राजपथ - जनपथ

चलती ट्रेन में एटीएम
ये है पंचवटी सुपरफास्ट एक्सप्रेस जो मुंबई को मनमाड से जोड़ती है। मुंबई और नासिक के बीच यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए परिवहन का एक दैनिक लोकल ट्रेन लेकिन एक्सप्रेस साधन है। यह मनमाड और नासिक के यात्रियों की जीवन रेखा है, इस ट्रेन से हजारों यात्री रोजाना नासिक और मुंबई के बीच यात्रा करते हैं। इस ट्रेन अपनी कुछ विशेषताएं है। इस वजह से हर साल 1 नवंबर 1975 से शुरू हुई इस ट्रेन का यात्री जन्मदिन मनाते हैं। और यह ट्रेन लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में एक आदर्श ट्रेन के रूप में दर्ज है।
यह मध्य रेलवे की प्रतिष्ठित ट्रेनों में से एक है। इसकी विशेषताओं में एक और सुविधा जुड़ गई है। और वह यह कि यह देश की पहली एटीएम युक्त ट्रेन हो गई। यानी अब आपको ट्रेन में किसी भी तरह के खर्च के लिए जेब वालेट और लेडीस पर्स में घर से कैश लेकर चलने की जरूरत नहीं है। बस जरूरत है ते अपना एटीएम कार्ड रख लें। मध्य रेलवे ने ट्रेन के प्रवेश गेट पर ही एटीएम मशीन लगाई है। जो आम एटीएम की तरह लाखों के कैश लोड के साथ रहती है। बस जी भर कर इस्तेमाल करते जाइए। यह तस्वीर हमें मुंबई में रहने वाले डीडी नगर रायपुर के एक निजी बैंक कर्मी रजत कुमार ने शेयर की है।
सरगुजा की बीमार स्वास्थ्य सेवा
आदिवासी बहुल सरगुजा जिले से एक बार फिर से मानवता को झकझोर देने वाली खबर है। एक नहीं, दो-दो नवजातों की मौत – और कारण वही पुराना, वही लापरवाही, वही गैर-जिम्मेदाराना व्यवस्था। लुंड्रा विकासखंड के बरगीडीह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ एक नर्स के भरोसे छोड़ दिया गया। डॉक्टर ड्यूटी पर मौजूद नहीं था, फोन करने पर भी आने से इनकार कर देता है और प्रसव का जिम्मा अकेली नर्स के कंधे पर पड़ा। दर्द से तड़पती महिला। ऑपरेशन की ज़रूरत पडऩे पर नर्स ने लाचारी जाहिर कर दी। अंतत: एक मृत बच्चे का जन्म होता है। दूसरी घटना में आठ घंटे तक एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण नवजात की जान चली जाती है। लगता है छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में तैनात अपनी ड्यूटी को बोझ समझते हैं। अभी हाल ही में वायरल हुआ लुंड्रा बीएमओ का कथित वीडियो कुछ ऐसा ही कहता है। उनका कहना है कि उसे मेडिकल लाइन से कोई लेना-देना नहीं है। मेरी मर्जी के खिलाफ मुझे बीएमओ बनाकर बिठा दिया गया है। बताया जा रहा है कि उस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तीन डॉक्टर और चार नर्स पदस्थ हैं, फिर भी उस रात सिर्फ एक नर्स ड्यूटी पर थी। सवाल यह है कि क्या इन मासूमों की मौतों की कोई जवाबदेही तय होगी? सरगुजा जैसी आदिवासी बहुल और दूरस्थ इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत और भी ज्यादा होती है। कई संरक्षित जनजातियां यहां हैं। यहां का एक-एक जीवन, एक-एक बच्चा, वहां के सामाजिक और सांस्कृतिक तानेबाने की बुनियाद है। और वहां से बार-बार ऐसी खबरें आती हैं जो बताती है कि यहां असंवेदनशील स्टाफ भरे पड़े हैं।
(rajpathjanpath@gmail.com)