राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : तबादले और बदनामी
22-Jul-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : तबादले और बदनामी

सरकार में तबादले पर किचकिच चल रही है। एक-दो जगह तो पार्टी के पदाधिकारी, प्रभारी मंत्री के खिलाफ खुलकर आ गए हैं। वे इसकी शिकायत भी पार्टी संगठन में कर चुके हैं। सुनते हैं कि पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री प्रदीप जैन पिछले दिनों प्रदेश दौरे पर आए थे। कांग्रेस के एक जिला अध्यक्ष, अपने कुछ सहयोगियों के साथ उनसे मिलने पहुंचे और  सीधे-सीधे अपने जिले के प्रभारी मंत्री की शिकायत कर दी। मंत्रीजी को लेकर जिला अध्यक्ष की शिकायत यह थी कि तबादले में मनमर्जी कर रहे हैं, संगठन के नेताओं को भाव नहीं दे रहे हैं। प्रदीप जैन ने प्रभारी सचिव चंदन यादव को सारी जानकारी देने की सलाह दी है। 

दरअसल, मंत्रीजी नियमों के जानकार माने जाते हैं और तबादले को लेकर भी एकदम पारदर्शी रहते हैं, जबकि जिले के नेता तबादले के लिए लंबा-चौड़ा हिसाब लेकर बैठे थे। जब उन्हें महत्व नहीं मिला, तो मंत्रीजी की ही शिकायत करते घूम रहे हैं। रायपुर जिले में तो अलग तरह की स्थिति पैदा हो गई है। यहां जिले के कांग्रेस विधायक एकमत होकर स्कूलों में लंबे समय तक तैनात शिक्षकों का तबादला चाह रहे थे, लेकिन एक विधायक ने अचानक रूख बदल दिया। उन्होंने कुछ पुराने लोगों की सिफारिश कर दी। विधायकों में एकमत न होने से प्रभारी मंत्री भी परेशान हैं।

लेकिन जैसा कि किसी भी पार्टी की सरकार में किसी भी प्रदेश में होता है, तबादला उद्योग बिना लेन-देन चल नहीं रहा है, और बदनामी हो रही है। लेकिन कांगे्रस पहले ही लंबे समय तक सरकार चलाने का तजुर्बा रखने वाली पार्टी है, इसलिए बदनामी को लेकर जरूरत से ज्यादा संवेदनशील भी नहीं है। एक कांगे्रस नेता ने कहा कि नक्सल हिंसा और भ्रष्टाचार इन दो को लेकर अधिक फिक्र नहीं करनी चाहिए, ये दोनों 22वीं सदी में भी जारी रहेंगे।

भविष्य भयानक है...
मोबाइल पर इन दिनों फेसऐप नाम का एक ऐसा रूसी ऐप आया है जो लोगों की तस्वीरों में उम्र जोड़ या घटाकर उनकी एक काल्पनिक तस्वीर बना देता है। लोग बीस-तीस बरस उम्र घटाकर अपनी आज की तस्वीर को देख सकते हैं, या बीस-पच्चीस बरस बढ़ाकर भी। कोई अगर इसके इस्तेमाल के आंकड़े देख सके, तो लोग अपनी किसी एक तस्वीर को ही बूढ़ा बनाकर देखते होंगे, और फिर दहशत में आकर बुढ़ापे में झांकना बंद कर देते होंगे। इसके बाद लोग अपनी जवानी, और उसके भी पहले की तस्वीरों में लग जाते होंगे। इस ऐप के बारे में एक अमरीकी सांसद ने फिक्र जाहिर की है कि इसके रास्ते रूसी खुफिया एजेंसियां लोगों के फोन तक घुसपैठ कर ले रही हैं, और अमरीका में इस पर रोक लगाने की मांग की है। हकीकत यह है कि न सिर्फ यह ऐप, बल्कि दुनिया भर में अरबों दूसरे ऐप भी फोन तक घुसपैठ का हक मांगते हैं, तभी काम शुरू करते हैं। और तो और हिन्दुस्तान में नमोऐप और छत्तीसगढ़ सरकार का भुइयांऐप भी फोन तक पूरी घुसपैठ मांगते हैं, तभी काम करते हैं। अब छत्तीसगढ़ सरकार के जमीन रिकॉर्ड दिखाने वाले भुइयांऐप को लोगों की फोनबुक, उनके फोटो फोल्डर, उनके माइक्रोफोन तक पहुंच मांगने की क्या जरूरत रहती है? लेकिन सरकार भी लोगों को मुफ्त में कुछ देना नहीं चाहती है, और उसके एवज में घुसपैठ मांगती है। अब यह लोगों को तय करना है कि वे किस-किस एप्लीकेशन के इस्तेमाल के लिए अनजानी कंपनियों के सामने अपना तौलिया उतारकर खड़े होना चाहते हैं। 

जिन्हें पानी जैसा रहना चाहिए, वे ठर्रा जैसे...
देश-प्रदेश में राजनीतिक दलों के प्रवक्ता कई बार अपने दल की बात करने के बजाय अपनी बात करने और अपने आपको महिमामंडित करने के काम में ऐसे जुट जाते हैं कि लगता है कि वे पार्टी हैं, और पार्टी उनकी प्रवक्ता है। यह बात तय है कि जब प्रवक्ता अपनी पार्टी से बड़े होने लगते हैं, अपने आपको चबूतरे पर चढ़ी प्रतिमा की तरह स्थापित करने में लग जाते हैं, तो पार्टी पर बुरे दिनों का खतरा मंडराने लगता है। एक पार्टी के जिम्मेदार प्रवक्ता रहने के लिए लोगों को पानी की तरह रहना चाहिए जो कि चाय से लेकर शरबत तक, और दारू से लेकर दाल तक, काम तो आए, लेकिन न अलग से दिखे, न अलग से उसका कोई स्वाद हो। आज हालत यह है कि राजनीतिक दलों के प्रवक्ता, या मंत्रियों और दूसरे नेताओं के मीडिया प्रभारी पार्टी और नेता से अधिक अपनी तस्वीरों को फैलाते हैं, और पार्टी के जिक्र को एक सीढ़ी की तरह इस्तेमाल करते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर भी एक दिक्कत यह रहती है कि बड़े-बड़े धाकड़ वकीलों को बड़ी पार्टियां प्रवक्ता बनाती हैं, और वे पार्टी की सोच को सामने रखने के बजाय अपने तर्कों को पेश करते हुए मानो अपनी वकालत के प्रचार में लगे रहते हैं। समझदार राजनीतिक दल वे होते हैं जो महत्वाकांक्षी नेताओं को पार्टी प्रवक्ता नहीं बनाते। ([email protected])

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