राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : या तो संगठन, या चुनाव
23-Jan-2025 4:35 PM
राजपथ-जनपथ : या तो संगठन, या चुनाव

या तो संगठन, या चुनाव 

भाजपा में नगरीय निकाय प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया चल रही है। पार्टी संगठन के एक अलिखित फैसले से हलचल मची हुई है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि मंडल और जिला अध्यक्षों को चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा। जबकि कई मंडल, और जिलाध्यक्ष वार्ड चुनाव लडऩा चाह रहे थे। रायपुर में नवनिर्वाचित शहर जिलाध्यक्ष रमेश ठाकुर लाखे नगर वार्ड से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे थे। ठाकुर तीन बार पार्षद रह चुके हैं। मगर इस बार उन्हें चुनाव लडऩे की इजाजत नहीं दी है। इसी तरह कुछ मंडल अध्यक्ष भी वार्ड चुनाव लडऩे के मूड में थे, लेकिन उन्हें वार्डों में जाकर पार्टी प्रत्याशी को जिताने के लिए की जिम्मेदारी दी गई है। न सिर्फ रायपुर बल्कि बाकी जिलों में भी कमोबेश यही स्थिति है।  दूसरी तरफ, पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं हो रहे हैं। अलबत्ता, भाजपा जिला और जनपद के लिए अपने समर्थित प्रत्याशियों की सूची जारी करेगी। पंचायतों में भी यथा संभव जिला और मंडल के पदाधिकारियों को चुनाव लडऩे से मना किया गया है, फिर भी कुछ जगहों पर मंडल के पदाधिकारी चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। 

कांग्रेस में मेयर पर सोच-विचार 

कांग्रेस में कुछ मौजूदा मेयर को फिर से चुनाव लड़ाने पर विचार चल रहा है। इनमें अंबिकापुर से डॉ. अजय तिर्की, और चिरमिरी से कंचन जायसवाल प्रमुख हैं। डॉ. तिर्की के नाम पर ज्यादा कोई विवाद नहीं है। अलबत्ता, चिरमिरी की मौजूदा मेयर कंचन जायसवाल अथवा उनके पति पूर्व विधायक डॉ. विनय जायसवाल के नाम पर भी चर्चा चल रही है। 

चिरमिरी से पूर्व मेयर डमरू रेड्डी भी जोर लगा रहे हैं। कुल मिलाकर यहां नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत की पसंद पर मुहर लग सकती है। इससे परे कोरबा से पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल की पत्नी रेणु अग्रवाल की टिकट पक्की मानी जा रही है। रेणु एक बार मेयर रह चुकी हैं। और जयसिंह नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत के करीबी माने जाते हैं। यही वजह है कि रेणु अग्रवाल की टिकट को लेकर ज्यादा कोई विवाद नहीं है।

हालांकि बिलासपुर, रायगढ़, राजनांदगांव, और धमतरी मेयर भी टिकट चाहते हैं। पार्टी की सोच भी है कि मौजूदा मेयर को प्रत्याशी बनाने से चुनाव खर्च को लेकर समस्या नहीं आएगी, लेकिन जीत की संभावना भी टटोली जा रही है। बावजूद इसके दो-तीन मेयर फिर चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। 

दो अध्यक्षों की इज्जत दांव पर 

चर्चा है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज जगदलपुर मेयर टिकट को लेकर उलझन में हैं। बस्तर के एक और प्रभावशाली नेता पूर्व मंत्री कवासी लखमा जेल में हैं। इस वजह से जगदलपुर मेयर टिकट बैज की पसंद से ही तय होने की उम्मीद है। यहां से बैज के करीबी प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू का नाम भी चर्चा में है। मलकीत सिंह की अच्छी पकड़ भी है। मगर वो असमंजस में है। 

दूसरी तरफ, जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, और लखमा के करीबी राजीव शर्मा, और मनोहर लूनिया का नाम भी चर्चा में है। दीपक बैज, जगदलपुर के प्रत्याशी को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाह रहे हैं। और यहां चुनाव हारने से उनके लिए भविष्य की राह आसान नहीं रह जाएगी। इससे परे भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष किरणदेव की साख भी दांव पर है। कुल मिलाकर बैज स्थानीय नेताओं से लगातार चर्चा कर सर्वमान्य प्रत्याशी की खोज में जुटे हैं। देखना है आगे क्या होता है। 

चुनाव और पटवारियों पर कार्रवाई

सरकार के ऑनलाइन कामकाज के विरोध में एक माह से प्रदेश के पटवारी हड़ताल पर है। इससे फील्ड में भू राजस्व का काम चरमरा गया है। एक माह से खसरा बी-वन की नकल तक नहीं मिल रही। नामांतरण तो दूर की बात है। ग्रामीण इलाकों में गहन आक्रोश और सरकार के प्रति नाराजगी घर कर गई। सामने ग्रामीणों की हिस्सेदारी वाले पंचायत चुनाव होने हैं। कहीं यह भारी न पड़ जाए इसे देखते हुए राजस्व विभाग पटवारियों पर कार्रवाई कर रहा है। पहले पटवारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष और सचिव का तबादला कर दिया ।और अब निलंबन, सेवा से पृथक करने की धमकी दी जा रही। और अब यह विवाद बड़े पैमाने पर कर्मचारियों के वृहद संगठन तक जा पहुंचा है। 

फेडरेशन के नेताओं का कहना है कि सरकार कर्मचारी नेताओं से संवाद करने के बजाय लगातार उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है। हम चाहते हैं कि सरकार को कार्रवाई करने के बजाय कर्मचारी संगठनों से संवाद कर समस्याओं के समाधान के लिए पहल करनी चाहिए। फेडरेशन ने कर्मचारी नेताओं के खिलाफ की जा रही कार्रवाई का विरोध और  निंदा की है। नई सरकार के एक वर्ष बाद ही हर विभाग,वर्ग के कर्मचारी पिछली सरकार को याद करने लगे हैं। उनका कहना था कि पिछली सरकार का खौफ, अफसरों में होता था न कि कर्मचारियों पर।

शिक्षा विभाग के एक कर्मचारी नेता ने लिखा शिक्षा विभाग  को भी प्रयोगशाला बना कर रख दिया गया है। परीक्षा के समीप चुनाव का आयोजन कर वैसे ही इस शैक्षणिक सत्र का बंदरबाट कर दिया गया है। रोज नित नए आदेश, ऑनलाइन अवकाश, राजस्व तथा अन्य विभाग के नए नए कार्य थे शिक्षा विभाग के माथे मढ़ कर पढ़ाई को कागजों में प्राथमिकता पर रखा है। हकीकत में अंतिम है।

अस्पताल में इंद्रधनुष देखा ?

यह केरल के एक सरकारी अस्पताल की तस्वीर है, जिसकी बेड में एक खास बात है। इसमें लिखा फ्राईडे यह सुनिश्चित करता है कि बिस्तर की बेडशीट हर दिन बदली जाती है। यह शुक्रवार की बेडशीट है। अपने यहां कितने अस्पतालों में यह देखा गया है? केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है मिशन इंद्रधनुष जिसके तहत गर्भवती माताओं और 5 साल के बच्चों के लिए टीकाकरण का अभियान चलता है। सन् 2023 में इसका पांचवां चरण शुरू हो चुका है। छत्तीसगढ़ में भी यह योजना लागू है। इसी अभियान के तहत यह भी तय किया है कि इंद्रधनुष के पैटर्न पर हर दिन चादर बदल दिए जाएंगे, जो मरीज अंग्रेजी में लिखे दिन का नाम नहीं पढ़ सकते, वे रंग से जान सकते हैं कि चादर आज बदली गई या नहीं।  बिस्तर की चादरों के दिन और रंग इस प्रकार तय हैं- रविवार- बैंगनी, सोमवार-नीला, मंगलवार-नीला, बुधवार-हरा, गुरुवार-पीला, शुक्रवार-नारंगी और शनिवार-लाल। क्या आपने छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में इसका पालन होते देखा है? गुजरात के एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा है कि उन्होंने 9 सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण किया, कहीं भी इसका पालन होते नहीं पाया। आप भी अपने पास के सरकारी अस्पतालों में पता लगा सकते हैं कि क्या उन्होंने रंग-बिरंगे चादर का इंतजाम, हर दिन के लिए अलग-अलग किया है?

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