राजपथ - जनपथ
मठ की जमीन का धंधा
रावणभाठा के निकट अंतरराज्यीय बस स्टैण्ड का निर्माण पूर्णता की ओर है। यह बस स्टैण्ड दूधाधारी मठ की जमीन पर बना है। बस स्टैण्ड शुरू तो नहीं हुआ है, लेकिन यहां दुकान हथियाने का खेल शुरू हो गया है। सुनते हैं कि कुछ लोगों ने खुद को मठ का करीबी बताकर दुकान दिलाने के नाम पर कईयों से पैसे भी ले लिए हैं। यह भी विश्वास दिलाया जा रहा है कि दुकान आबंटन में मठ का पूरा हस्तक्षेप रहेगा।
मठ के मुखिया महंत रामसुंदर दास हैं, जो कि सत्ताधारी दल से जुड़े हैं और दो बार विधायक भी रह चुके हैं। महंतजी खुद दुकान आबंटन में रूचि लेंगे या नहीं, यह साफ नहीं है। मगर उनके नाम का दुरूपयोग होने की चर्चा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि देर सबेर आबंटन के बाद एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हो सकता है।
मठों की जमीन की लूटपाट कोई नई बात नहीं है। कांगे्रस और भाजपा दोनों पार्टियों के कई बड़े-बड़े नेता सरकार या अदालत के कुछ गड़बड़ आदेश जुटाकर धर्म के नाम की संपत्ति पर कब्जा करने, खरीदने, और बेचने के धंधे में लंबे समय से लगे हुए हैं। कई मठों के मठाधीश भी अपनी पसंद की औरतों को जमीनों से उपकृत करने का लंबा इतिहास बना चुके हैं, और एक मठ के महंत तो ऐसी ही औरतबाजी के मामले में एक कत्ल करवा बैठे थे, जिससे बचने के लिए उस वक्त के एक मुख्यमंत्री के कहे लंबा-चौड़ा दान करके जानबख्शी पाई थी। इसलिए कहने के लिए तो यह कहा जाता है कि चोर का माल चंडाल खाए, लेकिन हकीकत यह रही है कि मठ का माल बदमाश खाए।
सेक्स के तार भोपाल से रायपुर तक...
मध्यप्रदेश के इंदौर-भोपाल में सेक्स के जाल में फंसाकर नेताओं, अफसरों, और कारोबारियों से करोड़ों की ब्लैकमेलिंग के मामले में भोपाल से रायपुर तक खलबली मची हुई है। सौ के करीब वीडियो मिले हैं, और पुलिस उनमें चेहरों की शिनाख्त करने में लगी हुई है। सेक्स रैकेट चलाने वाली महिलाओं के टेलीफोन कॉल डिटेल्स में मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के जिन लोगों के नंबर मिले हैं, उन्हें देखा जा रहा है, और भोपाल की होटलों में ठहरने वाले छत्तीसगढ़ के इन लोगों की जानकारी जुटाई जा रही है। वहां जांच कर रहे अफसर इन नंबरों की लोकेशन और भोपाल की इन सुंदरियों के फोन की लोकेशन मिलाकर भी देख रही है कि कब-कब ये लोग साथ में रहे। इस बीच जो नाम हवा में तैर रहे हैं, उनके मुताबिक छत्तीसगढ़ के एक आईएएस का नाम भी आ रहा है, एक आईपीएस और एक आईएफएस का नाम भी आया है। पिछली भाजपा सरकार के एक मंत्री का भी वीडियो मिलना बताया जा रहा है। अब जांच का दायरा छत्तीसगढ़ में इस हद तक पहुंच सकता है कि इन बड़े अफसरों और मंत्रियों से इन महिलाओं ने नगद के अलावा और कौन से काम करवाए हैं।
मध्यप्रदेश से यह खबर भी मिली है कि वहां ई-टेंडरिंग में जो हजारों करोड़ का घोटाला हुआ है, उसमें भी प्रभाव डालने के लिए इन वीडियो का इस्तेमाल हुआ था। अब एक सवाल यह उठता है कि छत्तीसगढ़ में भी चिप्स में ऐसा टेंडर घोटाला हुआ है जो कि अफसरों की भागीदारी से ही हो पाया था। अब साबित कुछ हो या न हो, कम से कम जांच की आंच तो वहां तक पहुंच ही सकती है। रायपुर में कल पूरा दिन मंत्रालय और पीएचक्यू में अफसरों के जत्थे बैठकर नामों की अटकलें लगाते रहे, और ऐसे ही कई पुराने मामले भी चर्चा में रहे जिन दिनों वीडियो क्लिप की तकनीक इतनी आसान नहीं थी। लेकिन हर जगह बिना पुख्ता जानकारी के महज अटकलों से नाम छांटे जा रहे थे, जो कि खबरों में मिले संकेतों से परे अपनी-अपनी भावना के हिसाब से अधिक थे।
इस बीच छत्तीसगढ़ के सरकारी दफ्तरों में महिलाओं के साथ बदसलूकी और उनके यौन शोषण की कुछ पुरानी और कुछ नई कहानियां सिर उठा रही हैं। ([email protected])