राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : अब तो सिंधी समाज को मौका मिले
08-Jan-2025 3:05 PM
राजपथ-जनपथ : अब तो सिंधी समाज को मौका मिले

अब तो सिंधी समाज को मौका मिले 

नगरीय निकाय चुनाव की तिथि भले ही अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन मेयर और अध्यक्ष के पदों का आरक्षण होने के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। सिंधी, पंजाबी, और गुजराती व अन्य समाज के लोगों ने अपने-अपने समाज से मेयर प्रत्याशी तय करने के लिए जोर लगाना शुरू कर दिया है। भाजपा और कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में सिंधी और गुजराती समाज से एक भी प्रत्याशी नहीं दिया था, लिहाजा निकाय चुनाव में प्रतिनिधित्व देने की मांग कर रहे हैं। 

सिंधी समाज के नेताओं की नजर रायपुर, धमतरी, और राजनांदगांव मेयर टिकट पर है। खास बात यह है कि रायपुर की सीट से सिंधी समाज से दिवंगत रमेश वल्र्यानी, और श्रीचंद सुंदरानी विधायक रहे हैं। मगर आम चुनाव में भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने सिंधी समाज से किसी को प्रत्याशी नहीं बनाया। इसी तरह बड़े व्यापारिक गुजराती समाज से भी किसी को भी दोनों ही दल ने टिकट नहीं दी थी। जबकि गुजराती समाज के धरसींवा से देवजी पटेल, धमतरी में दिवंगत जया बेन, हर्षद मेहता, और भाटापारा से कलावती मेहता विधायक रही हैं। यही नहीं, मनेन्द्रगढ़ से गुजराती समाज के दीपक पटेल विधायक रहे हैं। रायपुर महिला अनारक्षित है, और बाकी सामान्य सीटों पर दोनों ही बड़े व्यापारिक समाज के नेताओं को टिकट की आस है।

सिंधी समाज की कई महिला नेत्रियों के बायोडाटा भाजपा व कांग्रेस नेताओं तक पहुंच रहे हैं। भाजपा से सिंधी काउंसिल की उपाध्यक्ष राशि बलवानी ने दावेदारी की है, तो कांग्रेस से पूर्व पार्षद कविता गुलवानी ने खुलकर चुनाव लडऩे की इच्छा जताई है। धमतरी से प्रदेश भाजपा महामंत्री रामू रोहरा का नाम प्रमुखता से उभरा है, तो कांग्रेस से पूर्व जिलाध्यक्ष मोहन लालवानी टिकट मांग रहे हैं। गुजराती समाज से कांग्रेस से सरिता दोषी का नाम चर्चा में है।

राजनांदगांव से भी दिवंगत पूर्व मंत्री लीलाराम भोजवानी के बेटे राजा भोजवानी ने टिकट के लिए दबाव बनाया है। चर्चा है कि सिंधी समाज से कम से कम एक मेयर टिकट देने की मुहिम को शदाणी दरबार के प्रमुख संत युधिष्ठिर लाल का भी समर्थन है। इससे परे पंजाबी, अग्रवाल, और अन्य समाज के लोगों ने भी मेयर टिकट के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। कुल मिलाकर आने वाले दिनों में जात पात की राजनीति तेज होने के आसार हैं। अब पार्टी जाति देखकर प्रत्याशी तय करती है या नहीं, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।

रायपुर शहर में एक ऐसी रंगीली मोटर साइकिल देखने मिली जिसके इंच-इंच पर कोई न कोई रंगीन टेप लगा हुआ था, बहुत से रंगीन झंडे लगे हुए थे, और मोहब्बत से उसका नाम पापा की परी भी लिखा हुआ था। जाहिर है कि इसे चलाने वाला बुजुर्ग गले में एक बड़ा सा लाकेट पहना हुआ शौकीन आदमी था। 

भाजपा की हॉटसीट कवर्धा पर...

भाजपा के 35 संगठन जिलों में से 33 में अध्यक्ष के चुनाव बिना किसी विवाद के निपट गए, लेकिन राजनांदगांव और कवर्धा के अध्यक्ष के चुनाव टाल दिए गए हैं। चर्चा है कि दोनों जिलों में पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, डिप्टी सीएम विजय शर्मा, और स्थानीय सांसद संतोष पाण्डेय के बीच किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई है। 

बताते हैं कि डॉ. रमन सिंह खेमे ने कवर्धा जिलाध्यक्ष तय करने का मामला डिप्टी सीएम विजय शर्मा, और सांसद संतोष पाण्डेय पर छोड़ दिया है। मगर चर्चा है कि विजय शर्मा और सांसद की अपनी-अपनी अलग पसंद है, और वो उन्हें ही अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। जबकि राजनांदगांव में डॉ. रमन सिंह से जुड़े लोगों की अपनी पसंद है, लेकिन वहां भी सांसद संतोष पाण्डेय की अलग पसंद है। यही वजह है कि दोनों ही जिलों में चुनाव रोक दिए गए हैं। यहां अब प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के बाद जिलाध्यक्ष के चुनाव कराए जाएंगे। 

स्कूलों में यौन शिक्षा दें या नहीं?

कोरबा के सरकारी कन्या छात्रावास में एक नाबालिग छात्रा के गर्भधारण और प्रसव की घटना ने प्रशासन, सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को उजागर कर दिया है। किसी गर्भवती के लिए नियमित चिकित्सा देखभाल अत्यंत आवश्यक होती है, परंतु इस छात्रा ने अपनी स्थिति को शिक्षकों, सहपाठियों और प्रशासन से छिपाकर बिना किसी चिकित्सकीय सहायता के बच्चे को जन्म दिया। प्रसव के बाद छात्रा ने शिशु को परिसर के बाहर फेंक दिया। आठ घंटे कडक़ड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे रहने के बावजूद शिशु की जान बच गई और उसे कोरबा मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में भर्ती कराया गया।

इस घटना ने कन्या छात्रावासों की सुरक्षा व्यवस्था पर कुछ गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बस्तर के झिलियामारी छात्रावास की घटना के बाद सुरक्षा के लिए नियम बनाए गए थे, जैसे महिला गार्ड की तैनाती, पुरुष स्टाफ का सीमित प्रवेश और अधीक्षिकाओं की सतर्कता। बावजूद इसके ये नियम जमीनी स्तर पर प्रभावी नहीं हो पाए। जशपुर जिले में भी पिछले वर्ष एक घटना सामने आई थी, जिसमें छात्रावास अधीक्षिका के परिवार के सदस्यों द्वारा यौन शोषण का मामला था।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्कूलों और छात्रावासों में स्वास्थ्य परीक्षण और किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बड़े-बड़े दावे किए गए थे। चिरायु योजना और आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रमों के तहत छात्रों के स्वास्थ्य और मानसिक कल्याण पर काम होना था। इस घटना ने इन दावों को खोखला साबित कर दिया। 11वीं कक्षा की छात्रा, जो छात्रावास परिसर के ही सरकारी स्कूल में पढ़ रही थी, इन स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रही। यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा प्रणाली की बड़ी विफलता को दर्शाती है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण समिति ने स्कूलों में किशोरों के लिए यौन शिक्षा पाठ्यक्रम तैयार किया है, जो असुरक्षित यौन संबंधों और यौन स्वास्थ्य पर जानकारी देता है। झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में इसे लागू किया गया है, लेकिन छत्तीसगढ़ सहित करीब 6 राज्यों ने इस पाठ्यक्रम को अपनाने से इनकार कर दिया। यदि इस पाठ्यक्रम को लागू किया गया होता, तो शायद इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकती थीं।

नाबालिग छात्रा और उसके शिशु का भविष्य क्या होगा। दोनों को सामाजिक त्रासदी भोगना पड़ सकता है। छात्रावासों में तो इस तरह की घटना पहली बार सुनी गई है लेकिन हर रोज किसी न किसी थाने में नाबालिगों को अगवा कर लेने, रेप करने और उसके बाद उसे छोड़ देने की रिपोर्ट दर्ज हो रही है। पीडि़त बालिकाओं की रिपोर्ट पर 18-20 साल के लडक़े जेल जा रहे हैं। कानून कुछ ऐसा है कि बहुतों को 20-20 साल की कैद की सजा इस उम्र में शुरू हो जाती है। ये सब अशिक्षित नहीं हैं, ज्यादातर किसी न किसी स्कूल में पढऩे वाले लोग हैं। असुरक्षित यौन संबंधों और उनके दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए यौन शिक्षा किस रूप में दिया जाए? विशेषज्ञों की मदद से सरकार को कोई फैसला लेना चाहिए।

अचानक ढाबा..

दिल्ली हरियाणा हाईवे पर स्थित इस ढाबे वाले ने ग्राहकों का ध्यान खींचने के लिए जरूर अपने होटल का नाम अजीब सा रख दिया है, पर जिस ग्राहक ने सोशल मीडिया पर यह तस्वीर डाली है, उनका कहना है कि जब वे यहां चाय पीने रुके तो यहां भयानक भीड़ जैसी कोई बात नहीं थी, बल्कि सभी टेबल कुर्सियां खाली थीं।

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