नहले पे दहला
कल वन कर्मचारी संघ की नई कार्यकारिणी ने शपथ ली। दीनदयाल ऑडिटोरियम में आयोजित भव्य कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वन मंत्री केदार कश्यप थे, और अध्यक्षता विधायक पुरंदर मिश्रा ने की। वन कर्मचारियों को संबोधित करते हुए दोनों ने ही वन और वनवासियों की पौराणिक और ऐतिहासिक बातें रखीं। पहले बोले पुरंदर मिश्रा, कहा- वन सभी के लिए आश्रय स्थल रहे हैं। भगवानों ने भी वनों में दिन गुजारे। जन कल्याण के लिए ऋषि मुनियों ने तपस्याएं। उन्होंने हास-परिहास में कहा इस कलयुग में ईश्वर का सान्निध्य हासिल करना हो, वरदान लेना हो या कुछ लाभ प्राप्त करना हो तो हम ब्राह्मण के पास आएँ, हम ईश्वर तक पहुंचाएंगे।
मिश्रा जी यहीं नहीं रुके करीब आधे घंटे का उनका संबोधन ब्राह्मणों पर ही केंद्रित रहा। आधे घंटे तक ब्राह्मण-ब्राह्मण सुनकर दिग्गज आदिवासी नेता से भी रहा नहीं गया। अपने संबोधन की बारी का पूरा फायदा उठाया और ब्राह्मणवाद पर तीर छोड़े। केदार कश्यप ने आदिवासियों को वनों का मूल निवासी बताया। और कहा अब हालत यह है कि ब्राह्मण, अपने पूर्वज ऋषि मुनियों की वनों-गुफाओं में तपस्या, आश्रम व्यवस्था का हवाला देकर स्वयं को वनवासी बताकर आदिवासी घोषित करने की मांग करने लगे हैं। केदार ने कहा कि बस्तर में तो इसके लिए धरना प्रदर्शन भी किए गए।
इस नहले पे दहले को सुनकर ऑडिटोरियम में हंसी ठ_े गूंजे। सही भी है हाल के वर्षों में केंद्र राज्य सरकारों से वनवासियों को मिल रहे फायदे को देखते हुए ब्राह्मणों का भी हृदय परिवर्तन होना कोई आश्चर्य की बात नहीं।
इस बरस अच्छे दिन, या वादों का खेल?
दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ में भाजपा की नई सरकार बनी। चुनावी घोषणा पत्र में हर साल एक लाख नौकरियां देने का वादा प्रमुख था। लेकिन 2024 पूरा बीत गया और छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) को छोडक़र शायद ही किसी अन्य भर्ती प्रक्रिया का ठोस अंजाम हुआ हो।
जनवरी 2024 में व्यापमं ने मत्स्य निरीक्षक के 70 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया, लेकिन उसकी प्रक्रिया अभी तक अधूरी है। सिपाही भर्ती में धांधली के चलते प्रक्रिया विवादों में उलझ चुकी है। इसके विपरीत, व्यापमं पहले हर साल करीब दर्जनभर विज्ञापन विभिन्न पदों के लिए निकालता था।
अब 2025 में जब नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव नज़दीक हैं, व्यापमं ने कई महत्वपूर्ण पदों जैसे आबकारी आरक्षक, सहायक विस्तार अधिकारी, सहायक परियोजना अधिकारी, सब इंजीनियर आदि के लिए भर्ती कैलेंडर जारी किया है। युवाओं में उम्मीदें जगी हैं कि शायद इस बार कुछ ठोस होगा।
यह स्थिति 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले से मिलती-जुलती है। रेलवे ने भी बड़े पैमाने पर भर्ती कैलेंडर जारी किया था। हालांकि रेल मंत्रालय उस कैलेंडर के तहत अधिकांश भर्तियां पूरी करने में नाकाम रहा।
छत्तीसगढ़ के युवा अब उम्मीद कर रहे हैं कि 2025 में सरकार अपने वादे के मुताबिक भले ही एक लाख नौकरियां न दे पाए, लेकिन भर्ती कैलेंडर में शामिल पदों पर समयबद्ध तरीके से प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ पूरी कर ले। 2024 की तरह इस साल का भी खाली गुजर जाना युवाओं की नाराजगी को बढ़ा सकता है। भारत के सबसे बड़े धनिक उद्योगपति गौतम अदाणी 60 हजार करोड़ का निवेश करने का ऐलान करके चले गए, पहले पन्ने में छपी खबरों में बेरोजगार युवा अपनी जगह ढूंढ रहे हैं।
सरकार का एक विभाग साल में तीन-चार बार रोजगार मेला लगाता है। हजारों लोग इंटरव्यू देने पहुंचते हैं, पर नौकरी तो दो चार लोग ही स्वीकार करते हैं। ये उद्योग जिस वेतन का ऑफर दे रहे हैं, वह न्यूनतम मजदूरी से भी कम होती है। सरकार इनकी कान क्यों नहीं उमेठती। ये उद्योग राज्य की जमीन सस्ते दामों पर हासिल करते हैं, प्रदूषण फैलाते हैं, पानी और दूसरे संसाधनों का रियायती दर पर इस्तेमाल करते हैं। पर, स्थानीय युवाओं को उचित पारिश्रामिक देने के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ते हैं।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या इस साल वाकई बड़ी संख्या में युवाओं को सम्मानजनक रोजगार मिलेगा?
अमीरी पल भर में खाक
लास एंजिल्स में हाल ही में लगी आग को एक ऐतिहासिक तांडव के रूप में देखा जा सकता है। यह आग, जिसे हाल के वर्षों की सबसे बड़ी आगजनी की घटना माना जा रहा है, हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे मानव निर्मित संरचनाएँ और संपत्तियां, चाहे वे कितनी भी महंगी और भव्य क्यों न हों, प्रकृति के सामने कितनी अस्थायी और असहाय हैं।
लास एंजिल्स में लगी आग ने कई घरों को नष्ट कर दिया, जिनमें से एक घर की कीमत भारतीय मुद्रा में लगभग 300 करोड़ रुपये थी। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि भौतिक संपत्ति और धन का कोई स्थायी मूल्य नहीं है जब प्रकृति अपनी पूरी ताकत दिखाती है। प्रकृति की शक्ति के सामने मानव की सीमाएं सीमित हैं। ([email protected])