कुख्यात विभाग का कारनामा
प्रदेश में वृक्षारोपण अभियान की पोल खुल रही है। पिछले साल साय सरकार ने एक पेड़ मां के नाम अभियान चलाया था। इस अभियान में करोड़ों रूपिये खर्च किए गए थे। नवा रायपुर में तो 5 रुपए के पेड़ 11 सौ से 19 सौ रुपए में खरीदे गए। यह जानकारी विधानसभा में आई, तो सदस्य हैरान रह गए। ऐसा नहीं है कि वृक्षारोपण के नाम पर गड़बड़झाला पहली बार हो रहा है।
विधानसभा में एक और जानकारी आई है जिससे इस अभियान में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। दुर्ग वनमंडल ने भिलाई के इंजीनियरिंग पार्क में वर्ष 2016-17 में पेड़ लगाने के नाम पर 71 लाख 30 हजार रुपए फूंके थे। यह दावा किया गया था कि 20 हजार पौधों का रोपण किया गया है। अब ताजा जानकारी आई है कि वहां सिर्फ 310 पेड़ ही बचे हैं। ये भी संयोग है कि वर्तमान हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स वी श्रीनिवास राव दुर्ग मंडल में ही उस अवधि में आगे-पीछे सीसीएफ रह चुके हैं। सरकार कोई भी हो, भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर वन विभाग कुख्यात रहा है।
छोटे चुनाव और बड़ी पार्टी
प्रदेश के जिला, और जनपदों में भाजपा को बड़ी जीत मिली है। पार्टी सभी 33 जिलों में अपना अध्यक्ष बनवाने में कामयाब होते दिख रही है। अब तक 27 जिलों पर तो भाजपा का परचम लहरा चुका है। इतनी बड़ी जीत के बावजूद भाजपा के अंदरखाने में एक अलग ही तरह का संघर्ष देखने को मिला है। सरगुजा संभाग में पार्टी के गोंड, और कंवर आदिवासी नेताओं के बीच रस्साकशी चल रही है।
वैसे तो लोकसभा चुनाव के समय ही इसकी शुरुआत हो गई थी। भाजपा ने कंवर समाज के चिंतामणि महाराज को प्रत्याशी बनाया, तो गोंड समाज का अपेक्षाकृत समर्थन नहीं मिला। इस वजह से चिंतामणि महाराज एक बड़ी जीत दर्ज करने से रह गए थे। जबकि विधानसभा चुनाव में सभी 8 सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा है। चिंतामणि महाराज करीब 64 हजार वोट से ही जीत पाए थे। पंचायत चुनाव में सरगुजा के छह जिलों में से 4 में जिला पंचायत अध्यक्ष कंवर समाज के हैं। इसको लेकर गोंड समाज के कई नेताओं ने अलग-अलग स्तरों पर नाराजगी जताई।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री रेणुका सिंह भी नाखुश बताई जा रही हैं। वो अपनी पुत्री मोनिका सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाना चाहती थीं, जिसके लिए पार्टी तैयार नहीं हुई। और अब जब पार्टी ने गोंड नेताओं की नाराजगी सुनाई दी है, तो पार्टी ने सरगुजा जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर श्रीमती निरूपा सिंह को बिठाया, और एमसीबी जिले में भी गोंड समाज के जिला पंचायत सदस्यों में से अध्यक्ष बनाने की कोशिश चल रही है। कुल मिलाकर आदिवासी समाज के अलग-अलग तबकों के बीच संतुलन बनाए रखने की पार्टी के भीतर कोशिशें चल रही है। ऐसा नहीं हुआ, तो इसका आने वाले समय में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
जीतने वाले बागी नहीं हुआ करते
कोरबा नगर निगम में सभापति चुनाव ने दिलचस्प मोड़ ले लिया, जिसने अनुशासित भाजपा की रणनीति और अनुशासन को सवालों के घेरे में खड़ा किया। भारी बहुमत के बावजूद पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार हितानंद अग्रवाल की हार हो गई। बागी प्रत्याशी नूतन सिंह ठाकुर की अप्रत्याशित जीत हुई है।
भाजपा के पास 61 में से 45 पार्षद थे। कांग्रेस और निर्दलीय पार्षदों की कुल संख्या 22 थी, जो अलग-अलग या एक साथ, किसी भी सूरत में चुनौती पेश करने की स्थिति में नहीं थे। मगर, भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी हितानंद को केवल 18 वोट मिले, जबकि नूतन सिंह ठाकुर को 33 । भाजपा के पार्षदों ने बड़ी संख्या में क्रॉस वोटिंग कर दी।
ऐन मौके पर एक निर्दलीय पार्षद अब्दुल रहमान ने भी चुनाव लडऩे का फैसला लिया और उन्हें 16 वोट मिले। भाजपा में अधिकृत प्रत्याशी के चयन को लेकर उपजे असंतोष के चलते उन्हें कोई संभावना दिखी होगी। उन्हें निर्दलियों की कुल संख्या से 5 अधिक वोट मिले।
जिला भाजपा अध्यक्ष मनोज शर्मा का रुख भाजपा पार्षदों के इस बगावत पर कड़ा रुख है। उन्होंने कठोर कार्रवाई की बात कही है। मगर स्थानीय मंत्री लखन लाल देवांगन का कहना है कि पार्षद जिसे चाहते थे, उसे चुन लिया गया। महापौर और सभापति दोनों हमारे (भाजपा के) हैं। सभापति ने भी चुनाव जीतने के बाद कहा है कि वे कहीं नहीं गए हैं, भाजपा मे ही हैं। देवांगन की बात ही ज्यादा व्यावहारिक लग रही है। जीपीएम जिले में ही देखिये वहां भाजपा विधायक प्रणव मरपच्ची की बहन को पार्टी ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार बनाया, मगर उसे भाजपा की ही नेत्री समीरा पैकरा ने बगावत करके हरा दिया। केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने पैकरा को जीत की बधाई दी और मरपच्ची ने पैकरा को कांग्रेसी घोषित कर दिया।
एआई तकनीक उठाएगा जंगल के रहस्यों से पर्दा
उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व के घने जंगलों में लगाए गए ट्रैप कैमरे अब एआई तकनीक की मदद से वन्यजीवों की स्पष्ट तस्वीरें सामने ला रहे हैं। पहले जहां ये कैमरे केवल धुंधली और अस्पष्ट छवियां कैद करते थे, अब एआई की सहायता से जानवरों की पहचान, गतिविधि और संख्या का सटीक विश्लेषण संभव हो पा रहा है। इस तकनीक के चलते बाघ, भालू, तेंदुआ, हिरण और अन्य वन्यजीवों की दिनचर्या को करीब से समझा जा रहा है, जिससे उनके संरक्षण की रणनीतियां और अधिक प्रभावी बन रही हैं। यह पहल जंगल के उन अनछुए रहस्यों को उजागर कर रही है, जो अब तक सिर्फ किवदंतियों का हिस्सा थे। ऐसी ही कुछ तस्वीरें टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने सोशल मीडिया पर डाली है। ([email protected])