कांग्रेस में कौन कहाँ
आखिरकार कांग्रेस ने शनिवार को 11 जिला अध्यक्षों की सूची जारी कर दी। इन अध्यक्षों को बदला जाना था। खास बात ये है कि प्रदेश के बड़े नेताओं की पसंद पर जिला अध्यक्षों का चयन किया गया। साथ ही प्रभारी सचिवों की राय को भी तवज्जो दी गई।
मसलन, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत की पसंद पर कोरबा शहर और ग्रामीण अध्यक्ष की नियुक्ति की गई। पूर्व डिप्टी सीएम टी.एस. सिंहदेव की सिफारिश पर सरगुजा और बलरामपुर जिला अध्यक्ष की नियुक्ति की गई। पूर्व सीएम भूपेश बघेल की अनुशंसा पर राकेश ठाकुर को दुर्ग और चंद्रेश हिरवानी को बालोद जिला अध्यक्ष बनाया गया।
र्व विधायक आशीष छाबड़ा को बेमेतरा जिले की कमान सौंपी गई। छाबड़ा, पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के करीबी माने जाते हैं। इन सबके बीच में एक-दो नाम ऐसे भी हैं जिनकी नियुक्ति को लेकर पार्टी के भीतर काफी चर्चा हो रही है। बलौदाबाजार-भाटापारा जिले की कमान महिला नेत्री सुमित्रा धृतलहरे को सौंपी गई है। सुमित्रा जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लडऩा चाहती थी लेकिन पार्टी ने उन्हें अधिकृत नहीं किया। सुमित्रा की जगह एक पूर्व मंत्री के नजदीकी रिश्तेदार को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया गया। मगर अब पार्टी ने सुमित्रा को सीधे जिले की कमान सौंप दी है।
इसी तरह नारायणपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बीसेल नाग की नियुक्ति की गई है, जिसके नाम पर एक तरह से आम सहमति रही है। इसी तरह कोण्डागांव में बुधराम नेताम को जिला अध्यक्ष बनाया गया है, जो कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के नजदीकी माने जाते हैं। यानी नियुक्तियों में हाईकमान ने सभी गुटों को साधने की कोशिश की है।
लालबत्तियां कब?
भाजपा संगठन में भी बड़े बदलाव की चर्चा है। प्रदेश अध्यक्ष किरणदेव की नई कार्यकारिणी अगले महीने के आखिरी तक जारी हो सकती है। पार्टी के रणनीतिकार नए चेहरे को आगे लाने की तैयारी कर रहे हैं। यह चर्चा है कि वर्तमान में प्रदेश के महामंत्री, और उपाध्यक्ष जैसे पदों पर बैठे कई नेताओं को 'लालबत्ती' मिल सकती है।
पीएम नरेन्द्र मोदी का 30 तारीख को बिलासपुर प्रवास है। कहा जा रहा है कि मोदी के दौरे के बाद निगम मंडलों के पदाधिकारियों की एक सूची जारी हो सकती है। निगम मंडलों की नियुक्ति में क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखा जाएगा। इससे परे संगठन में मोर्चा-प्रकोष्ठ के अध्यक्षों के लिए उपयुक्त नाम तलाशे जा रहे हैं। आरएसएस से भी चर्चा चल रही है। कुछ नेताओं का अंदाजा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद किरण देव की नई टीम घोषित की जा सकती है।
बिना प्रसाधन कन्या दान
एमसीबी (मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर) जिले में कल सामूहिक कन्या विवाह सम्मेलन रखा गया। अफसरों ने नव दंपतियों को दिए जाने वाले चेक और उपहारों का वितरण मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से कराया। आगे-पीछे अफसर होते हैं तो मंत्रियों को पता ही नहीं चलता कि अफसर क्या-क्या गुल खिलाते हैं। चिरमिरी के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में भी कुछ ऐसा ही हुआ। सामूहिक विवाह के लिए जो युवा पहुंचे थे उनके लिए महिला बाल विकास विभाग ने चेंजिंग रूम की व्यवस्था ही नहीं की थी। वर, वधू और उनके अभिभावक इसे लेकर खासे परेशान हुए। कोई किसी झाड़ी के पीछे तो कोई किसी दीवार के कोने में जगह बनाकर कपड़े बदल रहा था। पता चला है कि इस आयोजन के लिए 11 लाख रुपये का बजट मिला था। अस्थायी प्रसाधन कक्ष कुछ टेंट, शीट, कनात खींचकर थोड़े से बजट से बनाए जा सकते थे, मगर अधिकारियों ने यह पैसा बचा लिया। पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में नये जोड़ों को उपहार देने की परंपरा शुरू हुई थी। तब बलरामपुर जिले में तत्कालीन मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह ऐसे ही एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। वहां घटिया बर्तन वितरित करने की शिकायत वहां के जनप्रतिनिधियों ने उनसे की थी, मगर कोई कार्रवाई किसी पर नहीं हुई थी। करीब 3-4 साल पहले महासमुंद से खबर आई थी कि वहां के कलेक्टर ने घटिया गद्दे रजाई और बर्तन बांटने से ऐन वक्त पर रोक दिया था और विभाग के अधिकारियों को फटकारा था। मगर, वही घटिया दर्जे के उपहार कुछ बाद हुए दूसरे विवाह सम्मेलन में बांट दिया गया। तब तक कलेक्टर का तबादला हो चुका था। बाल विकास विभाग में बच्चों के पोषण आहार में कमीशनखोरी अक्सर चर्चा में रहती है। सामूहिक विवाह के लिए सामान खरीदने, समारोह की व्यवस्था करने पर निर्धारित बजट में भी इसी तरह की गड़बड़ी होती है।